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Herb-presentation: 'Shleshmantak' (cordia dichotomy) by Prof. Arun Rathi

[6/7, 10:17 PM] Vd. Arun Rathi Sir, Akola: 

श्लेष्मातक.                                              
  संस्कृत : श्लेष्मातक- (कफ को बाहर निकालने वाला, फुफ्फुस एवम श्वास नलीका पर कार्य करने वाला ).         
बहुवारक- (बहोत से रोगो पर कार्य करने वाला ).            
हिन्दी : लसोडा, लिसोडा.                                       मराठी : भोकर.                                                  Latin : Cordia Dichotoma.                        English : Indian Cherry, Clammy Cherry, Sebestian Plum.                               
Family : Boraginaceae.                              उपयुक्त अंग : छाल, फल.                              उपयोग : सर्दी, खाँसी, दमा, मूत्राघात, मूत्रदाह, नकसीर, व्रणरोपक, शुक्रवर्धक, त्वचा रोग, किट दंश स्थान पर इसके छाल का लेप करते है ।.                  भारतीयमाल्या प्रदेश का निवासी है । इसका ३० से ४५ फिट ऊँचा, सदाहरीत, बहुवर्षायु वृक्ष होता है। पत्र गोलाकार १ से ५ इंच व्यास के होते है। नई पत्तीया पुष्ठ पर रोमश किन्तु प्रौढ पत्र चिकने होते है । पुष्पमंञ्जरीयों मे छोटे श्वेत वर्ण के, द्विलिंगी,  रात मे खिलने वाले होते है।  फल गुच्छो मे लगते है, कच्ची अवस्था मे हरित वर्ण पकने पर गुलाबी पिले होते है। फल के भीतर का गुदा यह चिपचिपा, पारदर्शक और मधुर होता है। कच्चे फलो का आचार बनाया जाता है।.                                
फल बन्दरो को प्रिय होते है।.                                पत्ते, तितली की प्रजाती Anthopala Micale के Larvae का प्रिय भोजन होता है।.                          सदाहरीत, बहुवर्षायु, छायादार,  किटपंतगो और पक्षीयो को आश्रय एवम भोजन देने वाला, जीस का APTI बहोत अच्छा होने से, इसे School Ground, Open Space,  Playing Grounds के जगह लगाया जा सकता है।.                                          
  *वैद्य. अरुण राठी.*                                  आयुर्लिला पंचकर्म चिकित्सालय,                          पोहरे कॉम्प्लेक्स, तापडीया नगर,                        निसर्ग वैभव, अकोला  🌴🌴

                  लिसोडा,  भोकर वृक्ष

                   लिसोडा पुष्पीत


                        लिसोडा फल


                  लिसोडा पक्व फल


                    लिसोडा शुष्क फल


[6/7, 10:25 PM] Prof.Madhava Diggavi Sir:

 How do you use dry fruits sir...we eat fresh leaves for stomatitis, fresh fruit is sweet and pichila useful in atisara . Nice presentation nice collection. Fruit pulp is used like gum in pasting torn paper

[6/7, 10:29 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *Air Pollution Tolerance Index Of A Plant (APTI).*
स्वंयम वृक्ष की प्रदूषण सहन करने की सहनशक्ति का स्तर ।.                                                                   In brief Pollution depends upon,  Presence of Gases in Various Forms above desirable levels, Particles in Suspension in the Air, Different Ionizing Radiation,Intensity of Noice and Water Contamination with its Total Density Solutes.                                                          Air Pollution Tolerance Index (APTI) is calculated by using the following formula. (Singh and Rai.1983).    APTI = A (T+P)+R / 10.                          
Where - A is Ascorbic Acid. ( mg/gm dry wt).                                                         
 T- Total Chloroform. (mg/gm dry wt).                                                          
 P- ph. of the Leaf Extract.                                                                 
R- Relative Water content of the Leaf.                                                                                 APTI determines the capacity of the plants to reduce pollution .                                                                                                        Features of the Plant to Control Pollution and Higher APTI. :                                             1. Evergreen.                                               2. Large Leaves with Rough Surface.   3. Low Water Requirements.                   4. Minimum Care of Plant.                       5. High Absorption of Pollutants.         6. Resistant to Pollutants.                       7. Agro-Climatic Suitability.                   8. Height and Spread of the Plant.                                                                                       The plants with these Features should be given preference in Plantation.                                                                                                         

[6/7, 10:37 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *I use the dried Fruits of श्र्लेष्मातक  in my own preparation of क्वाथ *कव्टवचादि क्वाथ* which contents कण्टकारीपंचाग, वासा, वचा, गिलोय, उस्तेखद्दुश, कपुरकाचरी, अजवाइन, बिभितक, जुफा, गाँवजबान, बनफशा, गुले बनफशा, गुलेगाँवजबान आदि।*


[6/7, 10:41 PM] Prof.Madhava Diggavi Sir:

 Dhanyawad ji


[6/7, 11:26 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

👌👌👌 इसका अचार भी बढ़ा स्वादिष्ट होता है।*


[6/7, 11:27 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *प्रणाम गुरुवर*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[6/7, 11:29 PM] Dr.shekhar singh rathore

[6/7, 11:29 PM] Dr.Shekhar Singh Rathor: 

लसोड़े का ताजा अचार 😋😋


[6/7, 11:30 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma: 

वाह ! बहुत मजेदार 👌👌 मुख में लालास्राव ला दे ये तो।*


[6/7, 11:37 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *ये आचार हमारे यहाँ भी बनता है*

*लिसोडे के दो प्रजातिया है छोटा और बडा.*

*बडे लिसोडे का आचार बनता है*

*मै औषधी के लिए छोटे लिसोडे का संग्रहण करता हूँ।*


[6/7, 11:40 PM] DR. RITURAJ VERMA: 

यहां इसे गोंदी कहते है सर जी।
अचार भी मस्त लगता है


[6/7, 11:42 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 विदर्भ मे भी इसे गोंदणी  या गोंदण कहते है


[6/7, 11:42 PM] Vd. Sagar M. Bhinde: 

Gujarat me bhi iska aam ke sath, aur akela bhi achar banta he. 
Kacche fal ka aur use boil karke bhi banta he. 
Gujarati me ise Gunda (ગુંદા) kehte he.


[6/7, 11:45 PM] Vd. Sagar M. Bhinde : 

Yaha to gujarat me iska achar (jo ko jyada oil aur masale vala hone ki vajah se) twak rog evam amlapitta ke hetu ke taur pe milna bahut samanya he.


[6/8, 5:44 AM] Vaidya Sanjay P. Chhajed:

 In rajsthan even raw Gunda along with shushka Gunda are used as Sabji. Raw specially during Mango days


[6/8, 8:19 AM] वैद्य नरेश गर्ग:

 Namskar sir . Very useful in vatik kas


[6/8, 8:37 AM] Vd.Shailendra :

 Sir🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ab jab lisorey ki baat chali hi h..to kripyaa iskey bhootVriksh paryaay pr bhi prakaash daal dey...as isko ghar,jansamudaay etc.key aas paas lagaanaa/honaa achaa nahi maanaa jaataa... 🙏🏻🙏🏻🌷🌷


[6/8, 10:55 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 श्लेष्मातक को आचार्य चरक ने विषघ्न गण मे रखा है.
आचार्य भावमिश्र ने इसके निम्न प्रर्याय दिये है. :

# श्लेष्मातक : श्लेष्मा को बारबार बाहर निकालनेवाला.

# बहुवार : अनेक रोगों का निवारण करनेवाला.

# उद्दालक : रोगों को उखाडने वाला.

# शेलु : पुरुष को जीवनदान देने वाला.

# *भूतवृक्षक : आचार्य प्रियवत शर्माजी ने भी इस पर्याय का अर्थ अपने किताब मे नही लिखा है.*

*मुझे यह लगता है इसे भूतवृक्षक कहने निम्न कारण हो सकते है.*
# *इसके पक्व फल यह बन्दरों को बहोत प्रिय होते है और फल पकने पर इस पेड पर बन्दरों के समूह आकर इसके आसपास बहोत ज्यादा हुडदंग मचाते है. इसके पक्व फल संग्रहण करते वक्त भी बन्दरों से सावधान रहना होता है.*

*हो सकता है, तंत्र विद्या मे इसका कोई प्रयोग हो, इसी कारण इसे भूतवृक्षक कहा गया हो.*

गण : विषघ्न.

गुण : स्निग्ध, गुरु, पिच्छिल.


रस :
फल - मधुर.
छाल : कषाय, तिक्त.

विपाक :
फल : मधुर.
छाल : कटु.

वीर्य : शीत.

प्रभाव : विषघ्न.

 Cordia Dichotoma plant's leaves, bark, fruit and seed are widely screened for its it's Phytochemistry and Pharmacology.
It has been reported for possessing anti diabetic, anti ulcer, anti inflammatory, immune- modulator, analgesic, anti viral, anti fungal and anti tussive activities.
*It has been found that it shows presence of pyrolizidine alkaloids, coumarins, flavonoids, saponins, terpenes, and sterols.*
*Chromium present in the fruits has therapeutic value in diabetes.*


[6/8, 11:03 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *""भूतवृक्षक"" का अर्थ तो द्रव्यगुण के आचार्य व्दारा देना अपेक्षित है*
😊😊😊

*वृक्ष का वृक्षारोपण करते वक्त आबोहवा के अलावा उसके उँचाई, उम्र, भूमि की उपलब्धता के अलावा उस पर रहनेवाले जीवजंतु के साथ साथ उसके गुणधर्म एवं फलादि आने पर उसके समीप आनेवाले जानवरों को ध्यान मे रखना चाहिए.*

*श्लेष्मातक को घर के समीप या बस्ती के निकट बन्दरों के कारण नही लगाना चाहिए.*


[6/8, 11:10 AM] Dr.Deep Narayan Pandey :

 डॉक्टर साहब जिन बंदरों से हमारा उद्भव हुआ उन्हीं से दूरी क्यों?😂😂


[6/8, 11:11 AM] Vaidya B.L.Gaud Sir:

 भूतघ्नी   तुलसी
भूतजटा   जटामांसी 
भूतवास:   बहेड़ा
भूतवृक्षक   श्लेष्मातक
भूतावास:    शाखोट


[6/8, 11:17 AM] Prof.Giriraj Sharma  :

 नमस्कार आचार्य श्री,,,
हो सकता है इस वृक्ष में विशेष प्रकार के सूक्ष्म जीव रहते हो जिन्हें सामान्य चक्षुओं से नही देख पा रहे हो,,,,
विशिष्ट तप चक्षु (Mechanical eye ) एवं ज्ञान चक्षु  (Wisdom Eyes )से दिखते हो ।
🌹🌹🌹🙏🏼🌹🌹🌹


[6/8, 11:23 AM] Dr. Surendra A. Soni:

 विस्तार पूर्वक पूर्ण विवरण प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक आभार महामहिम ।
द्रव्यगुण वैज्ञानिकों से ये अपेक्षा थी कि वो एकल ओषधि पर अनुभवयुक्त ज्ञान प्रदान करते ।

प्रणाम ।
🙏🏻🌻


[6/8, 11:24 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 हो सकता है।
इसको आचार्य चरक ने विषघ्न कहा है, 
*हो सकता है की विषयुक्त जीवजन्तुओ को अपनी तरफ आकर्षित करता हो या यह भी हो सकता है अपने समीप के परिसर को विषमुक्त करता हो।*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻


[6/8, 11:25 AM] Dr. Surendra A. Soni: 

नमो नमः गुरुवर्य !!

प्रणाम !!

🙏🏻🌻


[6/8, 11:27 AM] Vd.Ankur Sharma: 

🙏👍


[6/8, 11:27 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *इसीलिए तो मनुष्य यह पर्यावरण के उपयोग की अपेक्षा उसे तहस नहस करने पर तुला है, * खाये कम बर्बाद ज्यादा करता है*
😂😂😂


[6/8, 11:27 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *प्रणाम गुरुवर*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻


[6/8, 11:28 AM] Vd.Shailendra : 

🌷🌷🙏🏻🙏🏻


[6/8, 11:30 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *बिभीतक और श्लेष्मातक दोनों भी दुषीत कफ जो तमो गुण युक्त होता है उसका छेदन कर निर्हरण करते है.*


[6/8, 11:32 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *दुषीत कफ यह क्लेद वर्धन का कारक होकर पुय एवं कृमि पोषक होता है*


[6/8, 11:34 AM] DR. RITURAJ VERMA:

 जी यह कृमिघ्न भी है


[6/8, 11:40 AM] Vd.Shailendra : 

👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻🌷🌷


[6/8, 11:43 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *नमस्कार प्रिय अनुज डॉ सुरेन्द्र !*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻 
*एक छोटे से आयुर्वेद के छात्र को इस तरह के विशेषण से संबोधित ना किया करे.*
*मेरे लिए आप व्दारा भ्राता या भाईसा लिखना ज्यादा उचित होगा*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻


[6/8, 11:44 AM] Dr. Surendra A. Soni: 

🙏🏻🌻😘😊👌🏻👍🏻🙏🏻


[6/8, 12:09 PM] Vd Darshna vyas: 

👌🏻👌🏻👏🏻👏🏻🙏🏻💐


[6/8, 12:13 PM] Vd Darshna vyas:

 हम गुजराती लोग इसे गुंदा कहते है इसका आचार और सब्जी बहुत चाव से खाते हैं । आचार तो पूरे साल का बनाते है । खिचड़ी, भाखरी, रोटी के साथ खाते हैं।


[6/8, 12:15 PM] Vd Darshna vyas: 

बेसन के भुने आटे में सब मसाला डालके उसका stuff गूंदा में भरके बनाते हैं बहुत ही स्वादिष्ट लगता है


[6/8, 12:15 PM] Vd Darshna vyas: 

✅✅✅👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐


[6/8, 12:33 PM] Dr. Satish +91 74057 56160:

 श्लेष्मातक Cordia dichotoma

 श्लेष्मातकः कर्बुदारः पिच्छिलो लेखसाटकः |
 शेलुः शैलुः बहुवारः शापितो द्विजकुत्सितः ||९४||
 श्लेष्मातको हिमः स्वादुः स्याद्रूक्षः पिच्छिलः शुचिः |९५| धन्वन्तरिनिघण्टु – आम्रादिवर्ग
  
 बहुवार
 बहुवारस्तु शीतः स्यादुद्दालो बहुवारकः |
 शेलुः श्लेष्मातकश्चापि पिच्छिलो भूतवृक्षकः ||८७||
 बहुवारो विषस्फोटव्रणवीसर्पकुष्ठनुत् |
 मधुरस्तुवरस्तिक्तः केश्यश्च कफपित्तहृत् ||८८||
 फलमामन्तु विष्टम्भि रूक्षं पित्तकफास्रजित् |
 तत्पक्वं मधुरं स्निग्धं श्लेष्मलं शीतलं गुरु ||८९|| भावप्रकाश-पूर्वखण्ड-मिश्रप्रकरण . आम्रादिफलवर्ग


[6/8, 12:37 PM] +91 74057 56160: 

आम फल विष्ठम्भी है । पिछिल है फुफुस्फ श्वास नलिका में कफ निकलेगा ? रुक्ष फल लेना है ??


[6/8, 1:28 PM] Dr. Satish Jaimini: 

श्लेष्मातक का एक प्रयोग rectal prolepse में है पत्र भस्म को घृत के साथ लगाना है
अग्निदग्ध व्रण में भी नारियल के तेल को लगाकर इस भस्म का अवधूलन करने से शीघ्र व्रण रोपण होता है


[6/8, 1:39 PM] Dr. Satish Jaimini:

 पक्व फल ही श्लेष्म निस्सारक है आचार्य अपक्व जिसका अचार बनाते हैं वह भी यदि मसालों का सममिश्रण नहीं हो तो विष्टम्भी होता है कुछ समय बाद लवण मरिच आदि के संयोग से अनुलोमन करता है इसमें भी फल पक्व ही लिए जाएं तो अच्छा है


[6/8, 1:42 PM] Dr. Satish Jaimini: 

ग्रीष्म ऋतु के होने वाले प्रतिश्याय ओर वातिक कास में इसका अच्छा प्रभाव है लवुक सपीसतां इसका प्रचलित ओर प्रभावी योग है🙏🏻🙏🏻


[6/8, 1:43 PM] Vd.Shailendra :

 परम गुरुदेव को दण्डवत प्रणाम🧎🏻‍♂️🧎🏻‍♂️आपश्री की थोड़ी अनुकम्पा से भूत इस शब्द की(द्र०यगुण के संदर्भ में)  थोड़ी व्याख्या प्राप्त हो जाए तो हम सभी धन्य होंगे 🌷🌷🙏🏻🙏🏻


[6/8, 1:43 PM] Dr. Satish Jaimini: 

इसको उबालने के बाद एरण्ड स्नेह के समान गन्ध आती है इसलिए पीने में कुछ अरुचिकर होता है


[6/8, 1:44 PM] वैद्य नरेश गर्ग: 

Namskar acharya . 🙏 Kya tail Ka pryog bhi Karna hai Sath me


[6/8, 1:47 PM] Dr. Satish Jaimini:

 आचार्य तैल तो बहुत जरूरी है आचार में यद्यपि मेरे गाँव टोडाभीम के एक मियाजी कैरी का आचार बनाते हैं जो बिना तैल का ही होता है और उसकी बहुत demand रहती है स्वादिष्ट भी बहुत होता है जयपुर के अधिकतर बड़े अधिकारी उसके शौकीन हैं


[6/8, 1:53 PM] Dr.Amit Mahajan:

 लिसोड़े की चटनी यहां प्रतिश्यय एवं कास में बहुत उपयुक्त होती है।

[6/8, 2:40 PM] Dr.Shekhar Singh Rathore :

 लसोड़े का अचार थोड़े तैल में, अधिकांश पानी मे भी डाला जाता है।।

यद्यपि इसकी आयु कम होती है।।


[6/8, 2:41 PM] Dr.Shekhar Singh Rathore Jabalpur: 

इसमे मुश्किल से 5% तैल है।।


[6/8, 3:22 PM] Prof.Lakshmikant Dwivedi :

Bhootadruma(Pu.)=Shleshmatakavraksha
Bhootanashana(na.)=Rudraksha,
Bhootanashana(Pu.)=Bhallatak sarsjapa.
Bhootapatri(Stri.)=Tulasi,
Bhootamani(Stri.)=Cida. Saralniryasa.
Bhootari(na.)=Hingu.🙏


[6/8, 3:50 PM] Vd.Shailendra : 

🙏🏻🙏🏻🌷


[6/8, 6:39 PM] Prof.Lakshmikant Dwivedi :

 Aur bhi dekhiye bahut mile ge.🙏😊


[6/8, 7:00 PM] Vd.Shailendra : 

🙏🏻🙏🏻Sir bhoot (dravya gun mey)shabd sey kyaa samjhen....


[6/8, 7:02 PM] Prof.Lakshmikant Dwivedi :

 Bahvarthak hai Rasa ki tarah. reference batave intermention mile ga.


[6/8, 7:06 PM] Vd.Shailendra : 

भूतघ्नी   तुलसी
भूतजटा   जटामांसी 
भूतवास:   बहेड़ा
भूतवृक्षक   श्लेष्मातक
भूतावास:    शाखोट


[6/8, 7:08 PM] Vd.Shailendra : 

Sir...भूत वृक्षक ,भूतवास,भूतावास,से क्या समझे 


[6/8, 7:13 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 मेरे इस लेख मे लिखे शब्दो *भृतवृक्षक : आचार्य प्रियवत शर्माजी ने भी इस पर्याय का अर्थ अपनी किताब में नही लिखा* के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.

*सुबह मैने केवल आचार्यजी की हिन्दी मे लिखी "द्रव्यगुण विज्ञान vol.2 को ही ref. किया था.*
*आचार्य प्रियवत शर्मा व्दारा लिखी "नामरुपी विज्ञान मे इस पर्याय पर लिखा हुआ है.*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻

                         *नाम रुपी विज्ञान*                                          *आचार्य प्रियवत शर्माजी*

[6/8, 7:15 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola: 

श्लेष्मातक : भूतवृक्षक.*
*भूतवृक्षक ; इति पाठे, भूतानामवासो वृक्षक इति।*
नाम रुपी विज्ञान.
लेखक : आचार्य प्रियवत शर्मा.

# कोकिला (कोयल), ब्राम्हणी मैना, जंगली मैना, बुलबुल, तोता, कोतवाल आदि पक्षी एवं तितली से लेकर बहोत से कीटकों का यह वृक्ष आश्रयस्थल और पोषक होता है.

# गर्मियों में पुष्पित होने से मधुमक्खियों के लिए गर्मियों मे षोषक रस प्रदान करता है.

# इसके षुष्प रात्री मे खिलते है और समीपस्थ वातावरण में मन्द सुगन्ध को प्रवाहित करत है, अनेक पक्षी इस वृक्ष पर रहने वाले सुक्ष्म कीटपतंगो को खाने के लिए इस वृक्ष की ओर आकर्षित होते है.

# वर्षा ऋतु के आरंभ मे इसके फल पकने लगते है, जो बन्दरों एवं गिलहरी  का प्रियखाद्य होता है. इसका मराठी मे एक पर्यायी नाम *"माकडमेवा"* भी है.

# इसका मराठी मे एक पर्यायी नाम *"बुरगुंडा"* भी है, *बुरगुंडा मूलतः तेलुगु शब्द है, अर्थ होता है भूतों का खाद्य.*
बुरगुंडा का अर्थ मराठी मे *"पुत्र या आपत्य""* भी होता है. बुरगुंडा का अर्थ मराठी मे *"ज्ञान"* भी होता है.
*सो मराठी मे बुरगुंडा इस पर्यायवाची शब्द से अभिप्रेत अर्थ यह है की ""जैवविविधता कि वंशावली"" को पोषित करने मे यह वृक्ष अनमोल योगदान प्रदान करता है*

# *इसिलए इस वृक्ष को भूतवृक्षक कहा गया हो.*

# *बहोत सारे जीवों का आश्रयदाता होने से मनुष्य एवं जानवर, पक्षी कीटपतंग एक दुसरे को हानीकारक ना हो इसी वजह से यह रुढि विकसित हुई हो की वृक्ष को घरों या बस्तियों से दुर रखा गया हो.*

[6/8, 8:05 PM] Vd.Shailendra : 

👌🏻👌🏻आपश्री जैसी व्याख्या दे रहें है,उत्तम है,,परन्तु हम भूत शब्द पर केन्द्रित न होकर उसे जीव श्रृंखला से जोड़ रहें हैं,,भूतानाम वासो से तो जहां भूत,प्रेत वास करते हों यही स्पष्ट हो रहा है ,,,और भूत प्रेत को आचार्यों ने भी अष्टांग आयुर्वेद का अभिन्न अंग माना है,,,यदी कुछ अनुचित कहा हो तो क्षमस्व हूं,,,🙏🏻🙏🏻🌷🌷


[6/8, 8:19 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *मान्यवर आप का इस पर्याय वाची शब्द पर चिंतन भी लिखे.*
*क्या आयुर्वेद मे भूत शब्द का प्रयोग केवल भूत प्रेत के लिए ही हुआ है....???*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻


[6/8, 8:27 PM] Vd.Shailendra :

 गुरुदेव ! 
द्रव्यगुण मे तो भूत शब्द तंत्र , paranormal,वस्तु से ही संबंधित लग रहा है,जैसे भूतकेशी,भूतघ्नी,etc🙏🏻🙏🏻


[6/8, 8:33 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 अच्छा तो फिर क्या मतलब होगा भूतकेशी, भूतघ्नी और भूतवृक्षक का।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻


[6/8, 8:35 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 द्रव्य गुण मे क्या आहारीय और औषधी द्रव्यों का वर्णन नही मिलता है.


[6/8, 8:48 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 आचार्य श्री गोविंद भास्कर घाणेकर जी द्वारा विरचित वैद्यकिय सुभाषित मे अन्न की निरुक्ति पढणे योग है।


[6/8, 8:49 PM] Vd.Shailendra : 

🙏🏻🙏🏻गुरुदेव,
पर्याय नाम देने से उस द्र०य की अलग विशेषता दृष्टिगोचर होती है,,भूत प्रेत यह मुख्यतः मादक गंध पर आकर्षित होते है,,तो अनेक मादक गंध वाले वृक्षों पर इन negative energies का आकर्षण स्वभाविक है, लोकाचार में भी तीक्ष्ण  गंध लगा कर, रात को बाहर जाना वार्जित करते है,,, तंत्र मे भी, इत्र का उपयोग बलि क्रिया के  लिए किया जाता है,, विषय गहन है, मेरा मंतव्य केवल इन विशेष वृक्षों/वनस्पतियो को जनावास के पास न लगायें,, यही था,, 
धन्यवाद🙏🏻🙏🏻🌷🌷


[6/8, 8:57 PM] Dr. Satish Sharma:

 रसप्रधानम आहर वीर्य प्रधानम औषधम्


[6/8, 8:58 PM] DR. RITURAJ VERMA:

 आपका चिंतन क्या है वह भी बताये  सर !



[6/8, 8:59 PM] Vd.Shailendra : 

🙏🏻🙏🏻गुरुदेव भूतकेशी,, भूत के केश सादृश्य,,,जटामांसी को बिल्लीलोटन भी कहा है, बिल्ली भी तंत्र से संबधित ही है और वो जटामांसी में लोटती है यह भी बहुतों ने देखा होगा,,, भूतघ्नी,,, तुलसी का  पर्याय है इसकी उग्र गंध और देवताओं से नजदीकी इसे भूतघ्नी बनाती होगी ,तभी इसे घर के अंदर स्थान दिया है,,, भूतवृक्षक,, तो clear ही है 🙏🏻🙏🏻


[6/8, 9:03 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 भूत के केश कैसे होते है ?
🙏🏻🙏🏻🙏🏻


[6/8, 9:06 PM] Vd.Shailendra : 

जी सर,
तंत्र विद्या पर चर्चा बहुत कम होती है।  हमारा एक अभिन्न  और सशक्त tool अनुपयोगी पड़ा है,,परमआदरणीय सुभाष शर्मा सर का अनुभव है इस विद्या का,,,


[6/8, 9:07 PM] Vd.Shailendra : 

सर जैसी जटामांसी होती है,,तभी तो पर्याय दिया है🙏🏻🙏🏻


[6/8, 9:27 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:
                    वैद्यकिय सुभाषित.


[6/8, 9:29 PM] DR. RITURAJ VERMA: 

🙏🙏🙏🙏


[6/8, 9:30 PM] Vd.Shailendra : 

🙏🏻🙏🏻🌷🌷


[6/8, 9:33 PM] Vd DARSHAN KUMAR PARMAR: 

👌
Sir
Can u plz share whole book in pdf???


[6/8, 9:36 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

मैने तो तंत्र मंत्र को मानस रोग चिकित्सा का केवल साधन माना है.
यह मेरा अपना मत है।
भूत को तो मैने देखा नही। तो उसके केश कैसे होगे यह नही जानता।


[6/8, 9:37 PM] Dr.Sharad Chandra Trivedi MD,Phd(RSBS) : 

भूत से अभिप्राय यहाँ व्यक्ति से होना चाहिए


[6/8, 9:39 PM] Dr.Sharad Chandra Trivedi MD,Phd(RSBS) : 

भुतघ्नी जीवाणु, विषाणुरोध

[6/8, 9:40 PM] Vd.Shailendra : 

बिल्कुल सही सर, जिस ०याक्ति में भूत प्रवेश कर गया हो शायद उसके केश ऐसे हो जाते हों
🙏🏻🙏🏻


[6/8, 9:42 PM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *आपने यह अच्छी जानकारी दि है, गुरुवर सुभाषजी से तंत्र मंत्र और भूतविद्या पर फुर्सत मे ज्ञानार्जन करुगाँ.*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻


[6/8, 9:58 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir : 

भूत व्याधि
ग्रह बाधा
कृमि 
भूत परिपेक्ष्य में इस सन्दर्भ में,,,,

जिसका अस्तित्व है परंतु इन्द्रिय द्वारा ग्रहण नही हो पाये । उन्माद भूतोन्माद

जिनका अस्तित्व है परन्तु उसके लक्षणों से उसे पहचाना जाए । बाल रोग ग्रह बाधा 


कृमि 
जो भूत एवं ग्रह पूर्णतया जान लिए गए तो उन्हें कृमि कहा जा सकता हैं।

उदाहरण 
Schizophrenia disorder को भूत व्याधि कहा जाता था उसके unknown cause के कारण परन्तु अब शोध में पाया गया है यह विशेष प्रकार treponeme- pallidum  कृमि से होता है ।

भूत शब्द यहां सूक्ष्म जीव से लेना चाहिए ,,,,
जो वृक्षो में पाए जाते है जो वृद्धिकारक एवं पोषक भी होते है एवं वृक्ष नाशक भी,,,,,,
उनके नाम मे उनके लक्षण है 

सर्व भूत 
अदृश्य भूत  संज्ञक

सूक्ष्मदृश्य भूत  सूक्ष्म शरीर  


स्थूल दृश्य भूत  कृमि इन्द्रिय ग्राह्य

एक सूक्ष्म प्रयास
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌷🙏🏼🙏🏼🙏🏼


[6/8, 10:00 PM] Dr.Pankaj Chhayani :

Schizophrenia -treponema pallidum से होता है?


[6/8, 10:01 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 सम्भवत कृमि का यही नाम है स्मृति में ,,,

[6/8, 10:07 PM] Dr. Pawan Madan: 

अरुण जी
आपने कल से समां बांध रखा है।
लिसोडा के बारे मे आपके द्वार दी गयी जानकारी संग्रहनीय है।

ध्यान मे आ रहा है के शायद कहीं संहिता मे इसको निशकृश्ततम कहा गया है, 🤔
ठीक से ध्यान मे नहीं।

[6/8, 10:11 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 उस कृमि का नाम की जानकारी दीजिये इस विषय पर पूर्व में भी चर्चा हुई थी 
Schizophrenia के बारे में जब आचार्य ओझा जी थे तो भूत एवं कृमि की चर्चा भी हुई थी ।


[6/8, 10:11 PM] Dr. Pawan Madan: 

वाह अरुण जी


[6/8, 10:11 PM] +91 95613 91758:

 Syphilis..treponema pallidum

Schizophrenia .. Dopamine/ serotonin🙏


[6/8, 10:13 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 आदरणीय schizophrenia के बारे में कुछ रिसर्च हुई है जिसमे इनका विशेष कारण बताया है ।


[6/8, 10:13 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 उस कृमि का नाम,,,,


[6/8, 10:15 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 New research into how a common parasite infection alters human behaviour could help development of treatments for schizophrenia and other neurological disorders.


[6/8, 10:23 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir :

 Parasite-schizophrenia connection: One-fifth of schizophrenia cases may involve the *parasite T. gondii*


[6/8, 10:28 PM] Prof.Giriraj Sharma Sir : 

A number of studies have suggested that subtle behavioral or personality changes may occur in infected humans,[23] and infection with the parasite has recently been associated with a number of neurological disorders – particularly schizophrenia[9] and bipolar disorder.[24][25]


[6/8, 10:41 PM] Dr. Pawan Madan: 

🙏🙏🙏

*आयुर्वेद मे जीवन, विज्ञान, दर्शन, चिकित्सा वा अन्य बहुत कुछ है।*

*एवं इन को इंगित करने के लिये बहुत हो खास रूप से शब्दों का प्रयोग किया गया है।*

*किसी भी शब्द की व्याख्या के लिये केवल व्याकरण ही उत्तर नही देता बल्कि उस शब्द का प्रयोग कहां किया गया है, वह उत्तर देता है।*

*इसिलिए तंत्र युक्तियों का प्रयोग करना आवश्यक है।*

*भूत शब्द का प्रयोग भी इसी तरह से है।*

*कहीं पर इसका सीधा अर्थ है जैसे उन्माद के संदर्भ मे भूत प्रेत (हालांकी इसकी वक अलग व्याख्य हो सकती है)*
या
*जैसे भूतजटा जटामांसी के लिये, यहां केवल अलंकार रूप से भूत शब्द का प्रयोग है, जैसे लोक भाषा मे भूत को एक अजीब लम्बे बालो वाल प्रेत माना जाता है, ये सिर्फ जटामांसी का स्वरूप बताने के लिये है।*

*इसी तरह भूत्घनी का अर्थ germs का नाश करने वाली*
या 
*भूतवास का अर्थ ये के उस पर बहुत से कीटो का वास होता है।*

*इसलिये सब नव वैद्यों से प्रार्थना है की किसी भी शब्द को इसी यरह स्व समझे व confuse ना होवैं।*

🙏🙏🙏🙏


[6/8, 10:42 PM] Dr. Pawan Madan: 

Very interesting...
Will need to search more..

Thanks Giriraj Ji.


[6/8, 10:48 PM] Dr.Rajeshwar Chopde: 

It's Right

[6/8, 10:50 PM] Dr.Rajeshwar Chopde:

 Vaise bhi hamara sidhant hai.. Sarva dravyaman panchbhutikam asmin arthe

[6/8, 10:53 PM] Dr. Pawan Madan: 

🙏🙏🙏💐


[6/8, 10:55 PM] Dr. Pawan Madan: 

Yes it is true...

I have searched a lobg way to find the cause of schizophrenia till now...
No any krimi.

Even this dpomine serotonin theory is not expalining the condition much..


[6/8, 10:56 PM] Dr. Pawan Madan: 

Lets search this...


[6/8, 10:57 PM] Dr. Pawan Madan:

 It will be very fruitful if this works...


[6/8, 11:22 PM] Dr. Pawan Madan:

 Very interesting.

शलेशमातक को चरक ने सूत्र 25 मे इसे विरूक्षण करने वाले द्रव्यों मे सर्वश्रेष्ठ कहा है, जबकी ये स्निग्ध गुरु पिच्छिल शीत वीर्य मधुर विपाक वाला है।

आपका क्या अनुभव है ?


[6/9, 1:01 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 श्लेष्मातक का वर्णन इसमे नही है.
यहाँ पर *उद्दालकान्नं विरुक्षणीयानाम्* यह है.

आचार्य चक्रपाणि : *उद्दालको वनकोद्रव*


[6/9, 1:25 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *नमस्कार पवन जी ❤️🙏 भूत के विभिन्न नाम इस प्रकार भी है ..*
*1- मूल भूत - सृष्टि के कारण द्रव्य पृथ्वी, जल ,तेज,वायु और आकाश*
*2- भूतदया - इस सृष्टि में जड़, चेतन,चर,अचर द्रव्यों या प्राणियों के साथ की जाने वाली दया के संदर्भ में प्रयोग होता है।*
*3- प्राण *
*4- सत्य*
*5- वृत्त*
*6- कार्तिकेय*
*7 - योगेन्द्र*
*8 - औषधियों के नाम*
*परम आदरणीय गौड़ सर के अनुसार ...*
*भूतघ्नी   तुलसी*
*भूतजटा   जटामांसी *
*भूतवास:   बहेड़ा*
*भूतवृक्षक   श्लेष्मातक*
*भूतावास:    शाखोट*

*आदरणीय आचार्य लक्ष्मीकान्त द्विवेदी जी अनुसार...*

*Bhootadruma(Pu.)=Shleshmatakavraksha.*
*Bhootanashana(na.)=Rudraksha,*
*Bhootanashana(Pu.)=Bhallatak sarsjapa.*
*Bhootavraksha(Pu.)=Dhakhotaka *
*vraksha,shyonakavraksha.*
*Bhootapatri(Stri.)=Tulasi*
*Bhootamani(Stri.)=Cida. Saralniryasa*
*Bhootari(na.)=Hingu*

*9- लोध्र*
*10 - कृष्ण पक्ष*
*11 - पौरवी से उत्पन्न वासुदेव के 12 पुत्रों में सब से बढ़ा पुत्र*
*12- भूतकाल - जो समय चला गया*
*13- रूद्र के अनुचर जिनका मुंह नीचे लटका या उपर उठा होता है, ये पिशाच संज्ञक भी है।*
*14- मृतक*
*15- मृतक की आत्मा*
*16- उपद्रवी और कष्टदायी आत्माये*

*इसके अतिरिक्त खोजने चलते हैं तो प्रयोजन के अनुसार भूत संज्ञक और भी प्राप्त होंगे।*


[6/9, 1:26 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 *प्रणाम गुरुवर*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻


[6/9, 1:27 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *नमस्कार प्रो. राठी जी ❤️🙏*


[6/9, 1:29 AM] Vd.Arun Rathi Sir ,Akola:

 एषणा टिका : जंगलीकोदो.

*यह एक प्रकार का भगर होता है, इसे जंगली भगर के चावल भी कहते है.*

[6/9, 1:32 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *भल्लातक को आचार्य लक्ष्मीकान्त द्विवेदी जी ने भूतनाशना कहा है, एककुष्ठ - किटिम कुष्ठ पर हम विभिन्न रोगियों के updates देते रहते है, इसका इस रोग में बहुत अच्छा परिणाम है। इसका अभिप्राय भूत संज्ञक औषध सूक्ष्म स्रोतस तक अवश्य पहुंचती है, कुछ का कार्य मनोवाही स्रोतस पर भी है।* 👇🏿

*13 मार्च को रोगी आया था एक महीना औषध ली और लॉकडाऊन के कारण त्याग दी, प्रमुख औषध भल्लातक ही रही।*


[6/9, 1:35 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *औषध बीच में ही त्याग देने के बाद भी आज रोगी की स्थिति इस प्रकार मिली।* 👇🏿


[6/9, 1:39 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *आज चिंतन और कार्य की एक नवीन दिशा मिली कि जिन औषध द्रव्यों के साथ भूत शब्द जुड़ा है वे साधारण नही विशिष्ट कार्यकारी द्रव्य ही हैं।*


[6/9, 5:24 AM] Vd.Ankur Sharma: 

🙏🌹💐🕉️👌👌👌


[6/9, 5:26 AM] Vd.Ankur Sharma:

 Namaste sir🙏
Would you tell me preparation & dose bhallatak given in this case...
🙏🙏


[6/9, 6:13 AM] Dr. Pawan Madan: 

Good mng Arun ji.

Shleshmaatak ka ek naam UDDAALAK.

Bhaavprakash

Aapne 10.55 pm ke msg me bataaya.

🙏


[6/9, 6:14 AM] Dr. Pawan Madan: 

प्रणाम एवं चरण स्पर्श गुरु जी।
💐🙏💐


[6/9, 6:18 AM] Dr.Ramakant Sharma :

 श्लेष्मान्तक अन्न है क्या ?
यदि अन्न है तो विरूक्षणीय में अग्र्य है , यदि अन्न नही है तो विरूक्षणीय में अग्रय, उद्दालक ही है जो अन्न है, श्लेष्मातक नही जो वनस्पति का फल है वृक्ष का फल है फल वर्ग का है अन्न वर्ग का नही है !

पवन जी ।


[6/9, 6:23 AM] Dr.Ramakant Sharma : 

जब कभी भी, ऐसा प्रश्न आए की एक द्रव्य, शारीरिक या वानस्पतिक या खनिज या शरीर क्रिया के अनेक पर्याय वाची हों जिनसे अर्थ की भिन्नता हो जैसे की इस प्रसंग में, इस परिस्थिति में तत्व ज्ञान की विधि मधुकोश में ज्यादा स्पष्ट है जहा पर्यायवाची के माध्यम से निदान पूर्व रूप आदि के माध्यम से, किसी तत्व, प्रक्रिया आदि की परिभाषा बताई गई है, चरक में भी ये सब आए है, कृपया एक बार उन सभी प्रसंगों को स्वयं पढ़ लेंगे तो यह प्रश्न जीवन में दुबारा नहीं आएगा ।


[6/9, 6:27 AM] Dr.Ramakant Sharma :

 इसका आधार है* न हि ज्ञान अवयववेन ज्ञेये
कृत्स्नं .. विज्ञानम् उत्पध्यते* ,


[6/9, 6:50 AM] Vd.Shailendra : 

🧎🏻‍♂️🧎🏻‍♂️🌷🌷
.गुरुदेव .
आपका यह निर्णय ,,भूत पर , कल से हो रही चर्चा का पोषक है,भूत शब्द यहां विशेषण है,🙏🏻🙏🏻


[6/9, 6:59 AM] Dr. Pawan Madan: 

प्रणाम व चरण स्पर्श गुरु जी।

बहुत बहुत धन्यवाद।
हर एक पर्याय का भी अर्थ संदर्भ के अनुसार ही लेना है।
सर्वदा ध्यान रखुन्गा।
🙏🙏🙏


[6/9, 7:21 AM] Dr.Ramakant Sharma : 

कोई इस तरह की समस्या दुबारा  आएगी   नही ,
आप तो स्वयं विद्वान है 
🙏🙏


[6/9, 7:40 AM] Dr. Mukesh D Jain, : 

भूत विद्या (ग्रह चिकित्सा ज्ञान) आयुर्वेद चिकित्सा का एक अंग  है। यह प्रत्यक्ष रूप से अज्ञात कारणों से होने वाले रोगों के निदान के लिए प्रयुक्त किया जाता है। यह मुख्यतः मानव के मानसिक विकारों को ठीक करने के लिए काम में लिया जाता है। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी  में *भूत विद्या* में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने किया गया जो की कोर्स साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर से संबंधित है।


[6/9, 7:42 AM] Dr. Mukesh D Jain, : 

Mental health in Ayurveda is defined in terms of Tamas, Rajas, and Sattva which are equivalent to various parasympathetic and sympathetic states of mind. Now everybody is agreed mental illness are growing in a pandemic pattern and there is a dire need for expertise to treat mental illnesses. There are many resources in Ayurveda that should be explored for their efficiency in the treatment of psychosomatic disorders. Tulsi, Jatamansi, and Bhallatak are useful to bridge treatment of Sattva, Tama, and Raja doshas.


[6/9, 8:41 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *अंकुर जी, भल्लातक 65 mg तक सभी को प्राय: सात्म्य ही रहता है कुछ विशेष पित्त प्रधान रोगियों को अगर छोड़ दें तो, और दीर्घ काल तक भी हम देते है तो urine routine और KFT करा लेते है।*

*इस 65 mg की अलग अलग द्रव्यों के साथ टैबलेट बना रखी है जैसे भल्लातक 65 mg और शेष सारिवा मिलाकर भल्लातक सारिवा वटी, मंजिष्ठा मिलाकर भल्लातक मंजिष्ठा वटी  , ऐसे ही कुटकी, कुचला-गुग्गलु- विषतिन्दुक मिलाकर अलग योग।*

*PCOD में मेदस्वी या fatty liver की रूग्णाओं को भल्लातक कुटकी वटी, hypothyroidism में भल्लातक गौमूत्रहरीतकी, आजकल ग्रीष्म में भल्लातक सारिवा या मंजिष्ठा का प्रयोग अधिक कर रहे है। सारिवाके विषय  में जैसा एक बार आचार्य गिरिराज जी ने स्पष्ट किया था कि इसमें natural sterroids है यह सही में बहुत उपयोगी है।*


[6/9, 8:45 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *इस से हमारा कार्य बहुत minimum औषध देने से तो चलता ही है और जो रोगी विदेश से आते हैं तो 5-6 महीने की औषध ले जाते है जिस से उन्हे भी सरलता रहती है।*

*आपको कहीं भटकने की आवश्यकता नही, प्रो.चुलेट सर, प्रो.दीप पाण्डेय जी, वैद्य विश्वासु गौड़ जी, प्रो.अरूण राठी जी आपका सारा कार्य कर देंगे।


[6/9, 8:49 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma:

 *सुप्रभात रमाकान्तसर, 
आप संस्कृत के भी प्रकाण्ड विद्वान है, आपको पढ़ना ज्ञान+आनंद दोनों का अद्भुत मिश्रण है।*  

🌺💐🌹🙏























**************************************************************************




Above herb presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp group  of  well known Vaidyas from all over the India. 





Presented by-










Prof. Vd. Arun N. Rathi
 H. O. D. 
Dept. of Kriya Sharir
Dr. V. J. D.Gramin Ayurved College, 
Patur, Dist. Akola, Maharashtra India.

Member :-
Pre Clinical Board, Faculty of Ayurveda, Maharashtra University of Health Sciences, Nashik.

Clinic : -
Ayurleela Panchkarma Chikitsalaya, Pohare Complex, Tapadiya Nagar Akola,  444005 
( MS ).

Time  : -
Mon. to Sat. 7:00 p.m. to 9:30 p.m.
Sunday 10:00 a.m. to 2:00 p.m.
Mob. :  094 23162 555

email : vaidyaarunrathi@ gmail.com


Comments

  1. Is jaankaari ke like boutique dhanyawad��

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  2. Nice informative blog ,Arunji

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  3. Very scientific and useful discussion

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  4. Very scientific and useful discussion

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  5. Prof. Dr. Arunji Rathi, we all know you in Akola dist. ( M.S.) not only as Ayuvedic Physician but also as an Eminent Environment Lover. Since last 5 - 6 yrs you are working with us in our ""NISRAG VAIBHAV, AKOLA."" group.
    Your passion towards plants is inspiration for all of us and you always gives us Scientific Knowledge, Medicinal Uses and Ecological Importance of various Plants.
    Thanks for providing this link which is amazing to learn scientific details of लिसोडा.

    ReplyDelete
  6. Very nice information.

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  7. प्रो.डाॅ. अरुण जी राठी सर आप की प्रेरणा से हम लोग ने निसर्ग वैभव, आकोला द्वारा आकोला में बहोत से वनौषधी के पोने लगाते हैं। उपरोक्त ब्लाग के माध्यम से गोदंती वृक्ष की वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त हुई। धन्यवाद

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  8. अमोल चवरे अकोला

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This is a c/o SELF MEDICATION INDUCED 'Urdhwaga Raktapitta'.  Patient had hyperlipidemia and he started to take the Ayurvedic herbs Ginger (Aardrak), Garlic (Rason) & Turmeric (Haridra) without expertise Ayurveda consultation. Patient got rid of hyperlipidemia but hemoptysis (Rakta-shtheevan) started that didn't respond to any modern drug. No abnormality has been detected in various laboratorical-investigations. Video recording on First visit in Govt. Ayu. Hospital, Pani-gate, Vadodara.   He was given treatment on line of  'Urdhwaga-rakta-pitta'.  On 5th day of treatment he was almost symptom free but consumed certain fast food and symptoms reoccurred but again in next five days he gets cured from hemoptysis (Rakta-shtheevan). Treatment given as per availability in OPD Dispensary at Govt. Ayurveda College hospital... 1.Sitopaladi Choorna-   6 gms SwarnmakshikBhasma-  125mg MuktashuktiBhasma-500mg   Giloy-sattv...

Case-presentation: 'रेवती ग्रहबाधा चिकित्सा' (Ayu. Paediatric Management with ancient rarely used 'Grah-badha' Diagnostic Methodology) by Vd. Rajanikant Patel

[2/25, 6:47 PM] Vd Rajnikant Patel, Surat:  रेवती ग्रह पीड़ित बालक की आयुर्वेदिक चिकित्सा:- यह बच्चा 1 साल की आयु वाला और 3 किलोग्राम वजन वाला आयुर्वेदिक सारवार लेने हेतु आया जब आया तब उसका हीमोग्लोबिन सिर्फ 3 था और परिवार गरीब होने के कारण कोई चिकित्सा कराने में असमर्थ था तो किसीने कहा कि आयुर्वेद सारवार चालू करो और हमारे पास आया । मेने रेवती ग्रह का निदान किया और ग्रह चिकित्सा शुरू की।(सुश्रुत संहिता) चिकित्सा :- अग्निमंथ, वरुण, परिभद्र, हरिद्रा, करंज इनका सम भाग चूर्ण(कश्यप संहिता) लेके रोज क्वाथ बनाके पूरे शरीर पर 30 मिनिट तक सुबह शाम सिंचन ओर सिंचन करने के पश्चात Ulundhu tailam (यह SDM सिद्धा कंपनी का तेल है जिसमे प्रमुख द्रव्य उडद का तेल है)से सर्व शरीर अभ्यंग कराया ओर अभ्यंग के पश्चात वचा,निम्ब पत्र, सरसो,बिल्ली की विष्टा ओर घोड़े के विष्टा(भैषज्य रत्नावली) से सर्व शरीर मे धूप 10-15मिनिट सुबज शाम। माता को स्तन्य शुद्धि करने की लिए त्रिफला, त्रिकटु, पिप्पली, पाठा, यस्टिमधु, वचा, जम्बू फल, देवदारु ओर सरसो इनका समभाग चूर्ण मधु के साथ सुबह शाम (कश्यप संहिता) 15 दिन की चिकित्सा के ...