[1/5, 12:39 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*case presentation *
*पुरीषवाही स्रोतोदुष्टिजन्य रक्त स्राव - ulcerative-colitis-
सम्प्राप्ति एवं चिकित्सा*
सम्प्राप्ति एवं चिकित्सा*
*रोगी 36 yrs./ male / businessman/ udaipur (rajasthan)*
*मुख्य लक्षण - (रोगी हमारे पास 4 अप्रैल 2019 को आया था, एक सप्ताह पूर्व जब हमने उसे फोन पर मल के अलग अलग दिनों की pics लाने को कहा था) मल के साथ आम एवं रक्त मिश्रित मल, मल प्रवृत्ति भोजनोत्तर और 3 से 5 बार भी, उदर में आनाह एवं गुरूता। आम युक्त मल की स्थिति इस प्रकार थी...* 👇🏿
[1/5, 12:39 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*रक्त इस प्रकार भी दिखता था 👇🏿*
[1/5, 12:39 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*History of present illness ..*
*oct 2016 में रोगी को ulcerative colitis diagnosis हो गया था, वर्ष में दो बार steroids higher dose से दे कर बंद कर दी जाती थी, tab mesacol 2 bd तभी से दी जा रही थी। फरवरी 2019 में रोगी हमारे पास आया था तो उसे fatty liver, renal calculus की समस्या थी जिसे एक महीने में ही हल कर दिया था और उसे अप्रैल 2019 में पुन: ul.colitis की चिकित्सा के लिये आने को कहा क्योंकि इन दिनो में तक्र का भरपूर सेवन करा सकते हैं।*
*History of past illness..*
*रोगी को बचपन से ही मिठाईयां, उड़द, मैदा और बेसन युक्त व्यंजन का शौक था, रात्रि को भोजन करते ही दुग्ध पान करने से भी ग्रहणी रोग के लक्षण मिलते रहते थे जिसी औषध समय समय पर ली जाती थी।*
*कुल वृत्त - प्रतिष्ठित व्यवसायी परिवार पर व्यवसाय से संबधित मानसिक तनाव भी उतने ही।*
*ulcerative colitis वर्तमान समय के प्रमुख रोगों में से एक है और जिस प्रकार ulcerative colitis के लक्षण आजकल रोगियों में पाये जाते हैं वे सब आर्ष ग्रन्थों में भिन्न भिन्न स्थानों पर अलग अलग रोगावस्था के रूप में उल्लेखित हैं पर सभी में एक समानता मिलती है कि यह पुरीषवाही स्रोतस विकृति है और इनका मूल अग्नि (पित्त) और आम है। ये सब वर्णन हमें च चि 19, सु उ 40, अ स चि 11, अ ह नि 8, अ स नि 8, अ ह चि 9 एवं च चि 15 ग्रहणी दोष चिकित्साध्याय में मिलता है । पिछले काफी समय से हम कुछ अनुक्त व्याधियों जैसे pcod, hypothyroidism, ut. fibroids, hyperinsulinemia, prostatomegaly, gall stone, ckd, cld, fatty liver etc. के निदान, सम्प्राप्ति, चिकित्सा सूत्र बनाकर किस प्रकार चिकित्सा करते है case presentations में प्रमाण सहित देते आये हैं । आज एक और अनुक्त व्याधि पर प्रकाश डालेंगे।*
*हारिद्रं हरितं नीलं कृष्णं रक्तपित्तोपगतम्.... इति पित्तातिसार: । च चि 19/6,
पित्तातिसारी यस्तवेतां क्रियां मुक्तवा निषेवते... कुर्याद् रक्तातिसारं तु रक्तमाशु प्रदूषयेत्।
च चि 19/70
च चि 19/70
इस रोग में संग्रहणी और रक्तातिसार के मिश्रित लक्षण मिलते हैं और कई रोगी जो कई वर्षों से पीड़ित है और लंबे समय से steroids एवं measacol जैसी औषधियों पर निर्भर हैं मानसिक रूप से दुर्बल हो जाते हैं और भयभीत रहते हैं कि शायद हमारा रोग पूरे जीवन में भी साध्य नही हो सकता ।
चरक चि 19/11 में आगंतुज अतिसार में
'आगन्तू द्वावतीसारौ मानसौ भयशोकजौ, तत्तयोर्लक्षणं वायोर्यदतीसार लक्षणम्।
'आगन्तू द्वावतीसारौ मानसौ भयशोकजौ, तत्तयोर्लक्षणं वायोर्यदतीसार लक्षणम्।
भय और शोक जन्य दो अन्य भी बताये हैं जो आजकल के समय में बहुत मिलते है, आपको ulcerative colitis के ऐसे अनेक रोगी मिलेंगें जिन्हे घर से बाहर निकलने से पूर्व ही भय बन जाता है और वात दोष कुपित होने से अनेक बार मल त्याग के लिये जाना पड़ता है और रक्त युक्त मल उन्हे शोक ग्रस्त कर देता है । इस प्रकार रोग का एक चक्र बना रहता है ।*
*ulcerative colitis के निदान के लिये रोगी की हम पूरी history लेते हैं और प्राप्त लक्षणों के आधार पर आयुर्वेद की सम्प्राप्ति का निर्माण करते है, आवश्यकता पड़ने पर colonoscopy or sigmoidoscopy test कराते हैं, कुछ रोगी एक बार कराने के बाद दोबारा इस प्रक्रिया से बचते हैं तो stool में before treatment और during treatment fecal occult blood test (FOBT) कराते हैं क्योंकि रोग निदान के लिये अन्य शास्त्रों के ज्ञान की भी चरक शास्त्र सूत्र स्थान में आज्ञा देता है।*
*पित्तातिसार, रक्तातिसार और ग्रहणी रोग ये इस रोग की जीर्णता को प्रदर्शित करते है , पहले तो ये रोग जाठराग्नि तक ही संबधित रहते है तब इनमे अन्न रस की दुष्टि रहती है पर जैसे जैसे रोग जीर्ण होता जाता है तब रस और रक्त धातु की दुष्टि और धात्वाग्निमांद्य के लक्षण मिलने लगते है और रोग पूर्ण रूप से उपरोक्त रोगों का मिश्रित स्वरूप जीर्ण पुरीषवाही स्रोतोदुष्टि जन्य रक्त युक्त मल अर्थात ulcerative colitis धारण कर लेता है ।*
*'षष्ठो पित्तधरा ... मलाश्यात् ... पक्वाश्योपस्थितम्' ग्रहणी छठी पित्तधरा कला है जो अन्न का धारण करती है इसमें लघु और बृहद दोनो आन्त्र का भाग आता है पर इस रोग में sigmoid colon क्षेत्र को दबाते ही रोगी स्पर्श सहन नही कर पाता, अगर हम रक्तातिसार, भयज - शोकज अतिसार और ग्रहणी इन रोगों की विभिन्न रोगियों में मिश्रित लक्षण देखें तो यह आज आधुनिक समय में दिखाई देता है और मानसिक कारणों की प्रधानता दिखाई देती है, जिसके कारण अग्नि मंद हो कर बृहद आन्त्र की मांसपेशियों की वात के चल गुण से गति बढ़ जाती है, यह अपानवात आन्त्र को क्षीण और संकुचित कफ से आन्त्र की कला में शोथ और पित्त से रक्ताभ वर्ण रहता है, शोक और भय आन्त्रों में क्षोभ उत्पन्न कर देते हैं थोड़ा सा भी उष्ण या असात्म्य आहार यहां तक कि मल अगर कठिन है तो वो भी रक्त स्राव मल के साथ ला देती हैं। इस विकार में प्राय: मल आम, पूय या रक्त युक्त होता है ।*
*इस रोग का diagnosis modern अनुसार किया जा चुका था ..*
[1/5, 12:39 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*सम्प्राप्ति घटक -*
*हेतु - *
*रोगियों में दुग्ध से बने मधुर और गुरू मिष्ठान, असात्म्य एवं आम दोष कारक आहार,क्रोध, रात्रिजागरण और उष्ण-तीक्ष्ण द्रव्य जैसे लाल मिर्च रसोन चटनी, मिर्च एवं आम का अचार और काजू का अति सेवन।*
*दोष - पित्त-वात प्रधान त्रिदोषज जिसमें समान,अपान और व्यान वात सहित पाचक पित्त और क्लेदक कफ प्रमुख हैं ।*
*दूष्य - अन्न रस और रक्त*
*स्रोतस - अन्न, पुरीष और मनोवाही*
*स्रोतो दुष्टि - अति प्रवृत्ति*
*उद्भव स्थल - आमाश्य एवं मन*
*व्यक्त स्थान - पक्वाश्य*
*अग्नि - जाठराग्निमांद्य*
*व्याधि स्वभाव - चिरकारी*
*साध्यासाध्यता - कष्ट साध्य*
*चिकित्सा सूत्र - लंघन, दीपन,आम का पाचन, लघु, ग्राही, रक्त स्तंभक, शोथघ्न, व्रण रोपक, मल नियमित करण और धी, धृति और स्मृति वर्धन।*
*पथ्य - इस रोग में लघु और ग्राही के साथ ऐसे आहार और औषध का चयन किया जाता है पित्त शामक तो हो पर जाठराग्नि का वर्धन करे जिससे आमोत्पत्ति ना हो जैस लंघन के लिये लघु आहार में पाचन द्रव्यों का प्रक्षेप डाल कर दिया गया इसमें हमने चावल का मंड, पतली कृशरा, मूंग और मसूर का सूप, सत्तू सैंधव, भुनी हींग और जीरा मिलाकर तथा ऐसे ही तक्र का प्रयोग सर्वाधिक किया ।*
*दुग्ध और इस से निर्मित मिष्ठान, भिंडी, अरबी, अम्ल रस जैसे इमली, अचार, टमाटर, मैदा, उड़द, राजमा, चने, बैंगन, शिमला मिर्च आदि बंद कर दिये गये।*
*औषध - *
*रोगी को पहले दिन लघु आहार दिया और रात्रि को भोजन ना दे कर हरीतकी चूर्ण 5 gm उष्णोदक से रात्रि को दिया जिस से दूसरे दिन प्रात: ही तीन बार मल आया और दिन में केवल मंड पंचकोल युक्त, दोपहर और रात्रि में मूंग और मसूर का यूष दे कर रात्रि से यह कर्म किया ...*
*धान्यक, सौंफ, अनारदाना, उशीर, जामुन की गुठली, मिश्री और थोड़ा सा गोंदकतीरा इनका यवकुट चूर्ण दो- तीन दिन पहले ही बनवाया गया था, दे गिलास जल में 2 tsp रात को भिगो दिया गया, प्रात: मसल कर और छानकर दिन में थोड़ा थोड़ा पीने को दिया गया।यह दीपन तो है ही ग्राही और रक्त स्तंभन कर्म करने के साथ पित्त शामक भी है ।*
*क्योंकि चिकित्सा दीर्घ काल तक चलती है अत: चिकित्सा काल में भिन्न भिन्न समय में निम्न औषधियों का प्रयोग अलग अलग काल में किया गया...*
*बोल पर्पटी 250-500 mg bd (रक्त स्तंभक)*
*शंख भस्म 250 mg bd ग्राही,पाचक और स्तंभक*
*तृणकांत मणि पिष्टी 250 mg bd व्रण रोपक,पित्त शामक, रक्त स्तंभक और ग्राही ।*
*कुक्कुटांडत्वक भस्म 250 mg bd - आन्त्र के लिये बल्य और रक्त रोधक ।*
*संगजराहत भस्म 250 mg bd रक्त स्तंभक, पित्त शामक, शीतल ।*
*दाडिमाष्टक चूर्ण 2 gm bd भोजन के बाद ,पाचक एवं पित्त शामक ।*
*बृ. गंगाधर चूर्ण 3 gm bd उपरोक्त भस्मों सहित भोजन से पूर्व bd आन्त्र के लिये बल्य, ग्राही ।*
*बिल्वादि चूर्ण 3 gm bd - पाचन एवं ग्राही।*
*कुटज घन वटी 2 tds ग्राही, स्तंभक , ग्रहणी दोष एवं रक्तातिसार दोनों में उत्तम होने से ulcerative colitis में अच्छा कार्य करती है।*
*गंधक वटी 2 bd भोजन के बाद दीपन पाचन*
*संजीवनी वटी (वत्सनाभ रहित) 1 bd आम पाचक*
*इसके अतिरिक्त हम बीच बीच में एक चूर्ण और बनाते हैं जिसमें राल,मोचरस,लोध्र, मिश्री प्रत्येक 100 gm शुद्ध गंधक 50 gm, कुटज चूर्ण और शंख भस्म 20-20 gm इसमें से 3-5 gm भोजन के 2 घंटे बाद दो बार देते हैं जो दीपन, पाचन, ग्राही और रक्त स्तंभन सारे कार्य कर देता है, जब रोगी की चिकित्सा बंद करते हैं तो किछ दिन यही चूर्ण मात्र कुछ दिन देते हैं ।*
*रोगी का प्रत्येक महीने occult blood test कराते है जो negative मिलता है, oct 2019 में कराई गई report 👇🏿*
[1/5, 12:39 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*एक अन्य रोगी भी अगस्त 2019 में आया जिसे यही रोग था, अप्रैल से नियमित अल्प या अधिक रक्त मल की प्रवृत्ति निरंतर थी ul.colitis का diagnosis किया case था, 2 luly 2019 में उसका occult blood +ve था..* 👇🏿
[1/5, 12:39 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*चिकित्सा के पश्चात 30 oct 2019 को इसकी भी report negative मिली और लाक्षणिक लाभ 99.9 % मिल चुका था..* 👇🏿
[1/5, 12:39 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*इस रोग की पूर्ण चिकित्सा एक वर्ष तक मान कर चलें, रोगी को लाक्षणिक एवं रोग में लाभ लगभग एक से डेढ़ महीने में ही पूर्णत: मिल जाता है पर थोड़ा सा अपथ्य भी रक्त युक्त मल की प्रवृत्ति कर देता है जो सरलता से manage हो जाता है, रक्त में जब मल नही दिखाई देता तब मात्र उपाय मल में occult blood test ही रह जाता है जिस से रोग की वास्तविकता का पता चलता है ।*
[1/5, 1:26 AM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:
Highly, highly, highly inspirational guru ji.
👏👏👌👌💐💐🙏🙏🙏🙏
Ultimate diagnosis, case study, amshamsha Kalpana, interpretation .... treatment pattern,....total follow up until total results are obtained.... as always.... once we are through your case presentation sir, it's nothing short of revision of Samhitas and siddhantas, with differential diagnosis...and indeed a learning experience to handle these cases with precision.
🙏🙏🙏
[1/5, 1:41 AM] Dr. Satish Jaimini Choumu, Jaipur:
Jai ho aapki pranam🙏🏻🙏🏻
[1/5, 2:01 AM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 🙌🏽🙌🏽🙌🏽💐
[1/5, 8:06 AM] Dr Darshana Vyas, Vadodara:
Wonderful sir ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐 shat shat koti pranam
[1/5, 8:21 AM] Shantanu Das Prof KC:
Sir lodhra churna .... ka proyag bhi uttam result deta hei....🙏🏻
[1/5, 8:23 AM] Dr Divyesh Desai:
👏🏽👏🏽आप जब भी केस प्रेजेंट करते हो तो सम्प्राप्ति घटक की डिटेल्स, हेतु, निदनपरिवर्जन, पथ्यापथ्य, आहार को औषध के रूप में लेना, भिन्न भिन्न औषधि काल, रस शास्त्र, द्रव्यगुण ओर सभी संहिताओं का निचोड़ आ जाता है जैसे 1 ही केस में 360 एंगल का डेटा आ जाता है🌺🌺🌺☑☑☑👌🏼👌🏼👌🏼
[1/5, 8:33 AM] Dr. Ravikant Prajapati M. D, BHU.:
👏👏👌👌🙏🙏🌹🌹 इस जटिल रोग की चिकित्सा के मार्गदर्शन के लिए हृदय से आभार गुरुजी 🙏🙏🌹🌹!
[1/5, 8:38 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*सुप्रभातम् & thank you Raghu ji 🙏🌺💐🌹we are all learning from each other and I think that I am a beginner (student) of Ayurveda, as found in the patient and his treatment, I hand it over to the scholars like you in simple words.*
*Khandal sir says to simplify Ayurveda and I liked his point that it makes everyone understand it easily.*
🙏🙏🙏
[1/5, 8:44 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*पहले लघु गंगाधर दिया था उसमें लोध्र होता ही है पर वो आनंद नही मिला जो हम चाहते थे, बाद में बृ गंगाधर दिया गया। हम private practitioners है और हमें रोगी को वो लाभ बिना किसी उपद्रव के शीघ्रता से देना है और जिन investigations को उसने आधार बना रखा है आयुर्वेद चिकित्सा से उन्हे भी negative लाना है, जिस से रोगियों का allopathic से मोह भंग हो।*
[1/5, 8:44 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*दिव्येश जी 🙏🙏🙏🌹🌹🌹*
[1/5, 8:48 AM] Dr Naresh Garg, Jaipur:
🙏🙏💐💐 चरण वंदन सर सुप्रभातम।
[1/5, 8:49 AM] Shantanu Das Prof KC:
Sir....🙏🏻
[1/5, 8:51 AM] Prof Mamata Bhagwat:
Very well said sir... Each and every case presented by teaches those pages of Samhita which could be learnt only by such open-minded and learned scholars. Honestly feeling blessed Sir🙏🏻💐💐🙏🏻
[1/5, 8:56 AM] Prof. Satish Panda K. C:
हार्दिक आभार गुरुदेव
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[1/5, 9:04 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*आयुर्वेद आध्यात्म, चिंतन, विचारधारा, विश्वास, जीवन शैली होने के बाद क्या है ? जब चिकित्सा करते है तो ज्ञान होता है कि life तो practical है, फिर आयुर्वेद भी तो practical है और इसे हमने practical ही बना दिया है वो कैसे ? आमवात में R A FACTOR +ve है, ESR 100 है तो तीन महीने बाद test करा ले, result सामने आ जायेगा, सैद्धान्तिक आयुर्वेदीय चिकित्सा से modern investigations की report सामान्य आयेंगी ही।*
*विस्तृत विषय है ...*
🙏💐🌹🌺🙏
[1/5, 9:06 AM] Dr Shashi Jindal:
great words sir, actually Ayurveda is practical pathy.🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐💐💐
[1/5, 9:14 AM] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur:
प्रणाम गुरुदेव 🙏🙏
आपके चरणों में शत शत नमन आपने हम जैसे यंग जनरेशन को बहुत ही अच्छा मार्गदर्शन दिया इस तरह के कैसे केस को किस तरह से चिकित्सा का विचार करें व चिकित्सा करें
अति उत्तम मार्गदर्शन गुरुजी
प्रणाम गुरुजी🙏🙏🌹🙏🙏
[1/5, 9:25 AM] Dr Atul Kale, Pune:
इतनाही कहूँगा
मात्राकालाश्रया युक्ति: सिद्धिर्युक्ताप्रतिष्ठिता,
श्रेष्ठस्य परी युक्तिज्ञो द्रव्यज्ञानवतां श्रेष्ठा:।
और थोडा सर आप चिकित्सा करते समय भ्रमित अौर मोहित हुए बिना योग्य युक्तिकृत चिकित्सा करते है, ये आपकी सत्वशीलता, शास्रदृढता, स्थरप्रज्ञता, युक्तिज्ञता एवं बुद्धीमानता का द्योतक है। आपसे यही तो सिख रहे है। काश हमे पहले ही आप जैसे गुरूवर्य मिल जाते!!!!
भगवान धन्वन्तरीजी का अौर वैद्य. सोनीसरका लाख लाख आभारी हूँ की आपसे रूबरू हो गये। 😊🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[1/5, 9:26 AM] Prof Mamata Bhagwat:
🙏🏻💐 absolutely sir.. thank you very much🙏🏻
[1/5, 10:20 AM] Dr Ankur Sharma, Delhi:
🙏👌👏👏👍
Charan sparsh
Gurudev
Suprabhat
Very practical approach which is mostly required in private practice
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
[1/5, 10:53 AM] Vd. Aashish Kumar, Lalitpur:
ज्ञान अमृत की वर्षा से आत्मा तक प्रसन्न हो गई है सर,मेरे पास शब्द नही है कि गुरूवर को क्या कहूँ🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹💓💓
[1/5, 11:03 AM] Prof Giriraj Sharma:
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼
[1/5, 11:05 AM] Vd. Aashish Kumar, Lalitpur:
गुरुवर अपने ग्रुप के जो केस सक्सेस होते है वो टेलीविजन या न्यूज पेपर में आम लोगो तक पहुँचे तो बहुत जल्दी आयुर्वेद के प्रति लोगो के सोचने का नजरिया बदल सकता है।🙏🏻🙏🏻
[1/5, 11:43 AM] Prof. Surendra A. Soni:
नमो नमः महर्षि ।।
अत्यंत विस्तृत विवरण के लिए हार्दिक आभार । महत्वपूर्ण है कि आपने बिना किसी पंचकर्म के मात्र शमन चिकित्सा से ही आतुर को रोगमुक्त किया और उससे भी महत्वपूर्ण है कि आपने अनुभव से एक आवश्यक तथ्य स्थापित किया कि पूर्ण रोग मुक्ति के लिए रुग्ण को वर्ष पर्यन्त औषधि एवं पथ्य पालन कराना चाहिए ।
आप गूढ़ आयुर्वेद चिकित्सा का सरलीकरण कर समाज में नव वैद्यों के लिए पुनः अवतरित करने के भागीरथी प्रयास करने में निरंतर लगे हुए हैं इसलिए आपको शत शत नमन, वंदन और अभिनंदन ।
नमो नमः ।।
🙏🏻🙏🏻🌹😌🙏🏻🙏🏻
[1/5, 12:36 PM] Prof. Deep Narayan Pandey:
*गज़ब*
👌👌👌💐💐🌹🙏
[1/5, 12:56 PM] pawan madan Dr:
Bahut badhiya Guru ji.
Kutajghan vati in good quantity works very good.
Lodhra + mochras....👌👌
[1/5, 2:53 PM] Dr Ashwini Kumar Sood, Ambala:
Recurrent incurable UC , solved so easily solved in your safe hands 👌🏼
[1/5, 6:28 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*जीवन तो बहुत सरल है सर, बस इंसान का मस्तिष्क ही उसे complicated बना देता है, कई बार इंसान मात्र अपनी विद्वता दिखाने के लिये भी सरल विषयों को कठिन बना देता है, हमें आयुर्वेद के कठिन विषयों को भी सरल बनाना है जिस से सब को उसका लाभ प्राप्त हो सके।*
🌹🌺💐
[1/5, 6:29 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*very good evening अंकुर जी*
🙏🌺🌹💐
[1/5, 6:34 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune:
इस ग्रुप को ज्वाइन करने के बाद ऐसा लगता है वापस इंटर्नशिप चालू करके ऐसे इंटर पढ़ने के लिए आपके पास आ जाए और वापस आयुर्वेद पढ़ें बहुत-बहुत धन्यवाद सर ।
[1/5, 6:40 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*नमस्कार सर, आयुर्वेद शाश्वत है ऐसे ही चलता आया है और चलता रहेगा, जामनगर में MD अध्ययन करते हुये मेरा पत्र व्यवहार वैद्य रणजीतराय देसाई जी (आयुर्वेद क्रिया शारीर, निदान चिकित्सा हस्तामलकादि के लेखक) के साथ चलता रहता था तब पोस्टकार्ड पर हम बाते करते थे, बहुत प्रकाण्ड विद्वान थे वो, उन्होने ही एक बार लिखा था कि तुम्हारा धर्म आयुर्वेद ही है इसी में जीना और मरना है। बस तब से यही बात ह्रदय में उतर गई थी और अपना लिया।*
*पुराने पोस्टकार्ड ढूंडता हूं अगर मिल गये तो उनकी लिखाई और बाते अवश्य यहां image सहित post करूंगा।*
🌹💐🌺🙏
[1/5, 6:42 PM] Prof. Surendra A. Soni:
नमो नमः ।
जी ! वो पोस्टकार्ड मिले तो जरूर पोस्ट कीजिए ।
🙏🏻🌹
[1/5, 6:45 PM] Prof. Deep Narayan Pandey:
*आपकी केस स्टडीज पढ़कर आनंद आता है आचार्य श्रेष्ठ*
🙏💐🙏
[1/5, 6:45 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*प्रभु जी नमो नम:*
🌹💐🌺🙏
[1/5, 6:47 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*बहुत साधारण सा वैद्य हूं वैद्य शर्मा जी, जो कुछ है आपको share कर देता हूं।*
[1/5, 7:00 PM] Dr Shekhar Singh Rathoud:
बिल्कुल सर 🌹🌹🌹
अनेक विद्वान देखे किन्तु *विद्या ददाति विनयं* चरितार्थ करने वाले आपश्री जैसा कोई न मिला। (विशेषकर आयुर्वेद में)
🙏🏻🙏🏻
[1/5, 7:01 PM] D C Katoch Sir:
e-internship
[1/5, 7:02 PM] Dr Shashi Jindal:
yes 👍🏼👌appropriate word 🙏🏼🙏🏼💐💐💐
[1/5, 7:02 PM] Dr Shekhar Singh Rathoud:
वो तो चल ही रही है सर जी 🤓
[1/5, 7:04 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune:
👍🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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Above case presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp group of well known Vaidyas from all over the India.
Vaidyaraj Subhash Sharma
MD (Kaya-chikitsa)
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Above case presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp group of well known Vaidyas from all over the India.
Presented by
Vaidyaraj Subhash Sharma
MD (Kaya-chikitsa)
New Delhi, India
email- vaidyaraja@yahoo.co.in
सर मेरी भी ई इन्टर्नशिप आपके केसिज़ पढ़ कर शुरु हुई। आपका आभार और धन्यवाद ��
ReplyDeleteआयुर्वेद में आपके उज्जवल भविष्य की हम कामना करते है और आयुर्वेद के हर क्षेत्र में आप सफल रहें �������� ... वैद्यराज सुभाष शर्मा
DeleteNamaskar sir,
ReplyDeleteApki lekhan padhhati hameshahi unda Rahi hai.
Aise rugn main apunarbhav chikitsa kya hosakti hai jisase kh vaigunya puritarah not jaye.jisase bhavishya main rugn koibhi apathyase yah Rog firse n ho.
aapne parpati Kalpana ka istmal aise vyadhi main jo ki Vishesh parpati kalapanaoka Adhikar kshetra hai kyo nahi kiya.
Good presentation. Wonderful.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deletethank you so much Dr Manish Patel ji �������� ... vaidyaraja subhash sharma
Deleteवैद्य सचिन जी, रोग की पुन: उत्पत्ति ना हो इसके लिये औषध बंद कर देने के बाद भी कुछ समय तक पथ्य का पालन, दिनचर्या,रात्रिचर्या,ऋतुचर्या और रसायन द्रव्यों का प्रयोग आवश्यक है।
ReplyDeleteपर्पटी का कल्प के रूप में तो प्रयोग होता ही है और इस प्रकार भी जैसे हमने इस रोगी में बोल पर्पटी का प्रयोग किया है। कल्प चिकित्सा में रोगी का व्यवसाय और कार्य क्षेत्र भी देखा जाता है कि वह इस प्रयोग को नियमित भी करेगा अथवा नही ? चिकित्सा के तीन प्रकार निदान परिवर्जन,शोधन और शमन के अतिरिक्त वर्तमान समय में एक और प्रकार भी बनता है और वो है व्यवहारिक चिकित्सा। तिकित्सा का आधार आयुर्वेद सिद्धान्तों के अनुरूप तो है ही और व्यवहारिक भी हो तो परिणाम सुखद रहता है। ... वैद्यराज सुभाष शर्मा
Namaskar ji, mai Valsad(gujarat) ka rehne wala hu. Mujhe last 2 saal se Ulcerative colitis ki problem hai. Kya aap mujhe koi acche experienced Vaidya ka sujhav de sakte hai jo Gujarat se ho. Agar Surat, gujarat me ho to aur bhi acccha hoga mere liye. Kripya karke kuch suggest kare. Mai Ayurvedic upchar se hi theek hona chahta hu.
ReplyDeleteDhanyavaad.
Please contact Prof. Manoj Upadhyay ji at Ayurved college, Surat.
Deleteमुझे भी अल्सरेटिव कोलाइटिस है । आपसे बात करना है , कृपया मोबाईल नम्बर दीजिए सर🙏
ReplyDeleteEmail him
ReplyDeleteBest Presentation on the subject.
ReplyDeleteरोगी सुरक्षित हाथों में है ।