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Case presentation:*नेत्रदृष्टिमांद्य* by Vaidyaraja Subhash Sharma

10/10, 1:01 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*Case presentation*

*नेत्र दृष्टिमांद्य एवं चश्में से मुक्ति*

*तीन वर्ष पूर्व स्वस्थ किये रूग्णा के updates...)*

*कुछ वर्ष पूर्व आपने अनेक रोगियों को स्वस्थ किया वो भी कृच्छ साध्य या असाध्य रोगों मे, अब वे कैसे हैं ? स्वस्थ भी हैं या कहीं रोग पुनः तो नही उद्भव हुआ ?*

*इसका ज्ञान भी आयुर्वेद का प्रमुख अंग है क्योंकि एक आयुर्वेद भिषग्  त्रिकाल की चिकित्सा करता है 
'युक्तिमेतां पुरूस्कृत्य त्रिकालां वेदनां भिषक्, 
हन्तीत्युक्तं चिकित्सा तु नैष्ठिकी सा विनोपधाम।' 
च शा 1/94 
वैद्य त्रिकाल की के रोगों की चिकित्सा करता है क्योंकि उपधा रहित चिकित्सा नैष्ठिकी चिकित्सा है।*
*उपधा धर्म, अधर्म, अज्ञान, वैराग्य, अवैराग्य, एश्वर्य और अनैश्वर्य सात भावों को कहते है।*

*चिकित्सा के पश्चात रोगियों को रसायन चिकित्सा का एक पैकेज दीजिये वो भी ऋतु अनुसार उस से रोग के पुनः आने की संभावना नही होगी और रोगी आप से दीर्घ काल जुड़ कर आयुर्वेद नियमों का पालन कर सदैव स्वस्थ रहता है।*

*चरक चि 26 में नेत्र रोगों का वर्णन करते हुये
 'तेषामभिव्यक्ति... न न: प्रयास' 
च चि 26/131 में 96 प्रकार के नेत्र रोगों में से केवल चार का उल्लेख करते हुये कहा है कि इनका अवलोकन शालाक्य तन्त्र में करना चाहिये यह पराधिकार का क्षेत्र है। सुश्रुत ने उ तन्त्र 1/28 में वातज तथा पित्तज 10-10, कफज 13, रक्तज 16, सर्वज 25 बाह्यज 2 सहित 76 नेत्र रोगो का वर्णन करते हुये स्थान भेद से भी उल्लेख किया है।*

*वागभट्ट ने अतिविस्तार से उत्तर स्थान में इनका वर्णन किया है, उत्तर स्थान 12 अध्याय का नाम ही दृष्टिरोगविज्ञानीय अध्याय रखा है।' सिरानुसारिणि मले प्रथमं पटलं .....छादयेद्दृष्टिमण्डलम्।'
 अ ह उ 12/1-7*
*सिरामार्गों द्वारा अनुसरण कर के जब वातादि दोष प्रथम पटल में स्थान संश्रय कर लेते हैंतब रोगी सासांरिक स्वरूपों को पहले की भांति स्पष्ट नही देख पाता..... विस्तार व्याख्या ग्रन्थ में देखें*

*इस बालिका को तीन वर्ष पूर्व स्वस्थ किया था और आज परिवार के साथ मिलने आई और बताया कि प्रतिवर्ष दीपावली के आसपास दिनों में यह हमारे कथनानुसार 6 सप्ताह सप्तामृत लौह, अतिरिक्त मधुयष्टि गौघृत और मधु के साथ सेवन करती है तथा इसकी दृष्टि अब सम्यक है ।*

*चक्षुष्य और नेत्र्यम् एक दूसरे के पर्यायवाची है जो एक ही संदर्भ में प्रयोग किये जाते है अर्थात नेत्रोंके लिये हितकर द्रव्यों को यह संज्ञा दी गई है जिसमें उनकी कार्मुकता भी है।*
*'मधुकं चक्षुष्यवृष्यकेश्यकण्ठ्यवर्ण्यविरजनीयरोपणीयानां, वायुः प्राणसञ्ज्ञाप्रदानहेतूनाम्' च सू 25/40 मधुक = मधुयष्टि को वृष्य 'स्वस्थस्योर्जस्करं यत्तु तद्वृष्यं तद्रसायनम्' च चि 1.1/5 अर्थात रसायन और चक्षुष्य दोनों ही माना गया है, सप्तामृत लौह में त्रिफला और मधुक ये सभी प्रधान घटक हैं।*

*'मधुरा गुरवो वृष्याश्चक्षुष्याः शोषिणे हिताः' 
सु सू 46/77 में मधुर रस को चक्षुष्य माना गया है।*

*'हरीतक्यामलकबिभीतकानीति त्रिफलाकफपित्तघ्नी मेहकुष्ठविनाशनी चक्षुष्या दीपनी चैव विषमज्वरनाशनी ' 
सु सू 38/56-57 त्रिफला को तो चक्षुष्य माना ही गया है ।*

*'विपाके मधुरं शीतं वातपित्तविषापहम् । 
चक्षुष्यमग्र्यं बल्यं च गव्यं सर्पिर्गुणोत्तरम्' 
सु सू 45/97 
यहां आचार्य डल्हण गौघृत के गुणों का महत्व प्रकट करते हैं कि 'सामान्येन घृतगुणमभिधाय गव्यघृतस्य विशेषगुणमाह- विपाके इत्यादि। चक्षुष्यमग्र्यमिति सर्वचक्षुष्यश्रेष्ठमित्यर्थः। गुणोत्तरं गुणोत्कृष्टम्' चक्षुष्य द्रव्यों में जब घृत का प्रयोग करना है तो वह क्यों श्रेष्ठ है।*

[10/10, 1:01 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*च सू 14/10 में 'वृषणौ ह्रदयं दृष्टी ...मिष्टत:' में स्पष्ट कहा है कि वृषण,ह्रदय और दृष्टि मंडल पर मृदु स्वेद करे या ना ही करें, अगले 11 वें श्लोक में वस्त्र का टुकड़, गूंथा हुआ आटा या कमल पत्रों से नेत्रों को सुरक्षित कर स्वेदन करने के लिये कहा है।*
*चरक ने नेत्र रोगों का वर्णन विस्तार से तो नही किया पर सूत्र रूप में चिकित्सा सार दे दिया कि नेत्र रोगों में शीत स्पर्श और शीतवीर्य औषध द्रव्य रोगी को सात्म्य रहते हैं।*

*रूग्णा वय - 10 वर्ष / F  - वृत्ति student*
*प्रमुख वेदना - बिना चश्मा लगाये दृष्टि मांद्यता,नासा स्राव मुहुर्मुह, प्रात: काल शिरो शूल एवं गुरूता, कदाचित अत्यधिक tv देखने पर या पढ़ने से नेत्र गुरूता,चिड़चिड़ाहट ( irritating behaviour),कृश एवं दुर्बल*

*वेदनावृत्त (H/O present illness) - बालिका को लगभग 3 वर्ष से tonsilitis,गल संक्रमण, पीनस,नासावरोध, पुन: पुन: ज्वर एवं विबंध चला आ रहा था और 6 माह पूर्व ही चश्मा लगा है।*

*पूर्व व्याधि वृत्त (h/o past illness) - जन्म के समय कामला रोग हुआ था जिसके कारण अनेक दिन तक tubelight एवं रोशनी में रखा गया था,तथा एक वर्ष की अवस्था तक allergic bronchitis की चिकित्सा दी गई थी।*

*कुल वृत्त - कोई विशिष्ट व्याधि नही।*

*नाड़ी पित्त-वात, निद्रा  सम्यक, व्यायाम अल्प,*
*आकृति दुर्बल+मध्यम, त्वक किंचित रूक्ष,मल दोपहर में कदाचित विबंध, मूत्र सम्यक,स्वेद सामान्य।*

*परीक्षण - *
*उर्ध्व- ग्रीवा गल तालु जिव्हा औष्ठ दंत कर्ण नासा मुख मस्तक केश केश-भूमि*
*उपरोक्त में गल प्रदेश rt.side tonsilitis एवं नासा प्रदेश मे  अवरोध*
*अन्य प्रदेश का रोग से कोई विशिष्ट संबंध नही।*

*रोग हेतु - अति शीत, artificial flavour,colored,synthetic  एवं अभिष्यंदि पदार्थ जैसे cold drinks, दही, ketchup, vineger, fast food etc.*

*रोग निदान - पीनस जन्य दृष्टिमांद्य*

[10/10, 1:01 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*सम्प्राप्ति घटक...*

*प्राण उदान समान वात*
*पाचक आलोचक पित्त*
*क्लेदक तर्पक कफ*

*दूष्य - रस*
*स्रोतस - अन्न रस*
*दुष्टि - संग विमार्गगमन*
*जाठराग्नि - मंद*
*धात्वाग्नि - रसधात्वाग्निमांद्य*
*दोष/धातु - साम*
*अधिष्ठान - आभ्यंतर*
*कोष्ठ - मध्य*
*देश - साधारण / जन्म  साधारण/ वृद्धि   आनूप/ व्याधि*
*व्याधि काल - वृद्धि  ऋतु संधिकाल एवं शीत/ ह्रास ग्रीष्म।*
*सार - रस रक्त मांस मेद अस्थि मज्जा शुक्र सत्व*
*10 वर्ष की अवस्था वृद्धिकाल होने से एवं व्याधि का विशिष्ट संबध ना होने से सार, संहनन आदि की विशेष आवश्यकता नही है।*
*साध्यतासाध्यता - साध्य*

*चिकित्सा सूत्र - दीपन पाचन कफछेदन कण्ठय चक्षुष्य नस्य बृहंण एवं रसायन।*

*औषध - सितोपलादि चूर्ण 1gm+ टंकण भस्म 100 mg + श्रंग भस्म 50 mg + सप्तामृत लौह 500 mg+ मधुयष्ठि चूर्ण 1gm मधु से प्रात: 7 बजे एवं सांय 6 बजे।*
*महात्रिफला घृत 5-5 gm साथ में दिया गया।*
*प्रात खाली पेट औषध दे कर सुबह bfast स्कूल में 10:30 पर करती थी और रात्रि भोजन 8 बजे।*

*सोने से 1 घंटा पूर्व अणु तैल 3-3 बूंद दोनों नाक में नस्य।*
*भोजन के बाद दोपहर रात 1-1 गोली गंधक वटी+सुदर्शन घन वटी।*
*कण्ठय के रूप में दिन में दो बार पान की जड़ का छोटा टुकड़ा चूषणार्थ।*

*पथ्य - भोजन गौघृत में, गौदुग्ध एवं सात्विक भोजन।*
*अपथ्य - सर्वप्रथम लिखे रोग के हेतु।*
*विहार - सुबह जल्दी उठकर 20 मिनट park में नंगे पैर हरी घास पर चलना।*

*report इस प्रकार मिली...*

10-5-2019

Rt eye
CYL +100  AXIS 90
Lt eye 
CYL + 025
AXIS 90

20-7-2019

*clear vision*
*see report * 👇🏿


[10/10, 5:24 AM] Dr.Deepika: 

प्रणाम गुरुवर  आजकल छोटी age में chasma लगना common सी समस्या है,मेरी 7वर्ष की बेटी को भी लगा है, सप्तामृत loh dhootpapeshear ki di,kya ye ठीकहै, उसका weight 18kg hai to dose kitni deni chahiye.

[10/10, 6:01 AM] Dr.Deepika: 

गुरुवर जिस प्रकार इस rugna में peenas जन्य दृष्टिमंद्य आपने  बताया, ठीक उसी तरह पिछले कुछ दिन में दो बच्चे जो की पीना जन्य कर्ण रोग से ग्रस्त थे,sensory neural hearing loss, उनकी आगे 10 से 15 वर्ष के बीच थी,दोनो को recurrent cold , नासा अवरोध ,ऐसे लक्षण की हिस्ट्री थी।इस तरह के कर्ण रोग के बारे में कुछ प्रकाश डालिए गुरुवर🙏

[10/10, 7:29 AM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

ऊँ
सुप्रभातसादर प्रणाम मान्य .वैद्यवर जी
चक्षुष्य द्रव्यों की विचारणा में घृत तो अग्र्य है ही।
इसके साथ मधुयष्टी मिल जाय तो कहना ही क्या क्योंकि सूर्योत्पन्न चक्षु के लिये दोनों ही परम हितावह हैं। जितने भी वृष्यद्रव्य,शुक्रल द्रव्य वे सभी नेत्र हितकारी हैं। जो दोनों ही द्रव्यों में यह कर्म सन्निहित हैं।
मधुयष्टी वृष्य, रसायन के साथ महत्वपूर्ण जीवनीय(जीवनीय महाकषाय) है। दाह, वेदना, रुजाशमनार्थ सर्वत्र महर्षि सुश्रुत ने इसका मुक्तहस्त से वरण किया है (सु.चि2/48 व अनेक सन्दर्भ)।
चक्षुष्य में मुण्डी, अगस्त्य को भी सहभागी बनाना पडेगा।
गोरक्षमुण्डी(इन्द्रियों में प्रधान नेत्र मुण््ड(गोलक)की रक्षक,पोषक),
श्रावणी, श्रवणशीर्षिका(श्रवणनक्षत्रेक्षगते सूर्ये शीर्ष ं फलं जायतेअस्याः The plant flowers in winter and their after after brears 
Fruits in sravan contellation )
पर्याय नेत्ररक्षा द्योतग हैं।
आप ज्योतिषीय विद्या में.भिग्य हैं।अतःश्रवणनक्षत्र में सूर्यदेव के अन्तरण तथा नेत्रप्रभाव को इसकाल में स्पष्टीकरण कर सकते हैं।
शरद के आगमन के साथ अगस्त्य नक्षत्र का उदय व तभी अगस्त्य में पुष्पोद्गम (प्रयोज्यांग शाक रुप में),
कुम्भयोनि (कुम्भाकार नेत्रगोलक,) अर्धेन्दुपुष्पक(having flowers of semi-lunar shapeप्रियनिघण्टु) आदि पर्याय अगस्त्य के चक्षुहितकारी कर्म को प्रदर्शित करते हैं। पुष्पों का शाकार्थ प्रयोग हेतु अमृतमहोत्सव के पोषण पक्ष में जनसामान्य में सेवनार्थ जागृति सन्देश आयुर्वेदज्ञों को विश्व 
 में देना चाहिये।
सद्गगुरुदेवाय आचार्य प्रियव्रत शर्मणो सादर नमः।
🚩😌


[10/10, 7:33 AM] Dr. Vandana Vats Madam Canada: 

चरणवंदन गुरूवर 
🙏
प्रातःकालीन प्रणाम समस्त काय संप्रदाय परिषद🙏


बहुत ही सराहनीय चिकित्सा व्यवस्था। 
आजकल अधिकतर बालक इसी से पीड़ित हैं। सर भूरि मिर्च को  गोधृत मे शरद पूर्णिमा को भिगोकर रखना 15 दिन फिर देसी खण्ड व दूध के साथ-खाना ऐसा लोक प्रचलित है , दृष्टि मांद्य मे दिया जाता था। चंद्रमा, सोम दृष्टि का देव है। भूरि मिर्च के गुण धर्म किस प्रकार समझ सकते है?🙏

[10/10, 8:27 AM] Dr Sanjay Dubey: 

अगस्त्य पुष्प को आचार्य सुश्रुत ने night blindness में प्रशस्त माना है |
आगस्त्यं नातिशीतोष्णं नक्तान्धानां प्रशस्यते | 
मैने सुना है की अगस्त के फूल की पकौड़ियां भी पहले लोग खाते थे |
🙏🙏🙏

[10/10, 8:31 AM] Dr Laxmidutta shukla: 

In netra narikel JAL,yasti, punarnava nirmali ghan pakdravy is useful
Twenty us this netrajivan was inmarket
Now not available
formula is in 'n'prakaran Dravya of sudhanidhi

[10/10, 9:05 AM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

ऊँ
अगस्त, अगतयो
ग्रन्थ खोलने(द्रव्यगुण विज्ञान)खोलकर पढने का अभ्यास डालें। पोस्ट लिखने से पहले प्रयास करें। बना बनाया मशाला चाहते हैं?🚩👏
Dr. Deepika ji !

[10/10, 9:07 AM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

ऊँ
सेवन करें।सुस्वादु शाक व पकौड़ा आदि बनता है।🚩👏

[10/10, 9:14 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

RRS 🙏🏼🙂me jyotismati tail+gandhak+Ghrit sharkara, Rasayan prayog hai.upyogi parinam milega.dekhiye.

[10/10, 9:18 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

*सुप्रभात नमस्कार शुभमस्तु 😌🙏🏼* *पान की जड़* ? / कुलंजन ( *मलयवचा* ) या कुछ अन्य ही।

[10/10, 9:24 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

लोह दोष द्रावणार्थ , विड़ंग+अगस्त्य संस्तुति है।" *मुनिरस पिष्ट* *विड़ंगमथ....* द्रावयति लोहदोषान्। इत्यादि ना।🙏🏼🙂

[10/10, 9:24 AM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

ऊँ
ज्योतिष्मती-
ज्योतिर्मेधा , तदप्रदत्वाच्च, ज्योतिरग्निः, तद्वती उष्णवीर्या च ।
नव🚩👏पत्र घृतभर्जितकर शाकरुप में प्रयुक्त।

[10/10, 9:24 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

नारिकेलांजन

[10/10, 9:25 AM] Dr Mansukh R Mangukiya Gujarat: 

🙏 प्रणाम स्वीकार करे गुरुवर !

[10/10, 9:26 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

तैल+गंधक घृत शर्करा। क्षीरेण।

[10/10, 9:29 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir:

 भुरि मिर्च?

[10/10, 9:30 AM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

ऊँ
ज्योषमती मेध्या(रा.)जो है।
जितने मेध्य द्रव्य हैं लगभग सभी चक्षुष्य होंगे।
सादर प्रणाम गुरुदेव जी

[10/10, 9:34 AM] Dr. Shekhar Singh Rathore Jabalpur: 

सफ़ेद मिर्च
 white paper

[10/10, 9:38 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

लेटिननेम- मरिच का या सहंजने का।

[10/10, 9:41 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

लेटिननेम- मरिच का या सहंजने का।     
 मधुमालिनी वसन्त में *मरिचमणि*= छिलका हटाई हुई मरिच।                           वैसे  सफ़ेद मरिच =शिग्रु के बीज 🙂🙏🏼

[10/10, 10:11 AM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

ऊँ
सुश्रुत ने तो उ.तन्त्र में श्वेत मरिच से शिग्रु बीज (डल्हण सहित)लिया है जो चक्षुष्य शाकों में उल्लिखित है।
व्यवहार में छिलका रहित मरिच को 
प्रयोग करते हैं।🚩😌👏

[10/10, 10:21 AM] Prof. Giriraj Sharma: 

🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻
आदरणीय सादर नमन
कृष्ण मरिच एवं श्वेत मरिच भिन्न है या कृष्ण मरिच ही कालांतर या घर्षण जन्य संस्कार से कृष्ण से श्वेत वर्ण (छिलका उतरने के कारण) हो जाती है ,,,
इनके रस वीर्य विपाक में भिन्नता होती है क्या,,,,
छिलके के गुण धर्म अलग है 
🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[10/10, 10:38 AM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

ऊँ
छिलका हटाने से श्वेताभ।
सापेक्षरुप से उष्ण, तीक्ष्णता न्यून ।
 छिलके में pungentness तैलीयांश के कारण अधिक।

[10/10, 10:48 AM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

ब्रम्ह कमल Sassurea. Phalataभी(प्रपौण्डरीक)भी चक्षुष्य।वैसे कमल भी।

[10/10, 11:05 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

Dhyan rahe maric ka shodhan bhi hota hai.

[10/10, 11:24 AM] Dr. Vandana Vats Madam Canada: 

प्रणाम सर 
सफेद मिर्च को ही पंजाबी स्थानिक भाषा में भूरि कहा जाता है। हमारे यहाँ तो ग्रामीण क्षेत्रो मे अत्यधिक गोरे, fair complexions वाले बच्चों का नाम भी भूरा/भूरी रख दिया जाता है जो सारी उम्र इन्ही नामों से जाने जाते है।
And now in Punjabi music industry में word *brown मुण्डे* लोकाचार में से आया है।
 🙏
फिर यह छिलका रहित श्वेत कम तीक्ष्ण, उण्ण,  व प्रभावानुसार कैसे चक्षुष्य कर्म करती है?, कृप्या मार्ग दर्शन करे।
🙏
 गोघृत में 15 दिन भिगोकर रखने से क्या तीक्ष्णता कम हो जाती है?

[10/10, 11:52 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

chilka rahit ko *marica mani* kaha, ref. madhu malini Vasant.  Vanha kaam karti to yanha cakshushya me mana kyon karaegi.                 Marica ka shodhan dekhe kanhi takra ka upyog kiya .

[10/10, 11:56 AM] Dr. Vandana Vats Madam Canada: 

Ji sir धन्यवाद 🙏
चक्षुष्य कर्म तो है ही लोकाचार व शास्त्र दोनो मे प्रचलित। 
🙏
[10/10, 12:07 PM] Dr. Vandana Vats Madam Canada: 

नही सर, शंका नही पूर्ण विश्वास है। हम केवल स्फेद मिर्च के गुणधर्म जानना चाहते है।
सर हमे खुद हमारी दादी ने जब हम 12,वर्ष की थी( having myopic eye, rt-- 0 .5/left --1.5, number tha) 2_3 वर्ष शरद ऋतु में खिलाया।   नेत्र ज्योति बढी, चशमा नही लगाया, 
आज भी 49 की वय मे आंखे चश्मारहित है।
हमरा तो अटूट विश्वास है इस पर।
🙏

[10/10, 12:17 PM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

Shigru beeja Na.                        Yaa marica Mani (bhuri) chilka rahit . Bazaar me marica kachilka hata kar khatika ka avgunthan kar bechte hai (pearl coating) .notic kariyega.

[10/10, 12:18 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*आपके विशिष्ट ज्ञान ने आनंद से भर दिया ❤️🌹आचार्य जायसवाल जी*

[10/10, 12:24 PM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

Ye tailiyans khatika lepan se bhi kam hota hai.

[10/10, 12:28 PM] Dr Arun Tiwari: 

शरद ऋतु में पिताजी नारियल कतरन घिसा  हुआ और मरिच को रात्रि में रखते थे।उसे कुछ दिन तक खिलाया करते थे।
गांवों में रक्तविकार शीत पित्त आदि होने पर बीमार आते हैं तो यही कहते थे काली मिर्च और गाय का घी तो खा लिया है।काली मिर्च के साथ घृत या नारियल जरूरी है।जो शायद योगवाही का काम करता है।🙏

[10/10, 12:58 PM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

Bhallatak satmya na ho un me satmya karne ke liye ,ghrita -marica bhakshnam 11-21 ka keamavraddha matra me prayog karte fir maric kam karte jaate ,mareca praman bhallatak badhate jaate hai to bhallatak saatmya hota  , Rudra yamala jalsiddhi Kalpa.                          Bhallatak ki matra saatmyapekshni hai.cd me

[10/10, 1:01 PM] Vaidya B. L. Gaud Sir: 

बिल्कुल सही है मधुयष्टी का प्रयोग जितना सुश्रुत ने किया है उतना चरक ने नहीं किया।
अगस्त्य के पुष्प उपलब्ध यदि हों पर्याप्त मात्रा में तो शाक बनाने में कहीं दिक्कत नहीं है जैसा कि बंगाल में ब्राह्मी और शंखपुष्पी बहुतायत में पालक की तरह बाजार में मिला करती थी पहले आजकल का तो पता नहीं है इसी तरह सन 2000 में जब मैं श्रीलंका में था 2 महीने रहे  वहां पर्याप्त मात्रा में शंखपुष्पी पालक की तरह है सब्जी के लिए बिका करती थी।
एक सुझाव और है 
सद्गुरुदेवायाचार्याय श्रीप्रियव्रतशर्मणे नमः।।
यों लिखा करें
क्योंकि शर्मणो षष्ठी विभक्ति है और शर्मणे चतुर्थी विभक्ति है। नम: के साथ चतुर्थी विभक्ति आया करती है
इसके अतिरिक्त पूरा नाम एक ही पंक्ति में आना चाहिए बीच में स्पेस होना भी अशुद्ध है। इसे अन्यथा न लें। आशीर्वाद !

[10/10, 10:50 PM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

ऊँ
सादर प्रणाम गुरुदेव जी
त्रुटियों के परिमार्जन हेतु आभार ।👏🚩आज भी ब्राह्मी शाक रुप में कोलकाता, पुरी, वाराणसी आदि स्थानों पर बिकती है।

[10/10, 10:51 PM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

ऊँ
सादर प्रणाम वैद्य वर जी
सद्गगुरुदेव जी की कृपा है।🚩🚩👏







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Above case presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday (Discussion)' a Famous WhatsApp group  of  well known Vaidyas from all over the India.****************************************************************************************************************************************************************

Presented by-










Vaidyaraja Subhash Sharma

MD (Kaya-chikitsa)

New Delhi, India

email- vaidyaraja@yahoo.co.in


Compiled & Uploaded by-

Vd. Rituraj Verma
B. A. M. S.
Shri Dadaji Ayurveda & Panchakarma Center,
Khandawa, M.P., India.
Mobile No.:-
 +91 9669793990,
+91 9617617746

Edited by-

Dr. Surendra A. Soni
M.D., PhD (KC) 
Professor & Head
P.G. Dept of Kayachikitsa
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, Gujarat, India.
Email: kayachikitsagau@gmail.com

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Admin note:  Prof. M.B. Gururaja Sir is well-known Academician as well as Clinician in south western India who has very vast experience in treatment of various Dermatological disorders. He regularly share cases in 'Kaysampraday group'. This time he shared cases in bulk and Ayu. practitioners and students are advised to understand individual basic samprapti of patient as per 'Rogi-roga-pariksha-vidhi' whenever they get opportunity to treat such patients rather than just using illustrated drugs in the post. As number of cases are very high so it's difficult to frame samprapti of each case. Pathyakram mentioned/used should also be applied as per the condition of 'Rogi and Rog'. He used the drugs as per availability in his area and that to be understood as per the ingredients described. It's very important that he used only 'Shaman-chikitsa' in treatment.  Prof. Surendra A. Soni ®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®® Case 1 case of psoriasis... In this ...

Case presentation: Vrikkashmari (Renal-stone)

On 27th November 2017, a 42 yrs. old patient came to Dept. of Kaya-chikitsa, OPD No. 4 at Govt. Ayu. College & Hospital, Vadodara, Gujarat with following complaints...... 1. Progressive pain in right flank since 5 days 2. Burning micturation 3. Dysuria 4. Polyuria No nausea/vomitting/fever/oedema etc were noted. On interrogation he revealed that he had h/o recurrent renal stone & lithotripsy was done 4 yrs. back. He had a recent 5 days old  USG report showing 11.5 mm stone at right vesicoureteric junction. He was advised surgery immediately by urologist. Following management was advised to him for 2 days with informing about the possibility of probable emergency etc. 1. Just before meal(Apankal) Ajamodadi choorna     - 6 gms. Sarjika kshar                - 1 gm. Muktashukti bhasma    - 250 mgs. Giloyasattva                 - 500 mgs...

WhatsApp Discussion Series: 24 - Discussion on Cerebral Thrombosis by Prof. S. N. Ojha, Prof. Ramakant Sharma 'Chulet', Dr. D. C. Katoch, Dr. Amit Nakanekar, Dr. Amol Jadhav & Others

[14/08 21:17] Amol Jadhav Dr. Ay. Pth:  What should be our approach towards... Headache with cranial nerve palsies.... Please guide... [14/08 21:31] satyendra ojha sir:  Nervous System Disorders »  Neurological Disorders Headache What is a headache? A headache is pain or discomfort in the head or face area. Headaches vary greatly in terms of pain location, pain intensity, and how frequently they occur. As a result of this variation, several categories of headache have been created by the International Headache Society (IHS) to more precisely define specific types of headaches. What aches when you have a headache? There are several areas in the head that can hurt when you have a headache, including the following: a network of nerves that extends over the scalp certain nerves in the face, mouth, and throat muscles of the head blood vessels found along the surface and at the base of the brain (these contain ...

WhatsApp Discussion Series:18- "Xanthelasma" An Ayurveda Perspective by Prof. Sanjay Lungare, Vd. Anupama Patra, Vd. Trivendra Sharma, Vd. Bharat Padhar & others

[20/06 15:57] Khyati Sood Vd.  KC:  white elevated patches on eyelid.......Age 35 yrs...no itching.... no burning.......... What could be the probable diagnosis and treatment according Ayurveda..? [20/06 16:07] J K Pandey Dr. Lukhnau:  Its tough to name it in ayu..it must fall pakshmgat rog or wartmgat rog.. bt I doubt any pothki aklinn vartm aur klinn vartm or any kafaj vydhi can be correlated to xanthelasma..coz it doesnt itch or pain.. So Shalakya experts may hav a say in ayurvedic dignosis of this [20/06 16:23] Gururaja Bose Dr:  It is xantholesma, some underline liver and cholesterol pathology will be there. [20/06 16:28] Sudhir Turi Dr. Nidan Mogha:  Its xantholesma.. [20/06 16:54] J K Pandey Dr. Lukhnau:  I think madam khyati has asked for ayur dignosis.. [20/06 16:55] J K Pandey Dr. Lukhnau:  Its xanthelasma due to cholestrolemia..bt here we r to diagno...

WhatsApp Discussion Series 47: 'Hem-garbh-pottali-ras'- Clinical Uses by Vd. M. Gopikrishnan, Vd. Upendra Dixit, Vd. Vivek Savant, Prof. Ranjit Nimbalkar, Prof. Hrishikesh Mhetre, Vd. Tapan Vaidya, Vd. Chandrakant Joshi and Others.

[11/1, 00:57] Tapan Vaidya:  Today morning I experienced a wonderful result in a gasping ILD pt. I, for the first time in my life used Hemgarbhpottali rasa. His pulse was 120 and O2 saturation 55! After Hemgarbhapottali administration within 10 minutes pulse came dwn to 108 and O2 saturation 89 !! I repeated the Matra in the noon with addition of Trailokyachintamani Rasa as advised by Panditji. Again O2 saturation went to 39 in evening. Third dose was given. This time O2  saturation did not responded. Just before few minutes after a futile CPR I hd to declare him dead. But the result with HGP was astonishing i must admit. [11/1, 06:13] Mayur Surana Dr.:  [11/1, 06:19] M gopikrishnan Dr.: [11/1, 06:22] Vd.Vivek savant:         Last 10 days i got very good result of hemgarbh matra in Aatyayik chikitsa. Regular pt due to Apathya sevan of 250 gm dadhi (freez) get attack asthmatic t...

DIFFERENCES IN PATHOGENESIS OF PRAMEHA, ATISTHOOLA AND URUSTAMBHA MAINLY AS PER INVOLVEMENT OF MEDODHATU

Compiled  by Dr.Surendra A. Soni M.D.,PhD (KC) Associate Professor Dept. of Kaya-chikitsa Govt. Ayurveda College Vadodara Gujarat, India. Email: surendraasoni@gmail.com Mobile No. +91 9408441150

UNDERSTANDING THE DIFFERENTIATION OF RAKTAPITTA, AMLAPITTA & SHEETAPITTA

UNDERSTANDING OF RAKTAPITTA, AMLAPITTA  & SHEETAPITTA  AS PER  VARIOUS  CLASSICAL  ASPECTS MENTIONED  IN  AYURVEDA. Compiled  by Dr. Surendra A. Soni M.D.,PhD (KC) Associate Professor Head of the Department Dept. of Kaya-chikitsa Govt. Ayurveda College Vadodara Gujarat, India. Email: surendraasoni@gmail.com Mobile No. +91 9408441150

Case-presentation- Self-medication induced 'Urdhwaga-raktapitta'.

This is a c/o SELF MEDICATION INDUCED 'Urdhwaga Raktapitta'.  Patient had hyperlipidemia and he started to take the Ayurvedic herbs Ginger (Aardrak), Garlic (Rason) & Turmeric (Haridra) without expertise Ayurveda consultation. Patient got rid of hyperlipidemia but hemoptysis (Rakta-shtheevan) started that didn't respond to any modern drug. No abnormality has been detected in various laboratorical-investigations. Video recording on First visit in Govt. Ayu. Hospital, Pani-gate, Vadodara.   He was given treatment on line of  'Urdhwaga-rakta-pitta'.  On 5th day of treatment he was almost symptom free but consumed certain fast food and symptoms reoccurred but again in next five days he gets cured from hemoptysis (Rakta-shtheevan). Treatment given as per availability in OPD Dispensary at Govt. Ayurveda College hospital... 1.Sitopaladi Choorna-   6 gms SwarnmakshikBhasma-  125mg MuktashuktiBhasma-500mg   Giloy-sattv...

Case-presentation: 'रेवती ग्रहबाधा चिकित्सा' (Ayu. Paediatric Management with ancient rarely used 'Grah-badha' Diagnostic Methodology) by Vd. Rajanikant Patel

[2/25, 6:47 PM] Vd Rajnikant Patel, Surat:  रेवती ग्रह पीड़ित बालक की आयुर्वेदिक चिकित्सा:- यह बच्चा 1 साल की आयु वाला और 3 किलोग्राम वजन वाला आयुर्वेदिक सारवार लेने हेतु आया जब आया तब उसका हीमोग्लोबिन सिर्फ 3 था और परिवार गरीब होने के कारण कोई चिकित्सा कराने में असमर्थ था तो किसीने कहा कि आयुर्वेद सारवार चालू करो और हमारे पास आया । मेने रेवती ग्रह का निदान किया और ग्रह चिकित्सा शुरू की।(सुश्रुत संहिता) चिकित्सा :- अग्निमंथ, वरुण, परिभद्र, हरिद्रा, करंज इनका सम भाग चूर्ण(कश्यप संहिता) लेके रोज क्वाथ बनाके पूरे शरीर पर 30 मिनिट तक सुबह शाम सिंचन ओर सिंचन करने के पश्चात Ulundhu tailam (यह SDM सिद्धा कंपनी का तेल है जिसमे प्रमुख द्रव्य उडद का तेल है)से सर्व शरीर अभ्यंग कराया ओर अभ्यंग के पश्चात वचा,निम्ब पत्र, सरसो,बिल्ली की विष्टा ओर घोड़े के विष्टा(भैषज्य रत्नावली) से सर्व शरीर मे धूप 10-15मिनिट सुबज शाम। माता को स्तन्य शुद्धि करने की लिए त्रिफला, त्रिकटु, पिप्पली, पाठा, यस्टिमधु, वचा, जम्बू फल, देवदारु ओर सरसो इनका समभाग चूर्ण मधु के साथ सुबह शाम (कश्यप संहिता) 15 दिन की चिकित्सा के ...