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WDS 98: अतर्पण/कुधान्य/Millets by Vaidyaraja Subhash Sharma, Prof. Prakash Kabara, Vd. Ashok Rathod, Vd. Pawan Madaan, Vd. Vandana Vats, Vd. V. V. Pandey & Others

[3/19, 4:21 PM] Vd.Falguni: 

Guruji Pranam
And all Vaidhya
Hope you all are fine!

One of lady patient age ५५ year
She is having Hypothyroidism
And Gout 
Both since a २० years।
सर्वांग शोथ विबंध 
स्थूलता है
वतरक्त भी है
वाताज कफाज अजीर्ण है
यह रुग्ण में तिक्त रस प्रधान आम पाचन आहार औषध आयोजन किया है
Around eyes fatty cyst( removed by eye Dr) development.
High cholesterol.

जैसे प्रोटीन आहार में लेती है
दर्द (zyloric १००mg) tablet लेनी ही पड़ती हैं।
इन्हे
१. गेहूं बंध करवाया बाद में बहुत लाभ हुआ।
२.आरोग्य वर्धिनी ३ ३
३. सूंठ १ टी स्पून twice
४. रात्रि हरितकी एरंडब्रिष्ट ३
काफी आराम है
इस रुग्ण को 
वात रक्त भी है तो क्या
गोमूत्र हरितकी का प्रयोग किया जाए ?
गोमूत्र तीक्ष्ण उष्ण है।।।
यह देने से रक्त में पित्त प्राकुपित हो सकता है?
कफ की चिकित्सा करते है तो कटु रस
तो भय होता है की पित्त बढ़ जायेगा!


[3/19, 5:46 PM] Vd. V. B. Pandey Basti(U. P. ):

 गंभीर वात रक्त के इस रोगी मे रस माणिक्य 125mg गोदंती भस्म 500mg व महामंजिषठादि व सरिवाधयासव हमारी समझ से बेहतर कल्प होंगे। साथ में रक्त मोछण भी लाभदायक सिद्ध होगा।

[3/19, 5:48 PM] Vd.Falguni:

 Ji Sir Ji
Thank you Sir ji

[3/19, 5:50 PM] Vd Sachin Vilas Gajare Maharashtra: 

सभी गुरुजनों से निवेदन है, कि ऐसे काफी रुग्ण मिलते है जो नॉनवेज और मद्य सेवी होते है,और uric acid की बढ़ने और जोड़ो के दर्द से ग्रस्त होते है,और वे tab zyloric का नियमित सेवन करते रहते है।
   निदान परिवर्जन और उपरोक्त चिकित्सा लाभदायी तो होती है, पर हेतु सेवन के बाद पुनः लक्षण उत्पत्ति देखी जाती है।
   तो ऐसे रुग्ण में हेतु सेवन विपरीत अपुनर्भव कैसे प्राप्त करे।
  🙏🏻🌻

[3/19, 5:53 PM] Vd Sachin Vilas Gajare Maharashtra: 

कुछ ऐसे भी है जो सिर्फ वेजिटेरियन होने के बावजूद uric acid के व्याधि से ग्रस्त होते है।

[3/19, 5:55 PM] Vd. V. B. Pandey Basti(U. P. ): 

वृहत महामंजिषठादि क्वाथ कभी निष्फल नहीं होता।

[3/19, 6:12 PM] Vd Shailendra Mehta:

 आदरणीय,,,,गेंहू, स्निग्ध पदार्थ अपथ्य में लेने का क्या कारण रहा,,,,क्या रोग की आमावस्था ज्यादा गंभीर है इसलिए यह initially बंद किया है या कोई औंर विचार है आपका ,,,,,,(ये दोनों वातरक्त में पथ्य है)🙏🏻

[3/19, 6:43 PM] Vd.Falguni: 

This lady is vegetarian
Obasity 88 kg weight
Chronic Indigestion
Ajirna he
Iske liye
Aptarpan karna hai

[3/19, 6:51 PM] Dr. Rajeshwar Chopde:

 Guduchi+ Kokilaksha sambhag ka kashaya, in the morning, empty stomach for 5-6 months samprapti vighatan me upyukta hai

[3/19, 7:20 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

Apatarpan or *Atarpan ?*

[3/19, 7:45 PM] Vaidya Ashok Rathod Oman:

 जी, 
Dr. Falguni !

आपने दी हुयी औषधी भी कार्य करेगी थोडा समय लगता है।
 
गुड हरीतकी का प्रयोजन सभी प्रकार के वातरक्त का हरण करता है।

२० ml गुडूचीक्वाथ + मधु के साथ दिन मे तीन बार लिया तो भी उत्तम कार्य करता है।

कोकिलाक्ष पञ्चाङ्ग क्वाथ भी clinical research मे uric acid को कम कराने मे  प्रभावशाली पाया गया है।🙏🏼

[3/19, 8:20 PM] Vd.Falguni: 

Ji Dr Rajeshwar ji
Thank you

[3/19, 8:20 PM] Vd.Falguni: 

Gud haritaki ok 

Dr. Ashok Ji !

[3/19, 8:21 PM] Vd.Falguni: 

संतर्पण से विपरीत
करना है
Prof Kabara Sir !

[3/19, 8:26 PM] Vd.Falguni:

 All Dr
This case just curious as vat dosh  dushti is there 
I could see even tridosh dushti
And 
How to follow and apply
Vat चिकित्सा is very challenging
What I observed
I read वात रक्त चिकित्सा from चरक संहिता
स्नेह पान कहा है
यस्तिमधु तेल
शतावरी घृत एंड many different ghee and it's basti also.


[3/20, 1:23 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*दोष-दूष्य-स्रोतस और उनकी दुष्टि - इस रूग्णा में क्या मिला ? 
केवल modern diagnosis और चिकित्सा आयुर्वेद की !*

*आपको भी आयुर्वेद औषधियों का फार्मूला चाहिये... हमारा अत्यन्त परिश्रम यहां यह रहता है कि रोग को अच्छी तरह समझें, चिकित्सा बाद की बात है।व्याधि का निदान तो हुआ नही फिर चिकित्सा करना हवा में तीर चलाने जैसा है।*

*'वातरक्त की सम्प्राप्ति में 
'वायुर्विवृद्धौ वृद्धेन रक्तेनावारित: पथि' 
बढ़े हुये तथा दूषित रक्त द्वारा वायु का मार्ग रूक जाता है जिस से 
'कृत्स्नं सन्दूश्येद्रक्तं चज्जेयं वातशोणितम्' 
च चि 29/10-11 
इस प्रकार की स्थिति में वह वृद्ध वायुशरीर के सम्पूर्ण रक्त को दूषित कर देता है। वातरक्त के हेतु देखें तो प्रमेह रोग और वात़शोणित के अधिकतर निदान सामान्य है आनूप प्राणियों का मांस, सुकुमार, मिष्ठान्न मधुर पदार्थ, सुखभोजिनाम, दिवास्वप्न आदि ( च चि 29/6-7) ।*

*अनेक प्रमेह, आधुनिक DM, HT, वात रक्त और hypothyroidism के रोगी ऐसे मिलेंगे जिनके आरंभिक हेतु समान है पर उनमें ये उपरोक्त तीन चार व्याधियां है और सभी व्याधियों की अलग सम्प्राप्ति बन रही है और चिकित्सा भी सब की अलग।*

*यह व्याधि संकर आयुर्वेदानुसार है, इसे इस प्रकार समझने का प्रयास करें कि यहां जो सम्प्राप्ति घटित हो रही है उसमें मार्गावरोध है जो स्रोतस का संग दोष है और और संग दोष आमविष सम्मूर्छना से होता है तो यहां रक्त साम है, सुश्रुत इसे और स्पष्ट करते हैं 
'पादयोर्मूलमास्थाय कदाचितस्तयोरपि, आखोर्विषमिव क्रुद्धं तद्देहमुपसर्पति'  
सु नि 1/48
 जिस प्रकार चूहे का विष एक स्थान पर प्रविष्ट सारे शरीर में फैलता है उसी प्रकार यह वात रक्त भी प्रसर करता है।वातरक्त के पूर्वरूपों में संधिशैथिल्य, आलस्य, गुरूत्वं
 (च चि 29/17) आदि आम दोष की स्थिति ही बताते हैं।*

*रक्तमेद: प्रसादावृकौ' सु शा 4/30*

*कफज वातरक्त 
'स्तैमित्यं गौरवं स्नेह: सुप्तिर्मंन्दा च रूक् कफे'
 च चि 29/28 
गीले कपड़े के समान लपेटा शरीर, गुरूता, गात्र स्नेह अर्थात चिकनाहट, शून्यता और मंद वेदना। ये सब कफ की अधिकता में कहे हैं।*

*इस 29 अध्याय में श्लोक 5-7 में हेतुओं में लवण, स्निग्ध, अध्ययशन, क्लिन्न, इक्षु, दिवा स्वप्न, मधुर भोजन, सुखपूर्वक भोजन और अचंक्रमण शीलता अर्थात चलना फिरना नही आदि अनेक कफ वर्धक कारण बताये गये हैं।*

*सिरागत कफ इसमें गुरूता और स्तंभ लक्षण लायेगा और स्नायु गत कफ यहां पर मंद वेदना कर रहा है। कफ के नैसर्गिक गुण 7 हैं जिनसे हम अंशांश कल्पना करते है ये क्रमानुसार गुरू शीत मृदु स्निग्ध मधुर स्थिर और पिच्छिल हैं। श्लोक 5 से 7 में जो हेतु बताये गये हैं जैसे दिवास्वप्न ही मान ले तो उसके करने से संपूर्ण कफ के गुण नही बढ़ेगे उसने रोगी में गुरू और स्थिर गुण बढ़ा दिया तो शरीर में भी गुरूता आ गई और स्थिर गुण ने वात के चल गुण का अवरोध कर दिया तो शून्यता आ जायेगी और स्तंभ सदृश लक्षण उत्पन्न होने लगेंगे।ये लक्षण संधियों में, सिराओं और स्नायुओं में तीनों स्थानों में और कहीं भी हो सकते हैं।*

*जो लक्षण हमें चरक में बतायें हैं वो प्रतीक मात्र हैं इसके अतिरिक्त भी कफज वातरक्त में अनेक लक्षण कफज के मिलेंगे उन्हे हमें अपने ज्ञान से समझना है।*

*Hypothyroidism के रोगियों के लक्षणों को अगर स्त्रियों में प्रकुपित दोषों के अनुसार देखें तो इस प्रकार मिलते हैं,*

*कुछ रूग्णाओं में अति तीव्रता से मेद और कफ का संचय।*
*श्रम अथवा बिना परिश्रम या थोड़ा कार्य करते ही थक जाना*
 *हस्त शून्यता या tingling प्रतीति*
 *विबन्ध*
 *स्थौल्य*
*स्मरण शक्ति अल्पता*
 *अरति या सर्वांग शरीर में पीड़ा का अनुभव जो कभी कभी दौर्बल्य के कारण भी लगता है।*
 *अनेक रूग्णाओं में cholesterol सामान्य से अधिक मिलती है जो धात्वाग्निमांद्य है।*
 *तमो गुण, आम दोष एवं कफ वृद्धि के कारण उदासीनता*
 *शीत असहिष्णुता*
 *त्वक् एवं केशों की रूक्षता एवं खरता*
 *अनियमित एवं कदाचित अति आर्तव*
 *नेत्र, अक्षिकूट,मुख प्रदेश शोथ*
 *स्वर दौर्बल्य, स्वर मंद, स्वर गुरूता *

*hypothyroidism की रूग्णा, कफ , आम और मेद की अधिकता क्योंकि आपने लिखा है body wt. 88 kg उस पर स्नेह पान, 
'निर्जितकफमेदसि वाते वातरक्तप्रसादिनी क्रिया अत्रैवोक्तस्नेहप्रयोगादिका कार्या'*
*अर्थात पूर्वोक्त कफ मेद दुष्टि ठीक हो जाने पर वातरक्तप्रसादिनी क्रिया और स्नेह प्रयोग करना चाहिए ।*

*इसी लिये कह रहे है पहले व्याधि को समझिये।*

Dr. Falguni !


[3/20, 10:40 AM] Vd.Falguni: 

यह रुग्णा में 
दोष साम वायु (विबन्ध अनिंद्रा उत्साह अभाव.. मनोवह स्त्रोत उभयेंद्रि मन उदास)
 साम कफ (सर्वांग शोथ आम के सब लक्षण)
दुष्य - रस धातु रक्त धातु (विष जैसे लक्षण।। दुषी विष जैसे लक्षण अपथ्य सेवन से शूल)
मेद धात्वग्नि मंद (स्थूलता है। समग्र आंख के आसपास fatty tissue and cyst deposited)
आम है मंदाग्नि है
मल प्रवृति - विबंध है हरितकी लेने से ही मल विसर्जन होता है
जैसे की गुरूजी आपने बताया 
मेरा अभ्यास शुरू हुआ है
कठिनाईयां आती हैं तो वैध्यगण से पूछती हूं
साधना अभ्यास नित्य करती हु।
पथ्य पालन से रुग्ण को काफी फायदा है
पर जब पित्त और कफ साथ में साम होते है तो बड़ी चुनौती लगती हैं
जैसे यह रुग्ण को शोथ भी है मुझे गोमूत्र हरितकी देने से कफ दोष में लाभ पर
पित्त रक्त प्राकुपित होने का भय होता है
तो आपसे पुछा
आप से पूछने से भय प्रतीत नहीं होता
वरना अज्ञान को हटाने में असमर्थता आएगी।

[3/20, 10:40 AM] Vd.Falguni:

 गुरुजी आपका धन्यवाद मानती हूं
सहायता करने के लिए ।
आ सुभाष सर।



[3/20, 10:51 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *निःसंकोच हो कर अपनी जिज्ञासायें रखिये, हमारा काम ही आप जैसी नई पीढ़ी को आयुर्वेद क्षेत्र में निर्भय और निःसंकोच बनाना है... आप जिस प्रकार से आयुर्वेद के सिद्धान्तों को समझने का प्रयास करती है वह अत्यन्त सराहनीय है 👍👌🌹*

Dr Falguni !

 *पित्त का प्रकुपित होना ! यहां सीधे अंशांश कल्पना पर जायें और देखें कि किन अंशों की वृद्धि होगी जैसे उष्ण , तीक्ष्णादि उनका निर्धारण करिये।*

[3/20, 10:55 AM] Vd.Falguni: 

जी गुरुजी !

[3/20, 10:56 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *गौमूत्र हरीतकी केवल सांयकाल 6 -7 बजे के आसपास 1-1.5 gm विरेचन हेतु दीजिये, आप कुटकी 1 gm और गौमूत्र हरीतकी दोनों मिलाकर देंगे तो body wt. कम होगा, यह अनुलोमन, स्रोतो शोधन, पाचन, शोथध्न और रेचन समस्त कार्य करेगी।*

*एक देशे वृद्धि अन्य देशे क्षय - इस सूत्र को फलित कर balancing करती हैं।*

[3/20, 10:57 AM] Vd.Falguni: 

अभी धान्यक द्रव्य गुण से पढ़ा 
यह कफ पित्त शामक है
निर्भय होकर दे सकते है
किंतु शिंगाड़ा अभी botanical name 
सर्च करने के साथ पढ़ लूंगी।

[3/20, 10:57 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*कभी भल्लातक का प्रयोग भी आपने किया है क्या ?*

[3/20, 11:00 AM] Vd.Falguni: 

आमवात में बहुत लाभ मिला है
रुग्ण को ६ पैन किलर पहले लेनी पड़ती थी
अब तीन ले रहे है।
२० वर्ष जीर्ण आमवाता है 
७ महीने में यह लाभ मिला है
भिलामा
हरितकी
विश्वभेषज यह अमृत है ।

[3/20, 11:00 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *पुनर्नवा गुग्गुलु में भल्लातक भी है यह इस रूग्णा मे बहुत कार्य करेगा, भल्लातक वातरक्त और hypothyroidism दोनों में सहायक है साथ ही पुनर्नवा गुग्गुलु मूत्र का रेचन कर पित्त की उष्णता, तीक्ष्णता का मूत्र विरेचनीय कर्म कर देता है आप इसे तृणपंचमूल या अश्मरीहर क्वाथ के साथ दीजिये।*

[3/20, 11:01 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

Dr Falguni !

 *बहुत ही अच्छा line of treatment है आपका 👌👌👌👌*

[3/20, 11:02 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *भिलावा  cap serenkottai मे पूरी मात्रा में है आप प्रयोग करें ।*

*एक बार में 65 mg से अधिक भिलावा ना दें।*

[3/20, 11:12 AM] Vd.Falguni: 

इसका बहुत बड़ा भय था
यह निकलने के लिए चरक संहिता से अजीर्ण बड़ा ध्यान लगाके पढ़ी तब जाके
भय भाग गया।
२० साल पुराना आमवत ठीक हुआ
साथ ही रुग्ण को ५ बार अशमरी का operation करवाया था।
उदारवर्त के सभी लक्षण यह pt में थे
उदावर्त ठीक हुआ
अभी अशमारी हर १५ दिन में खुद से निकलती है
यह आयुर्वेद का प्रभाव है।

[3/20, 11:15 AM] Vd.Falguni: 

यह प्रयोग करती हु।
गुरुजी
ध्यान रखती हूं

[3/20, 11:16 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *यशस्वी भवः 🌹👌*

[3/20, 11:18 AM] Vd.Falguni: 

जी गुरुजी
अंशश कल्पना 
समझने के लिए 
पदार्थ विज्ञान पढ़ती हूं
और क्या करू जिससे मुझे यह पक्का स्पष्ट हो जाए
आप मार्गदर्शन करें

[3/20, 11:19 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *हम यहां काय सम्प्रदाय मे पढ़ा देंगे और सब शंकाओ का समाधान भी कर देंगे।*

[3/20, 11:22 AM] Vd.Falguni: 

Sir
मुझे बिलकुल पता नही है।
मुझे पढ़ना ही है।
अष्टांग हृदय से दोष के गुण पढ़ती रहती हू
इससे ही काफी स्पष्ट हुआ है
पर आप सब बार बार यह बोलते है
अंशाश कल्पना यह समझ नहीं आता ।

यही ध्येय यही प्रयास यही प्रार्थना है ।

[3/20, 12:23 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

संतर्पण विरुद्ध अतर्पण है,

अपतर्पण नही ।

[3/20, 12:32 PM] Vd Shailendra Mehta: 👌🏻🙏🏻

[3/20, 12:34 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*सही कथन प्रिय काबरा भाई जी,

'गुरु चातर्पणं चेष्टं स्थूलानां कर्शनं प्रति कृशानां बृंहणार्थं च लघु सन्तर्पणं च यत्'
 च सू 21/20 
का संदर्भ यही है और आचार्य चक्रपाणि ने स्पष्ट किया है,

'गुरु चातर्पणं च यथा- मधु; एतद्धि गुरुत्वाद्वृद्धमग्निं यापयति, अतर्पणात्वाच्च मेदो हन्ति' *

[3/20, 12:38 PM] Dr. Shekhar Singh Rathore Jabalpur: 

प्रणाम सर
अतर्पण = संतर्पण..ना करना या रोकना 
अपतर्पण = संतर्पण जन्य प्रभाव को रिवर्स करना

ऐसा सही है क्या..?

[3/20, 1:07 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *च सू 26/ 8 सूत्र में आचार्य चक्रपाणि ने स्पष्ट किया है,'छेदनीय इति अपतर्पणकारकः' , मैं दिल्ली से बाहर हूं नहीं तो गौड़ सर की एषणा व्याख्या से और अधिक स्पष्ट हो जाता।*

*किसी के पास उपलब्ध है तो वह यहां प्रेषित करने की कृपा करें।*

[3/20, 1:16 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

अपतर्पण तीन प्रकार 
लंघन
लंघनपाचन 
दोषावसेचन


[3/20, 1:19 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

लंघन से या अपतर्पण से अग्नी प्रवृद्ध होती है,

[3/20, 1:23 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

अतर्पण से अग्नी प्रवृद्ध  नही होगी जैसे वैद्य वर शर्माजी ने शहद को निर्देशित कीया 

 यही स्थौल्य मे अपेक्षित है ।

[3/20, 1:41 PM] Dr. Vandana Vats Patiyala:

 अपतर्पण, का पर्याय लंघन कहा गया है और शोधन  एवं शमन उसके भेद वर्णित है। 

*उपक्रम्यस्य हि द्वित्वाद् द्विधैवोपक्रमो मतः*
*एकः सन्तर्पणस्तत्र द्वितियःच अपतर्पणः*

    *अ हृ सू १४/१*
🙏

[3/20, 1:55 PM] Dr. Vandana Vats Patiyala:

 दोषावसेचन से क्या समझे गुरूवर🙏

[3/20, 1:57 PM] Dr. Shekhar Singh Rathore Jabalpur: 

शोधन.

[3/20, 1:57 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

शोधन *दोषावसेचन-दोष का शोधन*

[3/20, 1:59 PM] Dr. Vandana Vats Patiyala:

 शोधन, शमन दोनों ही अपतर्पण के भेद है।

[3/20, 2:10 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

आप सही है, इसीलीये स्थौल्य मे अपतर्पण यह शब्द नही कहा परंतु अतर्पण जैसे मधु का प्रयोग कहा है मधु गुरू होने कारण वृद्धअग्नी का शमन करे
अपतर्पण (शोधन शमन) अग्नी बढायेगा जो स्थौल्य मे अपेक्षीत नही

[3/20, 2:13 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

इसी सिद्धांत का सहारा लेकर त्रिफला तैलपान के अच्छे परीणाम मिले
👆अर्थात स्थौल्य मे

[3/20, 2:18 PM] Vd.Falguni:

 यह सूक्ष्म अवलोकन समझ आया।

[3/20, 2:19 PM] Vd.Falguni: 

दोषा अवसेचन से क्या समझे?

[3/20, 2:20 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

त्रिफलातैलपान पश्चात भुक नही लगती (शोधन हेतु स्नेह जीस मात्रा मे देते है उसी मात्रा मे दे)
मेरा वजन त्रिफलातैलपान से कम हुआ है

[3/20, 2:22 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

दोषावसेचन शोधन है (विमान स्थान)

[3/20, 4:28 PM] Vaidya Ashok Rathod Oman:

 *गुरूवर, त्रिफलातैलपान विधी किस प्रकार से किया जाना चाहिये? कृपया प्रकाश डालने कृपा करे।* 🙏🏼

[3/20, 5:02 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

●शोधन के पुर्व स्नेहन आवश्यक है, शोधन के लिए स्नेहपान सुबह देते है, वही विधी से मैने स्नेहपान (त्रिफलातैलपान)किया था / 
●मात्रा 30 से 50 मिली से लेकर सात दिन क्रमश:मात्रा बढाना 
*स्नेहपान पश्चात भोजन वर्ज्य*
*भोजन स्नेहन के पाचन पश्चात ही करे
*भोजन मे मुंगदाल(छिलके के साथ) के साथ ज्वारी से बनी आधी रोटी(मराठी मे भाकर) सिर्फ रात्री के भोजन मे

[3/20, 5:05 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:

 सामान्य तया दोपहर का खाना नही देना चाहिये

[3/20, 5:06 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: सुबह स्नेहपान करने पर भोजन करने की इच्छा नही होती

[3/20, 5:07 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

यही विधी से त्रिफलातैलपान कराते है

[3/20, 5:07 PM] Vaidya Ashok Rathod Oman:

 धन्यवाद गुरुवर, क्रमश: मात्रा किस तरह बढ़ानी चाहिए? 🙏🏼🙏🏼🌹

[3/20, 5:09 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

20 से 30 मिली से बढाते है,ये निश्चित ही अग्नी सापेक्ष है

[3/20, 5:10 PM] Vaidya Ashok Rathod Oman:

 एक अंतिम प्रश्न, त्रिफलातैल सेवनकाल कितने दिनों तक करें? 🙏🏼🙏🏼

[3/20, 5:11 PM] Vd.Falguni: 

Which oil?
Sir ji?

[3/20, 5:12 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:

 ये मात्रा रूग्ण निहाय कम भी हो सकती है सात वे दिन ये मात्रा लगभग 100 मिली से 150 मिली तक हो जाती  है

[3/20, 5:13 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:

 हम ने सात दिन का क्रम अपनाया

[3/20, 5:14 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:

 त्रिफलातैल (चक्रदत्तसंग्रह) बनवाया था ।

[3/20, 5:16 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

स्नेह सात्म्य होनेसे सात दिनसे जादा नही ।

[3/20, 5:17 PM] Dr. Vandana Vats Patiyala:

 जी, धन्यवाद सर। 
🙏

[3/20, 5:18 PM] Vaidya Ashok Rathod Oman: 

बहोत धन्यवाद, गुरुवर। इस महत्त्वपूर्ण जानकारी से कुछ याद आया, कुछ साल पूर्व एक रुग्ण अपना वजन कम करने के लिए केवल नारियल तैलपान का प्रयोग कर रहा था, लेकिन उसे कोई उपशय प्राप्ति नही मिली थी। त्रिफलातैलपान से अवश्य ही लाभ होगा। 🙏🏼🙏🏼🌹🌹

[3/20, 5:24 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

गुरू अतर्पणं चेष्टा स्थुलानां कर्षणं प्रती

अपतर्पण नही परंतु अतर्पण आवश्यक है
चेष्टा
आहार अत्यंत महत्त्वपूर्ण है l

[3/20, 5:28 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:

 ये कोई जीम का पॅकेज नही है तीन मास मे देहभार कम हो l

[3/20, 5:29 PM] Vd Dilkhush Tamboli: ✅✅✅👌

[3/20, 5:29 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

हो तो जायेगा लेकिन बंद करने पश्चात फिरसे बढेगा l

[3/20, 5:31 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:

 हमे वो आहार विहार की जीवनशैली अपनाना होगी


चरक सूत्र 26/43 देखे

 मधुर रस अतियोग देखे

[3/20, 5:37 PM] Vaidya Ashok Rathod Oman: 

🙏🏼🙏🏼
तत्र, मधुरो रसः शरीरसात्म्याद्रसरुधिरमांसमेदोस्थिमज्जौजःशुक्राभिवर्धन आयुष्यः षडिन्द्रियप्रसादनो बलवर्णकरः पित्तविषमारुतघ्नस्तृष्णादाहप्रशमनस्त्वच्यः केश्यः कण्ठ्यो बल्यः प्रीणनो जीवनस्तर्पणो बृंहणः स्थैर्यकरः क्षीणक्षतसन्धानकरो घ्राणमुखकण्ठौष्ठजिह्वाप्रह्लादनो  दाहमूर्च्छाप्रशमनः षट्पदपिपीलिकानामिष्टतमः स्निग्धः शीतो गुरुश्च|
स एवङ्गुणोऽप्येक एवात्यर्थमुपयुज्यमानः स्थौल्यं मार्दवमालस्यमतिस्वप्नं गौरवमनन्नाभिलाषमग्नेर्दौर्बल्यमास्यकण्ठयोर्मांसाभिवृद्धिं श्वासकासप्रतिश्यायालसकशीतज्वरानाहास्यमाधुर्यवमथुसञ्ज्ञास्वरप्रणाशगलगण्डगण्डमालाश्लीपद- गलशोफबस्तिधमनीगलोपलेपाक्ष्यामयाभिष्यन्दानित्येवम्प्रभृतीन् कफजान् विकारानुपजनयति |४३|

[3/20, 5:44 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

मधुर रस का सेवन टालना चाहिये ।

*जीव्हालौल्यात* ये कठीण है / सिर्फ मिठाई ही नही बल्की मधुर रसयुक्त गेहु तथा उससे बने पदार्थ

[3/20, 5:45 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:

 इसीलिए आज मिलेट की बहोत जोरो से चर्चा हो रही है l

[3/20, 5:54 PM] Vaidya Ashok Rathod Oman:

 मिलेट (कुधान्य) यह गरीबों का खाना अब काफ़ी महंगा होते हुआ नजर आ रहा हैं।

[3/20, 5:58 PM] Dr. Vandana Vats Patiyala:

 Millets, कुधान्य चर्चा में तो बहुत है, परन्तु इनके नित्य सेवन पर तो व्यक्ति प्रकृति, काल, देश, रितु अनुसार विचार करके ही उपयोग में लाना चाहिए। 🙏

[3/20, 5:59 PM] Dr. Shekhar Singh Rathore Jabalpur: 

7 दिन में कितना कम हुआ सर...🙏🏻... पहले कितना था.

[3/20, 6:00 PM] Vaidya Ashok Rathod Oman:

 संतर्पणजन्य व्याधि में अतर्पण का विचार ही उत्तम विचार हैं। 🙏🏼🙏🏼

[3/20, 6:01 PM] Dr.Ravi Prakash “jani”:

 सादर प्रणाम गुरुदेव 

normally ये देखने को मिलता हैं की मोटा इंसान और मधुमेह का रोगी जिह्वा  के वश में होते हैं। 
उनसे पथ्य पालन करवाना बहुत मुश्किल होता हैं 
🙏🏻🙏🏻

[3/20, 6:02 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

On average 4 to 6 kg.
My weight was reduced from 118 to 111.kg wt within seven days

[3/20, 6:04 PM] Dr.Ravi Prakash “jani”:

 vyoshadi सत्तू obesity और मधुमेह   दोनो में अच्छा परिणाम देता हैं। 
मेरा experience
एक माह में ६-८ kg weight कम कर देता हैं।

[3/20, 6:04 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:

 It's continued process. Now a days my weight is around 95 kg. After Tailpan about 5/6 years had been spent.

[3/20, 6:06 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

होना ही है, क्योकी सत्तु अतर्पण है

[3/20, 6:10 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:

 त्रिफलातैलपान से HOMA IR(Insulin resistance) पर भी उपयुक्त परीणाम देखे है, जो वमन-विरेचन पश्चात बढ जाता है

[3/20, 6:17 PM] Dr. Vandana Vats Patiyala:

 *धाने षोषणे साधुः*, धान्य का अर्थ है शरीर पुष्टि का साधक खाद्य या औषधोपयोगी बीज।
🙏
वाग्भटः के तृण धान्य, व सु सू, अ ४६, में वर्णित *कुधान्य*, जो कि तृण धान्य के दाने या बीज है, आजकल बहुत प्रचलन में है। कंगुनी, कोदरा, राजगुरू,  श्यामक, आदि (commonly called Millets), यह सब प्रायः रस में कषाय, मधुर, वीर्य में शीतल, लघु, कफपित्त नाशक, व वातकारक होते हैं। अनाज न माने जाने से ये कुधान्य उपवास में खाने को निर्देशित है। यह वर्ष क्योंकि United Nations , ने International Year Of Millets, 2023, घोषीत किया है! तो क्या दिनचर्या में एक भोजन काल में कुधान्य को सम्मिलित किया जा सकता है,यह बहुत महत्वपूर्ण है। अतर्पण करने के चक्कर में कहीं ये प्रतिदिन प्रयोग से वात को प्रकुपितः कर वात जन्य व्याधि कारक न हो। आजकल dieticians recomendation, से बहुतायत में मिलट खाकर वात, पित्त दुष्टी वाले मरीज भी बहुतायत में है। 
🙏

[3/20, 6:22 PM] Dr. Vandana Vats Patiyala:

 चर्चा से अलग प्रश्न पर  क्षमा🙏

कृपा गुरुजन मार्ग दर्शन करे कि 
Autism को आयुर्वेदिक परिपेक्ष में किस प्रकार समझा जा सकता है ?

[3/20, 6:47 PM] Dr Mansukh R Mangukiya Gujarat: 

य.गो.जोशी सरने बताया हुआ एक योग अश्वस्थ घृत अच्छा है।
मेंने एक मरीज को दिया था , परिणाम पर मिल रहा था,पर मरीज को अच्छा न लगने की वजह से बंद कर दिया।

[3/20, 7:02 PM] Vd Shailendra Mehta:

 बहोत ही उपयुक्त चिंतन,,,Resp Mam👌🏻👌🏻

[3/20, 7:31 PM] Dr. Vandana Vats Patiyala:

 धन्यवाद
 घटक द्रव्य क्या है? 

बीजदुष्टि जन्य / मानस रोग, किस अनुसार संप्राप्ति, बना सकते हैं? 
कृपया बताए l

[3/20, 7:38 PM] Dr. Savita Mittal:

 Draksha is good.and- isabgol 2gm +haritki 2gm +yashti 2gm at night for 8-10 days is giving good results.

[3/20, 8:47 PM] Dr. Pawan Madan: 

प्रणाम गुरु जी

इस सारे प्रयोग से अतर्पण फलित हुआ जिसके फल स्वरूप आपक 5 से 6 किलो weight कम हुआ। 
जैसा के आपने बताया के तैल पान के बाद, ज्यादा भूख नहीं लगती , व जब लगे भी तो केवल मूँग छिलका दाल ही खानी है।

तो ये किसी अन्य प्रयोग से भी हो सकेगा।

मैने कुछ महिने पहले 4 किलो वजन केवल गेहूं बन्द कर के 8 दिनों में किया था।

🙏🙏

[3/20, 8:50 PM] Dr. Pawan Madan:

 बिल्कुल सही कहा।

एक रोगी ने इन millets का प्रयोग वजन कम करने के लिये कीय।
पित्त प्रकृति का पर्सन था, pemphigus stimulate हो गया।
😥

[3/20, 9:16 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

यही सिद्धांत है, मधुर रस का त्याग करना/ स्थौल्य निदान परिवर्जन 
चरक सूत्र 36/43 मधुर रस अत्यधिक सेवन मे स्थौल्य है उसका निदान परिवर्जन l

[3/20, 9:20 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir:

 निश्चित ही अन्य प्रयोग भी कारगर है
मैने जो काम किया वो बात शेअर की

[3/20, 9:22 PM] Prof. Vd. Prakash Kabra Sir: 

सिद्धांत का महत्त्व आप भी साझा कर रहे है l

[3/21, 12:46 AM] Vaidya Ashok Rathod Oman: 

प्रणाम आचार्य जी, 

Calories cutting (अतर्पण) ✂️ is the only best solution. 

अतर्पण is nothing but calories cutting ✂️ from your diet. आपने गेहूं बंद कर के किया, किसीने तैल सेवन से किया, किसीने और तरीके से किया।

*अतर्पण का एक ही अर्थ है, आपके शरीर को तर्पण (आवश्यकता से अधिक पोषण) ना देना।*

वो आप कैसे भी कीजिए।

मैने तीन वर्ष पहले अतर्पण का प्रयोग स्वयं किया था जिसमे कोई भी आहार रस का त्याग नहीं किया था।

२४ घण्टे में केवल एक ही बार जो चाहिए, जितना चाहिए सेवन किया था। किसी भी रस को वर्ज्य किया नहीं था। और तीन माह में १८ किलो वजन कम हुआ था किसी भी व्यथा के बिना। जिससे मेरा बड़ा हुआ लिपिड प्रोफाइल, prediabetes sugar levels इन सभी का नामो निशान मिट गया। जिसका लाभ मुझे आज तक हुआ हैं। सभी रिपोर्ट्स नॉर्मल आते हैं। 

*अतर्पण में कोई रस का त्याग करके या किसी अत्यावश्यक पोषण तत्त्व का त्याग करके लाभ नहीं होता किंतु प्रमित आशन से ही संपूर्ण लाभ होता है वो किसी भी उपद्रव के बिना।*

*स्वयं का अनुभव आज बताना जरूरी समझा क्यू की ऐसा करना आसान नहीं हैं, बड़ा मनोधैर्य लगता हैं इसमें। जब आपको आहार सेवन की प्रबल इच्छा हो उस वक्त स्वयं पर विजय पाना अत्यावश्यक होता हैं। अब इस में ही सब कुछ समझना चाहिए।*

🙏🏼🙏🏼🌹

[3/21, 1:02 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

*सभी मित्रों का जिन्होने आज की सार्थक चर्चा में भाग लिया ह्रदय तल से आभार 🌹🙏 आप सभी का ज्ञान और अनुभव बहुत ही ज्ञानवर्धक एवं प्रायोगिक है जिनसे आज की आयुर्वेद में नवीन पीढ़ी सहित अन्य सभी को भी आशा है नवीन सीखने को मिलेगा एवं काय सम्प्रदाय मे लिखने की प्रेरणा भी।*

*विशेष धन्यवाद MD काय चिकित्सा में मेरे सहपाठी रहे प्रो.प्रकाश काबरा जी का भी जिन्होने अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अनेक जिज्ञासाओं का समाधान किया।आशा है वह आगे भी अपने विशिष्ट ज्ञान एवं अनुभव से सभी को अपनी ज्ञान गंगा से सहयोग देते रहेंगे🌹🙏*








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Above discussion held on 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp -discussion-group  of  well known Vaidyas from all over the India. 

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Compiled & Uploaded by

Vd. Rituraj Verma
B. A. M. S.
ShrDadaji Ayurveda & Panchakarma Center,
Khandawa, M.P., India.
Mobile No.:-
 +91 9669793990,
+91 9617617746

Edited by

Dr.Surendra A. Soni

M.D.,PhD (KC) 
Professor & Head
P.G. DEPT. OF KAYACHIKITSA
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, GUJARAT, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150

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