WDS 96: General consideration of heart diseases in Ayurveda by Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir & Others
A HEARTFELT TRIBUTE TO PROF. SATYENDRA NARAYAN OJHA SIR WHO WAS A GREAT SCHOLAR OF KAYACHIKITSA. Prof. Surendra A. Soni [9/29, 9:21 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: एक बहुत अच्छा सूत्र 'दश मूलसिरा ह्रतस्थास्ता: सर्वं सर्वतो वपु:, रसात्मकं वहन्त्योजस्तन्निबद्धं हि चेष्टितम्।' अ ह शा 3/18 शरीर में प्रमुख दश शिरायें हैं ये ह्रदय प्रदेश में स्थित रहती हैं तथा शरीर में सभी और रस रूप ओजो धातु का वहन करती हैं और और इन्ही पर वाणी, शरीर तथा मन का नियन्त्रण है। *clinic पर जब रोगियों को देखते है तो इस सूत्र में ही अधिकतर रोगियों का हेतु मिल जाता है, आवेश में आ कर किसी को कुछ कह दिया फिर भीतर चिन्तन कर कर के लोग रोगी बन रहे है, बाद में पश्चाताप या बदले की भावना पाल कर रोगी बन रहे हैं ये 'वाणी' है।* *आयुर्वेद के ज्ञान को सभी काल में सभी स्थलों पर apply करिये , सत्य पायेंगे। ऐसा आप्त ज्ञान हमें मिला है जो दुर्लभ है।* [9/29, 9:33 AM] Dr. Pavan mali sir, Delhi: Important hetu of hridrog sirji👌🏻🙏🏻 charak has also opined same.... 👇🏻 तेन मूलेन महता महामूला मता दश| ओजोवह