WDS 92: 'रजस्वला-परिचर्या' by Vaidyaraja Subhash Sharma, Prof. B. L. Goud, Dr. D. C. Katoch, Dr. Vandana Vatsa, Dr. Sanjay Chhajed, Prof. Giriraj Sharma, Dr. Divyesh Desai & Others
[2/24, 8:47 AM] Vd. Divyesh Desai Surat:
🙏🏾🙏🏾Sir, As usual great and Practical Presentation, that's why Charan sparsh👏🏻👏🏻
सर, आज सुबह में योगरत्नाकर में पुनः श्लोक पढ़ा कि...
शयनं पितनाशाय,
वातनाशायम मर्दनम,
वमनं कफ नाशाय,
ज्वर नाशाय लंघनम ।
ये श्लोक का चिंतन किया, किन्तु आपके पितप्रकरण को पढ़ने के बाद शयनं पितनाशाय का सही मतलब मालूम हुआ..। शयन करने से सारे मानसिक उद्वेग कम होने से नेगेटिविटी भी कम हो जाती है, स्ट्रेस के जितने भी कारण है, उससे मन डाइवर्ट होता है और अपने आप बढ़े हुए पित्त का शमन होता है।
👏🏻👏🏻सुप्रभात गुरुजनो💐💐
[2/24, 9:01 AM] Dr. D. C. Katoch sir:
ऐसे ही नहाने से जो मनःप्रसादन होता है वो वस्तुतः साधकपित्तप्रसादन है।
[2/24, 9:03 AM] Vaidya Sanjay P. Chhajed:
भ्राजक या साधक सर?
[2/24, 9:21 AM] Dr. D. C. Katoch sir:
स्नान से भ्राजक पित्त प्रसादन भी होता है, परन्तु साधकपित्तप्रसादन के अनन्तर।
[2/24, 9:30 AM] Prof. Giriraj Sharma:
त्वचा
तत्रैकं स्पर्शनमिन्द्रियाणामिन्द्रियव्यापकं , चेतः- समवायि, स्पर्शनव्याप्तेर्व्यापकमपि च चेतः; तस्मात् सर्वेन्द्रियाणांव्यापकस्पर्शकृतो यो भावविशेषः, सोऽयमनुपशयात् पञ्चविधस्त्रिविधविकल्पो भवत्यसात्म्येन्द्रियार्थसंयोगः; सात्म्यार्थोह्युपशयार्थः||
त्वचा एवं मन का समवाय संबंध है स्नान त्वचा गत प्रक्रिया है जो मन का प्रसादक कारक भी है ।
🌹🌹🙏🏼🌹🌹🌹
[2/24, 9:46 AM] Dr. D. C. Katoch sir:
Skin is the mirror of mind.
[2/24, 9:50 AM] Prof. Giriraj Sharma:
🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼
[2/24, 2:48 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
स्नान मनोप्रसादक व चित्त को प्रसन्न करता है। परन्तु आचार्य अनुसार भिन्न व्याधि और परिचर्या मे निषेधित भी है, जैसे राजस्वला परिचर्या मे तीन दिन तक स्नान करना मना है।
🙏
[2/24, 2:52 PM] Vd. Divyesh Desai Surat:
स्नानं अर्दित नेत्रास्य,
कर्ण रोग: अतिसारिषु
आध्मान पीनस अजीर्ण,
भुक्त वत्सु च गर्हितम।
(अष्टांगहृदय, सूत्रस्थान, दिनचर्या अध्याय)🙏🏾🙏🏾
[2/24, 3:57 PM] Prof. Giriraj Sharma:
🙏🏼🙏🏼👌🏻
रजस्वला का मन भी वैसे ही रहता है
[2/24, 7:07 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
जी गुरुवर
🙏
पर रजोदर्शन समय स्नान न करना scientifically भी उचित है।
[2/24, 7:12 PM] Dr. Vandana Vats:
🙏
आर्तव आग्नेय है। अपान वायु की कार्मुक्ता से योनि मार्ग से मासिक दर्शन इसका प्राकृत रूप है। पित वर्धक, पित शामक, वात प्रकोप, कफ प्रकोप आहार विहार, स्रोतोअवरोध से अपने स्वभाविक रूप से दुष्ट हो जाता है। रजस्वला को तीन दिन स्नान व शिरोस्नानवर्जित है, जो कि 100% scientific है।
During bathing several actions unique to bathing are exerted on body like hyperthermia action, hydrostatic pressure buoyancy and viscosity of water.
The most important of these is hyperthermic action which warms the blood in peripheral vessels and thus increasing internal temperature through circulation. With an increase in body temperature heat sensitive neurons are excited and cold sensitive neurons are inhibited in thermoregulatory center of Hypothalamus. This causes inhibition of sympathetic nerves and stimulation of parasympathetic nerves leading to vasodilation and induce perspiration to decrease the body temperature.
Thus, supply to visceral organs like uterine vessels slow down hence ,their functioning.
Same is the case in hypothermia (cold water bathing)..⏬
Peripheral temp.low as sensed by neurons in skin.
⬇️
Central temp low
⬇️
Parasympathetic nerves gets activated,
⬇️
More blood circulation to raise peripheral temp.
⬇️
Uterine flow low
Less or scanty menstruation.
Some patients complain same that after having head wash menstruation stops or very less. So today's modern lifestyle and hygiene habits needs to follow dincharya, ritucharya and rajaswala paricharya for young females .
🙏🙏
[2/24, 7:36 PM] Vaidya B. L. Gaud Sir:
अति उत्कृष्ट विश्लेषण
न कांचिन्मृजामापद्येत। चरक शारीर 8
[2/24, 7:38 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
चरण वंदन गुरुवर
🙏🙏
[2/24, 8:01 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*वंदना जी, अत्यन्त उचित वैज्ञानिक स्पष्टीकरण आपने दिया 👌👌👌*
[2/24, 8:02 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*सादर प्रणाम गुरूश्रेष्ठ 🙏🙏🙏🙏🙏 आज बहुत दिनो के बाद काय सम्प्रदाय में आपका आगमन बहुत ही आनंददायक है ।*
[2/24, 8:06 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
सादर प्रणाम सर ,
🙏🙏
[2/24, 8:08 PM] Dr. D. C. Katoch sir:
Brilliant explanation based on scientific parameters otherwise it would have been difficult or even impossible for many to understand the impact of bathing during menstrual period. Bravo Dr Vandana!
[2/24, 8:09 PM] Vaidya B. L. Gaud Sir:
मैंने तो काय संप्रदाय से गमन किया ही नहीं था आगमन कैसा ? यहीं रहता हूं मैं तो । आप लोग बहुत अच्छा विश्लेषण कर लेते हो इसलिए चक्रपाणि के वचनों के अनुसार यतिर्यथा परमशांत: साक्षी सन् जगत:क्रिया पश्यन् न... युज्यते
की तरह शांत होकर सब कुछ देखता रहता हूं सभी लोग श्रेष्ठ विश्लेषण करते हैं इसलिए बीच में बोलने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती ।
[2/24, 8:10 PM] Dr. Vandana Vats Madam Canada:
यह मेरा परम सौभाग्य है,
आज परम गुरूश्रेष्ठ का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
🙏🙏
कोटि नमन !
[2/24, 8:12 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*गुरूश्रेष्ठ गौड़ सर का आशीर्वाद बहुत भाग्य से मिलता है ।*
[2/24, 8:13 PM] Dr. D. C. Katoch sir:
🙏🏻🙏🏻साधुवाद भवताम गुरूवर्य श्री
[2/24, 8:13 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
आपका प्रत्येक लेखन कुछ नवीन ज्ञान देता है 🙏*
[2/24, 8:14 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
Hearty many thanks, respected Sir for your inspiring words always
🙏🙏
[2/24, 8:22 PM] Vaidya B. L. Gaud Sir:
चरक ने इतना श्रेष्ठ स्वरूप शब्दों में प्रभावित रूप से प्रकट किया है जिसमें मृजू धातु का प्रयोग किया है जो 2 स्वरूप में है इनमें एक मृजू शुद्धौ है और एक मृजू शौचालंकारयो: है
यहां यह दूसरी धातु प्रयुक्त है जिसमें मार्जन और अलंकार दोनों ही नहीं करने चाहिए इसके अतिरिक्त एक विशेषण का प्रयोग करके आचार्य ने इस धातु को और भी प्रभावित बना दिया है कांचित् मृजां
किसी भी तरह की मृजा को जो कि त्वचा पर रगड़ कर की जाती है वह नहीं की जानी चाहिए
[2/24, 8:25 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
धन्योsस्मि, कृतज्ञोsस्मि
आभार
🙏
[2/24, 8:29 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
कृतज्ञोsस्मि।
धन्यवाद गुरुदेव
🙏
[2/24, 9:22 PM] Dr. Satish Jaimini:
उष्ण जल से स्नान कर सकती है तो शायद इस तरह की परिस्थितियों से बच सकते हैं क्या महोदया जी🙏🏻🙏🏻
[2/24, 9:26 PM] Dr. Satish Jaimini:
गुरूदेव धन्य कर दिया🙏🏻🙏🏻
[2/24, 9:29 PM] Dr. Satish Jaimini:
शौच और अलङ्कार नीति युक्त भी है कामतुरणाम भयं न लज्जा के सिद्धान्त की भी रक्षा करता है यह भी एक गोपनीय कारण समझ आता है इसमें
[2/24, 10:26 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
नमस्कार सर🙏
पहला, hyperthermic action से अभिप्राय उष्ण जल स्नान करने से है।
स्नान वर्जित है।
[2/24, 11:19 PM] Dr. Radheshyam Soni Delhi:
🙏🌹
यदि स्थान और अध्याय भी सूचित करें तो, बात आसान होगी
[2/25, 5:02 AM] Vaidya Sanjay P. Chhajed:
प्रणाम गुरुवर, अमृजा स्नान करने की तो मनाही नहीं होगी, ऐसा आपकी बातों से लगता है । न ही शिरस्नान करें, न अलंकरण करें । चरक समय में स्नान अभ्यंग के साथ होता था। क्या उक्त रजस्वला चर्या को आज भी लेना चाहिए या कुछ कालानुकुल बदलाव जो शास्त्र विरोधी न हो ऐसा हम प्रस्तुत कर सकते हैं । जैसे आज भी व्यवहार में, स्त्री जब कहती हैं की नहा लिया मतलब रजप्रवाह रुकने के पश्चात का सचैल स्नान ही अपेक्षित है । पर क्या हम उसे शरीर शुद्धीहेतु मार्जन विरहीत सजल शुद्धि बता सकते हैं ?
[2/25, 6:35 AM] Prof. Giriraj Sharma:
रजस्वला स्त्री के लिये सिर्फ स्नान ही नही बल्कि बहुत सी दिनचर्या का निषेध का उल्लेख है ।।
ऋतौ प्रथमदिवसात् प्रभृति ब्रह्मचारिणी दिवास्वप्नाञ्जनाश्रुपातस्नानानुलेपनाभ्यङ्गनखच्छेदनप्रधावनहसनकथनातिशब्दश्रवणावलेखनानिलायासान् परिहरेत् |
किं कारणं ? दिवा स्वपन्त्याः स्वापशीलः, अञ्जनादन्धः, रोदनाद्विकृतदृष्टिः, स्नानानुलेपनाद्दुःखशीलः [२१], तैलाभ्यङ्गात् कुष्ठी, नखापकर्तनात् कुनखी, प्रधावनाच्चञ्चलः, हसनाच्छ्यावदन्तौष्ठतालुजिह्वः, प्रलापी चातिकथनात् [२२], अतिशब्दश्रवणाद्बधिरः, अवलेखनात् खलतिः, मारुतायाससेवनादुन्मत्तो गर्भो भवतीत्येवमेतान् परिहरेत् |
दर्भसंस्तरशायिनीं करतलशरावपर्णान्यतमभोजिनीं हविष्यं, त्र्यहं च भर्तुः संरक्षेत् |
ततः शुद्धस्नातां चतुर्थेऽहन्यहतवासः समलङ्कृतां [२३] कृतमङ्गलस्वस्तिवाचनां भर्तारं दर्शयेत् |
तत् कस्य हेतोः? ||२५||
[2/25, 6:56 AM] Vaidya Sanjay P. Chhajed:
Sir I understand that this is mentioned in shastra. Is it possible to follow this in today's times ?
I am sure that no family even in Kayasampraday is following it. Just to quote that is ok.
We need to define a lifestyle for Rajswala in today's times which every urban working woman can follow. Can you apply for a leave from work on behest of Menstrual cycle? Nothing will be rediculous than that.
[2/25, 7:24 AM] Prof. Giriraj Sharma:
*सुप्रभात आचार्य जी*
*आयुर्वेद संहिता सूत्र शाश्वत है परन्तु कालानुरूप यह सम्भव नही है ।*
*मेरा मन्तव्य यहां ऐसा है कि रजस्वला के लिये निर्देशित दिनचर्या एवं निषेध में बहुत से कर्म उल्लेख है ,,,*
*परन्तु यह रजस्वला स्त्री को प्रभावित जरूर करते है किसी रजस्वला स्त्रीको शिर स्नान करने पर किसी प्रकार की तात्कालिक विकृति दृष्टिगत नही होती ,,,, तो किसी रजस्वला को तात्कालिक विकृति लक्षित होती है ,,,,*
*परन्तु इन निषेध कर्म का प्रभाव जरूर होता है जो काल वय अवस्था पर दिखाई देता है ,,,,,*
*यह बहुत सामान्य कर्म हेतु है जो शनै शनै संचित होते है और कभी लक्षित होते है,,,*
*यथा*
*मधु एवं घृत को समान मात्रा में या मधु को उष्ण करके सेवन करने पर तात्कालिक लक्षण नही मिलते परन्तु उन का दूरगामी दुष्प्रभाव शरीर मे जरूर दिखाई देता है ।*
*रजस्वला स्त्री को इन कर्मो करने पर तात्कालिक लक्षण नही मिलते परन्तु दूरगामी दुष्प्रभाव जरूर मिलते है,,,,*
*पुराकृते,,,,,*
*पूर्व में किये गए कर्म जरूर फलित होते है*
🌹🌹🙏🏼🌹🌹🙏🏼🌹🌹
[2/25, 8:55 AM] Vd. Yashpalsinh A. Jadeja Gujarat:
रजस्वला के जो नियम बताए है वह *विशेषतः गर्भधारण करने इच्छुक स्त्री के संदर्भ में है जिससे उत्तम बीज बन पाए* ऐसा प्रतीत होता है ।
और बाकी कुछ नियम समयानुरूप स्त्री और परिवार को एनर्जी के लेवल पर सुरक्षित रखने के लिए होंगे शायद ।
जिसमे समयानुरूप परिवर्तन आता रहता है 🙏🏼
[2/25, 9:31 AM] Vaidya Sanjay P. Chhajed:
हम यही कहना चाहते हैं, क्या आजकी कामकाजी महीला इसका पालन कर सकती हैं? काय संप्रदाय में इतनी प्रबुद्ध महिला वर्ग है, वे जादा प्रकाश डाल सकती है।
[2/25, 9:50 AM] Vd. Divyesh Desai Surat:
सर, आयुर्वेदकी दिनचर्या का पालन करना भी मेरे लिए दुष्कर कार्य है।।😞😞
[2/25, 10:07 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:
*सुप्रभात आचार्य संजय जी, हर संभव मार्ग प्रशस्त किये जा सकते है ...*
*मंत्र स्नान :
आप जैन हैं तो णमोकार मन्त्र से अन्य लेग भी अपने मन्त्रों का उच्चारण या जप करते हुये अपने को शुद्ध मान लीजिये, केदारनाथ में तो पानी ही जम जाता है पहले अग्नि की सुविधा भी कठिन हो जाती थी कि पात्र में जल को पिघला लें ।*
*भौम स्नान :
मिट्टी का शरीर है और इसी में मिल जायेगा , बस शरीर पर थोड़ी सी लगा ली और भाव शुद्ध रखे तो हो गया स्नान ।*
*अग्नि स्नान :
अग्नि तो सब वायरस और बैक्टीरिया समाप्त कर देती है ना , कुछ देर उसके सामने बैठ गये और लगा ली थोड़ी सी भस्म।*
*वायव्य स्नान :
गौ तो पूर्ण पवित्र है, जहां विराजमान है वहां की किंचित धूल शुद्ध भाव से स्पर्श कर ली तो काम हो गया ।*
*दिव्य स्नान :
सूर्य निकला हो और तब वर्षा की दो चार बूंद भी शरीर पर गिर जाये तो स्नान ही है।*
*वारुण स्नान :
शॉवर,नदी या कूप में अच्छी तरह नहाना, ये वो है जो आयुर्वेद में कहा है।*
*मानसिक स्नान :
मैं शरीर नही हूं और विशुद्ध चेतना हूं बस और अपवित्र नही होता , इस तल पर भी वैरागी लोग पवित्र रहते है आचार्य संजय जी ।*
*हम तो काय सम्प्रदाय को पढ़ते हुये इसमें विद्वानों के प्रदत्त ज्ञान से ही शुद्ध हो जाते है क्योंकि यह 'आयुर्वेद ज्ञान स्नान ' है ।*
🌹❤️🙏
[2/25, 10:09 AM] Dr. Bhadresh Naik Gujarat:
Gm sir
Depending on emotion and thoughts
Katra bhav
Manobhav
Faith
Bealif
[2/25, 10:33 AM] Vd. Mohan Lal Jaiswal:
ऊँ सादर नमन वैद्य वर जी
ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं होगी।
त्र-टते ज्ञानात् मुक्तिः
[2/25, 10:37 AM] Dr Arun Tiwari:
परंपरागत गत रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी इन नियमों का कमोबेश पालन हमारे समाज की परंपरा रही है।लेकिन नैपकिन्स के विज्ञापनों ने सब बदल दिया और एक मार्केट स्त्री रोगों के लिए तैयार कर दिया।यह भी एक अनुसंधान विषय है।🌹
[2/25, 10:39 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir:
ऋते ज्ञानान्न मुक्ति:।" आत्मज्ञान/ साक्षात्कार।
[2/25, 10:45 AM] Prof. Lakshmikant Dwivedi Sir:
महाकाल= भस्म स्नान (अवधूलन)।
[2/25, 11:32 AM] Dr. Shashi Jindal:
Question is why to follow the Charaka’s instructions during menstruation ?
Menstruation is a physiological process during which arteries and arteriols are directly involved, any activity physical or mental will effect on uterine and ovarian blood circulation. E.G. emotional stress can cause hypertension or hypotension. Excessive physical or mental activity may cause lesser/increase blood flow towards uterus
Continuous flow of menstrual blood changes Ph of vagina, blood and changed vaginal ph / changed vaginal flora, can cause infection to the woman from surroundings and from the woman to surrounding, beddings etc.
Oil massage will increase blood circulation of integumentary system.
And so on !!!!
Thanks
[2/25, 11:48 AM] Dr. Shashi:
One more point, due to withdrawal of progesterone, most of the women feel different in body and mind, effects on breast are well known.
[2/25, 11:58 AM] Vaidya Sanjay P. Chhajed:
तो क्या यह सिर्फ खयाली पुलाव है, जो सिर्फ बका जाता है ? न ईसे परोसा जा सकता है, न खाया जाता है। हम ऐसी ही समस्त समस्याओं को युगानुकुल पुनः लिखित करना समझते हैं। इससे शास्त्र का नुक़सान नहीं बल्कि भला ही होगा। आखो की पट्टी खोलने मात्र की आवश्यकता है।
[2/25, 11:59 AM] Vaidya Sanjay P. Chhajed:
क्या यह रजस्वला के लिए प्रशस्त एवं शास्त्रसंमत है ?
[2/25, 12:44 PM] Dr. Vandana Vats Madam Canada:
प्रणाम सर
🙏
आचार्य अनुसार बताए गई राजस्वला परिचर्या सुखार्तव, स्वस्थ बीजोत्पति और गर्भधारण के लिए विदित है। कष्टार्त्तव, रजोदुष्टि, अनियमित रजोदर्शन करने वाली परिचर्या तो आजकल के so called modern lifestyle में सर्व विदित है।
पर 10 में से 8 युवतियो के इन रोगो से पीड़ित होने पर क्या हम शाश्वत सिद्धांतानुसार practical approach नही बना सकते। 25 वर्ष के clinical carrier मे सर हमने आयुर्वेद सिद्धांतों को पढने स्वयं समझने और practically apply करने के प्रयास किया है,क्योकि BAMS में शायद exams पास करने के लिए ही पढे थे।कायसंप्रदाय कुभ मे हमे चिकित्सा के नव आयाम और मार्ग दर्शन मिला है।
In Modern society actions and talks of male female equality , wrong propagation of sanitary pad industry advertisements etc, are trying to equalizer femine and masculine energy but it's not like that.
स्त्री का शरीर सृजन और सृष्टि संसार को चलाने के लिए ईश्वर प्रदत्त है। इसलिए नियम बनाए गए है। हमारे तो अपने घर-परिवार मे ही मां, दादी नानी सबको इसका पालन करते देखा और हमे सिखाया गया। हल्का खाना, व्यायाम, स्नान न करना, तुलसी को जल न देना, आदि।
हमारा मत, और अभियान "बेटी बचाओ, बेटी पढाओ के साथ-साथ बेटी को स्वस्थ बनाओ भी है" क्योकि यही बिटिया भविष्य मे भावी स्वस्थ संतति की जननी है जो कि आजकल modern lifestyle के कारण menstrual irregularities or PCOD पीड़ित है।
And small steps and efforts from us( especially Ayurveda pathy people) can make big differences.
🙏🙏
[2/25, 12:46 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
Sir!
🙏
There was same discussion in this elite group 3 -4 year back and a learned respected professor madam told that she had conditioned her sons and husband to do their work themselves during her menstrual days and had leave from work also. I follow her and does same. Tries to avoid as much as I can ,rest from clinic, give leave 1 or 2 days to my maids particularly young girls in clinic staff during their menstrual days. Girls already anemic now a days.
Regarding asking leave for menstrual days
......time is changing now. In Foreign countries and In India also there is provision for 2 days paid menstrual leave (24 in a year) from office in many companies which include corporate sector in Hyderabad. They facilitate same to their female employees. A legal law already passed.
Again small steps and efforts from us( especially Ayurveda pathy people )can make big differences.
🙏🙏
[2/25, 12:55 PM] Dr. Satish Jaimini:
सराहनीय सोच और प्रयास है आपका🙏🏻🙏🏻
[2/25, 2:24 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
जी सर, सिर्फ स्नान नही बहुत से कार्य निषेध है।
हमने अपनी बुद्धि से प्रयास किया है समझने का, कृपया गुरूजन त्रुटि माफ करे।
🙏
[2/25, 2:28 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
राजस्वला के लिए निषेधित कुछ और कर्मों को इस प्रकार समझने के प्रयास है
🙏
-------दिवास्वप्न, हंसना, अति शब्द ग्रहण, ऊचा बोलना, नाखुन काटना, व्यायाम आदि वात प्रकोपक , वात का प्रतिलोमन और अपान वात कर्म बाधा।
-------अभ्यंग, अनुलेपन, ("कांचित् मृजां
किसी भी तरह की मृजा को जो कि त्वचा पर रगड़ कर की जाती है वह नहीं की जानी चाहिए," गुरूश्रेष्ठ गौड सर ने कल बताया),
-------अलंकार व श्रृंगार धारण, to restraint and to avoid sexual attention.
------अश्रु पालन और अंजन धारण
Tried to understand from this factual hypothesis that it is observed that cornea is tinnest at the beginning of menstrual cycle greater at ovulation and end of cycle. So if weep.... through the tear film and aqueous humor estrogen can reach oestrogen receptors in corneal epithelium, stromal and endothelial cells which intern potentially effect coronal thickness and biochemical reactions. Also eyes are more prone to infection with anjan, kajal and weeping during menstruation.
----काश्यप संहिता मे नस्य निषेध है --as it can cause rajodushti due to its effect on Hypothalamus-Pituitary--Ovarian Axis.
-----तुलसी, पोधौ, आचार, चटनी को न छूना ----can be understood with menotoxins and pheromones therory.
🙏🙏
[2/25, 3:08 PM] Dr. Satish Jaimini:
वंदना जी बहुत खूब🙏🏻🙏🏻
[2/25, 3:14 PM] Vd Shailendra Mehta:
बेहतरीन Resp. Mam👌🏻👌🏻🌷🙏🏻🙏🏻
[2/25, 3:19 PM] Dr. D. C. Katoch sir:
Amazing but scientific co-relation for understanding the restrictions imposed upon menstruating woman. Kudos Dr Vandana, Patiala aur Ayurvedic siddhant dono ke naam roshan kar diye aapne.🥳🥳
[2/25, 3:27 PM] Prof. Giriraj Sharma:
👌🏻🙏🏼🙏🏼👍🏻
[2/25, 3:41 PM] Vd Rangaprasad Bhat:
Thanks for sharing the interesting input regarding corneal thickness variation in rajasvala. 🙏
[2/25, 5:44 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
हृदय से आभार, नमन सम्पूर्ण विद्वानपरिषद 🙏और चरण वन्दन गुरुजन।
🙏🙏
आजकल सभी menstrual cycle को एक normal physiology कह कर, same routine करने को कहते है। इसी कारण वो एक Pathology बन गई है।
Staying with roots is necessary
🙏
[2/25, 5:50 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
Thank you very much Respected Sir. You and respected madam have threads and association in Patiala and visit here. Please visit our place to bless Me and Dr Manu.
🙏🙏
[2/25, 5:59 PM] Dr. Vandana Vats Madam:
Thanks a lot sir.
🙏
One more thing related with eyes should be taken care of in menstrual days is that "insidious use of screens." Based on this corneal thickness variation excess of watching mobile, laptop, TV is harmful too. I know this restriction is very difficult to obey in Tech world but not impossible. Can reduce screen timings.
🙏
[2/25, 6:39 PM] Dr. D. C. Katoch sir:
This should also be followed by covid suffered women of reproductive age.
[2/25, 6:42 PM] Dr. Pawan Madan:
Agree ....
Making the muscaline and femininine energy at par and in conpetion has been ruining the स्त्रीत्व of the females in general.
[2/25, 6:45 PM] Dr. Pawan Madan:
👍🏻👌👍🏻👌👍🏻
Even if this can not be followed as it is, we need to understand the भाव behind this and then adopt that भाव in todays parlance.
👌
[2/25, 6:47 PM] Dr. Surendra A. Soni:
अत्यंत प्रभावी और आवश्यक मार्गदर्शन वन्दना मैडम ।
हार्दिक आभार !!
🙏🏻🌹
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Above discussion held on 'Kaysampraday"(Discussion) a Famous WhatsApp-discussion-group of well known Vaidyas from all over the India.
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Vd. Rituraj Verma
B. A. M. S.
Shri Dadaji Ayurveda & Panchakarma Center,
Khandawa, M.P., India.
Mobile No.:-
+91 9669793990,
+91 9617617746
Edited by
Dr.Surendra A. Soni
M.D., PhD (KC)
Professor & Head
P.G. Dept of Kayachikitsa
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, Gujarat, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150
Beautifully explained
ReplyDeleteThnx Guru Jan 🙏🙏