This is a case that proves that components/basic consideration of Samprapti & Principles of management described by Acharya Charak are applicable in every branch of Ashtanga-ayurveda whether it is Shalya, Shalakya or Stri-roga-prasuti-tanatra etc.
Vaidya Subhash Sharma ji cured this case effectively with regulating the Apan-vayu & concerned srotasas in broader perspective by applying the classical consideration of basic samprapti and its 'Vighatana'.
Dr. Surendra A. Soni
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[8/13, 8:43 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*case study -
गर्भाशय ग्रन्थि -
Multiple uterine fibroids/nabothian cyst wih PCOD*
*रूग्णा/ age 37 yrs.*
*लक्षण - *
*अति एवं कृच्छआर्तव - समान वात*
*pain in lower abdomen - समान वात*
*wt. 73.4 kg - क्लेदक कफ - पाचक पित्त*
*पाद संधि शोथ - एवं शूल - श्लेषक कफ एवं व्यान वात*
*विबंध - अपान वात*
*कटि शूल - अपान एवं व्यान वात*
*अजीर्ण - पाचक पित्त क्लेदक कफ*
* मनोद्वेग - व्यान वात*
*थोड़ा सा श्रम करने पर भी श्वास कृच्छता - समान वात।*
*मुख शोथ - कफ*
*अधिकतर लक्षण वात एवं कफ के मिले तथा पित्त का अनुबंध मिला*
*सम्प्राप्ति घटक बने - *
*दोष - समान,अपान और व्यान वात,क्लेदक और श्लेषक कफ तथा पाचक पित्त*
*दूष्य - रस रक्त मांस मेद और आर्तव*
*स्रोतस - रस वाही और आर्तव वाही*
*स्रोतोदुष्टि - संग और अतिप्रवृति*
*व्याधि उद्भव स्थल - आमाश्य*
*अधिष्ठान -गर्भाश्य - आर्तववाही धमनी*
*साध्यासाध्यता - कृच्छ साध्य*
*चिकित्सा सूत्र - पाचन भेदन लेखन,रक्तशोधन, तीक्ष्ण के साथ आर्तव शमन,शोथहर*
*चिकित्सा - *
*वर्धमान पिप्पली( पिप्पली वात कफ हर,रसायन, पाचन और रेचन है)इस प्रकार दी ...*
*प्रथम दिवस - 5 पिप्पली 1 कप गोदुग्ध में 1 कप जल उबाल ( प्रात: 7 बजे खाली पेट) कर जब आधा रहा तो छान कर दिया।*
*दूसरे दिन 8,तीसरे दिन 11, चौथे दिन 14, पांचवे दिन 17 दी, रूग्णा को बेचैनी लग रही थी तो अगले दिन से क्रमश: 14,11,8 और 5 कर के बंद कर दी।*
*संध्या खाली पेट 2-3 gm हरीतकी चूर्ण तथा 2 gm कुटकी चूर्ण उष्णोदक से दे कर लगभग 10 gm गुड़ दिया।*
*तीन दिन बाद क्योंकि मल एक बार ही आ रहा था तो हरीतकी चूर्ण 5 gm कर दिया और मल प्रवृत्ति 4-5 बार होने लगी, यही हमारा उद्देश्य था।*
*कांचनार चूर्ण 5 gm, शरपुंखा चूर्ण 3gm और फलत्रिकादि क्वाथ चूर्ण 3 gm प्रात: सांय क्वाथ दिया गया।*
*आरोग्य वर्धिनी - दीपन,पाचन,गर्भाश्य शोथ, मेद हर,रक्त शोधक, सर्वांग शोथ*
*कांचनार गूगल - कफ वात हर, ग्रन्थि नाशक*
*नित्यानंद रस - कफ वात नाशक, ग्रन्थि हर*
*संजीवनी वटी - पाचन, कफ वात हर*
*जब चिकित्सा आरंभ की थी तो आर्तव का चौथा दिन था और रक्तस्राव लगभग बंद हो गया था फिर भी कार्पास की जड़ 3gm कांचनार के क्वाथ में 5 दिन मिला कर दे दी थी जिस से रक्त स्राव हुआ नही*
*u/s report इस प्रकार रही*
*17/7/2018*
*fibroids - 33/25 mm,30/22mm, 15/12 mm*
*nabothian cyst 11/8 mm*
*B/L PCOD*
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*8/8/2018*
*u/s - normal*
*कुल 21 दिन चिकित्सा दी गई, जिसमे लगभग 8 kg wt. कम हुआ।*
*देखें u/s reports*
Before Treatment-
After Treatment-
[8/13, 9:14 PM] Dr Giriraj Sharma:
आचार्य सादर नमन !
21 दिन में 8 kg वजन कम हो गया ,,,,
क्या स्वस्थ व्यक्ति में भी ये योग वजन कम कर सकते है बिना उपद्रव के
[8/13, 9:16 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*मेरी तो MD thesis ही मेदोरोग पर थी सर*
[8/13, 9:16 PM] Dr Narinder:
Great results sir..
Nice study too..
[8/13, 10:05 PM] Ashwini Kumar Sood Dr:
Unbelievable !
Marvellous !
[8/13, 10:17 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
U have to believe, we have to believe.everybody have to believe!!!!!
सम्यक् प्रयोगम् सर्वेषाम् सिद्धि : आख्याति कर्मणाम् ...
यदि प्रयोग सही है तो सभी चिकित्सकीय कर्मों में सिद्धि निश्चित है
वैद्यराज सुभाष शर्मा जी जितनी सूक्ष्म विवेचना , व्याधि निर्मापक सम्प्राप्ति के घटकों और तदनुरूप आवश्यक औषध योजना हेतु करते है ,तदुपरान्त चिकित्सा सिद्धि तो सामने ही है ,
प्रणाम आचार्य आपके चिकित्सा कौशल को ,
अविश्वसनीय को विश्वसनीय बनाते है आप !!!!
आपकी यशोगाथा आपके रोगी कहते है -
जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धा :
कवीशवरा:
नास्ति येशाम् यश: काये ज़रा मरणजम् भयम् !!!
[8/13, 10:25 PM] Ashwini Kumar Sood Dr:
Drji it means his results are so wonderful . अग्रेज जब हैरान होते तो unbieevable बोलते हैं
[8/13, 10:26 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
हाँ अंग्रेज़ जी ठीक कहा आपने
आश्चर्यचकित कर देते है लगभग प्रतिदिन !!!!
[8/13, 10:53 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*जिस दिन डॉ रमाकान्त शर्मा सर आये थे इनके सामने एक जलोदर की रूग्णा का 5 kg wt. 7 दिन में कम हुआ था।*
*स्वस्थ व्यक्ति को तो आहार, विहार और दिनचर्या से ही स्वस्थ रहना चाहिये।*
*मेरा स्वयं का wt. पिछले 35 वर्षों से 65 kg है।*
[8/13, 10:54 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi: *इसका भी share करना ही था पर आजकल समय नही निकाल पा रहा था।*
*चिकित्सा में ईश्वर कृपा भी होती है।*
*इसे मैं गुरूजनों का आशीर्वाद और परमात्मा की कृपा दृष्टि ही मानता हूं।
[8/13, 11:23 PM] Dr. R S. Soni, Delhi:
अद्भुत परिणाम सर !
स्वयं रुग्णा ने भी इतनी शीघ्र परिणाम की अपेक्षा नहीं की होगी।
[8/13, 11:27 PM] Dr Yogesh Gupta:
SIR TABLETS KI DOSES KITNI DI AAPNE.
[8/13, 11:32 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*VIP culture की patient है, husband delhi police में है, मैने एक महीने बाद u/s के लिये कहा था, नये रोगी में लाभ मिल भी जाता है। पिप्पली का प्रयोग ग्रन्थि या अर्बुद का पाक बहुत जल्दी कर देता है उसके उपरान्त भेदन, लेखन और अनुलोमन चाहिये, यदि एक एक दिन का महत्व वैद्य जानता हो तो लाभ मिल सकता है।एसे रोगियों के साथ प्रतिदिन जुड़ना भी पड़ता है और इसके लिये whatsapp का clinic का नं. हमेशा on रहता है।*
[8/13, 11:37 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*आरोग्य वर्धिनी और पुनर्नवा मंडूर की मात्रा आवश्यकता अनुसार 1-1 gm 2 से तीन बार भी दी जा सकती है, 350 mg की एक गोली 2-2 तीन बार या 2 बार भी रोग बल या रोगी बलानुसार दी जा सकती है, गुग्गलु की गोली मेरे यहां 300 mg की होती है 2-2 गोली 3 बार और नित्यानंद रस 2-2 दो बार हम देते है, इस रोगी को पुनर्नवा मंडूर नही दी गई थी।*
[8/14, 6:06 AM] pawan madan Dr: आभार !
[8/14, 6:12 AM] Dr Shashi Jindal:
How many cases of uterine fibroids u have treated . Was ritu kal varsha ritu was selective ? What precautions you will advise for new users as per your worthy experience.
[8/14, 6:32 AM] Dr Prashant Dalvi, Nanded: Great !
[8/14, 6:50 AM] Dr Surendra A Soni:
नमो नमः गुरुदेव ।
वास्तव में तो ये चमत्कार ही है ।
[8/14, 7:13 AM] Dr Shashi Jindal:
Ayurved is mathemetical algorhithem to solve the equation of disease, when all formulas (desh kaal matra aushadh etc.) are applied well miracled happen.
[8/14, 7:21 AM] Prof. KSR Prasad Tachnoayurveda: Correct !
[8/14, 7:30 AM] Shridutta Trivedi Dr:
sir !
Pt ko treatment doran aahar-Vihar jo diya (pathya-aapthya) usapar Prakash dijiye...jisase nidan parivarjan shikhane ko mile.
[8/14, 7:52 AM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
हाँ और आप ने यह भी कहा था कि ये , आप के पेट से 5 kg पानी निकाला है हमने बिना छेद किये , उसी का वज़न कम हुवा है मैंने भी रिपोर्ट देखी थी , मेरे लिये भी आश्चर्य जनक था , फिर घर आकर चैक किया तो यह संभव है और यह दोष ही थे जो निकले , यह प्रास्थिकी शुद्धि की सीमाओं के परम का उदाहरण है !!!
नित्य विरेचन के बिना यह संभव नहीं ।
कुटकी अमलतास व हरीतकी के एक साथ प्रयोग की परिकल्पना स्वाभाविक नहीं है , सुख विरेचन, अनुलोमन व भेदन की संकल्पना अद्वितीय है आपकी ,
अमलतास सुखविरेचन को सुनिश्चित करता है ,अनुलोमन मलों के पाक के बाद ही निष्कासन को सुनिश्चित करता है ,और भेदन उस दोष के अध:पतन को सुनिश्चित करता है , नित्य विरेचन के रूप में प्रतिदिन दोष निष्कासन प्रतिदिन 700 gram के अनुसार time series /trend analysis करके बताया जा सकता है किसी सामान्य रहने पर रोगी के जलोदर का जल समाप्त हो जायेगा तथा पिच्छा की उत्पत्ति बंद हो जायेगी !!!!
राधे रानी आप पर अपनी कृपा बनाये रखे !
[8/14, 7:54 AM] Dr Shashi Jindal:
very nice explaination, really practical.
[8/14, 8:05 AM] Sanjay Chhajed Dr.
Mumbai: I fully agree with you sir. Subhash ji lakshan samprapti Kar ant me samyak roga samprapti evam rugna sthiti ko nirgamit karate hai. It is incredible. Easy to understand and follow but how he selects the medicine is extremely important to understand. Every selection seems appropriate.
[8/14, 8:12 AM] Dr Shashi Jindal:
It is only possible by continous adhyayan and abhyas.
[8/14, 8:18 AM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
On the basis of symptoms and dosik assessment by nadi .
After careful assessment of dosh dusya by nadi which takes more then 4-5 minuets sometime in some patients, he confirms his assessment by some questions to patients , after confirmation he smiles a lot before writing on paper , then again once reading of Pt face and Attendent he starts to write Prescription with smiling of face which becomes deeper is number of medicines is more !!!probably he warns/ talks to the dosh of patient that तु इस अवस्था में हो तुम्हें इस उपकरण से मारूँगा, बच के दिखा कैसे बचता है , और दोष को सम होना ही पड़ता है !!!!!!!
[8/14, 8:34 AM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
ज्ञानबुद्धिप्रदीपेन यो न आविशति तत्ववित् ।
आतुरस्य अन्तरात्मानम् न स रोगान् चिकित्सति ...का प्रतिक्षण प्रत्यक्ष करते है और कराते है श्रीमान जी ।
इस सूत्र का प्रायोगिक होता है वहाँ पर
[8/14, 8:38 AM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*uterine fibroids के cases पर study पहले भी group में post कर चुका हूं और मैने पहले भी लिखा था कि औषधियों का role 8-10 % होता है असली कार्य आहार,विहार,देश,काल,ऋतुचर्या, रोग बल रोगी बल,दिनचर्या, पथ्य आदि का है।*
*हमारी OPD कम से कम 125-150 रोगियों की repeatation सहित रहती है, सभी रोगों की चिकित्सा हम नही करते, जो व्याधियां हम ठीक कर सकते है और रोगी सहयोग करे उन्ही को ले कर चलते है।*
*प्रतिदिन इतने रोगियों को 32-33 वर्षों से देखना इसका अनुभव और आज भी नित्य शास्त्र का गहन अध्ययन करना ये सब एक confidence देता है।*
*कई जगह चिकित्सा में हम failure भी हो जाते है तो वहां मैं स्वयं को दोषी मानता हूं कि मेरे ही ज्ञान और अनुभव में कहीं कमी रह गई है।*
*कई रोगियों का wt. अधिक हो तो लाभ की गति कम रहती है, जैसे इस 52 yrs old lady इसका wt. 92 kg है pulse rate 60 pm & hypotension रहने के कारण surgery नही करा सकी ।*
9/6/18 को
Fibroid size 6.37 cm /7.15 cm
2/8/18 को report
5.65 cm/ 6.60 cm
*इस size के fibroid के रोगी हम लेते नही पर अन्य मार्ग ना होने पर इतना लाभ मिला, इसका wt reduce करने के लिये विरेचन देते है तो pulse rate और bp कम हो जाता है।*
* ये सब इसलिये लिख रहे है कि अगर निदान सम्प्राप्ति सही है, औषधियां अच्छी है तो आयुर्वेद काम अवश्य करती है।*
*डेढ़ महीने की चिकित्सा देने बाद size कम तो हुआ।*
*इसे मैं surgery recommend करता हूं पर अन्य मार्ग ना होने से औषधि देनी पड़ रही है नही तो ये psycho हो जायेगी*
[8/14, 9:02 AM] Ashwini Kumar Sood Dr:
Great achivement !
[8/14, 9:55 AM] Dr. R S. Soni, Delhi:
मुझे इस प्रक्रिया के साक्षात्कार का सौभाग्य प्राप्त हुआ है ।
[8/14, 9:56 AM] Dr. Shuchita Arora:
Sir very encouraging case study.i shared it with my friends also.one of them commented that karpas ki jad to oligomenoroea me dete he.ye to abortifacient he.is it so sir.aapne to karpas jad ko artav ke 4th day bleeding kam karne ke liye diya he na.
[8/14, 9:57 AM] Dr Surendra A Soni:
Great valuable guidance....!
Namo namah acharya shree...!!
[8/14, 10:23 AM] Sanjay Chhajed Dr. Mumbai:
Sirji, aapki opd ke ham pratyakshadarshi hai. Rugna ka aapshri par jo bharosa hamane dekha hai voh chakit karane wala hai. Iske bavjud agar rugna thik na hota ho to use prarabdha manana chahiye.
Ek is a binati hai jo aapse thik na ho sake, aur kahi dusari jagah par thik hue ho iski jankaari leve to pata chalega.
[8/14, 11:51 AM] Dr Rupinder Kaur:
Dhanyawad sir
Aapke case presentation se confidence badd jata hai.
[8/14, 4:29 PM] Anupma Patra AIMS AYU:
चिकित्सा तो किताब से पढ़ते रहते हैं पर उसका उपयोग करके फल को सामने रख कर हमारे प्रायोगिक ज्ञान की वृद्धि करने के लिए अशेष धन्यबाद तथा कोटि कोटि प्रणाम गुरुजी।
[8/15, 12:18 AM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*nadkarni के अनुसार कपास लघु,मधुर, उष्णवीर्य, वातहर,स्निग्ध, कफकारक,धातुवर्धक,nervine tonic,संग्रहणी रोगहर है।*
*दूसरी तरफ भावप्रकाश इसे वात हर के साथ पाक में गुरू कहते है।इनके अनुसार गर्भाश्य का संकोच हो कर रक्त स्राव रूकता है।*
*इस पर अलग अलग विरोधाभास मिलता है। *
*हम इसे 2-3 gm की मात्रा में हमेशा देते है और ‘आर्तव correction’ ही मिला है।यदि आर्तव 7-8 दिन तक चलता हो तो आर्तव के दूसरे या तीसरे दिन इस मात्रा में देने पर रक्तस्राव किंचित अधिक ला कर ये पांचवे दिन तक रोक देती है।*
*स्मरण रहे इसे क्वाथ के रूप में ही दे तो अधिक अच्छा है।*
*प्रत्यक्ष ज्ञान आपका स्वयं का अनुभव है।*
Dr. Shuchita !
[8/15, 7:53 AM] Dr Shashi Jindal:
fully agreed role of medicine is 8 to 10% , and if selected wrong will be disease producing.
[8/15, 7:58 AM] Dr Shashi Jindal:
Right sir, use of kapas is scientific. How can we take out pachit and kledit dosh from uterus, it is only possible with contraction of uterine muscles. some of them may reach git via blood circulation or expelled in menstrul blood. but is a que. what about next menstruation of the pt. ,is there any visible change ?
[8/15, 9:51 AM] Dr Rajender Bishnoi:
Sir please guide me by your valuable openion... Samprapti ghatak to aapne btaye... Samprapti or chiktsha sutra kaise decide kre.....
Chikitsa aapne jo btayi hai vo lakshano ke aadhar pe decide ki hai....
[8/15, 9:56 AM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*आज 15 aug. है, आराम से समय मिलते ही बताता हूं। लाक्षणिक चिकित्सा भी शास्त्र सम्मत है जो दी जाती है, ‘आपत्ति काले मर्यादा ना सन्ति:’ जब emergency हो तो सारी मर्यादायें तोड़ कर जीवन रक्षा ही सर्वश्रेष्ठ है।*
[8/15, 3:35 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*ना पाकमायान्ति कफाधिकत्वान्मेदोऽधिकत्वाच्च विशेषस्तु।*
*दोषस्थिरत्वाद् ग्रन्थनाच्च तेषां सर्वार्बुदान्येव निसर्गतस्तु।*
*कफ की विशेष कर के मेदाधिक्य से, दोषों की कठिनता एवं स्थैर्य से एवं स्वभाव से सर्व अर्बुद का पाक नही होता।* सु नि 11/19
*और देखें मेदोग्रन्थि - *
*शरीरवृद्धिक्षयवृद्धिहानि:..... अर्थात मेदोग्रन्थि शरीर वृद्धि क्षयानुसार वृद्धि और क्षय को प्राप्त होती है।* सु नि 11/6
*ग्रन्थि का हम पाक (पाचन) कर सकते है और जो कार्य शल्य चिकित्सा से होता है वो कर्म हम दहन,विलयन (दहनपाचनमूर्छन .... , सु सू 41) लेखन (लघुतीक्ष्णरूक्ष्णा ....सु सू 41) लघु,तीक्ष्ण रूक्ष द्रव्यों से, अवदारण, स्रावण, भेदनादि औषधियों से करते है।*
*सब से ज्यादा जोर आम पाचन पर दिया है जिसके लिये वर्धमान पिप्पली को लिया. पिप्पली को ....प्लीहशूलाममारूतान् - भा प्र हरीतक्यादि 55/ *
*ध्यान से देखें तो हर चीज स्पष्ट है - आम जन्य विकृति - पाचन - अनुलोमन भेदन लेखन - निर्हरण।*
Dr. Rajendra Ji !
************************************************************
Presented by
Vaidyaraj Subhash Sharma
MD (Kaya-chikitsa)
New Delhi, India
M:+91 9811122501
Reviewed & uploaded by
Dr.Surendra A. Soni
M.D., PhD (KC)
Associate Professor
Dept. of Kaya-chikitsa
Govt. Ayurveda College
Vadodara Gujarat, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150
धन्यवा,चरण स्पर्श ऐसे गुरुवरों को।❤️🌷🌷🙏🙏👌👌
ReplyDeleteSir अति एव कृच्छ आर्तव मे समान केसे दूषीत हो गया????
ReplyDeleteसमानवात ही आर्तव धारण करती है,पुरषों में शुक्रवाही और स्त्रियों में आर्तववाही स्रोतस इसी के द्वारा नियंत्रित है।इसका स्थान आमाश्य,पक्वाश्य सहित कोष्ठ और नाभि भी है इसके अतिरिक्त अंबु और स्वेद का धारण,अग्नि बल प्रदान करने सहित अग्निसंधु़ण भी करती है।
ReplyDeleteअपानवात गर्भ और आर्तव सहित शुक्र का निष्कासन करती है, मूल दुष्टि समान वात की है तभी केवल अपान वात की चिकित्सा से रोगियों को कभी लाभ मिल सकता है और अधिकतर नही।ऐसी रूग्णाओं में चिकित्सा दोनो वात को ले कर करें।
reply by vaidyaraja subhash sharma 👆🏿
ReplyDeleteBut sir समान का कार्य तो अन्नंगृह्णाति पचति विवेचयति मुन्चयति है ना तो आर्तव स्त्रोतस पर कार्य कैसे होगा????
ReplyDelete*स्वेददोषाम्बुवाहीनि* स्रोतांसि समधिष्ठितः ।
Delete*अन्तरग्नेश्च पार्श्वस्थः* समानोऽग्निबलप्रदः ॥८॥
आर्तवम् आग्नेयम् ।।