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WDS 76: UNDERSTANDING THE ACTION OF PANCHATIKTA-GHRITA-VASTI IN ASTHIKSHAYA (OSTEOPOROSIS) by Prof. Deep Narayan Pandey, Dr. D. C. Katoch, Vd. Raghuram Shastri, Dr. Pawan Madaan, Prof. Saadhana Babel, Prof. Giriraj Sharma, Dr. Ajay Singh, Dr. Shashi Jindal, Vd. Vidyadheesh Anantacharya Kashikar, Dr. Divyesh Desai & Others.

[12/6, 10:10 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

*एक प्रश्न है जहां मैं फंस गया हूं इस शोध पत्र को पढ़कर जिसकी लिंक यहां पर दे रहा हूं। इसमें ओस्टियोपोरोसिस को ठीक करने के लिए पंचतिक्त घृत की बस्ती का प्रयोग किया गया। प्रश्न यह है कि पंचतिक्त घृत लेने का औचित्य क्या है ?* क्योंकि इस शोधपत्र से ज्ञात होता है कि लाभ मिला, तो क्या यह लाभ पंचतिक्त घृत के कारण मिला या किसी भी अन्य समुचित द्रव्य की बस्ती में भी मिलता ?

दोष एवं धातुओं के आश्रय-आश्रयी संबंध में ऐसा ध्यान आ रहा है कि एक की वृद्धि या क्षपण से दूसरे की भी वृद्धि या क्षपण होता है, परंतु वात एवं अस्थि के संबंध में ऐसा नहीं है । तिक्त आदि रस जो वात की वृद्धि करने वाले हैं, वे अस्थि का क्षपण करने वाले हैं और मधुर आदि रस जो वात का क्षपण करने वाले हैं वे अस्थि का संतर्पण करने वाले हैं । 

आचार्य चरक ने अस्थिप्रदोषज विकारों अर्थात् अस्थिक्षय की चिकित्सा में जो क्षीरघृत की बस्ति का प्रयोग बताया है वहां उसे 'तिक्तकोपहितानि च'  लिखा है। इस प्रकार यदि अस्थिक्षय को ही दूर करना इस शोध का उद्देश्य है तो यहाँ प्रयुक्त घृत को वातप्रकोपक-अस्थिक्षयकारक तिक्त रस से संस्कारित करने की क्या आवश्यकता है ? अर्थात इस तरह का द्रव्य लेने की क्या जरूरत है ? क्या हमें यहां वातशामक रसों से सिद्ध घृत जैसे मधुयष्टि अथवा शतावरी घृत का प्रयोग नहीं करना चाहिए ? आचार्य चरक के इस तिक्तरससाधित घृत लेने वाली बात पर आचार्य चक्रपाणि चक्रपाणि ने भी बहुत कुछ नहीं लिखा। 

विद्वान साथी प्रकाश डालने के लिए सादर आमंत्रित हैं।
💐🙏💐

[12/6, 10:17 PM] D C Katoch Sir:

 अस्थिवह स्रोतोदुष्टि और अस्थिप्रदोषज विकारों के चिकित्सासिद्धान्त में तिक्तघृत का उल्लेख है और एक recent scientific study में यह पाया गया है कि पंचतिक्तघृत osteoporosis में उपयोगी है।

[12/6, 10:17 PM] Dr Vinod Mittar, Bhiwani: 

Sir tikt ras increases khartav of asthi dhatu, repair of degenerated asthi dhatu enhances.
 I have given personally mahatikt ghrit basti in OA pts, got some relief along with agnikarma.

[12/6, 10:20 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

जी बिल्कुल सही है रिसर्च पेपर तो कई हैं इस विषय में पर मुझे तर्क नहीं समझ में आया |
पर मैं वातव्याधि के संदर्भ में पकड़ नहीं पा रहा हूं इसे। जैसा कि मैंने प्रश्न में स्पष्ट किया है।

[12/6, 10:21 PM] Dr Shekhar Singh Rathoud:

 गुगली फेंकी है आपने  😄😄

[12/6, 10:24 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

😄😄😄💐💐🙏🙏🙏 

डॉ शेखर सिंह जी बिल्कुल नहीं पकड़ पा रहा हूं कि आखिर पंचतिक्त घृत क्यों लिया, केवल घी की बस्ती से भी तो काम चल सकता था। 
मेरे मन में *संदेह* यह आ रहा है कि इन शोधकर्ताओं को लाभ बस्ति से प्राप्त हो रहा है न कि पंचतिक्त घृत से।

[12/6, 10:24 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 

Asthyashrayanan व्याधीनं panch-karmaani bheshajam 
Bastayaha tikta sarpisham..

Tikta ras sukshma hai 
Asthitak jane k liye upyukt

As tikt ras vatprakopak 
And asthi vayu ashrashryi bhav 

Sidhha ghrut  kshir ka vidhan 

We r using tikt  kshir basti with Sneh panchtikt ghrut.
Tikt ras sukshma laghu hone ke karan ghrut ya kshir ko vahatak jane k liye upyukt.

[12/6, 10:27 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

आपकी बात बिल्कुल ठीक है आचार्य। लेकिन मेरा प्रश्न थोड़ा भिन्न है। ‌ यह कहिए कि मेरा संदेह थोड़ा भिन्न है।

[12/6, 10:27 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

डॉक्टर साहब आपके इस तर्क के पक्ष में कोई संदर्भ ?

[12/6, 10:29 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 

Not directly but ras gunkarma 
ANusar...

[12/6, 10:29 PM] D C Katoch Sir:

 चूँकि तिक्तरस आकाशोल्बण है अतः अस्थि के आकाशबहुल संगठन में स्नेह-पोषण पहुँचाने के लिए तिक्तघृत ही उपयुक्त है।

[12/6, 10:30 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 👍🏻🙏🏻

[12/6, 10:31 PM] Dr Shekhar Singh Rathoud:

 *आज्ञा कल्पना* ही इसका उत्तर है प्रभु।
तर्क हम लगा सकते हैं, किन्तु अंततः आप्तोपदेश 🙏🏻🙏🏻

[12/6, 10:32 PM] Prof. Deep Narayan Pandey:

 *आपके इस उत्तर से तो मैं पूर्णतः सहमत हूं।*

[12/6, 10:33 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

धन्यवाद आचार्य।
💐🙏
इसका भी संदर्भ मुझे नहीं मिल पा रहा है।

[12/6, 10:33 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune:

 Yes पर्थिवत्वा kam aur akash mahabhut badhana 

So ashabd shool.

[12/6, 10:34 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *आचार्य श्रेष्ठ 🙏🙏🙏*

*पंचतिक्त घृत के दो योग हैं पंचतिक्त घृत और पंचतिक्त घृत गुग्गलु, जो शोध आपने पढ़ा वो गुग्गलु योग से संबधित है, इस योग में गुग्गलु के अतिरिक्त गजपीपल, शुंठि, हरिद्रा, पीपलामूल, अजवायन, त्रिफला आदि के अतिरिक्त भल्लातक भी है, इसे परम वातशामक, अस्थि-संधि रोगो में तो लाभकारी बताया ही है साथ में अस्थिक्षय में भी इसका उपयोग लिखा गया है,जिन्होने शोध पत्र लिखा वो न्याय संगत और सैद्धान्तिक है।*

[12/6, 10:35 PM] Dr. Ajit Kumar Ojha: 

अस्थिप्रदोषज का अर्थ हम क्या समझे तो शायद कुछ स्पष्ट हो....

अध्य१स्थिदन्तौ दन्तास्थिभेदशूलं विवर्णता ।
केशलोमनखश्मश्रुदोषाश्चास्थिप्रदोषजाः ॥

[12/6, 10:37 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

💐🙏💐

*आचार्य श्रेष्ठ, आप वाला योग एकदम तर्कसंगत है।*

लेकिन जो शोधकर्ताओं ने लिया है वह दूसरा वाला लिया है।

[12/6, 10:38 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

Azadirachta indica (Nimba), Trichosanthes dioica (Patola), Solanum surattense (Kantakari), Tinospora cordifolia (Guduchi) and Adhatoda vasica (Vasa).

[12/6, 10:39 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 🤔🤔🤔🤔
*फिर आपकी शंका सही है।*

[12/6, 10:43 PM] Shivam Sinwar Gngangr:

 इसका  उत्तर अष्टांग हृदय में मिल जाएगा सर सन्दर्भ संहिता देखकर बताता  हु |

[12/6, 10:44 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 

One ref is their
Panchtikt ghrut फलश्रुती 
80वात40पित्त20कफ विकार ठीक करते हैं !
Is ref me panchtik dravya kadha n trifala kalk prakshep hai...

[12/6, 10:46 PM] Dr Sachin Gajare:

 हमे यह लगता है,की जहाँ बृहण आवश्यक है वहा बल्य तिक्त रसात्मक औषधी इस्टमाल मे लानी चाहीये,न की कर्षनिय तिक्त द्रव्य.

[12/6, 10:50 PM] D C Katoch Sir: 

कृपया तिक्तरस और घृत के गुणकर्मों  का सन्दर्भ लें।

[12/6, 11:10 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

तिक्तो रसः स्वयमरोचिष्णुर *प्यरोचकघ्नो* 
विषघ्नः 
क्रिमिघ्नो मूर्च्छादाहकण्डूकुष्ठतृष्णाप्रशमनस्त्वङ्मांसयोः स्थिरीकरणो ज्वरघ्नो 
*दीपनः*
*पाचनः* 
 स्तन्यशोधनो लेखनः  *क्लेद-मेदो-वसा-मज्ज-लसीका-पूय-स्वेद-मूत्र-पुरीष-पित्तश्लेष्मोपशोषणो* 
रूक्षः शीतो लघुश्च । 

Being उपशोषण it clears suspected srotorodha by cleansing the srotas and improve the microvascular circulation enriched with sookshma guna of ghrita. Not remembering the reference but there is a study that disturbance in microvascular capillary circulation is main cause of osteoporosis/ degenerative bone disorders.
Additionally tikta ras processed in ghrita is known as potent dhatwagni enhancer as action mentioned by charak, hence it has been considered in the management of all types of asthi dhatu disorders.

Resp. Deep Sir !!🙏🏻
My small understanding.

 Tikta also inhibitor of formation of kleda being upashoxhan.
🙏🏻

[12/6, 11:16 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune:

 Deepan pachan too
[12/6, 11:16 PM] D C Katoch Sir:

 तिक्तो रसः स्वयमरोचिष्णुर *प्यरोचकघ्नो* 
विषघ्नः 
क्रिमिघ्नो मूर्च्छादाहकण्डूकुष्ठतृष्णाप्रशमनस्त्वङ्मांसयोः स्थिरीकरणो .... स्थिरीकरण कर्म of तिक्तरस is relevant to note in the given context.

[12/6, 11:20 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

बात में दम दिख रहा है, लेकिन यदि ऐसा है, जैसा कि आपने व्याख्या की है, तो क्या तिक्त घृत की बस्ति देने के बजाय मुख से देने पर भी समान परिणाम आएंगे? 

और दूसरा प्रश्न यह है कि जो डिलीवरेबल्स आपने बताए हैं, क्या उनके और बेहतर विकल्प उपलब्ध नहीं है (पंचतिक्त घृत के बजाय)?

यह नया संदेह खड़ा हो गया।
💐🙏

[12/6, 11:25 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

रुख खरत्व हेतु निवारणार्थ मुख्यमार्ग से वस्ति जितने तीव्र लाभ नहीं मिल पायेंगे क्योंकि वात व्याधियों का मूल ही पक्वाशय है अतः वहाँ सिंचन से ही अपुनर्भव चिकित्सा हो पाएगी ।

🙏🏻🌻

[12/6, 11:26 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*आपने ये शोध पत्र पढ़ा कहां है सर ? जिसने भी लिखा उसे इस प्रश्न का उत्तर स्वयं ही लिखना चाहिये था कि औषध चयन किस आधार पर किया।*

[12/6, 11:27 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

आचार्य ने तिक्त साधित कहा है ऐसे सैकड़ों योग मिल जाएंगे । पंचतिक्त अकेला नहीं है ।

[12/6, 11:27 PM] Prof. Deep Narayan Pandey:

 हां, यह बात आपकी ठीक है आचार्य। समझ में बैठ रही है। 
लेकिन समान परिणाम प्राप्त करने के लिए पंचतिक्त घृत से बेहतर विकल्प भी तो उपलब्ध हैं या नहीं हैं?

[12/6, 11:29 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

आचार्य श्रेष्ठ सुभाष जी !
 उन विद्वानों को भी ईमेल किया है मैंने। कोई जवाब नहीं आया कई दिनों से। 

और मेरे मन का संदेह नहीं मिट रहा है। इसलिए इस प्रश्न को आप लोगों के मध्य लेकर आया।

[12/6, 11:30 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

बहुत सारे हैं आचार्य जी ।
घटक द्रव्य विश्लेषण से आपको ज्ञात होगा कि अधिकतर तिक्त साधित ही वात व्याधियों में । अश्वगंधा शतावरी से लेकर महात्रिफला महापंचतिक्त तक ।

[12/6, 11:34 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

मुझे लगता है कि सिद्धांत रूप में, इस समस्या के निवारण के लिए, बृंहण करने वाले किसी घृत या तैल से बस्ति देनी चाहिए ताकि आश्रयी वात का क्षपण एवं आश्रय अस्थि का पोषण हो। पंचतिक्त घृत को लेने का कोई ठोस आयुर्वेदिक तर्क नहीं है।

फिर भी, इसे आप मेरी हाइपोथेसिस समझिए।

*मुझे व्यक्तिगत तौर पर यह लगता है कि प्राप्त किए गए परिणामों का कारण बस्ति है (परिणाम बस्तिपरक हैं, ना कि तिक्त रस की वजह से)।*

[12/6, 11:37 PM] Prof. Surendra A. Soni: चरक के सिद्धांत अनुसार समर्थित नहीं है बस, रुग्ण को लाभ तो मिलेगा । घृत तैल भी सिद्ध ही लेना पड़ेगा ।

🙏🏻

[12/6, 11:38 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

हम असहमत होने के लिए सहमत हो जाते हैं ।

🙏🏻🙏🏻😄🌹🌻

[12/6, 11:38 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

👍👍👍✅😄😄😄💐🙏

[12/6, 11:39 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

इतनी रात हो गई है और करें भी क्या? 😄😄😄😄😄


[12/6, 11:41 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

*संदेह अभी भी यथावत है। कभी किसी विद्वान साथी को समय मिले तो जरूर प्रयत्न कीजिएगा।*
💐💐🙏

शुभ रात्रि !

[12/7, 12:03 AM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 

यापन बस्ती
But basti kam karega vo dravy gun karm se hi na 
अन्यथा विभिन्न द्रव्य अस्थपण गण बस्ती प्रकार का प्रयोजन क्या होगा ।

[12/7, 3:51 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

*Interesting question as always Pandey sir.🙏🙏👌👌*

I would *like to add a hypothesis here*.

💐💐💐💐💐💐💐

I feel we should reach the *asthimula* here. 
As in *Asthivahanam srotasam medo mulam jaghanam cha*
&
*Majjavahanam srotasam asthini mulam sandhayascha*

💐💐💐💐💐💐💐

Here it is interesting to observe that *asthivaha & majjavaha* are the *only srotases* in which the *tissue's precursor dhatu has been mentioned*
As in *meda being mentioned in asthivaha and Asthi being mentioned in majjavaha*

💐💐💐💐💐💐💐

*What does this show?*

*A strong connection between Medovaha, Asthivaha & Majjavaha srotas* which incidentally are the tissues formed in the *chronology of dhatu formation*

*_Case 1_*

👉 Asthi is formed from *Asthi poshakamshas of medo dhatu*
👉 If there is *medo dhatvagni Mandya* Asthi is formed inadequately. 
*Medasavruta margatvat pushyanti anye na dhatavah...*
👉 Here only meda is formed. 

*_Case 2_*

👉 Mula of Majjavaha srotas is in bones and joints. Bones and joints are subjects of interest in osteoporosis. 
👉 If bone precursors are not formed adequately due to medo dhatvagni mandhya, the asthi dhatvagni may be exacerbated through chain of formation, as a reflex or feedback mechanism. 
👉 This might cause Asthi kshaya and consequent increase in Vata. 
👉 This again will not form bones and joints which are mulas of Majja.
👉 Consequentially Majja is not formed to optimum.

💐💐💐💐💐💐💐

*Summary of above said events*

✔ Osteoporosis or osteopenia is formed. 

💐💐💐💐💐💐💐

*Strategy & logic of using tikta Ghrita as vasti component or ingredient (as in ksheera vasti) in treating osteoporosis* + *Mode of action*

*Panchatikta Ghrita / Guggulutiktakam Ghrita* can be readily used in treatment of osteoporosis, *wherein*👇

👉 *Highly beneficial in correcting the roots of Asthi dhatu*
👉 Where *correction of meda - Asthi - Majja axis as in case 1 + case 2☝☝☝* need to be corrected *enabling stoppage of bone destruction and channelize proper formation*
👉 *Where triphasic action of medo Shoshana, Asthi poshana & Agni sthairyakarana* are intended. 
👉 Since tikta Rasa has properties of meda (precursor) & Majja (successor) shoshana, the formulation *reduces burden on bone tissue*, keeping its pathways of formation and maintenance intact, optimum and precise.
👉 Ghrita base helps *combat vayu*. Taila can be used logically for Vata, but the inclusion of ghrita only (as in anuvasana or Matra vasti) and as ingredient of kshira vasti has been considered probably to balance associated pitta too. 

✅When we combine the concepts and *references about tikta rasa given by Soni sir* and explanation given by *Katoch sir, Pawan sir & other hon members*, I feel we can *reach a nearby hypothesis*. 

💐💐💐💐💐💐💐

*Are there other options too...?*

👉 *Of course yes. Soni sir has already cleared the concept* 
This panchatikta Ghrita might be a *choice for study in this case*. I have got good results with Guggulutiktakam Ghrita rather than Panchatikta Ghrita. I hv used combination of *Varanadi Ghrita* & *Guggulutiktakam Ghrita* which forms an awesome combo for vasti in these conditions. 
👉 In this case I feel panchatikta or tiktaka Ghrita can be used if *Osteoporosis is associated with samprapti from Ayurveda perspective*, satisfying the conditions I hv mentioned. Other group members can add or advise. 

💐💐💐💐💐💐💐

*Why not oral route?*

👉 *If we consider Vata, and pathological imbalances in its sthanas, vasti is ultimate choice*
👉 *In vasti anarha, where we want our medicine to pass through Agni, and as supportive medicine in the follow up, oral route may be preferred* I hv good experience with oral route too. 

💐💐💐💐💐💐💐

*Finally, this concept is as interesting as is tricky, just like guru cha apatarpanam in treatment of medo vikaras. But practically highly acceptable and usable.*

💐💐💐💐💐💐💐

*This is my humble submission to the elite panel*

🙏🙏🙏

[12/7, 5:28 AM] Vd. Vidyadheesh Anantacharya Kashikar, Samhita:

 अष्टांग हृदय सूत्रस्थान 11/31 अरुणदत्त टीका मे इस प्रश्न का उत्तर दिया है। स्वतःस्पष्ट टीका है।

[12/7, 6:03 AM] Dr Shashi Jindal: 

👌👏good morning sir, complete answer as always, thanks a lot 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐💐

[12/7, 6:56 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Very good morning madam... Thanks so much🙏🙏💐💐

[12/7, 7:08 AM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

Yes, doctor saheb, 
but kindly understand my key question that relates to tikta vs. others.

[12/7, 7:15 AM] Dr. Sadhana Babel, Pune:

 I will try today sir namste
[12/7, 7:19 AM] Prof. Deep Narayan Pandey: *Brilliant, Dr. Raghu ji.*
*एक नवीन दृष्टि*
Thank you indeed.

In the light of your analysis, will try to see all other answers that came here. I hope that will make things easier to comprehend the logic and connections.
💐🙏💐

[12/7, 7:28 AM] Prof Giriraj Sharma: 

🙏🏼🙏🏼🙏🏼👏🏻🌷👏🏻🙏🏼🙏🏼🙏🏼
*मेदवह स्रोत ही मूल है ,,,*
*अस्थिवहः एवं मज्जावह स्रोतः का ,,,*,
*उत्तरोत्तर चिकित्सा में भी प्रासंगिक है , पँचतिक्त घृत वस्ति मेद को मूल मानकर प्रयोज्य है ।अस्थिगत एवं मज्जागत व्याधियों में,,,,*
🌷🌷🌷🌷🙏🏼🌷🌷🌷🌷🌷

[12/7, 7:29 AM] Prof Giriraj Sharma: 

संदर्भ कला शारीर एवं स्रोतः शारीर सुश्रुत में मेद धरा कला एवं मेदोवह स्रोतः में ही अस्थि मज्जा वर्णित है ।

[12/7, 7:31 AM] pawan madan Dr: 

प्रणाम गुरु जी

*कुछ प्रश्न विचारणीय हैं*

,,, *तिक्त रस एकल प्रयोग में वात प्रकोपक है*

,,, *तिक्त रस एकल प्रयोग में भी यदि अत्यधिक मात्रा में प्रयोग किया जाए तो वात प्रकोपक है*

,,, *तिक्त रस एक बहुत अच्छा अग्नि वर्धक भी है खासकर पित्त के उष्ण गुण की वृद्धि न करते हुए अग्नि वर्धन करने वाला जिससे बृहन कार्य मे सहायता मिलती है*

,,, *किसी भी योग का प्रभाव संस्कार से बदल जाता है, कुछ तिक्त रस द्रव्यों का अंतिम प्रभाव किसी योग में बंध जाने से अलग भी हो जाता है*

,,, *तिक्त रस सूक्ष्म सरोतोगामी है, घृत को गंभीर अस्थि धातु तक पहुंचने के लिए कुछ सूक्ष्म व्यवायी विकासी द्रव्यों की जरूरत को शायद यहां तिक्त रस से संपूरित किया गया है, अन्यथा यहां कुछ विष द्रव्यों की जरूरत होती*

,,, *यदि तिक्त रस अस्थिपोषण के लिए आवश्यक है पर घृत के संस्कार व अनुवर्तन से इसका वात प्रकोपक कार्य को recesive किया गया प्रतीत होता है।*

,,, *ये उसी तरह से है जैसे लीलाविलास रस में ताम्र उष्ण होते हुए भी पित्तशामक है या सूतशेखर में शुंठी होते हुए भी पित्तशामक है या पिप्पली कटु होते हुए भी वृष्य है।*

मुझे मेरी अल्प बुद्धि से इतना समझ मे आया। गुरुजन और ज्यादा समझा सकते हैं
🙏🙏🙏💐🙏

[12/7, 7:53 AM] Sanjay Chhajed Dr. Mumbai: 

सर जी, चिकित्सा दौरान अनेको बार सिर्फ़ स्नेह बस्ती, या फिर सादे घृत का प्रयोग कीया है, पर अस्थि मज्जा गत वात मे जिससे अस्थि क्षय होता है,उसमे लाभ नही मिलता, यह प्रत्यक्ष है ।

पंच तिक्त घृत एवं उन्ही द्रव्यों से सिद्ध दुध अधीक उपयुक्त होता हैं ।

निश्चित रूप से अस्थि धातु अग्नी पर यह काम करता होगा ।

आप जैसा कहते है की लोक व्यवहार की विवेचना करना मुश्कील ही होता है ।

[12/7, 8:02 AM] pawan madan Dr: 

Good morning Raghu ji
👏👏👏👏

Action on asthivaha srotomool...👌

Mujhe lagta hai ke ye concept and the significance of srotomool chikitsa should be thought in all diseases.

... Your experience...👌

🙏💐🙏

[12/7, 8:03 AM] D C Katoch Sir: 

तिक्तरस सर्वप्रथम ज्वर ( रसप्रदोषज) के चिकित्सासिद्धान्त में कथित है।  उत्तरोतर धातुओं के स्रोतों का क्रमशः सूक्ष्म -सूक्ष्मतर-सूक्ष्मतम होना और दोष-दूष्यसम्मूर्छना का गूढ- गूढतर- गूढतम होने पर यह आवश्यक है किसी भी औषध का प्रयोग तदनुसार वर्धमान उत्कर्ष भाव से होना चाहिए । तिक्तरस वाली एक औषध की अपेक्षा सम्भवतः उत्कृष्ट प्रभाव ( उचित कार्मुकता) पाने हेतु पंचतिक्तघृत का प्रयोग किया गया लगता है।

[12/7, 8:05 AM] pawan madan Dr:

 Isi kaaran se vrikka rogo me tikta basti ka pryog useful bataya gya hai.
😌🤔

[12/7, 8:09 AM] Dr Shashi Jindal: 

very nice explaination👌👌👌👌👌💐💐💐💐💐 Dr. Pawan, maintaining health with use of tikt ras, ardh shakti vyayam, and ghrit, all work collectively. 👍🏼
🙏🏼
[12/7, 8:11 AM] Dr Shashi Jindal: 

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼jvar should not convert to uttrottr dhatu gt jver, tikt rs till aam pachan, then milk and ghri.🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐💐💐

[12/7, 8:14 AM] Dr Shashi Jindal:

 vaat ka main sthan pakwashya, basti is ultimate.🙏🏼🙏🏼💐

[12/7, 8:16 AM] D C Katoch Sir: 

घृतं परम योगवाहि-स्नेहात वातं शाम्यति, शैत्यात पितं शाम्यति,  संस्कारात कफं शाम्यति । आयुर्वेद चिकित्सा में घृत की बहुत बड़ी भूमिका है।

[12/7, 8:18 AM] Dr Shashi Jindal:

 sir tikt rs is must for asthi poshan, strength of asthi is due to majja in it, and majja can only enter in ashthi if vayu and aakash make ir porous, tikt rs is the only rs which is vayu and aakash gun pradhan.🙏🏼🙏🏼

[12/7, 8:18 AM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

*डॉ डी सी कटोच जी, प्रोफेसर सुरेंद्र सोनी जी, प्रोफेसर गिरिराज शर्मा जी, डॉक्टर सुभाष शर्मा जी, डॉक्टर रंगाप्रसाद जी, डॉ साधना जी, डॉ शशि जिंदल जी, डॉक्टर विद्याधीश जी, डॉ रघु राम जी, डॉ पवन मदन जी, डॉ आचार्य संजय जी, डॉक्टर शिव राम जी, डॉक्टर सचिन जी, डॉ ऋतु राज वर्मा जी, डॉक्टर अजीत कुमार जी, डॉ शेखर सिंह जी, डॉ समता तोमर जी, डॉ विनोद मित्र जी, डॉक्टर वी बी पाण्डेय जी, एवं अन्य सभी साथी गण*
🙏
*मेरे इस प्रश्न के उत्तर में आप सभी आचार्यों द्वारा बेहद महत्वपूर्ण और रोचक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया। आप सभी ने संहिताओं के प्रकाश में अपने अनुभव को मिलाते हुए शोध के निष्कर्षों पर अपनी एक नवीन दृष्टि प्रस्तुत की। उसके लिए मैं आप सबका आभारी हूं। पुनः बहुत-बहुत धन्यवाद।*
🙏🌹💐

[12/7, 8:29 AM] Dr Shashi Jindal: 

👍🏼👌👌sthirikarn krm of tikt rs.🙏🏼🙏🏼💐

[12/7, 8:30 AM] Dr Shashi Jindal: 

tikt rs drys up kled, for proper movement of vayu🙏🏼🙏🏼

[12/7, 8:32 AM] Dr Shashi Jindal:

 tikt rs is karshneeya, but it clears up the channels for nutrients. 👍🏼👌🙏🏼🙏🏼

[12/7, 8:32 AM] D C Katoch Sir: 

Presence of Majja in Asthi is a natural compulsion. Same logic of using Tikt Ras in Lung Disease ( प्राणवहस्रोतोदुष्टि) does not apply though there also akash and vayu predominate and kapha blocks the stores.

[12/7, 8:32 AM] Dr Shashi Jindal: 

it is for mahatiktak ghrit, kushth chikitsa charak ??

[12/7, 8:35 AM] Dr Shashi Jindal: 

urh (lungs ?) main kf sthan, if  kf avrodh is there, obstruction in movements of vaayu, vaayu is praan, 👌👌👌👌🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐👍🏼

[12/7, 8:37 AM] Dr Naresh Garg, Jaipur: 

🙏🙏💐💐 नमस्कार सर आपने सारी शंकाओं का समाधान कर दिया तिक्त रस युक्त वस्ति के संदर्भ में ।

[12/7, 8:54 AM] Vd. Vidyadheesh Anantacharya Kashikar, Samhita: 

मुख से प्रयोग करने पर भी उत्कृष्ट परिणाम मिलता है। पुणे स्थित विद्वद्वरेण्य हृषिकेश म्हेत्रे सर का ऐसा अनुभव उनके ही मुख से मैने सुना था।

[12/7, 8:57 AM] Dr Shashi Jindal: 

hanji sir, mostly people get results with oral use of tikt ghrit anf gugguls, but if dosh are in pakvashya basti is must for complete recovery. 🙏🏼

[12/7, 8:58 AM] Dr Divyesh Desai:

 पंचतिक्त द्रव्यों में से कंटकारी एवं गुडूची वातवृधिकर नही है किंतु वातशामक है बाकी शेष पित एवं कफ शामक है
ऑस्टियोपोरोसिस में
वायु का रुक्ष,खर, चल गुण
पित्त का तीक्ष्ण, उष्ण,विस्त्र, ओर 
कफ का मन्द,mrutsan गुण indirectly अस्थिपोषण नही होने देते 
ये सब गुणों को ध्यान में रखकर शायद चरक आचार्य ने ये बस्ति का प्रयोग बताया है
बस्ति परम वात हराणाम
घृत पित शामक
पंचतिक्त के 5 द्रव्य पितकफ शामक है पर ये कॉम्बिनेशन ओर बस्ति के रूट से देने से वातवर्धक नही है, कर्षण नही करते है
मात्रा बस्ति(अनुवासन/स्नेह बस्ति) खाने के तुरंत बाद देंते है जब मधुर अवस्थापाक के दौरान देते है ओर  कटु अवस्थापाक होते से पहले अपना कारमुक्तव से तीनों दोषों का शमन करते हुवे उत्तम रस धातु का निर्माण हो जाता है,कफ से अवरोध जो अस्थिपोषण में जवाबदार है इसको भी दूर करता है और घृत रसायन गुणों से अस्थि का पोषण  है इसलिए ऑस्टियोपोरोसिस सन्निपातज होने से तीनों दोष पर पंचतिक्त धृत बस्ति का असर होता है, मैंने vitamin  B12, विटामिन D3 की उणप में ये बस्ति से अच्छा results पाया है।
जय आयुर्वेद, जय धन्वन्तरि👏🏽👏🏽

[12/7, 9:01 AM] Dr Bhadresh Nayak, Surat:

 True sir
Basti for vatshaman and act through vagus nerve

[12/7, 9:03 AM] Vd. Vidyadheesh Anantacharya Kashikar, Samhita: 

Yes basti is ultimate👍

[12/7, 9:03 AM] Dr Bhadresh Nayak, Surat: 

Each of my oaknee and ligaments disorder I used panchtikta gugulughrut along with samirpannagras
With castor oil local sneh

[12/7, 9:05 AM] Prof Giriraj Sharma:

 *रचना अधिकृत विवेचन*
*रक्तफेनप्रभवाफुफ्फुस*
शास्त्र में फुफ्फुस का प्रभव रक्त के फैन से बताया है ।
तिक्त रस प्रधान औषध रक्त शामक होती है , फेन शब्द वातयुक्त रक्त से समझ सकते है ।
 फुफ्फुस जनित रोगों में तिक्त औषध का प्रयोग हितकर है ।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[12/7, 9:17 AM] Dr Divyesh Desai: 

👏🏽👏🏽प्रणाम पांडे सर. ये मेरा हाइपोथिसिस या मंतव्य है, अंशांश कल्पना अथवा विकल्प सम्प्राप्ति  में गुणों का महत्व है जो कभी कभी चिकित्सा के दौरान हमसे स्मृति में नही रहता है हो सकता है केवल वात से ऑस्टियोपोरोसिस होता है इसमें शतावरी या यष्टिमधु या वात शामक द्रव्यों से सिद्ध बस्ति ज्यादा कारगत होगी ।।

[12/7, 9:31 AM] Dr Shashi Jindal: 

yes mahatiktak ghrit is in charak for those maharogas which can not be cured by other drugs.🙏🏼

[12/7, 9:33 AM] Samta Tomar Dr Jmngr: Naman

[12/7, 9:33 AM] Dr Shashi Jindal: 

yes sir tikt ghrit advised in sharad ritu charya in charak, effects on pitt in sharad ritu.🙏🏼🙏🏼

[12/7, 9:35 AM] Dr. Rituraj Verma:

 मज्जा पर कार्य expected हो तब रक्त औऱ मेद पर कार्य करना होगा,रक्त एवं पित्त का आश्रय आश्रयी सम्बंध हैं। पित्तधारा कला and मज़्ज़ा धरा कला are same,so रक्त सुधार कर  मज्जा सुधरती है।
सरक्त मेद सन्धि में है। शरीर मे स्नेह योनि शुक्र,मेद, वसा,मज्जा में है।
मज्जा के स्नेह अंश सुधारने के लिए मेद पर कार्य करना चाहिये।

[12/7, 9:44 AM] Dr. Roji DG: 

One more hypothesis I would like to propose in this regard..🙏🏻🙏🏻🙏🏻 that different medicines have special affinity for some tissues. e g. fats for adipose tissue, iodine for thyroid, iron for RBC and d like. Similar composition of drug and tissue makes it favourable for distribution in that particular tissue. Similarly as Tikta ras is vaat vardhak and ashthi dhatu is aashrya of vaata... tikta ras has special affinity for ashthi dhatu (and other sushir srotas). This makes d ghrit part to be dispensed here more efficiently than other rasas... as ghrit itself is good for absorption of Vit D..a much needed nutrient for osteoporosis.
🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[12/7, 9:47 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Thanks Pandey sir, for your good words🙏🙏
And for giving thoughts for the brain as you always do💐💐🙏🙏

[12/7, 9:48 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Thanks for summing up beautifully as usual Giriraj sir🙏🙏💐

[12/7, 9:50 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Good morning Pawan sir💐💐🙏🙏
Thanks for compliments🙏
Your idea of generalizing the concept to all diseases is a welcome thought🙏🙏👌

[12/7, 9:53 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Yogavahitva of ghrita🙏🙏👌👌💐💐Acharya ji

[12/7, 9:54 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Great thought Pawan sir...worth exploring🙏🙏👌

[12/7, 10:04 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru:

 👌👌👌💐🙏
Bioavailability enhancing role & carrier of ghrita to the seat of action👌🙏Dr Rosy ji

[12/7, 10:06 AM] Prof. Deep Narayan Pandey:

 *आप सबकी जय हो*
🙏

बस्तिर्वाते च पित्ते च कफे रक्ते च शस्यते।
संसर्गे सन्निपाते च बस्तिरेव हितः सदा।
--सुश्रुतसंहिता, चिकित्सास्थान, 35.6

🌹🌹🌹🌹🌹
सुखार्थाः सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः| 
ज्ञानाज्ञानविशेषात्तु मार्गामार्गप्रवृत्तयः|| ---चरकसंहिता, सूत्रस्थान, 28.35

🙏

[12/7, 10:07 AM] Prof. Surendra A. Soni: 

👌🏻👌🏻👌🏻🙏🏻🌹🌹🌹
आचार्य गिरिराज जी ।।

[12/7, 10:13 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Great analysis Pawan sir🙏🙏👏👏👌👌💐💐

Bioavailability enhancing effect and carrier role of tikta rasa is very important for the Ghrita to reach gambhira dhatu. 

And yes... We shouldn't forget *samskara*👌
We are not individually analysing Ghrita or tikta rasa here, we are discussing the *overall impact of a compound*.... *Ghrita carrying properties of tikta rasa & tikta rasa enabling the availability of ghee to Asthi dhatu*

In this perspective I feel we can think of *transportation of supportive medicines like ghee...processed with carrier herbs while discussing the role of medicines in diseases pertaining to madhyama rogamarga*

[12/7, 10:15 AM] Prof. Surendra A. Soni: 

Great ! 
Valuable inputs resp. Katoch Sir !
 pranvah srotas has moola in mahasrotas hence deepan pachan anuloman (katu) drugs given priority not the tikta ras.
I hope pandey Sir will take a note on this.

🙏🏻🌹🌷👌🏻😌

[12/7, 10:16 AM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

Oh yeah! Listening, pakka. 
👌👍🌹🙏

[12/7, 10:21 AM] D C Katoch Sir:

 In Pranvah Srotodusti, drug of choice is Abhrak  (having all the synonyms of Akash) to improve/ strengthen Akashiye bhav in lungs, but it is not of Tikta Rasa. Rather deepan pachan snaihik  aushadh is recommended in such lung diseases.

[12/7, 10:23 AM] Prof. Surendra A. Soni: 

अस्थिक्षयजान् क्षीरघृतैस्तिक्तसंयुतैः, बस्तिभिस्तथा-तथारूपैस्तिक्तसंयुतैरित्यर्थः। 
ननु, यानि वातकृन्ति द्रव्याणि तान्यस्थिक्षयोद्भवविकाराणां वृद्धिकरणानीति तद्द्रव्योपयोगोऽत्र न युक्तः, तिक्तस्य वातकृतत्वात्। अत्रोच्यते। 
यद्द्रव्यं स्निग्धं शोषणं खरत्वमुत्पादयति तदस्थ्नो वर्धनं युक्तम्, खरस्वभावत्वादस्थ्नाम्।
 न चैवंविधमेकं द्रव्यमस्ति, यत् स्निग्धं शोषणं च। तस्मात् क्षीरघृतैस्तिक्तसंयुतैर्बस्तिभिश्च तिक्तसंयुतैश्चेत्युपदिष्टम्।



👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻
*आ. विद्याधीश अनंताचार्य जी । आपके प्रभावी संकेत का उध्दरण ।*

[12/7, 10:23 AM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

*आचार्य कहते हैं कि* जिस प्रकार छत्ता छेड़ने पर मधुमक्खियां स्वस्थान से विचलित होकर विविध औषधीय प्रजातियों से द्रव्य एकत्रित कर वापस छत्ते में आकर मधु का निर्माण करती हैं, उसी प्रकार आयुर्वेदाचार्यों से भी समय-समय पर छेड़छाड़ करते रहना चाहिए ताकि वे चारों दिशाओं से ज्ञान एकत्र कर कायसम्प्रदाय में लाकर समेकित करते रहें।

[12/7, 10:23 AM] D C Katoch Sir:

 सही तुलना की है आपने वैद्यों की मधुमक्खियों के साथ👌🏽👌🏽🙏🏽🙏🏽

[12/7, 10:24 AM] Prof. Surendra A. Soni: 😄😄👌🏻👌🏻

[12/7, 10:26 AM] Prof MB Gururaja: 

Dr Soni ! Fantastic...👌🏻

[12/7, 10:26 AM] Shivam Sinwar Gngangr: 

@⁨Prof. Deep Narayan Pandey⁩ सर में इस सन्दर्भ की ही बात कर रहा था जो विद्याधीश जी ने भेजा है ।

[12/7, 10:27 AM] Prof. Deep Narayan Pandey: 🙏🌹🙏

[12/7, 10:31 AM] Vd. Vidyadheesh Anantacharya Kashikar, Samhita: 

मनसा धन्यवाद आचार्य सोनी जी 🙏🙏

[12/7, 10:53 AM] Dr Shashi Jindal:

 👌👌👌👏👏🙏🏼💐💐namaskaar sir, use of tikt, lawan, aml, katu rs for deepan pachan, kf utkleshan in pranvh sroto dushti 👍🏼for drv gun of kf, tikt rs, sheet gun katu, ...... and so on 👍🏼 Please explain ashash doshdushti of pranvh srotas, and rs used in those.🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[12/7, 12:25 PM] Prof Giriraj Sharma: 

*अभ्रक रस शास्त्र के परिपेक्ष्य में*
शिव शुक्र पारद 
पार्वती शुक्र एवं आर्तव अभ्रक एवं गन्धक ,,,,
शुक्र सौम्यम 
आर्तव आग्नेय,,,,
अभ्रक आर्तव रक्त,,,,
रक्त फेन प्रभवा फुफ्फुस,,,,, 
.........?
🤔
पढ़े जाओ चिंतन मनन करते जाओ ,,
आयुर्वेद अपार ।

[12/7, 12:26 PM] D C Katoch Sir:

 Reply is -प्राणवहस्रोतोदुष्टि की चिकित्सा में तिक्तरस इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना दीपन-पाचन-वातकफशामक उपक्रम व औषध।
डॉ सोनी डॉ शशि ।

[12/7, 12:26 PM] Ranga prasad Ji Vd. Chennai: 

Precisive; pin pointed; signature styled explanation as usual with illustration. 

Awesome Raghu sir. 

Could there be any association of *Ama pAcana* *grahaNihara* in the usage of tiktaka varga ? 

Because this varga gets a mention in Grahani chikitsa too ! 

And malabsorption patients, present with O.A. changes too. 🤔

[12/7, 12:50 PM] Dr. Roji DG: 

Tiktaras though lacking agnimahabhut in its composition but is best aampachan...

Katu ras is agnivarghak, deepan pachan ....as it acts by irritation and increases aagnye secretions of enzymes n hormones.

Tiktaras don't directly increases these secretions but converts proenzymes and prohormones (aam) into enzymes n hormones (aampachan). Also dries up extra kled of aampitta by upshoshan action
That's why useful in Amlapitta, Grahni, Jwar, Madhumeh etc. aamaj diseases.

My humble view..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[12/7, 12:58 PM] Dr Shashi Jindal: 

some logic of using tikt rs ; may be according to  doshaj sidhant advised in shwas rog.Two types of chikitsa sidhant :  h chi 17/148

1. vaat vardhak kf shamak. Antibiotics are usually tikt rs pradhan, but their in judicious use drys up kf and acute episodes of dry cough. 

2.kf vardhak vaat shamak. 

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[12/7, 1:01 PM] Dr Shashi Jindal: 

Any drug or ahar which is kf vaat shamak , ushan & vaatanulomak is useful  in shwas rog. ch chi 17/147
🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[12/7, 8:24 PM] Dr Ajay Singh:

 Good evening sir
Asthi dhatus basic quality is Khara
Any dravya which produces snigdha, Shoshana and kharta is best for Asthi kshaya.
There is not a single dravya which can give snigdha and Shoshana.
As above reference given by Soni sir
अस्थिक्षयजान् क्षीरघृतैस्तिक्तसंयुतैः, बस्तिभिस्तथा-तथारूपैस्तिक्तसंयुतैरित्यर्थः। 
ननु, यानि वातकृन्ति द्रव्याणि तान्यस्थिक्षयोद्भवविकाराणां वृद्धिकरणानीति तद्द्रव्योपयोगोऽत्र न युक्तः, तिक्तस्य वातकृतत्वात्। अत्रोच्यते। 
यद्द्रव्यं स्निग्धं शोषणं खरत्वमुत्पादयति तदस्थ्नो वर्धनं युक्तम्, खरस्वभावत्वादस्थ्नाम्।
 न चैवंविधमेकं द्रव्यमस्ति, यत् स्निग्धं शोषणं च। तस्मात् क्षीरघृतैस्तिक्तसंयुतैर्बस्तिभिश्च तिक्तसंयुतैश्चेत्युपदिष्टम्।*
Ghritam being best samskaravahi adopts tikta Rasa property sooshana and keeps his own property of snigdhata at the same time.
And for vatadosha vasti is best treatment.

[12/7, 8:27 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

Seems logical Dr. Ajay !
👌👌👍👍

Pandey Sir will have to accept it or not....? 

Let's wait for his reply.

Thanks !🙏🏻

[12/7, 8:31 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

Very convincing, *Prof. Surendra Soni ji*
🙏

In fact the earlier explanations themselves were very useful as I wrote earlier. This post by *Dr. Ajay Singh ji* provides another collateral logic. 

Thank you indeed.

[12/7, 8:33 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 👌🏻👍🏻🙏🏻

[12/7, 8:35 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

Probably this is the reason that tikta ras is not a choice in pranavah srotodushti as resp. Katoch Sir was pointed out to Dr. Shashi ji !!

Pandey Sir !!

[12/7, 8:44 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

True indeed 👍

[12/7, 8:44 PM] Dr Ajay Singh: 

Vasti is best treatment for vata treatment
But when vata involves with Asthidhatu there as per accharyas vasti stikataka.

[12/7, 8:55 PM] Dr Ajay Singh: Sir 

I basically advice Ksheeravasti in such persons
Being mridu in nature best suitable sodhana for Sukumara persons.
Externally Abhyangam/ Kizhi/ Shirodhara depends on that particular day requirements.

[12/7, 8:58 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

👌🏻👍🏻
In paittik GIT disorders it's applicable in every condition.
 Even in every age group.






**************************************************************************


Above discussion held on 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp-discussion-group  of  well known Vaidyas from all over the India. 



Compiled & edited by


Dr.Surendra A. Soni





M.D.,PhD (KC) 
Professor & Head
P.G. DEPT. OF KAYACHIKITSA
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, GUJARAT, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150

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