[10/8, 1:45 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: *case presentation- ग्रहणी दोष जन्य खालित्य* *यदन्नं देहधात्वोजोबलवर्णादिपोषकम् । तत्राग्निर्हेतुराहारान्न ह्यपक्वाद् रसादय: ।। च चि 15/5 जो आहार शरीर, धातु, ओज, बल, वर्ण आदि (मेरे निजी मत से आदि में त्वक,रोम,केश भी ग्राह्य है) का पोषण करता है उसमें जाठराग्नि ही प्रधान कारण है क्योंकि अपक्व आहार से रस, रक्तादि धातुओं की पुष्टि संभव नही है।* *कार्य कारण सिद्धान्तानुसार हर रोग का कारण अवश्य है, पिछले खालित्य रोग presentation में खालित्य का मूल पीनस मिला था और इस रोगी में 'ग्रहणी दोष' ।* *क्योंकि पिछले अनेक वर्षों में यह अपना बहुत सा धन आयुर्वेद में भी व्यय कर चुका था, हस्ति दंत भस्म, दारूहरिद्रा, स्वर्ण योगादि बहुत ले चुका था और हमारे ग्रुप मेम्बर ने ही इसे चिकित्सा के लिये forward किया।* *रोगी male/ 40/ software engineer* *मुख्य वेदना - खालित्य, स्थौल्यता, अति स्वेद, दिन में कई बार आम युक्त मल की प्रवृत्ति, कटि प्रदेश जाड्...
Kayachikitsa (Internal-medicine) Blog is a noncommercial Ayurveda Clinical Education Blog of All attached Colleges of Gujarat Ayurved University Jamnagar Gujarat India. It has aim to educate/propagate evidence based Classical Ayurveda Clinical practice among the Ayurveda Students & New practitioners.