WDS60: "Medakshaye pleehavriddhi" by Prof. Ramakant Sharma 'Chulet', Dr. Pawan Madaan, Dr. Giriraj Sharma, Dr. Bhadresh Nayak, Vd. Subhash Sharma
[6/12, 7:43 PM] Prof Giriraj Sharma:
मेद क्षये..... प्लीहा वृद्धि
धातु क्षय का वर्णन करते हुए प्लीहा वृद्धि का कारण मेद धातु का क्षय बताया है ।
संहिता के इस सिद्धान्त को किस परिप्रेक्ष्य में देखेंगे फिर,,,,,
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 7:47 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
यह नया विषय है वो तो ठीक ही है , इसमें जिज्ञासा करना बिल्कुल उचित एवम् रोचक है मेद क्षये प्लीह वृद्धि , जो बताया गया है उसी का परिणाम है मेदक्षय
[6/12, 7:50 PM] Prof Giriraj Sharma: 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 7:57 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi: 🙏🙏🙏🙏🙏
[6/12, 8:05 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*आज ही चार नये रोगी splenomegaly के देखे है और मेदोक्षय वाले, enlargement of liver और कामला भी था, आपके प्रश्न हमेशा बुद्धि का विस्तार कर देते है, संभव हुआ तो सात दिन बाद जब वो investigations report के साथ आयेंगे तो case study के रूप में लिखूंगा और अब रोगियों को देखने के दृष्टिकोण में आपका सुझाव साथ रहेगा।*
🙏🙏🙏🙏🙏
[6/12, 8:08 PM] pawan madan Dr: उत्तम विवेचन।।।।
[6/12, 8:09 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi: 🙏🙏🙏🌹🌹🌹
[6/12, 8:28 PM] Dr Sukhveer Verma: 🙏
[6/12, 8:28 PM] Dr Sukhveer Verma: 👍
[6/12, 8:29 PM] Prof. Deep Narayan Pandey:
*बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न*
आज अनेक लोग जूझते हुए दिखाई देते हैं इस समस्या से... और अनवरत चक्कर लगते हैं बायोमेडिकल चिकित्सकों के।
प्लीज इस मसले पर विस्तार से चर्चा हो जाए तो उत्तम रहेगा।
[6/12, 8:34 PM] Dr. D C Katoch sir:
In this context Plihavriddhi refers to ptosis or subluxation of spleen due to loosening of bands/ligaments resulted from fat loss ( मेद क्षय), not actual enlargement ( hyperplasia or hypertrophy) of spleen.
[6/12, 8:38 PM] Dr Pravin Soni Beawar:
vatanuloman
gulm cikitsa
sukumar kasay
varnadi kasay
kachnar gugl
chndrprbha vti
manibhdr leham
[6/12, 8:46 PM] Prof Giriraj Sharma:
🌹🌹🌹🌹🙏🏻🌹🌹🌹🌹
आचार्य आपका सहज बड्डपन है यह ,,,,
सादर नमन आपको रमाकांत सर ।
[6/12, 8:51 PM] Prof Giriraj Sharma:
सर,,,,,
आयुर्वेद संहिताओ में आचार्यो ने जो शब्द प्रयुक्त किये है वो सम्बन्धित रोग, चिकित्सा या सिदान्त से कोई विशेष अर्थ लेकर ही प्रयुक्तिपरक है ।
आचार्य ने वृद्धि शब्द को प्लीहा के परिपेक्ष्य में निश्चित रूप से enlargement of spleen ही कहा है ।
बाकी हमारी अपनी समझ है हम स्वीकार करते है ।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 8:56 PM] Dr Surendra A Soni:
अशितस्यातिसङ्क्षोभाद्यानयानातिचेष्टितैः ।
अतिव्यवायभाराध्ववमनव्याधिकर्शनैः ॥३५॥
वामपार्श्वाश्रितः *प्लीहा च्युतः स्थानात्* प्रवर्धते ।
👆👆👆👆👆👆
[6/12, 8:57 PM] Dr Surendra A Soni:
👌🙏👏कटोच सर । रमाकांत सर ।
[6/12, 8:59] Prof. Deep Narayan Pandey:
Very interesting indeed.
[6/12, 9:02 PM] Dr Namrata Sharma: 👌🏻🙏🏻🙏🏻😊
[6/12, 9:03 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:
*प्लीहा वृद्धि और प्लीहोदर दोनो अलग व्याधि है जबकि इनके हेतु एक ही है, प्लीहोदर का उल्लेख उदर रोग में है और प्लीहा वृद्धि त्रिशोथीय अध्याय में है*
[6/12, 9:05 PM] Prof Giriraj Sharma:
पुनः चिंतन कीजिये संस्कृत भाषा की सम्पन्नता एवं आचार्यो की तीक्ष्ण बुद्धि एवं शब्द चयन क्षमता को ,,,,
स्थान च्युत , जैसे शब्द के लिए वृद्धि शब्द का प्रयोग आचार्य करेंगे ।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 9:06 PM] Dr Namrata Sharma:
उनके लिए जो योग्य हो वह पंचकर्म चिकित्सा करके शरीर का शुद्धि करन करके आप औषधियों का प्रयोग कीजिये sir।
कभी कभी केवल स्नेहन स्वेदन से भी menstrual cycle normal हो जाती है।
[6/12, 9:11 PM] Dr. D C Katoch sir:
Normally spleen is not palpable, but it becomes palpable when splenic ligaments are loose. This condition is not Plihavriddhi rather Plihachyuti.
[6/12, 9:12 PM] Dr Namrata Sharma:
नस्य का प्रयोग भी hormonal imbalance को ठीक करने में सहायता करेगा pituitary gland को stimulate करके।
[6/12, 9:13 PM] Prof Giriraj Sharma:
*प्लीहा च्युतः स्थानात्* प्रवर्धते
का अर्थ तो चुलेट सर ही बताएंगे *स्थानात * विभक्ति अर्थ परिपेक्ष्य में ,,,,
स्व स्थान छोड़कर वृद्धि को प्राप्त होती है या अन्य
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 9:15 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
एक रोगी मेरी चिकित्सा में छ:सात वर्ष से है २५० ग्राम मटके के टुकड़े रोज़ खाती थी प्लेट में रखकर कहती थी बट बट करके खाने में मज़ा आता है ४ -६ %
[6/12, 9:17 PM] Dr. D C Katoch sir:
क्या प्लीहा बढ़ी या गिरी?
[6/12, 9:17 PM] Dr Surendra A Soni:
तस्य प्लीहा कठिनोऽष्ठीलेवादौ१ *वर्धमानः कच्छपसंस्थान उपलभ्यते;* स चोपेक्षितः क्रमेण कुक्षिं जठरमग्न्यधिष्ठानं च परिक्षिपन्नुदरमभिनिर्वर्तयति
👆👆
ये भी उन्ही के आगे के वचन हैं ।
[6/12, 9:18 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 🙏💐🙏
[6/12, 9:19 PM] Dr. D C Katoch sir:
यह स्थिति है leukemia में होने वाली प्लीहावृद्धि की।
[6/12, 9:20 PM] Prof Giriraj Sharma:
आचार्य ने च्युत शब्द प्रयोग कर दिया फिर प्रवर्धते कहने की कहाँ जरूरत थी ,,,,,
[6/12, 9:20 PM] Dr Surendra A Soni:
तस्य प्लीहा कठिनोऽष्ठीलेवादौ१ वर्धमानः कच्छपसंस्थान उपलभ्यते; स चोपेक्षितः *क्रमेण कुक्षिं जठरमग्न्यधिष्ठानं च _परिक्षिपन्नुदरमभिनिर्वर्तयति_*
पवन सर के satiety का उत्तर उपरोक्त श्लोक में है ।
[6/12, 9:22 PM] Prof Giriraj Sharma:
इस मे आचार्य ने च्युत और प्रवर्धते दोनों शब्द कहे है ।
ये दोनों पर्याय न होकर भिन्न भिन्न लक्षण है ।मेरा ऐसा मानना है ।
[6/12, 9:22 PM] Dr Surendra A Soni:
Causes दोनों है । निज तथा कर्षण ।
Stony hard enlarged spleen कृश दुर्बल में ही होती है । ये भी तथ्य है । स्थूल में प्रायः दृष्टिगोचर नहीं होती है ।
[6/12, 9:23 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
हीमोग्लोबिन ,प्लीहा का कच्छप संस्थान कठिन अग्रपत्रक से योनिद्वार तक विस्तृत , ३ बार आपरेशन प्लान किया लेकिन किया नहीं तब रोगी मेरे पास आया मेरे पियोन के बेटे के साढ़ू भाई की पत्नी।
[6/12, 9:24 PM] Prof Giriraj Sharma:
संस्कृत पंचम विभक्ति जन्य अर्थ की आपसे उम्मीद है
स्थानात
[6/12, 9:25 PM] Dr Surendra A Soni:
आपकी बात सही है । विच्छेद पूर्वक ही पंचमी विभक्ति होगी ।
[6/12, 9:27 PM] Prof Giriraj Sharma: 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 9:27 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:
Their is no point of discussion on loose ligament it's clearcut the size of spleen is increased
Chronic malaria
Throbocytipenia
Malligancy
Luekimia
Hogkins disease are comman causes.
[6/12, 9:28 PM] Dr Sudha Delhi:
Respected gurujan pranam🙏🏼kripya is par prakash daalein....I have a similar patient...
[6/12, 9:28 PM] Prof Giriraj Sharma:
स्व स्थान छोड़कर वृद्धि को प्राप्त होती है ।
या
वृद्धि को प्राप्त होकर स्व स्थान छोड़ती है ।
बाकी आप विद्वजन है
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 9:30 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
योनिद्वार भी प्लीहा से आच्छादित !!!
सहवास कर पाते हो ? मेरे इस पृश्न के उत्तर में उसने बताया कि पहले उँगली से जगह ढूँढता हूँ फिर प्लीहा को योनीद्वार से उँगली द्वारा ऊपर ढकेलता हूँ फिर उँगली निकाल कर विधिवत क्रिया निर्वृत्ति , बिना पेट पर ज़ोर डाले , काम चल जाता है जैसे तैसे उसने बताया 183 mm लम्बाई प्लीहा की
[6/12, 9:31 PM] Prof Giriraj Sharma:
Pelvic Diaphragm नही है
[6/12, 9:32 PM] Prof Giriraj Sharma: 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 9:32 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
प्लीहा बृद्धि २ होती है च्युत प्लीहा बृद्धि एवम् अच्युत प्लीहा वृद्धि
टीका पढ़िये!
[6/12, 9:33 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
मैं जो उसने बोला वो बता रहा हूँ रोगी ज़िन्दा है प्लीहा भी बढ़ा हुवा है !
[6/12, 9:34 PM] Dr Surendra A Soni:
स्व स्थान छोड़कर वृद्धि को प्राप्त होती है ।
या
वृद्धि को प्राप्त होकर स्व स्थान छोड़ती है ।
बाकी आप विद्वजन है
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ये तो वही बात है कि पहले मुर्गी आई या अंडा ।
आचार्य ने पहले च्युति बताई है पश्चात वृद्धि ।
कर्शन की स्थिति में ही च्युति सम्भव अन्यथा नहीं ।
जैसे भद्रेश जी बता रहे हैं वहां केवल वृद्धि ही है ।
[6/12, 9:35 PM] Dr Surendra A Soni: 🙏👌🌹💐 रमाकांत सर ।
[6/12, 9:35 PM] Prof Giriraj Sharma:
मेरा प्रश्न यह नही है ,,,
[6/12, 9:35 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
डा.अमोल कडू लैक्चरर अगद ऐन आई ए तब एम डी कर रहे थे ये गवाह हैं ।
[6/12, 9:36 PM] Dr Surendra A Soni:
प्लीहवृद्धिर्द्विविधा- सङ्क्षोभादिच्युतस्य वा वृद्धिः, अच्युतस्य वा शोणितवृद्ध्या वृद्धिर्भवति। वामपार्श्वाश्रित इति प्लीहस्वरूपकथनम्। शोणितं वा रसादिभ्य इति अत्रादिशब्दः प्रकारवाची; तेन रसस्य कारणस्य वृद्ध्या कार्यस्य रक्तस्य वृद्धिस्तथा मांसादिभ्योऽपि रक्तवृद्धिर्भवति; तेनाहारविहारेभ्यो रक्तवृद्धिरुक्ता भवति। प्रथमं या च्युतस्य वृद्धिरुक्ता सा वातादिसन्निपातत्वेन चतुर्विधा ज्ञेया; तेन रक्तजप्लीहवृद्ध्या समं पञ्च प्लीहदोषा ये उक्तास्ते सङ्गता भवन्ति। उक्तं हि- पञ्च प्लीहदोषा इति गुल्मैर्व्याख्याताः (सू.अ.१९) इति। अष्ठीला दीर्घो लोहमयो ग्रन्थिर्लोहकारेषु प्रसिद्धः। कुक्षिः पार्श्वदेशः। दक्षिणपार्श्वस्थमिति स्थाननिर्देशः। यकृज्जन्मन उदरस्य पृथङ्नाम आख्याय तस्य प्लीहोदर एवावरोधमाह- तुल्येत्यादिना॥३५-३८॥
[6/12, 9:36 PM] Prof Giriraj Sharma:
प्लीहा वृद्धि को प्लीहा च्युत कहने पर प्रश्न है
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 9:36 PM] Dr Surendra A Soni: चक्रपाणि
[6/12, 9:37 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
आप शरीरज्ञ हैं अपन ज्ञान का आदान प्रदान कर रहे हैं बस, सहज भाव से लेते रहें और क्या है ।
[6/12, 9:39 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
चरक की परिभाषानुसार तो सम्पूर्ण आयुर्वेद वही जान सकता है जो शरीर को सर्वदा सर्वथा सर्वम् आदि रूप से जानता हो तो आप तो ग्रेट हो ही , इसमें संदेह नहीं है प्रियवर !!!
[6/12, 9:41 PM] Prof Giriraj Sharma:
विचारणीय विमर्श
एक पहलू मेरा भी समझ लीजिए ,,,,,
मेद क्षय से प्लीहा वृद्धि होती है ।
मेद का स्थान अणु अस्थिया उनमे भी सरक्त मेद की स्थिति ,,,,
मेद क्षय पर रक्तवह स्रोतः मूल प्लीहा की वृद्धि ,,,,,,
सरक्त मेद जन्य क्षय से यह वृद्धि हो रही है ,,,,
सरक्त मेद ,,,,, को समझे
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 9:41 PM] pawan madan Dr:
PLEEHODARA – CAUSES, SAMPRAPTI AND SYMPTOMS – CHIKITSAA STHAANA 13/35-38
COMMENTRY –Enlargement of spleen is of two types – displacement or enlargement due to trauma etc or no displacement but enlargement due to the increase in RAKTA DHAATU. VAAMAPAARSHAVA AASHRITA means in the left side of the body, is the place where spleen is located. ATRAADI word denotes the types – either due to SHONITA or due to RASA VRIDHI, this is because of the Increase in the cause like RASA, there is increase in the RAKTA and also increase in the MAANSAADI also, that means there is increase of RAKTA due to diets and lifestyle also. The first type of spleen enlargement caused by trauma etc is of four types and the fifth is the type that is caused by the increase in the RAKTA, so in all there are five types of PLEEHA VRIDHI which have been texted. As it is said in SUTRA STHAANA 19 – PANCHA PLEEHDOSHAA ITI GULMAIH VYAAKHYAATAA – there are five types of PLEEHAA DOSHA as there are five GULMA. ASHTHEELA is the large, hard, iron like tumor famous as LOHAKAARA. KUKSHI means lateral sides. DAKSHINAPAARSHAVASTHMA ITI is the indication of the place. The UDARA ROGA produced by YAKRITA are said by different names but they are produced similarly as of PLEEHAA.
[6/12, 9:41 PM] Dr Surendra A Soni:
It is also a point Sir.
[6/12, 9:43 PM] Dr Surendra A Soni:
👌👌👏🙏💐🌹
Excellent Pawan Sir !
[6/12, 9:43 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
उसके लिये विशेष कंस हरीतकी बनाई गई, मृत्तिका पातन का योग बनाया तथा हिपेटोज सिरप विशेष बनाई गई जिसमें कुटकी शरपुँखा रोहीतक विशेष था ।
कंस हरीतकी व हिपेटोज को प्रायोगिक भक्ष्य के रूप में प्रयोग किया!
[6/12, 9:44 PM] Dr Surendra A Soni: 👌🙏🙏🌹🌹
[6/12, 9:45 PM] pawan madan Dr: 🙏🏻🙏🏻🙏🏻👍👍👍
[6/12, 9:46 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
हीमोग्लोबिन ८ % रहा प्लाहा 162-163 mm आई रोगी ख़तरे से बाहर था तो क्षार प्रयोग किया एक सप्ताह या १० दिन में क्षार लेते ही उरों दाह होने पर बंद कर दिया !
[6/12, 9:46 PM] Dr Surendra A Soni:
साइज़ कितना कम हुआ गुरुजी ।
🙏
[6/12, 9:49 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
132-134 तक आई उसके बाद रोगी कंस हरीतकी व हिपेटोज मँगवा लेता है रूग्णा खेत का काम करती है l
[6/12, 9:50 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:
Their is no point of discussion on loose ligament it's clearcut the size of spleen is increased
Chronic malaria
Throbocytipenia
Malligancy
Luekimia
Hogkins disease are comman causes.
[6/12, 9:50 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:
PLEEHODARA – CAUSES, SAMPRAPTI AND SYMPTOMS – CHIKITSAA STHAANA 13/35-38
COMMENTRY –Enlargement of spleen is of two types – displacement or enlargement due to trauma etc or no displacement but enlargement due to the increase in RAKTA DHAATU. VAAMAPAARSHAVA AASHRITA means in the left side of the body, is the place where spleen is located. ATRAADI word denotes the types – either due to SHONITA or due to RASA VRIDHI, this is because of the Increase in the cause like RASA, there is increase in the RAKTA and also increase in the MAANSAADI also, that means there is increase of RAKTA due to diets and lifestyle also. The first type of spleen enlargement caused by trauma etc is of four types and the fifth is the type that is caused by the increase in the RAKTA, so in all there are five types of PLEEHA VRIDHI which have been texted. As it is said in SUTRA STHAANA 19 – PANCHA PLEEHDOSHAA ITI GULMAIH VYAAKHYAATAA – there are five types of PLEEHAA DOSHA as there are five GULMA. ASHTHEELA is the large, hard, iron like tumor famous as LOHAKAARA. KUKSHI means lateral sides. DAKSHINAPAARSHAVASTHMA ITI is the indication of the place. The UDARA ROGA produced by YAKRITA are said by different names but they are produced similarly as of PLEEHAA.
[6/12, 9:50 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:
Raktadhatuxay leads to vatvrudhi
Spleen enlarge
Rajtaxay
Bleeding tendancy
Pratilom or anulom like heamtosys or Malena
Excessive ras dhatu leads to jalodar
Portal hypertension leads due to vatvrudhi and kled devolop avrogh obstruction
Ratka drav gun increase develop bleeging disorder
This is the point to concider spleen enlarge disorder.
[6/12, 9:51 PM] pawan madan Dr:
Sir ji what happened? Kya meri is post me koi mistake hai?
[6/12, 9:52 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:
I have explained shortly your post just justify thanks !
[6/12, 9:54 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:
Advice
FSH
LH
Estrogens test
Usg
Thyroid hormone test
Prolactin to rule out possible causes.
[6/12, 9:55 PM] pawan madan Dr:
Thanks all stalwarts for such a wonderful discussion about Pleehodar. there is another query about Pittodar where in Samprapti it has been said that the increased Pitta when occludes the vaata and kapha causes Pittodar ------ if we ccould understand this pathology ---- probably we would be able to solve many cases of APD disorders which are even not curable with the chikitsa sidhaant of Amlapitta or Vidagadhajeern....CHARAK CHIKITSA 13/26-28
विदाह्यध्यशनाजीर्णैश्चाशु पित्तं समाचितम्||२६||
प्राप्यानिलकफौ रुद्ध्वा मार्गमुन्मार्गमास्थितम्|
निहन्त्यामाशये वह्निं जनयत्युदरं ततः||२७||
🤔
[6/12, 9:57 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
एक और तथ्य पहले मैंने क्षार के स्थान पर भस्म का ही प्रयोग किया था मात्रा शायद ३ ग्राम रही होगी उससे भी उरों दाह होता था फिर मैंने शरपुंखा व रोहीतक का क्षार बनाया पुडिया मे दिया तो फिर दाह , फिर पानी में घोलकर दिया कोई दाह नहीं इसीलिये इसे पानीय क्षार कहते हैं शायद , २-३ सप्ताह बाद दाह प्रतीति होती है तब मैंने पंचम क्षार बनाया बड़ा मज़ेदार है उससे दाह नहीं होता , दीर्घ काल प्रयोग सम्भव है!
[6/12, 10:00 PM] pawan madan Dr:
✅ and this has been clearly mentioned by Chakrapaani.
[6/12, 10:02 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:
All karma of individual dosha will guide better to understand all queries about sthan chut or sthan vrudhy or kathinya increase of spleen size.
According to dosh prablya do treatment give better advantage.
[6/12, 10:06 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:
Spleen enlarge never pus formeted suggest kuf laxan.
[6/12, 10:07 PM] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi: 🙏🙏🙏🙏🙏
[6/12, 10:10 PM] Prof Giriraj Sharma:
स्व श्री शंकर लाल जी त्रिवेदी भूतपूर्व प्राचार्य सीकर आयुर्वेद कॉलेज ,,,, प्लीहा वृद्धि में पिप्पली रसायन( चरक) का बहुतायत प्रयोग करते थे औऱ सुफल प्राप्त भी करते थे।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 10:18 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:
I use raktamoxan from right hand every twenty one day's in two patients reduce of spleen size significantly
Along with sarpunkha
Gomutraharitaki
Xar medicine
Aroghavardhini vati with Shilajit
[6/12, 10:19 PM] Dr Surendra A Soni: 👌👏🙏🌹💐
[6/12, 10:22 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
सही प्रयोग है वर्धमान क्रम से फलप्रद है निरापद है !
[6/12, 10:23 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
Why on Rt side ??
[6/12, 10:24 PM] Prof Giriraj Sharma:
left पढे शायद गलती से
[6/12, 10:24 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
विरेचन से तुरन्त साइज़ कम होती है
[6/12, 10:25 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir:
वामे बाह्वौ व्यधेत् शिराम्
[6/12, 10:25 PM] Prof Giriraj Sharma: 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[6/12, 10:26 PM] Prof. Ramakant Chulet Sir: 🙏🙏🙏🙏
[6/12, 10:35 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:
Sorry for printing mistake
Thanks sir !
[6/13, 1:48 PM] Dr Surendra A Soni:
*मेदसि स्वपनं कट्याः प्लीह्नो वृघ्दिः कृशाङगता ।। अ ह्र सू ११*
Myeloproliferative neoplasms (MPNs) encompass a diverse yet homogenous classification of hematologic malignancies including primary myelofibrosis (MF), essential thrombocythemia (ET), and polycythemia vera (PV). Although clinically distinct, these three entities share similar clinical and prognostic features and are characterized by clonal stem cell proliferation with recurrent chromosomal abnormalities. MPNs can be accompanied by symptomatic worsening, particularly *weight loss and splenomegaly. However, of these symptoms only *splenomegaly* is targeted by conventional therapy. With the key discovery of the JAK2V617F mutation, there has been renewed focus on effective treatment strategies aimed at counteracting the debilitating side effects accompanying this disease.....
*Progressive splenomegaly, weight loss, and hypocholesterolemia* are common across all MPNs but are most prognostically detrimental in PMF. Ongoing and future trials of JAK2 inhibitors will answer whether reversal of these latter hypercatabolic and proliferative manifestations of disease will improve outcomes for MPN patients.
--------------------------------------
Prof. Satyendra N. Ojha on *medakshaye pleehavriddhi.*
Dr Giriraj ji 👆👆🙏🙏
[6/13, 2:49 PM] Prof Giriraj Sharma:
सरक्त मेद
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊🙏🏻🙏🏻🙏🏻
******************************************************
Above discussion held on 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp-discussion-group of well known Vaidyas from all over the India.
Compiled & edited by
Dr.Surendra A. Soni
M.D.,PhD (KC)
Associate Professor
Dept. of Kaya-chikitsa
Govt. Ayurveda College
Vadodara Gujarat, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150
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