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WDS 82: 'Klomakarshan' (क्लोमाकर्षण) by Prof. Satyendra Narayan Ojha, Vd. Raghuram Bhatta, Vaidyaraja Subhash Sharma, Dr. Pawan Madaan, Prof. Giriraj Sharma, Vd. Atul Kale & Others.

[2/5, 8:44 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 तत्र हृद्यभिहते .......... क्लोमाकर्षण .. 
च.सि.९/६
क्लोमापकर्षणं क्लोमापकर्षणाकारा वेदना; आचार्य चक्रपाणी..

हृदय के अभिहत होने पर क्लोम को खींचने के समान वेदना..
*उपरोक्त संदर्भ में क्लोम अवयव विशेष क्या है ?*


[2/6, 9:06 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

तत्र हृद्यभिहते .......... क्लोमाकर्षण .. 
च.सि.९/६
क्लोमापकर्षणं क्लोमापकर्षणाकारा वेदना; 
आचार्य चक्रपाणी..
हृदय के अभिहत होने पर क्लोम को खींचने के समान वेदना..
*उपरोक्त संदर्भ में क्लोम अवयव विशेष क्या है ?*


[2/6, 9:06 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:


 मेरा प्रश्न अनुत्तरित है ⬆️⬆️


[2/6,9:09AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:


 *अनुत्तरित नही रहेगा सर, कल देर रात्रि वापसी हुई और आज covid 19 में पहला दिन clinic पर कई महीनो के बाद रोगी देखने का आरंभ कर रहे है, free हो कर ही इस विषय में आना हो पायेगा ।* 🌹🙏


[2/6, 9:10 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 जी.. कृपा होगी..


[2/6, 9:11 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

*श्वसनासु इति श्वासवहनाडीषु से आप क्या समझते है ?*


[2/6, 9:13 AM] Prof.Giriraj Sharma Sir:

 मंडल सन्धि - क्लोम


[2/6, 9:30 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *बहुत बढ़ा अर्थ निकलता है सर इसका क्योंकि इसमें मुख, कंठ, गल प्रदेश और उसकी संधि सभी का समावेश हो जाता जो श्वास प्रणाली से संबंधित है।*

*आप अध्यापन क्षेत्र में है अत: शास्त्रों से निरंतर जुड़े है पर जहां तक मेरी स्मृति है चरक के चिकित्सा स्थान में ये इसका उल्लेख है जो clinic से आ कर देखता हूं।* 🌹🙏


[2/6, 9:31 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

*जी , ससंदर्भ व्याख्या की अपेक्षा , साभार*


[2/6,10:12AM] Dr. Mansukh R Mangukiya Gujarat: 


🙏   गुस्ताखि माफ। 🙏
क्लोम के बारे में मत-मतांतर है।

एक मत ऐसा है, फुफ्फुस को क्लोम मानते हैं।
दुसरा मत के हिसाब से पेन्क्रियाज को क्लोम मानते हैं।


[2/6,10:22AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 मत मतांतर है, परंतु आपका मत क्या है ?


[2/6,10:42AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 


आचार्य चक्रपाणी.
(१) क्लोम हृदयस्थ पिपासास्थानम् ,
(२)क्लोम पिपासास्थानम्,
(३)क्लोम हृदयावयव‌विशेष:


[2/6, 10:45 AM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

*Guruji, Suprabhatam🙏💐❤️ I am attaching my write up on kloma. For the reference, for our group members working on your query*

*This is not the reply for your question sir. Once free, I will go through the reference you hv given and try to put in my inputs contextually*🙏🙏💐

https://www.easyayurveda.com/2018/04/14/kloma-meaning/



[2/6,10:48AM]Vd Chinmay phondekar:

 क्लोम from पारिषदय शारीरम


[2/6,11:08AM]Vd. Atul J. Kale, M.D. (K.C.) G.A.U.: 

क्लोम स्याद् गलनाडिका
क्लोम सरन्ध्रा गलनाडिका
मूलभूतं क्लोम Laryngopharynx
स्कन्धभूता क्लोमनाडी Laryngo-tracheal tube
    कृकाटिकाख्यः कण्ठभाग: Larynx
कण्ठनाडी cervical Larynx
ह्रद्यनाडी Thoracic Trachea

द्वादशविध क्लोमलक्षणानि क्लोमबुभूष्वयवेषु परीक्षणीयानि भवन्ति-
१) उदकवहस्रोतोमूलत्वम्
२) श्लेष्मस्थानत्वम्
३) स्नेहयोग्यत्वम्
४) तृष्णाच्छादकत्वम्
५) उच्छ्रितरुपत्वम्
६) उच्चलावचलत्वम्
७) तरुणास्थिमयत्वम्
८) मण्डलसन्धिमत्वम्
९) विद्रधिभूमित्वम्
१०) तृष्णाशोषगलग्रहहिक्कादिलक्षणानुभूतिस्थलत्वम्
११) कोष्ठाङ्गत्वम्
१२) ह्रत्पार्श्ववर्तित्वं 

क्लोममूलं इदं 
-जिव्हामूल्स्थ:
-कण्ठमूलस्थ:
-मांसमयप्राचीरप्रधानः
-कूपानुकार:
क्लोमाद्यभाग:


[2/6, 11:12 AM] Prof.Giriraj Sharma Sir: 

🌹🌹🙏🏼🌹👍🏻


[2/6, 11:25 AM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

🙏🙏👍👍👌👌


[2/6, 11:43 AM] Vd. Divyesh Desai, Surat:


 🙏🏻👏🏻👌🏽👌🏽
सर, क्या ये हो सकता है कि
क्लोम का नामकरण Anatomical नहीं किन्तु
Physiological aspect से रखा गया हो, तभी तो इतने सारे स्थान पर क्लोम का उल्लेख है।



[2/6, 11:51 AM] Vd. Atul J. Kale M.D. (K.C.) G.A.U.:


 जैसे पवनसर ने कहा था की हर स्थान संज्ञाका अर्थ स्थानानुरुप भिन्न मिलता है, वैसे ही क्लोम की परिभाषा अलग अलग प्रतित होती है। दो ग्रंथकारोंमें तो ये विभिन्न होनेकी संभावना ज्यादा होगी। पारिषाद्य शारीरमें क्लोम के लिए ग्रंथ चालू होनेसे पूर्वही क्लोम विवेक आया है तो इससे ही पता चलता है की क्लोम का विवेक करना थोडा मुष्किलही है।


[2/6,11:51AM]Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 शारीर (१) रचनात्मक (२) क्रियात्मक पक्ष के आधार पर किस अवयव विशेष को क्लोम माने और उस अवयव का नैदानिक एवं चिकित्सकिय पक्ष से भी तुलनात्मक अध्ययन होता हो ?

 यह भी एक पक्ष है जिस पर सोच बननी चाहिए


[2/6, 11:54 AM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir: 

*Rightly said ..  I need to know the clinical application of क्लोमापकर्षणाकारा वेदना*


[2/6, 12:06 PM] Dr.Mamata Bhagwat Ji: 

Retro sternal pain like that in case of angina?



[2/6, 12:10 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 


*Good morning Ojha sir, Guruvar Subhash ji.*

 Such topics cant be explained better than yourself, I know this firmly. But as you have raised the question, it is something like a test for me.  

🙏🙏🙏                                                                                                                        *In the present context which you have raised -- these are the general symptoms of the Hridya abhighaat, which tells us these are the symptoms manifested when Hridya is being effected as a Marma.*

*And When it has been described in the TRIMARMIYA it indicates a emergency like condition which can be a result of the physical or physiological trauma to the HRIDYA.*

💐💐
*Chakrapaani explains this as A FEELING* --- *KLOMA APAKARSHANAMA means the pain / discomfort as if the KLOMA has been taking out of the body.*

💐🌹💐                                                                                              *KLOMA is one of the entities in AYURVEDA which has different meaning at different places as per the context.* 

*Most of the entities in Ayurved have been described as per this principle.*

👉🏻👉🏻👉🏻                                                                     *After the observation of all the entities which have been referred to as KLOMA -- it is clear that KLOMA is a significant organ or entity which functions as the regulator of the Fluid metabolism, weather it has been referred to as TAALU, PANCREAS, LUNGS or a part of the HRIDYA.* 

*All of these entities when dysfunctional produce a feeling like the body is about to die or the breathing is about to stop.*
                                                                                                     *So as per my understanding -- KLOMA APAKARSHANA here means the feeling like when KLOMA is being taken out of the body or there is feeling like a person is feeling choking sensation or his breathing is about to stop.*
                                                                                                           *So here in KLOMA APAKARSHAN....it may not be referred to a particular organ but to the feeling when the KLOMA is not working normally.*  
   
🙏🙏🙏🙏                                                                                                                                                             Please guide further..🙏🙏🙏


[2/6, 12:10 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

👍🏻👍🏻👍🏻



[2/6, 12:10 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

🙏🙏🙏


[2/6, 12:12 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar:

 Sir

This will be different as per different sandarbh.

Perhaps it was discussed earlier and is present in the discussion uploaded in the blog.

🙏🙏


[2/6, 12:17 PM] Vd. Atul J. Kale M.D. (K.C.) G.A.U.:


 Superb analysis



[2/6, 12:31 PM] Vd.Divyesh Desai Surat:

शरीर मे जलमहाभूत से रिलेटेड
रस, रक्तादि धातु का जलीय भाग, उदक को कंट्रोल करने का कार्य के लिए उदकवह स्त्रोत्स,श्लेष्म स्थान अंतर्गत प्राकृत श्लेष्मा का कार्य
( स्नेहो बंधः स्थिरत्वं..)
स्नेह योग्यत्वं (संशमन स्नेह का फल ... दीप्तांतराग्नि परिशुद्ध कोष्ठ(अष्टाङ्ग सूत्र स्थान 16 अध्याय)
@तृष्णाच्छादकत्वं के अंतर्गत तृष्णा रोग में कम हुए या विकृत हुए जल को प्राकृत रखने का कार्य
तरुणास्थिमयत्वम में अस्थि अंतर्गत मज्जा निर्माण में उपयुक्त स्नेह...
मण्डलसंधिमत्वं में कार्य करने वाला श्लेष्मक कफ
विद्रधिभूमित्वम में विद्रधि उत्पन्न करने वाला जलीय भाग
तृष्णाशोषगलग्रहहिक्काआदि लक्षण अनुभूतिस्थलत्वं में ये सारे रोग में रस का या जल का या स्नेह का क्षय होनेसे या प्राकृत श्लेष्मा का क्षय होता है
कोष्ठानगत्वाम से कोष्ठ के अंतर्गत जलीय भाग,प्राकृत श्लेष्मा, क्लेदक कफ का कार्य
हृतपाश्रवर्तित्वं से रस क्षय से होने वाली हृदय की या रस का विमार्ग गमन होनेसे फुफ्फुस में संचित होने वाले effusion की पीड़ा
याने कही न कही क्लोम का कार्य जल महाभूत, रस धातु, स्नेह, प्राकृत श्लेष्मा को समावस्था में रखने का है🙏🏻🙏🏻
संस्कृत में expert गुरुजनों से निवेदन है कि क्लिनन (क्लेद) से क्लोम शब्द की निरुक्ति होती है? 
जय आयुर्वेद, जय धन्वंतरि👏🏻👏🏻🙏🏻



[2/6, 12:31 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Si:

Dr Pawan ji , great clinical application , now waiting for Vaidyaraja Subhash Sharma ji, dr Raghuram ji and others description.. thanks..



[2/6, 12:37 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir : 


नमस्कार आचार्य श्री
🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼
*क्लोम अपकर्षण से वेदना पीड़ा या अस्थाई स्थानच्युत समझना चाहिए ।*
*उसमें भी किसी विशेष अपकर्षण कारक से ,,,,न कि स्वयं जनित अपकर्षण*

 *परस्पर निबद्वानि सर्वांयेतानि नाभि प्लीहा यकृत क्लोम ह्दय वृक्कों गुद बस्तय"""*

*परस्पर निबद्व शब्द से ज्ञात होता है कि यह निबद्व है बंधा हुआ है किसी स्नायु सिरा आदि से जो क्लोम से निबद्व ह्रदय की विकृति हत में ह्रदय के कारण यह क्लोम अपना स्थान अस्थाई रुप से छोड देता है ।*
   *क्लोम अपकर्षण*
   *क्लोम अपनी जगह से हटता ह्रदय हत में तो निश्चित क्लोम ऊर्ध्व एवं वाम गामी अपकर्षण करेगा ।*

*क्लोम अपकर्षण* 
*क्लोम वक्ष का अंग नही वह उदरस्थ कोष्ठ  अंग है ।*
उदाहरण* 
*Gallbladder डायफ्राम (लिवर लिगामेंट्स अटेचमेंट) के कारण अपकर्षित होता है*
 
*अतः अपकर्षित होने मात्र से out of body कहना क्या न्यायोचित होगा  ?,,,,*
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼


[2/6, 12:37 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

*A question is in my mind whether it's like anginal or pericardial pain ?*


[2/6, 12:42 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir Ahamadabad:


 It is attached caudally to the basal part of the diaphragm by the phrenopericardial ligament and gallbladder also related diaphragm,,,
It may be klom apkarshan....


[2/6, 12:50 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 *An other point in my mind is ➡️ marmaabhihata / marmopaghaata as per Acharya Chakrapani; मर्मोपघात इह दोषकृत एव‌ ज्ञेय: ; बाह्यहेतुजस्तु मर्मोपघात आगन्तुहेतुरेव ..*


[2/6, 12:51 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir:

 Diaphragmatic ligaments are परस्पर निबद्वानि सर्वांयेतानि
नाभि प्लीहा यकृत क्लोम ह्दय वृक्कों गुद बस्तय,,,,
So these organs may अपकर्षित by each other ,,,,
Gallbladder and heart may bhi निबद्व


[2/6, 12:54 PM] Dr.Mamata Bhagwat Ji:

 Sir, it should be anginal. Pericardial pain would also cover left side of the chest. 
Kloma is an organ posterior to sternum if we consider, the retro sternal pain typical of angina or pericarditis suits better. 
The context is hriday abhihate....

Kasa swasa balakshaya, kantha shosha, klomaapakarshana, jihwa nirgamana mukha talu shosha, apasmara unmada, pralapa, chittanasha these lakshanas are mentioned. 
It poses an idea of circulatory and CNS failure. 
Kloma apakarshana aakara vedana gives more of indentation towards cardiac incapacitation and angina. 
Look forward for correction as well 🙏🏻🙏🏻



[2/6, 1:08 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar:

 Dhanyvad Atul Ji.


[2/6, 1:16 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar:

आदरणीय गिरिराज जी
आपका कह्ना उचित है।
पर बात ये है के आप हर topic को anatomically नजरिये से देखते हैं।

परस्पर निबद्ध,,, जरुरी नही के किसी सिर आदी से आपस मे बन्धे हो 

और out  of  the body कहने का अर्थ ये नही के सच मे कोई चीज शरीर से बाहर ही जा रही है।

ये एक अनुभव है। आप प्रक्टिस मे देखते है न
मरीज कहता है,,, दिल बैठा जा रहा है,,,तो इसका अर्थ ये तो नही के दिल बैठ रहा है।

Its a kind of feeling which the patient experiences and describes like this.

इसी संदर्भ मे आगे आप देखेंगे
चकृपानी,,, वेश्टानाम शिरसी का अर्थ कहते है के जैसे सर को किसी ने रस्सी से बान्ध रखा है, असल मे रस्सी से नही बान्धा है, feeling like this है।

आशा है मैं अपना मन्तव्य आपको ठीक से बता पाया।

धन्यवाद
💐🌹💐🌹💐



[2/6, 1:16 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir:

 The diaphragmatic ligaments are structures that connect the diaphragm to the viscera. 

The inferior pulmonary ligament is a pleural thickening connecting the diaphragm to the base of the lungs;

the phrenopericardial ligament connects the diaphragm to the heart;

The phrenicoesophageal ligament joins the esophagus and the diaphragm and is composed of loose connective tissue;

The hepatic ligaments, ie, the falciform ligament and the right and left triangular ligaments, represent a subdiaphragmatic peritoneal thickening;

The phrenicocolic ligament connects the diaphragm to the angle of the right ascending colon;

The ligament of Treitz is constituted by a series of muscular tracts that start in the main left pillar and go to the duodenojejunal angle.

Also worth mentioning is Glisson’s capsule, which is a structure over the liver resulting from separation of the phrenic center of the diaphragm.

*The phrenopericardial ligament is the fulcrum around which the diaphragm is supported when it comes to distribute its contractile tension laterally* 

*From a functional perspective*
 
Two areas can be recognized in the diaphragm, ie, 

the crural region and the costal region. 

The former is responsible for correct breathing, 

whereas the latter prevents gastroesophageal reflux. 

This separation has an anatomic function, because during deglutition, esophageal distention, and vomiting, 

These diaphragmatic areas must work at different times and with different innervations

[2/6, 1:17 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

This परस्पर निबद्ध्ता is present in all over the body physiologically.

🙏🌹🙏🌹



[2/6, 1:19 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 


Wonderful....

Awesome....

And this kloma apakarshan feeling may be generated from somewhere here?

[2/6, 4:31 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 You are right, approach to the patient is very important..
Some people with angina symptoms say angina feels like a vise squeezing their chest or a heavy weight lying on their chest.



[2/6, 4:32 PM]Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:


 A band like sensation around the chest



[2/6, 4:42 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

*KLOMAKARSHANA/KLOMAPAKARSHANA – My Perspective*

💐💐💐💐💐💐💐

👉 *First of all thanks to Pujya Acharya Ojha sir for giving this difficult puzzle to solve*🙏🙏💐❤

*Pawan sir has presented the explanation of Klomapakarshana in a wonderful way. Divyesh sir has given the physiological dimension for kloma understanding and it makes sense since Kloma is a controversial term and confusing too…and it has been used in various contexts….Ojha sir too has voted towards considering this angle in the discussion of kloma. Mamatha madam has made a good point by tentatively equating the term with Retro-sternal pain as in angina*

💐💐💐💐💐💐💐

*_Here, I would like to add some perspectives from my side – from just the context of the reference given by Hon Ojha sir and in the context of the chapter, to be precise, cut-throat and to the point_*

💐💐💐💐💐💐💐

👉 *The context of this term is Trimarmiya Siddhi Adhyaya – the intention of this chapter is to prescribe interventions, mainly vasti in the diseases and damages afflicting the tri-marmas* And Acharya also tells that since this chapter is explained after Vasti-Vyapad-Chikitsa Adhyaya, *this chapter is also targeting to specify remedies to the damage occurred to the marmas due to wrong administration of vasti chikitsa* 

And we also have the symptoms related to marma affliction as a complication of improperly administered vasti. *In trimarmiya adhyaya –
अत्रापि मर्म शब्देन मर्मग्ता गदा उच्यन्ते, तानधिकृत्य सिद्धिस्त्रिमर्मीयसिद्धिः।
च.सि.९/१। 
marma means marma gata gada…and the chapter deals with discussing about the remedies and their impact on the diseases afflicting the marma sthana, mainly the 3 important marmas*

💐💐💐💐💐💐💐

👉 *We will now switch over to Vasti Vyapad Siddhi Adhyaya – chapter 7* Here *among the vyapads of vasti, the second vyapad is interesting i.e. Atiyoga* Here without highlighting the symptoms of atiyoga of vasti, Acharya *Charaka tells, the symptoms are similar to atiyoga of vamana and virechana - 
तस्य लिङ्गं चिकित्सा च शोधनाभ्यां समा भवेत्॥च.सि.७/१२॥* 

The reason for atiyoga is *administration of ati tikshan and ushna vasti in the people of mrdu koshta* I will simultaneously touch upon the vyapat of vamana and virechana wherein the affliction of hridaya has been mentioned.

💐💐💐💐💐💐💐

*Summary 1 – Atiyoga of vasti in the form of ati tikshna and ushna vasti – can cause symptoms similar to atiyoga of vamana or virechana or combination of both. This will happen due to excessive downward pull – THE DRAG DOWN EFFECT, more so as a part of ati virechana and ati yoga of vasti or upward forcible thrust – more so of atiyoga of vamana. In Vasti atiyoga there will be both upward push and downward push effect as said by Charaka – Shodhanabhyam samaa bhavet.*

💐💐💐💐💐💐💐

*To add up*👇👇

👉 *Master Sushruta has mentioned Hrtpida and kantha pida among atiyoga lakshanas of vamana* and *Charaka has mentioned trsha and Vagbhata has mentioned Kantha Shosha among the symptoms of vamana atiyoga* 

*Hridaya and kantha are closer anatomical structures. According to Chakrapani’s explanation of KLOMAPAKARSHAN AKARA VEDANA indicates pain or discomfort similar to the DOWNWARD PULL OF KLOMA. Here a simile is given – Charaka is explaining the pain with UPAMA. Like VRISCHIKADAMSHAVAT VEDANA IN AMAVATA* 

*So in Hridaya Marma Abhighata the pain is severe as in KLOMA BEING PULLED DOWNWARDS or abnormal displacement of kloma giving pain. The different kinds of pain explained in related to Hridaya are explained in the context of HRDROGA. And THIS PAIN IN HRIDAYA MARMABHIGHATAJANYA VEDANA is NOT SIMILAR TO ANY KIND OF PAIN CAUSED IN HRDROGA and has a DIFFERENT AND GREATER MAGNITUDE. Probably this was the idea of Master Charaka* 

*Further we can see that Klomakarshana has been placed between Kantha Shosha to the LHS and Jihva nirgamana, mukha talu shosha on the RHS. All these symptoms are more over related to water imbalance / fluid imbalance in the body which may be related to UDAKAVAHA SROTO DUSHTI. And kloma is one of the members of the udaka vaha srotas. Thirst is the predominant symptom of udakavaha sroto dushti and it is first manifested in talu, mukha and kantha as shushkata or shosha. SO, IS KANTHA OR KANTHANADI – VIS A VIS THROAT, TRACHEA IS OUR KLOMA IN THIS CONTEXT?*

💐💐💐💐💐💐💐

*Let us go a little ahead in the discussion* 👇👇

👉 *Vedana (Chakrapani) can be pain or more than pain here, a SEVERE DISCOMFORT ABOVE THE CONTEXT OF HRDROGA LAKSHANAS*

👉 *Is Klomakarshana the PULL DOWN OF TRACHEA OR ITS SHIFT leading to its anatomical disfiguration leading to severe pain and discomfort as happens in MEDIASTINAL SHIFT DUE TO TENSION PNEUMOTHORAX?*

💐💐💐💐💐💐💐

*_TENSION PNEUMOTHORAX VIS-À-VIS KLOMAKARSHANA_*

👉 *A Tension Pneumothorax is a collection of air in the pleural space that results in the collapse of the lung on the affected side. With TP, the leak of air into the pleural space is a ball-valve type where air is allowed to enter into the space from the lung with each breath but the air is unable to escape because the chest wall is intact* 

*The build of pressure in the pleural cavity causes the mediastinum, which contains the HEART, TRACHEA, ESOPHAGUS AND GREAT VESSELS to shift to the unaffected side. This mediastinal shift also causes compression of the lung on the unaffected side. This is a LIFE THREATENING SITUATION – VIS-À-VIS MARMA ABHIGHATA because the pressure on the great vessels causes a decrease in venous return reduced cardiac output, decrease in blood pressure and HYPOXIA WHICH WILL LEAD TO SHOCK*

💐💐💐💐💐💐💐

👉 *Now I would like to draw your attention to the other symptoms of Hridaya Aghata explained by master Charaka. Apasmara, unmada, pralapa, sanjnanasham kasa, shwasa, balakshaya…..aren't most of these looking like the EFFECT and clinical features OF MEDIASTINAL SHIFT leading to pressure on vessels, reduced venous return, reduced cardiac output, decreased BP and hypoxia and shock as explained in modern books?*

💐💐💐💐💐💐💐

*Causes of TP*

👉 *Trauma is one of the major causes of tension pneumothorax – trauma = abhighata, external or internal. The injury can be blunt trauma with or without rib fractures. Unrestrained vehicle accidents, falls and direct blow to the chest can be the causes (Abhighataja / Agantuja). Penetrating wounds can cause pneumothorax if the air becomes trapped in pleural space. Mechanical ventilation or bag-valve-mask ventilation can cause a tension pneumothorax due to barotrauma. BAROTRAUMA means pressure induced injury to the lungs which is usually the result of overinflation and air ruptures through visceral pleura. Excessive inflation volumes and high intra-thoracic pressures can predispose patients to TP*

*_I AM NOT TRYING TO EQUATE TP WITH KLOMAKARSHANA, MY INTEREST WENT TOWARDS CATCHING HOLD OF A STRUCTURE WHICH CAN CAUSE PAIN OR DISCOMFORT WHEN IT IS DISPLACED. THOUGH IN TP MANY STRUCTURES ARE DISPLACED AS PART AND PARCEL OF MEDIASTINUM, TRACHEA HOLDS THE CLOSEST CULPRIT STATUS HERE. AND KLOMAKARSHANA IS NOT DEFINITELY FUNCTIONAL HERE SEEING CHAKRAPANI’S EXPLANATION_*

💐💐💐💐💐💐💐

*Causes as per Ayurveda*

*As Hon Ojha sir has given the explanation with ref - मर्मोपघात इह दोषकृत एव‌ ज्ञेय: the indigenous causes need to be taken into consideration. We can sum up the causes as – 1. Sharirika and manasika doshas afflicting the marmas and the components of marma and afflicting the prana, 2. Atiyoga of vamana, virechana or vasti and also their vyapat. External causes – have anyhow been explained by Master Sushruta in the form of Viddha Lakshanas*.

💐💐💐💐💐💐💐

*Clinical features of TP* - 

👉 *Dyspnea, chest pain* and anxiety are common symptoms. Tracheal deviation towards the unaffected side is a late finding. Tachycardia, Tachypnea, Jugular venous distension and hypotension are evident. *Dyspnea and Tachypnea point towards lung symptoms – LUNG IS ALSO COMPARED TO KLOMA. LUNG conditions are also mentioned in HRDAYA MARMA ABHIGHATA LAKSHANAS*

👉 *TP has a good prognosis if detected early and the underlying cause is treated early. Emergencies might indicate heart as a marma being afflicted in this condition leading to complex set of systemic symptoms*

*_Ayurveda has good remedies for Hridaya Marmabhighata as evidenced by the explanation in the chapter of Trimarmiya Siddhi in discussion_*

💐💐💐💐💐💐💐

*_Klomapakarshana from Virechana Aatiyoga Perspective_*

Most symptoms mentioned in Virechana Atiyoga points towards *effects of dhatukshaya, excessive elimination of dhatus, dehydration and dosha kshaya*.

In atiyoga of virechana there is kshaya of *kapha, pitta and rakta* leading to vata kopa and related symptoms. Kapha kshaya symptoms include *bhrama, shleshmashaya shunyata, HRT DRAVA, Shlatha sandhita*

*Applying the kapha kshaya lakshanas to uras or urah sthana – urah being shleshma ashaya, shunyata therein indicates kshaya of the supporting matrix therein i.e. AVALAMBAKA KAPHA leads to loss of stability of chest organs making them susceptible to displacement – APAKARSHANA, including trachea and other contents of mediastinum. Shlatha Sandhita also means looseness of not only the joints, but also a loose connection between the mediastinal structures mutually and in relation to the chest wall. This also predisposes to displacement – APAKARSHANA in the backdrop of kapha kshaya and vata prakopa. Hrd Drava is anyhow mentioned. Kapha Kshaya leads to Vata Prakopa and one of the Prakopa Lakshanas of Vata is SRAMSA – WHICH ALSO SIGNIFIES THE ROLE OF VATA INCREASE TO KLOMA APAKARSHANA. These events will not only affect the Hrdaya Marma but also the surrounding structures i.e. members of mediastinum*.

💐💐💐💐💐💐💐

*Look at the treatment of atiyoga of vasti* -

*पृश्निपर्णी स्थिरां पध्मं काश्मर्यं मधुकं बलाम्।*
*पिष्ट्वा द्राक्षां मधूकं च क्षीरे तण्डुलधावने॥*
*द्राक्षायाः पक्वलोष्टस्य प्रसादे मधुकस्य च।*
*विनीय सघृतं वस्तिं दध्याद्दाहेऽतियोगजे॥च.सि.७/१३-१४॥*

*Atiyoga of Vasti can cause hridaya marma ABHIGHATA. And this formulation has many herbs which are conducive for hridaya*

💐💐💐💐💐💐💐

*Summary 2* 👇👇

*We need to observe that Charaka has mentioned KLOMAKARSHANA and Chakrapani has explained it in terms of KLOMAPAKARSHANA. Chakrapani’s teeka clearly tells us that it is the pull of Kloma downwards, apakarshana = drag down effect. So in terms of this reference, we may take it as a downward pull of kloma*

*We will split Chakrapani’s description now*

*क्लोमापकर्षणं क्लोमापकर्षणाकारा वेदना।चक्रपाणि - च.सि.९/६॥*

✔ *Kloma = kloma*
✔ *Apakarshana = drag down or pulled down*
✔ *Akara = magnitude / intensity*
✔ *Vedana = pain / discomfort*

*So, klomakarshana or klomapakarshana means PAIN OR DISCOMFORT IN THE REGION OF THE HEART / CHEST, SIMILAR TO THAT OF THE MAGNITUDE OF PAIN CAUSED DUE TO THE KLOMA BEING DRAGGED / PULLED DOWNWARD*

So, *IF KLOMA IS PULLED DOWNWARDS IT SHOULD BE A STRUCTURE OR ORGAN. SO IN KLOMAKARSHANA AN ORGAN CALLED KLOMA IS PULLED DOWN AND PRODUCES PAIN OR DISCOMFORT WHICH IS TOTALLY DIFFERENT FROM THAT OF SYMPTOMS OF TYPES OF HRDROGA*

*So what are those structures which can be considered as kloma in this context?*

In this context of Klomakarshana, the term KLOMA shall be considered to be – *TRACHEA, LUNG / LUNGS OR MEDIASTINAL STRUCTURES. Apakarshana means the displacement of one of these structures. IF WE CONSIDER TENSION PNEUMOTHORAX AS CLOSER DESCRIPTION OF KLOMAPAKARSHANA – THEN WE HAVE TO ASSUME THAT THE SYMPTOMS OF PT ARE FOUND IN HRIDAYA MARMA ABHIGHATA*

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*Hridaya here in this context is not Hridaya as an organ but is in fact Hridaya as a marma*

In this context we may take Hridaya as not just an organ but also a Marma. Therefore it becomes a *confluence of mamsa, sira, snayu, asthi and sandhi*. 

So *Marmabhighata may be endogenous or exogenous injuries on all these structures damaging the hridaya and these components making up the hridaya marma or surrounding the hridaya marma. Hridaya comprises mamsa, sira, snayu and sandhis and covered by asthis. Therefore Hridaya as marma can be compared to middle mediastinum and structures. Anatomical experts may correct me! This is an inference related to only this context*

*Giriraj sir has given more anatomical details and link up to the discussion which I felt is really interesting, outstanding inputs and great perspective sir*🙏🙏💐

*Thanks to all members who have contributed towards this topic / query from Resp Ojha Sir* 🙏🙏💐

💐💐💐💐💐💐💐

*Disclaimer*

👉 *I have only touched upon Klomakarshana topic, reference suggested by Ojha sir and worked on it from various perspectives with suitable, relevant and related Ayurveda and Modern references. I have avoided various aspects and controversial discussions about the term KLOMA.*

👉 *Whatever I have written are my original thoughts with the help of Ayurveda and modern references from relevant sources and NOT CONCLUSIVE. It is only an insight into the topic*

👉 *My explanation is limited to Ojha sir’s question - उपरोक्त संदर्भ में क्लोम अवयव विशेष क्या है ?*

💐💐💐💐💐💐💐

*This is my humble submission to Ojha sir and the elite panel of KS* 🙏🙏💐💐🙏🙏

💐💐💐💐💐💐💐

*_Dr Raghuram.Y.S_*


[2/6,5:27 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 Very clinical description considering all aspects concern with kloma and kloma apakarshana.. if kloma is hridaya avayava vishesha or hridayastha pipaasaa sthaana and basti atiyoga is cause of kloma apakarshana , so , heart failure should be considered in which thirst is one of major features . In presence of severe thirst or polydipsia , chocky throat, a feature like kloma apakarshana is felt .. vedanaa should be considered as discomfort not as true pain if we are thinking  doshaja or nija causes of hridyabhihate..


[2/6,5:33 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Thanks for your good words Guruji💐🙏❤️. Also thanks for value added points which I have noted down....Kloma is a hridaya avayava vishesha or hridayastha pipasa sthana...wow👌👌❤️. Heart failure shall be considered is a key point that you mentioned sir. Vedana, I agree sir shall be taken as discomfort in nija causes related to Hridayabhihate. Thanks so much for providing with valuable thoughts Guruji*🙏🙏💐❤️


[2/6,5:43 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 Tension pneumothorax should be considered as chhinna svaasa in which typical feature is 
श्वसिति विच्छिन्नमिति नि:श्वस्य पुन: क्षणान्तेन श्वसिति..
न वा श्वसिति न श्वासं लभते ➡️ hypoxia ➡️ tachycardia, hypotension, dyspnea, tachypnea, chest discomfort etc

[2/6, 5:46 PM] Dr.Mamata Bhagwat Ji: 

Cheyne stokes respiration or syndrome? A grave feature that develops in critical state.


[2/6, 5:47 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Agreed and noted sir. But I have just included the mediastinal shift along with its contents in comparison to the Karshana or Apakarshana of kloma and the symptoms of the same appearing in Hridaya Marmabhighata. And the question from you respected sir was related to understanding Kloma Apakarshana. That was my thought process*🙏🙏💐💐❤️



[2/6, 5:47 PM] Dr.Mamata Bhagwat Ji: 

Great elaboration and correlation Raghuram Sir. Your scripting ability is marvelous and brilliant. 🙏🏻🙏🏻👌🏻


[2/6,5:48 PM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir:

 *Svaasa roga represents pulmonary pleural disorders, cardiovascular diseases and systemic disorders like ketoacidosis in which mahasvaasa is present*


[2/6, 5:48 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

*Thanks so much dear Madam*🙏🙏💐💐


[2/6, 5:49 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 👌👌👌🙏🙏*And Mahashwasa is asaadhya*



[2/6,5:50 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

Right, before invention of insulin it was impossible to manage diabetic ketoacidosis.


[2/6,6:47 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 Dr Raghuram ji , one point is needed to note from एषणा ➡️ क्लोमापकर्षणं क्लोम को खींचने के समान वेदना  it means that discomfort is similar to discomfort which occurs when   downward pulling of  kloma is present, there is nothing wrong with kloma .. 
हृदय अभिहत - आघातित/पीडित हृदय ➡️ ..... क्लोमाकर्षण ... 
In above context, each and every symptoms/signs are only due to hridyabhihata.. 
The purpose of this chapter. 

(1) The importance of basti chikitsa in complications of trimarmaja roga ( त्रिमर्मजरोगाश्रयिव्यापदां बस्तिरुपचिकित्सोपदर्शनार्थं) 
Or

(2) Line of treatment of trimarmaja roga caused by basti vyaapat (बस्तिव्यापादाच्च त्रिर्मजाऽपि रोगा भवन्ति, तेन तेषां ज्ञानपूर्वक चिकित्सोपदर्शनार्थं त्रिमर्मिय सिद्धिरुच्यते.

(3) The expansion of trimarmiyachikitsa adhyaaya considering those diseases which are needed to explain here but not described previously due to fear of extensive knowledge.. 
(एतदध्यायवक्तव्याश्च गदास्त्रिमर्मिय- चिकित्सते ऽध्यायविस्तरभयान्नोक्ता:, त इह प्रतिपाद्यन्ते)


[2/6,7:07 PM] Vd. Atul J. Kale M.D. (K.C.) G.A.U.:

 Resp. Ojha sir, Raghuram sir
Great inputs. Raghuram sir awesomely elaborated as always.


[2/6,7:15 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:


 *Dr Raghuram ji is all time best in writing scripts useful for all age groups*


[2/6,7:15 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 👌✅🌹☺️



[2/6, 7:16 PM] Vd. Atul J. Kale M.D. (K.C.) G.A.U.:

 Really he is great.


[2/6, 7:21 PM] Dr. Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

Wonderful conclusion.

Thanks sir.🙏🙏😊


[2/6,8:02 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:


 *शुभ संध्या वैद्यराज सुभाष शर्मा जी एवं आचार्य गण नमो नमः*


[2/6,8:02 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir।: 


🙏🙏


[2/6, 8:28 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

*Noted all the valuable points dear  sir. Thanks so much*🙏🙏💐❤️


[2/6, 8:29 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

*Dear Atul sir, thanks so much for your good words*🙏🙏💐


[2/6, 8:31 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

*Overwhelmed by your words Guruji. Feeling blessed. It could not be possible without your blessings, love and constant motivation*🙏🙏🙏💐💐❤️💐💐


[2/6, 10:24 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

*खुश रहिये स्वस्थ रहिये सुरक्षित रहिये अनुज गिरिराज*
आपका दार्शनिक पक्ष और शारीर पर गजब की पकड है, आपने बहुत मेहनत किया है . सुश्रुत संहिता के अनुयायी होने से आपकी टिप्पणी हमें अतिरिक्त ज्ञान देती है.. जिन्दगी इतनी तेज है की इसमे प्रतिस्पर्धा नहीं होती , सिर्फ ज्ञान का आदान प्रदान होता है.. ☺️☺️🌹🌹



[2/6, 10:33 PM] Dr.Rajeshwar Chopde:

 Agree Guruji, a physician must have a knowledge of anatomy &physiology along with ayurvedic perspective


[2/6,10:43 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:


 *नमस्कार सोनी सर 🌹🙏 आज व्यस्त था अभी सारे मैसेज देखे । आचार्य गिरिराज जी इस ग्रुप में गुरू स्वरूप है और मैने शारीर विषयक बहुत सा ज्ञान उनसे ही यहां प्राप्त किया है और उनके विशिष्ट ज्ञान से ही व्याधि के मूल तत्व तक पहुंचने की समर्थता मिली।*

*आचार्य गिरिराज जी शारीर विषय में आप जैसा विशेषज्ञ मुझे कोई नही मिला और अभी बहुत कुछ जिज्ञासायें और भी हैं जो आप ही हल कर सकते है, अत: पूर्ववत कृपा बनाये रखें।* 

             🌺💐🌹🙏


[2/6, 10:47 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir:

 🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼


[2/6, 10:49 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *शुभ सन्ध्या सर, ये जो साधारण सा सूत्र बढ़ा लग रहा था ये बढ़ा नही बहुत ही बढ़ा है क्योंकि जब ग्रन्थ खोले तो मुख, कंठ, गला, श्वसन संस्थान से ह्रदय, उस से निकलने वाली दस महासिरा और फिर ह्रदयरोग तक ले जा रहा है, आज अति व्यस्त था और कल sunday भी clinic अति व्यस्त रहेगा अत: एक-दो दिन में विस्तार से लिख पाऊंगा।* 🌹🙏


[2/6, 10:51 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Giriraj Sir, your knowledge in rachana shareera and anatomy is unparalleled. Your thoughts are unique and awesome. We get to learn a lot from your posts. Respects*🙏🙏💐


[2/6, 10:54 PM] Prof. Giriraj Sharma Sir:

 🌹🌹🙏🏼🌹🌹


[2/6,11:14PM]VaidyarajSubhash Sharma Sir Delhi:


 *नमस्कार आयुर्वेद  युवाऋषि रघु जी - पूरा तीन बार एक एक शब्द बहुत ध्यान से पढ़ा, क्लोम पर इस ग्रुप में पहले कई कई दिन तक चर्चा चली , अनेक ऐसे विद्वान जिनके हम ग्रन्थ पढ़ते है वो भी बहुत वर्ष पूर्व बहुत चर्चा के बाद बिना किसी result के ही अपना अपना मत दे कर चले गये। मगर आज जिस प्रकार से आपने एक एक बात को विस्तार से लिखा और पूरे तर्क और युक्ति के साथ उसे पढ़ना अपने आप में ही बहुत ज्ञानवर्धक और सुखद है।*

*ये सब save कर के बार बार पढ़ने योग्य ज्ञान है जो अलग अलग समय पर बहुत काम आयेगा और अन्त में निष्कर्ष ,*
* क्लोम = क्लोम*
 * अपकर्षन = नीचे खींचें या नीचे खींचे *
 * आकार = परिमाण / तीव्रता *
 * वेदना = पीड़ा / तकलीफ *
*तथा  क्लोम शब्द को माना जाएगा - TRACHEA, LUNG / LUNGS या MEDIASTINAL STRUCTURES इस प्रकार से अपना निजी मत देना एक विद्वान विशेषज्ञ का स्वरूप होता है जो आज आपने पुन: सिद्ध किया।*



[2/7, 7:59 AM] Vd.Divyesh Desai Surat: 

आदरणीय गुरुजनो

अगर anatomical (शरीर रचना) क्लोम को  देखा जाय तो
मेरा मन्तव्य हाइपोथैलेमस के अंतर्गत HEAT REGULATING CENTER को मैं क्लोम मानता हूँ
ताकि मुझे हीट का IMBALANCE होने से हरेक अंग( ऑर्गन)  पे क्या फर्क पड़ता है उनका ज्यादातर समाधान मुझे मिलता है
उदकवह स्त्रोत्स का मूल क्लोम
फुफ्फुस,हृदय,
MEDIASTINUM,
PANCREAS,
कफ का स्थान, रसक्षय के परिपेक्ष्य में क्लोम,
हीट के IMBALANCE से होने वाले अंगों का CONTRACTION की वजह से अपकर्षण,या TENSION PNEUMOTHORAX
तृष्णा हिक्का आदि रोगों के परिपेक्ष्य में क्लोम ....
ये मेरा निजी मन्तव्य है, मुझे कल ज्वर के परिपेक्ष्य में HEAT रेगुलेटिंग सेंटर के बारे में पढ़ा तो कल का हॉट टॉपिक क्लोम की क्रियात्मक पक्ष की थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त हुई,
आज तक मे सौचता था
क्लोम व्यक्त है या अव्यक्त?
क्लोम को Theoritical ओर प्रैक्टिकल आस्पेक्ट से क्या माने?
क्लोम में दोषोका स्थानसंश्रय या सम्प्राप्ति घटक में क्लोम का महत्व है या नहीं? कोई केस स्टडी जो specific क्लोम से रिलेटेड हो?
क्लोम कफका  स्थान है तो वो उर में स्थित है? शिर में स्थित है? या कोष्ठ में है? 
क्लोम के रोग की क्या चिकित्सा होनी चाहिये?
अगर हम क्लोम को pancreas मानते है या फुफ्फुस या फिर कोई अंग विशेष तो हम हमारे केस पेपर में कभी क्लोम लिखते है?
अगर हम सब क्लोम के बारे में कोई भी निर्णय करेंगे तो हम सब की 1ही स्वीकृति हो सकती है?
अगर हाँ तो चिकित्सा मो कोई नया changes आ सकता है?
या क्लोम के बारे में जो राज़ है वो  राज़ ही रहने दे?
या फिर उसकी ओर तद्वित या विगृह्य संभाषा करनी चाहिए?
🙏🏻🙏🏻🙏🏻Respected गुरुजनो क्षमा चाहता हूँ , में कोई confusion नही बढ़ाना चाहता हूँ, न तो किसी को व्यक्ति गत hurt नही करना चाहता हूँ।।
जय आयुर्वेद जय धन्वंतरि।



[2/7, 8:11 AM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

*Good morning Raghu ji*.
*A fantabulous presentation given by you as always*.
*Love you sir.*


🙏🙏 
*...the most important pount to note here is Charak is explaining the discomfort with UPMA, this has to be kept in mind in this context.*

🙏🙏
*...my opinion is also same as I have said in my post,  klom is the entity which controls fluid regulation*

💐💐
*..As you have enumerated it is the description by UPMA so there may not be virtually any displacement of any organ like that of trachea or mediasternal shift as Ojha sir also clarified but its a description of the feeling. Tension pneumothorax, a different entity, but KLOMAPAKARSHAN is a symptom of the heart disease.* 🤔

❤️❤️
*...Shock due to Tension pneumothorax is a complication stage but Klomapakarshan is primarily a Hridya abhighaata lakshan, but can be considered at some point..*👍

➡️➡️
*...Wonderful explanation of TP*

*...VAATA INCREASE OR DISCOMFORT....KLOMA APAKARSHAN....very nice explanation..*

...Hridya as Marma...👌👌👌

*...Klomapakarshan.....a feeling of drag down.*..🙏
*My opinion is also same....which I mentioned*. 
*Thanks for endorsing Raghu ji.*
🙏🙏🙏

💐💐💐


[2/7, 8:33 AM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

🙏🙏🙏
दिव्येश जी
आपने उत्तम कहा।
मैने ये समझा है के क्लोम को यदि एक ही entity मान लिया जाये तो शास्त्रोक्त सभी संदर्भो मे वह फिट नही होता। 
इसलिये संदर्भ अनुसार अलग अलग अंग क्लोम हो सकते है पर उन्के मुख्य कार्य लगभग एक जैसे हैं।
🙏🙏🤔


[2/7,8:56 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 *शुभ प्रभात वैद्यराज सुभाष शर्मा जी एवं आचार्य गण नमो नमः ॐ नमः शिवाय*
आचार्य चरक एवं आचार्य चक्रपाणी ने क्लोम के स्थान विशेष की चर्चा नहीं की है , हृदय का एक अवयव विशेष जो कि उदकवह स्रोतस् का मूल है तथा स्रोतो दुष्टि होने पर तृष्णा मुख्यतः अभिलक्षित होती है, जिसका एक और कारण वात और पित्त भी है.
चरक संहिता में जलोदर की सम्प्राप्ति में क्लोम का उल्लेख है.
➡️ .....अत्युम्बुपानात् ➡️ अग्नौ नष्टे ➡️ स्रोत:सु रुद्धमार्गेषु ➡️ *क्लोम्नि संस्थित: मारुत: उदकमूर्च्छित कफ: च*➡️ तौ तदेव अम्बु स्वस्थानात् उदराय वर्धयेताम्➡️ जलोदर 
क्लोम ➡️ हृदय अवयव विशेष / हृदय का अवयव विशेष
वर्धेयताम इति यथोक्तौ कफमारुतौ.. 
*मारुत:* ➡️ स्थानिक रसविक्षेपण की वृद्धि करते हुए स्थानिक अम्बु धातु वृद्धि में कारणीभूत
*उदकमूर्च्छित: कफ:* ➡️ स्थानिक जल के अवशोषण की प्रक्रिया में बाधा ➡️ स्थानिक अम्बु धातु वृद्धि.
अर्थात् क्लोम स्थित वात और उदकमूर्च्छित कफ के कारण जलोदर का होना अभिष्ट.
आगे भी कहते हैं ➡️ स्वेदश्च बाह्येषु स्रोत:सु प्रतिहतगतिस्तिर्यगवतिष्ठमानस्तदेवोदकमाप्याययति.➡️ अर्थात् बाहर निकलने में असमर्थ स्वेद तिर्यग रुप में स्थित होता हुआ उस उदक की ही वृद्धि करता है.
 स्वेदवह एवं अम्बुवह स्रोतस् दुष्टी उदर रोगों का कारणीभूत है.
*मूल प्रश्न ➡️  क्लोम स्थित वात से जलोदर होने पर क्लोम peritoneal cavity है ऐसा प्रतित होता है*. 
Peritoneal cavity is serous cavity..
In anatomy, serous membrane (or serosa) is a smooth tissue membrane of ... (the viscera). Between the parietal and visceral layers is a very thin, fluid-filled serous space, or cavity.
The human body and even its individual body fluids may be conceptually divided into various fluid compartments, which, although not literally anatomic compartments, do represent a real division in terms of how portions of the body's water, solutes, and suspended elements are segregated. The two main fluid compartments are the intracellular and extracellular compartments. The intracellular compartment is the space within the organism's cells; it is separated from the extracellular compartment by cell membranes.

About two-thirds of the total body water of humans is held in the cells, mostly in the cytosol, and the remainder is found in the extracellular compartment. The extracellular fluids may be divided into three types: interstitial fluid in the "interstitial compartment" (surrounding tissue cells and bathing them in a solution of nutrients and other chemicals), blood plasma and lymph in the *intravascular compartment" (inside the blood vessels and lymphatic vessels)*, and small amounts of transcellular fluid such as ocular and cerebrospinal fluids in the "transcellular compartment". The interstitial and intravascular compartments readily exchange water and solutes but the third extracellular compartment, the transcellular, is thought of as separate from the other two and not in dynamic equilibrium with them.
अम्बुवह स्रोतस् की उपरोक्त एक व्याख्या है. 
*द्रव/अम्बु धातु की आचार्य चक्रपाणी उक्त एक व्याख्या* ➡️
*रसतीति रसो द्रवधातुरुच्यते* अर्थात् जो रसन (गमन) करता है वह द्रवधातु रस कहा जाता है ; *तेन रुधिरादीनामपि द्रवाणां ग्रहणं भवति; इससे रक्तादि द्रवो का भी ग्रहण होता है* ..
Hydrostatic pressure and colloid oncotic pressure  के कारण रस का सार्वदैहिक/स्थानिक विक्षेपण सम्यक् रुप से होता रहता है.. 
*क्लोम को हृदय अवयव विशेष कहने से यह सार्वदैहिक अम्बु धातु के संतुलन में भाग लेने वाला एक अवयव विशेष है* ..
इसे trachea , lungs , heat regulating center ,gall bladder and pancreas कहकर इसकी व्यापकता को सीमित किया जाना ही है..
*Kloma is regulatory authority of water homeostasis consisting of interstitial space , osmoreceptors , atrial and brain natriuretic peptides , renin angiotensin aldosterone system ( RAAS) , thirst center , etc..*



[2/7, 9:17 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

*नमस्कार पवन जी, 'पंचदश कोष्ठांगानि तद्यथा- नाभिश्च, हृदयं च, क्लोम च, यकृच्च, प्लीहा च, वृक्कौ च, बस्तिश्च, पुरीषाधारश्च, आमाशयश्च, पक्वाशयश्च, उत्तरगुदं च, अधरगुदं च, क्षुद्रान्त्रं च, स्थूलान्त्रं च, वपावहनं चेति' च शा , यह सूत्र अव्यव कहता है इसीलिये यह प्रकरण विस्तृत होता है।*


[2/7, 9:21 AM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar:

Pranam sir

Wonderfuly explained and logicaly proved.
Your explanation is superb.

Thanks for endorsing and making me more clear about the concept.

You are torch to me clearing the doubts and making the concepts more undrstandable.

Thanks a lot sir.
🌹❤️🌹


[2/7, 9:24 AM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

जी सर
आपने सही कहा
आचार्य चरक जब अवयव की बात भी करते हैं तो उन्के मन्तवय के पीछे क्रियात्मक पक्ष ज्यादा दिखाई देता है।
जैसे आप पुरीशाधर शब्द को ही लें, इसे एक अवयव वीशेष सिद्ध करना शायद मुश्किल हो।
इसी तरह से आपने जो क्लोम का स्पष्टीकरण दिया वो अद्भुत है।
🙏🙏🌹💐



[2/7, 9:27 AM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

सादर प्रणाम आचार्य श्रेष्ठ

क्लोम के स्थान विशेष ,कार्य *ह्रदय अवयव* जैसा शब्द जब पढ़ा तो एक उदर अंग याद आया , 
 *cisterna chyli*
Location 
Function
Second heart 
Lymph circulation 

क्लोम को भी बस्ति की तरह एक अंग मात्र न मानकर अंग समूह के विषय मे भी चिंतन करना चाहिए ।
🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼


[2/7,9:32 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

आशीर्वाद प्राध्यापक गिरिराज जी.
क्लोम,  बस्ति और नाभि का भी अतिरिक्त व्याख्या प्रस्तुत करने की कोशिश होनी चाहिए..


[2/7,9:33 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

Second heart
Peripheral heart 
जैसे शब्द हृदय अवयव विशेष के करीब है, परंतु peripheral heart क्लोम के करीब नहीं है



[2/7, 9:37 AM] Prof. Giriraj Sharma Sir :

 आयुर्वेद अपार है 
ह्रदय एवं  तलह्रदय दोनो का उल्लेख मिलता है ।

आयुर्वेद मतानुसार 
ह्रदय 
तल ह्रदय  मर्म peripheral होना चाहिए ,,,,,


[2/7,9:38 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 *Chylous ascites (CA) is a rare form of ascites that results from the leakage of lipid-rich lymph into the peritoneal cavity. This usually occurs due to trauma and rupture of the lymphatics or increased peritoneal lymphatic pressure secondary to obstruction*



[2/7, 9:44 AM] Prof.Giriraj Sharma Sir: 

Location 
*retrocrural space,* to *the right side and behind of the abdominal aorta.*


[2/7, 10:06 AM] Dr Mansukh R Mangukiya Gujarat: 

🙏 ॐ नमो नमः।
आचार्य श्रेष्ठ सत्येन्द्र ओझा सर
बार-बार मानसपटल पर उठता क्लोम का सटीक उत्तर रधुराम सर, पवन सर एवं अन्य गुरूगणने दीया है। पर भंवर फंसी कश्ति को आप जैसे मांझी ही किनारे लगा शर्तें हैं ।
अद्भुत विवरण ।
🙏


[2/7,10:52AM]Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:


 *अम्बु धातु की व्यापकता ➡️ अब्धातुं देहस्थं ➡️ देहस्थं इति देहे नानारसादिरुपतया स्थितम् ➡️ शरीर में विविध अनेक रसादि रुप में जलधातु स्थित है*


[2/7, 4:10 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

*Kloma vis-a-vis Peritoneal cavity...Great interpretation with all necessary references and correlations Guruji...wonderful insight👌👌🙏🙏💐❤️💐🙏🙏*



[2/7,4:18 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 Thanks Dr Raghuram ji , being follower of Acharya Charak and Acharya Chakrapani , my approach is in direction of pathophysiology and it's well described in Charak Samhita..


[2/7, 4:33 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Pawan sir, thanks for your good words and feedback on my write up🙏🙏💐❤️*

Though I hv mentioned the concept of  upama for my contextual explanation of this topic, *Klomakarshana is ACTUALLY a displacement. If the discomfort of the displacement is not experienced how does Acharya give the upama in the first place?*

*If Vrischika damshavat Vedana hasn't been experienced, what is the value of giving a theoretical comparison with upama?*

*So, the displacement is there, its experience as in tension pneumothorax is also there, in Klomakarshana...and I found TP as the closest comparison* 

*Shock due to TP, as you said is complication, but Hridaya  Marm abhighata is also a complication of many complications. Klomakarshana is a Hridaya Abhighata lakshana, but if we take PT, hridaya is involved in the displacement along with kloma... both conditions look alike. But you are kindly open enough to tell that TP can be constant some point. Actually Ojha sir’s question was - HOW TO UNDERSTAND KLOMAKARSHANA mentioned in Hridaya Marmabhighata. This made me search everything possible to arrive at some closer disease which can serve 2 purposes, - it should have a downward pull, it should cause discomfort and that too in the region of heart / chest and related to heart...and after working out with everything possible and for more than 5 hrs on the topic I cracked a possible nut. I am not correlating but I  hv given a possible theory to understand the term better..*

*Thanks  sir* 🙏🙏💐❤️



[2/7, 4:37 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Thanks to Acharya Charaka, Acharya Chakrapani and Acharya Charaka tulya, my beloved Guruji. Your approach towards pathophysiology of various diseases and the blueprints and flow diagrams you give makes any given topic easy to understand Guruji*🙏🙏💐❤️


[2/7, 4:39 PM] Vd.Rangaprasad Bhat
(Marma chikitsa) Chennai: 


Udakavaha sroto moola - 
1. TAlu
2. Kloma.
Kloma is present in dakshina pArshva below hrdaya.

वामपार्श्वे प्लीहा फुप्फुसश्च्|
*दक्षिणतो यकृत् क्लोम च||* 

This reference, based on Surface anatomy indicates kloma to be Pancreas ! 

*In fact, physiologically _water secretion happens in pancreas*! 
👇

*The predominant effect of secretin on the pancreas is to stimulate duct cells to secrete water and bicarbonate.* As soon as this occurs, the enyzmes secreted by the acinar cells are _flushed out of the pancreas, through the pancreatic duct into the duodenum._

Hence, as inclined towards Sharir rachana, my mind syncs kloma to Pancreas. 

*Secondly*- the tAlu as one of the udakavaha sroto mUla was always a mystery in many of us. 

If I am not wrong, recently scientists have discovered a new salivary gland named *tubarial glands* in nasopharynx. 

_Anatomically- The nasopharynx represents the most superior portion of the pharynx, bounded superiorly by the skull base and inferiorly by the soft palate._. 

That, as above, & as an anatomist, I feel might explain the two originating places of udakavaha srotas'. 

Experts opinion may differ, and  be debatable. 🙏💐


[2/7,4:51 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

After considering TP, the role of kloma in jalodar is no way , we are physician, my dear, please think, in case of acute circulatory failure or in heart failure , severe thirst is present and that is like klomakarshana



[2/7, 5:08 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Okay Guruji. Obliged with your explanation. I considered TP only in relation to Hridaya Marmabhighata. Not as a part of extended explanation. As we had discussed previous to that - that kloma is controversial organ and should be differentially understood situationally. Charaka has mentioned Kloma as in klomakarshana in Hridaya Marma Abhighata and as you said sir in context of jalodara. Shouldn't we understand kloma differentially in both these conditions? This was my thought process and my explanation of TP was only related to kloma in hridaya marma ABHIGHATA lakshana context* 🙏🙏💐❤️


[2/7,5:11 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

Your presentation is perfect and definitely very clinical description..  my approach may be wrong , but , I think that TP should be considered as shvaasa roga predominantly with praanavaha srotas dushti.


[2/7, 5:12 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Actually I hadn't correlated guruji. It was a hypothetical presentation. It was open for discussion. I knew you would definitely guide me in a right way*🙏🙏💐


[2/7, 5:14 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *No Guruji, please don't tell that. Your approach can never be wrong. You are our lifeline. I m your disciple. You hv total authority to correct me and guide me. I got clarity now sir. TP = Shvaasa with Pranavaha Sroto Dushti*👌👌🙏💐❤️


[2/7,5:15 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 Yes , I am agreed , but being physician , our approach to patient is very important.. the interlinking of srotasa is there ; praanavaha srotas , ambuvaha srotas are involved in shvaasa roga , so , there is probability of  kloma involvement.


[2/7, 5:16 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

👌👌👌Noted Guruji🙏🙏
Value addition points❤️


[2/7,5:23 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 The role of udakavaha srotas is very clear when there is bronchial secretion in asthma, pulmonary edema due to left heart failure and pleural effusion ..



[2/7, 5:26 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

Waah....👌👌👌🙏
Perfect sir.....


[2/7,5:26 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 


Dr Raghuram ji, your 5 hrs thought process was  in right direction and pointed out marvelous clinical application of such rare condition..
You young Ayurveda expert have bright future ahead, I am really looking forward for your global name and fame.
🌹🌹☺️☺️🌹🌹


[2/7, 5:29 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

Can't be more blessed sir. Your good words are by themselves blessings of highest order. Nothing would be possible without your wishes and blessings dear guruji. Just love to keep learning from you, on and on and on....overwhelmed and blessed sir🙏🙏💐❤️



[2/7, 5:35 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 


*दशमूलीरसे सिद्धा: कौलत्थे वा रसे हिता : कहकर आचार्य चरक  शोथहर दशमूल का प्रयोग pulmonary edema में करने के लिये मार्ग प्रशस्त किये हैं, इसी प्रकार पुनर्नवा, बृहत् पंचमूल का प्रयोग हृदयरोग में*


[2/7, 5:52 PM] +91 95300 28266: 

क्लोम~
 क्लोम *हृदयस्थ* पिपासास्थानम्.. -चक्रपाणि(च.वि. 5/8)      क्लोम पिपासास्थानम्... चक्रपाणि (च.शा.7/10)



[2/7,5:52 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 


*Epithelial cells in pancreatic ducts are the source of the bicarbonate and water secreted by the pancreas. Bicarbonate is a base and critical to neutralizing the acid coming into the small intestine from the stomach*.

*The predominant effect of secretin on the pancreas is to stimulate duct cells to secrete water and bicarbonate. As soon as this occurs, the enyzmes secreted by the acinar cells are flushed out of the pancreas, through the pancreatic duct into the duodenum*.

*The pancreatic duct delivers exocrine secretions into the duodenum. The ductal cells secrete fluid and bicarbonate ions, which neutralize acinar cell secretions, as well as the acidic gastric contents entering the duodenum.*



[2/7, 5:54 PM] +91 95300 28266: 


सर, यहां हृदय से क्या ग्रहण करना चाहिये 👆🏻


[2/7,6:03 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 सार्वदैहिक पक्ष है, हृदय भी है जो की atrial natriuretic peptides के द्वारा सोडियम और जल के नियंत्रण में भाग लेता है.
क्लोम का जलोदर में भाग लेने का मतलब तो है उसे समझना जरुरी है


[2/7,6:03 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

*आधुनिक दृष्टिकोण से देखें तो osmoreceptors & thirst center should be considered as kloma, but these structures don't have any role in ascites*..



[2/7, 6:14 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

Very interesting insight.....


[2/7,6:28 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 *क्लोम गत विद्रधि ➡️क्लोमजायां  पिपासामुखशोषगलग्रहा: , च.सू.१७/१०१* 

*उपरोक्त लक्षण अम्बुक्षय की अवस्था में मिलते हैं*.

*यदि गलग्रह से यह समझे की क्लोम गले में स्थित अवयव है, तो लक्षण ➡️ घुर्घुरिकान्वितं च उच्छ्वासनिरोधकार, सदाहराग, शूकपूर्णगलास्यत, भोज्यानामवरोध, तथा अशक्ति: अभ्यवहर, सदृश लक्षण मिलना अभिष्ट है*


[2/7,6:31 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 


*आधुनिक दृष्टिकोण से गले में स्थित कोई भी अवयव water homeostasis में भाग नहीं लेता है , न हि जलोदर की सम्प्राप्ति में*



[2/7, 6:36 PM] +91 95300 28266:


 👌🏼👍🏼चक्रपाणि ने तो किसी हृदय विशेष में ही स्थित लिखा है। इसलिये जिज्ञासा किया 🙏🏼🌹


[2/7,6:37 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

आचार्य हरिप्रपन्न शर्मा जी एवं डॉ घाणेकर सर क्लोम को gall bladder मानते है, क्लोम के विद्ध होने पर मृत्यु सम्भाव्य है परंतु cholecystectomy के पश्चात् क्लोम को gall bladder समझना युक्तियुक्त नहीं है..
🙏🙏


[2/7,6:38 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 *हृदय शब्द की व्यापकता है जो कि आदरणीय श्री गुरु जी ही समझा सकेगें*
🙏🙏


[2/7,6:40 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

*आदरणीय श्री गुरु जी के मत की प्रतिक्षा है*


[2/7,6:41 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:


 *वैद्यराज सुभाष शर्मा जी आज चिकित्सा कार्य में व्यस्त है, उनके मत की भी प्रतिक्षा है, देर रात में उनका दर्शन होगा 🙏🙏*


[2/7,7:46 PM] Vd.Divyesh Desai Surat: 

आदरणीय गुरुजनो
श्री ओझा सर, श्री सुभाष सर,,श्री गिरीराज सर, श्री पवन सर,युवा ऋषि रघुराम सर, श्री भावेश सर ओर बाकी गुरुजनो... आप सब लोगो के साथ तद्वित संभाषा करने से नित्य कुछ न कुछ आयुर्वेद ओर चरकसंहिता  के सूत्रों का गूढ़ रहस्यों की प्राप्ति होती है, जो बाकी के सदस्यों के लिए reddy रेफरेन्स ओर प्रैक्टिस में सदैव उपयोगी होता है, क्लोम के विषय मे गुरुदेव सुभाष सर, भावेश सर ओर हमारे गुरुवर्य आदरणीय गौड़ सर ओर श्री सुरेन्द्र सोनी सर से भी कुछ ज्ञान प्राप्ति अवश्य होंगी, जो क्लोम से रिलेटेड confusion को दूर करने में सहायक होगी🙏🏻🙏🏻🙏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
जय आयुर्वेद, जय धन्वंतरि।।



[2/7, 10:46 PM] Vd Surendra Soni Sir  MD.phd KC  Gujrat:


 The mesentery is an organ that attaches the intestines to the posterior abdominal wall in humans and is formed by the double fold of peritoneum. It helps in storing fat and allowing blood vessels, lymphatics, and nerves to supply the intestines, among other functions.[1]

The mesentery of the small intestine arises from the root of the mesentery (or mesenteric root) and is the part connected with the structures in front of the vertebral column. The root is narrow, about 15 cm long, 20 cm in width, and is directed obliquely from the duodenojejunal flexure at the left side of the second lumbar vertebra to the right sacroiliac joint. The root of the mesentery extends from the duodenojejunal flexure to the ileocaecal junction. This section of the small intestine is located centrally in the abdominal cavity and lies behind the transverse colon and the greater omentum.

The mesentery becomes attached to the colon at the gastrointestinal margin and continues as the several regions of the mesocolon. The parts of the mesocolon take their names from the part of the colon to which they attach. These are the transverse mesocolon attaching to the transverse colon, the sigmoid mesocolon attaching to the sigmoid colon, the mesoappendix attaching to the appendix, and the mesorectum attaching to the upper third of the rectum.

The mesocolon regions were traditionally taught to be separate sections with separate insertions into the posterior abdominal wall. In 2012, the first detailed observational and histological studies of the mesocolon were undertaken and this revealed several new findings.[6] The study included 109 patients undergoing open, elective, total abdominal colectomy. Anatomical observations were recorded during the surgery and on the post-operative specimens.

These studies showed that the mesocolon is continuous from the ileocaecal to the rectosigmoid level. It was also shown that a mesenteric confluence occurs at the ileocaecal and rectosigmoid junctions, as well as at the hepatic and splenic flexures and that each confluence involves peritoneal and omental attachments. The proximal rectum was shown to originate at the confluence of the mesorectum and mesosigmoid. A plane occupied by perinephric fascia was shown to separate the entire apposed small intestinal mesentery and the mesocolon from the retroperitoneum. Deep in the pelvis, this fascia coalesces to give rise to presacral fascia.[6]

Resp. Ojha Sir, Raghu Sir & Pawan Sir !

In our previous discussion, (available on blog) *Mesentery* was mainly considered as Klom and a latest video was also uploaded in that discussion.
You extended that theory very well establishing Peritoneum. Mysentery is part of this as a root.

तत्र हृद्यभिहते कासश्वासबलक्षयकण्ठशोषक्लोमाकर्षणजिह्वानिर्गममुखतालुशोषापस्मारोन्मादप्रलापचित्तनाशादयः स्युः;
Hridiabhihate is mainly a description of Abhighat/trauma as I understand because Nija-vikaras have been mentioned separately.
TP may be a one of clinical picture depending on the type of trauma. 
Sushruta has described Adhva-shosha with involvement of description of klom...
अध्वप्रशोषी स्रस्ताङ्गः सम्भृष्टपरुषच्छविः । 
प्रसुप्तगात्रावयवः शुष्कक्लोमगलाननः ।।२१।।
It proves that klom is water regulator machenism with root in mysentery and fluid intake through oral cavity hence *Taalu* is considered as mool sthan for udak vah srotas.

Namo namah to all gurujan !!

🌹😌🙏🏻🌻



[2/7,11:16PM]Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 


Dr Surendra soni ji ,

*The mesentery is the organ in which all abdominal digestive organs develop, and which maintains these in systemic continuity in adulthood*
Mesentery should be considered as part of अन्नवह स्रोतस् ..


[2/7,11:30PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

There are five major peritoneal folds:- the greater omentum, falciform ligament, lesser omentum, mesentery, and mesocolon.


[2/7,11:37PM]Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 *Clinical Relevance – Referred Pain*
Pain from the viscera is poorly localised. As described earlier, it is referred to areas of skin (dermatomes) which are supplied by the same sensory ganglia and spinal cord segments as the nerve fibres innervating the viscera.

Pain is referred according to the embryological origin of the organ; thus pain from foregut structures are referred to the epigastric region, midgut structures are to the umbilical region and hindgut structures to the pubic region of the abdomen.

Foregut – oesophagus, stomach, pancreas, liver, gallbladder and the duodenum (proximal to the entrance of the common bile duct).
Midgut – duodenum (distal to the entrance of the common bile duct) to the junction of the proximal two thirds of the transverse colon with the distal third.
Hindgut – distal one third of the transverse colon to the upper part of the anal canal.
Pain in retroperitoneal organs (e.g. kidney, pancreas) may present as back pain.

Irritation of the diaphragm (e.g. as a result of inflammation of the liver, gallbladder or duodenum) may result in shoulder tip pain.

Referred Pain in Appendicitis

Initially, pain from the appendix (midgut structure) and its visceral peritoneum is referred to the umbilical region. As the appendix becomes increasingly inflamed, it irritates the parietal peritoneum, causing the pain to localise to the right lower quadrant.


[2/8, 10:12 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*ब्रह्माण्ड में जल का देवता वरूण और शरीर में जल का देवता  'क्लोम' अभी तक कर्म प्रत्यक्ष है पर स्वयं अदृश्य और किसी के लिये किसी रूप में प्रत्यक्ष।*

*बढ़ें बढ़े विद्वानों ने पहले भी बहुत चर्चा की है और अपना अपना मत प्रकट किया, अनेक इस संसार से चले गये पर कभी भी सर्वसम्मति नही हो पाई, हम सभी आयुर्वेद में ज्ञान की तृषा रखते है और जिज्ञासु है अत: पुन: एक नई दिशा में फिर से चल पड़ते हैं।*
*कल देर रात्रि बहुत कुछ नवीन सिरे से अध्ययन किया और पेपर पर लिखा पर अन्त में निष्कर्ष यही मिला कि नवीन कुछ नही निकाल सका और सब वही मिलता है जिन पर चर्चा हो चुकी है।*

                🌺💐🌹🙏



[2/8, 11:13 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

*नमस्कार रघु जी, क्लोम पर जिस तरह चर्चा हुई है वो पुन: सराहनीय है, आपकी सभी पोस्ट, ओझा सर, गिरिराज जी , सोनी सर की भी save कर ली है। मेरा मानना है कि जब हम एक ही व्याधि या लक्षण के 25-30 रोगियों पर कोई कार्य कर लेते है तो कोई सिद्धान्त निश्चित कर सकते हैं।*

*कल देर रात आप सब के लेखन से बहुत कुछ लिया और स्रोतस के इन proformas से भी सहयोग ले कर अब मात्र क्लोम पर कुछ रोगियों में क्लोम पर कार्य करूंगा, क्योंकि investigations में हम इसे visible कैसे और किसे माने यह विवादास्पद रहता है ।*

*कुछ महीने बाद आपको क्लोम पर clinical presentations मिलेगी ।🌹🌺❤️*



[2/8, 11:15 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *उदक वाही स्रोतस की दुष्टि के हेतु अन्य स्रोतस भी है।*


[2/8,11:18 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*अनेक विषय clinical स्तर पर कार्य करेंगे तभी स्पष्ट होंगे।*


[2/8, 11:26 AM] Vd Raghuram Shastri ,Banguluru:

 *Namaskar Guruji. Thanks for your good words of blessings and encouragement sir*🙏💐❤️

*You are absolutely right sir, working constantly on a particular disease or symptom or concept on small sample of subjects, we can gradually expand the study to include bigger mass of subjects* 

*More encouragement is the clinical works which you would carry out on kloma. This will open up many doors to reach good conclusions about kloma and related physiological and pathological aspects. We too will try to keep a track on this topic and contribute in any possible way Guruji. Inspiration, encouragement and energy comes from the way your kind self and Guruji Ojha sir constantly motivate us in a right direction with your experience and clinical discussions. Respects sir. Namo Namah*🙏🙏💐❤️


[2/8, 11:33 AM] +91 99298 59198:

 सभी गुरुजनों को सादर प्रणाम🙏🏻🙏🏻
Extracellular space को क्या हम क्लोम नही मान सकते?


[2/8, 11:44 AM] Prof.Giriraj Sharma Sir:

 *पिपासा मात्र क्लोम या उदक वह स्त्रोतस के परिपेक्ष्य में ही नही अपितु अन्न उदक एवं मेदवह स्रोतसो में वर्णीत है ।*

*तालुशोष जैसा विद्ध लक्षण मेदवह स्रोतस में निर्देशित है।*
 

*पिपासा*
*अत,,,, स्त्रोतसां मूल विद्ध लक्षण,,,*
*एकेषा बहूनि एतेषां विशेषा बहवः ।।*

*उदकवहे , द्वे त्योर्मुलम तालु क्लोम च* ।

अन्नवहे - *पिपासा* आन्ध्य मरणम च
उदकवहे -  *पिपासा* सद्यो मरणम 
मेदवहे -  *तालुशोष* स्थूल शोफता *पिपासा* च 

*पिपासा लक्षण मात्र को मूल मानकर क्लोम पर एकमत होना ठीक प्रतीत नही है ।*

*यकृत जैसे अंग के साथ उल्लेख ,,,,*
*फुफ्फुस का उल्लेख जहां हुआ वहां क्लोम का उल्लेख न होना ।*

*सिर्फ ह्रदय के दक्षिण एवं अधोभाग में होना*

*आचार्य चरक द्वारा सिर्फ क्लोम का कोष्टाङ्ग में वर्णीत करना,  वही आचार्य सुश्रुत का क्लोम का वर्णन न करके फुफ्फुस का वर्णन करना ।*

आचार्य सुश्रुत 
*सम्यक दृष्टव्यो अंगविनिश्चय*
*प्रत्यक्षतों ही यद दृष्टं*  
*जैसे सिद्धान्त एवं प्रत्यक्ष्यता में विश्वास रखने वाले आचार्य सुश्रुत ने स्रोतस मूल में , मर्म में  प्रणायतनो में फुफ्फुस जैसे अंग का वर्णन न करना ,,,,,,*
चिंतन एवं मंथन के लिए बाध्य करता रहता है ।
*ह्रदय के पेरिटोनियम अधो है पर वाम दक्षिण में प्लुरा भी है* ।
बस्ति कटि नाभि क्लोम के लिए  *एकेषा बहूनि एतेषां विशेषा*  सिद्धान्त ही को समझना होगा ।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼


[2/8, 11:47 AM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 *मुलात खादान्तर देह*
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼


[2/8, 12:02 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *बढ़ा अच्छा विशलेषण आचार्य गिरिराज जी, ऐसे ही यक्ष प्रश्न सामने आते रहते है जब भी क्लोम पर कार्य करने की सोचते हैं,
'रक्तमेदःप्रसादाद्वृक्कौ;मांसासृक्कफमेदःप्रसादाद्वृषणौ; शोणितकफप्रसादजं हृदयं, यदाश्रया हि धमन्यः प्राणवहाः; तस्याधो वामतः प्लीहा फुप्फुसश्च, दक्षिणतो यकृत् क्लोम च:'
 सु शा 4/30 *
*रक्त और मेद के प्रसाद से दोनो वृक्क*
*मांस-रक्त-कफ-मेद प्रसाद से दोनों वृषण*
*रक्त+कफ प्रसाद से ह्रदय*
*ह्रदय के आश्रय में प्राणवह धमनियां*
*ह्रदय के नीचे वाम पार्श्व में प्लीहा-फुफ्फुस*
*दाहिनी और नीचे यकृत और क्लोम ( फुफ्फुस दोनों और होने से यहां भी)*

*और आगे क्लोम की सत्ता यह मध्य शरीर की संधियां -    'तावन्त एव ग्रीवायां, त्रय: कण्ठे, नाडीषु ह्रदयक्लोमनिबद्धास्वष्टादश...'
 सु शा 5/31
 ग्रीवा में आठ, कण्ठ में तीन,ह्रदय क्लोम संबद्ध नाड़ी में अठारह होती है। यह सिद्ध करता है कि यह ह्रदय से किस पर जुड़ा हुआ है।*


[2/8, 12:10 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir : 

गर्भस्य,,, 
यकृत प्लीहानौ शोणितजौ
शोणितफेनप्रभव फुफ्फुस
शोणितकिटट प्रभव उन्डुक

पर क्लोम के विषय मे आचार्य ने कुछ नही लिखा ।
🌹🌹🌹🙏🏼🌹🌹🌹


[2/8, 12:12 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*कभी कभी लगता है कि ग्रन्थ लिखे तो पूरे थे कालांतर में कुछ भाग इधर उधर हो गया ।*


[2/8, 12:15 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir : 

पुनः 
विस्तारोsत  ऊर्ध्व - त्वचोSभिहता कला धातवो मला दोषा यकृतप्लीहणौ फुफ्फुस उन्डुको ह्रदयं वृक्कौ च 7 /5 सु शा 
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼


[2/8, 12:16 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *इसीलिये क्लोम पर कोई कार्य करे भी तो कैसे ? विभिन्न तर्कों से उसे पहली बार में ही बाहर कर दिया जायेगा। आप जैसे विद्वानों को जो शिक्षण में है बढ़ी समस्या आती होगी क्योंकि सब modern पढ़ कर आ रहे है और उसी के अनुसार प्रश्न करते हैं।*


[2/8, 12:56 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 *जिज्ञासा* 
*दिशा* 
*आयुर्वेद में दिशा के विषय मे कुछ विशिष्ठ उल्लेख मिलता है ।*
*ऊर्ध्व, अधः, दक्षिण, वाम  का किस स्थिति में उल्लेख किया जाना चाहिए ।*
*हालाकि षट्चक्र इड़ा पिंगला आयुर्वेद में वर्णीत नही है वो योग से लिये गये है ।*
*वहां भी इड़ा वाम में एवं पिंगला दक्षिण में ,,,,,* 
*ऐसा वर्णीत है योग मतानुसार दिशा एवं आयुर्वेद में दिशा विवेचन भिन्न है या समान है ।*

*शवासन को महत्वपूर्ण आसन मानकर दिशा अगर निर्देशित है*
 *तो ऊर्ध्व अधः वाम दक्षिण दिशा प्रायः स्वीकार्य दिशाओं से भिन्न हो जाती है या समान है ।*
*क्योकि जब तुलनात्मक अध्ययन अध्यापन करवाते है तो इड़ा को वाम एवं पिंगला को दक्षिण मानते है ।*

*योग जो sympathetic and parasympathetic  के विषय मे भी काफी जद्दोजहद करनी होती है ।*

*अगर शवासन से दिशा समझे* 

*ऊर्ध्व भाग शिर ऊपर की तरफ   नार्थ पोल ऑफ़ ग्लोब*

*अधो भाग वाम पैरो की तरफसाउथ पोल ऑफ ग्लोब* 

*अर्थात जो ऊपर है वह वाम जो अधो है वो दक्षिण*

*Sympathetic Chain upper T1 to L 1*, 
*Parasympathetic lower S2,3,4*
*इस तरह से रास्ता निकाल लिया ।*
*पर दिशा के विषय मे योग एवं *आयुर्वेद के संदर्भ पर कुछ ज्ञान अर्जन की अभिलाषा है*

हालाकि नासा (nose)  में वाम दक्षिण के पुनः किस तरह स्वीकार करे ।
🌹🌹🌹🙏🏼🌹🌹🌹


[2/8,3:01 PM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir:

 *वैद्यराज सुभाष शर्मा जी , शुभ अपराह्न*
 रसवह स्रोतस् मूल‌➡️ हृदय , व्यान के द्वारा रस धातु का विक्षेपण , रस अर्थात् रक्तादि अम्बु धातु , क्रियात्मक विकृति पक्ष से देखने पर बहुत ही स्पष्ट है की अम्बु धातु का भी सम्बंध हृदय से है , hydrostatic pressure जहाँ पर अम्बु से सम्बन्धित है , वही colloid oncotic pressure रसरक्तादि धातु से सम्बन्धित है..‌
जलोदर में उपद्रव स्वरुप श्वास कास मूत्राघातादि लक्षण , तथा हृदय रोग में जलोदर , शोथ का मिलना ; बहुत से यक्ष प्रश्न का जबाब दे देता है..



[2/8,3:04 PM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir: 

जलोदर ➡️ मूत्राघात ⬅️ बस्ति जन्य दोष


[2/8,3:25 PM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir:

 *रक्त कफ प्रसाद से हृदय; हृदय के कौन कौन से भाग के निर्मिती में रक्त या कफ या दोनों का भाग लेना फिर उसके बाद विकृति में उनका किस रुप में भाग लेना ; ऐसे बहुत से विषय है , जिस पर शारीर - संहिता - निदान - चिकित्सा विशेषज्ञों का एक मत होना अभिष्ट है*


[2/8, 3:29 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir: 

*ह्रदय क्लोम कंठ च तालुक च समाश्रिताः*
*मृद्धी सा क्षुद्र हिक्केति,,,,,,, चरक चि  17/37*

क्लोम का हिक्का में वर्णन एवं एक विशिष्ठ शब्द हिक्का में उल्लेख किया है ।
उरः स्रोतस,,,,,


[2/8,3:30 PM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir: 

प्राध्यापक गिरिराज जी , पिपासा का होना कहीं भी हो, कारण अम्बुक्षय , वात और पित्तादि ही होंगे..
एक उदाहरण; 
मर्मोपघातात्....... तृष्णातियोगाद्वेगानां......मर्म इति हृदयम्..


[2/8, 3:32 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir : 

प्रणाम आचार्य श्री
मुझे तो तृष्ना एवं पिपासा भी भिन्न लगते है ।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼



[2/8,3:36 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 प्राणोदकान्नवाहिनि स्रोतांसि......
प्राणवह स्रोतस् मूल ➡️ हृदय 
उदकवह स्रोतस् मूल‌ ➡️ क्लोम से भी स्पष्ट है..
च.चि.१७/३४-३७ में उर:स्रोतस् नहीं है


[2/8, 3:41 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir : 

उरः स्रोतः  समाविष्य कुर्याद हिक्का ततो अन्नजाम ।
 40 /17


[2/8,3:41 PM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir:

 उक्तं ➡️ पित्तानिलौ प्रवृद्धौ सौम्यान्धातूंश्च शोषयत: ...५
रसवाहिनीश्च नालीर्जिह्वामूलगलतालुक्लोम्न: , संशोष्य नृणां देहे कुरुतस्तृष्णां महाबलावेतौ.. च.चि.२२/६


[2/8,3:46 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Siर:

 क्षुद्र हिक्का और अन्नजा में अन्तर है..



[2/8, 3:47 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 उर स्रोतः तो एक ही है


[2/8, 3:49 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 आचार्य श्रेष्ठ,  चरक में सम्भवत पिपासा शब्द वर्णीत हो कहीं ,,,,,


[2/8,3:52 PM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir:

 जी, एक और संदर्भ ; यमिका च.......
तृष्णा....
यमिका चेत्यनेन क्षुद्रा अन्नजा च या.....
क्षुद्रा ➡️ क्लोम ➡️ तृष्णा


[2/8, 3:55 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 🌹🌹🙏🏼🌹🌹


[2/8,3:56 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:


 *भ्रमदवथुपिपासा*.... *च.चि.२१/३०*


[2/8, 4 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir:

 🌹🙏🏼🙏🏼🌹


[2/8,4:19PM] Dr. Shekhar Singh Rathore Jabalpur: 


पिपासा शब्द 46 बार आया चरक में 🙏🏻



[2/8, 4:39 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir:

 👌🏻


[2/8, 4:59 PM] +91 95300 28266:

सम्भवतः किसी भी प्रकार के सुख/ वस्तु की प्राप्ति/ उपभोग की लालसा तृष्णा, और जल पीने की लालसा पिपासा कही जाती हो...



[2/8, 5:06 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir:


क्लोम को उदरगत कहना चाहिए या उरः गत,,,,,

ह्रदय के अधो,  वाम
     अधो फुफ्फुस (उरगत)         वाम प्लीहा उदर गत 
ह्रदय के अधो , दक्षिण
    अधो यकृत उदरगत
दक्षिण में क्लोम (----?)

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼


[2/8, 5:10 PM] +91 95300 28266:

 चक्रपाणि ने तो *हृदयस्थ* लिखा है 👇🏼
 
क्लोम हृदयस्थपिपासास्थानम्.. 
-चक्रपाणि(च.वि. 5/8)



[2/8, 5:20 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir:

 प्रणाम आचार्य श्री 
आचार्य चक्रपाणि जी आप्त पुरुष ही है उनके वचन भी आप्त सम है ।
परन्तु मूल सूत्र में दक्षिण ही लिखा है ।


[2/8, 6:06 PM] +91 95300 28266: 


आचार्य श्री, वस्तुतः चक्रपाणि द्वारा यहां उल्लिखित हृदय अभी भी मेरे लिये अस्पष्ट है, इसलिये बारबार जिज्ञासा कर लेता हूं।
वैसे इसके लिये आपका मत ही प्रामाणिक होगा...🙏🏼🙏🏼🌹



[2/8, 6:08 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

🙏🙏
*Kloma word has been refered to many entities according to the sandarbha..*

1.
*In Jalodar....charak says....jalodar is caused by Kloma sanshrita doshas...*

2.
*...udaka vaha srotomoola....taalu and klome bataaya gya hai*
3. ➡️
*...Sushrut sharir 4/43 says...tasya adho vaamatah pleeha phuphusashcha, dakshinato yakrita klom cha.....so some ORGAN placed in the right side along with yakrit.....*

4.
*....klom is some structure associated with water regulation.....*
*.....May be one organ or may refer to many associated with water metabolism...*

5.
*Gambhir granthi can also occur in Klom.....*

*When there is granthi in klome....There occur pipaasaa, mukhshosha, galagrah...*

6.
*Srotovimaana 5......kloma dushti with other symptoms indicate dushti of udakavaha srotas..*

*Here chakrapaani says....kloma hridyastha pipaasasthaanama.......*
*(now here hridya refers to what heart or brain???)*

7.
*Sharir 4......kloma maatrija bhaav janaya organ hai..*
8.
*Sharir 7......chakrapaani says kloma pipaasa sthaanum.....May be this means...kloma is an entity which controls thirst.*

9.
*Dushti of kloma in hikka kaasa shwaas chapter in causation of kshudra hikka..........does it mean thirst centre in brain...???*

10.
*There is dooshana of klome in the generation of trishnaa roga in ch 22....*
*Here chakrapaani says..... Kloma naa iti dvityiaa bahuvachanaantam.....*

11.
*In sidhi sthaana 8.....hridya abhighaata se hone waale rogo me klomapakarshan kahaa gyaa hai......chakrapaani iska artha kloma apakarshana like discomfort karte hain....*

12.
*...Ashtaanga hridya sutra 12*
*Kloma kapha ka STHAAN hai.*
*Hemaadri says.... Kloma is udakvaahi srotomool*

13.
*Sharir 3....vaghbhatt counts kloma as koshthaang and arundatta says it is present in right side along with yakrit and phupphus*

14. 
*In Raajyakshmaa there is sanshoshana of Klom*

15.
*Kloma is a place where vidradhi, vridhi and Gulma can occur....chapter 3 nidaana STHAAN*

16. 
*When vidaradhi occurs in klome.....There is Galagrah vyaadhi and pipaasaa...*

17.
*Kloma has been said as an organ present above tge Naabhi...Sushrut Nidaan 9/25*

18.
*Kloma as an orgam present right to heart....Sushrut sharir 4/31 with Dalahan also endorsing this.*

19.
*Pathological involvement of Kloma in Kshudra hikka in Charak Chikitsa 17/37*

20.
*Kloma as type of Koshtaang in Charak Sharir 7/10 with Chakrapaani saying Kloma as Pipaasa sthaan*

💐💐💐💐💐
*Observing all above references, Kloma doesnt fit in to a single entity which can satisfy all the above references. But almost all of the above references indicate toward one single action of Fluid regulation.*
💐💐💐💐💐


*Aacharyas have not described many entities for anatomical study only but mostly for physiological description, like siraa, dhamni, naadi etc have different meaning at different sandarbha...*

*Srotas has wide meaning.*

*Hridya has wide meaning refereeing to functions of heart as well as brain.*

*Klom may mean whatever associated with homeostasis of fluids in body.*

*It could be a group of entities....*

🙏🙏🙏🙏
*This is my humble submission to the elite pannel for review and modifications.*

👇🏻
*I just tried to go through most of the references and tried to locate the common thread in all these.*

*Further guidance will certainly help*.

*Vaidya Pawan Madaan*.



[2/8, 6:10 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir: 

आचार्य श्री 
आचार्य चक्रपाणि जी के टीका पर एकमत नही है सभी ,,,
समयानुसार आचार्य डलह्नजी  गंगाधर जी, गणनाथ सेन जी , घाणेकर जी ने इस पर टिप्पणी की है ।
🌹🌹🌹🙏🏼🌹🙏🏼



[2/8,6:34 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 


*Great hard work 👌💪👍 nicely presented by you.. simply, kloma is water regulatory organ/entity ; regulator of water homeostasis and in turn electrolytes too*



[2/8, 6:45 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Excellent presentation dear Pawan sir👌👌🙏🙏💐❤️🙏. The bottom line is what you have written in conclusion, Kloma doesn't fit in to a single entity which can satisfy all the references. But the common thing to note is their fluid / water or as Ojha sir has pointed out towards electrolyte regulation and imbalances and their consequences. You have rightly pointed out towards whatever is associated with homeostasis of fluids in the body, may be a group of entities too. Thanks for the post and relevant references sir* 🙏🙏💐



[2/8, 6:45 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

👌👌🙏🙏💐❤️



[2/8, 6:57 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir: 

नमस्कार !
बहुत ही बेहतरीन संकलन किया है ।
पर रचना के आधार पर इसे कौनसा अंग माने, उसका स्थान ,,,,,?
क्या  निर्णय ,,,, क्या समझा जाये रचना स्तर पर,,,,
🌹🌹🌹🙏🏼🌹🌹🌹


[2/8, 7:01 PM] Prof.Lakshmikant Dwivedi Sir:

Antahshravigranthiyon ka yanha koi roll hai ?
Parikalpana ka to us kaal me koi sandarbh...


[2/8, 7:03 PM] Prof. Giriraj Sharma Sir : 


प्रणाम आचार्य श्री,,,
Suprarenal Gland 
🌹🌹🙏🏼🌹🌹🌹



[2/8, 7:04 PM] Prof.Lakshmikant Dwivedi Sir: 

😀🙏🏼 vicarain....


[2/8, 7:21 PM] Dr.Bhavesh R.Modh Kutch: 

🙏😊👌💐
👍😊🙏👌💐

जब व्यक्ति किसी अज्ञात भय  से भयभीत होता है तो उसका कंठ सुकता है वह बारबार पानी पीता है फिर भी प्यास नही बुझती.... हृदय चेतनास्थान व मन भी कहाँ गया है । 
भय की अवस्थामे चेतना सिकुडती है । अतः शायद उसका एक लक्षण पिपासा  उत्पन्न होता होगा ।

क्लोम को बहोत सारे आयुर्वेद विद्वानोंने आधुनिक चिकित्सा शास्त्र की समझ से Pancreas माना है  स्व. वैद्य प्रो. श्री. एम एच बारोट साहब ने भी लिखा है ।

Diabetes का मूल या प्रारंभिक निदान मे पेरासेम्पेथीटीक व सेम्पेथीटीक नर्वस सिस्टम मे गडबडी होना है इसका सीधा संबंध चेतना या मन या भय से होता है ।

चक्रपाणि जी ने शायद इसलिए  भावनात्मक या आध्यात्मिक पहलु से  हृदय मे पिपासास्थान क्लोम को संयोजा होगा ।


[2/8, 7:30 PM] Dr.Ramakant Sharma Jaipur: 

लगती क्यों है ??
तृष्णा और पिपासा भिन्न ही है !!!


[2/8,7:50 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 भावेश जी
काम शोक भयात् ➡️ वायु: ➡️ अम्बुधातु शोषण /क्षय ➡️ तृष्णा; यह एक सामान्य प्रक्रिया है..
रही बात तृष्णा और मधुमेह फिर pancreas, तो कुछ diabetic ऐसे भी है जिनमे न तो तृष्णा मिलती, न ही अतिमूत्र प्रवृत्ति.
Pancreas अग्न्याशय है जो कि  digestion & metabolism में भाग लेता है.. 
क्लोम को क्लोम ही रहने दो कोई नाम न दो नहीं तो दिन रात खतम हो जाएंगे, लेकिन बात नहीं बनेगी ।


[2/8,7:52 PM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

गुरु जी, सादर प्रणाम.
विसर्प की पिपासा और पित्तावृत वात की तृष्णा में क्या अन्तर है ?
एक जिज्ञासा 🙏🙏



[2/8, 7:55 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir Ahamadabad:

 प्रणाम आचार्य श्री
पिपासा लक्षण के रूप में प्रायः
तृष्णा स्वतंत्र रोग के रूप में वर्णीत है ।
पिपासा के बाद तालु शोष होना चाहिए ,,,,,
तालुशोष तृष्णा रोग में लक्षण है पर पिपासा लक्षण नही है जो पर्याय की तरफ इंगित करता है ।
पिपासा स्वाभाविक प्रवृति भी हो सकती है 

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼


[2/8, 7:57 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir:

 ज्वर में संताप
तृष्णा में पिपासा


[2/8,7:58 PM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir।: 

*तृष्णा ➡️ स्व लक्षणं सर्वदाऽम्बुकामित्वम्*


[2/8,8:09 PM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir:

 *एषणा* ➡️ स्वाभाविक तृष्णा में भी वात और पित्त आरम्भक ही होते हैं, तो क्या उसका (स्वाभाविक तृष्णा का) यहाँ ग्रहण नहीं किया जाता है ? 
ऐसा नहीं है, उसका उचित द्रवपान से ही प्रशमन होने से यहाँ अस्वाभाविक रोग के प्रकरण में अधिकार नहीं है, यह हृदय में करके (विचार कर )..


[2/8, 8:11 PM]Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir।:

 या हि मानसी तृष्णा सा शारीरे इच्छाद्वेषात्मिका तृष्णा सुख- दुःखात् प्रवर्तते..


[2/8, 8:12 PM]Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir:

 आयुर्वेद दीपिका➡️क्लोम इति देहे इत्यनेन एतासां तृष्णानां शारीरत्वं दर्शयति


[2/8, 8:14 PM]Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

आयुर्वेद दीपिका


[2/8, 8:17 PM]Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

*Psychogenic polydipsia is a disorder that can lead to significant morbidity and mortality and occurs in 6% to 20% of psychiatric patients*

[2/8, 9:19 PM] Vd Surendra Soni Sir KC Admin Gujrat: 

Ojha Sir has reached conclusion as peritoneum where almost all were agreed while I was little bit specific for mesentery that doesn't make any special change.

🙏🏻🌻


[2/8, 10:10 PM] +91 96668 58210:

 Can we consider klom as considered by Charaka is different from the one considered by Susruta Sir?


[2/8, 11:09 PM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

धन्यवाद गिरिराज सर।
मुझे लगता है रचना के अनुसार इस के कई स्वरूप हो सकते है।
बाकी आप बेहतर guide कर सकते हैं। मैं उत्ना नही जानता।
🙏🙏🙏


[2/8, 11:48 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *वैद्य श्रेष्ठ पवन मदान जी , बहुत अच्छा संकलन , सभी संदर्भो के साथ आपने पूर्ण न्याय किया और उत्तम तरीके से व्याख्या की।* 👌👌👌 *इस ग्रुप में आपने अपने ज्ञान की, चिंतन और कार्य करने की सार्थकता सिद्ध् की ।*


[2/9, 12:09 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*क्लोम पर कल से जो चर्चा एक तो वैद्य रघुराम जी ने बहुत ही विस्तार से क्लोम की संदर्भ सहित व्याख्या की जो बहुत ही उपयोगी थी उसके बाद जो सार्थक सार निकल कर आया वो ...*

*ओझा सर - *रक्त कफ प्रसाद से हृदय; हृदय के कौन कौन से भाग के निर्मिती में रक्त या कफ या दोनों का भाग लेना फिर उसके बाद विकृति में उनका किस रुप में भाग लेना ; ऐसे बहुत से विषय है , जिस पर शारीर - संहिता - निदान - चिकित्सा विशेषज्ञों का एक मत होना अभिष्ट है*

*रसवह स्रोतस् मूल‌➡️ हृदय , व्यान के द्वारा रस धातु का विक्षेपण , रस अर्थात् रक्तादि अम्बु धातु , क्रियात्मक विकृति पक्ष से देखने पर बहुत ही स्पष्ट है की अम्बु धातु का भी सम्बंध हृदय से है , hydrostatic pressure जहाँ पर अम्बु से सम्बन्धित है , वही colloid oncotic pressure रसरक्तादि धातु से सम्बन्धित है..‌
जलोदर में उपद्रव स्वरुप श्वास कास मूत्राघातादि लक्षण , तथा हृदय रोग में जलोदर, शोथ का मिलना ; बहुत से यक्ष प्रश्न का जबाब दे देता है.. जलोदर ➡️ मूत्राघात ⬅️ बस्ति जन्य दोष*

*रक्त कफ प्रसाद से हृदय; हृदय के कौन कौन से भाग के निर्मिती में रक्त या कफ या दोनों का भाग लेना फिर उसके बाद विकृति में उनका किस रुप में भाग लेना ; ऐसे बहुत से विषय है , जिस पर शारीर - संहिता - निदान - चिकित्सा विशेषज्ञों का एक मत होना अभिष्ट है*

*आचार्य गिरिराज जी - 
*ह्रदय क्लोम कंठ च तालुक च समाश्रिताः*
*मृद्धी सा क्षुद्र हिक्केति,,,,,,, चरक चि  17/37*

क्लोम का हिक्का में वर्णन एवं एक विशिष्ठ शब्द हिक्का में उल्लेख किया है ।
उरः स्रोतस,,,,,

*क्लोम को उदरगत कहना चाहिए या उरः गत,,,,,*

ह्रदय के अधो,  वाम
     अधो फुफ्फुस (उरगत)         वाम प्लीहा उदर गत 
ह्रदय के अधो , दक्षिण
    अधो यकृत उदरगत
दक्षिण में क्लोम (----?)

आचार्य श्री 
आचार्य चक्रपाणि जी के टीका पर एकमत नही है सभी ,,,
समयानुसार आचार्य डलह्नजी  गंगाधर जी, गणनाथ सेन जी , घाणेकर जी ने इस पर टिप्पणी की है ।

पर रचना के आधार पर इसे कौनसा अंग माने , उसका स्थान ,,,,,?
क्या  निर्णय ,,,, क्या समझा जाये रचना स्तर पर,,,,


*आचार्य बृज किशोर मिश्र जी - चक्रपाणि ने तो *हृदयस्थ* लिखा है क्लोम हृदयस्थपिपासास्थानम्.. -चक्रपाणि(च.वि. 5/8)*


[2/9, 12:11 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

मेरी शंका आरंभ से यही है जो आचार्य गिरिराज जी की भी है !!!  रचना के आधार पर इसे कौनसा अंग माने , उसका स्थान ,,,,,? क्या  निर्णय ,,,, क्या समझा जाये रचना स्तर पर,,,,।*


[2/9, 12:14 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*मैं अगर रोगियों की चिकित्सा में जब investigations कराता हूं तो CT CHEST या ABDOMEN में उदक वह स्रोतस में क्लोम की सत्ता कहां सिद्ध कर के दिखाऊं के उदक वह स्रोतस की दुष्टि मुझे यहां मिली और यह क्लोम है ?*


[2/9, 12:16 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

पर यह सिद्ध करना कठिन होगा क्योंकि आयुर्वेद दोष दूष्य पर आधारित शास्त्र है और यहां अव्यवों का वर्णन सुश्रुत ने विस्तार से किया है और चरक में उतना नही।*


[2/9, 12:39 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*प्रात: में लिख कर चला था कि बाह्य जगत में जल का देवता वरूण और शरीर में जल( इसमे उदक  या अम्बुवाही स्रोतस को भी ग्रहण करे) का देवता क्लोम है।*

*आयुर्वेद का उद्देश्य तब पूर्ण होता है जब उसका लाभ रोगी को मिले, यहां जब पूर्व आधुनिक आचार्यों के मतों को भी देखता हूं जो एकमत पर नही पहुंचे थे तो लगता है दो पक्ष चल रहे हैं एक सैद्धान्तिक पक्ष और दूसरा clinical पक्ष जो हम रोगी में देखते है, आचार्य गिरिराज जी का व्यक्तव्य pure clinical है और प्रो.ओझा सर का भी व्यक्तव्य clinical है जिसमें रसवहस्रोतस से बस्ति तक की पूरी रूग्णावस्था का चित्रण स्पष्ट है और मैं अपना अनुभव मान कर चलता हूं तो मिलता यही है, ओझा सर के अनुसार का कि पुन: रसवह स्रोतस् मूल‌➡️ हृदय , व्यान के द्वारा रस धातु का विक्षेपण , रस अर्थात् रक्तादि अम्बु धातु , क्रियात्मक विकृति पक्ष से देखने पर बहुत ही स्पष्ट है की अम्बु धातु का भी सम्बंध हृदय से है , hydrostatic pressure जहाँ पर अम्बु से सम्बन्धित है , वही colloid oncotic pressure रसरक्तादि धातु से सम्बन्धित है..‌
जलोदर में उपद्रव स्वरुप श्वास कास मूत्राघातादि लक्षण , तथा हृदय रोग में जलोदर , शोथ का मिलना ; बहुत से यक्ष प्रश्न का जबाब दे देता है.. जलोदर ➡️ मूत्राघात ⬅️ बस्ति जन्य दोष ' अभी इसका विशलेषण कर रहा था तो अपने अनेक रोगियों के अनुभव सामने आ रहे थे कि उनमें अम्बुवाही स्रोतस की ही involvement थी।*

*निर्णायक अगर हम किसी एक को मानकर चले और आगे कार्य करते रहे तो हम आगे बढ़ सकते हैं, अत: मैं प्रो ओझा सर के निर्णय से पूर्ण सहमत हूं और आचार्य गिरिराज जी के मन्तव्य को अपनी आगे की  study में रचना और स्थान में महत्व दे कर कार्य करते रहे और भविष्य में अपने ज्ञान और अनुभव से पुन: इस प्रकरण पर आयें और अब इस क्लोम प्रकरण को विश्राम दें।*

             🙏🙏🙏🙏🙏


[2/9, 12:56 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:


 *हमें आयुर्वेद मे आगे पूर्वाग्रहों से बाहर निकल कर कार्य करना पड़ेगा क्योंकि जब आयुर्वेद से बाहर की दुनिया में जा कर अपनी चिकित्सा में हम पित्ताश्य की अश्मरी ct abdomen में निष्कासित कर के दिखाते हैं तो आयुर्वेदानुसार gall stone का वर्णन  कहां है? है ही नही , क्लोम कहां है ? नही पता , वृक्कों से मूत्र का निर्माण ? पता ही नही और उत्तर हम अपने अनुसार कि पक्वाशय से संबंधित है देते है। अपने अपने सिद्धान्त और सिद्ध करने के parameters modern , तो कहां और कैसे stand करेंगे अपने को । मेरे clinic में ये routine work है जब gall stone के रोगी किसी modern doctor के साथ आते हैं और वो पूछता है कि वैद्यजी कैसे निकालेगे पथरी ? वो को निकल ही नही सकती ।*

*तब हम उसे अपनी आयुर्वेद की भाषा में उत्तर देते हैं और बता देते हैं कि यह से है , हम से करेंगे और इतने दिन बाद आप अपने अनुसार चाहे investigations करा लेना, और परिणाम से उसे आश्चर्य होता है।*

*आयुर्वेद को आयुर्वेद की भाषा में सीखे, समझे और प्रयोग करे , मेरा दावा है कि आप हमेशा सफल रहेंगे, जहां संश्य हो आधुनिक साधनों का प्रयोग निदान के विनिश्चय करने में कर सकते है।*


[2/9, 1:25 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 


*किसी की सत्ता को कैसे स्वीकार करेंगे ? 1 वो अव्यव दिखने में कैसा है, उसकी संरचना और वो कहां स्थित है 2   - उसके कर्म  3- उपरोक्त दोनों बातें । *

*कर्म के अनुसार अनुमान प्रमाण को आधार बनाया जा सकता है, उस अव्यव की परिकल्पना की जा सकती है और और उसकी स्थिति का विस्तार किया जा सकता है, प्रो. ओझा सर के व्यक्तव्यों को बहुत ध्यान से पढ़ने के बाद अनुभव हुआ कि प्रायोगिक आधार पर उन्होने अपना मत लिखा और उनके तर्क ऐसे हैं जो प्रत्यक्ष हैं, रोगियों में मिलते हैं और अकाट्य है।*



[2/9, 1:31 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *आचार्य गिरिराज जी ने जो रचना और स्थान की बात की है उस पर कार्य अभी निरंतर जारी रहेगा और आप सब का प्रयास निर्रथक नही जायेगा।*


[2/9, 1:33 AM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Namaste Guruji. You have summed up things in a clinical way and have given a message of situational understanding of kloma or any difficult and controversial words. Since so many versions are available it gives an independence for interpretation of Ayurveda terms and concepts which is a beauty of Ayurveda as well as a puzzle which needs to be worked upon by generations of clinicians and teachers. Ayurveda Acharyas and Gurus have JUST GIVEN US THE KEYS TO EXPLORE THE DEEPER MEANING. That is why even after ages we are still struggling to solve some puzzles like KLOMA. Ayurveda has given us a scope of situational understanding and use of yukti. These codes can be cracked only at the clinical level and goes in line with diagnosis as you rightly said dear sir, though it is tough to anatomically prove a particular structure as kloma...if we put down collective efforts we at least hope to crack those codes to an extent on our clinical tables. You have also given suitable example of diagnosing kloma and gallstones. Important is how we crack the Samprapti of the disease and give suitable remedies - doing that will solve our purpose of fulfilling the goals of Ayurveda. Enroute if we can solve tough problems, it is bliss and our contribution to gen-next. Great Gurus like Gaur sir, your kind self, Ojha sir...and many wise personalities of this group and beyond are putting their efforts in cracking the tough stones and making things easier to understand and implement. We are blessed to be in this institute. What I loved is your final paragraph - आयुर्वेद को आयुर्वेद की भाषा में सीखे, समझे और प्रयोग करे , मेरा दावा है कि आप हमेशा सफल रहेंगे, जहां संश्य हो आधुनिक साधनों का प्रयोग निदान के विनिश्चय करने में कर सकते है। Namo Namah* 🙏🙏💐❤️


[2/9, 1:36 AM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Excellent and experience based remedies sir. I too have used Mustadi Marma Kashayam but not Suvarnamuktadi Gulika. I have in fact used this Kashayam with Valiya Marma Gulika combination. Thanks sir*🙏🙏💐👌❤️🙏


[2/9,1:37 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

सही कहा आपने, कथनी और करनी एक जैसी होनी चाहिए, और आपने चिकित्सा परिणामो से सिद्ध भी कर दिया है.. जब मैं शिक्षक बना तो एलोपैथ और आयुर्वेद दोनो ही पढाना शुरु किया, परंतु चिकित्सा सिर्फ आयुर्वेद से किया, कभी aspirin जैसी औषधियां भी नहीं लिखी, न ही स्वर्ण हीरकादि के योग , त्रिकटु आदि से परिणाम मिलने पर रुग्ण में भी आयुर्वेद के प्रति विश्वास बढता गया , और चिकित्सक की नजरिये से चरक संहिता आयुर्वेद दीपिका व्याख्या के साथ पढता रहा . संस्कृत में विशेषज्ञता नहीं है , परंतु बहुत बार पढने से अर्थ समझ में आता है. ECG भी पढानी है , फिर ECG के अनुसार चिकित्सा भी करनी थी , योग पर योग बनते गये और परिणाम मिलते रहे. आपसे मिलने पर देखा की आपके पास औषधि भंडार है और रुग्ण भी असीमित है , फिर भी आप कितने down to earth है , आपसे मिलकर अच्छा लगा.. आभार.. 🙏🙏


[2/9,1:38 AM] Prof.Satyendra Narayan Ojha Sir: 

पथिक पथ पर अग्रसर


[2/9, 1:43 AM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru:

 *Humble words of our great master. And today we are tapping the benefits of your enormous oceanic wisdom dear sir. Your immense multidimensional approach, explanation and interpretation teaches lots of lessons which were hard to learn even during long sessions of schooling. You teach the values of constant and consistent work Guruji and so does Guru Shubhash Sharma sir. SEEING YOU BOTH TYPING AND POSTING AT WEIRD HOURS OF EARLY MORNING INDICATES YOUR PASSION IN AYURVEDA AND AYURVEDA TEACHING. In this post you have pointed out the importance of being a humble student and also use of simple remedies. Thanks is a small word for you people. Blessed*💐🙏🙏❤️


[2/9,1:44 AM] Prof. Satyendra Narayan Ojha Sir: 

Excellent script 👍👏👌
When ever I read पाषाणभेद I find it as पाषाण - litho , भेद - tripsy ➡️ lithotripsy , and I feel that everything is explained in Ayurveda very clinically and simply.. need is to understand and to implement..


[2/9, 1:46 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *बहुत ही बढ़िया सर 👌👌👌*


[2/9, 8:45 AM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

ये शायद उसी तरह से है जैसे शरीर मे दोष हैं, या सिरा है जो के सम्पूर्ण शरीर मे फैले है व जिन्को हम केवल एक खास जगह पर चिन्हित नही कर पाते हैं।
🙏🤔


[2/9, 8:47 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi: 

*अभी तो बहुत कुछ सीखना है आपसे सर, आयुर्वेद के अनेक क्षेत्रों में आपका दृष्टिकोण बहुत व्यापक । सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के साथ आप सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक भी है जिस से कई विषयों को सुगमता से स्पष्ट कर देते है, आपका harrison+चक्रपाणि स्वरूप का पूर्ण लाभ इस पूरे ग्रुप को मिल रहा है।* ❤️🙏


[2/9, 8:47 AM] Dr.Pawan Madan Sir, Jalandhar: 

👏💐👏💐🌹👏💐🌹👏💐🌹

In most of the references Kloma has been decribed in context or in relation with the heart.

Most of the times it has been said to be present near to heart.

👏👏👏👏👏👏



[2/9, 8:52 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma Sir Delhi:

 *इस ग्रुप में अनेक चर्चायें आपके द्वारा पूछे गये प्रश्नों पर चली है डॉ पवन जी, आपने बढ़ी गंभीरता और परिश्रम से आयुर्वेद में PG स्तर के ज्ञान को प्राप्त किया है और आयुर्वेद में आपके ज्ञान और सहयोग को देख कर सदैव ही मन प्रसन्न होता है । ❤️🌹🙏*




*********************************************




Compiled & Uploaded by

Vd. Rituraj Verma
B. A. M. S.
ShrDadaji Ayurveda & Panchakarma Center,
Khandawa, M.P., India.
Mobile No.:-
 +91 9669793990,
+91 9617617746

Edited by

Dr.Surendra A. Soni
M.D., PhD (KC) 
Professor & Head
P.G. DEPT. OF KAYACHIKITSA
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, GUJARAT, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150

Comments

  1. Had come across interesting write up on कूर्म, नाभि, हृदय that had take on हृदय as well as नाभि contrary to current popular usages. Book: नाडी दर्शन by श्री ताराशंकर मिश्र वैद्य (https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.481685) अध्याय ४: नाडी शरीर.

    Discussion here reminded me of above. (which suggests नाभि, हृदय, क्लोम to be related/nearby and क्लोम's critical relation to some fluid)

    I am just a layperson, not trained in any Shastras or even Sanskrit but just wondering if there is any attempt to see if क्लोम relates to नाभि, हृदय as per book above or/and to Cerebrospinal fluid.

    I find discussion among you learned people very helpful and interesting and take this opportunity to thank all you Gurujan once again.

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Case-presentation : 'Pittashmari' (Gall-bladder-stone) by Vaidya Subhash Sharma

[1/20, 00:13] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:  1 *case presentations -  पित्ताश्य अश्मरी ( cholelithiasis) 4 रोगी, including fatty liver gr. 3 , ovarian cyst = संग स्रोतोदुष्टि* *पित्ताश्य अश्मरी का आयुर्वेद में उल्लेख नही है और ना ही पित्ताश्य में gall bladder का, आधुनिक चिकित्सा में इसकी औषधियों से चिकित्सा संभव नही है अत: वहां शल्य ही एकमात्र चिकित्सा है।* *पित्ताश्याश्मरी कि चिकित्सा कोई साधारण कार्य नही है क्योंकि जिस कार्य में शल्य चिकित्सा ही विकल्प हो वहां हम औषधियों से सर्जरी का कार्य कर रहे है जिसमें रोगी लाभ तो चाहता है पर पूर्ण सहयोग नही करता।* *पित्ताश्याश्मरी की चिकित्सा से पहले इसके आयुर्वेदीय दृष्टिकोण और गर्भ में छुपे  सूत्र रूप में मूल सिद्धान्तों को जानना आवश्यक है, यदि आप modern पक्ष के अनुसार चलेंगें तो चिकित्सा नही कर सकेंगे,modern की जरूरत हमें investigations और emergency में शूलनाशक औषधियों के रूप में ही पड़ती है।* *पित्ताश्याशमरी है तो पित्त स्थान की मगर इसके निदान में हमें मिले रोगियों में मुख्य दोष कफ है ...* *गुरूशीतमृदुस्निग...

Case-presentation: Management of Various Types of Kushtha (Skin-disorders) by Prof. M. B. Gururaja

Admin note:  Prof. M.B. Gururaja Sir is well-known Academician as well as Clinician in south western India who has very vast experience in treatment of various Dermatological disorders. He regularly share cases in 'Kaysampraday group'. This time he shared cases in bulk and Ayu. practitioners and students are advised to understand individual basic samprapti of patient as per 'Rogi-roga-pariksha-vidhi' whenever they get opportunity to treat such patients rather than just using illustrated drugs in the post. As number of cases are very high so it's difficult to frame samprapti of each case. Pathyakram mentioned/used should also be applied as per the condition of 'Rogi and Rog'. He used the drugs as per availability in his area and that to be understood as per the ingredients described. It's very important that he used only 'Shaman-chikitsa' in treatment.  Prof. Surendra A. Soni ®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®® Case 1 case of psoriasis... In this ...

Case presentation: Vrikkashmari (Renal-stone)

On 27th November 2017, a 42 yrs. old patient came to Dept. of Kaya-chikitsa, OPD No. 4 at Govt. Ayu. College & Hospital, Vadodara, Gujarat with following complaints...... 1. Progressive pain in right flank since 5 days 2. Burning micturation 3. Dysuria 4. Polyuria No nausea/vomitting/fever/oedema etc were noted. On interrogation he revealed that he had h/o recurrent renal stone & lithotripsy was done 4 yrs. back. He had a recent 5 days old  USG report showing 11.5 mm stone at right vesicoureteric junction. He was advised surgery immediately by urologist. Following management was advised to him for 2 days with informing about the possibility of probable emergency etc. 1. Just before meal(Apankal) Ajamodadi choorna     - 6 gms. Sarjika kshar                - 1 gm. Muktashukti bhasma    - 250 mgs. Giloyasattva                 - 500 mgs...

WhatsApp Discussion Series: 24 - Discussion on Cerebral Thrombosis by Prof. S. N. Ojha, Prof. Ramakant Sharma 'Chulet', Dr. D. C. Katoch, Dr. Amit Nakanekar, Dr. Amol Jadhav & Others

[14/08 21:17] Amol Jadhav Dr. Ay. Pth:  What should be our approach towards... Headache with cranial nerve palsies.... Please guide... [14/08 21:31] satyendra ojha sir:  Nervous System Disorders »  Neurological Disorders Headache What is a headache? A headache is pain or discomfort in the head or face area. Headaches vary greatly in terms of pain location, pain intensity, and how frequently they occur. As a result of this variation, several categories of headache have been created by the International Headache Society (IHS) to more precisely define specific types of headaches. What aches when you have a headache? There are several areas in the head that can hurt when you have a headache, including the following: a network of nerves that extends over the scalp certain nerves in the face, mouth, and throat muscles of the head blood vessels found along the surface and at the base of the brain (these contain ...

WhatsApp Discussion Series:18- "Xanthelasma" An Ayurveda Perspective by Prof. Sanjay Lungare, Vd. Anupama Patra, Vd. Trivendra Sharma, Vd. Bharat Padhar & others

[20/06 15:57] Khyati Sood Vd.  KC:  white elevated patches on eyelid.......Age 35 yrs...no itching.... no burning.......... What could be the probable diagnosis and treatment according Ayurveda..? [20/06 16:07] J K Pandey Dr. Lukhnau:  Its tough to name it in ayu..it must fall pakshmgat rog or wartmgat rog.. bt I doubt any pothki aklinn vartm aur klinn vartm or any kafaj vydhi can be correlated to xanthelasma..coz it doesnt itch or pain.. So Shalakya experts may hav a say in ayurvedic dignosis of this [20/06 16:23] Gururaja Bose Dr:  It is xantholesma, some underline liver and cholesterol pathology will be there. [20/06 16:28] Sudhir Turi Dr. Nidan Mogha:  Its xantholesma.. [20/06 16:54] J K Pandey Dr. Lukhnau:  I think madam khyati has asked for ayur dignosis.. [20/06 16:55] J K Pandey Dr. Lukhnau:  Its xanthelasma due to cholestrolemia..bt here we r to diagno...

WhatsApp Discussion Series 47: 'Hem-garbh-pottali-ras'- Clinical Uses by Vd. M. Gopikrishnan, Vd. Upendra Dixit, Vd. Vivek Savant, Prof. Ranjit Nimbalkar, Prof. Hrishikesh Mhetre, Vd. Tapan Vaidya, Vd. Chandrakant Joshi and Others.

[11/1, 00:57] Tapan Vaidya:  Today morning I experienced a wonderful result in a gasping ILD pt. I, for the first time in my life used Hemgarbhpottali rasa. His pulse was 120 and O2 saturation 55! After Hemgarbhapottali administration within 10 minutes pulse came dwn to 108 and O2 saturation 89 !! I repeated the Matra in the noon with addition of Trailokyachintamani Rasa as advised by Panditji. Again O2 saturation went to 39 in evening. Third dose was given. This time O2  saturation did not responded. Just before few minutes after a futile CPR I hd to declare him dead. But the result with HGP was astonishing i must admit. [11/1, 06:13] Mayur Surana Dr.:  [11/1, 06:19] M gopikrishnan Dr.: [11/1, 06:22] Vd.Vivek savant:         Last 10 days i got very good result of hemgarbh matra in Aatyayik chikitsa. Regular pt due to Apathya sevan of 250 gm dadhi (freez) get attack asthmatic t...

DIFFERENCES IN PATHOGENESIS OF PRAMEHA, ATISTHOOLA AND URUSTAMBHA MAINLY AS PER INVOLVEMENT OF MEDODHATU

Compiled  by Dr.Surendra A. Soni M.D.,PhD (KC) Associate Professor Dept. of Kaya-chikitsa Govt. Ayurveda College Vadodara Gujarat, India. Email: surendraasoni@gmail.com Mobile No. +91 9408441150

UNDERSTANDING THE DIFFERENTIATION OF RAKTAPITTA, AMLAPITTA & SHEETAPITTA

UNDERSTANDING OF RAKTAPITTA, AMLAPITTA  & SHEETAPITTA  AS PER  VARIOUS  CLASSICAL  ASPECTS MENTIONED  IN  AYURVEDA. Compiled  by Dr. Surendra A. Soni M.D.,PhD (KC) Associate Professor Head of the Department Dept. of Kaya-chikitsa Govt. Ayurveda College Vadodara Gujarat, India. Email: surendraasoni@gmail.com Mobile No. +91 9408441150

Case-presentation- Self-medication induced 'Urdhwaga-raktapitta'.

This is a c/o SELF MEDICATION INDUCED 'Urdhwaga Raktapitta'.  Patient had hyperlipidemia and he started to take the Ayurvedic herbs Ginger (Aardrak), Garlic (Rason) & Turmeric (Haridra) without expertise Ayurveda consultation. Patient got rid of hyperlipidemia but hemoptysis (Rakta-shtheevan) started that didn't respond to any modern drug. No abnormality has been detected in various laboratorical-investigations. Video recording on First visit in Govt. Ayu. Hospital, Pani-gate, Vadodara.   He was given treatment on line of  'Urdhwaga-rakta-pitta'.  On 5th day of treatment he was almost symptom free but consumed certain fast food and symptoms reoccurred but again in next five days he gets cured from hemoptysis (Rakta-shtheevan). Treatment given as per availability in OPD Dispensary at Govt. Ayurveda College hospital... 1.Sitopaladi Choorna-   6 gms SwarnmakshikBhasma-  125mg MuktashuktiBhasma-500mg   Giloy-sattv...

Case-presentation: 'रेवती ग्रहबाधा चिकित्सा' (Ayu. Paediatric Management with ancient rarely used 'Grah-badha' Diagnostic Methodology) by Vd. Rajanikant Patel

[2/25, 6:47 PM] Vd Rajnikant Patel, Surat:  रेवती ग्रह पीड़ित बालक की आयुर्वेदिक चिकित्सा:- यह बच्चा 1 साल की आयु वाला और 3 किलोग्राम वजन वाला आयुर्वेदिक सारवार लेने हेतु आया जब आया तब उसका हीमोग्लोबिन सिर्फ 3 था और परिवार गरीब होने के कारण कोई चिकित्सा कराने में असमर्थ था तो किसीने कहा कि आयुर्वेद सारवार चालू करो और हमारे पास आया । मेने रेवती ग्रह का निदान किया और ग्रह चिकित्सा शुरू की।(सुश्रुत संहिता) चिकित्सा :- अग्निमंथ, वरुण, परिभद्र, हरिद्रा, करंज इनका सम भाग चूर्ण(कश्यप संहिता) लेके रोज क्वाथ बनाके पूरे शरीर पर 30 मिनिट तक सुबह शाम सिंचन ओर सिंचन करने के पश्चात Ulundhu tailam (यह SDM सिद्धा कंपनी का तेल है जिसमे प्रमुख द्रव्य उडद का तेल है)से सर्व शरीर अभ्यंग कराया ओर अभ्यंग के पश्चात वचा,निम्ब पत्र, सरसो,बिल्ली की विष्टा ओर घोड़े के विष्टा(भैषज्य रत्नावली) से सर्व शरीर मे धूप 10-15मिनिट सुबज शाम। माता को स्तन्य शुद्धि करने की लिए त्रिफला, त्रिकटु, पिप्पली, पाठा, यस्टिमधु, वचा, जम्बू फल, देवदारु ओर सरसो इनका समभाग चूर्ण मधु के साथ सुबह शाम (कश्यप संहिता) 15 दिन की चिकित्सा के ...