[10/24, 1:15 AM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi: *case presentation - नानात्मज पित्त विकार* *updated* *.....त्वगदाहश्च त्वगदरणं च चर्मदलनं च रक्तकोष्ठश्च रक्तविस्फोटश्च .. रक्तमंडलानि...। च सू/20 *वर्तमान में fast food culture, synthetic food, frozen food, preserved food, अम्ल, तीक्ष्ण और उष्णादि गुणों से युक्त भोजन इसका प्रधान कारण है। वैसे तो सभी रोग त्रिदोषज ही होते हैं पर दोष बाहुल्य के कारण उन्हे नाम दे दिया जाता है।* *इस 12 वर्षीया female patient में चरकोक्त अनेक लक्षण मिले और हेतु आम दोष एवं पित्तकारक आहार ही मिला।* *सम्प्राप्ति घटक बनाये गये...* *दोष - पित्त,वात एवं कफानुबंध* *दूष्य - रस ( ज्वर प्रतीति, अंगमर्द,गौरवं, अश्रद्धा आदि) रक्त (रक्त मंडल, त्वग दाह , तृष्णाधिक्य, त्वागवदरण, रक्त कोठ, रक्त विस्फोट, तिक्तास्यता, चर्मदलन) मांस (त्वग्दुष्टि)।* *स्रोतस - रस-रक्त वाही* *स्रोतो दुष्टि- अति प्रवृत्ति, संग और विमार्ग गमन* *उद्भव स्थान - आमाश्य* *अधिष्ठान - यकृत प्लीहा* *व्यक्त स्थान- त्वक* *चिकित्सा सूत्र - सर्व प्रथम आम पाचन, सौम्य विरेचन
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