[12/14, 10:43 PM] Vd Dilkhush M Tamboli:
संन्यास चिकित्सा
*A case From Dr.Dilkhush Tamboli's DK files*
महिला रुग्ण ......वय 67
सन्यास अवस्था मे ही पहली मुलाकात
Past Histroy में
1.पहले रुग्णा को
ज्वर,कफज कास के लक्षण उत्पन हुए
हॉस्पिटल में admit किया xray चेस्ट किया तो उन्होंने उससे Pneumonia का Dignosis किया 15 दिन के लिए रुग्ण को ICU में admit किया चेस्ट clear हो गयी लेकिन mild fever बचा रहा डॉक्टर ने डिस्चार्ज किया कुछ antibiotics और antipyretic देकर घर भेजा लेकिन कास उपशम से भी ज्वर लक्षण बचा रहा और साथ मे दौर्बल्य भ्रम जैसे लक्षण शुरू हो गए ...
2 अल्प ज्वर और भ्रम 1 महीने तक रहा उसके बाद patient को ज्वर के साथ
मूर्च्छा
उभय हस्त पाद क्रियाहानी (quadriplegia)
ये लक्षण उत्पन्न हुये
रुग्ण को हॉस्पिटल मे भरती करके
ventilator पे लेकरं सब emergency treatment की गयी 15 दिनतक रुग्ण हॉस्पिटलमे था ventilator win हुआ लेकीन शारीरिक लक्षणो मे कोई सुधार नही हुआ इसलीये रुग्ण को हॉस्पिटल से discharge किया गया
डिस्चार्ज के समय के लक्षण
ज्वर
सन्यास
इसके बाद रुग्ण को एलोपैथी दवा के साथ
आयुर्वेद की दवाई शुरू की गई
वो presription आगे बताता हूँ
*ये priscription मेरा नही है*
1.बृहत्वातचिन्तामनी रस
2 श्वासकास चिंतामणि रस
3. महासुदर्शन
तुलसी बीज
4.कपोत विष्ठा
(This is not my prescription)
हुम् रुग्ण को मिलने से पहले ये दवा 15 दिन तक शुरू थी लेकिन इसका कुछ भी परिणाम नही मिला था
हमने जब रुग्ण को देखा तब जो लक्षण देखे वो आगे बताता हूं
-सन्यास के साथ
-ज्वर (mild fever)
-स्त्यांन कफ( tracheostomy tube से निकल रहा था)
-शुष्क मल प्रवर्तन (हर 2 दिन के बाद मल प्रवर्तन)
ये लक्षण थे
चिकित्सा
1st day...
1.पंचभद्र कषाय सुबह........ शाम
2.एरंड तेल 2 tsp रात को
(Through RT)
2nd day
सात वेग आ गये
ज्वर लक्षण था
Medicines
1.पंचभद्र कषाय सुबह ....शाम
2.एरंड तेल 2 tsp रातको
*शाम 6 बजे के बाद ज्वर लक्षण कम हुआ जो आजतक कभी आया नही*
*आँखोमे थोडा 2 मिनट के लिये awakning दिखा*
3rd day...
6 मल के वेग आये
1.पंचभद्र कशाय.. सुबह शाम
2 एरंड तेल रातको
आँखे खुलने का समय बढ गया
4th day
6 मल वेग
चिकित्सा
1.एरंडतेल रात को
2.अनंता मंजिष्ठा लेप
(at the site of Hematoma)
3.अनंता मंजिष्ठा शतपुटी अभ्रक ( bid )
*awakened for 5 hrs. In afternoon. No fever*
5th day
Awakened eyes for 7 to 8 hrs
Slight Leg movement started
चिकित्सा
1. एरंडतेल रातको
2.अनंता मंजिष्ठा लेप
3.अनंता मंजिष्ठा अभ्रक bid
4.अविपतीकर bid
5. सुवर्ण सूतशेखर bid
कफ स्त्यांनता decreased
6th 7th 8th 9th 10th 11th 12th
Same treatment given slowly
Patient become conscious
Responded well all movements become normal
After removal of tracheotomy tube patient started speaking
Started walking with help
Now no need of support.....
[12/14, 10:50 PM] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur:
Nice sir ji 🙏💐,
[12/14, 10:53 PM] Dr. Rituraj Verma:
सर जी अनन्ता एवं मंजिष्ठा ही क्यों ?
अनन्ता, मंजिष्ठा - आर्तव विकार, प्रमेह उपद्रव, रक्तक्षय, रक्तप्रसादक ?
[12/14, 10:56 PM] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur:
Aap ka treatment ka vichar kya raha sir ji 🙏...... Vaise dekhe to aapane jho treatment de hai wo jawar ka treatment Diya hai aur sir ji, Anantha manjistha Ka lep karne ka kya vichar raha hai🙏🙏
[12/14, 10:57 PM] Dr Jayshri Kulkarni, Latur:
👌🏻 👌🏻
Please elaborate about hematoma...
[12/14, 10:59 PM] Prof. Surendra A. Soni:
अद्भुत चिकित्सा व्यवस्था आचार्य जी ।
Hematoma का वर्णन किया है कुछ रिपोर्ट्स, फ़ोटो, वीडिओज़ हो तो पोस्ट कीजिए ।
दिलखुश सर !!🙏🏻🌹🌷
[12/14, 11:49 PM] Dr Rameshwar Rao Rane:
पंचभद्र kashay के bare मे बताईये ??
सर 🙏
[12/15, 12:15 AM] Prof Mamata Bhagwat:
Kya baat hai.. great logic and outcome Dilkhush Sir💐💐👌🏻👏🏻
[12/15, 12:23 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*अति उत्तम परिणाम*
👌👌👌🌺🌹💐👍
[12/14, 11:12 PM] Prof. Surendra A. Soni:
🙏🏻🌹 Dilkush ji.
Wonderful results.
Surprised to see the result of Erand tail in a dose of just 2 tsf producing 5-6 malaveg in such a kroor koshthi person🤔🤔
What is panchbhadra kashaya ? Never read of this.
What has been ur line of thinking in choosing Ananta and Manjishtha?
But in the end virechan has proved the best way to reduce the cerebral edema due to hemorrhagic infarct which even mannitol might not have done.
Great...👏👏👏👏👏👏
[12/15, 7:22 AM] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur:
Pawan sir pranam Shayad yah hai panchbhadra khaya....
🙏🙏🙏
kaisa hai...?
[12/15, 7:56 AM] Dr. Darshan Parmar:
...Pranabhisar ...
Vaidya ji
💐💐💐
👏🏼👏🏼👏🏼
[12/15, 8:39 AM] pawan madan Dr:
That's great.
दिककुश जी का अवश्य कुछ बेहतरीन experience रहा होगा इन पांच सर्वश्रष्ठ तिक्त कटु औषधिओं के क्वाथ से।
[12/15, 8:45 AM] Dr. Arun Rathi, Akola: 👍🏻👌🏻🌹🌹🌹
[12/15, 8:53 AM] D C Katoch Sir:
Great Dr Dilkhush. 👍🏼👍🏼
Very nice approach with minimal medicines in intense condition.
Very nice approach with minimal medicines in intense condition.
[12/15, 9:03 AM] Prof. Mrinal Tiwari, Pune:
धन्यवाद सर । रूग्णमे मलसंचिती अधिक होने से पक्षाघात हुआ ऐसी स्थिती हुई या कुछ आपका निदान कैसे हुआ और चिकित्सासूत्र क्या था? सर मार्गदर्शन करे।
बहुत बार रूग्ण आत्ययिक अवस्था मे है तो उम्मिद छोड देते है।आपने संन्यासावस्थासे रूग्ण को बाहर लेके आए।मन प्रसन्न हो उठता है और आयुर्वेद पर श्रध्दा द्विगुणित हो जाती है।धन्यवाद।
[12/15, 9:09 AM] Dr Shashi Jindal:
👌👌👌thanks for sharing 🙏🏼🙏🏼💐💐Castor oil is jeerna jvar nashak as per Charak, jeernJvaraharam param ch sut 27/289.
[12/15, 9:20 AM] D C Katoch Sir:
मलसंग-संचय का आधिक्य होने पर mental functions निश्चिततः प्रभावित होते है। वैद्य दिलखुश के रोगी की स्थिति ऐसी ही थी और तदनुसार एरण्ड तैल सेवन कराने से मलसंग-संचय दूर होते ही रोगी में सुधार होने लगा।
[12/15, 9:26 AM] D C Katoch Sir:
मुझे लगता है रोगी को मलसंग के कारण मानसिक ज्वर था अन्यथा पंचभद्रक्वाथ की एक दो मात्रा से इतना लाभ नहीं मिलता।
[12/15, 10:56 AM] Prof. Surendra A. Soni:
Excellent understanding the real condition of dosha dooshya in comatose patient.
You have utilised the previous given gold preparations that didn't work in condition of mandagni, aam, srotoradha etc. By cleansing the GIT with castor oil you targeted the cerebral oedema that was main culprit for samnyas. This probably also helped to act the gold preparations in cleansed channels. It may be possible that ultimate action of gold preparations was not observed in the presence of srotoradha and cerebral oedema until the mridu virechan done.
Salute to you Dilkhush Sir !!
🙏🏻🌹
[12/15, 11:00 AM] Dr. Sadhana Babel, Pune:
Proud of you dilkhush....
God bless you !
[12/15, 11:07 AM] Prof. Surendra A. Soni:
Rightly pointed out....
Katoch Sir !!
👌🏻👏🏻👍🏻🙏🏻🌹
[12/15, 11:11 AM] Vd V. B. Pandey Basti U. P:
Salute to the also sir making one more concept very clear regarding use of swarn prepration.🙏
Dr. Soni !
[12/15, 5:00 PM] Vd Dilkhush M Tamboli:
कुछ सवाल के जवाब
पंचभद्र कषाय क्यो ??
1. ज्वर की नवज्वर हो या जीर्ण ज्वर हो किसीं भी अवस्था मे इस योग ने मुझे अभितक कभी निराश नही किया इसलीये पंचभद्र क्वाथ
(औषध सेवनकाल को युक्ती से change किया था)
2. यही मेरा Paracetamol और यही मेरा जयमंगल रस.
पंचभद्र क्वाथ के होते इनकी अभितक जरूरत नही पडी.
3. पंचभद्र क्वाथ के फलश्रुती मे वातपित्तज ज्वर कहा गया है लेकीन ये त्रिदोष है (हारीत ने इसे पित्तश्लेष्म ज्वर नाशक कहा है)
4.इसके सभी औषधी द्रव्य दीपन आमपाचन रसधात्वाग्नि वर्धक रक्तप्रसादक, रक्तांनुगामी है ।
*गुडुची... त्रिदोषघ्न *श्लेष्म शोणितविबंध प्रशमनानाम । चरक*
*पर्पट... पित्तास्र भ्रमतृष्णा कफापहम*
*मुस्ता... श्लेष्मरक्तजीत।*
*किरातक... श्लेष्मपित्तास्र शोफहर*
*विश्वभेषज... कफवातशामक*
5. *पुनरावर्तक ज्वर से कटुका निकाल के उसमे शुंठी add करने के बाद पंचभद्र कषाय बनता है ।*
*किरात्तिक्तकं तिक्ता मुस्तं पर्पटक अमृता ।*
*घ्नंति पितानीचाभ्यासात पुंरावर्तकं ज्वरम ।।*
चरक चिकित्सा* 3/343*
*पंचभद्र कषाय*
*गुडुची पर्पट मुस्तं किरातम विश्वभेषजम ।*
*वातपित्तज्वरे देयं पंचभद्रामिद शुभम ।।*
(ये योग नव ज्वर से जीर्ण ज्वर पुनरावर्तक ज्वर हर अवस्था मे काम करता देखा है)
[12/15, 5:00 PM] Vd Dilkhush M Tamboli:
एरंड तेल ही क्यों ?
रुग्ण को शुष्क मल प्रवर्तन वो भी 2 दिन के बाद साथ मे ज्वर since 2 months
मल को स्निग्ध बनाकर बाहर निकालने के लिये मधुर रसात्मक गुरु स्निग्ध *जीर्णज्वरहरम परम।* एरण्ड तेल दिया।
(IC bleed होने के वजहसे उष्ण तीक्ष्ण विरेचक द्रव्योको यहां नही देना चाहिए)
अगर 2 चमच तेल से मल वेग नही आते तो थोड़ी मात्रा बढ़ा लेते लेकिन जरूरत नही पड़ी
मल वेग आने के बाद intra cranial pressure कम हुआ ।
आप ऐसा समज लो कि
जो Intra Cranial bleed हुआ वो अगर थोड़ा कम होता तो कोनसी अवस्था आती
सन्यास अवस्था के बिना सिर्फ
*पक्षवध*
पक्षवध की चिकित्सा
1.आक्षेपवत उपाचारेत ।
2.स्वेदनम स्नेहसयुक्तं पक्षघाते विरेचनम ।
विरेचन जरूरी था
लेकिन
रुग्ण इसकी आगे की अवस्था मे था ।
मतलब *सन्यास* अवस्था
सन्यास
*आचार्य चरक ने सन्यास व्याधि का वर्णन विधि शोणितीय अध्याय में किया है*
आचार्य चरक किसी भी चीज़ को कही भी नही लिखते रक्तज विकार बताने के बाद रक्त की अति दुष्टि से होनेवाले मद मुर्छा और सन्यास को लिखा
*सन्यास*
*दोष ...त्रिदोष*
*स्रोतस...रक्तवह, रसवह, संज्ञावह*
उदा. व्याधितरुपीय विमान में गुरु व्याधि और लघु व्याधि बताने के बाद कृमि का वर्णन किया। क्या वजह है कि कृमि को वहां पे डाला उसका कारण ये है कि कृमि एक ऐसा व्याधि जो mislead कर सकता है। वैद्य उसको लघु व्याधि न समझे।
प्रमेह निदान में
*इह खलु निदान दोष दुष्य विशेषेभ्यो विकारविघात भाव अभाव प्रतिविशेषा भवन्ति ।*
इस सूत्र को प्रमेहनिदानमेही आचार्य चरक ने क्यो डाला दूसरे व्याधि के शुरुवात में क्यों नही डाला? प्रमेह निदान के शुरू में ये सूत्र डालकर आचार्य चरक क्या कहना चाहते है हमे समज ना होगा ।
ऐसे ही विधिशोणितिय अध्याय में मद मुर्छा सन्यास डालकर इन व्याधिओंका और रक्त का संबंध अधोरेखित किया है
और
कहा
*कुर्यात शोणित रोगेषु रक्तपित्त हरिं क्रियाम।*
*विरेकमुपवासं च स्रावण शोणितस्य च।।*
रक्तपित्तहरी क्रिया को हमने देखा तो
*प्रतिमार्गं च हरणं रक्तपित्ते विधीयते।।*
इसलिए विरेचन...एरंड तैल
तस्याशुकारिनो.....मृदु मधुर शिशिर तिक्त कषाय अभ्यवहांर्य: प्रदेहपरिषेकवगाह ....
चरक नि.- 2/11
रक्तप्रसादक शामक अनंता मंजिष्ठा लेप
*अनंता*
मधुर तिक्त / मधुर/शीत
रक्तशोधक रक्तप्रसादक त्रिदोषनाशक
*मंजिष्ठा*
मधुर तिक्त कषाय / कटु/उष्ण
रक्तप्रसादक कफपित्तशामक
*अभ्रक*
मधुर /मधुर/ शीत
रक्तप्रसादक रसायन दीपन
*मज्जाशुक्र समुत्थानाम औषधं स्वादु तिक्तकम।*
रक्तमल पित्त को कम करके रक्तप्रसादन करने वाली और मज्जा संबधित दोषोंको कम करने के लिए मंजिष्ठा अनन्ता और अभ्रक !
यहां आप कोई और द्रव्य भी सिलेक्ट कर सकते है लेकिन उस समय रुग्ण को देखने के बाद तदात्व बुद्धि से ये द्रव्य निकल आये इसलिए दिए लेकिन एकबार व्याधि का सिद्धान्त समज आ गया तो द्रव्य कोई भी select कर सकते हो
MRI के रिपॉर्ट में हमे पता चला कि शिरोप्रदेशी रक्तस्राव हुआ है इसलिए इस केस को सब लोग कहेंगे इसे हमे तिर्यक रक्तपित्त समज लेना चाहिए और रक्तपित्त की चिकित्सा करनी चाहिए !
लेकिन उस जमाने मे MRI जैसे टेक्नोलॉजी नही थी फिर भी आचार्य इस व्याधि को कैसे निदान किया करते थे
कैसे चिकित्सा की होगी क्या चिकित्सा सूत्र अपनाया होगा !
इसका सबसे आसान तरीका ये है कि मॉडर्न science को भूल जावो और आप किसी अनजान जङ्गल में हो और वहा पर ऐसा रुग्ण आया तो आप क्या करेंगे और आचार्यो ने क्या किया होगा ।
(रुग्ण के रिश्तेदारों को थोड़ा विश्वास में लेकर उनका consent लेकर आप का सोशल और मेडिको लिगल प्रेशर कम करो)
और फिर शांति से ये सोचलो की आप कोई साधारण डॉक्टर नहीं बल्कि आचार्य चरक आचार्य, सुश्रुत आचार्य और वाग्भट जैसे महान हस्तियोंके वंशज हो !
*आज के MRI रिपोर्ट के आधार पर हम ये कह सकते है ये तिर्यक रक्तपित्त का रुग्ण था लेकिन संहिता में अगर हमने देखा तो ये समज में आएगा कि ये रक्तपित्त का नही विधिशोणितिय अध्याय का रुग्ण था* !
प्रणाम !
गुरुजन गलती सुधारे !
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[12/15, 5:05 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune:
पंचभद्र k jagah par shadangodak diya to...
[12/15, 5:26 PM] Vd V. B. Pandey Basti U. P:
गुरु जी दिलखुश जी ! ऐसे ही लिखते रहें पढ़कर भी मन नहीं भरता। ।
[12/15, 5:36 PM] L. k. Dwivedi Sir:
Dr दिलखुश जी ! Waaw !
[12/15, 5:42 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:
*डॉ दिलखुश जी, बहुत ही सटीक विशलेषण, हर पूछे गये प्रश्न का तर्क सहित उत्तर। ये सब ही आयुर्वेद की वैज्ञानिकता सिद्ध करता है, आपके लिये एक ही शब्द 'लाजवाब' ।*
👌👏🌹💐🌺👍🙏
[12/15, 5:50 PM] Vd Dilkhush M Tamboli: 🙏🙏🙏🙏
[12/15, 5:51 PM] pawan madan Dr:
Wonderful experience and utilization in this case..
💐💐🙏🙏👌🏻👌🏻
[12/15, 5:58 PM] Dr. Mansukh Mangukia:
किसी ने ऐसे जवाब दिया ही नहीं की दिल को छू लें।
[12/15, 5:59 PM] pawan madan Dr:
Vaah ji
मस्त।
कृमि को लघु व्याधि बिल्कुल नही समझना चाहिए✅
रक्त प्रसादक रक्त शोधक औषधियां👌🏻👌🏻
एरंड तैल कार्यकरित्व तो समझ मे आया था बस उसकी मात्रा के बारे में शंका थी पर अंतत परिणाम सुखद रहा 🙏
शास्त्र में वर्णन क्रम वाकई लाजवाब है।
ऐसा मैंने कई अध्यायों में पाया।
👌🏻👌🏻👏👏👌🏻👌🏻
[12/15, 6:04 PM] Vd. Aashish Kumar, Lalitpur:
💓💓💓दिल खुश सर,दिल खुश हो गया🙏🏻🙏🏻
[12/15, 6:09 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune:
दिलखुश आप ने खूब अच्छी तरह से काम
किया करते हो और present bhi kiya ।
जितना तारीफ करे कम है ।
[12/15, 6:25 PM] Dr. Rituraj Verma:
शाष्टांग दंडवत नमन गुरुवर
सीधे दिमाग के अंदर
[12/15, 6:29 PM] D C Katoch Sir:
मोगेम्बो खुश हुआ डा दिलखुश।👍🏼👍🏼 सही वक्तव्य ।
[12/15, 6:43 PM] Prof Mamata Bhagwat:
Excellent analysis... All points to be noted💐👏🏻👌🏻🙏🏻
[12/15, 6:45 PM] Sanjay Chhajed Dr. Mumbai:
दिलखुष जी, बडा ही सुन्दर विवेकपूर्ण तरीके से विवेचन किया गया है ।
आपके इस चिकित्सा हेतु आप अभिनन्दन के पात्र भी है ।
पर आपसे एक विषय पर बात कर सकते हैं ।चरक में हमे जितने भी सूत्र निदान या चिकित्सा के बारे मे मिलते है,वे मात्र उस व्याधि विशेष के ना होकर सभी व्याधियो के लिए उतनेही सयुक्तीक होते है ।
[12/15, 6:48 PM] Shantanu Das Prof KC:
👌🏼👌🏼 I also use it in chr fever case... even in sickle cell Anemia...
[12/15, 6:57 PM] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur:
Nice explain ke sir ji 🙏💐🙏 pranam sir !
[12/15, 7:29 PM] Prof. Surendra A. Soni:
उत्कृष्ट विवेचना दिलखुश जी । दिल खुश हो गया ।
ब्लॉग पर प्रकाशित करने का विचार है ।
नमो नमः ।👏🏻🙏🏻🌹
[12/15, 7:30 PM] Prof Prakash Kabbra, Nagpur:
Ayurvedic contemplating habits made you successful in the case. Understanding the Samprapti and treating accordingly made you successful. Salute to you.
[12/15, 7:31 PM] Prof. Surendra A. Soni:
आपने चरक के वास्तविक clinical aspect को उजागर किया है ।
👏🏻👌🏻👌🏻🙏🏻🌹🌹🙏🏻
[12/15, 7:32 PM] Dr Ashwini Kumar Sood, Ambala:
Great achievement 👍🏽
[12/15, 7:36 PM] Vd Dilkhush M Tamboli:
जी सोनी सर ।
बिलकूल करिये सर इससे जुनीअर्स का ऐसे बिमारीयोंका डर निकल जायेगा ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[12/15, 7:40 PM] Prof. Surendra A. Soni:
सही कहा आचार्य । हम सब एक साथ होकर ये करने के लिए प्रयासरत हैं । आचार्य आदरणीय सुभाष सर तथा अन्य गुरुजनों का तो यह एक संकल्प है ।
🙏🏻👌🏻🌹👏🏻🙏🏻🌹
[12/15, 7:45 PM] Vd Dilkhush M Tamboli: 👌🙏🙏🙏
[12/15, 7:46 PM] Dr Shashi Jindal:
🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐💐💐great motive 💐💐💐
[12/15, 7:47 PM] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur:
Nice Pawan sir ji 🙏🙏
[12/15, 7:48 PM] Dr. Rituraj Verma:
सर जी आपने बहुत ही सरल भाषा मे वर्णन किया बहुत ही उत्तम
आप अब इतनी ही सरल भाषा।मे एक बुक की रचना करे ताकि नए विद्यार्थियों को लाभ मिल सके शास्त्र कैसे पड़ना है पता चल सके ।
[12/15, 7:48 PM] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur:
🙏🙏 pranam sir ji 🙏🙏
[12/15, 7:53 PM] Vd. Aashish Kumar, Lalitpur:
आप सब का हृदय से धन्यवाद, ईश्वर सारी क्षमताओं से पूर्ण करे🌹🌹🌹🕉
**************************************************************************
**************************************************************************
Above case presentation & discussion held in 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp group of well known Vaidyas from all over the India.
Presented by
MD & CEO @ Kankayan Ayurveda Mahachikitsalaya, Kolhapur, Maharashtra, India. Mobile No. +91 8888484441, +91 9850009051 |
Well done bro.
ReplyDeleteProud of u.
Thank you
DeleteVery well explained,recently there have been few cases of coma where I felt helpless as patients were in ICU but after reading your successful case a bridge of faith and confidence is created.
ReplyDeleteThanks alot
Thank you
DeleteNice Ayurvedic approach.such cases built confidence in students
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteThank you
ReplyDelete