[11/22, 9:19 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: *case presentaion- अग्नि विकृतिजन्य मेदोवाहीस्रोतोदुष्टि - hyperinsulinemia - आयुर्वेदीय दृष्टिकोण एवं चिकित्सा व्यवस्था* *काय चिकित्सा अर्थात अग्नि की चिकित्सा, चिकित्सा में सर्वाधिक महत्व अग्नि का ही है 'तदेतत् स्रोतसां प्रकृतिभूतत्वान्न विकारैरूप सृज्यते शरीरम्म्' च वि 5/7 जब तक इस शरीर में 3 या 13 प्रकार की अग्नि सम्यक है, धातुवाही स्रोत अति प्रवृति, संग, विमार्ग गमन और ग्रन्थि से विकृत नही है तब ही शरीर के अव्यवों की पुष्टि होती रहती है।यहां हम आयुर्वेद पक्ष को ही ले कर चले हैं कि वर्तमान में insulin level की वृद्घि होने पर रोगी आयुर्वेद चिकित्सा के लिये आते हैं और उन्हे पता होता है कि इस से मेदोरोग, DM type 2, HT, increased triglycerides, artherosclerosis, uric acid वृद्धि, अनियमित आर्तव, PCOD एवं thyroid function विकृति आदि संभव है।* * *रूग्णा age 29 yrs/ unmarried/ teacher* *प्रमुख लक्षण - मुख त्वक वैवर्णय, मुख हस्त उदर पुरूषों के सदृश अति रोम, क्षणिक ही उत्तेजित एवं क्रोधित होना, अनियंत्रित क्षुधा, मध
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