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Case-presentation series: 'Viddha Agni karm' (Modified) in Gridhrasi (Sciatica) by Vd. Atul Kale

 [10/16, 11:59] Dr Atul Kale, Pune: 




गृध्रसि रुग्ण

Got pain relief within 20 mins


[10/16, 12:05] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

आप दर्द देकर दर्द कम करते है, साधुवाद ।

 डॉ अतुल काळे जी..

[10/16, 12:06] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 🙏

[10/16, 12:10] Dr. K. M. Agrawal Sir: 

Very good effort

मर्म चिकित्सा

एक्यूपंक्चर

अग्निकर्म

सभी एकसाथ

आशुकारी प्रभाव

निश्चित रूप से प्रेरणादायक

[10/16, 12:12] Dr. Namrata Ladani: 

🙏🙏wonderful result..how many sitting require??

[10/16, 12:16] Dr Atul Kale, Pune: 

ज्यादा नहीं सर, 26 no. Needle used. जैसे गरम करते जाते है तो रुग्णको सुखानुभूती होती है ऎसा अनुभव है। रुग्णको जब तक सहन नही हो तब तक सिर्फ.

[10/16, 12:16] Dr Atul Kale, Pune: 

In only one sitting.

[10/16, 12:17] Dr. Namrata Ladani:

 ok..🙏🙏wonderful..

[10/16, 12:19] Prof Giriraj Sharma: 👌🏻👌🏻👍🏻🌹🙏🏼

[10/16, 12:25] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

अच्छी बात है. 👍👌✅🌹

[10/16, 12:28] Dr Bhavesh Modh:

 👍

Thanks  for sharing  videos...

🙏😊

[10/16, 13:12] Prof. Surendra A. Soni:

 नमो नमः अतुलाचार्य ।


🙏🏻🌹😍👏🏻👌🏻👍🏻


[10/16, 13:12] Dr Aashish Kumar Lalitpur, UP: 


प्रणाम अतुल सर,

चरण स्पर्श🙏🏻🙏🏻


सर नीडिल को लगाने का स्थान चयन कैसे करते हैं जिससे रक्त न आये और परिणाम मिले🙏🏻🙏🏻

[10/16, 13:20] Dr Atul Kale, Pune: 

Avoiding of superficial veins.

Following of referring pain points.

[10/16, 13:25] Dr Aashish Kumar Lalitpur, UP: 

जी सर,

जैसे सामान्य अग्निकर्म में करते हैं🙏🏻🙏🏻

[10/16, 13:29] Dr Atul Kale, Pune: 

Yes

[10/16, 13:29] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur: 

बहुत ही अच्छा, सर ,आप जिसे गर्म कर रहे हैं वो गन लाइटर है, या कुछ और है ,🙏🙏


[10/16, 13:34] Dr Aashish Kumar Lalitpur, UP: धन्यवाद सर🙏🏻🌺🕉️

[10/16, 13:42] Prof. Surendra A. Soni:

 Please enlighten us by describing probable mode of action and whether result obtained by this stay long lasting ?


Atul ji !🙏🏻🌹

[10/16, 13:58] Dr Atul Kale, Pune: 

Ok sir, patients are going on, please give me some time.

[10/16, 14:05] Prof. Madhav Diggavi, Bellari: 

Atyayika upakram. Excellent and effective presentation sir. Purvakarma, investigation, selection of pricking, equipment used are very well demonstrated sir

[10/16, 15:02] D C Katoch Sir: 

Brilliant approach to control Sciatica pain in emergency.

[10/16, 17:42] Dr Divyesh Desai: 



अग्निकर्म, विद्ध अग्निकर्म (जो अतुल सर ने किया), मर्म चिकित्सा ये सब कर्म पहले ही दिन करते है तो पहले ही सिटिंग में मरीजो को 30 % से लेकर 70% तक फायदा होता है, अगर निदानपरिवर्जन के साथ ये कर्म करते है तो पार्षणी शूल, PID, ग्रध्रसी आदि रोगों में कभी कभी 1 ही सिटिंग में दर्द कम हो जाता है, ओर 8 / 10 महीने तक भी वापिस दर्द नही होता, किसी किसी मे 3/ 4 सिटिंग के बाद भी फायदा कम होता है, में इन्सुलिन half इंच की नीडल को कोई भी वात शामक तैल के दीपक पर गर्म करके रक्त वर्ण की हो जाए तब पहले से मार्क किया पैन पॉइंट पर आधी नीडल इन्सर्ट करते है, कभी कभी केपिलरी ब्लीडिंग हो जाए तो रक्तमोक्षण का फायदा भी मिल जाता है👏🏻👏🏻

[10/16, 19:12] Dr Divyesh Desai: 

इस मे विद्ध अग्निकर्म, रक्तमोक्षण, मन्त्र चिकित्सा का समावेश हो जाता है,

ये मेरी स्टूडेंट  का ससुर है, 68 yr age, रिटायर्ड बैंक मैनेजर है, जब में मर्म चिकित्सा का सेमिनार, वर्कशॉप अटेंड करने राजकोट गया था तब उनके ही घर ये परफॉर्म किया था, मुझे दुख भी हुआ था, न तो कोई वात शामक तैल था, न कॉटन था, न इंसुलिन नीडल थी और कोई भी आयुर्वेदकी दवाई नही थी, क्योंकि ये राजकोट में कोई gynaecologist के यहाँ MO की जॉब करती थी, पहले जब उनके हस्बैंड की जॉब बारडोली थी, तब मेरी पंचकर्म अस्पताल और GP के लिए भी आती थी, उनके ससुर को स्पाइन सर्जन ने नर्व कम्प्रेशन की वजह से अगर फायदा न हो तो ओपरेशन के लिए बोला था, बादमे ये कर्म किए 2 साल हो गए है, अभी तक कोई परेशानी नही हुई, बादमे यही मरीझ को मर्म चिकित्सा के लिए भी बुलाया था, पेशंट जामनगर से आया था, राजकोट 2 दिन के लिए ही आये थे  तब मर्म चिकित्साका वर्कशॉप मेरे लिए पहली बार ही था, मर्म चिकित्सा नवीन जोशी सर ने की थी , तो मर्म का फायदा भी मिल गया था...🙏🏻🙏🏻

[10/16, 22:52] Dr Atul Kale, Pune:


 रुग्ण नाम:- अ.ब.क.

रूग्ण आयु:- ६२ वर्ष , 

लिंग:- पुरुष

भार:- ७५ कि.ग्रॅ., अल्प स्थूल

जन्म :- जून 

कर्म:- दुकान (Forward bending....)


*वेदनाविशेष:- स्फिक, कटी, पृष्ठ.....*

*वाम:- उरु, जङ्घा, गुल्फ संधी संचारी वेदना, वाम पाद* *गौरव (चिमचिमायन नास्ति)* 

*मन्या शूल, दक्षिण हस्त संचारी वेदना एवं गौरव*

*भयप्रचिती*


*व्याधी इतिहास:-*

१५ संवत्सरपूर्व व्याधी प्रारंभ. 

प्रथमत: कटी एवं पादस्थाने वेदना प्रारंभ ततपश्चात मन्या एवं दक्षिण हस्त वेदना प्रारंभ. 

Took allopathic and Ayurved medicines. 


Modern Investigations:- MRI done befire 10 years but not brought. According to patient problem is in lumbar and cervical vertebrae along with degenerative changes. 

N/H/O DM or HT


*कारणमिमांसा:-*

*विहारभाव:-*

दुकान:- अतिचंक्रमण, विपरीत विचेष्टा, कटूरसात्मक आहार

व्यापारी-स्वार्थ-वेगविधारण:- वातप्रकोप


*आहारभाव:-*

माष, बैंगन, आलू सेवन विशेषतः 

वातवृद्धी

कटूरससेवन किंतु पित्तप्रकोप लक्षण क्वचित मुखपाक एवं विबंध तक सिमित.


*मानसभाव:-*

भयप्रचिती:- भयाद्वायु:


*नाडी:- गुरु, मंद, बलवती, अनुष्णा*

*मल:- विबंध एवं प्रथम कठिण पश्चात मृदू-पिच्छिल*

*मूत्र:- अविशेष*

*जिह्वा:- साम*

*क्षुधा:- यथाकाले उद्भव*

*स्पर्शन:- अनुष्ण*

*आकृती:- मध्यम स्थूल*

*प्रकृती:- कफपित्त*


*स्रोतस परिक्षा:-*

*रसवह, रक्तवह, मांसवह*:- अवि.


*मेदोवह*:- *मध्यम स्थूल (but no h/o DM or any mutra related complaint) (अव्यायामात् दिवास्वप्नात् कारण विद्यमान),* 

*स्नायूसंभव: .... मेदका उपधातू (Sciatica nerve)*


*अस्थिवह*:- कटीशूल, मन्याशूल एवं degenerative changes. May be osteophytes अध्यस्थि


*मज्जावह*:- No complaints found


रात्रे निद्रा प्राकृत

दिवास्वाप १ तास:- कफपित्त


*गौरव के कारण कफके गुरु गुणका अनुमान*

*संचारी वेदनासे:- सूक्ष्म, चल गुणका अनुमान*. 

*कफका आवृतत्व द्वयावयवस्थाने*. 

*वेदना एवं गौरव से वातकफका अनुमान*.


*गुणेन दोषवृद्धी अंशांश कल्पना*

वात:- सूक्ष्म, चल

कफ:- गुरु, मंद

पित्त:- उष्ण, तीक्ष्ण (मुखस्थाने पाक intermittent)


*शाखास्थाने पित्तलक्षणोद्भव नास्ति*


*दिवास्वापोत्तर एवं समये २.०० वेदना-गौरव वृद्धी*


*मार्ग*:- मर्मास्थिसंधयः

*गति*:- शाखागती

*उत्थान*:- पक्वाशय

दोष:- वात:- व्यान, अपान 

कफ:- श्लेषक 


*संप्राप्ति घटक:*

मेद, अस्थि

स्नायू

वात, कफ

पुरीष


*(जैसे पुरे शरीरमें व्यानावृत कफसे गौरव वैसेही संज्ञावहन एवं पंचकर्मेंद्रियादी कार्य कफके गुरुगुणसे आवृत.)*


*स्फिक्पूर्वा कटिपृष्ठोरुजानुजङ्घापदं क्रमात्।*

*गृध्रसि स्तम्भरुक्तोदैगृह्णाति स्पन्दते मुहुः।* 

*वाताद्वातकफात्तन्द्रा (दिवास्वाप) गौरवारोचकान्विता।*


*स्पन्दते itself shows the periodicity of Vayu. when Vayu movement is covered by any visible entity. 

Kapha is main bilogical entity which is having inhibitory action (by Tama). Periodic movement is obstructed by Kapha (स्तम्भ) shows स्पन्दन* 


*कुर्यातावृत मार्गत्वात्र सादिश्चोपशोषयेत्*


*In chronic obstinate Vata-Kaphaj Grudhrasi  ostructed*

                  ⬇️

*Vayu will be vitiated to alleviate avaran by its extreme force*. 

*(But if Avarak entity quantitatively and qualitatively (density, sturdiness) is much bigger than Vayu then Vayu will absorb liquid Dhatus and will dry soft tissues but very proportional to again its quality and quantity. (Acceleration, Force with quantity etc.)*



*In next step......*

*So absorption of Snigdha-Dravatva in its path means in Snayu*

                  ⬇️

 *will increse Rukshatva in Snayu and will alow to take shelter in it.* *(स्थानानि रिक्तानि च पूरयित्वा अनिलो बली)*

                   ⬇️

*Will hamper frictionless flow of Vayu through Snayu.*


*निदान:- गृध्रसि, विश्वाचि*

*दोष:- वात-कफ*


*चिकित्सा*

*Agnikarma with needles.*


*Penetration:- विद्ध कर्म*

                  ⬇️

*Then Agnikarm which flows dry hotness to the internal points.*

                   ⬇️

*Kapha residing there*

                *melts*

                    ⬇️

*and alleviate its Avaran.*

                   ⬇️


*Vayu gets free to flow.*

                    ⬇️

              *वेदना उपशय* 


*Used this Agnikarma also in frozen shoulder patients.*

One of my patient who was my receptionist's mother in law got total relief within 1 day. 

*After 3 months also no relapse.*

[10/16, 23:02] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*अत्यन्त सूक्ष्मता के साथ निदान और चिकित्सा की अति ज्ञानवर्धक, प्रायोगिक और अनुभवजन्य प्रस्तुति 👌👍👏 वैद्यवर अतुल जी *

[10/16, 23:29] Dr Atul Kale, Pune: 

धन्यवाद गुरूवर्य साष्टांग नमन. 

ये सब आपकाही प्रभाव है जो हमे उत्साहित करता है। 

🌹🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[10/17, 00:31] Dr. Rituraj Verma: 

Ultimate !

सर जी नमन !

[10/17, 04:16] Sanjay Chhajed Dr. Mumbai: 

अतुलजी सही !

[10/17, 04:58] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

अति सुंदर रुग्ण विवेचन एवं प्रस्तुतीकरण. गृध्रसी में कफ से वात का संसर्ग है , न कि आवरण. तीन प्रकार से सम्प्राप्ति हो सकती है , 

(१) दोषों के संसर्ग से, 

(२) गत वात 

(३) और आवरण.

गृध्रसी में कफ से वात का संसर्ग है, अनुबंध है अर्थात् मिलित स्वरूप है. 

कफावृत व्यान  अलग है , और गृध्रसी से व्यवच्छेद निदान हेतु विवेचनीय है. 

कुछ रुग्ण में विश्वाची और गृध्रसी साथ साथ मिलते हैं, सम्प्राप्ति घटक एक ही है, परंतु लक्षण व्यक्ति स्थान अलग है.. 

चिकित्सा में अग्निकर्म की कार्मुकता का वैज्ञानिक तथ्य आपने प्रस्तुत किया है , 

साधुवाद डॉ अतुल काळे जी.. 

🌹☺️🌹👍✅

[10/17, 05:10] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

संसर्ग , गत वात और आवरण जनित वात प्रकोप को अलग अलग समझना है. कफ या पित्त का वात से संसर्ग, कफ या पित्त से वात का आवरण, परंतु कफ या पित्त गत वात का संदर्भ नहीं है, धातुगत वात, स्नायु गत वात, आमाशय गत वात, आदि का उल्लेख है. आमाशय गत वात में श्वास रोग, कफवातात्मक  श्वास रोग और उदानावृत अपान में श्वास रोग का वर्णन है, किसी भी रोग के हेतु विशेष / विभिन्नता के कारण विभिन्न सम्प्राप्ति प्रक्रिया सम्भाव्य है, जरुरत है उन सभी प्रक्रियायों को समझने की और व्यवच्छेद निदानार्थ प्रस्तुत करने की..

[10/17, 05:12] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*डॉ अतुल काळे एक विद्वान चिकित्सक है और समय समय पर रुग्ण विवेचन पर चर्चा करते रहते हैं , धन्यवाद*. 🌹🌹

[10/17, 05:25] Dr. Mansukh Mangukia: 

🙏 भवताम् साधुवाद 🙏

[10/17, 05:45] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

Complete Ayurvedic Diagnosis and Chikitsa. THANKS A LOT.

Atul Sir !

[10/17, 05:48] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

गृध्रसी में वर्णित स्पंदन को fasciculation कह सकते हैं, स्पंदन वात कर्म में है जो कि प्राकृत और वैकृत दोनो स्वरुप का हो सकता है..

 *What causes fasciculations?*

They originate at the very tips of the nerves, called axons, as they come close to being in contact with the muscle. The tips of the axons are thought to be overly sensitive to depolarizing (electrical firing), which is what triggers a muscle to contract.  When a nerve fires, zillions of times a day upon request, an electrical impulse starts in the nerve, moves out toward the muscle, triggers the release of a chemical (acetylcholine) that "swims" across the gap between the nerve axon and the muscle, and binds to a receptor on the muscle causing it to fire. The complicated process itself takes a small fraction of a second.  If any of this happens involuntarily, then the muscle fiber contracts without your permission and behold, a muscle twitch or fasciculation!

[10/17, 05:51] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

When accompanied by weakness or atrophy, however, fasciculations indicate lower motor neuron disease, usually of the anterior horn cell or proximal peripheral nerve. Tongue fasciculations occur in up to one-third of patients with amyotrophic lateral sclerosis.

[10/17, 06:03] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

जी गुरूवर मुझे लगता है रक्तावृत वात acute Sciatica Pain with tingling and tenderness and pin point pain further changing to kaphavart and Dhatu kshaya janit if not treated properly. 🙏

[10/17, 06:24] Dr Atul Kale, Pune: 

धन्यवाद ओझा सर 😊 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[10/17, 06:24] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*रक्तावृत वात अलग प्रक्रिया है जिसकी चिकित्सा वातशोणित सदृश है, अग्नि कर्म रक्तावृत वात में युक्ति युक्त नहीं है*

Pandey ji !

[10/17, 06:28] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

गृध्रसी वात के नानात्मज विकारों में से एक है, और धातुक्षयात्मक वात प्रकोप जनित है, इसीलिए मांसशोष सदृश लक्षण मिलते हैं, मांसशोष अस्थिमज्जागत वात का भी लक्षण है..

*गुद गत वात में भी मांसशोष मिलता है जो कि lower motor neurone involvement को इंगित करता है*

 गृध्रसी उत्पत्ति में संधिगतवात, अस्थिमज्जा गत वात , अवस्थानंतर मांसावृत वात, अस्थ्यावृत वात और मज्जावृत वात भी सम्प्राप्ति प्रक्रिया में भाग लेते है और तब शल्य कर्म की जरुरत पड़ती है..

[10/17, 06:35] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

Spondylosis is common and worsens with age. This condition is often used to describe degenerative arthritis (osteoarthritis) of the spine.

[10/17, 06:37] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

Sciatica is a specific type of radiculopathy (compression or irritation of nerves as they leave the spinal column). Sciatica can be associated with spondylosis because the degenerative changes in the spine predispose to disc herniation and subsequent nerve compression.

[10/17, 06:37] Dr Atul Kale, Pune: 

हमारे दिवंगत गुरुजी आचार्य बघेल सरजी बहोत बार यही बताते थे की वात संसर्गके बाद वायु जीस मूर्त दोषसे संसर्गित होता है उससेही उसकी गती अवरुद्ध होती ही है। may be partial or complete. अगर biophysics देखा जाय तो वायु चल गुणके बीना असंभवसी है। हर वायुमें चलगुण, intensity, दिशा, भिन्न भिन्न है। कोई भी सदोष द्रव धातु या केवल दोष वायुके प्राकृत गती में मिल जाए, संसर्गित हो जाए तो निश्चित ही कही ना कही वायुके गती पर प्रभाव तो पडेगाही।  अौर इसको मेरी समझसे मैं partial आवरण मानता हूँ। 

   Here kinetic force is not totally but partially obstructed. Tingling numbness may be the next version of the disease which shows आवरण pathology. 


🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊

[10/17, 06:39] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

फिर संसर्ग और आवरण जनित प्रक्रिया में अन्तर नहीं रह जाएगा ..

[10/17, 06:40] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*Obstruction may be partial but not aavarana*

[10/17, 06:42] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

वात व्याधियां

(१) धातुक्षयजनित

(२) संसर्ग जनित

(३) गत वात

(४) आवरणजनित 

होती है

[10/17, 06:42] Dr Atul Kale, Pune:

 जी सर, किंतु गतीको पूर्ववत करनेके लिए संसर्गित दोष को तो निकालना ही होगा ना?

[10/17, 06:43] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

जी, इसीलिए आपने अग्नि कर्म किया

[10/17, 06:43] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*और अग्निकर्म से वात की गति अव्याहत हो गयी.*

[10/17, 06:45] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*स्नेहन स्वेदन आदि कर्म वात के अव्याहत गति को प्राकृतस्थ करने के लिये ही प्रयुक्त किये जाते हैं*

[10/17, 06:48] Dr Atul Kale, Pune: 

एक प्रकारसे धातुक्षय भी आवरणही है। biophysically if we see स्रोतसानि रिक्तानि पूरयित्वा अनिलो बली..... 

या कहीं रुक्षत्व-खरत्व है तो path of particular Vayu will not be smooth and frictionless. 

     थोडा अलग लगेगा किंतु मेरा anuman perception ऎसा है।

[10/17, 06:49] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

ऐसा नहीं है, धातुक्षय और आवरण अलग अलग है, एक अवस्था विशेष में एक दूसरे के कारणीभूत हो सकते हैं

[10/17, 06:50] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

धातु क्षय से रिक्तानि स्रोतांसि सम्भाव्य है, न कि आवरण से..

*रुक्षत्व, खरत्व, चलत्वादि गुण गत वात में भाग लेते है*

 *इन सभी के हेतु अलग अलग है*

 *खरत्व वृद्धि से अस्थिमज्जागत वात सम्भाव्य है*

[10/17, 06:53] Dr Atul Kale, Pune: 

जी सर, रग लागते, भारीपन लगता है, खिंचावट जैसा  है तो अग्निकर्म.


सदाह, अंदर पस जैसी वेदना (ठसठस) (गुरूवर्य वैद्य आव्हाडसरजीके) अनुसार तो रक्तमोक्षण. ऎसे रुग्णोंमें सालो दवा, पंचकर्मादीसे उपशय नही मिला होता है तो एकही गुल्फसंधिसे किए रकदतमोक्षणसे उपशय मिलता है।

[10/17, 06:53] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*रुक्षत्व से त्वक् गत वात*

[10/17, 06:55] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

अवस्थातंर भेद है , मूल प्रक्रिया नहीं..

[10/17, 06:57] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*मूल सम्प्राप्ति घटक को अलग से देंखे और अवस्था विशेष को अलग से, इसीलिए सामान्य और विशेष सम्प्राप्ति वर्णित की गयी*

[10/17, 06:58] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*ज्वर की सामान्य सम्प्राप्ति च.चि.३ में तथा दोषानुसार विशेष सम्प्राप्ति च.नि.१ में वर्णित है*

[10/17, 07:00] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

इसी प्रकार अतीसारादि व्याधियों में दोषानुसार सम्प्राप्ति प्रक्रिया बतायी गयी..

[10/17, 07:01] Dr Atul Kale, Pune: 

जी सर, if only complete avaran is included. I know these two pathologies are different but want to say in dhatukshay path of Vayu will not be friction kess. Kharatva will provide subtle spikes to path of Vayu. Hence there is no complete obstruction but as Vayu will go with minute not obstructing obstacles will generate continuous pain. फिर ओ nerves में भी हो सकता है। proper transportation of Ions liquid, unctousness characteristics are essential so.......


Not opposing actually but trying to give more clarification.

[10/17, 07:01] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

ग्रहणीदोष में दोषानुसार चिकित्सा पर ज्यादे ध्यान दिया गया, जबकि पाण्डु में सामान्य चिकित्सा पर..

[10/17, 07:03] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

अव्याहत अनावृत स्वमार्ग है 

व्याहत आवृत परमार्ग / विमार्ग है

[10/17, 07:04] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

वात व्याधियां में प्रथम हेतु धातुक्षय है और द्वितीय आवरण

[10/17, 07:05] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

गत वात में friction नहीं है, और गत वात धातुक्षयात्मक है न कि आवरण जनित प्रक्रिया..

[10/17, 07:06] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

Friction/ प्रतिघात वात प्रकोप का एक कारण है, कम्पवात में चल गुण की वृद्धि है

[10/17, 07:08] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*Minute difference must be noted to maintain classical presentation of Samhita , otherwise, everything will be enmeshed*

[10/17, 07:10] Dr Atul Kale, Pune: 

Ok sir 😊 🙏🏻🙏🏻

[10/17, 07:11] pawan madan Dr: 

Good mng Atul ji


Very nicely presented.


कफ व वात का संसर्ग तब जब कफ व वात वर्धक दोनों प्रकार के हेतुओं से व्याधि उतपन्न हुई हो,,,


कफ से वात का आवरण तब जब केवल या मुख्यत: कफ वर्धक हेतू हों पर व्याधि वात व्याधि हो।


ये सम्प्राप्ति जानने के लिये है।


अग्निकर्म से वात की गति नॉरमल हुई।


दोनों ही सम्प्राप्तियों में ये सम्भव!


👏🏻👏🏻

[10/17, 07:21] Dr. Shailendra Mehta, Chandigarh: 

दण्डवत प्रणाम गुरुदेव,,,आज प्रातः4.58 से अब तक की आपश्री और आ०काले सर की संभाषा पढ़ कर दिव्य अनुभूति हूई,,,,चरकोक्त,,,संधाय संभाषा की,,,हार्देक धन्यवाद,,🙏🏻🙏🏻🌷

[10/17, 07:22] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

खुश रहिये स्वस्थ रहिये सुरक्षित रहिये🌹🌹

[10/17, 07:24] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

डॉ अतुल काळे जी विद्वान, समालोचक, जिज्ञासु चिकित्सक है, और मेरे लिये अति महत्वपूर्ण व्यक्तित्व..

[10/17, 07:25] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*डॉ अतुल काळे के साथ चर्चा में भाग लेने का मजा ही अलग है*

[10/17, 07:27] Dr. Shailendra Mehta, Chandigarh: 

और आप दोनों सम्माननीय दिम्गजों की चर्चा से उत्पन्न अमृतवर्षा का पान हम सब  करतें है,,, इसका मजा,,,बिशेष ही है🧎🏻‍♂️🧎🏻‍♂️😊🌷

[10/17, 07:29] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

☺️☺️ *संधाय सम्भाषा में अपने अपने मतो को प्रस्तुत किया जाता है , जिससे बहुत से गूढ विषय भी स्पष्ट हो जाते हैं*

[10/17, 07:31] Dr. Shailendra Mehta, Chandigarh: 

जी सर,,,फिर एक मत को स्थापित भी किया जाता है,,,हमेशा के लिए,,, permanent,,,

[10/17, 07:32] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*जी, इसीलिए सम्भाषाओं का अनादि काल से आयोजन होता आ रहा है*

[10/17, 07:35] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

त्रिदेव भी बहुत बार किसी गम्भीर विषय पर चर्चा करते रहे हैं तथा सर्वानुमत से निर्णय लेते थे/है.

🙏🙏🙏

[10/17, 08:31] D C Katoch Sir: 

अतुल्य विवेचन वैद्य अतुल 👌। थोड़ा सा भिन्न मत प्रस्तुत कर रहा हूं। चूंकि आहारपरक हेतु कफवर्धक हैं और विहार परक हेतु वात वर्धक हैं तो  संप्राप्ति में वात और कफ का सम्मिलित योगदान है । इसीलिए  उष्ण चिकित्सा उपक्रम से कफ का विलयन और वात का शमन होकर (अर्थात शीत गुण जन्य प्रभावों का नाश होकर) गृधरसी की पीड़ा दूर हुई।

[10/17, 08:35] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

शुभ प्रभात आदरणीय श्री अग्रज..

🙏🙏

[10/17, 08:37] Dr. Shailendra Mehta, Chandigarh: 

आ० गुरुदेव,,🙏🏻🙏🏻 इस उपक्रम में अभ्यंतर चि० उपयोग  न करने का क्या कारण हो सकता है🙏🏻🙏🏻

[10/17, 08:44] Mridul Jyswal Dr: 

आदरणीय मेरा मत है कि उक्त अग्निक्रम के साथ अभ्यांतर चिकित्सा के रूप में बस्ति चिकित्सा यथा एरंडमूलादि निरुह एवं धान्वतर तैल आदि अनुवासन का समावेश किया जाय तो चिकित्सा लाभ स्थाई एवं दीर्घकालिक होगा।

[10/17, 08:48] Dr. Shailendra Mehta, Chandigarh: 

जी,, यह तो आ० ज्येष्ठ वैद्य काळे सर से confirmकरना होगा,, हो सकता है उन्होने अभ्यंतर चि, भी दी हो राथ साथ,,,

[10/17, 08:49] Mridul Jyswal Dr: 

यह चिकित्सा निसंदेह आत्यायिक अवस्था में शीघ्र लाभ देने वाला एवं यश प्रदान करने वाला है।

अग्निकर्म का यह परिष्कृत रूप पारंपरिक अग्निकर्म से परिणाम किस प्रकार भिन्न है ?

[10/17, 08:50] D C Katoch Sir: 

मैं समझता हूं वैद्य अतुल ने रोगी की शल्य चिकित्सा की है नाकि कायचिकित्सा, इसलिए आभ्यंतर चिकित्सा का उपयोग नहीं किया।

[10/17, 08:50] Dr. Shailendra Mehta, Chandigarh: 

जी,गुरुदेव🙏🏻

[10/17, 08:51] Dr. Ashwini Kumar Sood, Ambala: 

बहुत खूब

[10/17, 09:07] Dr Atul Kale, Pune: 

गुरुवर आपकी कृपा जिस पर वह कृतकृत्य. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹

[10/17, 09:11] Dr Atul Kale, Pune: 

आचार्य आपका मत शिरोधार्य. आपका मत युक्तिकृत ही होता है। आपसे तो हम छोटे वैद्यगण सटिक विचार कैसे करना है ये सिखते आए है।  आपके आशिर्वचन के लिए आपका सह्रद्य धन्यवाद। 🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[10/17, 09:12] Dr Atul Kale, Pune: 

🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[10/17, 09:13] D C Katoch Sir: 

शुभमस्तु !

[10/17, 12:39] Vd Ranga Prasad Ji Chennai: 


The actual process involved in agni karma in reducing pain, is / may be due to ablation of nerve in the nearby vicinity of site of selection of procedure. 🤔

[10/17, 12:39] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

Yes , it's like it..

RAnga Sir !

[10/17, 12:41] Vd Ranga Prasad Ji Chennai: 👍🏻🙏

[10/17, 12:44] Prof. Madhav Diggavi, Bellari: 

S sir. Once our hon DC  underwent agnikarma for neck pain. He got relief. Then he explained mode of action. Continuous heat or electric or indirectly heating by vidha Agni karma ... will make pain receptor block and muscular pain will reduce. He was a veterinarian he said later.

[10/17, 12:45] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

The physiological effects of heat therapy include pain relief and increases in blood flow, metabolism, and elasticity of connective tissues.

[10/17, 12:47] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

Thermoreceptors. Thermoreceptors can be separated into receptors for warmth and cold detection. According to results of differential nerve blocks and response latencies, the warmth sensation has been attributed to C fibers, whereas cold detection is a function of Aδ fibers.

[10/17, 12:50] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*Whatever procedures are recommended for relieving pain in Ayurveda are scientific*

[10/17, 12:51] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

*Langhana reduces various inflammatory cytokines and help in modifying Rheumatoid arthritis.*

[10/17, 12:53] Vd Ranga Prasad Ji Chennai: 

The destruction (also called ablation) of nerves is a method that may be used to reduce certain kinds of chronic pain by preventing transmission of pain signals. 


N.B: This accounts good hold, to procedures where heated needle are inserted deep in to the tissues.

[10/17, 12:53] Vd Ranga Prasad Ji Chennai: 👌🏻👍🏻

[10/17, 13:01] Prof. Satyendra Ojha Sir: 

Welcome back in scientific discussions, if you are not here, I miss your approach to handle marma .. 🌹🌹

[10/17, 13:01] Prof. Surendra A. Soni: 

अत्युत्तम अत्युत्कृष्ट विशद विवेचना अतुलाचार्य जी ।

डॉ दिव्येश जी को भी आभार कि बहुत अच्छा डेमो वीडियो भेजा ।

दोनों प्रक्रियाओं में भिन्नता दिखाई दे रही है तो क्या हम इन्हें स्पष्टतः परिभाषित कर सकते हैं कि इन स्थितियों में अतुल जी उक्त तथा इन विशिष्ट अवस्थाओं में दिव्येश जी द्वारा निर्दिष्ट विधि प्रयोज्य है ।

Centeal CVA etc originated spasticity आदि अवस्थाओं के लिए प्रस्तुत विद्ध अग्निकर्म का विचार किया जा सकता है ?


अतुल जी !

🙏🏻🌹

[10/17, 13:03] Vd Ranga Prasad Ji Chennai: 

Thank you bro. YathAvashya, yathA sandarbha I'll post my attendance in discussions. 🙏

[10/17, 15:03] Dr Bhadresh Nayak, Surat: 

Respected soni sir

Atulji

Divheshji demonstration of agnikarma are both different approach

Basically kindly define of mode of action of agnikarma

Curative? Or instant pain management

What about structure deformity in spine and spinal cord demage?

Last divyeshji mentioned about raktmoxan

Amount of blood letting is sufficient

[10/17, 15:09] Dr Bhadresh Nayak, Surat: 

Thermo dynamic effects?

Or sensatise the pain'centre by high temperature by sympathetic and para symphetic nerve conduction?

Every fever patients having a pain at any organ clarify that pain and temperature relations

So higher temperature may may sensatise pain center?

[10/17, 17:09] Dr Divyesh Desai: 

🙏🏻🙏🏻आभार आदरणीय सोनी सर, 

अतुल सर ने जो कर्म किया वो कॉस्मेटिक पर्पस से अच्छा है, क्योंकि वहाँ अग्निकर्म के मार्क नही रहेंगे...🙏🏻🙏🏻

अब में जहाँ भी अग्निकर्म करता हूँ इसके पहले मर्म पॉइंट स्टिमुलेशन के बाद ही करता हूँ......

कुछ भी ना करने से कुछ प्रत्युत्पन्न मति से कर्म करना अच्छा है, कभी कभी लगता है, इस अग्निकर्म, विद्ध कर्म, मर्म चिकित्सा, मिक्ष विद्धाग्नि कर्म का mode of action समजाना मुश्किल होता है,

हाँ  मैंने जितने भी मरीजो में ये कर्म फ्री ऑफ कॉस्ट किया इन सब मे unbelievable  फायदा मिला, और जहां पे बिज़नेस purpose से किया इनमें इतना अच्छा फायदा नही भी मिला...तो हमारा intense भी महत्वपूर्ण है..

मर्म चिकित्सा से अच्छी कमाई करने वाले भी देखे हैं, और मुफ्त में सेवा करने वाले चिकित्सक भी देखे है..

सुभाषसर ग्रुप में हमेशा इस आयुर्वेद शास्त्र की नित्यता, सत्यता, यथार्थता के बारे में लिखते रहते है, इनका अनुभव patients के माध्यम से होते रहते है...कभी ओझा सर की लेप चिकित्सा और सरल द्रव्यों के माध्यम से गंभीर रोगों में भी इतना अच्छा लाभ मिलता है तो लगता है.....

इन सबके पीछे आयुर्वेदके *सटीक सिद्धांत* और चिकित्सक का *प्रभाव* ही कारणभूत है।🙏🏻🙏🏻

जय आयूर्वेद, जय धन्वंतरि

जय चरकाचार्य💐💐

[10/17, 17:12] Prof. Surendra A. Soni: 🙏🏻🌹👏🏻👍🏻👌🏻💐







********************************************************************************************************************************************************************
Above case presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday (Discussion)' a Famous WhatsApp group  of  well known Vaidyas from all over the India. 




Presented by














Vaidya Atul J. Kale
M.D. (K.C.), 
G.A.U., Jamnagar

Clinic address:

Pasaayadan Ayurved and Panchkarma Hospital
(Orthopedic, Spine, Joints and Neurological diseases, Skin diseases and Infertility)

Plot no. 388, Sector 21, Opposite Bajaj Material Gate, Yamunanagar, Nigdi, Pune 411044
Ph. No. 
+91 20 27662222
Cell no. 
+91 9822400728





Compiled & Uploaded by

Vd. Rituraj Verma
B. A. M. S.
ShrDadaji Ayurveda & Panchakarma Center,
Khandawa, M.P., India.
Mobile No.:-
 +91 9669793990,
+91 9617617746

Edited by

Dr.Surendra A. Soni
M.D., PhD (KC) 
Professor & Head
P.G. DEPT. OF KAYACHIKITSA
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, GUJARAT, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150

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