Skip to main content

Case-presentation: Kitibha Kushtha (Psoriasis) by Vaidyaraja Subhash Sharma

Case No.- 1

[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 



*case presentation ...*

*एक कुष्ठ-किटिभ कुष्ठ - विसर्प कुष्ठ एवं psoriasis ... आयुर्वेदीय चिकित्सा*

*कुष्णातीति कुष्ठम् - जो त्वचा आदि धातुओं को नष्ट करे, कुष्णाति वपु इति कुष्ठम् - शरीर के धातुओं की विकृति के संदर्भ में ये का गया है, कुष निष्कर्षे में क्थन् प्रत्यय लगाकर इसकी उत्पत्ति हुई । जो रोग शरीर को विकृत कर दे उसे कुष्ठ रोग कहते है।*

*रूग्णा - Age 11 yrs/ student*
*रोगी - Age 18 yrs/male / student*

*एक कुष्ठ - 
'अस्वेदनं महावास्तुयन्मत्य्स्यशकलोपमम्' मा नि 49/17 स्वेदावरोध, व्रण का अधिष्ठान गुरू, त्वचा मछली सदृश हो। सुश्रुत 5/9 में 'कृष्णारूणं येन भवेच्छरीरं' शरीर का वर्ण कृष्ण और अरूण हो जाये । चरक का मत एक कुष्ठ में 'अस्वेदनं महावास्तु यन्मत्स्य' च चि 7/21 माधव ने चरक का मत ले कर जिसने रोग ग्रस्त स्थान अधिक घेर लिया हो ही लिखा है।*

*विसर्प कुष्ठ - 
'स्त्वग्रक्तमांसान्यभिभूय शीघ्रम्, मूर्च्छाविदाहारतितोदपाकान्'  
सु नि 5/11 
त्वचा, रक्त और मांस को दूषित कर चारो और विसर्प की भांति फैलता है और मूर्छा दाह पीड़ा और पाक कर देता है।*

*किटिभ कुष्ठ - 
'श्यावं किणखरस्पर्शं परूषं' मा नि 49/18 इसमें त्वचा नील वर्ण, खर और रूक्ष हो जाये।' यत् स्रावि वृत्तं घनमुग्रकण्डु, तत् स्निग्ध कृष्णं ...' सु नि 5/14, 
इसके अतिरिक्त चरक चि 7/22  अनुसार 
'श्यावं किणखरस्पर्शं परूषं...' श्याम वर्ण, callosity of corn के समान खुरदरा तथा कठोर स्पर्श वाला है।*

*मुख्य वेदना - शरीर के भिन्न स्थानों पर उपरोक्त में अनेक लक्षण जैसे त्वक वैवर्ण्य, कंडू,स्फोट, त्वक व्रण, दाह, तोद, त्वक् मांस में शूल मिल रहे थे, रोग उग्रावस्था में था जिसमें बालिका के कर्ण प्रदेश से रक्त स्राव भी हो जाता था।*















[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*male patient* 👇🏿





[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*History of present illness - 
रूग्णा को पिछले तीन वर्ष से यह रोग गंभीर रूप से पीड़ित कर रहा था। जिसके लिये इसने सभी पैथी की चिकित्सा ले रखी थी जिसमें क्षणिक लाभ तो मिलता था पर रोग में सम्यक लाभ ना मिलने से सभी चिकित्सा त्याग दी ।*

*यह बालक भी पिछले चार वर्ष से निरंतर कही ना कही इस रोग की चिकित्सा ले रहा था।*

*Past history - जब ये 5 वर्ष की थी तब शरीर में कंडू , स्राव एवं पीड़ा के साथ ये रोग उत्पत्ति हुई थी तब इसे psoriasis रोग diagnosis कर दिया था।*

*बालक को 10 वर्ष की अवस्था में गात्र उदर्द एवं विभिन्न स्थलों पर कोठ के साथ इस रोग का आरंभ हुआ था।*

*रोग हेतु ---*
*सामान्यत: psoriasis में यह भी माना जाता है कि इस रोग का सटीक कारण ना मिलने से इसकी चिकित्सा भी संभव नही पर हमने अनेक रोगियों में इस उक्ति को दूर कर दिया है कि इसकी चिकित्सा भी संभव है।*
*हम पिछले कई वर्षों से रोगियों को इस रोग में लाभ तो दे रहे थे पर उस प्रकार लाभ नही मिल पा रहा था जिस से हमें आत्मसंतुष्टि मिले, क्योंकि औषध त्यागने पर या अल्प असात्म्य या मिथ्या आहार सा ऋतु परिवर्तन पर रोग का पुन: उद्भव इस लिये हो जाता था कि रोग त्वचा से कम तो लगता था पर रोगी की त्वचा वैसी नही हो पाती थी जैसे प्राकृतिक हो।*
*इसलिये शास्त्र में रोग के अनेक कारणों के निदान देख कर भी हमने मूल हेतु को जानकर सम्प्राप्ति विघटन का निर्णय लिया।*
*मिथ्या आहार विहार, गुरू, विरूद्ध, असात्म्य भोजन, अध्ययशन, अहित आहार, ग्राम्य, आनूप और औदक प्राणियों का मांस और दूध, स्नेह पान और वमन के बाद व्यायाम और मैथुन, आतप से आ कर शीतल जल में तैरना,वमन का वेग धारण ( सु नि 5/2) । चरक में इसके अतिरिक्त नवीन अन्न,दधि मछली नमक तथा अम्ल पदार्थों का अति सेवन, उड़द, मूली, पिष्टान्न, तिल, दूध, गुड़ादि पदार्थों का अति सेवन, भोजन पाक से पूर्व मैथुन, दिन में सोना एवं गुरूजनों का अपमान एवं पापकर्म (च चि 7/7-8)*

*दोनो शाकाहारी है, बाल स्वरूप है अत: पापकर्म एवं अनेक हेतु का प्रश्न यहां है ही नही।*
[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*जिस प्रकार का आहार विहार metropolitan cities में है हमें उस मूल को जान कर चिकित्सा करनी थी। दोनो रोगियों के माता पिता को तीन बार बुलाकर जन्म से अब तक की विस्तार से history ली गई।*

*उपरोक्त जो निदान लिखे है उन सभी से रोग नही हुआ इसमें से कोई एक या दो ही निदान है जो रोग कारक है पर बाकी रोग वृद्धि में सहायक है, रोग के निदान ने इन रोगियों में पहले दोष प्रकोप किया, क्योंकि यह व्याधि त्रिदोषज है इसमें कुष्ठ का मिश्रित रूप मिल रहा है तो त्रिदोष का अभिप्राय जैसे लड़की के कर्ण की स्थिति है तो पूरा पित्त प्रकोप नही है क्योंकि पूर्ण पित्त का प्रकोप होता तो गात्र में उष्णता या ज्वर होता, अम्लता या दाह होती पर वो तो है नही इसका अभिप्राय ऐसा पित्त वर्धक हेतु है जिसने पित्त के सर गुण को बढ़ाया है, तीक्ष्ण गुण की वृद्धि की है जिसने त्वक को विदीर्ण कर दिया, संपूर्ण वात ना बढ़ाकर इसके रूक्ष, खर और चल गुण की वृद्धि कर रोग को शरीर के अनेक भागों तक पहुंचा दिया, कफ के मंद गुण को बढ़ाकर रोग को चिरकालीन कर दिया।*

*अब हमें वो निदान ढूंड़ना था जिसने पहले जैसा हमने अभी ऊपर लिखा पहला कार्य दोषों का प्रकोप किया, यहां दोष प्रकोप से तीनो दोषों के कुछ अंशों से समझे ये चिकित्सा की अंशाश कल्पना का आधार बनेगी। दूसरा दोष प्रकोप के साथ ही खवैगुण्य भी किया और किसी विशिष्ट निदान ने शरीर की धातुओं में शिथिलता उत्पन्न कर दी और दोषों का संचय हो कर दोष-दूष्यसम्मूर्छना घटित हुई, जिस से एक कुष्ठ और किटिभ कुष्ठ का स्थान संश्रय हो कर इस रोग की सम्प्राप्ति घटित हुई।*

*जन्म से ले कर जब अन्न काल आरंभ किया और अब तक पूरी history लेने पर , प्रात: से रात्रि पर्यन्त दिनचर्या और आहार में मूल जो मिला वो था ये शास्त्रोक्त प्रमाण ....* 
👇🏿
*' विरोधीन्यन्नपानानि...' माधव निदानकार ने 49/1 में पहला कारण ही विरूद्ध अन्नपान लिखा है।*
*सु सू 5/2 'विरूद्धासात्म्याजा...* विरूद्ध और असात्म्य आहार।*
*चरक चि 7/4 में पहला हेतु 'विरोधिन्यन्नपानानि' विरूद्ध अन्नपान ही लिखा है।*

*विरूद्ध अन्नपान या विरूद्ध आहार जिसे हम सामान्य समझ कर इतना चिंतन नही करते की ये इतनी गंभीर व्याधि भी उत्पन्न कर सकता है।जब से ये बालिका ने स्कूल जाना आरंभ किया तो bfast में bread पर ketchup, बाद में mini pizza base या bread पर  pizza cheese & tomato ketch up, mango pickles के साथ मैदा की मठ्ठी, mango pickle के साथ परांठा और साथ में एक मग दूध का पान, बालक की history में हमारे पास आने से पहले भी अभी तक अचार या चपाती के साथ आम या मिर्च का अचार एवं एक गिलास दूध का सेवन। आश्चर्य है कि दोनों के हेतु में कुछ बाते समान थी सन्ध्या के समय भी भेलपुरी, बीकानेरी भुजिया में ketchup मिलाना, मैगी या नूडल्स खाना एवं दुग्धपान और रात्रि भोजन 9-10 बजे तथा आधा घंटा पश्चात दूध पी कर सो जाना।*

*सम्प्राप्ति घटक -*
*वात - समान वात (ये स्वेदवाही,अंबुवाही स्रोतों का नियन्त्रण तो करती ही है, आमाश्य,पक्वाश्य और अग्नि संधुक्षण कर अग्नि को बल प्रदान करती है), व्यानवात (संपूर्ण शरीर गत,रस,रक्त और स्वेदवाही स्रोंतों पर विशेष प्रभाव)*
*पित्त - पाचक और भ्राजक*
*कफ - क्लेदक *
*दूष्य - रस,रक्त,मांस,त्वक,अंबु और लसीका*
*स्रोतो दुष्टि - संग और विमार्गगमन*
*उद्भव स्थान - आमाश्य (आयुर्वेद में आमाश्य केवल stomach तक सीमित नही है स्मरण रहे)*
*अग्नि - जाठराग्नि और धात्वाग्निमांन्द्य*'
*व्याधि अधिष्ठान - त्वक् - मांस*
*व्यक्त स्थान - सर्व शरीर*
*रोगमार्ग - बाह्य*
*व्याधि स्वभाव - जीर्ण*
*साध्यासाध्यता - रोगी और वैद्य पर निर्भर *

[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*चिकित्सा सूत्र - निदानपरिवर्जन, दीपन, पाचन, स्नेहन, विरेचन, आमपाचन, रक्त और त्वक प्रसादन, रसायन।*

*पथ्य - लघु आहार जैसे कृशरा, मूंग, मसूर, तोरई, लौकी, पुराना चावल, परवल, टिंडा, कुंदरू, कूष्मांड आदि,यव और गौधूम।*

*अपथ्य - वेगधारण, गुरू आहार, दिवास्वप्न, अम्ल और कटु पदार्थ जिनमें अचार, ketchup, vineger,fast food, preserved एवं flavoured पदार्थ, दधि आदि अभिष्यन्दि पदार्थ जिनमें नॉन, कुलचा, भठूरा, ढोकला आदि, काजू, पिस्ता, गुड़, तिल, आतप सेवन, स्वेद आने से बचना और अध्ययशन आदि।*

*चिकित्सा - *
*इस आयु के दोनो रोगियों को घृत पिलाना समस्या थी, दोनो ही पंचतिक्त घृत पीने के लिये मान गये, क्रम हमने अपनी और रोगियों की सुविधा के अनुसार इस प्रकार बनाया ...*
*बालिका स्कूल जाती थी और बालक engineering की तैयारी तो इन दिनो holidays थे जिसने हमारा काम सरल कर दिया, लगभग 10 ml से किंचित अधिक पंचतिक्त घृत सुबह 7-8 बजे पिलाकर दो-तीन घूंट गर्म जल, दोपहर में 1-2 बजे लघु आहार और रात्रि में कृशरा। ये क्रम पांच दिन चला और पांचवे दिन रात्रि में कुटकी+हरीतकी  1-2 gm उष्णोदक से दिस से दो से तीन बार सम्य विरेचन हुआ, छठे और सातवें दिन कोई औषध नही, लघु आहार तथा आठवें दिन clinic पर बुलाया गया।*
*मानसिक दौर्बल्य था पर रोगियों का उत्तर था कि पहले से कुछ अच्छा लग रहा है।आठवें दिन से कुल चिकित्सा अवधि में जो औषध अलग अलग क्रम में दी गई और अब भी दी जा रही हैं वो इस प्रकार है...*

*आरोग्यवर्धिनी वटी 2-2 गोली, दीपन-पाचन, स्रोतोशोधक, रक्त, मांस, त्वचा विकृति सहित कुष्ठ रोगों में परम उपयोगी।*

*महामंजिष्ठादि क्वाथ - यह अत्यन्त शीघ्र कार्य कर के psoriasis के व्रण, दाह और पीड़ा को दूर करता है, इसे हम सदैव हरिद्रा खंड के साथ देते है।*

*हरिद्रा खंड - इसमें निशोथ होने से इस रोग में मृदुविरेचक कार्य करता रहता है जिस से वृद्ध दोषों का निष्कासन तो होता ही है साथ में कंडू और कोठ दूर कर त्वक वैवर्ण्य भी दूर करता है।*

*पंचतिक्त घृत - इसमें गुडूची,निम्ब,पटोल आदि तो हैं ही साथ में त्रिफला के कल्क में पाक होने से इस प्रकार के कुष्ठों में हमें यह रसायन कर्म का लाभ भी देता है, त्रिदोष नाशक होने के साथ सभी प्रकार के कुष्ठ में परम है।मास में एक बार निरंतर 7 दिन तक शमन के रूप में रोगियो बाद में भी दिया गया ।हम घृत और वटी दोनो का प्रयोग करते हैं।*

*गंधक रसायन - 'लेलितकप्रयोगो रसेनजात्या: समाक्षिक: परम:' च चि 7/68 गंधक+आमलकी स्वरस+मधु का प्रयोग चरक में भी है, कुष्ठ एवं त्वक रोगों की परम गुणकारी औषध है।*

*आचार्य गिरिराज जी ने  सारिवा में natural steroids की पुष्टि की थी, तब से हम इसकी घनवटी प्रयोग करते है 500 mg की दो-दो गोली बीच में दी गई।*
*इसके अतिरिक्त मंजिष्ठा,हरिद्रा और खदिर का प्रयोग भी विभिन्न रूप में किया।*

*एक कुष्ठ और किटिभ की परमौषध है भल्लातक, हम इसका तैल और मंजिष्ठा के साथ वटी के रूप में प्रयोग करते है, भल्लातक की मात्रा 65 mg से 100 mg तक ही रखें अन्यथा उपद्रव मिलने लगते है। भल्लातक तैल 1 drop 250 mg cap. में डालकर दोनो समय 1/2 cup of milk+1 tsp गौघृत मिलाकर निगलने के लिये देते हैं। बाजार में नारियल dry powder मिल जाता है, चावल और दूध की खीर में 1 tsp नारियल powder उबालकर इस कैपसूल के बाद खाने के लिये देते हैं जिस से भल्लातक पहले दिन से ही सात्म्य हो जाता है।*

*पिछले दिनों cap serenkottai भी प्रयोग किये जो 1000 mg  का है इसमें 60 mg भल्लातक है बाकी आधा आधा गौदुग्ध और नवनीत। कुछ रोगियों को जो इसके large size से भयभीत नही होते ये भी दे रहे हैं।*

[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
 6/6/19 👇🏿





[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 
12/10/19 👇🏿














[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 
9/11/19 👇🏿





[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 
16/11/19 👇🏿














[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
 23/11/19 👇🏿













[12/5/2019, 12:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 
30/11/19 👇🏿















[12/5/2019, 12:15 AM] Dr. Digvijay Singh: 

नतमस्तक आपके ज्ञान के आगे 🙏🏻💐

[12/5/2019, 12:20 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*धन्यवाद डॉ दिग्विजय सिंह जी।*
🙏💐🌺🌹

[12/5/2019, 12:26 AM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 

Simply Amazing Results. Kudos🙌🏽🙌🏽🙌🏽🙏🏼🙏🏼💐💐

[12/5/2019, 12:34 AM] Dr Naresh Garg, Jaipur: 

💐💐🙏🙏 बहुत ही उत्तम वर्णन किया है 
इस प्रकार के रोगियों में यदि पंचकर्म वमन और विरेचन का भी उपयोग किया जाए तो रिजल्ट किस प्रकार मिलेंगे इसका भी मार्गदर्शन करें ।

[12/5/2019, 4:49 AM] Prof Mamata Bhagwat: 

Sir, such a wonderful presentation🙏🏻🙏🏻💐💐
Clinical results ought to be seen with such brilliant analysis Sir.. thank you for sharing🙏🏻🙏🏻

[12/5/2019, 6:45 AM] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

सरल किंतु परिणाम दायक योग साझा करने हेतु आपका आभार सर।

[12/5/2019, 7:12 AM] pawan madan Dr: 

*नमस्कार प्रणाम सर।*

*बहुत बहुत धन्यवाद*

*मेरा अनुभव भी है के अपुनर्भाव के लिए हेतु विपरिते चिकित्सा आवश्यक है।*
आप ही कि तरह मैं भी ऐसे रुग्णों में जन्म से ले कर का इतिहास जानने की कोशिश करता हूँ।
और ऐसे ही विरुद्ध आहार मिकते हैं
*एक और विरुद्ध आहार बहुतायत में मिलता है* ,,, *cerelac या milk powder का अत्यधिक व लंबे समय तक प्रयोग*
एवं
*दूध में केला मिला कर या दही में केला मिला कर कई महीनों तक खिलाना*
-- *सुबह नाश्ते में दूध व नमक वाली चीज का एक साथ प्रयोग तो हर skin disease एवं nasobronchial allergy वाले patient में अवश्य मिलने की संभावना रहती है।*

*भल्लातक का उपयोग बहुत ही फलदायक ही रह है। पिछले कुछ महीनों से मैन इसका प्रयोग शुरू किया है।*
*बहुत बढ़िया results रहे है, कुछ रोगियों में इसे पर रुक रुक कर देना पड़ता है क्युके इस serren kotai से temparary palpitations हो जाते हैं।*

*शुरुआत में विरेचन का विचार अतिउत्तम*🙏🙏🙏👏👏

*मैं ऐसे रोगियों में मृदु विरेचन के लिए स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण का प्रयोग करवाता हूँ,, एक तो ये कहने में मीठा जोन से palateble रहता है और दूसरा इसमे गंधक रहने से skin diseases में बढ़िया काम करता है।*
*सिर्फ 1 या 2ग्राम की मात्रा में ही required रिजल्ट्स दे देता है एवं इसको हर हफ्ते या regular intervals पर भी आसानी से या जा सकता है।*

*बाह्य रूप में लगाने के लिए यमक रूप में औषध प्रयोग ही काम करता है।*
*इसके लिए mahamarichyadi tail + करंज तैल + सोमरजी तैल each 100 ग्राम + देसी घी 400 ग्राम। इनको अछि तरह से 10 मिंट तक घोंट ले और दिन में का से कम तीन बार एक cold creM की तरह से लगाये तो मस्त परिणाम आते हैं।*

*मैंने पाया है के अगर कृमि चिकिसा ऐसे केसों में शुरू से चालू कर दी जाये तो दूषिविष से मुकाबला आसान हो जाता है।*

*इस मे भी विडंगासव बेहतरीन काम करता है।*

*सदैव आपका आशीर्वाद बना रहे*
🙏🙏🙏🙏🙏💐🙏

[12/5/2019, 7:35 AM] Dr. Rituraj Verma:

 श्रेष्ठ गुरुवर ,आभार🙏🙏🙏

[12/5/2019, 8:10 AM] Dr Bhavesh Modh: 

🙏💐😊👍👌

[12/5/2019, 8:12 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *इस प्रकार के रोगियों में कई बार एक अंतराल के बाद मृदु विरेचन देना ही पड़ता है, हमारे यहां पंचकर्म की सुविधा नही है अत: इस रोग पर मेरे प्रिय डॉ प्रकाश काबरा जी वमन और विरेचन के विशेषज्ञ अपने अनुभव दें तो और ज्ञान वर्धन होगा।*

[12/5/2019, 8:13 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

🙏🌺💐🌹

[12/5/2019, 8:15 AM] Dr Shashi Jindal: 

👍🏼👌👌👌👌👌💐💐💐👍🏼

[12/5/2019, 8:16 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*नमस्कार पवन जी,*
*बहुत अच्छे अनुभव हैं आपके भी, अलग अलग रोगियों में निदान के अनुसार कृमि चिकित्सा देनी ही पड़ती है, आपका cold cream formula 👌👌👌 ultimate 💐🌺🌹🙏*

[12/5/2019, 8:19 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*वैद्य ऋतुराज जी नमस्कार, आपने monday को जो एक त्वक रोगी पर सुझाव मांगे थे उस पर बहुत कुछ हमने यहां दिया है जो चिकित्सा में आपके काम आयेगा।*

[12/5/2019, 8:25 AM] Prof. Mrinal Tiwari, Pune: 

🙏👌💐धन्यवाद सरजी।आपका मार्गदर्शन सदा बना रहे ।

[12/5/2019, 8:27 AM] Vd Dilkhush M Tamboli: 

बहुत badhiya सर
ऐसे केसेस देखकर
तुरंत आपसे मिलने का दिल करता है ।

[12/5/2019, 8:29 AM] pawan madan Dr: 

🙏🙏🙏🙏

[12/5/2019, 8:34 AM] Dr Naresh Garg, Jaipur: 

Thanks sir🙏🙏

[12/5/2019, 8:40 AM] Prof. Mrinal Tiwari, Pune: 

हमारी आयुर्वेद पर श्रद्धा कई बार बढ जाती है।🌷

[12/5/2019, 8:58 AM] Prof. Surendra A. Soni: 

नमो नमः आचार्य श्री !!
उत्कृष्ट चिकित्सा पथ्य व्यवस्था !!
🙏🏻🌷🌹☺

[12/5/2019, 9:07 AM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

Guru Ji....!
👏👏🙏🙏💐💐💐👌👌👌
Wow... 
incredible...
amazing...
as always...🙏🙏

[12/5/2019, 9:25 AM] Pawan mali Dr.: 

Marvellous presentation sir👍🌷🌷🙏

[12/5/2019, 9:25 AM] Dr Ashwini Kumar Sood, Ambala: 

Fantastic results...



 Time devoted analysis 👌🏼


Good input Vaidya ji !

[12/5/2019, 9:39 AM] Dr Himani Gour:

 बुद्धी एवं ज्ञान वर्धक विश्लेषण गुरुवर🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[12/5/2019, 10:13 AM] Prof. Satish Panda K. C: 

💐🙏🏻👌🏻🌹 


**********************************


Case No.- 2

[3/20, 8:14 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *एक कुष्ठ - किटिभ कुष्ठ ( psoriasis) पर नये रोगियों में लाभ की समयानुसार स्थिति...*

*5 dec. 2019 (ऊपर वर्णित) को हमने एक कुष्ठ- किटिभ कुष्ठ (psoriasis)  पर निदान, सम्प्राप्ति और चिकित्सा सहित विस्तार से case present किया था, हमारे यहां इस रोग के अनेक रोगियों की चिकित्सा चल रही है जिन्हे शत: प्रतिशत लाभ मिलता है। आज नवीन रोगियों में लाभ किस प्रकार मिल रहा है आपको चित्र और तिथि सहित बताते हैं जिस से आप भी इस रोग की चिकित्सा में समर्थ बने।*

*इस रोग के सम्प्राप्ति घटक -*
*वात - समान वात (ये स्वेदवाही,अंबुवाही स्रोतों का नियन्त्रण तो करती ही है, आमाश्य, पक्वाश्य और अग्नि संधुक्षण कर अग्नि को बल प्रदान करती है), व्यानवात (संपूर्ण शरीर गत,रस,रक्त और स्वेदवाही स्रोंतों पर विशेष प्रभाव)*
*पित्त - पाचक और भ्राजक*
*कफ - क्लेदक *
*दूष्य - रस,रक्त,मांस,त्वक,अंबु और लसीका*
*स्रोतो दुष्टि - संग और विमार्गगमन*
*उद्भव स्थान - आमाश्य (आयुर्वेद में आमाश्य केवल stomach तक सीमित नही है स्मरण रहे)*
*अग्नि - जाठराग्नि और धात्वाग्निमांन्द्य*'
*व्याधि अधिष्ठान - त्वक् - मांस*
*व्यक्त स्थान - सर्व शरीर*
*रोगमार्ग - बाह्य*
*व्याधि स्वभाव - जीर्ण*
*साध्यासाध्यता - रोगी और वैद्य पर निर्भर *

*चिकित्सा सूत्र - निदानपरिवर्जन, दीपन, पाचन, स्नेहन, विरेचन, आमपाचन, रक्त और त्वक प्रसादन, रसायन।*

*पथ्य - लघु आहार जैसे कृशरा, मूंग, मसूर, तोरई, लौकी, पुराना चावल, परवल, टिंडा, कुंदरू, कूष्मांड आदि यव और गौधूम।*

*अपथ्य - वेगधारण, गुरू आहार, दिवास्वप्न, अम्ल और कटु पदार्थ जिनमें अचार, ketchup, vineger, fast food, preserved एवं flavoured पदार्थ, दधि आदि अभिष्यन्दि पदार्थ जिनमें नॉन, कुलचा, भठूरा, ढोकला आदि, काजू, पिस्ता, गुड़, तिल, आतप सेवन, स्वेद आने से बचना और अध्ययशन आदि।*

*चिकित्सा - *
*आरोग्यवर्धिनी वटी 2-2 गोली, दीपन-पाचन, स्रोतोशोधक, रक्त, मांस, त्वचा विकृति सहित कुष्ठ रोगों में परम उपयोगी।*

*महामंजिष्ठादि क्वाथ - यह अत्यन्त शीघ्र कार्य कर के psoriasis के व्रण, दाह और पीड़ा को दूर करता है, इसे हम सदैव हरिद्रा खंड के साथ देते है।*

*हरिद्रा खंड - इसमें निशोथ होने से इस रोग में मृदुविरेचक कार्य करता रहता है जिस से वृद्ध दोषों का निष्कासन तो होता ही है साथ में कंडू और कोठ दूर कर त्वक वैवर्ण्य भी दूर करता है।*

*पंचतिक्त घृत - इसमें गुडूची,निम्ब,पटोल आदि तो हैं ही साथ में त्रिफला के कल्क में पाक होने से इस प्रकार के कुष्ठों में हमें यह रसायन कर्म का लाभ भी देता है, त्रिदोष नाशक होने के साथ सभी प्रकार के कुष्ठ में परम है।*

*गंधक रसायन - 'लेलितकप्रयोगो रसेनजात्या: समाक्षिक: परम:' च चि 7/68 गंधक+आमलकी स्वरस+मधु का प्रयोग चरक में भी है, कुष्ठ एवं त्वक रोगों की परम गुणकारी औषध है।*

*सारिवाघनवटी 500 mg की दो-दो गोली दो बार*
*मंजिष्ठा, हरिद्रा और खदिर *

*एक कुष्ठ और किटिभ की परमौषध है भल्लातक, हम इसका तैल और मंजिष्ठा के साथ वटी के रूप में प्रयोग करते है भल्लातक की मात्रा 65 mg से 100 mg
तक ही रखें अन्यथा उपद्रव मिलने लगते है।भल्लातक तैल 1 drop 250 mg cap. में डालकर दोनो समय 1/2 cup of milk+ 1 tsp गौघृत मिलाकर निगलने के लिये देते हैं। बाजार में नारियल dry powder मिल जाता है, चावल और दूध की खीर में 1 tsp नारियल powder उबालकर इस कैपसूल के बाद खाने के लिये देते हैं जिस से भल्लातक पहले दिन से ही सात्म्य हो जाता है।*

*पिछले दिनों cap serenkottai भी प्रयोग किये जो 1000 mg  का है इसमें 60 mg भल्लातक है बाकी आधा आधा गौदुग्ध और नवनीत। *

*श्री ओझा क्वाथ दिन में दो बार जिसके घटक द्रव्य नीचे देखें।*






















[3/20, 8:14 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 26-12-19 👇🏿














[3/20, 8:14 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 9-1-20 👇🏿














[3/20, 8:14 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 22-1-20 👇🏿















[3/20, 8:14 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 6-2-20 👇🏿



























[3/20, 8:14 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 20-2-20 👇🏿







[3/20, 8:14 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 5-3-20 👇🏿















[3/20, 8:14 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*आज 20-3-20 को रोगी की स्थिति ये है 👇🏿*





[3/20, 8:14 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*एक अन्य रूग्णा का केस पिछले सप्ताह 13-3-20 को लिया गया * 👇🏿














[3/20, 8:14 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*आज एक सप्ताह बाद 20-3-20 को * 👇🏿














[3/20, 8:16 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

👌👌💐💐💐🌹🙏

साध्यता असाध्यता - रोगी और वैद्य पर निर्भर

True indeed 👍

[3/20, 8:16 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*बिना रूके हम आयुर्वेद में अपने कर्म इसी प्रकार निस्वार्थ भाव से करते रहेंगे 🙏🙏🙏*

[3/20, 8:22 PM] satyendra ojha sir:

 *श्रीयुत पाण्डेय जी, १९८५ से चरक संहिता का पठन पाठन शुरु है, जितनी बार पढे , कुछ नया ही मिलता है, किसी भी संदर्भ (काय चिकित्सा सम्बन्धित) को समझने के लिये मुझे किसी अन्य संहिता की जरुरत महसूस नहीं हुई, यूं मैंने अन्य संहिताओं को भी बहुत बार पढा है, परंतु मेरे लिये चरक संहिता एक परिपूर्ण महाग्रंथ है, आचार्य चरक अति सुंदर रूप से विषय वस्तु को प्रस्तुत किये हैं, तथा विषयों को क्रमबद्ध समायोजन भी किये हैं, जहाँ जहाँ उनको समझना कठिन है वहां वहां आचार्य चक्रपाणी है, ३५ वर्ष हो गये*

[3/20, 8:24 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*👌👌👌 चरक संहिता का पठन जितनी बार भी करते है हर बार ही कुछ नवीन अवश्य मिलता है सर, जब भी कहीं समस्या का हल ढूंडना हो चरक में मिल ही जाता है।*

             🙏🙏🙏

[3/20, 8:34 PM] Prof. Madhav Diggavi, Bellari: 

Sir 14 drugs combination ojha kashayam is excellent... immunosuppressive rasayana, psoriatic arthritis saamavatakaphahara according to me. Kindly explain...

[3/20, 8:38 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य!
"निरंतर और दीर्घकालिक अभ्यास"
यह है आपका सीक्रेट

👌💐💐🙏

[3/20, 8:39 PM] satyendra ojha sir:

 *जी , और आस्था भी*

[3/20, 8:42 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

*श्री ओझा क्वाथ की मूल फलश्रुति क्या है आचार्य*
समझना चाहता हूँ

[3/20, 8:43 PM] satyendra ojha sir:

 वैद्यराज शर्मा जी ⬆

[3/20, 8:52 PM] Dr Amit Shukla:

 Sab chikisko ka apna apna anubhav h isse bahut adhik labha nahi milega, ye to sab skin par kaam karne wali medicine h autoimmune disease reoccurence hoti h theek bhi nahi h panchatikta ghrita ka use respectively 30, 60 ........ or. 50, 75 ml .... so on increase karte hue 8 th day vaman karaye,
Phir medicine ka use kare sath mein Aswakanchuki ras virechnartha de to aur khane ki pudia kustha kuthar / Talkeshwar  rasa + ras mnikya+ gandhak rasayan, + satva giloy + praval pisti+ panchanibadi churna ka base
2. Arogyavardhini+ panchatikta grita guggulu tab khane ki
3. Mahatiktak kasayam (kottakal) + khadiraristha (khadira kustanaam)
4. For local application ayappker/ 777 / mahamarichyadi oil
5. Haridra khand or amrit bhallatak  as per your choice
Ye dene se relief to mil jati h phir bhi reoccurrence hoti h...


[3/20, 8:59 PM] satyendra ojha sir: 

*परिपूर्ण चिकित्सा व्यवस्था, साधुवाद, 🙏🙏, वैद्य राज शर्मा जी*

[3/20, 9:00 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*इसे विस्तार से बतायेंगे।*

[3/20, 9:08 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

Awesome Guruji... Comprehensive as always...

*Sri Ojha Kwatha*... the name itself has a healing touch... It is an ode to evergreen friendship of both Gurus and ultimately connects all of us in the love chain🙏💐❤

[3/20, 9:11 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

👌👌👌🙏🙏💐💐❤❤
*Charaka Samhita*... My favourite too Guruji🙏
And your kind self sir *Pratyaksha Charaka*🙏🙏❤❤💐








**********************************
**********************************

Above case presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp group  of  well known Vaidyas from all over the India. 




Presented by










Vaidyaraj Subhash Sharma
MD (Kaya-chikitsa)

New Delhi, India

email- vaidyaraja@yahoo.co.in

Comments

Popular posts from this blog

Case-presentation : 'Pittashmari' (Gall-bladder-stone) by Vaidya Subhash Sharma

[1/20, 00:13] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:  1 *case presentations -  पित्ताश्य अश्मरी ( cholelithiasis) 4 रोगी, including fatty liver gr. 3 , ovarian cyst = संग स्रोतोदुष्टि* *पित्ताश्य अश्मरी का आयुर्वेद में उल्लेख नही है और ना ही पित्ताश्य में gall bladder का, आधुनिक चिकित्सा में इसकी औषधियों से चिकित्सा संभव नही है अत: वहां शल्य ही एकमात्र चिकित्सा है।* *पित्ताश्याश्मरी कि चिकित्सा कोई साधारण कार्य नही है क्योंकि जिस कार्य में शल्य चिकित्सा ही विकल्प हो वहां हम औषधियों से सर्जरी का कार्य कर रहे है जिसमें रोगी लाभ तो चाहता है पर पूर्ण सहयोग नही करता।* *पित्ताश्याश्मरी की चिकित्सा से पहले इसके आयुर्वेदीय दृष्टिकोण और गर्भ में छुपे  सूत्र रूप में मूल सिद्धान्तों को जानना आवश्यक है, यदि आप modern पक्ष के अनुसार चलेंगें तो चिकित्सा नही कर सकेंगे,modern की जरूरत हमें investigations और emergency में शूलनाशक औषधियों के रूप में ही पड़ती है।* *पित्ताश्याशमरी है तो पित्त स्थान की मगर इसके निदान में हमें मिले रोगियों में मुख्य दोष कफ है ...* *गुरूशीतमृदुस्निग...

Case-presentation: Management of Various Types of Kushtha (Skin-disorders) by Prof. M. B. Gururaja

Admin note:  Prof. M.B. Gururaja Sir is well-known Academician as well as Clinician in south western India who has very vast experience in treatment of various Dermatological disorders. He regularly share cases in 'Kaysampraday group'. This time he shared cases in bulk and Ayu. practitioners and students are advised to understand individual basic samprapti of patient as per 'Rogi-roga-pariksha-vidhi' whenever they get opportunity to treat such patients rather than just using illustrated drugs in the post. As number of cases are very high so it's difficult to frame samprapti of each case. Pathyakram mentioned/used should also be applied as per the condition of 'Rogi and Rog'. He used the drugs as per availability in his area and that to be understood as per the ingredients described. It's very important that he used only 'Shaman-chikitsa' in treatment.  Prof. Surendra A. Soni ®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®® Case 1 case of psoriasis... In this ...

Case presentation: Vrikkashmari (Renal-stone)

On 27th November 2017, a 42 yrs. old patient came to Dept. of Kaya-chikitsa, OPD No. 4 at Govt. Ayu. College & Hospital, Vadodara, Gujarat with following complaints...... 1. Progressive pain in right flank since 5 days 2. Burning micturation 3. Dysuria 4. Polyuria No nausea/vomitting/fever/oedema etc were noted. On interrogation he revealed that he had h/o recurrent renal stone & lithotripsy was done 4 yrs. back. He had a recent 5 days old  USG report showing 11.5 mm stone at right vesicoureteric junction. He was advised surgery immediately by urologist. Following management was advised to him for 2 days with informing about the possibility of probable emergency etc. 1. Just before meal(Apankal) Ajamodadi choorna     - 6 gms. Sarjika kshar                - 1 gm. Muktashukti bhasma    - 250 mgs. Giloyasattva                 - 500 mgs...

WhatsApp Discussion Series: 24 - Discussion on Cerebral Thrombosis by Prof. S. N. Ojha, Prof. Ramakant Sharma 'Chulet', Dr. D. C. Katoch, Dr. Amit Nakanekar, Dr. Amol Jadhav & Others

[14/08 21:17] Amol Jadhav Dr. Ay. Pth:  What should be our approach towards... Headache with cranial nerve palsies.... Please guide... [14/08 21:31] satyendra ojha sir:  Nervous System Disorders »  Neurological Disorders Headache What is a headache? A headache is pain or discomfort in the head or face area. Headaches vary greatly in terms of pain location, pain intensity, and how frequently they occur. As a result of this variation, several categories of headache have been created by the International Headache Society (IHS) to more precisely define specific types of headaches. What aches when you have a headache? There are several areas in the head that can hurt when you have a headache, including the following: a network of nerves that extends over the scalp certain nerves in the face, mouth, and throat muscles of the head blood vessels found along the surface and at the base of the brain (these contain ...

WhatsApp Discussion Series:18- "Xanthelasma" An Ayurveda Perspective by Prof. Sanjay Lungare, Vd. Anupama Patra, Vd. Trivendra Sharma, Vd. Bharat Padhar & others

[20/06 15:57] Khyati Sood Vd.  KC:  white elevated patches on eyelid.......Age 35 yrs...no itching.... no burning.......... What could be the probable diagnosis and treatment according Ayurveda..? [20/06 16:07] J K Pandey Dr. Lukhnau:  Its tough to name it in ayu..it must fall pakshmgat rog or wartmgat rog.. bt I doubt any pothki aklinn vartm aur klinn vartm or any kafaj vydhi can be correlated to xanthelasma..coz it doesnt itch or pain.. So Shalakya experts may hav a say in ayurvedic dignosis of this [20/06 16:23] Gururaja Bose Dr:  It is xantholesma, some underline liver and cholesterol pathology will be there. [20/06 16:28] Sudhir Turi Dr. Nidan Mogha:  Its xantholesma.. [20/06 16:54] J K Pandey Dr. Lukhnau:  I think madam khyati has asked for ayur dignosis.. [20/06 16:55] J K Pandey Dr. Lukhnau:  Its xanthelasma due to cholestrolemia..bt here we r to diagno...

WhatsApp Discussion Series 47: 'Hem-garbh-pottali-ras'- Clinical Uses by Vd. M. Gopikrishnan, Vd. Upendra Dixit, Vd. Vivek Savant, Prof. Ranjit Nimbalkar, Prof. Hrishikesh Mhetre, Vd. Tapan Vaidya, Vd. Chandrakant Joshi and Others.

[11/1, 00:57] Tapan Vaidya:  Today morning I experienced a wonderful result in a gasping ILD pt. I, for the first time in my life used Hemgarbhpottali rasa. His pulse was 120 and O2 saturation 55! After Hemgarbhapottali administration within 10 minutes pulse came dwn to 108 and O2 saturation 89 !! I repeated the Matra in the noon with addition of Trailokyachintamani Rasa as advised by Panditji. Again O2 saturation went to 39 in evening. Third dose was given. This time O2  saturation did not responded. Just before few minutes after a futile CPR I hd to declare him dead. But the result with HGP was astonishing i must admit. [11/1, 06:13] Mayur Surana Dr.:  [11/1, 06:19] M gopikrishnan Dr.: [11/1, 06:22] Vd.Vivek savant:         Last 10 days i got very good result of hemgarbh matra in Aatyayik chikitsa. Regular pt due to Apathya sevan of 250 gm dadhi (freez) get attack asthmatic t...

DIFFERENCES IN PATHOGENESIS OF PRAMEHA, ATISTHOOLA AND URUSTAMBHA MAINLY AS PER INVOLVEMENT OF MEDODHATU

Compiled  by Dr.Surendra A. Soni M.D.,PhD (KC) Associate Professor Dept. of Kaya-chikitsa Govt. Ayurveda College Vadodara Gujarat, India. Email: surendraasoni@gmail.com Mobile No. +91 9408441150

UNDERSTANDING THE DIFFERENTIATION OF RAKTAPITTA, AMLAPITTA & SHEETAPITTA

UNDERSTANDING OF RAKTAPITTA, AMLAPITTA  & SHEETAPITTA  AS PER  VARIOUS  CLASSICAL  ASPECTS MENTIONED  IN  AYURVEDA. Compiled  by Dr. Surendra A. Soni M.D.,PhD (KC) Associate Professor Head of the Department Dept. of Kaya-chikitsa Govt. Ayurveda College Vadodara Gujarat, India. Email: surendraasoni@gmail.com Mobile No. +91 9408441150

Case-presentation- Self-medication induced 'Urdhwaga-raktapitta'.

This is a c/o SELF MEDICATION INDUCED 'Urdhwaga Raktapitta'.  Patient had hyperlipidemia and he started to take the Ayurvedic herbs Ginger (Aardrak), Garlic (Rason) & Turmeric (Haridra) without expertise Ayurveda consultation. Patient got rid of hyperlipidemia but hemoptysis (Rakta-shtheevan) started that didn't respond to any modern drug. No abnormality has been detected in various laboratorical-investigations. Video recording on First visit in Govt. Ayu. Hospital, Pani-gate, Vadodara.   He was given treatment on line of  'Urdhwaga-rakta-pitta'.  On 5th day of treatment he was almost symptom free but consumed certain fast food and symptoms reoccurred but again in next five days he gets cured from hemoptysis (Rakta-shtheevan). Treatment given as per availability in OPD Dispensary at Govt. Ayurveda College hospital... 1.Sitopaladi Choorna-   6 gms SwarnmakshikBhasma-  125mg MuktashuktiBhasma-500mg   Giloy-sattv...

Case-presentation: 'रेवती ग्रहबाधा चिकित्सा' (Ayu. Paediatric Management with ancient rarely used 'Grah-badha' Diagnostic Methodology) by Vd. Rajanikant Patel

[2/25, 6:47 PM] Vd Rajnikant Patel, Surat:  रेवती ग्रह पीड़ित बालक की आयुर्वेदिक चिकित्सा:- यह बच्चा 1 साल की आयु वाला और 3 किलोग्राम वजन वाला आयुर्वेदिक सारवार लेने हेतु आया जब आया तब उसका हीमोग्लोबिन सिर्फ 3 था और परिवार गरीब होने के कारण कोई चिकित्सा कराने में असमर्थ था तो किसीने कहा कि आयुर्वेद सारवार चालू करो और हमारे पास आया । मेने रेवती ग्रह का निदान किया और ग्रह चिकित्सा शुरू की।(सुश्रुत संहिता) चिकित्सा :- अग्निमंथ, वरुण, परिभद्र, हरिद्रा, करंज इनका सम भाग चूर्ण(कश्यप संहिता) लेके रोज क्वाथ बनाके पूरे शरीर पर 30 मिनिट तक सुबह शाम सिंचन ओर सिंचन करने के पश्चात Ulundhu tailam (यह SDM सिद्धा कंपनी का तेल है जिसमे प्रमुख द्रव्य उडद का तेल है)से सर्व शरीर अभ्यंग कराया ओर अभ्यंग के पश्चात वचा,निम्ब पत्र, सरसो,बिल्ली की विष्टा ओर घोड़े के विष्टा(भैषज्य रत्नावली) से सर्व शरीर मे धूप 10-15मिनिट सुबज शाम। माता को स्तन्य शुद्धि करने की लिए त्रिफला, त्रिकटु, पिप्पली, पाठा, यस्टिमधु, वचा, जम्बू फल, देवदारु ओर सरसो इनका समभाग चूर्ण मधु के साथ सुबह शाम (कश्यप संहिता) 15 दिन की चिकित्सा के ...