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CLINICAL-AYURVEDA PART- 12: 'Guru-guna' (Heaviness) - Clinical aspect by Vaidyaraja Subhash Sharma

[10/11, 1:28 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*अंशाश कल्पना के लिये गुणों का ज्ञान और उन्हे clinically कैसे apply करे और चिकित्सा के हर क्षेत्र में कैसे समझे इसका ज्ञान आवश्यक है, इस पर हमने पहले भी लिखा था क्योंकि अब नये members और जुड़ गये है अत: पुन: post कर देते है जिस से अंशाश कल्पना और स्पष्ट हो जायेगी, देखिये गुरू गुण जो कफ का है कैसे समझें ...* 
*गुरू गुण - व्यवहारिक और clinical पक्ष के साथ ...*


[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*'गुरूत्वं जलभूम्यो: पतनकर्मकारणम्' इसे आचार्यों ने ऐसा कहा है कि गुरू गुण वह है जो द्रव्यों के स्वाभाविक अध:पतन या में कारण में कारण होता है।* *इसे हम इस प्रकार मान सकते हैं कि अधोगमन या अधोभाग में आकर्षण गुरू गुण है, गुरू चाहे द्रव्यों में हो या शरीर के विभिन्न अंगों में हो इसे चक्रपाणि ने सरल करते हुये 'रक्षादयो भावप्रधाना: तेन रक्षत्वादयो गुणा: मन्तव्या: ' 
(च सू 12/4 पर चक्रपाणि) कहा है और भाववाचक संज्ञा दी है जैसे गुरूत्व, लघुत्व इस से इनके कर्मों को समझने में सुविधा मिलती है।* 
*सु सू 46 में गुरू गुण को  'सादोपलेपबलकृदगुरूबृहणस्तर्पण:' ग्लानि, उपलेप, बृहंण, तर्पण तथा बल की वृद्धि करने वाला माना है मगर ये कब होगा ? अगर अग्नि प्रदीप्त होगी, रोगी को गुरू द्रव्य सात्म्य होगे, व्यायाम शक्ति का अभाव ना हो अन्यथा गुरू द्रव्य शरीर के स्रोतस में संग या विमार्गगमन का हेतु बन कर अव्यवों में ही गुरूता लायेंगे। ये गुरूता विभिन्न रोगों में लक्षण या उपद्रव स्वरूप भी मिल सकती है जैसे शोथ, जलोदर, आमवात, यकृदाल्युदर, प्लीहोदर, वृक्क दुष्टि, प्रमेह आदि रोगों में।*



[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*fatty liver में गुरू गुण * 👆🏿


[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*कफावृत उदान में गल प्रदेश शोथ जन्य गुरूता * 👇🏿



[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*यकृदाल्युदर प्लीहोदर में उदर गुरूता 👇🏿*




[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*आमवात में पाद शोथ युक्त गुरूता 👇🏿*



[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*वृक्क दुष्टि, CLD आदि में उदर गुरूता 👇🏿*



[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*हमने पिछले तीन वर्षों में उपरोक्त अनेक रोगों पर case present किये हैं उनमें पृथ्वी और जल के भाव से मिश्रित गुरूता देखें तो पता चलता है कि गुरूता भाव, गुण, कर्म सहित विभिन्न रोगों के लक्षण के रूप में भी विद्यमान है। 
'त्रीण्यपेयेतानि... गुरूत्वं च महत्वं च यस् मान्नास्ति कफं विना' 
सु नि 12/1 
शलीपद के संदर्भ में गुरूत्व में कारण कफ को स्पष्ट किया है और शोथ के पूर्वरूप में 
'तत्पूर्वरूपं दवथु सिराऽऽयामोऽगंगौरवम्' 
अ ह नि 13 
में शोथ के पूर्वरूप में अंगों में गुरूता कहा है।*
*पृथ्वी और जल से ही मधुर रस बना, पृथ्वी और जल से ही कफ की उत्पत्ति हुई और इन्ही दो महाभूतों से गुरू गुण की उत्पत्ति हुई, अगर हम यहां चरक के 'सर्वदा सर्व भावानां...' सामान्य विशेष को जान ले तो चिकित्सा के हर क्षेत्र में इसकी उपयोगिता समझ आ जायेगी।पिछले वर्ष 8-2-19 को हमने CLD के एक रोगी की उदर गुरूता जिसमें पृथ्वी और जल के गुण को दर्शाती है इसमें अधोगमन एवं गुरूता देखिये ..* 👇🏿



[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*इस रोगी का हरीतकी और कुटकी से पक्वाश्य गत मलवाही स्रोतस का संग दोष दूर होते ही दो सप्ताह में 22-2-19 को गुरूता लघुता में परिवर्तित हो चुकी थी 👇🏿*






[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *हमने पिछले तीन वर्षों में उपरोक्त अनेक रोगों पर case present किये हैं उनमें पृथ्वी और जल के भाव से मिश्रित गुरूता देखें तो पता चलता है कि गुरूता भाव, गुण, कर्म सहित विभिन्न रोगों के लक्षण के रूप में भी विद्यमान है। 
'त्रीण्यपेयेतानि... गुरूत्वं च महत्वं च यस् मान्नास्ति कफं विना' 
सु नि 12/1 
शलीपद के संदर्भ में गुरूत्व में कारण कफ को स्पष्ट किया है और शोथ के पूर्वरूप में 
'तत्पूर्वरूपं दवथु सिराऽऽयामोऽगंगौरवम्' 
अ ह नि 13 
में शोथ के पूर्वरूप में अंगों में गुरूता कहा है।*
*पृथ्वी और जल से ही मधुर रस बना, पृथ्वी और जल से ही कफ की उत्पत्ति हुई और इन्ही दो महाभूतों से गुरू गुण की उत्पत्ति हुई, अगर हम यहां चरक के 'सर्वदा सर्व भावानां...' सामान्य विशेष को जान ले तो चिकित्सा के हर क्षेत्र में इसकी उपयोगिता समझ आ जायेगी।पिछले वर्ष 8-2-19 को हमने CLD के एक रोगी की उदर गुरूता जिसमें पृथ्वी और जल के गुण को दर्शाती है इसमें अधोगमन एवं गुरूता देखिये ..* 


[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*गुरू आहार एवं औषध...*
*गुरू को गुरू कैसे माना जाये ? इसका जवाब है कारण भूत द्रव्य जो इसके होने में कारण है तो पृथ्वी और जल अग्नि, वायु और आकाश से लघु हैं जो प्रत्यक्ष है और गुरू गुण में प्रथम स्थान पृथ्वी और जल के वजन से, वजन सहित आयतन से तथा जिनका पाचन देर से हो । च सू 27/276 में बहुत उत्तम तरीके से इस विषय को स्पष्ट किया है 'द्रव्य संयोग संस्कारं द्रव्यमानं पृथक् तथा, भक्ष्याणामादिशेद् बुध्वा यथास्वं गुरूलाघवम्' अर्थात भक्ष्य पदार्थों में संयोग और संस्कार पदार्थों को गुरू या लघु बनाते हैं। *
*गुरू पदार्थ कम मात्रा में लेने पर लघु और लघु पदार्थ अधिक मात्रा में गुरू होजाते हैं तथा च सू 27/ 343-344 में इसे और स्पष्ट किया है कि कौन सा पदार्थ गुरू है या लघु है इसकी चिन्ता प्राय: दुर्बल, कम शारीरिक श्रम करने वाले,सुकुमार, जो स्वस्थ नही रहते और सुखपूर्वक रहते हैं वो करते हैं, जिनकी जाठराग्नि प्रदीप्त है, जो खर(कठिन) आहार का नित्य सेवन करते हैं, परिश्रम करते है, जिनका उदर बढ़ा है उन्हे इसकी चिन्ता नही रहती।*

[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*व्रीहि धान्य 'मधुरश्चाम्लपाकश्च व्रीहि: पित्तकरो गुरू: 
च सू 27/15, 
गोधूम (गेहूं) 'जीवनो बृहंणो वृष्य: स्निग्धा: स्थैर्यकरो गुरू: ' 
च सू 27/21, 
उड़द 'स्निग्धो..मधुरो गुरू:' 
च सू 27/24, 
राजमा, खीरा, ककड़ी, खजूर, अंजीर, कमरख, अमरूद, नाशपाती, पक्व बेल,नाशपाती, पर्व कटहल, केला, खिरनी, बादाम, अखरोट, पिस्ता, चिलगोजा, खुमानी, चिरौंजी, लिसोड़ा, अश्वत्थ, गूलर और बरगद के फल, प्याज, लहसुन, वर्षा ऋतु का नया जल, हेमन्त ऋतु जल, गौदुग्ध, भैंस दुग्ध, 
मधु - 
'वातलं गुरू शीतं च' 
च सू 27/245, 
बिना मंड निकाले चावल का भात, घी, उड़द, तिल, dry fruits मिला कर बनाये भात जैसे पुलाव, बिरयानी, उड़द की कृशरा, समस्त भक्ष्य पदार्थ जो गुड़, तिल, शर्करा और मधु मिलाकर बनाये जाते है (च सू 27/270), गेहूं के आटे में घी मिला कर बने पदार्थ, धान का चिवड़ा, मंद अग्नि पर बने पदार्थ, विभिन्न पानक (शर्बत) जो द्राक्षा, खजूर, बेल, फालसा, मधु या इक्षुरस मिला बनते हैं, आम तथा आंवला चटनी (च सू 27/282), एरंड तैल, चिरौंजी, नवीन धान्य, पका आम, नारियल फल, तरबूज, खरबूजा, सुपारी, नारंगी, जामुन, बेर, कच्चा करौंदा, कमल गट्टा, सिंघाड़ा, शहतूत, पक्व लिसोड़ा, द्राक्षा, सेब, कच्ची इमली, पका कोकम, पालक, सरसों, सेमल के फूल का शाक, मीठी लौकी, कुन्दरू, सेम, बढ़ा बैंगन, आलू, बढ़ी मूलक, मशरूम, खीर, रोटी, पूरी, बेढ़मी, कचौड़ी, मठरी, गुझिया, लड्डू, जलेबी, इमरती ।*

*वर्तमान समय में महानगरों में ही नही ग्रामीण क्षेत्रों में भी ये गुरू गुण द्रव्य ही मनुष्यों का आहार बन चुके है बस इनका स्वरूप बदल गया है और ये किस रूप में गुरू गुण प्रधान आहार सेवन किया जा रहा है उसका विस्तृत विवरण देते है ..*

*चाट , व्यंजन एवं विविध स्नैक्स- दही भल्ला, आलू चाट, पापड़ी चाट , पनीर युक्त चीला, मटर कुलचा, पाव भाजी, वडा पाव, grilled club sandwitch, garlic bread, सभी प्रकार के बर्गर, pizza, hot dog, पनीर ढोकला, cheese or potato patties, पनीर मसाला डोसा, वढ़ा, stuffed naan, कुलचा।*

*pasta, manchurian dry or gravy, noodles, spring roll, पनीर टिक्का, तन्दूरी stuffed आलू, अमृतसरी कुलचा, दाल मखनी, राजमा मसाला, mix vegetables भी restaurants में gravy और cream में बनाकर गुरू गुण युक्त बना दी जाती है।*

*garlic bread, पालक पनीर, मलाई कोफ्ता, पनीर मसाला या कढ़ाई पनीर, सोया चाप या सोया युक्त vegetables, मटर मशरूम, भठूरा, मीठी लस्सी, गुलाब जामुन, ice cream & shakes, cold coffee, packed juice आदि सब गुरू आहार ही हैं।*

*औषध द्रव्यों में  शतावरी, मूसली, केवांछ या कौंच, यष्टिमधु, शुंठि विपाक में मधुर और वृष्य हो कर भी लघुपाकी है ऐसे ही पिप्पली को भी लघुपाकी माना है, हपुषा (हाऊबेर), अष्टवर्ग की औषध, मंजिष्ठा, रसोन, समुद्र नमक, रक्त चंदन, प्रियंगु, गंभारी आदि तथा धातुओं में सर्वाधिक गुरू स्वर्ण, लौह और कांस्य*

[10/11, 1:34 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*गुरू गुण युक्त द्रव्यों का भौतिक संगठन एवं कार्मुक स्वरूप -*

*'गौरवं पार्थिवमाप्यं च ' गुरू गुण पृथ्वी का विशिष्ट गुण है और वैशेषिक दर्शन में भी यह माना गया है कि दृश्य जल में गुरत्व है। वैद्य मोहनलाल गोठेचा जी ने अपने निबंध में इसे बहुत स्पष्ट किया है कि मूर्त द्रव्यों में पृथ्वी और जल ही गुरू सिद्ध होते हैं अत: पार्थिव और जलीय तत्व प्रधान द्रव्य शरीर में जा कर उनके आश्रित गुरूगुण के कारण विपरीत धर्मी जाठराग्नि, भूताग्नि एवं धात्वाग्नियों से चिरकाल में पचन हो कर शरीर में आत्मसात होते हैं तथा समान धर्मी कफ का वर्द्धन कर शरीर का पोषण करते हैं, मलों की वृद्धि कर शरीर में उपलेप और अवसाद करते हैं।*

*कफ की वृद्धि होने पर विपरीत गुणधर्मी वायु का ह्रास निश्चित है और स्वाभाविक है कि पोषण, बृंहण और बल वर्धन होगा।*

*त्रिदोष और गुरू गुण - कफ गुरू गुण युक्त होता है।*

*सप्त धातु, उपधातु, मल एवं गुरू गुण - *
*सप्त धातु गुरू गुण युक्त हैं, स्तन्य, शिरा, स्नायु, कंडरा गुरू ही हैं, मूत्र, पुरीष, स्वेदादि मल भी गुरू हैं।*

*षडरस और गुरू गुण -*
*मधुर, कषाय और लवण रस गुरू गुण युक्त होते हैं।*

*चिकित्सा के भेद और गुरू गुण -*
*चिकित्सा के द्विविध भेद संतर्पण और अपतर्पण चिकित्सा में संतर्पण स्थूल, स्निग्ध, मधुरादि द्रव्यों से दिया जाता है और इस चिकित्सा का आधार गुरू या लघु ही है।*

*वीर्य और गुरू गुण -*
*प्राय: कुछ अपवाद त्याग दें तो शीत वीर्य द्रव्य गुरू गुण युक्त होते हैं।*

*विपाक और गुरू गुण -*
*गुरू विपाक सेवभाव से ही गुरू गुण युक्त है।*

*चिकित्सा सूत्र और गुरू गुण -*
*स्नेहन, विरेचन, अनुवासन, बृहंण और शमन में हम गुरू गुण युक्त औषध का प्रयोग करते हैं।*

[10/11, 1:37 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *इसी प्रकार से चिकित्सा में आप अन्य गुणों को समझे तो clinical आयुर्वेद आपके लिये सरल होती जायेगी।*

[10/11, 8:41 AM] Prof. Madhava Diggavi Sir: 

Guna sidhant is really good guideline in clinical application sir.. you made it much clear.
 Dhanyavad 🙏🏻


[10/11, 8:46 AM] Prof. Madhava Diggavi Sir: 

🙏🏻

Assessment of guru guna in shotha udara arbusa sthoulya, jwara, kaphaja rog, and haritaki kutki kalpa is a lesson to start. Dhanyavad sir


[10/11, 9:57 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *धन्यवाद डॉ माधव जी, पदार्थ विज्ञान + द्रव्य गुण से किस प्रकार clinical आयुर्वेद बनता है यह हमने बताने का प्रयास किया है।*


[10/11, 10:02 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

धन्यवाद प्रभु 🙏💐🌹🌺 
अगर सिद्धान्तों को apply करना सभी को आ जाये तो ग्रुप में चर्चा का स्तर बहुत उच्च हो जायेगा, इसलिये बहुत व्यस्त होते हुये भी काय सम्प्रदाय और आयुर्वेद के प्रति समर्पण भाव और आप सभी का प्रेम ऊर्जा देता रहता है।* 🙏🌹❤️

[10/11, 10:05 AM] Prof. Madhava Diggavi Sir: 

Unfortunately in our collegeate education these two subjects are made non clinical thinking. So a common student don’t get meticulous mathematical clinical calculations. U did it positive clinical sir. It’s the Tapas of rugna seva. And ur clinical documentation speaks a lot... your esteemed self, all members of our group. And ojha sirji are developing in sight in teachers and practitioners


[10/11, 10:14 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*ह्रदय से आभार 🙏🙏🙏*


[10/11, 10:51 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

रात्रि को गुरू के विपरीत लघु भी पोस्ट करूंगा तो यह अंशांश कल्पना की clinical application और अधिक स्पष्ट हो जायेगी कि गुरू को लघु, चिकित्सा से कैसे बनाया जाता है, इसी के पीछे fatty liver, प्रमेह, मेदोरोग, शोथ आदि अनेक रोगों की चिकित्सा का रहस्य छिपा है*

*ये सब विषय इस प्रकार से ग्रन्थों में एक स्थल पर विस्तार से नही है, कहीं कॉलेज में पढ़ाये नही जाते और आपको कहीं net पर भी नही मिलेंगे अत: इन्हे save करते रहिये। ये सब मेरी चिकित्सा का एक भाग है।*


[10/11, 10:54 AM] वैद्य मृत्युंजय त्रिपाठी उत्तर प्रदेश: 

Ji sir ji pranam 🙏🙏, Hum to aap ke post ka ak notes diary he bana li hai, jo aap clinical knowledge dehte hai, wo sab likhte hai .....

🙏🙏 Dhanyawad ji🙏🙏


[10/11, 10:56 AM] Dr. Pavan mali Sir, Delhi: 

Very important clinical aspect you are providing to sampraday....Graet salute to your devotion for ayurveda and kaaysampradaay.🙏🏻


[10/11, 12:22 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 Awesome clinical class as always by our *beloved guruji* on *guru* guna💐❤❤




********************************************************************************************************************
Above case presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday' (Discussion)" a Famous WhatsApp group  of  well known Vaidyas from all over the India. 
*********************************************************************************************************************



Presented by



Vaidyaraja Subhash Sharma
MD (Kaya-chikitsa)
New Delhi, India
email- vaidyaraja@yahoo.co.in


Compiled & Uploaded by

Vd. Rituraj Verma
B. A. M. S.
Shri Dadaji Ayurveda & Panchakarma Center, Khandawa, M.P., India.
Mobile No.:-
 +91 9669793990,
+91 9617617746

Edited by

Dr.Surendra A. Soni
M.D., PhD (KC) 
Professor & Head
P.G. DEPT. OF KAYACHIKITSA
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, GUJARAT, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150


Comments

  1. Very informative and very good description by you sir

    ReplyDelete
  2. Nice presentation and efficacy of Guru guna in the treatment of various diseases. Well done👍🙏

    ReplyDelete
  3. This is very helpful to understand me The Guru and Laghu Guna And its clinical aspect how it can be examine in patients in vyadhis
    Really it is described in very simple way
    I Never seen it before
    💐💐💐

    ReplyDelete

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This is a c/o SELF MEDICATION INDUCED 'Urdhwaga Raktapitta'.  Patient had hyperlipidemia and he started to take the Ayurvedic herbs Ginger (Aardrak), Garlic (Rason) & Turmeric (Haridra) without expertise Ayurveda consultation. Patient got rid of hyperlipidemia but hemoptysis (Rakta-shtheevan) started that didn't respond to any modern drug. No abnormality has been detected in various laboratorical-investigations. Video recording on First visit in Govt. Ayu. Hospital, Pani-gate, Vadodara.   He was given treatment on line of  'Urdhwaga-rakta-pitta'.  On 5th day of treatment he was almost symptom free but consumed certain fast food and symptoms reoccurred but again in next five days he gets cured from hemoptysis (Rakta-shtheevan). Treatment given as per availability in OPD Dispensary at Govt. Ayurveda College hospital... 1.Sitopaladi Choorna-   6 gms SwarnmakshikBhasma-  125mg MuktashuktiBhasma-500mg   Giloy-sattva-                500 mg.  

Case-presentation: 'रेवती ग्रहबाधा चिकित्सा' (Ayu. Paediatric Management with ancient rarely used 'Grah-badha' Diagnostic Methodology) by Vd. Rajanikant Patel

[2/25, 6:47 PM] Vd Rajnikant Patel, Surat:  रेवती ग्रह पीड़ित बालक की आयुर्वेदिक चिकित्सा:- यह बच्चा 1 साल की आयु वाला और 3 किलोग्राम वजन वाला आयुर्वेदिक सारवार लेने हेतु आया जब आया तब उसका हीमोग्लोबिन सिर्फ 3 था और परिवार गरीब होने के कारण कोई चिकित्सा कराने में असमर्थ था तो किसीने कहा कि आयुर्वेद सारवार चालू करो और हमारे पास आया । मेने रेवती ग्रह का निदान किया और ग्रह चिकित्सा शुरू की।(सुश्रुत संहिता) चिकित्सा :- अग्निमंथ, वरुण, परिभद्र, हरिद्रा, करंज इनका सम भाग चूर्ण(कश्यप संहिता) लेके रोज क्वाथ बनाके पूरे शरीर पर 30 मिनिट तक सुबह शाम सिंचन ओर सिंचन करने के पश्चात Ulundhu tailam (यह SDM सिद्धा कंपनी का तेल है जिसमे प्रमुख द्रव्य उडद का तेल है)से सर्व शरीर अभ्यंग कराया ओर अभ्यंग के पश्चात वचा,निम्ब पत्र, सरसो,बिल्ली की विष्टा ओर घोड़े के विष्टा(भैषज्य रत्नावली) से सर्व शरीर मे धूप 10-15मिनिट सुबज शाम। माता को स्तन्य शुद्धि करने की लिए त्रिफला, त्रिकटु, पिप्पली, पाठा, यस्टिमधु, वचा, जम्बू फल, देवदारु ओर सरसो इनका समभाग चूर्ण मधु के साथ सुबह शाम (कश्यप संहिता) 15 दिन की चिकित्सा के वाद