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Showing posts from November, 2022

CLINICAL-AYURVEDA PART- 14: 'Sheeta-guna' (Coldness) - Clinical aspect by Vaidyaraja Subhash Sharma

[11/2, 11:53 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma:  Clinical-ayurveda-14 *शीत गुण - clinical presentations के साथ प्रायोगिक विस्तृत विवेचन ...* *'ह्लादनः स्तम्भनः शीतो मूर्च्छातृट्स्वेददाहजित्' सु सू 46/515 अर्थात बाह्य या आभ्यन्तर किसी भी प्रकार से शरीर में सुख या प्रसन्नता उत्पन्न करे, स्तम्भन करे- स्तम्भन किस का होगा रक्तादि गतिमान धातुओं का जैसे रक्त स्तम्भन, शुक्र स्तम्भन आदि समझे एवं मूर्छा, तृषा, दाह एवं स्वेद का जो शमन करे वह शीत है।* *आगे शीत वीर्य में देखें तो 'तेषां मृदुशीतोष्णाः स्पर्शग्राह्याः' सु सू 41/11 शीत गुण शीत स्पर्श और शीतल अथवा शीत क्रिया को बताता है, उष्णता से त्रस्त पुरूष की दाह का शमन करता है, उसे तृप्ति और आनंद देता है।* *मन की प्रसन्नता, तृप्ति और आनंद के साथ तृषा,दाह और स्वेद का शमन खरबूजे का पानक कर रहा है जो हमारे clinic में विराजमान डॉ पवन मदान जी का कर रहा है। अतः खरबूजा शीत गुण प्रधान द्रव्य है 👇🏿* [11/2, 11:53 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma:  *वैशेषिक दर्शन उष्ण और शीत को एक स्वतन्त्र गुण नही मानता बल्कि वह तो स्पर्श को गुण मानता ह