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WDS 97: Discussion on 'GRAHANI' by Vaidyaraja Subhash Sharma, Prof. Arun Rathi, Dr. Dinesh Katoch, Prof. Prakash Kabara, Vd. Sukhveer Verma, Vd. Pawan Madaan, Dr. Ashwini Kumar Sood, Vd. V. B. Pandey & Others

[4/2, 8:14 PM] Dr.Ravi Prakash “jani”: 

Case history of a patient 

*male patient
age - 29 yr
व्यवसाय* - office job in NTPC, bijapur, karnataka 

*प्रमुख वेदना - 
morning me motion at 4 am semi liquid 3-4 times than fluid 
Yadi kuch kha  leta h patient to watery stool band ho jata. 4hr no motions 
After 4 hrs same condition 3-4 semi liquid motions than watery motions.
Same condition after each 
*पूर्व me koi vyadhi nahi thi 
*व्याधि समुत्पत्ति क्रम -  2012 me hostel me rahta tha. Tab se problem start hui. 
Patient Har jagah se sabhi Pathy ki medicine le chuka hain. 
*कुल वृत्त - bade bhai ko bhi 2012 me same problem hui thi.

*अष्टविध परीक्षा - *
*नाड़ी - 104/ min
Visham- fluctuating,  Deen, tivra, sadhak pittaj evm kledak kaphaj
*मूत्र - 3-4 times a day, normal color, each  time with  motion 
*मल -  semi liquid and watery stool
*जिव्हा - साम kpha-pittaj 

*शब्द - deen 
*स्पर्श - samany 
*दृक - samany
*आकृति - sam

*प्रकृति - vat-pittaj
*सार - tvak 
*संहनन - madhyam
Weight - 54 kg
*प्रमाण - सम
*सात्म्य - teekha, pani ptashe तथा ushna fodd
*सत्व -प्रवर 
मनोबल -pravar
*आहार शक्ति - आहार इच्छा शक्ति -pravar
 आहार परिपाक शक्ति - madhya
*व्यायाम शक्ति - हीन due to weakness 
*वय - मध्यम 
*देश -साधारण*

*सम्प्राप्ति घटक - *
*हेतु -  Ushna  tikshna aahar, hostel life 
*दोष - sadhak Pitt, kledak kapha
 
*दूष्य - -
*स्रोतस - annvaha, udakvaha, Manovaha 
*स्रोतोदुष्टि - atipravariti
*आम की स्थिति -  निराम*
*अग्नि - जाठराग्नि mandhye
*व्याधि समुत्थान -  पक्वाश्य 
*व्याधि अधिष्ठान - annvaha srotas, grahni 
*व्याधि स्वभाव - चिरकारी 

*moder investigations- ulcerative colitis 

Sabhi Kay samprday gurujano ko sadar prnaam 

Uprokt  case me kya kiya jaye margdarshan kre 🙏

[4/2, 9:01 PM] Dr. D. C. Katoch sir: 

Based on samprapti ghatak I would like to suggest following line of management -  
                  
 i) Anushnasheet snaihik mridu virechan for 5-7 days preferably with pitta shamak anulomak medhya aushadh like Brahmi Ghrit, followed by 

ii) Grahi Aushadh like Bhrisht Mishreya Churna + Jaharmohra Pishti mixed with Bilvavaleha and anupan of takra or mishreyark,         

iii) avoidance of stress & strain, dietary irregularities, leafy vegetables ( Shaak), salad & sprouts, ushna-tilshna aahar-vihar and manobhav, iv)  Daily deep breathing and meditation 2-3 times.

[4/2, 9:03 PM] Vd. V. B. Pandey Basti(U. P. ): 

Bhuneshwar Ras 2 to 4 tab bd 
Panchamrit Parpati 500mg Drakshassava 20ml and Kutjaristha 20ml bd.  Along with diet control and regular use of Takra for one month at least as per me.

[4/2, 9:09 PM] Dr.Ravi Prakash “jani”: 

🙏🏻😊
जी गुरुदेव 🙏🏻


[4/2, 10:06 PM] Dr. Pawan Madan: 

Very interesting case.

Pls inform
...He is having such complaints from last 11 yts, as u mentioned from 2012. 
...Kya beech me kuch samay ke liye kisi bhi med se kuch upashya mila?
...Kya loose motions ke saath pain hoti hai?
...Kya din ke anya samay me stomach pain hoti hai?
...Kya kabhi fever hua?
...Kya kabhi bleeding hui?
...Have you palpated his abdomen....Any tenderness?
...Has colonoscopy done?
...How UC diagnose was fixed?
...It doesnt seem to be UC.
...Stress se uski problem me kya fark padhtaa hai?
...Har jagah se med le chukaa hai....yaane Mesalamine bhi pe chukaa hoga...Uska kya asar huaa?
...Its astonishing that syms are repeating every 4 hours?

The case can be Pitta Aavritta Vaata aggravation leading to Jeerna Grahni, but we need to explore more, only then a samprapti can be revealed.
🙏

[4/2, 10:09 PM] Dr. Pawan Madan: 

Namaste Pandey sir.

Will the virechan for 5 to 7 days not aggravate the problem for a while?

[4/2, 10:11 PM] Dr. Pawan Madan: 

Bhuneshwar rasa..??

[4/2, 10:14 PM] Vd. V. B. Pandey Basti(U. P. ): 

Sir pt is 29 years with 54 kg body wt and no history of bleeding per stool this it self ruled out any chronic pathology development so mainly we have to focus on his psycholosomatic history and krimi vikar as per my clinical experience.

[4/2, 10:15 PM] Dr. Pawan Madan: 

I am thinking on the same lines. Thatswhy I mentioned...it cant be ulcerative colitis.

There is something more in this..

[4/2, 10:16 PM] Vd. V. B. Pandey Basti(U. P. ): 

Bhuneshwar ras is combination of Triphala and Bilva along with grih doom I have been using it with quite efficient results.

[4/2, 10:17 PM] Dr. Pawan Madan: 

In which cases?

[4/2, 10:19 PM] Vd. V. B. Pandey Basti(U. P. ): 

As Deepan Pachan mostly in vidagdhajeerna especially female pt complaining of gas formation.

[4/2, 10:19 PM] Dr. Pawan Madan: 

Especially in females?

[4/2, 10:22 PM] Vd. V. B. Pandey Basti(U. P. ): 

Regarding ghriha doom uses once I have red that it's very useful for complaint associated with uterus. if I'm correct it was Regarding Pratap Lankeshwar ras Phal shruti.

[4/3, 12:23 AM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

*सार परिक्षण : त्वक सार लिखा आपने, सुक्ष्म, अल्प और गंभीर लोम के अलाव भी कोई लक्षण मिले क्या*
*11 - 12 वर्षों से रुग्ण प्रतिदिन मे 7 - 8 समय मल प्रवृत्ति कर रहा वह भी कम से कम 2 बार द्रवमल.*
*त्वक सारता मिलना. ???*

*रुग्ण और उसके बडे भाई क्या एक ही जगह साथ मे रहते है.*

[4/3, 1:35 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

Case history of a patient 

*male patient
age - 29 yr
व्यवसाय* - office job in NTPC, bijapur, karnataka 
*प्रमुख वेदना - morning me motion at 4 am semi liquid 3-4 times than fluid 
Yadi kuch kha  leta h patient to watery stool band ho jata. 4hr no motions 
After 4 hrs same condition 3-4 semi liquid motions than watery motions.
Same condition after each 

*वात चल गुण की वृद्धि और अधोगामी मल प्रवृत्ति पित्त का सर गुण।*

*पूर्व me koi vyadhi nahi thi 

*आपने history ठीक से नही ली, पूर्व में कोई व्याधि महत्व नही रखती बल्कि महत्व पूर्ण ये है कि वो अन्न के साथ दुग्ध पान तो नही करता था, रात्रि भोजन के बाद दुग्ध तो नही पीता था या भोजन करते ही कुछ देर बाद निद्रा में तो नही चला जाता था.. इसके अतिरिक्त अनेक दिनचर्या के विपरीत आचरण आहार विहार को ले कर मिलेंगे ही*

*व्याधि समुत्पत्ति क्रम -  2012 me hostel me rahta tha. Tab se problem start hui. 
Patient Har jagah se sabhi Pathy ki medicine le chuka hain. 

*आप मे  ही कमी है जो history कैसे लेते हैं ? सीखना और लिखना आवश्यक है।*

*कुल वृत्त - bade bhai ko bhi 2012 me same problem hui thi.

*अगर साथ ही रहते हैं और आहार विहार एक जैसा है तभी संबंध होगा।*

*अष्टविध परीक्षा - 
*नाड़ी - 104/ min

*व्यान वात *

Visham- fluctuating,  Deen, tivra, sadhak pittaj evm kledak kaphaj

*साधक पित्त और क्लेदक कफ तथा दीन नाड़ी को कैसे स्पष्ट करेंगे !*

*मूत्र - 3-4 times a day, normal color, each  time with  motion 
*मल -  semi liquid and watery stool

*जिव्हा - साम kpha-pittaj 

*शब्द - deen 
*स्पर्श - samany 
*दृक - samany
*आकृति - sam
*प्रकृति - vat-pittaj
*सार - tvak 
*संहनन - madhyam
Weight - 54 kg
*प्रमाण - सम
*सात्म्य - teekha, pani ptashe तथा ushna fodd
*सत्व -प्रवर 
मनोबल -pravar
*आहार शक्ति - आहार इच्छा शक्ति -pravar
 आहार परिपाक शक्ति - madhya
*व्यायाम शक्ति - हीन due to weakness 
*वय - मध्यम 
*देश -साधारण

*सम्प्राप्ति घटक - 
*हेतु -  Ushna  tikshna aahar, hostel life 

*गुरू, मंद, स्थिर, स्निग्ध, पिच्छिल तो नही ?*

*दोष - sadhak Pitt, kledak kapha

*पाचक पित्त, समान और अपान वात के बिना ये लक्षण उत्पन्न नही हो सकते।*
 
*दूष्य - -

*दूष्यों के बिना समझे सम्प्राप्ति विघटन हो ही नही सकता।*

*बिना दूष्यों को समझे बिना स्रोतस और उनकी दुष्टि लिखना अज्ञान है क्योंकि दूष्य अर्थात धातुओं के अनुसार ही स्रोतस की कल्पना का स्रोतस का संसार है।*

*शेष पर चर्चा करना व्यर्थ है, आपके लिये ये उपर लिखा home work है इसे पुनः रोगी से मिल कर पूर्ण करने का प्रयास करे फिर आगे बढ़ेंगे और हम आपके सदैव साथ है तथा आपको सिखायेंगे कि सही में वास्तविक आयुर्वेदीय शास्त्रोक्त प्रायोगिक चिकित्सा है क्या ?*


*प्रसन्नता है कि आपने किये कार्य को सामने रखा और ऐसे ही साधकों की हमें आवश्यकता है रविप्रकाश जी 👏👌👍🌹❤️*








*स्रोतस - annvaha, udakvaha, Manovaha 
*स्रोतोदुष्टि - atipravariti
*आम की स्थिति -  निराम*
*अग्नि - जाठराग्नि mandhye
*व्याधि समुत्थान -  पक्वाश्य 
*व्याधि अधिष्ठान - annvaha srotas, grahni 
*व्याधि स्वभाव - चिरकारी 

*modern investigations-  ulcerative colitis 

Sabhi Kay samprday gurujano ko sadar prnaam 

Uprokt  case me kya kiya jaye margdarshan kre 🙏.

[4/3, 1:36 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: *bold letters हमारे है *

[4/3, 2:00 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*आयुर्वेद का सच्चा साधक ही ध्यान पूर्वक किसी प्रश्न को पढ़कर यह लिख सकता है... पवन भाई आप आयुर्वेद मे क्या हो यह मैं ही समझ सकता हूं । आपकी प्रशंसा के लिये शब्द नही है 👏👌👍❤️🌹🙏*

[4/3, 2:07 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*दोष प्रत्यनीक - दोष स्पष्ट ही नही है।*

*व्याधि प्रत्यनीक - व्याधि भी स्पष्ट नही कि अतिसार, प्रवाहिका, ग्रहणी दोष, ग्रहणी रोग आदि क्या है ।*

*उभयात्मक अर्थात दोष-व्याधि प्रत्यनीक जाने बिना ही फार्मूला बताते रहना, ये हवा में तीर मारने जैसा है।*

[4/3, 2:27 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*जो लोग नाड़ी देखते हैं प्रत्यक्ष मिलेगा की parkisnsons के 90% रोगियों मे नाड़ी में वात की नाड़ी नही मिलेगी, sharpness के साथ पित्त और 50%  स्थान कफ का मिलता है जो आश्यापकर्ष है।*

[4/3, 2:30 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*आयुर्वेद के मूल को जानिये, ओझा सर का जीवन आवरण में निकल गया पर लोग समझे नही। आवरण, आश्यापकर्ष आयुर्वेद का वो रहस्य है जो आधुनिक काल मे  प्रत्यक्ष है पर इसे समझ जाये तो आप यशस्वी और सफल हे जायेंगे।*

[4/3, 4:39 AM] Vaidya B. L. Gaud Sir: 

अति श्रेष्ठ वर्णन आशीर्वाद !

वैद्यराज सुभाष जी !

[4/3, 5:29 AM] Dr. Sukhbir Verma Hisar: 

इस रोगी की colonoscopy की रिपोर्ट है क्या जी ? जिससे ये कहा जा सके की ये ulcerative colitis का रोगी है ?

[4/3, 5:43 AM] Vd. Somraj Kharche Gujarat: 

मैं खुद का बनाया गुडूची शुंठी सिद्ध एरंड तेल का उपयोग करता हूँ सर, तीसरे ही दिन वेदना 50% कम हो ही जाती है ये अब तक का अनुभव है। 
सादे एरंड तेल से भी काम होता है, पर थोड़ा और समय लगता है, बस इतना ही। धन्यवाद 🙏🏻

[4/3, 5:43 AM] Dr. Sukhbir Verma Hisar: 

मैं आपसे सहमत हूं ये जीर्ण ग्रहणी ही लग रहा है। जीर्ण ग्रहणी से रस क्षय हुआ व IBS जैसे लक्षण दे रहा है। 

रोगी की जिव्हा साम कफ पित्तज है प्रकृति वात पित्त है पल्स 104 है तो ये कन्फर्म करता है की रोगी को ग्रहणी की दृष्टि के साथ साथ anxiety भी संभव है। ये सारे लक्षण मनोवाह स्रोतों दृष्टि को भी इंगित करते हैं।
ग्रहणी दृष्टि
⬇️
रस क्षय
⬇️
चित उद्वेग

[4/3, 6:19 AM] Dr Laxmidutta shukla: 

Difference between daruharidra and rasanjan
Daruharidra boiled with bakri ka milk is rasanjan.on rsanjan terkshna Guna is rxeduced and saratwa is added
Both are used in medoroga and prameha

[4/3, 6:46 AM] Dr. Pawan Madan: 

सुप्रभात वा प्रणाम गुरु जी।
🙏🙏
Resp. Subhasha Sir !

[4/3, 6:51 AM] Dr.Ravi Prakash “jani”:

 सादर प्रणाम गुरुदेव 
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Resp. Subhasha Sir !

*...Kya beech me kuch samay ke liye kisi bhi med se kuch upashya mila?

रोगी शुरू से allopathic दवा steroid खा रखा हैं
उसके साथ साथ पतंजलि में। planet आयुर्वेद में जयपुर। कर्नाटक बैंगलोर सब जगह से ले चूका लेकिन दोनो pathy साथ चलने से भी koi relief नहीं।   
*...Kya loose motions ke saath pain hoti hai? - 

नहीं 

*...Kya din ke anya samay me stomach pain hoti hai? - 

नहीं सिर्फ़ fresh होने का अहसास होता ह की जाना हैं।
 
*...Kya kabhi fever hua? - 

seasonal या viral but not for long time। 

*...Kya kabhi bleeding hui - 

जीं सर पहले तो हमेशा होती थीं। 
अभी कुछ दिन से थोड़ा थोड़ा ब्लड आता हैं। 

*...Have you palpated his abdomen....Any tederness- 

नो tenderness सर
*...Has colonoscopy done? - 

जीं सर उसके confirmation के liye   biopsy भी करवाईं थी जिसमें UC diagnose हुआ हैं। 

*...How UC diagnose was fixed? - biopsy

*...Stress se uski problem me kya fark padhtaa hai?

...Har jagah se med le chukaa hai....yaane Mesalamine bhi pe chukaa hoga...Uska kya asar huaa?- 

no effect गुरुदेव

रोगी ने एक बात  बताई बहुत अच्छी बात ….,,,अगर वो rice खाया है या आलू खाया ओर एक piece भी कच्चा  खा लिया तो वैसा ही वो stool से बाहर निकल जाता हैं। 
स्टार्टिंग me तब टैब्लेट लेता था तो वैसी ही बाहर आ जाति थीं। 
fir sachet देना स्टार्ट किया   allopathy Dr ने। 

Pawan Sir ! 
🙏🏻🙏🏻

[4/3, 7:09 AM] Dr.Ravi Prakash “jani”: 

सादर प्रणाम गुरुदेव
🙏🏻🙏🏻🙏🏻

क्षमा प्रार्थी अपनी ग़लतियों के लिए 
आज पुनः प्रयास करूँगा सुधार करने का 
🙏🏻🙏🏻

[4/3, 7:21 AM] Dr. Pawan Madan: 

Good morning.

Bleeding has occured in the past, is a very important thing, which you forgot to mention.

Abhi bhi thoda thoda blood aa rahaa hai.

Kya ye blood red color ka hai, stool ke saath mix aataa hai?
Ya stool se pahle ya baad me gitta hai?
Generally bleeding from UC without pain nhi hoti hai. 🤔

And usko periodically din me har 4 ya 5 ghante me problem hoti hai. 🤔

And steroids and mesalamine se agar koi upashya kuch samay ke liye bhi nhi mila to we mus look for carcinoma? 🤔

Kya itne saalo me unka weight kam hua?

Stress se iska kya relation hai?

Ji कच्चा पीस निकल जाने का कारण है, increased peristaltic movements. 
And if you will ask, he may tell ke टमाटर के छिलके, भिन्डी के बीज, राजमा के छिलके भी ऐसे ही निकल जाते होंगे।

🙏

[4/3, 7:25 AM] Dr. Sukhbir Verma Hisar: 

Absolute diagnostic tools are 

Colonoscopy
CRP ESR

[4/3, 7:30 AM] Dr. Pawan Madan: 

Yes

But Dr Ravi is stating....colonoscopy has been done and its saying UC.

[4/3, 7:31 AM] Dr. Sukhbir Verma Hisar: 

Where is colonoscopy and Biopsy report?

[4/3, 7:33 AM] Dr. Sukhbir Verma Hisar: कभी कभी रोगी क देता है की मेरी colonoscopy हुई थी उसमें uc था जी और हम उसे मान लेते हैं। तो क्या चिकित्सक महोदय ने स्वयं उस रिपोर्ट को देखा है क्या जी ?

[4/3, 7:38 AM] Dr. Pawan Madan: 

Dr Ravi...please send the reports if you have?

But still Soni Ji....every clinical report need to be correlated clinically.

[4/3, 7:39 AM] Dr. Sukhbir Verma Hisar: 

Yes sir

[4/3, 8:08 AM] Vd. V. B. Pandey Basti(U. P. ): 

As per me it's a case of psychological problem because his body wt.is constant secondly he has not been satisfied with any of the before physican tt.protcol.

[4/3, 8:59 AM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

*इस रोगी को 
# *चिंचाभल्लातक वटी 2 नग ( 250 mg ), धान्यपंचक क्वाथ के साथ खाली पेट सुबह और सायंकाल दिजिए.*
7 - 10 दिन तक.

# *पानी उबालकर थण्डा किया हुआ पिने को कहिएगा और आहारविहारादि पथ्थापथ्य का पालन कराये*

[4/3, 9:23 AM] Dr. Pawan Madan: 

Namaste Arun ji

Chincha bhallatak isme kis tarah se kaam kar paayegi?

[4/3, 9:27 AM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

दिपन, पाचन, स्थानिक शोथहर, कृमिनाशक एवं वातानुलोमन.

[4/3, 9:28 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*क्ष्मा क्यो ? आपका प्रयास बहुत ही श्रेष्ठ है और इसी प्रकार तो चर्चा के द्वारा  ज्ञानवर्धन होता है और शंकाओं का समाधान भी।*

*हमारी इच्छा है आप जैसे आयुर्वेदज्ञों को सप्वश्रेष्ठ चिकित्सक बनाने की भी अतः आगे भी इसी प्रकार निर्भय हो कर लिखते रहिये ।* 🙏🌹

[4/3, 9:28 AM] Dr.Ravi Prakash “jani”: 

जी गुरुदेव 
🙏🏻🙏🏻

[4/3, 9:32 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*सुप्रभात सादर नमन वैद्यवर पवन जी एवं समस्त काय सम्प्रदाय 🌹❤️🌹*
[4/3, 9:49 AM] Dr. Ashwani Kumar Sood: 

संजीवनी वटी व अन्य भल्लातक योग ulcerative colitis  में क्यो प्रयोग करने चाहिए ?

[4/3, 9:51 AM] Dr.Anoop indoria: 

Autoimmune disorders में भल्लातक cure करता है।

[4/3, 9:56 AM] Dr. Ashwani Kumar Sood: 

पित्त dominating autoimmune मे निषेध नही होना चाहिए क्या ?

[4/3, 9:57 AM] Dr. Ashwani Kumar Sood: 

वैद्यराज जी आपका क्या विचार है ?

[4/3, 10:02 AM] Dr. Sukhbir Verma Hisar: 

मेरे विचार से Autoimmune देख कर भल्लातक का प्रयोग नहीं करना चाहिए l

[4/3, 10:14 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*ul.colitis, पित्तातिसार में भल्लातक नहीं देना चाहिये क्योंकि 'रोग का स्वभाव' अथवा जैसे रोगी की प्रकृति होती है वैसे ही हर रोग की भी प्रकृति है और यही देख कर चिकित्सा करनी चाहिये।*

*इस रोगी को देखें तो 
'हारिद्रं हरितं नीलं कृष्णं रक्तपित्तोपगतम्...इति पित्तातिसार: । 
च चि 19/6, 
पित्तातिसारी यस्तवेतां क्रियां मुक्तवा निषेवते... कुर्याद् रक्तातिसारं तु रक्तमाशु प्रदूषयेत्। 
च चि 19/70 ,
मल का वर्ण यहां प्रतीक मात्र है। इस अवस्था में संग्रहणी और रक्तातिसार के मिश्रित लक्षण मिलते हैं और कई रोगी जो कई वर्षों से पीड़ित है और लंबे समय से steroids एवं measacol   जैसी औषधियों पर निर्भर हैं मानसिक रूप से दुर्बल हो जाते हैं और भयभीत रहते हैं कि शायद हमारा रोग पूरे जीवन में भी साध्य नही हो सकता । चरक चि 19/11 में आगंतुज अतिसार में 
'आगन्तू द्वावतीसारौ मानसौ भयशोकजौ, 
तत्तयोर्लक्षणं वायोर्यदतीसारलक्षणम्। 
भय और शोक जन्य दो अन्य भी बताये हैं जो आजकल के समय में बहुत मिलते है, आपको ulcerative colitis के ऐसे अनेक रोगी मिलेंगें जिन्हे घर से बाहर निकलने से पूर्व ही भय बन जाता है और वात दोष कुपित होने से अनेक बार मल त्याग के लिये जाना पड़ता है और रक्त युक्त मल उन्हे शोक ग्रस्त कर देता है। इस प्रकार रोग का एक चक्र बना रहता है।*

[4/3, 10:17 AM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

*प्रणाम गुरुवर*
🙏🙏🙏

[4/3, 10:18 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*autoimmune disorders में अनेक रोग modern अनुसार असाध्य और सम्प्राप्ति बनाकर चलें तो रोगी स्वस्थ जैसे आमवात। सही कहा केवल autoimmune देख कर भल्लातक प्रयोग उचित नही जैसे ul.colitis में तो  पहली मात्रा मे ही रक्त मल प्रवृत्ति भी कर देता है।*

[4/3, 10:20 AM] Dr. Ashwani Kumar Sood:

 धन्यवाद

[4/3, 10:23 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 🌹❤️🙏

[4/3, 10:26 AM] Dr. Pawan Madan: 

Namaste sir.

Sir, kiye ja sakte hain
Every bhallatak yog doesnt aggravate pitta.
Every bhallatak yog doesnt aggravate inflammation.
 Jaruri nhi

[4/3, 10:27 AM] Dr. Pawan Madan: 🙏🙏🙏🙏

[4/3, 10:31 AM] Dr. Pawan Madan: 

This is now more interesting.

Medical college has declared this as Pancolitis.

And this pancolitis is without any cramping or pain.

But there is history of severe blood loss with drop of Hb to 5 for which BT was given.

And Mesacol 1.2 gm bd with stroids 40 mg daily, didnt give relief at all as per Dr Ravi Ji.

Such a case must be diagnosed as per Ayurveda, only then an upashaya is possible.

[4/3, 10:45 AM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

*प्रणाम सरजी*
🙏🙏🙏

*इसे Ulcerative Colitis मानकर treatment करना है या आयुर्वेदिक निदान से चिकित्सा करना है*

*रुग्ण के लक्षण देखने पर यह ज्ञाय होता है,*
# *रुग्ण कुछ खाता है तो द्रवमल प्रवृत्ति यह 4 घण्टे तक बंद हो जाती है.*
# *यह स्पष्टता "वातज ग्रहमीदोष" का लक्षण है*
यथा 
*जीर्णे जीर्यति चाध्मानं भुक्ते स्वास्थ्यमुपैति च।*
*स वातगुल्महृद्रोगप्लीहाशनङ्की च मानवः ।।*
च. चि. अ. 1
१५ / ६३.

# *एक और महत्वपूर्ण बात "वातज ग्रहणी दोष" मे विसूचिका वत लक्षण भी आचार्य चरक ने कहा है*
च. चि. अ. १५ / ६१.
🙏🙏😄

[4/3, 10:46 AM] Dr. Pawan Madan: Very true.

[4/3, 10:54 AM] Dr. Pawan Madan: 

Various cases of UC can be diagnosed in Ayurveda as per different nidaan.
A case of UC can be any of the following as per the hetu, linga and history.
1. Pravaahika....Raktaj
2. Jeerna Pakva Atisaar
3. Vaataj or Pittaj Grahni
4. Raktatisaar
5. Pittaj Gulma

Every case may demand a different chikitsa sutra.

[4/3, 10:56 AM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

*If we want to establish the Bacterial Flora of Gut in chronic illness then, चिंचाभल्लातक वटी or संजीवनी वटी given with घान्यपंचक क्वाथ gives quick and longterm effects*

*हम भल्लातक का उपयोग एकल द्रव्य के रुप मे नही कर रहे है*
*चिंचाभल्लातक वटी मे विद्यमान आरग्वध फल मज्जा और इमली यह व्रण रोपक कार्य भी करते है*

*इस तरह के रुग्ण मे ताँजी छाँच (तक्र) का उपयोग अग्निभृष्ट जीरक (भुना हुआ जीरा) के साथ सतवर फलदायक होता है*

🙏🙏🙏

[4/3, 11:04 AM] Dr. Pawan Madan: 

Nicely stated.

The only concern is the long term disease pathology.

The symptoms are from 12 years.

Can these be from the results of Agnimaandya only?
Or
If really there is an agnimaandya in the case in discussion. 🤔

[4/3, 11:07 AM] Dr. Sukhbir Verma Hisar: 

वेपथु अर्थात कंप वात स्वतंत्र व्याधि भी है और परतंत्र भी। यथा कंपवात यदि क्षयज है तो स्वतंत्र व्याधि है जैसे cerebral atrophy Parkinson etc और यदि किसी अन्य व्याधि के उपद्रव स्वरूप है तो परतंत्र। 

यदि मूल व्याधि को ठीक करने पर कंपन ठीक हो जाएगा और वो परतंत्र होगा और यदि वो किसी अन्य व्याधि से संबंधित नहीं है और कोई आश्यापकर्ष भी नहीं है तो स्वतंत्र होना चाहिए।

[4/3, 11:29 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*प्रभु , रोगों पर चर्चा करना और उनकी चिकित्सा कर के परिणाम प्राप्त करना दोनो ही भिन्न स्थिति है। चर्चा में तो व्याधि सरल लगती है पर चिकित्सा करने पर वो परिणाम ही नही मिलता जैसे सोच कर चले थे।*

*ग्रन्थों में रोग भी हैं और चिकित्सा भी इस से तो समस्त रोगी ठीक हो जाने चाहिये पर होते नहीं क्योंकि यह तो साधारण ज्ञान सब के लिये है पर रोगी भिन्न भिन्न अवस्थाओं के साथ आयेंगे उनके लिये विशिष्ट ज्ञान और चिकित्सा भी रोगी अनुसार निश्चित करनी पड़ेगी ।*

[4/3, 11:31 AM] Dr. Ashwani Kumar Sood: सही है प्रभु

[4/3, 11:32 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: *

👍👍👍 अधिकतर रोगी सब investigations करा कर ही आते है और उनकी modern medicines बंद नही कर सकते, कभी कभी तो पूरा जीवन भी चलती है। सत्य को स्वीकार करना ही चाहिये।*

[4/3, 11:59 AM] Dr. Vandana Vats Patiyala: 

सादर प्रणाम गुरूवर
🙏
पित्तज/वातज ग्रहणी, ulcerative cotitis, में तक्र वस्ति किस प्रकार कार्य कारी है? 
संप्रदाय परिषद् मे कोई प्रयोग करते हो तो कृपया मार्ग दर्शन करे
🙏

[4/3, 12:32 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*आज की चर्चा बहुत सार्थक एवं ज्ञानवर्धक चल रही है तथा आप सब से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है।*

*आदरणीय प्रो रमाकान्त शर्मा चुलैट सर, डॉ. कटोच सर, प्रो. जायसवाल जी एवं प्रो. लक्ष्मीकान्त द्विवेदी जी सहित अन्य विद्वानों से भी निवेदन है कि अपने ज्ञान एवं अनुभव का योगदान बहुमूल्य समय निकाल कर अवश्य प्रदान करें।* 🌹❤️🙏

[4/3, 12:35 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*हमारे साथी प्रो.प्रकाश काबरा जी को भी अवश्य अनुभव होगा और आदरणीय प्रो.गुरदीप सिंह सर को भी, संभव है उनसे सहयोग मिल जाये क्योंकि ये अत्यन्त प्रतिष्ठित एवं अनुभवी पंचकर्म विशेषज्ञ हैं।*

[4/3, 12:43 PM] Dr. D. C. Katoch sir: 

Mridu virechan se doshon ko nikalane se rog karak bhavon ka titre kum hoga- yahi vipreetharthkari chikitsa hai.

[4/3, 12:49 PM] Dr. D. C. Katoch sir: 

सही कहा - सत्य को स्वीकार करना ही चाहिए और साथ में असत्य को थोपना नहीं चाहिए।  🤘🏻

[4/3, 1:00 PM] Dr. D. C. Katoch sir: 

Long term of disease pathology may not be necessarily due to continuous Agnimandya. But Agnimandya and Ama Uttapati once happened may      cause sufficient damage to the organs/tissues that pathology becomes progressive to cause long term disease without signs & symptoms of Agnimandya.   Third stage of  Rheumatoid Arthritis  (Pravriddh Aamvat ) is the best example about this process.

[4/3, 1:14 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

*ये तो ग्रहणी ही है,आयुर्वेदोक्त व्याधी विनीश्चय आवश्यक है*

[4/3, 1:16 PM] Dr. Pawan Madan: 

Yes sir
Absolutely correct.

I am thinking on the same lines.
I have seen this scenerio many times, even after applying all methods for Agnimaandya we dont get any upashaya.

[4/3, 1:16 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

*व्याधी की प्रकृती महत्त्वपूर्ण है*

[4/3, 1:18 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

*ऐसे रुग्ण मे पंचकर्म अंतर्गत पाचन पश्चात बस्ती आवश्यक है*

[4/3, 1:20 PM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: *

"ग्रहणी दोष" के रोगी मे मै मोचरस सिद्ध दुध की बस्ति का उपयोग करता हूँ ( निरुहबस्ति )। मोचरस 2 - 3 gm से ज्यादा नही लेना चाहिए अन्यथा रुग्ण को ज्यादा दस्त लगते है*
और
*ब्राम्ही, जटांमासी और धान्यपंचक क्वाथ से सिद्ध तक्र की निरुहबस्ति  देता हूँ।*

*साथ मे धान्यपंचक सिद्ध तैल या बला तैल से अनुवासन बस्ति*

*इस तरह से योगबस्ति देता हूँ*

*ग्रहणी दोष चिकित्सा मे बस्ति चिकित्सा से ज्यादा उपशय यह शमन चिकित्सा से मिलता है.*

*शमन चिकित्सा मे पंचामृत पर्पटी, सुवर्ण पर्पटी, प्रवाल पंचामृत, ब्राम्ही वटी से उपशय यह तक्र कल्प  के साथ अच्छे परिणाम मिलते है*

*ग्रहणी दोष चिकित्सा मे बस्ति से ज्यादा शिरोधारा ज्यादा उपयुक्त होती है*

🙏🙏🙏
[4/3, 1:22 PM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

*प्रणाम सरजी*
Resp. Katoch Sir !
🙏🙏🙏

[4/3, 1:29 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

ग्रहणी के इस रूग्ण मे ग्रहण धारण साथ (वायु) पित्त विकृत होने से यहा दोष शोधन के लिए विरेचन अंतर्गत अनुलोमन कारगर होगा. पिच्छा बस्ती का भी महत्त्व है. पंचवल्कल का निरूह तथा व्रण रोपण करने वाले तैल(यष्टी अथवा बला)अनुवासन अच्छे परीणाम मिलते है

[4/3, 1:31 PM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

*कांकायन वटी*

*इसमे भल्लातक और सूरण कंद है, यह कफ अर्श, मंदाग्नि, ग्रहणीदोष एवं पाण्डु रोग  मे रोगी बल, प्रकृति, ऋतु का विचार कर देने पर अच्छे परिणाम मिलते है*

[4/3, 1:32 PM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

*प्रणाम गुरुवर*

🙏🙏🙏

[4/3, 1:39 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

कटोच सर कथीत मृदुविरेचन(अनुलोमन) तथा बस्ती का उपक्रम बार बार करना होगा .

*शमन मे पर्पटी देना है*
 *पर्पटी तो drug of choice है*

[4/3, 1:54 PM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

🙏🙏🙏

*पंचकर्म के नाम पर गुरुवर आज कल पेशंट स्वयं आते है, पर रुग्ण का खर्च और उपशय देखा जाये तो बस्ति चिकित्सा ग्रहणीदोष मे उतनी लाभकर नही है जितनी शमन चिकित्सा, पथ्यापथ्य है*
*यह मेरा अपना अनुभव और मत है*
🙏🙏🙏

[4/3, 1:59 PM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

*ग्रहणीदोष चिकित्सा मे आचार्य चरक ने क्षारघृत, पिप्पलीमूलाद्य क्षार, भल्लातक क्षार आदि कई क्षार कल्प का वर्णन किया है*

[4/3, 2:09 PM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

*त्रिदोषे विधिविद्वैद्यः पञ्च कर्माणि कारयेत्।*
*घृतक्षारासवारिष्टान् दद्याच्चाग्निविवर्धनात् ।*
*क्रिया या चानिलादिनां निर्दिष्टा ग्रहणीं प्रति ।।*
*व्यत्यासात्तां समस्तां वा कुर्याद्दोषविशेषवित्।।*

च. चि. अ. १९४ - १९६.

[4/3, 2:11 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*ग्रहणी रोग में शिरोधारा concept बहुत ही अच्छा लगा प्रो.राठी जी 👍👏👌मानसिक भाव किस प्रकार शारीरिक दोषों को प्रभावित कर शारीरिक रोग की सम्प्राप्ति घटित करता है यह आजकल तो बहुधा प्रतिदिन हम अपने clinic में अधिकतर देखते हैं और इसका उदाहरण ulcerative colitis में देखिये, 'षष्ठो पित्तधरा ... मलाश्यात् ... पक्वाश्योपस्थितम्' ग्रहणी छठी पित्तधरा कला है जो अन्न का धारण करती है इसमें लघु और बृहद दोनो आन्त्र का भाग आता है पर इस रोग में sigmoid colon क्षेत्र को दबाते ही रोगी स्पर्श सहन नही कर पाता, अगर हम रक्तातिसार, भयज - शोकज अतिसार और ग्रहणी इन रोगों की विभिन्न रोगियों में मिश्रित लक्षण देखें तो यह आज आधुनिक समय में दिखाई देता है और मानसिक कारणों की प्रधानता दिखाई देती है, जिसके कारण अग्नि मंद हो कर बृहद आन्त्र की मांसपेशियों की वात के चल गुण से गति बढ़ जाती है, यह अपानवात आन्त्र को क्षीण और संकुचित  कर कफ से आन्त्र की कला में शोथ और पित्त से रक्ताभ वर्ण रहता है, शोक और भय आन्त्रों में क्षोभ उत्पन्न कर देते हैं थोड़ा सा भी उष्ण या असात्म्य आहार यहां तक कि मल अगर कठिन है तो वो भी रक्त स्राव मल के साथ ला देती हैं।इस विकार में प्राय: मल आम, पूय या रक्त युक्त होता है ।*

*इस प्रकार की अवस्था में निःसंदेह शिरोधारा अवश्य ही प्रभावी है।*

[4/3, 2:13 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*बहुत ही उत्तम अनुभव प्रो. काबरा जी 👌🙏*

[4/3, 2:15 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*शमन में पर्पटी विशेषकर रक्त मल प्रवृत्ति होने पर बोल पर्पटी पहली दो मात्रा ही अपना कार्य कर देती हैं ।*

[4/3, 2:17 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*ग्रहणी दोष में भल्लातक क्षार हम बहुत प्रयोग करते हैं पर ul.colitis में नहीं देते।*

[4/3, 2:34 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*आजकल आप जिस प्रकार खुले ह्रदय से आयुर्वेदीय विभिन्न विषयों पर लिखते है पढ़कर अति प्रसन्नता होती है।* 
Dr. Arunji !👌❤️🙏

[4/3, 3:17 PM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

🙏🙏🙏
*सरजी , भल्लातक क्षार का वर्णन यह कफज ग्रहणीदोष मे ही मिलता है*

*आजकल मै ग्रहणीदोष मे  घान्यपंचक चुर्ण से सिद्ध जल का पान रुग्ण को नियमित रुप से देता हूँ।*
*इस जल मे थोडा सा चुने का चुर्ण या कल्क मिलाकर सेवन करवाता हूँ।*

[4/3, 3:23 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*सिद्ध जल का पान 👌👌👌*

[4/3, 5:02 PM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir: 

Kaphaja grahani me *Navayas Curna* vihit kiya hai, vanha SOP follow karna hota hai. Ref.Vangasena. samhita -Rasayan prakaran - *kaphaja grahani nashaka loha Rasayan.*🙏🏼

[4/3, 5:12 PM] vd.Rituraj Verma: 

पिप्पलीमुलाघ चूर्ण (च ची 15/168,169 कफज ग्रहणी में 
एवं इसी से सिद्ध घृत वात-कफज ग्रहणी में उत्तम है
गुल्मरोगाधिकार में वर्णित षटफल घृत या भल्लातक घृत भी उपयोगी है

[4/3, 5:17 PM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: 

जीर्ण या सरक्त ग्रहणी में अपक्व बिल्वफल को अग्नि में भूनकर भूनी हुई फल्लमज्जा पुराणगुड के साथ सतत
सेवन हितकर।

[4/3, 5:17 PM] Vd. Mohan Lal Jaiswal: Merua arenaria.

[4/3, 7:09 PM] Dr.Ravi Prakash “jani”: 

सादर प्रणाम गुरुदेव !
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Sabhi Kay samprday gurujano ko sadar prnaam 

 



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Above discussion held on 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp -discussion-group  of  well known Vaidyas from all over the India. 

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Compiled & Uploaded by

Vd. Rituraj Verma
B. A. M. S.
ShrDadaji Ayurveda & Panchakarma Center,
Khandawa, M.P., India.
Mobile No.:-
 +91 9669793990,
+91 9617617746

Edited by

Dr.Surendra A. Soni

M.D.,PhD (KC) 
Professor & Head
P.G. DEPT. OF KAYACHIKITSA
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, GUJARAT, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150

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