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Case-presentation: Management of Yakrit-pleehodar by Vaidyaraja Subhash Sharma

[3/24, 12:37 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*case presentation*

*रक्तवाही स्रोतो दुष्टि जन्य यकृत रोग CLD, परतन्त्र प्लीहा दोष splenomegaly & AFP tumor marker for hepatocellular carcinoma एवं आयुर्वेदीय व्यवस्था।*

*रोगी/ male / 49 yrs लगभग एक वर्ष पूर्व CLD के इस रोगी ने चिकित्सा बंद कर दी थी क्योंकि कुछ महीने चिकित्सा के पश्चात इसका LFT normal range में आ गया था पर इसकी अनेक allopathic औषधियां HT DM CAD GOUT OA शोथ रोगों की चल रही थी और एलोपैथिक औषधियों की मात्रा इतनी अधिक हो जाती थी कि हमारी औषधियों से इसने फिर दूरी बना ली ।*

*दिसंबर 2019 में यह बहुत भयभीत स्थिति में आया क्योंकि अब प्लीहा वृद्धि के साथ tumor marker भी positive था।*

*जैसे जैसे यकृत रोग जीर्ण हो जाता है वात के कारण उसमें काठिन्य भाव उत्पन्न होने का भय बना रहता है जिस से carcinoma की संभावना बनी रहती है।*

*रूग्ण मेदो रोग  से भी पीड़ित है पर उसमें बल लगभग शून्य है, थोड़ा चलते ही श्वास कृच्छता हो जाती है, 'प्राणिनं प्राण: शोणितं ह्यनुवर्तते' च सू 24/4 प्राणियों में प्राण शुद्ध रक्त के अनुसरण अनुसार ही चलता है  जो बल,वर्ण, सुख और दीर्घ आयु प्रदान करता है, 
'रक्तं जीव इति स्थिति :' सु सू 14/44 
में सुश्रुत ने रक्त को जीव संज्ञा भी दी है,  'धातुक्षयात् स्रुते रक्ते मन्द: संजायतेऽनल:' 
सु सू 14/37 
रक्त के स्रुत होने पर धातुयें क्षीण हो जाती हैं, जिस से अग्नि मंद होती है और वात का प्रकोप और सु सू 14/21 में
 'तेषां क्षय वृद्धि शोणितनिमित्ते' 
अर्थात धातुओं की वृद्धि या क्षय रक्त के कारण होती है।' देहस्य रूधिरं मूलं रूधिरेणैव धाय्यर्ते' सु सू 15/44 रक्त ही शरीर का मूल है और ये ही शरीर को धारण करता है।*

*रक्तवाही स्रोतों का मूल यकृत प्लीहा है, हमने इस रोगी में लाक्षणिक चिकित्सा 'परतन्त्र प्लीहा दोष' निदान करने का निश्चय किया क्योंकि वर्षों से इसमें लगभग सभी स्रोतस और अनेक धातुयें संबंधित है और वही मार्ग था जो रक्त का सम्यक निर्माण कर के जीवनीय शक्ति को बढ़ा कर और आने वाले रोगों से बचा सकता है।*

*चिकित्सा सूत्र में पहले ऐसे आहार और दिव्यें का चयन किया जिस से दीपन पाचन सम्यक हो कर अन्न रस से रस धातु और रक्त धातु का उचित निर्माण हो। रोगी मेदस्वी है अत: अनुलोमन और मेद के भेदन के साथ ये ध्यान रखा कि विरेचन अधिक ना हो जिस से वात वृद्धि से बचा जाये, रक्त वर्धन और रसायन द्रव्यों के साथ शमन चिकित्सा।*

*रोगी से दो महीने का समय ले कर चले कि इसके बाद usg और tumor marker repeat करा ले जिस से spleen और hepatocallular carcinoma की आन्तरिक स्थिति का ज्ञान हो जाये।*

*औषध ..*
*वर्धमान पिप्पली कल्प, ये वात कफ नाशक है और वातहर होने से रोग की वृद्धि रोकने में सहायक है तथा रसायन भी है, 10 दिन कल्प दे कर 7 दिन विश्राम और पुन: दोबारा कल्प*
*यकृतप्लीहारी लौह*
*फलत्रिकादि क्वाथ + पुनर्नवा क्वाथ शुद्ध मधु मिलाकर।*
*गुडूची, कुटकी, कालमेघ*
*सुदर्शन चूर्ण + शरपुंखा फांट शुद्ध मधु मिलाकर*
*आरोग्य वर्धिनी वटी*
*मधु में अनुरस कषाय है और कषाय रस carcinoma की वृद्धि रोकने में सहायक है, मधु योगवाही है ये दूसरे द्रव्यों के गुण ले कर चलता है पर अपना कषाय स्वभाव नही त्यागता और मधु ये गुण तभी देता है जब इसे बिल्कुल खाली पेट दिया जाये और लगभग एक घंटे तक अन्य कुछ भी सेवन करने के लिये ना दिया जाये।*

*रोगी के पास नवंबर 2019 की रिपोर्ट थी।*

*9-11-2019*
*usg - CLD, spleen 175.2 mm*
*AFP tumor marker 10.58 (10.00)*
positive

*6-3-2020*
*usg - CLD, spleen 168 mm*
*AFP tumor marker 9.12 (10.00)*
negative

*अभी चिकित्सा लगभग दो महीने ही चली है पर एक तो रोगी अब carcinoma के भय से बाहर हो गया और प्लीहा का size भी 7 mm कम हो गया है।*
























[3/24, 12:37 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 
AT 👇🏿























[3/24, 12:53 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*असाध्य रोगों में जहां multiple स्रोतस की involvement हो इस प्रकार के रोगों की modern में कोई चिकित्सा नही है वहां मात्र आयुर्वेद से ही जीवन मिलता है अत: सभी मित्रों से निवेदन है अपने को कभी भी non essential ना समझें, जो हमारे पास है वो modern वालों के पास नही और संसार एक दूसरे के सहयोग से ही चलता है । रात्रि को चांद अगर रोशनी और शीतलता दे रहा है तो सहयोग सूर्य का ही ले रहा है ।* 

*हमने इस रोगी का परीक्षण आयुर्वेदीय आधार पर किया पर परीक्षण में modern parameters भी ले कर चले जिस से हम सिद्ध कर सके कि किसी भी परीक्षा के तल पर संसार आयुर्वेद की परीक्षा ले सकता है और वहां आयुर्वेद की शाश्वतता ही सिद्ध होगी ।*

[3/24, 2:07 AM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Guruji*🙏🙏💐💐❤❤👌👌👏👏💐💐❤❤
*Great inspiring case* as always. 

👉 *Emphasis on Vata* getting involved in chronic liver ailments, 

👉 Focus on *Bala*

👉 Importance on *focussing on rakta & related srotas*, 

👉 The concept of *paratantra pliha Dosha* and the logic behind the diagnosis👏👌

👉 *Initiation of treatment with ahara so as to enhance optimum quantity of rasa_rakta*👌👌👌❤💐👏👏🙏

👉 Emphasis on *not giving tikshna virechana* in this case...

👉 Choice of medicines, especially *Pippali Vardhaman*👌👌


👉 *Improvements shown* along with building up confidence in the patient...

👉 And *effortlessly handling these critical cases and inducing confidence in us*...

🙏🙏🙏🙏💐❤

[3/24, 2:10 AM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

👌👌👌🙏🙏💐💐❤❤👏👏👏
True Guruji... Under the leadership of your kind self and other Gurus of this institute... *we are ultra essential* ... 🙏

[3/24, 3:21 AM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🌹🌹🙌🏽

[3/24, 6:14 AM] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

अद्भुत गुरु वर जितनी बार पढ़ा कुछ नया जाना।🙏

[3/24, 7:47 AM] satyendra ojha sir: 

*नमस्कार वैद्यराज शर्मा जी* *चिकित्सा व्यवस्था में दोषादि का सम्यक ज्ञान के पश्चात ही औषधि चयन करने पर परिणाम मिलते ही है, जैसा की आप बार बार कहते भी है और रुग्ण में प्राप्त उपशय को यहां पर साझा करते रहते है , कथनी और करनी एक जैसी है और यही आप का प्रत्यात्म लक्षण है, आज अनंत सामंत ने वातिक गुल्म प्लीहा और cancer के सह संबंध को चरकोक्त सिद्धांत के आधार पर प्रस्तुत कर आधुनिक काल में होने वाले व्याधियों की सम्प्राप्ति समझ तथा तदनुसार औषधि व्यवस्था किया जा सकता है*; *एक सोच प्रस्तुत किया, अश्वीनी सर जी का प्रश्न भी सही है, वातिक गुल्म के उपद्रव स्वरुप होने वाला प्लीहा प्लीहोदर और प्लीहार्बुद स्वरुप प्राप्त कर रहा है*, *चिकित्सा व्यवस्था में वर्धमान पिप्पली, भल्लातकाद्यादि घृतम्, रोहितकलतारिष्टादि अभिष्ट है*. 

[3/24, 7:53 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*सुप्रभात एवं सादर नमन सर, आपको एवं समस्त आचार्य गण को ।*

              🙏🌺💐🌹🙏

[3/24, 8:05 AM] satyendra ojha sir: 

*बाह्य हेतु, आभ्यंतर हेतु, दोष-दूष्य -सम्मूर्च्छना, अग्नि, स्रोतो दुष्टि आदि घटको को समझ कर चिकित्सा व्यवस्था अपेक्षित है*

[3/24, 8:12 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *यही चिकित्सा का रहस्य और सार है सर, कई बार हम भटक कर उन विषयों में पहुंच जाते है जिनमें वर्षों परिश्रम के बाद कुछ प्राप्त भी हो जाये पर रोगी को क्या लाभ मिला शायद कुछ नही मगर व्यक्ति आत्म मुग्ध रहता है। अत: आपका कथन पूरी तरह उचित है कि to the point चल कर कार्य करें और इधर उधर भटकें ना ।*

[3/24, 8:44 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *सुप्रभात रघु जी, this is my simple effort to understand how I treat a disease and get results but you will go to great heights in the field of आयुर्वेद because you have the experience of presenting the work in युगानुरूप. My best wishes are always with you because विद्वान  like you will prove the importance of Ayurveda in modern era.*

            💐💐🌹🙏

[3/24, 11:15 AM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

Suprabhatam Guruji🙏💐❤
You make tough things easy to understand... Thanks for your priceless words of blessings... means lot to me... with your guidance and blessings I wish to contribute something valuable to the field of Ayurveda.

🙏🙏💐❤











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Above case presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp group  of  well known Vaidyas from all over the India. 




Presented by










Vaidyaraj Subhash Sharma
MD (Kaya-chikitsa)

New Delhi, India

email- vaidyaraja@yahoo.co.in



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