[7/1, 1:37 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*case presentation -
कर्ण मूल ग्रन्थि (शल्य साध्य) एवं आयुर्वेदीय व्यवस्था*
*पिछले तीन वर्षों से हम case presentations में हम ऐसे अनेक रोगियों के cases present करते आ रहे हैं जिनमें नवीन रोगी को ले कर उसका आयुर्वेदानुसार निदान एवं सम्प्राप्ति निर्धारित कर के चिकित्सा आरंभ करते हैं तो आपके सामने वो पक्ष रखते है और बताकर चलते हैं कि आगे क्या परिणाम रहा आपको updates देंगे जिस से आप सभी में निदान और सम्प्राप्ति घटकों और चिकित्सा सूत्र तथा औषध को ले कर आत्मविश्वास बढ़े। ये भी इसी प्रकार का रोगी है जिसे हमने present कर के इसके updates देने के लिये लिखा था।*
*कर्ण प्रदेश ग्रन्थि -
ग्रन्थि रोग पर हम पहले भी अनेक case present कर चुके है, आज एक और नवीन रोगी पर चर्चा करेंगे। कर्ण प्रदेश के पास इस रोगी को यह ग्रन्थि पिछले दो वर्ष से है जिसकी सर्जन ने शल्य चिकित्सा बताई है, रोगी का इसी वर्ष के अंत में विवाह भी है और रोगी के उदर पर भी कुछ समय पूर्व दो अन्य ग्रन्थियां उत्पन्न हो गई हैं ।*
*यह रोगी हमारे पास 16-2-20 को प्रथम बार आया था, हमने इसे आश्वासन दिया था कि आयुर्वेद द्वारा बिना शल्य के भी इसका उपचार संभव है और आज 17-3-20 को देखने पर इतना लाभ मिला ।*
*रोगी के शल्य चिकित्सक से पूछा कि क्या यह पुन: फिर उत्पन्न हो जायेगी तो उसका उत्तर था, हां संभव है। और अन्य शरीर प्रदेश में निकल जाये तो क्या सभी की सर्जरी होगी तो भी उत्तर हां था, और प्रदेश में ये ग्रन्थियां ना उत्पन्न हो इसका भी allopathic में कोई उपाय नही।यही अन्तर आयुर्वेद में और आधुनिक चिकित्सा में है कि हम रोग की सम्प्राप्ति भंग कर के पुन: उद्भव की संभावना ही समाप्त करने की क्षमता आयुर्वेद में रखते हैं और इस सम्प्राप्ति विघटन से रोग उत्पन्न होने की प्रक्रिया ही सम्पूर्ण शरीर से समाप्त हो जाती है। इसीलिये हम बार बार सम्प्राप्ति को समझने पर जोर देते हैं।*
*रोग किसी भी काल में हो निरंतर शास्त्रों का अध्ययन आवश्यक है, इस रोग के विषय में माधवकार इस प्रकार की ग्रन्थियों को स्पष्ट करते हुये लिखते हैं कि
'वातादयो मांसमसृक् प्रदुष्टा: संदूष्य मेदश्च तथा सिराश्च, वृत्तोन्नतं विग्रथितं च शोथं कुर्वन्तयो ग्रन्थिरिति प्रदिष्ट:।'
मा नि 38/11
वात, पित्त और कफ स्व: कारणों से प्रकुपित हो कर मांस, रक्त, मेद और सिराओं को दूषित कर गोल और उभरे हुये ग्रन्थि के समान शोथ को उत्पन्न कर देते हैं, ये शोथ ग्रन्थि रूप में स्व: कारणों से दोषों से दूषित शरीर के विभिन्न भागों में मांस और मेद युक्त युक्त ग्रन्थि के रूप में फुफ्फुस, लसिका ग्रंथियों, नेत्र, मुख, कर्ण समीप प्रदेश (जैसे इस रोगी में) सहित शरीर में कहीं पर भी त्वचा में पाए जाते हैं.*
*इस प्रकार की ग्रन्थियों के पीछे मूल कारण आमोत्पति है, ये आम दो प्रकार से शरीर में हो रहा है, अपक्व अन्न रस जो जाठराग्नि की दुर्बलता से है और दूसरे आम युक्त अपक्वावस्था की रस धातु जो जाठराग्नि और धात्वाग्नि दोनों के गुणों की क्षीणता से है।*
*इस रोगी के सम्प्राप्ति घटक और चिकित्सा सूत्र इस प्रकार से बनाये ...*
*वात - समानऔर व्यान*
*पित्त - पाचक और भ्राजक*
*कफ - क्लेदक*
*दूष्य - रस, रक्त, मांस, मेद और त्वचा*
*स्रोतस - रस, रक्त, मांस, मेद*
*स्रोतोदुष्टि - संग*
*अग्नि - जाठराग्नि - धात्वाग्निमांद्य*
*उद्भव स्थान - आमाश्य-पक्वाश्य*
*व्यक्त स्थान - मुख प्रदेश*
*साध्यासाध्यता - कृच्छ साध्य*
*चिकित्सा सूत्र - निदान परिवर्जन, दीपन, पाचन, अनुलोमन, मेद क्षपण, शोथध्न, शमन।*
*औषध में आरोग्य वर्धिनी 500 mg/ 2 bd, कांचनार गूगल 300mg - 2 bd, नित्यानंद रस 300 mg 1 bd, संजीवनी वटी 300 mg - 1 bd और कांचनार+शरपुंखा क्वाथ सुबह शाम खाली पेट।*
*इसके updates आपको आगे देते रहेंगे कि कितना लाभ कितने दिनों में मिला और अगर कोई औषध में परिवर्तन किया तो क्यों किया और उस से अन्य लाभ किया मिला जिस से आपको इस रोग का practical ज्ञान मिल सके (ये हमने पहले लिखा था जिसे आज रोगी के नवीन चित्र सहित present कर रहे हैं)।*
*16-2-20*
*17-3-20*
*1-7-2020 - ये है आज का चित्र जिसमें यह रोगी लगभग 90% रोगमुक्त हो गया है, शल्य चिकित्सा से बच गया और इसके शरीर के दोष,धातुओं और स्रोतसों का वो स्मृति भंग जन्य आत्म ज्ञान पुन: वापिस आ गया कि किस प्रकार शरीर के अव्यवों को वे स्वयं स्वस्थ रख कर उनकी repair भी कर सकते हैं ।*
[7/1, 1:48 PM] Dr Manu Vats, Patiala:
Thanks Sir....
Similar case you shared last year Too...
I remember...
[7/1, 2:00 PM] Prof. Giriraj Sharma Sir Ahamadabad:
*सादर प्रणाम आचार्य श्री*
*आपका चिकित्सीय प्रबंधन बेमिसाल होता है ।*
*आचार्य श्री मेरी जिज्ञासा थी कि सम्भवत कर्णमूल शोथ / ग्रन्थि, ज्वर के उपद्रव में भी कहीं उल्लेखित है (स्मृति आधार पर) क्या इस रोगी को ज्वर/ जीर्णज्वर भी था।।*
[7/1, 2:00 PM] Dr.Kalpna Monga Gurugram:
Great !
[7/1, 2:08 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*सादर नमन आचार्य जी, 15 feb 2020 में यह आया था, इसे रोग लक्षण नही थे और ज्वर भी नही था पर कभी कभी ज्वर प्रतीत होता था पर थर्मामीटर में नही आया,इसने इसका FNAC test भी कराया था और ESR भी normal था। उपद्रव कोई नही था और ना ही कोई रोग लक्षण।*
[7/1, 2:08 PM] Vd.Harsh, Saharanpur,U.P.:
जी sir, संन्निपातज्वर के अंत में कर्ण मूल शोथ का वर्णन मिलता है !
संन्निपातज्वरस्यान्ते कर्णमूले सुदारुण:
शोथ संजायते तेन कश्चिदेव प्रमुच्यते! च. चि. 287
[7/1, 2:10 PM] Prof. Giriraj Sharma Sir Ahamadabad:
धन्यवाद आचार्य !
[7/1, 2:12 PM] Vd.Harsh,Saharanpur,U.P.:
गुरु जी आचार्य के संबोधन के लायक अभी नहीं हूँ....
मै तो कायसंप्रदाय का एक शिष्य मात्र हूँ....
अपना आशीर्वाद बनाएं रखें l
[7/1, 2:19 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*'कर्णमूलशोथ: पाषाणगर्दभसंज्ञया, वातश्लेष्मसमुद्भूत: श्वयथुर्हनुसंधिज: स्थिरो मन्दरूज: स्निग्थो ज्ञेय: पाषाणगर्दभ: इति' कर्णमूल शोथ को पाषाण गर्दभ भी कहा है, पाषाणगर्दभ में एक कान के मूल में शोथ होता है और किसी प्रकार की वेदना या शूल नही होता। कर्णमूलिक शोथ में ज्वर युक्त शोथ दोनो कानों में भी रहता है इसे आजकल mumps कर्णमूलक ज्वर कहते है।*
[7/1, 2:19 PM] Vd.Rajaneesh Ghadi, Maharashtra:
आधुनिक वैद्यक इसे epidermoid cyst कहता है l
[7/1, 2:22 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*अगर पाषाण गर्दभ लिख कर चलता तो आधे सदस्य तो समझ ही नही पाते कि यह है क्या ?
[7/1, 2:35 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir Ahamadabad:
*पाषाण गर्दभ में किस साइड के कर्ण के नीचे यह शोथ ज्यादा पाया जाता है एक तरफ ही क्यो पाया जाता है।*
*कर्णमूल शोथ में दोनो कर्ण के नीचे पाए जाने का कारण क्या हो सकता है*
*वाम कर्ण के नीचे का भाग ज्यादा प्रभावित होता है क्या ,,,,,*
*कहीं पाषाण गर्दभ किसी अर्बुद होने का तो पूर्वरूप नही है,,, ?*
[7/1, 2:39 PM] Prof. Ranjit Nimbalakar, Pune:
सर, FNAC का report क्या आया था?
[7/1, 2:41 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*जी आचार्य जी, ये सभी विचारणीय है । इस रोगी के उदर पर भी पहले ऐसी ग्रन्थियां हुई थी और जब अन्य कोई लक्षण ना हो और test कराने पर normal report है तो हम मेदोज ग्रन्थि मानकर चलते है।*
[7/1, 2:41 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
FNAC *normal थी *
[7/1, 2:43 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*आपने बहुत अच्छा विषय दिया है, इसकी पूरी विवेचना कर के इसके मूल तक जायेंगे अब
[7/1, 2:43 PM] Dr Manu Vats, Patiala:
Sir may be due to Aam dosh and Meddhatu dushtee ..
Updhatu SVED gets dushit and results in GRANTHI...??
[7/1, 4:37 PM] वैद्य मृत्युंजय त्रिपाठी उत्तर प्रदेश:
Subhash Sir !
pranam !
[7/1, 5:07 PM] Dr Amol kadu, NIA, Jaipur:
Acharya Subhash Sharma sir pranam. Bahut badhiya case presentation...
Kya isko bahyarog marg sthit gulm Nidan------ karke gulm rogadikar ke kalp use kiye to ....
Gulm
Arbud
Granthi
Sabhi shoth me hi prakar hai...
Ek shanka
[7/1, 5:07 PM] Dr Amol kadu, NIA, Jaipur:
Aushadhsewankal bhi mahatwapurn ho sakta hai...
Aapne local application ke liye kuchh na dete hue abhyantaratah samprapti vighatan Kari hai.... .
Dhanyawad..
[7/1, 5:07 PM] Dr Amol kadu, NIA, Jaipur:
Dermoid cyst ke koi anubhaw ho to jarur share Kare sir !
[7/1, 5:44 PM] Dr.Bhadresh Naik Gujarat:
Due to mumps may be parotid gland swelling?
[7/1, 5:46 PM] Dr.Bhadresh Naik Gujarat:
Many times secondary complications lead to verococoele
Due to this reason male infertility
Azospermia
[7/1, 5:47 PM] Vd.Rajaneesh Ghadi,
Maharashtra:
Orchitis is different from vericocoele
[7/1, 5:49 PM] Vd.Rajaneesh Ghadi, Maharashtra:
Its a common misconception that mumps causes orchitis or oophoritis leading to permanent infertility because_of mostly it is unilateral .. So only one of the gonads is affected
[7/1, 5:50 PM] Dr.Bhadresh Naik Gujarat:
One of cause
[7/1, 5:54 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*The diagnosis of an epidermal cyst in the parotid gland becomes very essential and it is a very rare entity and it could be easily mistaken for a salivary gland abscess, neoplasm, and other cysts . Therefore, an excisional biopsy is necessary for a prompt diagnosis and confirmation*.
[7/1, 5:57 PM]
Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir:
*Orchitis is the most common complication of mumps in post-pubertal men, affecting about 20%-30% of cases. 10%-30% are bilateral. Orchitis usually occurs 1-2 weeks after parotitis. Of affected testicles, 30%-50 % show a degree of testicular atrophy*.
[7/1, 5:58 PM]
Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*Just under half of all males who get mumps-related orchitis notice some shrinkage of their testicles and an estimated 1 in 10 men experience a drop in their sperm count (the amount of healthy sperm their body can produce). However, this is very rarely large enough to cause infertility.*
[7/1, 6:02 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*नमस्कार अमोलजी, गुल्म को अगर हम महास्रोतस की व्याधि ही मानकर चले तो अधिक उचित नही ?*
[7/1, 6:08 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*आपने कर्ण प्रदेश ग्रन्थि निदान करके विभिन्न मतभेद उत्पन्न होने के सम्भावना को समाप्त कर दिए. चिकित्सा व्यवस्था एवं सम्प्राप्ति में एकरुपता आपको अति श्रेष्ठ चिकित्सक की श्रेणी में रखता है , सादर प्रणाम वैद्य राज शर्मा जी*.. *साधुवाद*.. ☺️☺️
[7/1, 6:21 PM] Prof.Shriniwas Gujjarwar MD(Shalyatantra) Kurukshetra:
Very inspirational case presentation sir.
Thank you very much.
[7/1, 6:26 PM] Prof. Ramakant Sharma sir Jaipur:
व्याधि संप्राप्ति भेदन के साथ ही साथ मतभेद उत्पन्न होने की संभावनाओं के मूलोच्छेदन हेतु अभिनन्दन !!!!!!!!
[7/1, 6:40 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*यस्य पित्तं प्रकुपितं कर्णमूलेऽवतिष्ठते, ज्वरान्ते दुर्जयो ऽन्ताय शोथस्तस्योपजायते. च.सू.१८/२७. यहाँ से भी स्पष्ट है की पित्त के आत्मरुप (प्रत्यात्म लक्षण) न होने से , तथा ज्वर के अन्त में न होने से इन दोनो अवस्थाओ को व्यवच्छेद निदान से बाहर रखना होगा*.
*ग्रन्थि (कफज, मांसज, मेदोज), पाषाणगर्दभ, मांसावृत वात और मेदसावृत वात में होने वाले शोफ/शोथ/पिडका में व्यवच्छेद निदान अपेक्षित है, और आप ने अपनी शैली में विचार करते हुए सम्प्राप्ति घटक एवं तदनुसार परिणामदायी चिकित्सा व्यवस्था को चिकित्सक की नजरिये से प्रस्तुत कर हम सभी को अनुग्रहित किये हैं*
[7/1, 6:48 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*शुभ सन्ध्या एवं सादर प्रणाम सर 'आयुर्वेद को सरल बनाना है ' ये शब्द आदरणीय खांडल सर के थे जो मुझे बहुत प्रिय लगे। आपके ह्रदय रोग पर ज्ञान से प्रेरणा पा कर एक ह्रदय रोगी का विवरण जल्दी देता हूं जिसमें आयुर्वेद सम्प्राप्ति घटक- चिकित्सा सूत्र के साथ और औषध,investigations करा कर चला हूं और तीन महीने में ही उसे इतना लाभ मिला कि रोगी और उसका पूरा परिवार कल बहुत प्रसन्न था।*
[7/1, 6:51 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*उचित है , उक्तं - स प्रकुपितो वायु: महास्रोतोऽनुप्रविश्य*...
*तत् (पित्त) प्रकुपितं मारुत आमाशयैकदेशे संवर्त्य*..
*तं (कफ) प्रकुपितं मारुत आमाशयैकदेशे संवर्त्य*..
[7/1, 6:51 PM] Prof. Satyendra Ojha Sir:
अभिनंदन..
*च.नि.३*
[7/1, 6:53 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*सादर प्रणाम सर !
समय के साथ सब modern ही पढ़ रहे है और समझ रहे है, मेरे जैसे पुराने लोग विशुद्ध आयुर्वेदीय सम्प्राप्ति अनुसार चिकित्सा कर रहे हैं इसमें जामनगर के आप मेरे काय चिकित्सा सीनियर और गुरूजी का बहुत योगदान है।*
[7/1, 6:56 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*उचित कहा सर और विषय को और अधिक स्पष्ट कर दिया l
इस प्रकार के अनेक रोगियों को हम ठीक करते है और ग्रुप में भी case present करते रहे है, कभी व्याधि का पुन: उद्भव नही मिला*
[7/1, 6:57 PM] Dr. Pawan madan sir:
प्रणाम गुरु जी !
,,,एक ही महीने में इतना प्रभाव
,,,संप्रपति को समझना अति आवश्यक
एक और बात मुझे ये समझ मे आ रही है संप्रपति को समजहने के बाद भी अगर हमारे हथियार सही नही है तो संप्रपति भंग न ही सकेगी
अपनी औषधिया खुद बनानी होंगी
[7/1, 6:58 PM]
Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*जी , पाषाणगर्दभ में पाषाणभेद (?)*
[7/1, 7:00 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
* चक्रपाणि का वर्तमान स्वरूप इसीलिये आपको मानता हूं कि किसी भी विषय की संदर्भ सहित प्रामाणिकता सिद्ध करना, गुल्म रोग के भी आप विशेषज्ञ हैं।*
[7/1, 7:00 PM] Dr.pawan madan sir:
सभी तो शोथ है पर गुल्म तो कोष्ठ में होता है ना !
[7/1, 7:03 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*हमारे हथियार हमारी औषध हैं पवन जी, उनका श्रेष्ठ होना तो आवश्यक है ही।*
[7/1, 7:04 PM]Dr. pawan madan sir :
आपके सब कैसो से मैंने यही निष्कर्ष निकाला है
कुछ तो करना पड़ेगा
☹️
[7/1, 7:04 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*जी , पाषाणगर्दभ में पाषाणभेद (?)*
*जी सर, ये भी पूर्ण कार्य करेगा क्योंकि स्रोतस के संग दोष को दूर करता है।*
[7/1, 7:05 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*इसे हृद्य भी कहा गया है*
[7/1, 7:06 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*मूत्रल और शोथघ्न भी*
[7/1, 7:07 PM] Dr. Vinod Sharma Ghaziabad:
हर्ष जी , वो कर्ण मूल शोथ है , जो सन्निपात के उपद्रव रूप में हुआ ।
ये कर्ण मूल ग्रंथि है जो स्वयं हुआ है उपद्रव रूप नही ।
दोनों की चिकित्सा में भेद समझना होगा ।
[7/1, 7:08 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*रोगाश्चोत्सेधसामान्यादधिमांसार्बुदादय:, विशिष्टा नामरुपाभ्यां निर्देश्या: शोथसंग्रहे. च.सू.१८/३३*
[7/1, 7:08 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*पहले कई औषधियों को मैं लाक्षणिक प्रयोग में काम में लाता था पर यहां चर्चा से उनको प्रधान औषध में भी स्थान मिल गया *
[7/1, 7:11 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*मैं Hypertrophic obstructive Cardiomyopathy के दो रुग्ण में अन्य द्रव्यो के साथ पाषाणभेद भी दे रहा हूं*
[7/1, 7:14 PM] Dr.Vinod Sharma Ghaziabad:
जी , सर्, cyst और शोथ में कितना फर्क है सब जानते है ।
इस केस में शोथ नही बल्कि ग्रंथि (cyst) कहना ज्यादा उचित होगा ।
शोथ inflamation के 4 लक्षण यहां नही है।
Redness , hotness , tenderness, n loss of function .
अतः मेरे मत से इसे ग्रंथि या अपची भी कहा जा सकता है।
जो भी हो वैद्यराज जी के हाथ लग जाएं तो रोगी को तो ठीक होना ही है ।
[7/1, 7:16 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*आनाह भी एक प्रकार का उत्सेध /शोथ है*
[7/1, 7:24 PM]Dr.pawan madan sir:
सर
I think this is about शोथ and not the inflammation...
[7/1, 7:28 PM] Dr.Ramakant Sharma sir Jaipur:
निस्संदेह गुरुकृपा तो है ही, किंतु आपकी तपस्या इसका बड़ा कारण है, अनेक बार में तो खुद कई नई चीजें सीखता हूं आपसे चुपचाप l
[7/1, 7:32 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*अब चुपचाप नहीं रह गया*
[7/1, 7:38 PM] Dr Amol kadu, NIA, Jaipur:
Ji sir. Mahastrotas me hi gulm samprapti ghatit hoti hai...
Shanka ek hai. Bahya rogmarg me gulm evam abhyantar rogmarg me gulm
Bahya rogmarga
शाखा रक्तादयस्त्वक् च बाह्यरोगायनं हि तत्॥४४॥
तदाश्रया मषव्यङ्गगण्डालज्यर्बुदादयः।
बहिर्भागाश्च दुर्नामगुल्मशोफादयो गदाः॥४५॥
Abhyantar rogamargashrit-
अन्तःकोष्ठो महास्रोत आमपक्वाशयाश्रयः।
तत्स्थानाः च्छर्द्यतीसारकासश्वासोदरज्वराः॥४६॥
अन्तर्भागं च शोफार्शोगुल्मवीसर्पविद्रधि।
[7/1, 7:38 PM] Dr. Vinod Sharma Ghaziabad:
Sir, In MUMPS, what will u say shoth or inflammation ??
Again , Mumps has a history of fever and Allied complications with a duration of almost 7 to 10 days .
Bit here the time is in months .
So , it's granthi not shauth .
[7/1, 7:38 PM] Dr. Vinod Sharma Ghaziabad:
Regards to all .
[7/1, 7:39 PM] Dr Amol kadu, NIA, Jaipur:
Abhyantar rog margashrit gulm samaz me Aya.. bahimargashrit kabhi nahi diagnose karte dekha
[7/1, 7:42 PM] Dr Amol kadu, NIA, Jaipur:
Ji sir... Isme koi shanka nahi hai. Mai bhi gulm samprapti mahastrotas me hi ghatit hoti hai jaisa ki shastra aur pratyaksha dekhte bhi hai
[7/1, 7:44 PM] Dr Amol kadu, NIA, Jaipur:
Gulm to koshsthit shoth hi hai. Isme koi shanka nahi
[7/1, 7:45 PM] Dr Amol kadu, NIA, Jaipur:
यथोक्तैः कोपनैर्दोषाः कुपिताः कोष्ठमागताः ।
जनयन्ति नृणां गुल्मं स पञ्चविध उच्यते ।।३।
तत्र निदानानन्तरयीकत्वात् प्रतिषेधस्यादौ गुल्मानां हेतुसम्प्राप्तिसङ्ख्या आह- यथोक्तैरित्यादि। यथोक्तैः कोपनैः व्रणप्रश्नोक्तैर्बलवद्विग्रहादिक्रोधादिदिवास्वप्नादिभिः। आमपक्वाग्निरक्तमूत्राशयहृदयोण्डुकफुप्फुसाश्च कोष्ठशब्दवाच्याः, तथा चोक्तम्- "स्थानान्यामाग्निपक्वानां मूत्रस्य रुधिरस्य च। हृदुण्डुकः फुप्फुसश्च कोष्ठ इत्यभिधीयते" इति। गुल्मः पञ्चविधः पृथग्दोषैः त्रयः, समस्तैः एकः, रक्तेन अपरः, एवं पञ्चविधः। एतच्च प्रायोवचनं, द्वन्द्वजगुल्मानां सद्भावात्। तथा चोक्तम्- “व्यामिश्रलिङ्गानपरांस्तु गुल्मांस्त्रीनादिशेद्भेषजकल्पनार्थम्”- इति, तथा व्रणप्रश्नोक्तप्रसरतया पञ्चदशप्रकारगुल्मसम्भवात्। यथोक्तैः कोपनैरित्यादिर्हेतुः, दोषाः कुपिता इत्यादिः सम्प्राप्तिः, स पञ्चविध इत्येषा सङ्ख्या।।३।।
[7/1, 8:10 PM] Dr.Ramakant Sharma sir Jaipur:
प्रत्यक्षत: हि यद दृष्टं शास्त्र दृष्टं च यद भवेत् ,इनमें ये दोनों है अतः स्वाभाविक है जिसके पास दोनों उसी स्तर के नहीं है उनकी ज्ञान वृद्धि तो होगी ही ,अपनों की प्रशंसा हम नहीं करेंगे तो अनुचित होगा
[7/1, 8:24 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*आचार्य चक्रपाणी; (१) बहिर्मार्गजो गुल्मो यो बहिरुत्तुण्डित उपलभ्यते बहिश्च पच्यते स ज्ञेय: , अन्यस्तु सर्व: कोष्ठगत एव. च.सू.११/४९*
*(२) यद्यपि सर्व एव गुल्म: कोष्ठस्थस्तथाऽपीह यो बहिरुन्नतश्चितो न भवति स इह तत्स्थोऽभिप्रेत:, च.चि.५/४५*
[7/1, 8:26 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*गति विशेष से variable clinical status की उत्पत्ति सम्भाव्य है*
[7/1, 8:31 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*संपूर्ण सोच हृत्क्रोडशूनता पर आधारित है*
[7/1, 8:33 PM] Vaidya Shrikrishna Khandel Sir:
आयुर्वेद को सरल बनाने के निवेदन को आपने गम्भीरता से लिया उसके लिए आभार किन्तु
चित्त की सरलता से ही वाक्य या लेख की सरलता हो सकती है
जो आप में पर्याप्त है हमारे गुरु जनों की पीढ़ी सरलचित्त लोगों की पीढ़ी थी वे काम करते रहे दिखावे से दूर रहें लोग उन्हें विद्वान् मानते भी नहीं थे किन्तु इसकी चिंता भी नहीं करते थे
ऐसी निश्छल सरलता जो जबान से सीधे दिल में उतरती थी
उसी निश्छल सरलता का अनुभव काय सम्प्रदाय में देखना सुखद है
[7/1, 8:35 PM] Dr Manu Vats, Patiala:
Your words of blessings mean a lot for us..
Regards Manu Vats
[7/1, 8:36 PM] Vd Raghuram Shastri ,Banguluru:
Adbhut Guruji ❤
Inspiring, as usual.
[7/1, 9:13 PM] Prof. Madhava Diggavi Sir:
Pranam ojha sir. It’s true, we come across history of mumps in adolescence and mumps orchitis as a viprakrushta hetu for oligozoospermia. It’s shukravaha srotomoola dushti kaarak hetu. Orchitis, epididymo orchitis have detrimental effect in spermatogenesis and sperm motility
[7/1, 9:15 PM] Prof. Madhava Diggavi Sir:
Yashada vanga shatavari ..and yashtimadhu ghruta have been tried sir
[7/1, 9:16 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
☺️
[7/1, 9:41 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir Ahamadabad:
*जिज्ञासा*
*नक्रस्य रेत*
*शुक्र वर्धक में श्रेष्ठ पथ्य नक्र का शुक्र कहा है ।*
*नक्र मूलतः अपने मजबूत जबड़े की लिए प्रसिद्ध है अर्थात mandibular bone ,,,, एवं उसके ग्लैंड्स जैसे* *Submandibular Salivary and parotid Glands*.
*मम्प्स के विषय मे आप गुरुजन के बारे में पढ़ा तो Testosterone hormone एवं submandibular & parotid gland का कोई हार्मोनल या डेवलपमेंटल रिलेशन हो सकता है क्या,,,*
*Oral contraceptives or postmenopausal estrogen treatment क्या नक्रस्य रेत जैसा सूत्र स्वरूप में वर्णित कुछ सामंजस्य आचार्य ने संक्षेप रूप से वर्णित किया है। इस विषय पर चिंतन मनन के लिए मन उद्वेलित है ,,,*
*आप के शास्त्र एवं आधुनिक चिकित्सा जन्य , अनुभव जन्य विमर्श की उम्मीद रखता हूँ।*
*क्योकि आर्ष सूत्र शाश्वत है*
[7/1, 10:24 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
सादर आभार सर , आपके शब्दों से बहुत प्रेरणा मिलती है।*
Khandal Sir ji !
[7/1, 10:28 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*नमस्कार रघु जी *
[7/1, 10:31 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:
*बहुत ही उच्च स्तरीय विशलेषण है सर, इस प्रकार का कार्य इस विषय पर शायद ही किसी ने वर्तमान में किया हे।*
[7/1, 11:22 PM] Prof. Gurdeep Singh Ji:
Raktaj gulma is bahirmaargee while others are antah maargee
[7/2, 8:18 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
*शुभ प्रभात वैद्यराज सुभाष शर्मा जी एवं आचार्य गण नमो नमः*
[7/2, 8:29 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:
आयुर्वेद के प्रति निष्ठा ही नहीं बल्की सम्यक ज्ञान , सही दिशा में किया गया सम्यक् कार्य और निर्दोष चिकित्सा व्यवस्था आदि का महत्त्व है . विषय का सम्यक रुपेण विवेचन करने पर सरलता नहीं होती परंतु विषय और क्लिष्ट हो जाता है, एक-एक शब्दो के आधुनिक तंत्रज्ञान के साथ विवेचन करने पर विषय वस्तु के अति विस्तार होने से सामान्य चिकित्सक उसे ग्राह्य नहीं कर पाते, जिससे उद्देश्य की प्राप्ति नहीं होती.
विषय को आधुनिक तंत्रज्ञान के साथ विश्लेषित करने पर आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांत पर खतरा मंडराने लगता है, जिसके कारण शंका उत्पन्न होने लगती है, तथा अति सुंदर व्याख्या भी नहीं हो पाती, अर्थ के अनर्थ हो जाते हैं, प्रश्न और उसका सम्यक उत्तर यदि नहीं मिल पाता तो उद्धिग्नता महसूस होती है.
Prof. Giriraj ji !
[7/29, 1:18 PM] Dr Shivali Arora, MD, Ludhiana:
Such cases are a source of great inspiration for us ....
Jai Ayurved !
[7/29, 1:20 PM] Dr. Shivam Sinwar Gangangr:
*औषध से शल्य क्रिया हो रही है* !
[7/29, 1:39 PM] वैद्य मृत्युंजय त्रिपाठी उत्तर प्रदेश:
Excellent Results sir ji pranam !
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Compiled & Uploaded by
Vd. Rituraj Verma
B. A. M. S.
Shri Dadaji Ayurveda & Panchakarma Center,
Khandawa, M.P., India.
Mobile No.:-
+91 9669793990
+91 9617617746
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Edited by
Dr.Surendra A. Soni
M.D., PhD (KC)
Professor & Head
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P.G. DEPT. OF KAYACHIKITSA
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, GUJARAT, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150
बहुत बढ़िया, प्रशंसनीय प्रस्तुति है
ReplyDeleteAyurveda at its best
ReplyDeleteThanks for sharing 🙏
Ayurveda at its best
ReplyDeleteThanks for sharing 🙏