[11/28/2020, 11:57 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: *क्लिनिकल आयुर्वेद - भाग 3* *हमने पिछले दिनों 180 से अधिक रोगियों का data select कर जिनमें DM type 1, type 2, एक-किटिभ कुष्ठ, ग्रहणी दोष, राजयक्ष्मा, hepatitis B, CKD, CLD आदि शारीरिक के साथ मानसिक रोगों से भी जो ग्रस्त है एक format बना कर फोन और मैसेज भेज कर के स्वयं और अपने staff की सहायता से तीन तीन पीढ़ियों तक संक्षिप्त history ले कर रोग के हेतु को जानने का गंभीर प्रयास किया, अधिकतर लोगों के पास पहले ग्रामीण क्षेत्रों का जीवन था, धन का अभाव, investigations की सुविधाओं अभाव, कुछ लोगों का जांच ना कराने के पीछे हठी स्वभाव और विवश्ता आदि अनेक कारण मिले।वस्तुत: जिस प्रकार सैंकड़ों वर्ष देश गुलाम रहा तो आयुर्वेद में वह प्रगति और अनुसंधान संभव ही नही था और जो आयुर्वेद हमें संरक्षित मिल सका उसके लिये हमें अपने पूर्व आचार्यों का आभारी होना चाहिये।* *गर्भ के घटक द्रव्य 6 हैं अर्थात 6 भावों से गर्भ की उत्पत्ति होती है, इसमें चार भावों के समूह से एक बीज बनता है और यह चार भाग है मातृज, पितृज, आत्मज और सत्वज शेष दो भाग इस बीज का निरंतर
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