[3/17, 1:16 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*case presentation -
कफावृत्त उदान (Hypothyroidism)*
*रूग्णा - 36 वर्षीया/ विवाहित/ IT job*
*लक्षण -*
*आलस्य (साम वात, कफ)*
*अनवस्थित चित्त एवं विभ्रम (वात)*
*आलस्य, अंगसाद, गौरव, अंगमर्द -
(साम वात, साम रस, कफ, मांस, मेद, च.चि.28)*
*दौर्बल्य एवं अंग ग्रह
(साम रस, मेद गत वात)*
*गुल्फ, पृष्ठ , हस्त-पाद जाढ्यता युक्त पीढ़ी
(साम वात, मांस धातु)*
*स्थौल्य - मेदो वृद्धि
(साम मेद, मेदोगत कफ)*
*विबंध -
(साम वात अ.सं सू., पक्वाश्य गत वात)*
*अवसाद
(साम रस, कफ, तमो गुण वृद्धि)*
*गल प्रदेश शोथ
(साम कफ, साम मेद, साम मांस, कफ)*
*स्वर गुरूता एवं स्वर भंग, स्वर का पुरूष सदृश हो जाना
(उदान वात)*
*कदाचित सर्वांग अथवा मुख शोथ
(साम कफ)*
*स्वभाव असहिष्णुता
(वात)*
सम्प्राप्ति-घटक:
*दोष - वात (प्राण, उदान, समान और व्यान)*
*पित्त (पाचक पित्त की दुष्टि)*
*कफ - (क्लेदक)*
*दूष्य - रस धातु *
*स्रोतस - रस, मांस एवं मेदोवाही*
*अग्नि - जाठराग्नि और धात्वाग्नि*
*दुष्टि - संग*
*उद्भव स्थल - आमाश्य*
*अधिष्ठान - गल प्रदेश*
27-1-23-
TSH - 10.48 (--4.20)
10-3-23-
TSH - 6.17 ( --5.33)
*कुल चिकित्सा 28 दिन दी गई*
चिकित्सा-व्यवस्था:-
*50 ml हरा धनिया स्वरस*
*सप्ताह में तीन दिन सिंघाड़े के आटे की रोटी*
*50 gm मखाना गौघृत में roast कर*
*सप्ताह में दो दिन कमल ककड़ी की सब्जी*
*गौमूत्र हरीतकी 1 -1 gm दो बार*
*कांचनार गुग्गलु 500 mg दो बार*
*नित्यानंद 300 mg दो बार*
*आरोग्य वर्धिनी 1 gm दो बार*
[3/17, 6:59 AM] Dr. Ashwani Kumar Sood:
अत्यंत ज्ञान वर्धक 👌🏻
[3/17, 8:12 AM] Vd.Falguni:
Significant results.
Pranam Sir ji !
Dhniya juice and shingada ki roti...Kamal kakdi sabji?
Ras dhatu kyu Diya
This i want to know
And
Nityanand ras today i read
After that if i don't understand
I need your guidance
Why you plan it?
Entire Dosh duahya Samurchna
Undertood very well
Sir ji
Thank you so much for beginners and students of Ayurveda.
[3/17, 8:48 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*फाल्गुनी जी, नमस्कार ... hypothyroidism के रोगियों में धनियां स्वरस, सिंघाड़ा fresh या जब उपलब्ध ना हो तो इसके आटे की रोटी, कमल ककड़ी और मखाने इनका हम जैसे प्रयोग करने के लिये कहते हैं पहले कर के तो देखिये, यह भी एक बहुत बढ़ा आहार का एक विज्ञान है और बहुत ही विस्तृत विषय है जिसे समय मिलने पर स्पष्ट अवश्य करेंगे।*
*आधे से अधिक रोगी तो आप आहार, पथ्य और दिनचर्या से ही ठीक कर सकते है तथा अनेक रोगों का निदान उपश्य-अनुपश्य से, औषध का नम्बर तो रोगी में बहुत बाद में आता है।अगर अंशाश कल्पना सीख जायें कि रोगी में कहां और कैसे applicable है तो चिकित्सा सरल ही हो गई।*
*92 % रोगियों को औषध की आवश्यकता नहीं है, 8% जो बचते हैं वो surgery, emergency या औषध ही अब आवश्यक है जीवन रक्षक या जीर्ण रोगों में ये वो हैं।*
*हमें तो आयुर्वेद में 40 वर्षों की practice में यही मिला है, मानस रोगी लगभग सभी हैं पर वे अपने को मानते नही, उनको meditation और वार्तालाप से ठीक कर देते है।*
*रही बात नित्यानंद रस की तो कांचनार गुग्गुलु के साथ इसे भी स्पष्ट कर देते है..*
*कांचनार गूगल - कफ वात हर, ग्रन्थि, अर्बुद, गंडमाला आदि नाशक ।*
*नित्यानंद रस - कफ वात प्रधान रोगों में अति उत्तम है, पाचन, शोथघ्न, ग्रन्थि हर और रसायन कर्म करता है।*
[3/17, 8:54 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*आजकल अधिकतर मनुष्यों से मिल कर देर तक बात करिये तो लगेगा कि आचार्य चरक ने जो लिखा है कुछ लक्षण इसमें वही है और कहीं यह भी अतत्वाभिनिवेश तो नही ! क्योंकि अब लोग अतत्वाभिनिविष्ट type हो गये है, typed बन चुके हैं चाहे वह किसी भी field में हों, दूसरे को सुनना या समझना ही नही चाहते केवल उन्हे अपने से मतलब है।
'एको महागद इति अतत्वानिभिवेश: च सू 19/8
इस पर चक्रपाणि ने विस्तार पूर्वक लिखा है कि 'अतत्वाभिनिवेशो मानसो विकार: स च सर्वसंसारिदु:खहेतुतया गद इति उच्यते' आचार्य चक्रपाणि ने तो सर्व संसार के दुखों का कारण ही अतत्वाभिनिवेश इस मानस विकार को कहा है पर यही शरीर को सर्वाधिक प्रभावित भी कर रहा है।*
*चरक में इसे महागद कहा है पर अन्यत्र इसमें बुद्धि और स्मृति के भ्रंश होने पर गदोद्वेग, तत्वोन्माद और अपस्मार आदि भी वर्णित हैं।
'विषमां कुरूते बुद्धिं'
अर्थात जब बुद्धि सम होती है तो तत्व का अभिनिवेश या तत्वोन्माद और विषम बुद्धि में अतत्वोन्माद होता है। तत्वोन्माद आजकल सर्वाधिक है यह मन की एक भ्रमात्मक मोह की अवस्था है जिसे हर्ष मोह एवं ब्रह्म मोह नाम से भी जाना जाता है।अत्यन्त तीव्र और कुशाग्र बुद्धि के लोग,मेधावी और ऊर्जा से ओतप्रोत लोगों में सर्वाधिक है जो IT, BUSINESS या RESEARCH के क्षेत्र में है, teaching या research में हैं तथा साधारण मनुष्यों से अधिक बुद्धि के हैं और किसी भी कारण से मन को पीढ़ा होने से, आहत होने से विषाद उत्पन्न हो जाता है और वो मार्ग से विमुख हो जाता है इसी प्रकार कुछ लोग अपने को अति महान समझ कर दैवीय या आध्यात्मिक शक्तियों से सम्पन्न समझने लगते है। दूसरा जो अपदार्थगद कहा है वो इसलिये कि यथार्थ का अभाव, जो स्थिति है उसे वैसा ग्रहण ना कर के किसी अन्य प्रकार से ग्रहण करना। जैसे वातिक ग्रहणी में मल का आगमन नही होता पर मल की शंका बना कर रखना और बार बार मल त्याग के लिये जाना। यह एक भ्रम की स्थिति है जिसे गदोद्वेग भी कहा है। यह सब रज और तम वृद्धि से है जिसके कारण बुद्धि और मन
'ह्रदयं समुपाश्रित्यमनोबुद्धिवहा: सिरा:, दोषा: सन्दूष्य तिष्ठन्ति रजोमोहावृतात्मन:'
च चि 10/58
उक्त दोषों से आवृत्त हो जाते हैं।*
[3/17, 8:59 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*आयुर्वेद में direct संहिता ग्रन्थ पढ़े और आचार्य चक्रपाणि या डल्हण टीका के साथ तो प्रतीत होगा कि यह सब वर्तमान और भविष्य दोनों को ही स्पष्ट कर रहे है, मनुष्यों के जीवन और रोगों का मूल यहीं मिल रहा है कि गलती कहां हो रही है।*
[3/17, 8:59 AM] Vd.Falguni:
गुरु जी धन्यवाद आपका मानती हूं
सिंघाड़ा यह पढ़ना पड़ेगा
मुझे नहीं पता
धनिया शीत वीर्य है
आम पाचन करता है
पित्त शामक है
आपकी बात सच्ची है
१००% आहार पथ्य पालन से परिणाम मिलता ही है
रहा जीर्ण उसमे औषधि आयोजन जरूरी है
मेरा इतना अभ्यास नहीं है
अभ्यास पिछले 3 वर्ष से ही करती हूं तब जाके कुछ कुछ समझ में आता है
अंशांश कल्पना सीखना यह लक्ष्य है
[3/17, 9:00 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*धीरे धीरे सब सीख जायेंगे, आयुर्वेद की साधिका बने रहें बस 🌹🙏*
[3/17, 10:07 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*धनिया शीत वीर्य है या उष्ण वीर्य क्योंकि इसके बीजों का फांट भी हम देते है, एक बार भा प्र हरितक्यादि वर्ग देखिये तो उत्तर मिलेगा कि साम रस धातु गत रोगों में हम क्यों देते हैं,*
*'धान्यकं तुवरं स्निग्धमवृष्यं मूत्रलं लघु तिक्तकटूष्णवीर्यञ्च दीपनं पाचनंस्मृतम् । ज्वरघ्नं रोचकं ग्राहि स्वादुपाकि त्रिदोषनुत् तृष्णादाहवमिश्वास कास कार्श्य क्रिमिप्रणुत् आर्द्रन्तु तद्गुणं स्वादुविशेषात्पित्तनाशनम् ' 86-88*
*धनिया हम विभिन्न अवस्थाओं में औषध रूप में प्रयोग करते हैं, धान्यक को भावप्रकाश हरीतक्यादि वर्ग में देखिये त्रिदोष नाशक, उष्णवीर्य, दीपन पाचन के साथ अवृष्य भी कहा है। अति आर्तव में हम रूग्णाओं को हरे धनिये का स्वरस सेवन कराते हैं क्योंकि यह ग्राही कर्म करता है और युवाओं में उत्तेजना को कम करता है।जन्माष्टमी पर धनिये का प्रसाद मिश्री मिलाकर दिया जाता है यह हमें कुछ सन्यासियों के साथ रहने पर पता चला कि धनिया और नीम पत्र उनको नित्य दिया जाता है यह कह कर कि यह शरीर और मन के लिये अच्छा है पर दोनों ही कामुकता को कम करते हैं, erection में कमी लाते हैं अगर अति मात्रा में सेवन करें तब।*
[3/17, 10:11 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*रस से, गुण से, वीर्य, विपाक और प्रभाव ये द्रव्य कहां और कैसे काम करते हैं यह आप द्रव्य को प्रयोग कर के ही जान सकते हैं।*
[3/17, 11:45 AM] Prof. Madhava Diggavi Sir:
Ji sir ..a person who takes the charge of sanyasa will be administered with nimba i know to reduce kaama. Haritaki also. And now I learnt that dhaniya.. avrushya. Shukra shoshaka effect of nimba atiyoga in meharoga prescription should be carefully observed. However haritaki prasha leha form is not shukrahara.
Ji sir dhanyawad
[3/17, 12:48 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:
*1)Is this first reading ?*
*2)Any other drug history prior to start your treatment.?.*
Subhash Sir !
[3/17, 1:22 PM] Dr. Vandana Vats Patiyala:
प्रणाम गुरुवर🙏
आहार, विहार, दिनचर्या, ऋतु चर्या तो हमारी चिकित्सा के प्रमुख शस्त्र है।
आपके मार्ग दर्शन में हमने *नित्यानंद रस* का प्रयोग पाचन, शोथघ्न,, ग्रन्थि हर कर्म होने से, कफवात प्रधानतः *बीजग्रन्थि शोथ*(PCOD), रुग्णों में सफलता पूर्वक किया है.
धन्यवाद गुरुवर आचुक औषध परिचय हेतु।
🙏💐🙏
[3/17, 1:49 PM] Vd Shailendra Mehta:
आदरणीय गुरुदेव,,,🙏🏻🙏🏻
धान्यक, आर्द्र को पित्तनाशक कहा है,, आर्द्र को धनियां पत्ती मानें या हरे बीज(जो शायद शीत वीर्यता से पित्तशामक हो)🙏🏻🙏🏻
[3/17, 6:02 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*1)Is this first reading ?*
*yes...*
*2)Any other drug history prior to start your treatment.?.*
*no...*
Prof. Prakash Kabara ji !
[3/18, 10:00 AM] Vaidya Sanjay P. Chhajed:
अद्भुत
********************************************************************************************************************Above case presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday (Discussion)' a Famous WhatsApp group of well known Vaidyas from all over the India. ********************************************************************************************************************
Presented by
Vaidyaraja Subhash Sharma
MD (Kaya-chikitsa)
New Delhi, India
email- vaidyaraja@yahoo.co.in
Compiled & Uploaded by
Vd. Rituraj Verma
B. A. M. S.
Shri Dadaji Ayurveda & Panchakarma Center,
Khandawa, M.P., India.
Mobile No.:-
+91 9669793990,
+91 9617617746
Edited by
Dr.Surendra A. Soni
M.D., PhD (KC)
Professor & Head
P. G. DEPT. OF KAYACHIKITSA
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, GUJARAT, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
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