[10/10, 12:35 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: *अग्नि, आहार, धातु, दोष और जीवन का clinical पक्ष एक काय चिकित्सक के दृष्टिकोण से ...* [10/10, 12:35 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: *ये है बाहर दिखने वाली भ्राजकाग्नि 👇🏿* [10/10, 12:35 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: *एक अन्य उदाहरण जहां हेतु भिन्न है 👇🏿* [10/10, 12:35 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: *किस प्रकार 'पिण्ड-ब्रह्माण्ड न्याय' के अनुसार इस ब्रह्माण्ड की अग्नि इस शारीरिक अग्नि से साधर्म्य रख कर उसे प्रभावित करती है, आहार, दोष, धातु और जीवन पर उसका कैसे प्रभाव पड़ता है, यह शरीरस्थ अग्नि कहां रहती है, कितनी मात्रा में रहती है आदि आदि अनेक विषयों पर उस clinical approach के साथ चर्चा करेंगे जिसे हम नित्य अपने clinic पर रोगियों में अनुभव करते है और उसे समझ कर उसकी चिकित्सा करते हैं।आयुर्वेद में शास्त्रार्थ का कोई अन्त नही है और अनंत है क्योंकि अनेक विषय प्रत्यक्ष दृष्टिगम्य ना होकर अनुभव किये जा सकते है या आप्त पुरूषों ने अपनी दिव्य दृष्टि से उनका अनुभव लिया है और ल