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CLINICAL-AYURVEDA PART- 14: 'Sheeta-guna' (Coldness) - Clinical aspect by Vaidyaraja Subhash Sharma

[11/2, 11:53 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma:  Clinical-ayurveda-14 *शीत गुण - clinical presentations के साथ प्रायोगिक विस्तृत विवेचन ...* *'ह्लादनः स्तम्भनः शीतो मूर्च्छातृट्स्वेददाहजित्' सु सू 46/515 अर्थात बाह्य या आभ्यन्तर किसी भी प्रकार से शरीर में सुख या प्रसन्नता उत्पन्न करे, स्तम्भन करे- स्तम्भन किस का होगा रक्तादि गतिमान धातुओं का जैसे रक्त स्तम्भन, शुक्र स्तम्भन आदि समझे एवं मूर्छा, तृषा, दाह एवं स्वेद का जो शमन करे वह शीत है।* *आगे शीत वीर्य में देखें तो 'तेषां मृदुशीतोष्णाः स्पर्शग्राह्याः' सु सू 41/11 शीत गुण शीत स्पर्श और शीतल अथवा शीत क्रिया को बताता है, उष्णता से त्रस्त पुरूष की दाह का शमन करता है, उसे तृप्ति और आनंद देता है।* *मन की प्रसन्नता, तृप्ति और आनंद के साथ तृषा,दाह और स्वेद का शमन खरबूजे का पानक कर रहा है जो हमारे clinic में विराजमान डॉ पवन मदान जी का कर रहा है। अतः खरबूजा शीत गुण प्रधान द्रव्य है 👇🏿* [11/2, 11:53 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma:  *वैशेषिक दर्शन उष्ण और शीत को एक स्वतन्त्र गुण नही मानता बल्कि वह तो स्पर्श को गुण मानता ह

WDS 95: जिव्हा परीक्षा(Tongue-examination) by Vaidyaraja Subhash Sharma, Vd. Atul Kale, Prof. Mohanlal Jaysawal, Vd. Sanjay Chhajed, Prof. Deep Narayan Pandey, Vd. Pradeep Kumar Jain, Vd. Arun Tiwari & Others.

10/10, 4:21 PM] Dr.Deepika:  Aaj ye rugna kandu ki complaint lekar aayi thi,jihwa parikshan par ye centre se cut tha,iske bare mein kuch clinical experience share kiziye [10/10, 5:36 PM] Dr.Pradeep kumar Jain:  जिह्वा विदार वात पेतिक [10/10, 7:30 PM] Dr. Ashwani Kumar Sood:  Normal in most of the pts untill some complaint. [10/10, 9:44 PM] Vd. Atul J. Kale:  जिह्वामें एक दरार.  क्यों???? जिह्वा रक्तमांसके प्रसादभागसे बनी हुई, लचिली, अन्नको इधर इधर करनेवाली, रसास्वादन करानेवाली.  रक्तमांसधातुओंके उचित संधानसे, बोधक कफ रसनास्थायी.     स्निग्धा, आरक्ता.         गुण:- रुक्ष, खरत्व वृद्धी. निमित्तकारण may be उष्णतीक्ष्णत्व of पित्त. उष्णत्वसे द्रव एवं स्निग्धत्वशोषण एवं तीक्ष्णत्वके साहचर्यसे भेदनपूर्वक संधानबंध विलगीकरण. महाभूतसंगठन पृथ्वी++++जल+++अग्नि+ अग्नि++वायु++++पृथ्वी++++जल+  ऎसा कुछ कहीं सकते है। [10/10, 10:06 PM] Dr Arun Tiwari:  जिह्वाऽनिलेन स्फुटिता प्रसुप्ता भवेच्च शाकच्छदनप्रकाशा | पित्तेन  पीता परिदह्यते च चिता सरक्तैरपि कण्टकैश्च | कफेन गुर्वी बहला चिता च