Skip to main content

Posts

Case-presentation series: Malignant Tongue Ulcer(घातक जिह्वार्बुद) by Vaidyaraja Subhash Sharma

[10/24, 01:12] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:  *case presentations -  जिव्हा व्रण एवं प्रसरणशील कैंसर की आयुर्वेदीय चिकित्सा व्यवस्था * *कैंसर एक असाध्य व्याधि है जिसमें चिकित्सा के भिन्न भिन्न तल या stages है, कैन्सर, प्रसरणशील जिव्हा व्रण या मुख में होने वाले व्रण इनके प्रसरण को रोकने में हम अपनी चिकित्सा में इस तल पर अपना व्यक्तिगत अनुभव दे रहे हैं।* *रूग्णा की यह स्थिति लगभग दो वर्ष से चल रही थी, जिव्हा में व्रण, अम्ल, लवण और कटु रस से मुख में पीड़ा युक्त असहिष्णुता, जिव्हा में पाक और आहार प्रवेश में कठिनता । FNAC में malignant cells के साथ ??? प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिया और biopsy के लिये भेजा गया जिसे रूग्णा के परिजनों ने कराया नही।* [10/24, 01:12] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:  *squamous cell carcinoma जिव्हा के कैंसर का सर्वाधिक मिलने वाला प्रकार है। इस प्रकार का कैंसर मिलने का स्थान त्वचा की सतह पर मुख, नासा, स्वरयंत्र, थायरॉयड और गले में श्वसन और पाचन तंत्र की lining हैं।* *जिव्हा के कैंसर के आरंभिक चरणों में विशेष रूप से जीभ के आधार पर कैंसर के साथ कभी कभी  कोई लक्षण दिखा

WDS 88: प्रमेह- मेद/मूत्रवह् स्रोतस् व्याधि ? (Prameha concerned to Medavah or Mutravah Srotas ?) by Vaidyaraja Subhash Sharma, Prof. Ramakant Sharma, Chulet, Prof. Giriraj Sharma, Dr. Pawan Madaan, Dr. Manu Vast, Dr. Amol Kadu, Dr. Pradip Mohan Sharma, Dr. Rajendra Vishnoi & others.

[7/3, 00:03] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi: *स्रोतो विमर्श - प्रमेह मेदोवाही स्रोतो व्याधि है या मूत्रवाही स्रोतों की ???* *मेदोवाही स्रोतों का मूल ‘मेदोवहानां स्रोतसां वृक्कौमूलं वपावहनं च’  च वि 5/7  और मूत्रवाही स्रोतों का मूल ‘मूत्रवहानां स्रोतसां बस्ति: मूलंवंक्षणौ च।’  च वि 5/7* *‘मूत्रवहे द्वे तयोर्मूलं वस्तिमेढ्रं  च।  सु शा 9* *विद्वानों से इस विषय पर चर्चा अपेक्षित है।* 🙏🙏🙏🙏 [7/3, 00:13] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:  *मेदोवाही स्रोतोदुष्टि कारण - अव्यायामाद् .... वारूण्याश्चातिसेवनात्।  च वि 5/15 अर्थात अव्यायाम दिवास्वप्न मेदोवर्धक पदार्थ और अति मदिरापान।* *मूत्रवाही स्रोतो दुष्टि कारण - मूत्रितोदक ...क्षीणस्याभिक्षतस्य च। अर्थात मूत्रवेग धारण में जलपान एवं भक्ष्य पदार्थ सेवन, मूत्रवेग धारण धातु क्षीणता एवं क्षत। च वि 5/20* [7/3, 07:50] pawan madan Dr:  *मेदस और क्लेद प्रमेह रोग के समवायी दुष्ट धातु हैं। मुझे लगता है मुख्या रूप से मूत्रवह स्रोतस दुष्टि है।* [7/3, 07:55] Dr Giriraj Sharma:  संभवत प्रमेह मेदोवह स्रोतः की दुष्टि जन्य रोग है जो सम्प्राप्त