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WDS 66: "AVAPEEDA-SNEHAPAN" by Prof. Deep Narayan Pandey, Vd. Jayshree Kulkarni, Prof. Mamata Bhagwat, Dr. Divyesh Desai, Dr. Radheshyam Soni, Dr. Dhananjay Kahanekar, Dr. D. C. Katoch, Dr. Akash Changole & others.

[1/12, 11:38] Prof. Deep Narayan Pandey: 

*अवपीडक स्नेहपान पर अनुभव जानना था| अगर किसी साथी का अनुभव हो तो बताने हेतु आग्रह है (केवल अनुभव ही समझना है)|*

🙏🙏

[1/12, 12:18] Dr Shashi Jindal, Chandigarh: 

sir what is avpeedak sneh paan 🙏🏼

[1/12, 12:27] Dr. R S. Soni, Delhi: 

*अवपीड़*

इस शब्द में ही अर्थ छिपा है। अवपीड़ अर्थ पीडन, दबाव।
जो स्नेह भोजन को दबा दे।
अर्थात भोजन दोनों ओर से स्नेह से दबा हुआ हो।

अर्थात भोजन के पूर्व और भोजन के पश्चात दोनों समय स्नेह पान करना अवपीड़ स्नेह पैन है ।

[1/12, 12:30] Dr Deepanshu Indoria: 

Before and after food you have to give snehapaan..
Only for limited conditions avapidak snehapaan is mentioned like mootraveg rodhajanya roga.

[1/12, 12:54] Dr Divyesh Desai: 

Agree,
सुबह में खली पेट स्नेहपान करना
( अग्निबल के हिसाब से 5 to 30 ml) भूख लगने पर लघु,स्निग्ध उष्ण,ताजा खोराक लेना खाना हजम होनेके पश्चात वापिस स्नेहपान ये अवपीडक स्नेहपान है, अश्मरी, प्रोस्टेटवृद्धि, मूत्रकृच्छ, गर्भाशय के विकार, अपान वायु के विकार में या वेगावरोधजन्य उदावर्त में अवपीडक स्नेहपान उपक्रम है, इसके इस्तेमाल करने से विकार मैं जल्दी लाभप्रद रहेगा.... 
जय आयुर्वेद जय धन्वंतरि ।।

[1/12, 13:00] Samta Tomar Dr Jmngr: Excellent

[1/12, 13:02] Dr Divyesh Desai: 

अष्टाङ्ग हृदय के हिसाब से स्नेहपान का लाभ:-
दीप्तान्तर अग्नि,परिशुद्ध कोष्ठ
प्रत्यग्र धातु बल वर्ण युक्तः,
द्रढेन्द्रीय मन्द जरा शतायु
स्नेहोपसेवी पुरुषः प्रदिष्ट।।

[1/12, 13:11] Prof. Deep Narayan Pandey: 

A Critical Review on the Concept of Avapeedaka Snehapana, a Special Mode of Lipid Administration.

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5987893/

[1/12, 13:13] Prof Dhananjay Kahanekar: 

🙏
Avapidak sneh before and after of food ye sahi hai ya
 before food one matra  and after digestion of food second matra.
Sir total matra ke bare me guide kare.

[1/12, 13:16] Dr Shashi Jindal, Chandigarh: 

yes sir key of learning, one must know what he does not know, negative marking in competition exams is its application in academics.

[1/12, 13:20] Dr Divyesh Desai: 

सर, मेरे जितने भी अश्मरी के मरीज़ है, इसमे अश्मरी की चिकित्सा के साथ अवपीडक स्नेहपान से बिना pain से ही अश्मरी जल्दी निकल जाती है, प्रोस्टेटवृद्धि में  मूत्रावरोध में भी उपशय मिलता है।
Dr.S. GOPAKUMAR SIR ने Surat conference में अवपीडक स्नेहपान पर अपना अनुभव share किया था,उसके बाद मुझे भी मेरे patients में फायदा मिला है।।
जय आयुर्वेद, जय धन्वंतरि ।

[1/12, 13:21] Prof Dhananjay Kahanekar: 

Sneha matra or kal ke bare me avagat kare.

[1/12, 13:22] Prof. Deep Narayan Pandey:

 बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर साहब

बहुत ही महत्वपूर्ण अनुभव आपने साझा किया है।

इसे थोड़ा विस्तार देने हेतु आग्रह है ।अवपीडक स्नेह एक चमत्कारिक चिकित्सा है जिसे प्रायः भुला दिया गया है । 

[1/12, 13:29] Prof Dhananjay Kahanekar: 

Pakshaghat me incontinence of urine avastha me bladder tone prapt karne hetu esaka aacha result aata hai.

[1/12, 13:29] Dr Divyesh Desai: 

15 ml to 30 ml खाने के 1 या डेढ़ घंटे पहले ओर खाने के 3 या 4 घण्टे बाद में equal मात्रा use करता हूँ । 

[1/12, 13:29] Dr. D C Katoch sir: 

सुकुमार घृत में क्षार या श्वेत पर्पटी  मिला कर देने से 5-7 मि. मी. की मूत्राश्मरी 10-12 दिनों में प्रायः विलीन हो जाती है। 😌

[1/12, 13:30] Prof Dhananjay Kahanekar: 

We are using same.so i confused before and after concept of sneha.
Thanks sir🙏

[1/12, 13:33] pawan madan Dr: 

Great sharing...🙏

[1/12, 13:33] pawan madan Dr: 

Nice..
Pls send the link.

[1/12, 13:33] pawan madan Dr: 

Thanks sir.

[1/12, 13:34] pawan madan Dr: 

I am thinking how it works on ashmari and BPH..

[1/12, 13:39] Dr Divyesh Desai: 

सर, इसका कार्य अपान वायु पे होता है,ओर अपान वायु का कार्य आप सबको पता है।।
जय आयुर्वेद, जय धन्वंतरि ।।

[1/12, 13:55] Dr. R S. Soni, Delhi: 

वैसे मात्रा निर्धारण व्यक्तिशः भिन्न हो सकता है, क्योकि स्नेह की मात्रा अग्निबल पर निर्भर करती है।

शास्त्र अवपीड़ स्नेह की क्या मात्रा बता रहा है, ये मेरी जानकारी में नहीं है। मैंने कहीं नहीं पढ़ा, यदि कोई संदर्भ हो तो कृपया प्रस्तुत करें।🙏🙏

युक्तितः आपकी निर्धारित मात्रा अधिकांश रोगियों में सटीक है।🙏👍🏻💐💐

[1/12, 13:58] Dr. R S. Soni, Delhi: 

🙏🙏🌹🌹

आपकी युक्ति अब से अश्मरीजन्य शूल में अवश्य प्रयुक्त की जाएगी।🙏
आभार💐

[1/12, 13:59] Dr. D C Katoch sir: सुष्ठु इति!

[1/12, 14:12] Dr Divyesh Desai: 

सर, अवपीडक स्नेह सहायक उपक्रम है, इसके साथ हम दोष विपरीत ओर व्याधि विपरीत चिकित्सा करते है इससे भी रोग शमन होता है,
अन्नादौ विगुणे अपाने सूत्र के अनुसार अवपीडक स्नेह प्राग्भक्त देते है, वो अपान काल होने की वजह से अपान वायु के विकार में ज्यादा फायदा करता है,
इसमे मेरी कोई युक्ति नही है, ये तो शास्त्र में बताया ही है
जय आयुर्वेद, जय धन्वंतरि ।।

[1/12, 14:15] Prof. Deep Narayan Pandey:

 *QUIZ: अवपीडक स्नेहपान क्या है और इसका विशेष महत्त्व क्यों है? संहिताओं के सन्दर्भ?*

https://m.facebook.com/story.phpstory_fbid=10156961756209851&id=753314850

Taking liberty to post  this discussion as well
🙏

[1/12, 14:34] Dr Yogesh Gupta:

SIR VASTYAMANTAK GHRITA  KAHAN SE MIL SAKTA HAI...?

[1/12, 14:39] Dr. Ravikant Prajapati M. D, BHU.: 

Arya vaidyasala Kottakkal .... banati hai sir.....🙏🙏🙏🙏

[1/12, 14:42] Prof. Deep Narayan Pandey: 

*मेरे ज्ञान और विश्वास में अवपीडक स्नेह पर यह सबसे महत्वपूर्ण रिव्यू पेपर है।*

[1/12, 14:43] Prof. Deep Narayan Pandey: 

*कुछ और भी प्रकाशित हुए हैं। भेजता हूं।* लेकिन ऊपर जो रिव्यू भेजा है, वह सबसे उत्तम है। एक बार समय निकालकर अवश्य पढ़िए।

[1/12, 14:49] Prof. Deep Narayan Pandey:

 *तीन पत्र मैंने और भेजे हैं लेकिन इन में वह दम नहीं है जो पहले वाले में है।*

आशा करता हूं कि अवपीडक स्नेह को आप अपनी मेनस्ट्रीम चिकित्सा में लेकर आएंगे। क्योंकि मेरे विचार से यह एक बेहद कारगर और बेहद महत्वपूर्ण चिकित्सा है, जिसे प्राय: समय के अभाव में या रोगी के तैयार न होने के कारण हम नहीं कर पाते।

बचपन में मुझे याद है कि इस चिकित्सा के द्वारा हमने अपने गुरु जी के साथ सैकड़ों पचड़े वाले रोगियों को ठीक किया था। बहुत दिन बाद कल रात किसी साथी ने यह प्रश्न पूछा तो सब कुछ याद आया।

संहिताओं में इसके संदर्भ अलग-अलग जगह पर बिखरे हुए हैं, आप ढूंढेंगे तो मिल जाएंगे।

[1/12, 14:53] Prof. Deep Narayan Pandey: 

आपने आज चिकित्सा का एक बेहद महत्वपूर्ण अनुभव साझा किया है। बहुत-बहुत आभार आपका ।

[1/12, 14:54] Dr Yogesh Gupta: 

THANKS A LOT SIR....

[1/12, 14:56] Dr Pravin Soni Beawar: 

Sir i used to give kalyan kshar with bastyamnatak ghrita...

[1/12, 14:59] Dr Pravin Soni Beawar:

 And 1 gm of citrkadi vati gives instant pain rlf in asmari jany shool...

[1/12, 15:11] Dr Surendra A Soni: 

मूत्रजेषु तु पाने च प्राग्भक्तं शस्यते घृतम्|
जीर्णान्तिकं चोत्तमया मात्रया योजनाद्वयम्|
अवपीडकमेतच्च संज्ञितं ||७||

A S Su. 5/7

[1/12, 15:15] Dr Surendra A Soni: 

It's exceptionally beneficial in aggravated niram vat (but not chronic) conditions like L / C spondylosis, OA etc. I frequently use .
Very useful in vihar janit vat prakop.

🙏🌹

[1/12, 15:33] Prof. Mrinal Tiwari, Pune: 

I have given Avapidak snehapan for a Pt with fissure. Only ghruta 40 ml before food and 40 ml with saindhav after food for three days.
The Pt was relieved symptomatically of pain after mala pravritti. Also after that, he had no complaints during defecation .
I have read this Ashtang Hridaya. I don't remember exact reference.
This yoga can be tried in patients having hard stools/mala Vatak.
Please try this in such patients.

[1/12, 15:58] Prof. Deep Narayan Pandey: 

धन्यवाद आचार्य
🙏
Important insights. Thank you indeed for sharing your experience.
💐💐

[1/12, 15:58] Prof Mamata Bhagwat: 

A lady aged about 60 yrs c/o interrupted urination. After having passed some amount of urine, it used to stop.  She used to feel like passing urine but pravritti was not there. So she had to urge (kind of Pravahana) to evacuate it completely. Duration was for about 4-5 months.

Usg was normal, non diabetic, no HTN. Normally built. Had frequent episodes of constipation.

I planned to treat her in lines of Mutraaghaata.

Gave 1 g BD dose of Shiva gulika internally.
Avapeedaka Sneha 30 ml at 7am and 12pm. She was asked to take breakfast between 9-9.30am.
Ushna Jala anupana and afternoon food *only when she felt hungry*.

In 6 days the complaint got relieved. No urging/ urgency noticed. Constipation completely relieved. It's been about 6-7 months. No recurrence till now. Constipation still is issue occasionally.

[1/12, 16:01] Prof. Deep Narayan Pandey: 

Great insights Professor Mamata Bhagwat ji.

I think the problem that remains is because of the non-adherence of nidana parivarjana.
💐🙏

[1/12, 16:04] Dr Surendra A Soni: 
🌹🌹🙏🙏👌👌

[1/12, 16:07] Prof Mamata Bhagwat: 

True Sir, I consider it as a result of frequent shift in her life style. She moves to her son who is resident in USA frequently for duration of 3 or 6 months. There would be lot of variations in her physiology during these shifts.
And also another problem with her is not getting good sleep as she stays alone here and feels boredom. No anxiety, but feels like grabbing someone and talking to them.

[1/12, 16:09] Prof Mamata Bhagwat: 

There are several families like this in my clinic vicinity here in Bangalore. Several families have turned Vriddhashrama like. It has become a big social issue in the recent past.

[1/12, 16:14] Prof. Deep Narayan Pandey: 🙏🙏

[1/12, 16:23] Prof Mamata Bhagwat: 

No other reference found madam. This is the only reference with minimal details.

[1/12, 16:23] Dr Shashi Jindal, Chandigarh: nice. 

[1/12, 16:27] Dr Surendra A Soni: 👌👍

[1/12, 16:29] Dr Surendra A Soni: 

बस्तिमेहनयोः शूलं मूत्रकृ१च्छ्रं शिरोरुजा ।
विनामो वङ्क्षणानाहः स्याल्लिङ्गं मूत्रनिग्रहे ॥६॥
स्वेदावगाहनाभ्यङ्गान् सर्पिषश्चावपीडक२म् ।
Ch. Su. 9

[1/12, 16:31] Prof Mamata Bhagwat: 

Thank you Dr Soni ji, I didn't give a notice to this reference. 

[1/12, 16:33] Dr Ashwini Kumar Sood, Ambala: 

सटीक absolutely !

[1/12, 16:37] Prof. Deep Narayan Pandey: 

स्वेदावगाहनाभ्यङ्गान् सर्पिषश्चावपीडकम्|
मूत्रे प्रतिहते कुर्यात्त्रिविधं बस्तिकर्म च ||७
--च.सू.7.7

[1/12, 16:38] Prof. Deep Narayan Pandey: 

अञ्जनान्यवपीडाश्च धूमाः प्रधमनानि च |
सूचीभिस्तोदनं शस्तं दाहः पीडा नखान्तरे ||
-- च.सू.23.46

[1/12, 16:58] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

अवपीडक सनेह पान की जानकारी बांटने हेतु कोटि कोटि प्रणाम ।

[1/12, 16:58] Prof. Deep Narayan Pandey: 🙏🙏💐

[1/12, 17:11] Prof. Deep Narayan Pandey: 

आभिः क्रियाभिरथवा शीताभिर्यस्य तिष्ठति न रक्तम् |
तं काले स्निग्धोष्णैर्मांसरसैस्तर्पयेन्मतिमान् ||
*अवपीडकसर्पिर्भिः* कोष्णैर्घृततैलकैस्तथाऽभ्यङ्गैः |
क्षीरघृततैलसेकैः कोष्णैस्तमुपाचरेदाशु ||
-- च.चि.14.222-223

[1/12, 17:25] Dr Shashi Jindal, Chandigarh: 

one point is clear that if vaayu is prakupit below nabhi pradesh ch ch 28, arsh, Pureeshavrit vaat, mutraggat rog, anal fissure etc. avpeed ghrit can be used, m i right ?

[1/12, 17:27] Dr. D C Katoch sir:

 👍🏽👍🏽 need is to standardize such an important intervention -compositionwise, dosewise, timewise and durationwise.

[1/12, 17:27] Prof. Deep Narayan Pandey: 

बाहुशीर्षगते नस्यं पानं चौत्तरभक्तिकम् ||
बस्तिकर्म त्वधो नाभेः शस्यते चावपीडकः |
--च.चि.28.98उत्तरार्ध व 99 पूर्वार्ध
यहाँ नस्य  तथा अवपीडक स्नेहपान दोनों का सन्दर्भ है|

[1/12, 17:30] Dr. D C Katoch sir: 

During my clinical days I had successfully used avapeedak of tel ( mainly mahanadayan tel)  in Avabahuk.

[1/12, 17:36] Dr. R S. Soni, Delhi: 

उत्तम मात्रा तो 24 घंटे में जीर्ण होने वाली है, फिर इस मात्रा को दिन में 2 बार कैसे प्रयोग करें।

1.या तो उत्तम मात्रा को 2 भागो में विभाजित कर प्राग्भक्त तथा उत्तरभक्त दें?

2. अथवा दोनों काल में उत्तम मात्रा दें पर जीर्ण होने का विचार ना करें

3. या मात्रा विभाजित कर प्रथम मात्रा जीर्ण होने पर भोजन, और भोजन जीर्ण होने पर द्वितीय मात्रा दें,🤔

कृपया शंका निवारण करें🙏🙏😌

[1/12, 17:38] Prof. Deep Narayan Pandey: 

🙏💐 सब आप जैसे विद्वान साथियों का योगदान है सीखने में

[1/12, 17:41] Prof. Deep Narayan Pandey: 

Avapeedaka snehapana is a special pattern of oral administration of sneha. Sneha is administered in 2 kala (period) at a stretch, that is, pragbhakta (before food) and in jeernantha avastha (after the digestion of food)--- in hrusva matra (minimal dose) and uttama matra (maximal dose) respectively.---

Uttama matra and Hrusva matra are the quantities of sneha that digest in a period of 24 hours and 6 hours, respectively.

[1/12, 17:45] Prof. Deep Narayan Pandey: 

Avapeedaka snehapana is considered as pittanilamayagna (pacifies pitta humor and vata humor). It has a special affinity toward bladder, thighs, and low back. It is also vrishya (aphrodisiac in action).7 In the context of Avapeedaka snehapana, "Ayurveda texts mention ghrita as the better choice to reduce vatakopa (aggravation of vata) rather than taila even though taila (sesame oil) is the best vata shamaka (pacifies vata) Sneha dravya. Taila is not advisable in this condition because of its baddhavitt and alpamutra swabava 8 (property to obstruct feces and scanty urination). Hence, ghrita is the drug/sneha of choice used in this pattern of snehapana even though various types of sneha dravya are mentioned for internal administration."
---Kadambari et al., J Evid Based Integr Med. 2018; 23

[1/12, 17:48] Prof. Deep Narayan Pandey: 

Avapeedaka snehapana is indicated in specific conditions like

mutra vegavarodha janyavikara chikitsa (management of diseases due to the suppression of micturition reflex)
mutra udavarta chikitsa (management of the obstruction of urine)
adhonabhigatavata chikitsa (neurological conditions below the umbilicus)
arshachikitsa (management of hemorrhoids).
In mutra vegavarodha janyavikara and mutravaha srotodushti (vitiation of channels of urine), we can find the apana vayu (1 among the 5 types of vata humor) vaigunya (abnormality). Avapeedaka snehapana brings kledana (to bring of lubrication) to the mutravahasrotas (channels of urine) and anulomana (appropriate direction, generally downwards) of apana vata.

In adhonabhigata vata, avapeedaka snehapana is administered as pragbhakta, that is, the food has to be taken after consuming the ghrita.

In arshachikitsa, avapeedaka snehapana is administered as a last resort. In raktaja arsha, (bleeding hemorrhoids), when the bleeding does not stop even after conservative management, ghee with mamsa rasa (meat soup) is advised, which is a type of bhrumhana snehapana and is a santarpanachikitsa (nourishing treatment).
---Kadambari et al., J Evid Based Integr Med. 2018; 23

[1/12, 17:49] Prof. Deep Narayan Pandey:

*The Possible Methods of Administration of Avapeedaka Snehapana*


Method 1
By early evening, sneha is given in hrusva matra and the food is administered after a while. Let the patient sip hot water till he or she sleeps. The next morning, after ascertaining the jeernahara lakshana (status of digestion of the food), uttama matra is calculated. During sooryodayakala (sunrise) and before the feeling of hunger uttama matra, sneha is administered. Snehapana acharika vidhi (the diets and regimens to be followed during and after the snehana) is advised to follow during the period of snehapana. Rice gruel can be consumed whenever the patient feels hunger till the procedure ends.

The dose is calculated based on the time taken for digestion of ghee.

Method 2
During sunrise, Snehapana is administered in hrusva matra and satmya ahara (compatible food, preferably rice gruel) is given after 30 to 45 minutes. The time of administration is significant as it is the ideal time for uthkleshana (secretory). After attaining the jeernahara lakshana and when hunger is felt, uttama matra is calculated and administered. Snehapana acharika vidhi is advised to follow during this period. Rice gruel can be consumed when the patient feels hunger.

Method 3
Hrusva matra: If the condition is not severe, in avarasatwa (minimal mental capacity) or alpabala (minimal physical strength) patients, we can go for hrusva matra in pragbhakta, that is, after sooryodaya kala, snehapana is administered. Rice gruel is advised as food when the patient feels hunger. This prayoga (method) can be continued every day till vyadhi samana (pacification of disease).

Method 4
Uttama matra: If you know the agnibala (digestive strength) of the patient, directly uttama matra can be administered, that is, during sunrise snehapana is administered and the patient is advised to sip hot water frequently. When the person is hungry, rice gruel is given as food. This is repeated till he or she attains samyak snigdha lakshana (symptoms of adequate unctuousness).

-------Kadambari et al., J Evid Based Integr Med. 2018; 23

[1/12, 17:51] Prof. Deep Narayan Pandey: 

_*Till date, there are no studies conducted on the dose fixation of avapeedaka snehapana; hence it is a big challenge to determine an optimum dosage. Avapeedaka snehapana is relatively untouched and requires further clinical trials and discussions to understand its wide range of utility.*_

---और इसलिये यही काम आपको करना है आज

[1/12, 18:03] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

You are absolutely right I think this sneha counter rukshata and pain infisshure is checked.

[1/12, 18:25] Dr Divyesh Desai:

 सर,
I will try my best
Vaagbhat के हिसाब से
शरीर जानाम दोषणाम
क्रमेण परम ओषधम,
बस्ति विरेको वमनं
तथा तैलं घृतं मधु
इस सूत्र के अनुसार जैसे हम बस्ति में हम स्नेह की मात्रा वात व्याधि या प्रकृति में ज्यादा use करते है, पित व्याधि या पित विकार में इससे कम और कफज व्याधिमे सबसे कम use करते है ठीक उसी तरह
अवपीडक स्नेहपान में घृत use करना है तो पित्तज प्रकृति या पित विकारो में घृत की मात्रा बाकी दोनोसे ज्यादा लेनी चाहिए
ओर अवपीडक स्नेहपान में तैल use करना है तो वात व्याधि या प्रकृति में मात्रा बाकी दोनोसे ज्यादा होनी चाहिए ,उसके लिए भी
 दुष्यम देशम बलं कालम
अनालं

[1/12, 18:40] pawan madan Dr: 

Wow....great....Sis...prof  mamata ji  !
I never had a chance to learn this Avpeeda ghrit snehpaan..
Will try...🙏🙏

[1/12, 18:47] pawan madan Dr: 

Thanks Everbody for the wonderful discission about avapeeda snehpaan.
🙏💐🙏💐

[1/12, 18:49] Dr. D C Katoch sir: 

Indeed standarďization and clarity of dose, duration and indications are very much required.

[1/12, 18:53] Dr Aakash Chhangole: 

Avpidak snehapaan creates mruduta snigdhata in Apaan sthanam and thus helps in expulsion of wit shalya or ashmari shalya etc......
For the Movement of dosha or shalya snigdhata of Apaan kshetra is very essential.
A week before  A student haf severe colicky pain in abdomen at rgt.side.
It was diagnosed as Ashmari.
I gave her only ghee before food.
next day she got her Ashmari out.so earlier.

[1/12, 18:58] Dr Aakash Chhangole: 

for fastest action use of Amla ras and Lawan rasa proves very beneficial.
lawan ras मार्गान विशोधयती.अम्लऱस स्रावं वर्धयती .कटू रस मार्गान विवृणोती ......यह तीन रसो का समूदाय दोषोका सही निर्हरन करता है ।

[1/12, 18:58] Prof. Deep Narayan Pandey: 

वाह! What a great yukti and outcome!

👌

[1/12, 19:00] Dr Shashi Jindal, Chandigarh: 

👌a real antispasmotic.

[1/12, 19:04] Dr Jigar Narsana M. O: 

Thank you very much sir for this information..
Jab PT ke hetu me mutra Vega avarodh milta he tab me bhi iska use karta hu..basti shul aur mutra kruchcha dono me kaphi achcha aur jldi  results milte Dekha he..me to sirf go dhruta hi deta tha par ab ye discussion padhke  medicated ghee bhi use karunga.

[1/12, 19:07] Dr Bhadresh Nayak, Surat: 

It's reduced the rux gun
And vatanuloman the basics of the avpidak snehpan
It's lubricant the urethra and vayu increased the movement passed the calcury very fact with pain realief.
Vd Soni advise for katisnan or bath for realived pain with avpidak snehpan.

[1/12, 19:14] Bhavesh Patil Dr DG: 

What was the dose of avapidak ?

[1/12, 19:22] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

Great application of siddhant.

[1/12, 20:06] Dr Aakash Chhangole: 

bhavesh sir !
vaatprakop ke anurup krura koshtha k liye 50ml-100 ml with warm water.

[1/12, 20:08] Bhavesh Patil Dr DG: 

Ok.. thanks Aakash !

[1/12, 20:21] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

अनलं प्रकृतिं वयः। सत्त्वं सात्म्यं तथा आहार अवस्था च पृथक् विधः..।
🙂 🙂

[1/12, 20:24] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

आदरणीय पाण्डजी की प्रेरणा से विषेशज्ञान आदानप्रदान हो रहा है, तो मेराभी थोडासा योगदान....

[1/12, 20:32] Dr Divyesh Desai: 

वैसे तो सब लोग रोग रोगी परीक्षा करने के बाद ही औषधि प्रयुक्त करते है,फिर भी युक्तियों का use करना पड़ता है, बहोत सारे मरीज़  स्नेहपान द्वेष करते है, इसमे lemon juice ओर सैंधव नमक डालकर पिलाना चाहिए
दूसरा मेरे में एक प्रश्न है कि अवपीडक स्नेहपान मै दोनो बार एक ही स्नेह का use करना चाहिए या दूसरा स्नेह use कर सकते है?
स्नेह से तो हम घृत,तैल, वसा,मज्जा चारो का ग्रहण करते हैं तो युक्ति से जो नॉनवेज खाने वाले है इसमें हम वसा और मज्जा का use कैसे करें ?
आज सर ने अवपीडक स्नेह का डिस्कशन किया है तो मेरे मन में ये प्रश्न काफी साल से अनुत्तर है इसका जवाब मुझे आप गुरुजनो से मिलने की उम्मीद है....
जय आयुर्वेद, जय धन्वंतरि ।।

[1/12, 20:44] Dr Divyesh Desai: 

सूक्ष्म सूक्ष्म परिक्षयेषां दोष औषध निरुपणे,
यो वर्तते चिकित्सा आयाम
न सः स्खलती जातुचित।।

[1/12, 20:51] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

चरक ने वातकलाकलीय में वायु समझाया लेकिन application के लिये वातव्याधि की रचना की ।
वैसेही स्नेहाध्याय पूरा बताने के बाद भी कुछ
विशेष स्नेहविधी बाकी रहगये।
१) औत्तरभक्तिक
२)अवपीडक

१)औत्तरभक्तिक का रोग अधिष्ठान उर्ध्वजत्रु है …
 च.सू.क्षवथु अवरोध  च.चि. बाहुशीर्षगत
च.चि. तालुशोष

२) अवपीडकका अधिकार अधोनाभी है।
च.सू. मूत्रवेगावरोध
च.चि.

लेकिन येदोनोंही विशेषविधीविधान होनेंके कारण वातके सामान्य उपक्रम निष्फल होने के बादही इनका प्रयोग करना है।
औत्तरभक्तिक शमन स्नेह है, अवपीडक शोधन स्नेह।
दोनोंका एकसाथ बडी मात्रामें पान करवाने के हेतु "प्रबल वातजन्य संप्राप्ति, तथा उत्तम मात्रा स्नेहपानसे पिडित दोषोंका यथाविधी शिरोविरेचन या बस्तिद्वारा ( अनुक्रमे)निर्हरण करने के बादही चिकित्साको पूरा अंजाम मिलता है, ऐसा मेरा अनुभव है।
ये विशेष स्नेहपानहोनेसे सामान्य नियमपालन करना अनिवार्य है।
viz
उष्णोदकोपचारी स्याद् ब्रह्मचारी क्षपाशयः।
शकृतमूत्रानिलोद्गारानुर्णांश्च न धारयेत्॥

        अन्यथा

अकाले चाहितश्चैव मात्रया च न योजितः ।
स्नेहो मिथ्योपचारात् च व्यापदेत् अतिसेवितः॥चरक

[1/12, 20:58] Dr Bhadresh Nayak, Surat: 

Sirji
What is logic behind at last avpidan snehpan indicated.

[1/12, 21:10] Dr Anita Bhirud: 

Very nice explanation mam !

[1/12, 21:11] Prof. Deep Narayan Pandey:

 इस तरह की शोध संसर्जन क्रम के लिये भी होनी चाहिये| मुझे ऐसा लगता है (परिकल्पना ही मानें) कि यदि स्वस्थ व्यक्ति बीच बीच में केवल संसर्जन क्रम (बिना किसी अन्य क्रम या क्रिया किये हुये) कर ले, तो भी --इस प्रकाशित शोध के प्रकाश में -- स्वास्थ्यलाभ होता रहेगा|

Safety, health improvement and well-being during a 4 to 21-day fasting period in an observational study including 1422 subjects

https://journals.plos.org/plosone/article?id=10.1371/journal.pone.0209353

[1/12, 21:15] Prof. Deep Narayan Pandey: 

मैंने दिसम्बर में केवल सात दिन का संसर्जन क्रम किया सिर्फ फील करने के लिये, आनंद तो आता है| हल्का लगता है| शुरू के एक दो दिन नींद का पचड़ा था पर बाद में सही हो गया| थोड़ा सिर दर्द भी एक दो दिन हुआ था, घी पीकर सही किया| कुल मिलाकर आनंद आया, पर यह प्लेसिबो इफ़ेक्ट भी हो सकता है| अतः पैरामीटर नापना ठीक रहेगा|

[1/12, 21:42] Prof. Deep Narayan Pandey:

 "औत्तरभक्तिक शमन स्नेह है, अवपीडक शोधन स्नेह" --- ऐसा मानने का कोई विशेष कारण / तर्क?
प्रश्न इसलिये क्योंकि मुझे दोनों ही दोनों काम करते लग रहे हैं (पंचकर्म की भाँति, जो मूलतः शोधन है किन्तु स्पष्ट रूप से शमन करने के लिये भी प्रयुक्त होता और करता है)|

[1/12, 22:07] Dr Manu Vats, Patiala: 

Very nice Mam💐🙏

[1/12, 22:18] Dr Aakash Chhangole: 

in this type of patients, specially when constipation happens regularly we can give kumari  before food in small dose with ghee and warm water or Dadimadi ghrut before food to maintain snigdhata in Apana Sthana
kumari Asawa ......

[1/12, 22:22] Dr Surendra A Soni: 

Alma ras has not  instructed with sneha either as  anupan or sahpan because together this combination leads to shotha as a nidan. Katu,  lavan & kshar are good as well as synergistic.

🙏

[1/12, 22:24] Prof. Deep Narayan Pandey: 

आचार्य, आप तो घी, रोटी और अचार का मजा बिगाड़ रहे हैं।
😉😄

[1/12, 22:26] Prof. Deep Narayan Pandey: 

पर शायद अचार में कटु और लवण की भरमार के कारण काम चलेगा। 😄

[1/12, 22:26] Prof Mamata Bhagwat: 

Thank you🙏🏼

[1/12, 22:41] Dr. Ravikant Prajapati M. D, BHU.: 

Agreed sir...🙏🙏🙏 The combination leads to Abhisyand & Sama pitta utpatti.

[1/12, 22:52] Dr Aakash Chhangole: 

This combination should be used in matra.
lets take eg.
1.Dadimadi ghrut (amla sneha)
2.chukra changeri taila.
3.ashtakatwar taila
4.chinchalawan taila
5.aamlaka ghrut
Its a responsibility of the physician to understand the need ,dose, timing of prescription.

[1/12, 22:57] Dr Surendra A Soni: 

Siddha sneha has no problem.
If amla ras is devided in teekshna,  madhya & mridu then dadim aamalak are mridu,  still not indicated as sahpan anupan etc.

[1/12, 22:59] Dr Surendra A Soni: 

Diet pattern is different  sir  !

🙏😄

[1/12, 23:02] Dr Surendra A Soni: 👏👌👌

[1/12, 23:02] Dr Aakash Chhangole: 

Of course we are definitly talking about siddha sneha but also for short duration any asava with ghee and warm water gives prompt results.

[1/12, 23:04] Dr Surendra A Soni: 

Please give reference if there is as asav+ghrita together for oral use.

[1/12, 23:06] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

स्नेह विचारणा

[1/12, 23:07] Dr Surendra A Soni: 

Please little details. ..
🙏

[1/12, 23:09] Dr Aakash Chhangole: 

Exctly ! 

charak sneha adhyaya 80-87 probably.

[1/12, 23:13] Dr Surendra A Soni: 

Pravicharana  is dietary pattern where madya and dadhi mentioned. Except that description hardly any other uses mentioned as I remember. 
I was concerned as fast action with snehapan, that's why I pointed out. 
Usually snehapan and amlaras together not much used.
This was my submission.

🙏
[1/12, 23:28] Dr Surendra A Soni: 

Right Sir  !
I  also think that both are specifically designed 'Shaman-sneha'.

🙏

[1/12, 23:30] Dr Surendra A Soni: 

👌👌👏🙏
Excellent description  Jayshri Madam !


But Same question as pandey sir has asked.

[1/12, 23:36] Dr Surendra A Soni: 🙏🙏🌹

[1/12, 23:52] Dr Divyesh Desai: 

अवपीडक स्नेह वायु के रुक्ष, लघु,सूक्ष्म आदि गुणों को कम करता है कहीं यही स्नेह से प्राकृत कफ जिसे बल या ओज बोलै है उसको तो बढ़ाता नहीं है?
[1/12, 23:53] Dr Surendra A Soni: उत्तम मात्रा तो 24 घंटे में जीर्ण होने वाली है, फिर इस मात्रा को दिन में 2 बार कैसे प्रयोग करें ।

*It is in context to shodhan as per specific disease and person where skipping of diet is justified while in Avapeed sneha it is not desired to skip the diet  hence shodhan pattern should not applicable here.* 

1.या तो उत्तम मात्रा को 2 भागो में विभाजित कर प्राग्भक्त तथा उत्तरभक्त दें ?

*I think this is also not indicated because this will lead to Ajeerna in presence of diet. Madhyam or matra may be planned as per the condition of disease,  diseased and Agni. Yuktikrita changes should also expected in diet as per requirements.*

2. अथवा दोनों काल में उत्तम मात्रा दें पर जीर्ण होने का विचार ना करें ।

*as per above.*

3. या मात्रा विभाजित कर प्रथम मात्रा जीर्ण होने पर भोजन, और भोजन जीर्ण होने पर द्वितीय मात्रा दें,🤔

*this seems justified.*

कृपया शंका निवारण करें🙏🙏😌


Dr Radheshyam ji !🙏

[1/12, 23:55] Dr Surendra A Soni: 

तभी तो वात का शमन होगा आचार्य दिव्येशजी ।

🙏

[1/12, 23:55] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

Here one needs to think about स्रोतसशोधन special effect of आसव. Only this quality can achieve fantastic results combined with स्नेह! Take it from me! पहले इस्तमाल करें फिर विश्वास करें। 🙏🏻🙂

[1/12, 23:57] Dr Divyesh Desai: 

सर,सारी वातशामक चिकित्सा प्राकृत कफ को बढ़ाती है क्या ?

[1/12, 23:59] Dr Surendra A Soni: 

If agni and strength is not issue as mentioned in viruddhahar pattern then results may be achieved as you are mentioning. If agni is issue then I ve doubts,  if you have such experience please guide.....

🙏🙏

[1/13, 00:04] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

औत्तरभक्तिक सर्पि = पिबेत् संशमनं स्नेहम् अन्नकाले प्रकांक्षितः । = शमन स्नेह

अवपीडक =
औत्तरभक्तिक सर्पि day I  + शुद्ध्यर्थं पुनराहारे नैशे जीर्णे पिबेत् नरः। Next morning ( शोधन स्नेह)

चरक स्नेहाध्याय🙏🏻

[1/13, 00:05] Dr Surendra A Soni: 

Sneha+madya/asav-arisht - No indication in Udar grahani arsha etc chikitsa where srotorodha is prime issue with agnimandya.
Milk,  takra ras are given priority and Amla ras has been used as deepan,  rochan  etc with yusha etc dietary preparations.

🙏🙏

[1/13, 00:07] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

Please go through चरक गुल्म चिकित्सा

[1/13, 00:12] Dr Surendra A Soni: 

तैल पंचक
I remember. ...
🙏

[1/13, 00:14] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

1.प्रबल वातप्रधान संप्राप्ति,
              +
2.involvement of अधोनाभि अधिष्ठान
              +
3. With H/ O वेगविधारण
              +
4. Conventional वात उपक्रम has not given results.

[1/13, 00:16] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

🙏🏻मुझे लगता है, आदरणीय पाण्डेसरजी और सोनीसरजी आपका शका समाधान होत गया शायद🙏🏻

[1/13, 00:16] Dr Surendra A Soni: 

This is generalized pattern respected madam ji applicable to all types of snehan not specific for avapeed.
Without deepan and follow up Sweden and either without vaman or virechan,  I doubt that how avapeed sneha is shodhan. ..?

🙏
[1/13, 00:22] Dr Surendra A Soni: 

तैलं प्रसन्ना *गोमूत्र* मारनालं *यवाग्रजम्* ।
गुल्मं जठरमानाहं पीतमेकत्र साधयेत् ॥९६॥
इति तैलपञ्चकम् ।

Kshar is equally added.
🙏

[1/13, 00:33] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

🌹🌹चरक bless you!😌

[1/13, 06:40] Prof. Deep Narayan Pandey: 

आचार्या श्री,
यह शंका बड़ी मुश्किल से जाने जैसी है।‌
आप कहेंगे तो मान ज़रूर लेंगे।
🙏

[1/13, 06:42] Prof. Deep Narayan Pandey: 

तभी तो आग्रह करना पड़ा। 👆💐🙏

[1/13, 07:16] Dr Jayshri Kulkarni, Latur: 

औत्तरभक्तिक सर्पि और अवपीडक स्नेह दोनों स्नेहपान को विशेष विधिन्यायसे अवलंब करना है ।
औत्तरभक्तिक सर्पि योजना के लिये रूग्णको पहले अन्नकाल में लघु-सुपाच्य-असंकीर्ण भोजन देकर अगले अन्नकाल में स्नेहपान देकर तुरंत आहे आहार सेवन करावे.
पश्चात् नस्य करें ।

अवपीडक स्नेहपान के लिये अन्नकालमें स्नेहपान तुरंत भोजन देकर वह भोजन जीर्ण होनेपर पहले से बढकर मात्रामें ( double) स्नेहपान कराकर दोष बस्तिसे निर्हरण करना है ।

In general pattern we don't do like this.
So it is modified ppattern, should be decided by विशेष व्याधिअवस्थानिश्चिती as I told in above post 1.+2.+3.+4.

[1/13, 07:17] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

Though i didnt know about avppeedak sneha pan but i think that in uddavart results with kalayank kshar and kalaynak ghrit is only because of this concept only.

[1/13, 07:46] Dr Sukhveer Verma: 

I found Avpidak sneh is practically good in urine incontinence and prostate. Used only vastyamayantak ghrita.

If anybody have used any other ghrita for avpidak sneha. Kindly share the experience.

[1/13, 07:50] Prof Mamata Bhagwat: 

I used varunadi ghrita, Maha kalyanaka ghrita, Dadimadi ghrita also apart from vastuamayantaka.

[1/13, 07:50] Dr Sukhveer Verma: Ji dhanyawad

[1/13, 07:52] Dr Sukhveer Verma: 

Is there any practical experience of Avpidak in renal failure.

[1/13, 09:30] Dr Shashi Jindal, Chandigarh: 

very informative and practical discussion on avpeedak sneh, sneh before meals acts on apaan vayu and softens vaat sthan ie structures below nabhi, sheh after meals effect on vyan vayu when given after breakfast, and udan vayu when given after evening meals.🙏🏼

[1/13, 11:49] Prof. Deep Narayan Pandey: 

इच्छा तो थी चरक संहिता के प्रत्येक सूत्र को आधुनिक वैज्ञानिक शोध के प्रकाश में व्याख्या करने की लेकिन सरकारी मजदूरी इतनी कठिन है कि इंतजार करना पड़ेगा मुझे साढ़े 4 साल और। रिटायरमेंट के बाद ही कुछ कर पाऊंगा।

[1/13, 11:50] Prof. Deep Narayan Pandey: 

Sutra as well as the research paper actually applies to time-restricted feeding.

[1/13, 11:53] Dr Shashi Jindal, Chandigarh: 

wish you great time for fulfillment of your noble wish for the  wellbeing of humanity.🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[1/13, 12:25] Dr. D C Katoch sir: 

मैं भी इसी चक्कर में फंसा हूँ ।

[1/13, 12:33] Prof. Deep Narayan Pandey: 

साथ में करेंगे ईश्वर ने चाहा तो....

[1/13, 12:34] Dr. D C Katoch sir: 😌😌🙏🏽

[1/13, 13:34] Dr. D C Katoch sir: 

महाप्रश्न यह है कि अवपीड या उत्तम, मध्यमादि  स्नेहपान मात्रा का निर्धारण कौन कर सकता है- रोगी या चिकित्सक और कैसे ?

[1/13, 14:13] Dr Surendra A Soni: 

चिकित्सक युक्ति प्रमाण से कर सकते हैं ।

🙏🌹

[1/13, 17:04] Dr. D C Katoch sir: 

युक्ति का आधार क्या होगा ?

[1/13, 21:28] Dr. R S. Soni, Delhi: 

आप्तोपदेश🙏

[1/13, 21:47] Dr Govind Gupta, Khanpur: 

Anuman mere anusaar ukati ka aadhar hoga.

[1/13, 21:57] Dr Surendra A Soni: 

Not in capacity to say something to you,  just putting my views.
1. Vyadhi -teevra mridu
2. Agni ?
3. Rukshata ?
4. Vayas
5. Sattva
6. Saatmya
7. Niramatva
8. Diet pattern
Said factors may be considered to decide the dose of avapeed sneha.  For example if a 30 yrs old perfect healthy oclerk is suffering from dysuria of renal stone originated who has limited physical activities may be  given  20 to 30 ml sneha before meal with deepan,  pachan and vatanuloman drugs like ajmodadi,  shivakshar etc, followed by same dose if diet is given as per pathya,  more 30 to 50 ml  if diet is reduced or cut as per nidan parivarjan  or laghu aahar pattern with post meal ushnodak etc. Rules.
If hematurea accompanied both sneha doses  may be increased but siddha sneha would be first choice here.
This is all my small understanding with the hope of essential correction if any.

🙏🌹😌

[1/13, 22:19] Vd V. B. Pandey Basti U. P:

 Nicely explained.




**************************************************************************


Above discussion held on 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp-discussion-group  of  well known Vaidyas from all over the India. 



Compiled & edited by


Dr.Surendra A. Soni


M.D.,PhD (KC)
Associate Professor
DEPT. OF KAYACHIKITSA
Govt. Ayurveda College
Vadodara GUJARAT, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150

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