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Showing posts from October, 2021

WDS 88: प्रमेह- मेद/मूत्रवह् स्रोतस् व्याधि ? (Prameha concerned to Medavah or Mutravah Srotas ?) by Vaidyaraja Subhash Sharma, Prof. Ramakant Sharma, Chulet, Prof. Giriraj Sharma, Dr. Pawan Madaan, Dr. Manu Vast, Dr. Amol Kadu, Dr. Pradip Mohan Sharma, Dr. Rajendra Vishnoi & others.

[7/3, 00:03] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi: *स्रोतो विमर्श - प्रमेह मेदोवाही स्रोतो व्याधि है या मूत्रवाही स्रोतों की ???* *मेदोवाही स्रोतों का मूल ‘मेदोवहानां स्रोतसां वृक्कौमूलं वपावहनं च’  च वि 5/7  और मूत्रवाही स्रोतों का मूल ‘मूत्रवहानां स्रोतसां बस्ति: मूलंवंक्षणौ च।’  च वि 5/7* *‘मूत्रवहे द्वे तयोर्मूलं वस्तिमेढ्रं  च।  सु शा 9* *विद्वानों से इस विषय पर चर्चा अपेक्षित है।* 🙏🙏🙏🙏 [7/3, 00:13] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:  *मेदोवाही स्रोतोदुष्टि कारण - अव्यायामाद् .... वारूण्याश्चातिसेवनात्।  च वि 5/15 अर्थात अव्यायाम दिवास्वप्न मेदोवर्धक पदार्थ और अति मदिरापान।* *मूत्रवाही स्रोतो दुष्टि कारण - मूत्रितोदक ...क्षीणस्याभिक्षतस्य च। अर्थात मूत्रवेग धारण में जलपान एवं भक्ष्य पदार्थ सेवन, मूत्रवेग धारण धातु क्षीणता एवं क्षत। च वि 5/20* [7/3, 07:50] pawan madan Dr:  *मेदस और क्लेद प्रमेह रोग के समवायी दुष्ट धातु हैं। मुझे लगता है मुख्या रूप से मूत्रवह स्रोतस दुष्टि है।* [7/3, 07:55] Dr Giriraj Sharma:  संभवत प्रमेह मेदोवह स्रोतः की दुष्टि जन्य रोग है जो सम्प्राप्त