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Showing posts from April, 2023

Case presentation - Use of Bhallatak in non healing ulcer/दुष्ट व्रण by Vaidyaraja Subhash Sharma

[4/10, 12:45 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:  *case presentation -  दुष्ट व्रण चिकित्सा में भल्लातक का प्रयोग ...  वैद्यराज सुभाष शर्मा, एम.डी. (काय चिकित्सा - जामनगर)* *मेरे जैसे एक काय चिकित्सक के लिये दुष्ट व्रण की चिकित्सा पराधिकार का विषय है पर अनेक बार धन्वंतरि अधिकार क्षेत्र के रोगियों की चिकित्सा भी धर्म बन जाती है। 'यतो गतिं विद्यादुत्सङ्गो यत्र यत्र च तत्र तत्र व्रणं कुर्याद्यथा दोषो न तिष्ठति'  सु सू 5/12 -  रोग ग्रस्त जिस जिस स्थान पर दोष अर्थात पूय की गति और उभरा हुआ स्थान मिले उस स्थान पर शस्त्र से चीरा लगा देना चाहिये जिस से पूय अर्थात दोष मासं आदि गंभीर धातुओं में ना रह सके।* [4/10, 12:45 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:  *रोगी ने एक प्रतिष्ठित अस्पताल में इसकी चिकित्सा कराई पर रोग तो जीर्ण होने ही लगा और अधिक antibiotic और anti-inflammatory औषध के कारण शरीर के अनेक पैरामीटर रिपोर्ट में खराब आने लगे तब रोगी हमारे पास आया।* *पहले दिन की चिकित्सा के चित्र से क्रमिक सुधार किस प्रकार आया, देखते हैं।* [4/10, 12:45 AM] Vaidyaraj Subhash Sha...

Case presentation - 'Sjogren's syndrome'(आमज-तृष्णा)/अनुक्त व्याधि सम्प्राप्ति चिकित्सा by Vaidya raja Subhash Sharma

[4/7, 12:46 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:  Case presentation-  Sjogren's syndrome  *sjogren's syndrome  एक अनुक्त व्याधि जो विभिन्न रोगकारक शारीरिक चिन्हों और लक्षणों का एक समूह बन कर साथ होते हैं और एक विशेष असामान्य विकार की विशेषता बताते हैं।* [4/7, 12:46 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:  *'देहो रसजोऽम्बुभवो रसश्च तस्य क्षयाच्च तृष्येद्धि, दीनस्वरः प्रताम्यन् संशुष्कहृदयगलतालुः'  च चि 22/16  यह शरीर रस से उत्पन्न होता है और पुष्टि प्राप्त करता है तथा रस जल से उत्पन्न होता है और क्लेद एवं आर्द्रता भी जल का ही अंश है जिसका शोष हो कर ह्रदय प्रदेश, गला तथा तालु शुष्क होने लगते है । यह मात्र लक्षण नहीं निरंतर बने रहने से रोग समूह बन जाता है । रोगियों की history लेने पर आमवात,   संधिवात, steroids, hydroxycholoroquine, HCQS, inflammatory आदि का सेवन अनेक महीनों या वर्षों तक करना मिलता है।* *अनेक व्याधियों का प्रत्यात्म चिन्ह या लक्षण बताया गया है जैसे ज्वर का उदाहरण देखें,  'ज्वरप्रत्यात्मिकं लिङ्गं सन्तापो देहमानसः'  च चि 3  अ...