WDS 66: "AVAPEEDA-SNEHAPAN" by Prof. Deep Narayan Pandey, Vd. Jayshree Kulkarni, Prof. Mamata Bhagwat, Dr. Divyesh Desai, Dr. Radheshyam Soni, Dr. Dhananjay Kahanekar, Dr. D. C. Katoch, Dr. Akash Changole & others.
[1/12, 11:38] Prof. Deep Narayan Pandey: *अवपीडक स्नेहपान पर अनुभव जानना था| अगर किसी साथी का अनुभव हो तो बताने हेतु आग्रह है (केवल अनुभव ही समझना है)|* 🙏🙏 [1/12, 12:18] Dr Shashi Jindal, Chandigarh: sir what is avpeedak sneh paan 🙏🏼 [1/12, 12:27] Dr. R S. Soni, Delhi: *अवपीड़* इस शब्द में ही अर्थ छिपा है। अवपीड़ अर्थ पीडन, दबाव। जो स्नेह भोजन को दबा दे। अर्थात भोजन दोनों ओर से स्नेह से दबा हुआ हो। अर्थात भोजन के पूर्व और भोजन के पश्चात दोनों समय स्नेह पान करना अवपीड़ स्नेह पैन है । [1/12, 12:30] Dr Deepanshu Indoria: Before and after food you have to give snehapaan.. Only for limited conditions avapidak snehapaan is mentioned like mootraveg rodhajanya roga. [1/12, 12:54] Dr Divyesh Desai: Agree, सुबह में खली पेट स्नेहपान करना ( अग्निबल के हिसाब से 5 to 30 ml) भूख लगने पर लघु,स्निग्ध उष्ण,ताजा खोराक लेना खाना हजम होनेके पश्चात वापिस स्नेहपान ये अवपीडक स्नेहपान है, अश्मरी, प्रोस्टेटवृद्धि, मूत्रकृच्छ, गर्भाशय के विकार, अपान वायु के विका