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WDS 77: "Medovah-srotas & Vrikka" by Prof. Giriraj Sharma, Vd. Raghuram Shastri, Prof. Arun Rathi, Dr. D. C. Katoch, Vaidyaraja Subhash Sharma, Dr. Shashi Jindal, Prof. K.S. R. Prasad, Prof. Mamata Bhagawat, Dr. Pawan Madaan, Dr. Manu Vatsa, Dr. Sandesh Chavhan, Dr. Sanjay Chhajed, Vaidya Bhavesh Modh & Others

[11/15, 6:40 PM] Prof Giriraj Sharma: 

*चिंतन*

*मेदवह द्वे तयोर्मुलम कटी वृक्कों*
आचार्य सुश्रुत ने मेदवह स्रोतस का मूल कटि एवं वृक्क बताया है ।
पुनः गर्भव्याकरण शारीर में अंग प्रत्यंग निर्माण प्रक्रिया में उल्लेख किया है कि
*रक्तमेद प्रसादात वृक्कों*
अर्थात रक्त एवं मेद धातु के प्रसाद भाग से वृक्क निर्मिति होती है ।

*महत्वपूर्ण यह है कि मेद धातु एवं वृक्क के परस्पर क्रियात्मक क्या प्रभाव है क्या मेद निर्माण में मेद के अवशोषण में वृक्क की अहम भूमिका है""""'?*

आयुर्वेद संहिता सिद्धान्त में मेद जन्य विकृति में किस तरह से वृक्क प्रभावी होता है ।

मेदजन्य रोग में वृक्क या
 वृक्क जन्य रोग में
मेदवह स्रोतः में सम्प्राप्ति विघटन में वृक्क की महत्ता के प्रति एक चिंतन मात्र,,

मेद
There are many different kinds of fats, but each is a variation on the same chemical structure. All fats are derivatives of fatty acids and glycerol. Most fats are glycerides, particularly triglycerides (triesters of glycerol).

वृक्क
Here refers  with Nephrons,,,,
Function of Nephrons
1 Filtration
2 Secretion
3 *Reabsorption*


In regarding Reabsorption of   lipids in Proximal convoluted tubules of the kidney .

आचार्य सुश्रुत के मेदोवह मूलम कटि वृक्कों  ,,,,

*आचार्य सुश्रुत का रक्तमेद वृक्कों एवं मेदवह स्रोतः मूल कटि वृक्कों निश्चित रूप से सार गर्भित सूत्र है , आप विद्वजन समुदाय से निवेदन है कि इस विषय पर चिंतन किया जाए , विशेषकर आचार्य कटोच से से उम्मीद है कि वो इस पर अपना मन्तव्य दे*
*Must we think about Pathophysiology implementations*

1. Lipids including TRIGLYCERIDES, PHOSPHOGLYCERIDES
CHOLESTEROL.

2.Body Mass Index BMI

3 Obesity - Associate Kidney disease

4 Lipotoxic Metabolism

[11/15, 7:01 PM] Prof. Surendra A. Soni:

 उत्कृष्ट विषय आचार्य जी ।
राठी साब, शशि मैडम, पवन जी, रघु सर और सब विद्वानों से निवेदन है कि मार्गदर्शन प्रदान करने की कृपा करें ।

🙏🏻🌻

[11/15, 10:26 PM] D C Katoch Sir: 

वृक्कों के ऊपर अधिवृक्क ग्रन्थियां (suprarenal glands) हैं जहाँ से corticosteroids  निस्रवित होते हैं- जिनका fat metabolism (मेदधात्वग्निव्यापार) में महत्वपूर्ण योगदान है।
Adrenal glands की सत्ता को स्पष्ट रूप से तो नहीं परन्तु अपरोक्षतः तो आयुर्वेद शास्त्र में धात्वग्नि अंशो के रूप में समझा जा सकता है।

[11/15, 10:36 PM] Prof Giriraj Sharma:

 वृक्क एवं अधिवृक्क को एक ही अंग समझा जाए
या अधिवृक्क को *कटि* समझा जाये ।

[11/15, 10:39 PM] Prof Giriraj Sharma:

 Water
Sex
Glucose
के परिपेक्ष्य में reference है
Different kinds of FAT metabolism में क्या समझा जा सकता है ।

[11/15, 10:40 PM] D C Katoch Sir: 

वृक्क और अधिवृक्क को एक ही समझना चाहिए और कटि से omentum का ग्रहण करना उचित होगा 

[11/15, 10:42 PM] Prof Giriraj Sharma: 🙏🏼🙏🏼

[11/15, 11:35 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *कई बार जीवन का golden period लोग experiments में ही निकाल देते है, उदाहरण तृणपंचमूल क्वाथ - जिन जड़ों का उल्लेख है अधिकतर वो असली मिल ही नही रही और चिकित्सक बेवकूफ बन रहा है कई रोगियों को देने के बाद कहा जाता है हमने वृक्क दुष्टि में इसका प्रयोग किया पर result नही मिला।*

*आयुर्वेद का यथार्थ ज्ञान किसी योग्य गुरू से ही सैद्धान्तिक या प्रायोगिक मिल सकता है नही तो जीवन के अनेक वर्ष व्यर्थ चले जाते है।इस ग्रुप में अनेक गुरूजन जो मार्ग दे रहे हैं उसका अभिप्राय यही है कि उन्होने जो रास्ता पकड़ा वो आपको दिखा दिया कि आपका समय व्यर्थ ना जाये, अगर उतने को भी समझ कर अपना ले तो आयुर्वेद जीवन सफल है।*

*देखिये आज आचार्य गिरिराज जी और कटोच सर की मेदवह वृक्क पर अत्यंत ज्ञानवर्धक चर्चा, ये Ph.D स्तर का ज्ञान है जो यहां सब को मिल रहा है।ये सब आयुर्वेद में और कहीं नही मिलेगा।*

                🌺💐🌹

[11/15, 11:38 PM] pawan madan Dr: 

Uchit sir....🙏🙏

[11/15, 11:38 PM] Dr. Rituraj Verma:

 प्रणाम गुरुवर 🙏

[11/15, 11:39 PM] Dr. Rituraj Verma: 

वृक्कौ पुष्टीकरौ प्रौक्तौ जठरस्थस्थ मेदसः।

[11/15, 11:40 PM] Dr Naresh Garg, Jaipur: 

🙏🙏 युक्तियुक्त व्यवहारिक ज्ञान जो हमें आप जैसे आचार्यों के द्वारा ही मिल सकता है ।

[11/16, 6:08 AM] Dr Shashi Jindal: 

http://fblt.cz/en/skripta/vii-vylucovaci-soustava-a-acidobazicka-rovnovaha/4-endokrinni-funkce-ledvin/

Hormones secreted by kidnes.🙏🏼

[11/16, 7:38 AM] Prof Giriraj Sharma: 

शुभ प्रभात !
आधुनिक विज्ञान ने जो सिद्धान्त प्रतिपादित कर दिए हम बस उन्हें ही सत्य मान बैठते है निश्चित वो सत्य है पर शाश्वत सत्य नही है ।
हमे हमारे संहिता सिद्धान्त की विस्तृता एव गहनता को समझना चाहिए ।
जब कोई आधुनिक वेत्ता मेद एवं किडनी के सिद्धांतों को प्रतिपादित कर देगा तब हम कहते है कि यह तो शास्त्र में उल्लेखित है ।
उनके प्रतिपादन के पूर्व हम हारे संहिता सूत्रों को क्यो गहनता से चिंतन करते है ।
वृक्क के प्रतिपादित कर्म अभी ये ही है आधुनिक मतानुसार
पर हमारे संहिता सूत्र इनसे भी आगे हमे इन प्रतिपादित विषयो के साथ सहिता सूत्रों पर चर्चा करनी चाहिए ।

*We Must think now about Regarding मेद (different kind of FAT) and वृक्क *(specific function of Nephrons)*

1.Renal Lipid Accumulation
2. Key role of BMI
3 Abnormal Triglycerides
4. Obesity - Associated Kidney disease and Nephrolithiasis
6 Lipitoxic Metabolism in Renal,,,,,

[11/16, 8:19 AM] Dr Shashi Jindal: 

Very good morning sir 🙏🏼

Basti is one marm out of three, shir, hridya and basti.

We include kidneys and supra renal glands in basti mainly, as if these two are most important for excretion of metabolic waste,  extra water, excretion of hormones, and many other vital functions of body.

Med dhatu is one of the most important dhatu out of seven dhatus,  as asthi majja and sukra are foemed from it.

Med is formed after proper formation of rs rakt and mans dhatu.

Rs and rkt are colloidal liquids .

Mans is soft solid form of dhatu containing  fats .

Now I take the example of formation of ghrit from milk.

ann rs, rs dhatu, rkt dhatu and mans dhatu.

Milk is boiled, curd is prepared, churned to separate butter, now ghee is prepared again by heating butter.

Slowly on heating butter,  protein and water gets separated and good quality ghrit is formed.

Now just imagine in this process of preparation of ghee, any step if missed we  can not get good quality ghrit.

Separation of Water(urine and urine soluble wastes) and proteins and other substances(absorption of substances from glomerular filterate) is most important part.

Kidneys plays this role.

It is all very primitive part, of understanding the role of kidneys as mool of med dhatu.

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 8:28 AM] D C Katoch Sir: 

Fantabulous analogy of Ghee formation to understand the responsibility of kidneys 👍🏼 सुष्ठु इति।

[11/16, 8:28 AM] Dr Shashi Jindal: 

Namastey sir, thanks a lot .🙏🏼🙏🏼💐🌹🙏🏼🙏🏼

[11/16, 8:29 AM] Mahesh Patil Dr: 

👍👍 Good interpretation

[11/16, 8:52 AM] Dr Shashi Jindal: 

Namaskaar sir, with regret I have to say that we have missed so much in pratyaksh experiences of Ayurveda, we have to rely on modern science to understand ayurveda and its concepts.

The example I have given can be understood fully by only those persons who have prepared ghrit themselves, others can only imagine.🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐

[11/16, 8:52 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *श्रेष्ठ उदाहरण डॉ शशि जी 👌👌👌 मूत्रनिर्माण की प्रक्रिया पक्वाश्य में हो रही है, सार और किट्ट, अग्नि व्यापार विशेषकर धात्वाग्नि का कार्य ये सब इतने गंभीर और विस्तृत विषय हैं कि इन्हे जितना समझों ऐसा लगता है कि हमारे ज्ञान में कहीं कमी है तो इस पर अन्यों से भी चर्चा कर उनका मत जाना जाये और दूसरों का विलक्षण ज्ञान देखकर एसा लगता है हम तो इस विषय में शायद अल्प बुद्धि के हैं।clinic पर रोगियों में जब शास्त्र, सिद्धान्त और औषध प्रयोग होता है तो हर बार कुछ नया और अलग ही मिलता है, सिद्धान्त केवल modern बनाकर आयुर्वेद चिकित्सा नही की जा सकती इसका उदाहरण ...*
*'स्यात् किट्टं केशलोमास्थ्नो ...' च च 15/19*
*'तत्र हि नखलोम च इत्येनेनास्थिमलत्वं नखस्योक्तं .. सु सू 46/527 'किट्टात् केशनखादय: पुष्यन्ति..' च सू 28/4 पर चक्रपाणि।*
*आयुर्वेदानुसार केश,लोम श्मश्रु (मूंछ और दाढ़ी) अस्थि के मल है।*
*अस्थिक्षय के लक्षण 'केशलोमनखश्मश्रु द्विजप्रपतनं श्रम:, ज्ञेयमस्थिक्षये ...' च सू 17/67 अस्थि क्षय होने पर केश, लोम और श्मश्रु का पतन ।*
* अस्थि वृद्धि पर डल्हंण ने सु सू 15/14 में 'चकारात् केशनंखयोरतिवृद्धिर्ज्ञेया 'केश की वृद्धि भी बताई है। च सू 28/16 में 'केशलोमनखश्मश्रु दोषाश्चास्थि प्रदोषजा:।' केश, लोम और श्मश्रु अस्थि प्रदोषज विकार बताये हैं ।*

*मुझे लगता है जैसे modern में केश संबंधित रोगों को skin में लिया गया है अगर कोई सरकारी संस्थान में इस पर कार्य करना चाहे तो उसका सारा समय ये सिद्ध करने में निकल जायेगा कि केश को अस्थि का मल कैसे प्रामाणित किया जाये, इस पर आचार्य गिरिराज जी नें सूक्ष्म प्रमाण भी दिया था जिस से लगा कि ज्ञान के द्वार तो यहां विद्वान ही खोल रहे हैं।*

[11/16, 8:54 AM] Dr Ajay Singh: 

Med dhatu is considered as border for superficial and deep level in Kustha. Pathology After reaching the med dhatu become difficult to cure(krucchsadhya)

[11/16, 8:57 AM] Prof Giriraj Sharma:

 🙏🏼🙏🏼🌸🙏🏼🙏🏼
I also agree with all,,,,
But now we must think on role of Proximal Convoluted Tubules of Nephrons in regarding reabsorbing process of lipids,,,,,
And what the clinical aspect ...

Milk, ghee, buttermilk, theory is great theory but in present era students and modern doctors are not accept all these type example,,,,,
They want to discuss on human patho-anatomy, pathophysiology,,,,,,

[11/16, 9:01 AM] Dr Shashi Jindal: 

Good morning sir, I feel to know Ayurveda, I have to take every birth as ayurveda student again and again. How deep and interesting it is.

You are best in conceptual and clinical ayurveda.
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐💐

[11/16, 9:03 AM] Prof. KSR Prasad Tachnoayurveda: 

Kheeradadhi nyaya is universal theory to be accepted
The logic is good
What exactly one wish to state here as postulation is missing
If at all only for convening on the basis of molecular and structural theory even we have the same within

[11/16, 9:03 AM] Dr Shashi Jindal: 

Yes sir you are right, to explain modern people theories od Ayurveda we have to learn modern science more than modern scientists. 🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐🙏🏼

[11/16, 9:04 AM] Prof. KSR Prasad Tachnoayurveda: 

It is the only terminology what we use
 If you use conventional terminology .. it states you are abruptly right

[11/16, 9:07 AM] Dr Divyesh Desai: 

👏🏽👏🏽सर आपने शारीर रचना ओर शारीर क्रिया दोनों से मेदोवह स्त्रोत्स का मूल का सटीक अर्थघटन किया है,बाद में हमारे ही ग्रुप मेम्बर द्वारा मेदोवह स्त्रोत्स के सारे रोगों की सम्प्राप्ति का ओर सम्प्राप्ति विघटन का ज्ञान प्राप्त होगा..जय धन्वंतरि ।

[11/16, 9:09 AM] Prof. KSR Prasad Tachnoayurveda: 

Think of molecular arrangement of these tissue or dhatu ..
Rasa is only CHO and Rakta got globulins with iron metal
Mamsa is globulin with strands of myofibre and become mamsa .. a protein chain
Medas is fat still a complex form of CHO
 The importance of srotas and moola has to be differentiated first
Thsn we get perfect answer
 The tissues further complex forms that are involved with various materials.
The cell line it self is a protein layer with bonding.
 At the end the cells that undergo miosis is sukra with genetic material ... Again protein

[11/16, 9:14 AM] Prof Giriraj Sharma: 

🙏🏼🙏🏼🌸🙏🏼🙏🏼
Yes sir,,,,
Not only क्षीरदधि न्याय but also केदारी कुल्या, खले कपोत,,,,
We have discussed these theory regarding Formation of Blood ,,,,,

But...

Ayurved is never got any nobel prize any great research in medical field ,,,,
Because of proper present terminology and proper Patho-Ana-Physiology .
*We should re-write, re-read, re- interpret all ARSHA SIDDANTA*
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌸🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 9:20 AM] Prof Giriraj Sharma: 

👍🏻👍🏻👏🏻
This type discussion and terminological mandatory...
शुक्र का एक पर्याय *विश्वचररूप द्रव्यं*
Again *आत्म संज्ञा हि गर्भ*

🌹🌹🙏🏼🌹🌹

[11/16, 9:25 AM] Dr Shashi Jindal: 

Sir I think no need to change ayurvedic terminology , these words are the most appropriate words used, need is to write books on every word so that modern people can understand these.🙏🏼💐

[11/16, 9:27 AM] Prof Giriraj Sharma: 

I don't want to change the Ayurveda terminology,,,
I want to change the the examples regarding this great ayurvedic terminology,,,,,

[11/16, 9:31 AM] D C Katoch Sir: 

आयुर्वेद के मौलिक शब्दों के लिए अलग से किताब लिखने की आवश्यकता नहीं है,  आवश्यकता  है मस्तिष्क में लिखने की और भावार्थ को प्रायोगिक व्यवहार में लाने की। आपका concern सही है। 🤘🏼

[11/16, 9:33 AM] Prof Giriraj Sharma: 👏🏻👍🏻👍🏻🙏🏼

[11/16, 9:35 AM] Dr Shashi Jindal: 

yes sir examples can be changed to make ayurveda understandable in this new era.🙏🏼

[11/16, 9:38 AM] Dr Shashi Jindal: 

Key point is this👍🏼 we have to use ayurveda in our day to day life to understand the valuable knowledge of Ayurveda. 🙏🏼

[11/16, 9:39 AM] D C Katoch Sir: 

ज्ञातं अल्पं, अज्ञातं अनल्पम्। अज्ञात को समझना ही modern knowledge है। यह बात आयुर्वेद के विद्यार्थियों, अध्यापकों,   चिकित्सकों व अनुसंधानकों को समझनी और समझानी चाहिए तभी आयुर्वेद का वास्तविक स्वरूप प्रकट होगा, व्यवहृत होगा। ✌🏽

[11/16, 9:46 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*वास्तविकता भी यही है *

        👌🙏🌺💐🌹👌

[11/16, 10:03 AM] Dr. Rituraj Verma:

 In modern aspect-
-Kidneys secrete hormone- erythropoietin, vit.D and renin.
-erythropoietin interferes with production of RBC and their lack may lead to anemia.
-vit.D controls the intestinal absorption of calcium and renin. Together with aldosterone.it controls volume of fluids and arterial pressur of organs.

[11/16, 10:19 AM] Prof. Satish Panda K. C:

 माधवकर ने प्रमेह तथा मेदो रोग के साथ वर्णन किये है।क्योंकि प्रमेह के 10 दूष्य में मेद प्रधान हे।
वृक्क रोग भी प्रमेह में समाहित है।आचार्य वाग्भट ने 20 प्रकार के प्रमेह को मूत्र अति प्रवृत्ति मूत्र रोग माने है।
अब ध्यान से देखे और समजे तो आधुनिक Diabetes Mellitus, Urinary Disorder, Obesity, Dyslipidemia में मेद का मुख्य भूमिका है।
चिकित्सा करते समय इन सभी रोगों में मेद दृष्टि भी दूर करे।
A clinical approach
🌹🌹🙏🏻🙏🏻🌹🌹

[11/16, 11:09 AM] D C Katoch Sir: 

प्रमेह कदापि मूत्ररोग (urinary disease) नहीं है, प्रमेह has urinary signs & symptoms  from metabolic background.

[11/16, 11:09 AM] Dr Shashi Jindal:

 Embryonic development of kidneys ;

All body parts including indryadravyas (nervous system), shareer sandhies, sandhi bandh, pichhadi develop from dhatu prasad (not from dhatus). ch sut 28/3.

As pr Sushrut kidneys develop from prasad of rkt and med dhatu. ?????

As pr embryology definitive kidneys develop from metanephric mesoderm.

1. Collecting system

2. Excretory system

🙏🏼how can we link the two ???

[11/16, 11:27 AM] Prof Giriraj Sharma:

 कला परिप्रेक्ष्य में सूक्ष्म अध्ययन करेंगे तो कला निर्माण में स्नायु, शेलष्मा, जरायु को Ectodermal, Endodermal, Mesodermal रेफरेन्स में चिंतन करेंगे तो इसका गुढ़ रहस्य भी मिल जाएगा सम्भवतः
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 11:33 AM] Dr Shashi Jindal: 

yes sir Charak has explained 6 twacha, the only detail in relation to organs.🙏🏼

[11/16, 11:49 AM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Yes that's why recurrent UTI in Diabetic can't be controlled till bloid sugar not controlled and also basic parameters like hypertension etc

[11/16, 11:51 AM] Prof. Satish Panda K. C: 

जी सर्
मैने नहीं वाग्भट ने माने हे, मैंने तो एक चिकित्सीय दृष्टि कोण ,प्रमाण सहित देने का प्रयास किया है ।
आगे आचार्य वर्ग अपना अपना विचार दे सकते हैं।🌹🙏🏻🌹

[11/16, 12:01 PM] Dr Shashi Jindal: 

sir namaskaar 🙏🏼
what is CHO ?🙏🏼

[11/16, 12:22 PM] Dr Prasad Kulkarni Nanded: 

प्रमेह का संप्राप्ती अधिष्ठान मेदोवह srotas है लेकींन अभिव्यक्ती स्थान मूत्रवह srotas है ।

[11/16, 12:23 PM] Prof Giriraj Sharma: 

मारुते प्रगुणे बस्तौ मूत्र सम्यक प्रवर्तते
विकारा विविधाश्चापि प्रतिलोमे भवन्ति हि
मूत्राघाताः प्रमेहाश्च शुक्रदोषास्तथैव च
मूत्रदोषाश्च ये केचिद्वस्तावेव भवन्ति हि ।
सु नि अश्मरी रोग

वृक्क एवं बस्ती दो शब्द प्रायः मिलते है मूत्र रोग एवं प्रमेह में,,,,
*यदा मेदसा सहैकत्वमुपेत्य मूत्रवाहीन्य स्रोतास्यनुसृत्याधो गत्वा बस्त्रेमुखाश्रित ,,,,* प्रमेह सु नि
दुष्य स्थान संश्रय जन्य लक्षण ज्यादा प्रतीत होते है ।
मगर वृक्क को अगर अधिवृक्क के साथ देखे तो दोष दुष्य जन्य लक्षण प्रतीत होते है ।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 12:25 PM] Prof. KSR Prasad Tachnoayurveda: 

CHO means - Carbohydrates

Dr. Shashi ji !!

[11/16, 12:29 PM] Dr Sandesh Chavhan: 

*वृक्क और पांचभौतिक विचार*

*रक्त मेद प्रसादात वृक्को।*

यह जब आचार्य सुश्रुत ने लिखा तब यहा उनका निर्देश 3 बातोंपे था।
१. रक्त
२.मेद
३.प्रसाद भाग

विचारणीय है की आचार्य ने मांस धातू का उल्लेख नही किया है। उसे skip किया है और मेद धातू को उत्पत्ती मे लिया है।
अब ये क्यूँ ये देखेंगे।
रक्त धातू से ही सब अवयवोंकी उत्पती बतायी है।
उदा. यकृतप्लीहा शोणिताजौ।
Etc...

रक्त का गुण यह *अनुषण* बतलाया है। और मेद का *स्नेह स्वेद दृढत्वं।*

अब रक्त का तो role है है सब अवयव उत्पत्ती मे।
परंतु मेद के उपर दिये हुए गुणो की वजह से  वृक्क निर्मिती मे वह अहम भूमिका निभाता है।
स्वेदन यह कार्य वृक्क को सदा आर्द्र रखता है।  स्नेह यह गुण वृक्क को सदा oily राखता है । वृक्क यह विजातीय द्रव्य को शरीर से बाहर निकालाने का काम करता है। और वह विजातीय घटक शरीर मे फिरसे चिपके ना ( reabsorption) इसिलिये स्निग्ध गुण का महत्व है।
अब दृढत्वं की ओर चलते है।
दृढ यह स्थिर भाव को प्रदर्शित करता है।
और यह कॉम्प्लेक्स क्रिया करणे के लिये वृक्क मजबूत होना अत्यावश्यक है।

इन वजह से वृक्क मे मेद का स्थान है नाकी मांस धातू का।

Ckd और अन्य nephropathy मे उल्लेखनिय है की जब जब रक्त अनुषण से उष्ण होगा तब तब मेद धातू का स्निग्ध प्रधान गुण रूक्ष गुण मे परावर्तित होगा। और शरीर मे सारे विजातीय घटब reabsorp होने लेगेंगे।

इसिलीये रक्त मेद प्रसादात वृक्को।

गुरुचरण समर्पित🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[11/16, 12:33 PM] Prof Giriraj Sharma: 

*तत्र वसा मेदोभ्यामभिपन्नंशरीरस्य त्रिदोषे अनुगतधातो*
मेदवह स्रोतः
मूत्रवह स्रोतः
वसा - शुद्ध मांसस्य स्नेह वसा
मांसवहः का मूल त्वचा
( प्रमेह पिण्डिका) -----
विकारा विविधाश्चापि प्रतिलोमे भवन्ति
दोष के प्रतिलोम एवं अनुलोम गति में मेदवह स्रोतः की दुष्टि स्वाभाविक है मेदमूल वृक्क  सिर्फ दुष्य स्थान संश्रय ही रहे दोषदुष्य दुष्टि बिना ,,,
ऐसा सम्भव है क्या ,,,,,
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 12:38 PM] Dr Prasad Kulkarni Nanded:

 ये सवाल भी निर्माण होता है, मांस और मेद दोनो स्निग्ध धातू है, फिर निसर्ग रचेता को ये दो भिन्न भिन्न रचना मनुष्य शरीर मैं क्यू करनी पडी। मेद और मांस धातू भी पृथ्वी +आप है लेकींन मेद मैं पार्थिवत्व कम और आपत्त्व ज्यादा है, तो मांस मैं आपत्व मेद की तुलना से कम है और पार्थिवत्व ज्यादा है। तो इसकी क्लिनिकल utility क्या है ? आप प्रधान मधुर हेतू मेद को ज्यादा दुष्ट करेंगे तो पार्थिव प्रधान हेतू मांस को ।

[11/16, 12:39 PM] D C Katoch Sir: 

मूत्रकृच्छृ व मूत्राघात are मूत्ररोग ।

[11/16, 12:44 PM] Dr Sandesh Chavhan: 

गुरवर दृढत्वं यह गुण मेद धातू को अलग बनाता है अन्य धातूंओ से😊

[11/16, 12:45 PM] Prof. M. S. Baghel Sir: 

If we consider Rasavah Srotas as initiated problems will be solved. Madhumeha is 21st type Prameha(chakrapani in madhumeha chikitsa)

[11/16, 1:48 PM] Prof Giriraj Sharma: 

नमस्कार
प्रमेह परिप्रेक्ष्य में मेद महत्वपूर्ण है परन्तु जब इसके भेद देखते है तो *वसामेह* का उल्लेख मिलता है ।
वसा और मेद दोनो ही मांस धातु से निर्मित है
मांस के प्रसाद भाग से मेद एवं
शुद्ध मांसस्य स्नेह वसा ,,,,
यही वसा जब प्रमेह में जब दूषित होती है प्रमेह पिडिका दृष्टित होती है ।

*मांस कफ रक्त मेद से वृषण का निर्माण होता है* ।
प्रत्येक धातू का अपना स्वरूप एवं अन्य धातुस्नेहपरम्परा है । उनके संयोग में पूर्व धातू मात्र सार भाग में रहता है जो उस धातवाग्नि से अवस्था परिवर्तित करके नव धातु निर्माण करता है उसी प्रकार रक्त एवं मेद धातु से वृक्क का निर्माण होता है ।
इसी मेदधातु के साथ रक्त, मांस, के सार , कफ आदि मिलकर भिन्न भिन्न अंग प्रत्यंग निर्माण करते है ।
यथा
*कफ शोणित मांसानांसारः*
 *जिव्हा प्रजायते*
*रक्तमेद प्रसादाद वृक्कों*
*मांसासृककफमेद प्रसादाद वृषणों*
*शोणितकफ प्रसादाजम ह्दय*

[11/16, 2:02 PM] Prof Mamata Bhagwat: 

When the Dasha dooshya of Prameha are considered,
2 important factors draw attention.
1. All the Dhatu starting from Bahu abaddha medas, and other dhatus in order getting affected..

Kaphaja Prameha, kapha pradhana dhatus getting affected sooner. This indicates the Santarpana effect and  Prameha as metabolic error.

2. The doshas *Mootramadaya tishtati* they reach the area where mootra gets formed.
Mootra gets formed in Vrikka, that's established fact. So in Prameha the pathology of Vrikka also begins in the early stages only. To be precise..
*the staana samshraya takes place in Vrikka also*

The problem with Medo Dhatu immediately affects the functionality of Vrikka.

[11/16, 2:03 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Sir VASAA is updhatu of Maans dhatu and  Med dhatu is Saar bhag of Mans dhatu after it is being affected by Maansdhatuagni.. so there is differentiation between vsaa and Med

[11/16, 2:04 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

Small correction madam-
Mootra get filtered in kidneys, formed in pakwashaya as per Ayurveda.

🙏🏻🌹

[11/16, 2:07 PM] Prof Mamata Bhagwat: 

True sir, filtering and reabsorption happening in the kidneys is also known fact. The final form is attained only in Basti.
Hai na?

[11/16, 2:10 PM] Prof. Satish Panda K. C: 

Good approach🌹🙏🏻
Meda is the main culprit in CKD,DM, etc.

[11/16, 2:18 PM] Dr Shashi Jindal: 

Basti here may include ;

Sthool gud

mushak

sevani

shukra

mootravahini naadi

ambuvahi naadi

ch. sidhi 9/4

This can explain relation of pcod with prmeh.

[11/16, 2:20 PM] pawan madan Dr: 

बढ़िया

पर शंका ये है के
मांस में भी
स्वेदनं स्नेहन द्र्धटबमवं आदि गुना होते ही हैं🤔

रक्त में उष्ण गुना वृद्धि विचारणीय है👍

[11/16, 2:24 PM] Prof Giriraj Sharma: 

जी आचार्य आपकी बात से पूर्ण सहमत हूँ ।
मांस के सार को जब मेद धातवाग्नि पाक करती है तो वह मेद धातु में परिवर्तित हो जाता है ।
मांस का स्नेह वसा है, स्नेह एवं सार में तरतम अंतर है ।
परन्तु सार पर या सार भाग मेद धातवाग्नि के संयोग से मेद धातु में परिवर्तित हो जाता है ।
परन्तु मांस शुद्ध स्नेह धातवाग्नि के अग्नि व्यापार धातु निर्माण प्रक्रिया में नही जा पाता है ।
इसलिए वो वसा रूप में शरीर मे अवस्थित रहता है , जबकि सार अवस्थान्तर से अग्रिम धातु में परिवर्तन हो जाता है ।
मूलतः मांस का शुद्ध स्नेह वसा एवं
उसी मांस का सार तरतम अवस्थाये है एक पर धातु अग्नि व्यापार हो रहा है एक पर नही,,,,
धातु अग्नि महत्वपूर्ण है अवस्थान्तर के लिए
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 2:27 PM] pawan madan Dr: 

Mutra gets formed in the pakvaashya....Is the concept.

Only mention of mutra formation in one place in ashtang.....That too in indirect form...


[11/16, 2:30 PM] Vd. Aashish Kumar, Lalitpur: 

मेद धातु से आगे अस्थि धातु भी बननी है जो कि दृढ़ है।जबकि वसा से ऐसा नही होगा।🙏🏻🙏🏻

[11/16, 2:33 PM] pawan madan Dr:

 Sir....🙏

In general every dhaatu is made with all the dhatus.

The difference is in TARA TAMA BHAAVA
🤔

[11/16, 2:35 PM] Prof Giriraj Sharma: 

धातु एवं उपधातु
मांस धातु के सार भाग जब अग्रिम धातवाग्नि के सम्पर्क में आता है तो वह भाग अग्रिम धातु मेद बन जाता है ।
उसी मांस धातु का सार भाग (तरतम अंतर स्नेह) जब धातवाग्नि से संस्कारित नही हो पाता है तो वह उसी धातु का उपधातु बन जाता है ।
1 मांस धातु - ( *सर्व* गुण युक्त)- सार  - *धातु अग्नि प्रक्रिया* -  अग्रिम धातु मेद

2 मांस धातु-  (तरतम गुण सम्प्पन)- स्नेह/ सार - *धातु अग्नि प्रक्रिया रहित*-  उपधातु

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 2:41 PM] Vd. Aashish Kumar, Lalitpur: 

धन्यवाद सर सूक्ष्म ज्ञान के लिये और इसी तरह से जो किट्ट भाग बचा वो मल जैसे मेद का मल स्वेद।🙏🏻🙏🏻

[11/16, 2:41 PM] Prof Giriraj Sharma: 

दोष मारुत जब प्रगुण होकर बस्ती में जाती है तो वहां विकृति करती है परन्तु वही वात प्रतिलोम होकर मूत्रजन्य व्याधि ही नही प्रमेह, शुक्रदोष जन्य आदि रोग भी उतपन्न करती है ।
बस्ती के परिपेक्ष्य में प्रतिलोम वात दोष वृक्क , वृषण स्तन्य जन्य रोग भी उतपन करती है
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 2:45 PM] Vd. Aashish Kumar, Lalitpur: 

आचार्य सुश्रुत जी के अनुसार मूत्र निर्माण प्रक्रिया पक्वाशय से शुरू होती है अतः वृक्क सिर्फ उसका वहन करने वाले अंग है।किडनी वाले रोगों पर हमें तो सिर्फ वृक्क पर नही बल्कि पूरे शरीर की क्रियाओं यानि के अग्नि, मल, पाचन, मूत्र, स्वेद, स्नेह, रक्त पर नजर रखनी पड़ेगी।(इसके अलावा अन्य गुरुवर भी बताएं।)

मुझे ऐसा समझ आया।🙏🏻🙏🏻

[11/16, 3:02 PM] Prof Giriraj Sharma:

 धातु अग्नि व्यापार स्व धातु अग्नि से ही स्व धातु सार , स्नेह बनाएगा ,,,,
उस सार भाग पर अग्रिम अग्नि प्रक्रिया से ही अग्रिम धातु एव सार स्नेह निर्माण होना चाहिए ,,,
शास्त्रोक्त कुछ अन्य सन्दर्भ हो तो निश्चित ज्ञान वर्धक होगा ।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 3:05 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Vsaa being niragni (without pak)saar  part of maans dhatu; responsible for cold/hot tolerance of skin whereas SVED being niragni(without pak) Saar part of MEDdhatu responsible for dryness/ Wet condition of skin..its salty..

[11/16, 3:08 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Sir I want to say as per this reference maans dhatu apnee agni (MaansdhatuaGni) se paak hokar meddhaatu bnaata hai... Aapne  Likhaa thaa Meddhatu agni
Sneh part is ok

[11/16, 3:13 PM] Prof Giriraj Sharma: 

🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼 धन्यवाद सर संशोधन के लिए ,

*स्व उष्मण* कला के परिपेक्ष्य में आचार्य वाग्भट ने लिखा है ।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 3:19 PM] Prof. KSR Prasad Tachnoayurveda: 

Please read my ppt on molecular and cellular ayurveda on slideshare

[11/16, 3:29 PM] pawan madan Dr: 

आपका ये प्रश्न एवं वी हर बहुत ही महत्वपुरन है।

मेद एवं वृक्क के जितने भी संदर्भ शास्त्रो में आये है वो सब ये है ,,,
,,, *पंचदश कोष्ठानग प्लीहा च वृक्कउ च बस्ति-- चरक )) ये सब दृष्टि गम्य है*
,,, *रक्त मेद प्रसादात वृक्कउ-सुश्रुत*
,,, *वृक्कओ पुष्टिकरो प्रौकतौ जठरअस्थस्य मेदास-शारंगधर*
,,, *वृक्कउओ कुक्षी गौलको-दलहन*

♈♈♈
*In most of the references there is relation of basti and mutra but there is no relation of medas with kidneys*.🤔

*The adhishthaan of all mutra roga have been said as Basti.*
The adhishthan of meda uttapatti has been said as Vrikk but there is no any relation which have been established in the texts.
🚫🚫
In sthool or gross dead body dissection the following relations are seen...
....Basti and mutra
.... malaashya and mala
.... Annaashya and anna
And
*....Vrikk and meda*.....As there is lot of fats around the kidneys and it appears that as if the fats are originating from the vrikk.

*Second*....Mool of meda has been said as kati in sushrut and vapavahan in charak.....Both these kati and vapavahan are places having maximum fat tissue......

💤💤
*So it appears that the fat has some samvaayi type relation with these or fats are originating from them.*

Physiologically..
👇🏻
There is one indirect ref of mutra formation in vrikk but no meda formation from vrikk.

*सप्ताष्य क्रमाद सरक्क कफ आमय पित्त pakvaayu मूत्र आधार। तेषु सप्तसु प्रतिबद्ध आणि कोष्ठानगणि hridya yakrit pleeha fuffus unduk vrikk antraadini*
*...Ashtang* *sangrah..Sharir sthaan 5*

▶▶
When we study the reabsorption and secretion through the various parts of the nephron viz
..bowmans cap
..descending tubule
.. ascending tubule
..Loop of henle
..collecting tubules
.We see that these parts absorb and secrete sodium, potasssium, chlorides, glucose, amino acids and others *but no significant secretion of fats or fatty acids or fat molecules.....So that we could say that active fat secretion occurs from the kidneys*

🙏🙏🙏

Would love to learn more about this with your guidance.
💐

[11/16, 3:39 PM] pawan madan Dr: 

@⁨Prof. KSR Prasad Tachnoayurveda⁩ sir
This one...👇🏻?

http://www.slideshare.net/technoayurveda/cellular-panchakarma-2018-0314?from_m_app=android

[11/16, 3:55 PM] Prof Giriraj Sharma: 

मेद का निर्माण वृक्क में नही हो रहा है,
मेद से वृक्क बन रहा है ।
वृक्क  की मेदजन्य व्याधियों में क्या भूमिका है ।
चर्चा ये है ।

[11/16, 3:58 PM] D C Katoch Sir: 

यकृत प्लीहा- earning भाई and वृक्क- spending बहन

[11/16, 3:59 PM] Dr Manu Vats, Patiala:

 Hahaaaa  Thanks  for family settlement 👌😆😆

[11/16, 4:02 PM] pawan madan Dr: 

जी सर
मैं वोही समझने की कोशिश कर रहा हूँ।
मेदो वह स्रोतास का मूल वृक्क है इसका औचित्य जानने की कोशिश में मैन अपनी ऊपर वाली post कही है।

स्रोतों मूल का एक significance ये भी है के मूल के विद्ध होने पर धातु नाश के लषण होते है या तद तद धातुगत व्याधियो के लक्षण हो सकते है
क्या मेद के संबंध में ऐसा होता है?

या मूल की चिकित्सा करने से तद धातुगत व्याधि की चिकित्सा हो सकती है?

क्या मेद एवं वृक्क के सम्बदन्ध में ऐसा होता है?
🤔🤔

[11/16, 4:13 PM] pawan madan Dr:

 Medovah srotomool is vrikk....This needs to be established or abolished....

[11/16, 4:18 PM] Dr Shashi Jindal: 

vasa is fat deposits in adipose tissues and liver.Major functions of  adipose tissue is storage of triglycerides  until they are needed to provide energy else where in body.
Fat cells (adipocytes) of adipose tissue are modified fiberoblasts that store almost pure triglycerides in quantities as great as 80 to 95 % of entire cell volume.

Med dhatu is fats present other than adipose tissue.

At times when energy is needed triglycerides from adipose tissue is mobilized for formation of med dhatu also.

[11/16, 4:19 PM] pawan madan Dr: 

Ji sister

😜😉
Ayurvedically there is no established ref for this principle.

[11/16, 4:20 PM] Prof Giriraj Sharma: 

आचार्य श्री
आप हम और जो एविडेंस आधुनिक चिकित्सा विज्ञान आधारित दिए जा रहे है वो सब अभी अपनी शैशवावस्था में है,,,,,
हम और ये एविडेंस और पैरामीटर्स इस युग के सत्य हो सकते है पर शाश्वत सत्य नही ,,,,,
इसलिए आर्ष सूत्रों के प्रति श्रद्धा बनाये रखिये
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼

[11/16, 4:22 PM] pawan madan Dr:

 बिल्कुल सत्य कहा अपने।

इस आधार पर हमें और discussion की आवश्यकता नही है।

आपने निष्कर्ष दे दिया है।
😌😌

[11/16, 4:23 PM] D C Katoch Sir: 

मेद का निर्माण न तो वृक्कों में होता है और न ही वृक्कों का मेद से। It is rather strong relation of adrenal glands adjoining वृक्क which are involved in the metabolism of adipose tissue and causation of obesity through glucocorticoids (मेदप्रसाद I prefer to say).

[11/16, 4:23 PM] Dr Manu Vats, Patiala:

Shashi Mam it's your interpretation or any reference  pls..
as I feel its confusion vsaa is updhatu Nd Med is Dhatu

[11/16, 4:27 PM] D C Katoch Sir: 

No doubt kidneys are embedded in fatty or adipose tissue in retroperitoneal space.

[11/16, 4:27 PM] Dr Shashi Jindal: 

👍🏼👌🙏🏼💐

Med ka nirmaan to mans dhatu se hai .🙏🏼

[11/16, 4:31 PM] Prof Giriraj Sharma:

 आचार्य
रक्तमेद प्रसादात वृक्कों
आप शास्त्रों को अलमारी में रखकर काल अनुरूप एवं अनुभव जन्य युक्तियुक्त चिकित्सा में विश्वास करने रखते है ।
यही सफलता का राज है
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 4:32 PM] Dr Shashi Jindal:

 Manu sir body fats are of three  types, one dietary fats (absorbed from intestines), stable fats (e.g. by layer lipid membrane, can not be used for energy ), unstable fats(adipose tissue fats, can be used for energy or formation of other fats).🙏🏼

[11/16, 4:34 PM] pawan madan Dr: 🙏🙏

तो क्या हम ये कह सकते हैं के वृक्क नही बल्कि अधिवृक्क मेदो वह स्रोतों मूल कहे तो ज्यादा बेहतर होगा ? 

[11/16, 4:36 PM] Prof. Satish Panda K. C: 

चर्चा थोड़ा आयुर्वेद, थोड़ा मॉडर्न, कभी मिक्स हो रही है । इसे में निष्कर्ष निकलना कठिन हो सकता है।
पहले आयुर्वेद complete हो जाने के बाद, comparative study start करे तो ज्यादा सही होगा ।
गिरिराज सर, मनु सर, सोनी सर, पवन सर आदि का सैद्धान्तिक पक्ष मजबूत है।💐🌹 

[11/16, 4:37 PM] D C Katoch Sir: 

मेद का निर्माण मांस से नहीं परन्तु मांस के बाद होता है आहाररस में विद्यमान मेदोपादान तत्वों से। ( रसात् रक्तं ततो मांस मासान्मेद: .......... तदनन्तरम् जायते। तदनन्तरम् means बाद में,  not से

[11/16, 4:38 PM] Prof Giriraj Sharma: 

क्षीर दधि न्याय की महानता आज ही बताई है आपने आचार्य
😅🌹🌹🌹🙏🏼🌹🌹🌹😅

[11/16, 4:40 PM] D C Katoch Sir: 

"खले कपोत न्याय" की भी

[11/16, 4:43 PM] Dr Manu Vats, Patiala:

 Yes Sir very rightly Explained..Paak of Sthool bhag of Maans Dhatu with Maansdbatuagni gives rise to Meddhatu..while sooksham bhag of Maansdhatu gives rise to updhatu and Mal..
Am I right??

[11/16, 4:45 PM] D C Katoch Sir: 

Thanks to all for agreeing to  the sum up on वृक्क व  मेद

[11/16, 4:48 PM] pawan madan Dr: 

So the result is..

...There is no direct relation of vrikk and meda
...But there is relation of adrenals with meda

🙏

[11/16, 4:50 PM] D C Katoch Sir: 

No, if adrenals are considered under वृक्क . But yes, if otherwise.

[11/16, 4:52 PM] Prof Giriraj Sharma: 

Kidney and Adrenal Glands are वृक्क ,
As per ayurved Arash Sutra VIRKA  is  MEDVAH SROTS MOOL
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 4:54 PM] Prof. Surendra A. Soni:

 Cushing syndrome is good example to understand this relationship.

🙏🏻🌹

[11/16, 4:55 PM] Dr Manu Vats, Patiala:

 Sir if we consider adrenal gland as  a part of Vrik..then.. relationship of med and vrik can be established  easily ??

[11/16, 4:56 PM] D C Katoch Sir: 

All agreed when Admn agreed🐤🐤

[11/16, 4:56 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

Vasti mentioned in Trimarma includes Vrikka (with adhivrikka), gavini dwaya, mutrashaya.

🙏🏻

[11/16, 4:57 PM] Prof Giriraj Sharma:

 👍🏻👍🏻🙏🏼👍🏻👍🏻🌹🙏🏼🙏🏼👍🏻

[11/16, 5:04 PM] pawan madan Dr: 

एक गंभीर चर्चा उत्कृष्ट conclusion के साथ सम्पन्न हुई।

Thanks
Katoch sir
Giriraj sir
Manu ji
And all other respected members.

🙏💐🙏💐🙏

[11/16, 6:53 PM] Vd Dilkhush M Tamboli: 

मेदप्रसादात वृक्को से हमे क्या समजना है


मेद धातूका प्रसाद रूप भाग कब बनता है
या
मेद धातू के प्रसाद भाग से स्नायू बनते है
या
प्रसाद भाग अलग और उपधातु अलग बनते है
या
दोनो साथ मे बनते है

इसका ans ही वृक्क को क्या कह सकते है बतयेगा ।

[11/16, 6:56 PM] D C Katoch Sir: 

वस्ति को यदि urinary bladder मानें तो। अन्यथा वस्ति प्रदेश,  वस्तिमर्म विद्ध लक्षणों में वस्ति कुछ और है।

[11/16, 7:01 PM] Prof Giriraj Sharma: 

,            वस्ति Region
,.                       ⬇
       वस्ति ।      वृक्क।          गाविनी
      Bladder,   अधिवृक्क

[11/16, 7:03 PM] Dr Shashi Jindal: 

embryonic origin of supra renal gland, may be from snayu ?

[11/16, 7:03 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

चरक ने प्रमेहनिदान में दो बार मूत्राशय शब्द का अलग से वर्णन किया है ।

🙏🏻🙏🏻

[11/16, 7:05 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

शरीरक्लेदस्तु श्लेष्ममेदोमिश्रः प्रविशन् मूत्राशयं मूत्रत्वमापद्यमानः ।

[11/16, 7:07 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

So Finally chikitsa Sutra after Todays discussions. In vrik Rog, Medoveh srotus chikitsa must be done...Am I right?💐🙏

[11/16, 7:09 PM] Dr Shashi Jindal: 

I will see text,
Origin of kidneys and superenal glands takes place from different tissues in embryo.

[11/16, 7:10 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

Chikitsa sootra discussion was not done.....??❓
We just tried to establish relationship between medovah srotas and it's moola.

[11/16, 7:10 PM] Dr Shashi Jindal: 

Its different sir, not in snayu bandhan. Adrenal medulla originate from neural crest cells.

[11/16, 7:11 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Yes true Sir but should we analyze this or still a doubtful.

[11/16, 7:12 PM] Dr Divyesh Desai: 

👏🏽👏🏽 सर में ने तो सिम्पल प्रश्न पूछा है, गिरिराज सर ने बस्ति को स्नायुमर्म बताया, बस्ति से वृक्क ,गविनि, मूत्राशय,urethra को ग्रहण करने पर 50% जवाब मिल गया है, लेकिन ओर 1 प्रश्न उत्पन्न होता है कि हमारे आयुर्वेद का स्नायु से मॉडर्न के लिगामेंट्स से क्या कनेक्शन है ?
सर मे तो इस ग्रुप का नर्सरी का स्टूडेंट हूँ इस लिए सही मायने में आप सब गुरुजनों से सही आयुर्वेद सिद्धांत की जानकारी प्राप्त करने के लिए उत्सुक हूँ।।
जय आयुर्वेद, जय धन्वंतरि !

[11/16, 7:16 PM] Dr Shashi Jindal:

 embryonic origin of supra renal gland , may be from snayu ?

I wanted to refer this, supera renal gland.
sorry for confusion.🙏🏼

[11/16, 7:18 PM] Dr Divyesh Desai: 

मैडम में confuse हूँ इस लिए तो प्रश्न किया है👏🏽👏🏽

[11/16, 7:24 PM] Prof Giriraj Sharma:

 As per modern embryology
Or
Ayurved ----+?

[11/16, 7:27 PM] Prof Giriraj Sharma:

 Supra renal gland have great relations with CNS ,,,,

[11/16, 7:33 PM] Dr Shashi Jindal:

 modern

[11/16, 7:36 PM] Dr Aakash Chhangole: 

मेद सह स्नेहम आदाय शिरा स्नायू त्वम अपनो अपनयात 

[11/16, 7:36 PM] Dr Aakash Chhangole:

 बस्ती स्नायू मर्म

[11/16, 7:37 PM] Dr Aakash Chhangole: 

मेद का स्नेह लेकर ही सिरा स्नायूता को प्राप्त करती हैं.

[11/16, 7:37 PM] Dr Aakash Chhangole: 

बस्ती के निर्माण  मे मेद का महत्व 👆

[11/16, 7:41 PM] Prof. Surendra A. Soni: 👍🏻

[11/16, 7:48 PM] Prof Giriraj Sharma:

 The cortex of supra renal gland develops from mesoderm of coelomic epithelium while the *MEDULLA is derived from the NEURAL CREST CELLS NEUROECTODERMAL*

[11/16, 7:50 PM] Dr Bhavesh Modh: 

स्नायुः
शब्द के मूल मे  छानबीन होनी चाहिए।

स्ना ... परस्मैपद की धातु है,
स्वच्छता का भाव   बताने हेतु  यह पूर्वग लगता है ।

अर्थात्
स्ना + आयुः

आयुः का अर्थ  व भावार्थ  सब जानते है

शारीर के सापेक्ष मे ... स्नायुः वह  है जो स्वच्छ है व जीवन देता है , या स्थिरता व द्दढता देता है ,


मर्म  जहाँ आता है वहा एक्सिडेन्टल इन्जरी  सोचना चाहिए।

बस्ति से  चाहे व मूत्राशय ही ले लो  वहाँ आघात होने पे मेडिकल इमरजन्सी उत्पन्न होती है ।

[11/16, 7:53 PM] Prof Giriraj Sharma:

 आचार्य
शणकार इव धातु शब्द से स्नायु बनता है जिसका अर्थ बंधन होता है ।
भारवहा भी कहते है ।
अर्थ का अनर्थ करने से बचना चाहिए
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 7:58 PM] D C Katoch Sir: 

Simple clarification could be मूत्राशय -Urinary Bladder- वस्ति  as कोष्ठांग।                   वस्ति प्रदेश - Region from kidneys to Urinary Bladder and adjoining structures।                वस्ति मर्म -    Nephrons/ Kidney cortex

[11/16, 7:59 PM] Prof. Surendra A. Soni: 🙏🏻🌹

[11/16, 8:02 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

आप द्वारा प्रदत्त वर्णन की पुष्टि सुश्रुत वचनों से जिन्हें हम अब विस्मृत करते जा रहे हैं......
👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻

अधो या वेदना याति वर्चोमूत्राशयोत्थिता ।
भिन्दतीव गुदोपस्थं सा तूनीत्यभिधीयते ।।८६।।
गुदोपस्थोत्थिता सैव प्रतिलोमविसर्पिणी ।
वेगैः पक्वाशयं याति प्रतितूनीति सा स्मृता ।।८७।।

🌻🙏🏻🌹

[11/16, 8:03 PM] Prof Giriraj Sharma: 

आचार्य श्री
बस्तिमर्म का स्थान उदरगत है
वृक्क Nephrons / cortex of kidney का स्थान पृष्ठ प्रदेश पर है
कटिक तरुण मर्म का स्थान Renal Angle के पास है ।
स्थान अनुसार मर्म
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 8:53 PM] D C Katoch Sir: 

Abdominal cavity में पाए जाने वाले कोष्ठांग को पृष्ठगत कैसे कह सकते हैं वैद्य गिरिराज जी।

[11/16, 9:06 PM] Vd. Sameer Mukund Paranjanjape: 

Sundar vichar
CKD main panchagavya ghrut and veerataradi ka niruha anuvasan kram uttam results de raha hai.

Atleast lakshanik upashama ho raha hai urea creat constant hai dylisis ki naubat nahi rahi.

[11/16, 9:12 PM] Prof Giriraj Sharma: 

Posterior wall of Abdomen
उसपर स्तिथ ऑर्गन्स के लिए
विशेषकर मर्म परिप्रेक्ष्य में पृष्ठगत मर्म ,,,,
🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼

Specially Retroperitoneal parts of organs.

[11/16, 9:14 PM] D C Katoch Sir: 

और कोई पृष्ठगत मर्म है क्या?

[11/16, 9:16 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *आचार्य गिरिराज जी, अगर इसमें कुछ सुधार हो सकता हैं तो करें ... *पक्वाश्यगतास्तत्र नाडयो मूत्रवहास्तु या: - सु नि 3, यहां पक्वाश्यगता का अर्थ पक्वाश्य के पार्श्व से है क्या ? ' सूक्ष्मत्वान्नोप लभ्यन्ते मुखान्यासां सहस्रन्श:' से अभिप्राय वृक्क के प्रान्त में स्थित भाग cortex, सहस्र्श: नाड़ी glorumaln , 'नाडीभिरूपनीतस्य मूत्रस्यामाश्यान्तरात्'  गवीनी के माध्यम से वस्ति में जाता है पर 'सूक्ष्मत्वात् नोपलभ्यन्ते' इनके मुख इतने सूक्ष्म हैं कि इन्हे हम देख नही सकते ।*

[11/16, 9:18 PM] D C Katoch Sir: 👏🏽👏🏽

[11/16, 9:19 PM] Vd Dilkhush M Tamboli: 🙏

[11/16, 9:22 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*इसमें ऊपर लिखा है 'मूत्राश्यामाश्यान्तरात्' ध्यान रहे यहां आभ्यन्तरात् नही लिखा अर्थात अंदर नही है, अन्तरात से हम अतिरिक्त अर्थ भी ग्रहण कर सकते है।*

[11/16, 9:32 PM] Prof Giriraj Sharma: 

एक नवाचार
ये सब मर्म स्पर्शगत मर्म है ।
शब्द मर्म (आचार्य द्रोण के लिए)
रूप मर्म  (पाण्डु राजा )
रस मर्म (सायनाइड)
गंध मर्म (भोपाल त्रासदी )

*स्पर्श मर्म आज के परिपेक्ष्य में कम एवं शब्द रूप रस गंध मर्म ज्यादा मरणवत दुख दायित्वात,*,

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/16, 9:55 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*आज की चर्चा में अब तक भाग लेने वाले सभी विद्वानों का ह्रदय से आभार, पहले जो चर्चा होती रही वो संक्षिप्त थी पर आज विस्तार से है।आयुर्वेद ज्ञान अनंत है और यह आवश्यक नही की सभी प्रश्नों को उत्तर मिले पर ज्ञानवर्धन के साथ उस क्षेत्र में चिंतन और कार्य की दिशा तो मिलती है जो आगे चर्चा में काम आती है।*

                🙏🌺💐🌹🙏

[11/16, 10:07 PM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 

Today i missed to take part in superb discussion
But i will snatak today
Will do homework study by reading post
Sabhi ko naman🙏🏻

[11/16, 10:39 PM] Dr Naresh Garg, Jaipur: 

समभाषा में अपना सहयोग देने वाले सभी आचार्यों को मेरा नमस्कार 🙏🙏
आज बहुत ही उच्च स्तर की संभाषण हुई मेरे जैसे नवीन वैद्य   के लिए बहुत ही ज्ञानवर्धक है !

[11/16, 10:47 PM] Prof Prakash Kabbra, Nagpur: 

नाड्या का अर्थ यहा गविनी या फीर renal artery or vein दे सकते हैं क्या ?

[11/16, 10:51 PM] Prof Prakash Kabbra, Nagpur: 

मुत्र संबंधीत नाडी जो की आमाशय अन्तरात ले सकते हैं क्या?
नाडी रूप नीतस्य मूत्रस्य आमाशय अन्तरात् - नाडी रूप प्राप्त(मूत्रस्य)-मूत्रनाडी जो आमाशय से अन्तरात् कुछ अंतर-distance पर

[11/16, 11:09 PM] Dr Bhavesh Modh: 

स्नायुः, स्त्री,
सा + बाहुलकात् उण् ।
“आतो- युक् चिण्कृतोः ।”
७ । ३ । ३३ ।
इति युक् । इत्युणादिवृत्तौ *उज्ज्वलः* । १ । १ ।
Sorce :  *शब्दकल्पद्रुम*
●●●●●●●●●●●●●●●●

स्ना धातुरूप - ष्णा॒ शौचे मित् अनुपसर्गाद्वा १९४६ - अदादिः - कर्तरि प्रयोग सम्भावनार्थक वृत्ति परस्मैपद
ष्णा॒ *शौचे* मित् अनुपसर...

अन्य  एक• _ स्नायात् / स्नायाद्
अन्य  द्वि• _ स्नायाताम्
अन्य  बहु•_ स्नायुः
मध्यम  एक•_स्नायाः
मध्यम  द्वि•_स्नायातम्
मध्यम  बहु• _ स्नायात
उत्तम  एक• -स्नायाम्
उत्तम  द्वि•_स्नायाव
उत्तम  बहु •_स्नायाम

Sorce : www.sanskritabhays.in


आचार्य श्रेष्ठ,
मेने उपर दिए गए सोर्स   आधारित पूर्व टिप्पणी की थी,

 *शणकार या शण*
*शायद मूल धातु नही है।*

फिर भी आपसे जानने के लिए उत्सुक हुँ । 🙏

शब्द के मूल अर्थ व व्युत्पत्ति  ढूंढना मेरा पागलपन है । 😊
सो आपको खेद हुआ हो तो क्षमा करें ।

[11/16, 11:22 PM] Ranga prasad Ji Vd. Chennai:

 *1* The colon
is divided into four sections: the Ascending, the Transverse, the Descending, and the Sigmoid (S shaped) colon. _*Once the excess water which is a by-product of digestion has been absorbed by the colon*_ the solid waste is passed to the rectum.

*2* Water, as well as sodium, then diffuses into capillary blood within the villus.

*3* The kidney plays a vital role in the regulation of sodium balance and blood pressure. However, the gastrointestinal (GI) tract, which is the organ first exposed to components of food, has taste receptors and sensors for electrolytes (eg, sodium, potassium, phosphate). 9 Therefore, *in addition to the kidney, there is increasing realization of the importance of the GI tract in the regulation of sodium balance,* and consequently on blood pressure level. For example, *GI tract–derived hormones and peptides regulate the autocrine function of renal hormones, affecting renal function,* including sodium excretion.10 We have reported that the GI tract–derived hormone, gastrin, and renal receptors synergistically regulate sodium excretion.

🤔🤔🤔

[11/16, 11:26 PM] Dr. Arun Rathi, Akola: 

Few Facts Of Fat Metabolism :                                                         
                                                                            1). In Alimentary canal, Fats are digested into Monoglycerides and Free Fatty acids . These get dissolved in the lipid portion of the Bile Acid Micelles. These are only 3 nanometers in diameter and soluble in Chyme.                                                                                      2). These nanomicrons are absorbed by Microvilli and the monoglyceriodes and free fatty acids are diffuse in the local fluids and easily diffuse in the epithelial membranes from microvilli in the Brush Border.                                                                                  
3). The Lipid Portion of Bile Acid Micelles work as "Ferry Agent" Function which is highly important for Fat Absorption. Approximately 97 percent of the fat is absorbed. In absence of this portion of bile acid only 50 to 60 percent of fat absorption takes place normally.                                                              
4). These Free Fatty Acids too , are recontituted by the smooth Endoplasmic Reticulum into Triglycerides .                                                                 
5). Formation Of Chylomicrons :              The reconstituted triglycerides aggregate within the endoplasmic reticulum into globules alongs  with absorbed Cholesterol, absorbed Phospholipids and small amount of newly synthesized Cholesterol and Phospholipids.                                                In addition, small amount of Beta-Lipoprotein , also synthesized by the endoplasmic reticulum , Coat parts of the surface of each globules. Now these globules are called " CHYLOMICRONS ". In this form only the globules are excreted by the process of Cellular Exocytosis into the space between the cells, - from here it passes into the lymph in the Centeral Lacteal of the Villus - from here propelled with lymph by the Lymphatic Pump upward through the Thoracic Duct to be empitied in the great veins of the neck - to Heart - to Lungs. In Lungs Oxidiation of Chylomicrons takes place and again these globules are converted into Nanomicrons , then return to Heart and only then supplied to the whole body.
 About 80 to 90. percent digested fats are  through  this Mechanisim. Only 10 to 20 percent of Short Chain Fatty Acids which are more water Soluble and mostly are not reconverted into Triglycerides by the Endoplasmic Reticulum are absorbed directly into the Portal Blood.                                             
(Note : In persons who have a genetic inability to form the Beta-Lipoprotein, epithelial cells become engorged with Fatty products that cannot proceed the rest of the way to be absorbed ).

  Conculsion :                                                      1). Lungs and its Vital capacity has a  major role in the Metabolism of Fats. Hence 80 to 90 percent of the digested fats first goes to lungs and then only supplied to the whole Body.     

2). For Absorption  and Metabolism of Fats - Fats are essiential. So intake of proper Fats in the mangement of Obesity is also essiential.                                               
3). New Research from Austrialian Scientist shows that, if 100gm of Triglycerides are Oxidize, then they liberate 85gms of Oxygen, Carbon and Hydrogen ions and 15gms of H2O i.e. water.

*Now it's important to note that ,the applied aspects of Fat Metabolism Clinically is that whenever there is etiopathgenesis in Respiratory System, Circulatory System and Renal System Fat Metabolism is Hampered and vice - versa i.e. whenever there is metabolic Disorder the functions of above System's is hampered.*

*यहाँ एक वस्तुस्थिति पर ध्यान देना होगा, मूत्र का कार्य क्लेद वहन है, शरीर मे क्लेद की मात्रा अधिक होने पर आहाररस मे उपस्थित मेदांश पर फुफ्फुस मे होनेवाली   पाचन प्रक्रिया बाधित होगी।*
*अतः मेदवह स्त्रोतस का मूल वृक्क कहा गया है।*

*भिन्न मत स्वागत*

[11/17, 12:55 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*डॉ काबरा जी, यहां 2 renal arteries, 2 kideney,bladder  और urethra इन्ही के आयुर्वेद पक्ष पर मंथन चल रहा है ,अथर्ववेद में तो 'यदान्त्रेभ्यो गविन्यो' अथर्ववेद 3/6 अनुसार मूत्र की उत्पत्ति आन्त्रों से गवीनी  तक बताई भी गई है।कोई भी सिद्धान्त स्थापित करना अभी कठिन है क्योंकि आधुनिक पक्ष ले कर चलते हैं तो शास्त्रानुसार सैद्धान्तिक चिकित्सा नही कर सकते और सब से आश्चर्यजनक बात कि मेरे यहां सब से अधिक रोगी CKD के ही है और आयुर्वेदानुसार मेदोवाही स्रोतो का मूल वृक्क और exit point वस्ति दोनो को साथ ले कर चलने पर ही b urea, s cr. ठीक रहता है, GFR भी ठीक  रहता है। अगर मेद को त्याग दें और मूत्र की चिकित्सा करें तो क्षणिक लाभ मिलकर रोग बढ़ जाता है। इसके पीछे जो कारण मिला वो ये कि काय चिकित्सा अग्नि की चिकित्सा है। शरीर में अगर इन्द्रियों के साथ मन और आत्मा का संयोग है तो भी आत्मा शरीर को नही चला रही क्योंकि वो तो निर्विकार है उसके कारण तो प्राण है पर 'दोषधातुमलामूलं हि शारीरम्' के अनुसार दोष, धातु और मल, मूत्र इसमें मेद और वृक्क, गवीनी आदि सभी मूत्रनिर्माण के अंगों को ले कर चले तो ये अग्नि व्यापार के अन्तर्गत ही आते हैं, अगर CKD है तो वृक्कों में शोथ है, शोथ में अग्नि से संबधित आम और मेद का प्रत्यक्ष संबंध है जो सीधे जाठराग्नि और धात्वाग्नि से जुड़ा है।*

*अगर वृक्क रोगों की चिकित्सा केवल वस्ति से संबंधित होती तो अब तक आधुनिक विज्ञान इसकी चिकित्सा कर चुका होता और रोगियों को dialysis करा कर kidney transplant की आवश्यकता नही होती।वृक्क रोगों का मूल संबंध है तो अग्नि,आम और मेद और तत्संबंधित भावों से ही।*

[11/17, 5:03 AM] Ranga prasad Ji Vd. Chennai: 

*MedovahanAm srotasAm vrikko mUlam, vapavahanam ca.*

Vapavahana refers to the mesentery part of the peritoneum, which stores fat in it.

[11/17, 6:14 AM] pawan madan Dr: 

🙏🙏🙏

प्रणाम गुरु जी।
धन्यवाद। कुछ और भी मंथन की आवश्यकता है अभी, मुझे लगता है।

[11/17, 6:44 AM] Dr C P. Dixit: 

💐💐🙏जय श्री कृष्णा सर
मेद के संबंध में और भी व्यापक व्यवस्थाओं का वर्णन है
आचार्य सुश्रुत ने मेद धातु के क्षय संदर्भ में
,,मेदो क्षय: प्लीहा वृद्धिश्च:,, वर्णित कर और अधिक अनुसंधानात्मक बनाया है

[11/17, 6:58 AM] Sanjay Chhajed Dr. Mumbai: 

I have small query subhash sir,  as you have good number of ckd patients.  I  recall Professor Gurdip Singh sir always quoted a thesis by Udupa sir, kidney and it's regeneration,  I happen to read it too.
It was a work with Gokshur mool, Punarnava mool and Guduchi , as a quath.  At the same time one of very known Ayurved expert Maharshi  Annasaheb Patwardhan has used Musta, ushir, neem ,and Sunthi.
But neither of the two had mentioned meddhatu.
The query is
How many patients of ckd are presented with the symptoms of medodushti? Or do they develop some kind of symptoms of medodushti after the disease is established?
How can we put forth the samprapti?
In my practice,  the few patients I had were treated with the udupa sir's quath,  with fairly good success, s. creatinine & blood urea came down.

[11/17, 7:15 AM] Dr Ashutosh Pandya:

 I am differing with many points of discussion  and mainly the thinking pattern behind it, please try to understand
I would like to share a real incident
During my PG at Jamnagar I used to go to Revered Dr C P Shukla's house for practical knowledge.
At that time he used to give Gokshuradi guggulu in sandhivaat
I and others were puzzled but we're hesitant to ask
We started thinking over it
I read samhita and derived following samprapti
Sandhivaat is snaayugat vaat and Sushrut samhita has given Virechan in its chikitsa sutra.
Virechan term can be broadened to Mutra virechan
Now what was the real reason
After 3/4 months I asked Sir the reason and it was
Yograj guggulu was not available so he used it.

[11/17, 7:15 AM] Dr Ashutosh Pandya: 

Anumaan pramaan without pratyaksh is ruining us.

[11/17, 7:17 AM] Dr Manu Vats, Patiala:

 Shat shat Pranaam Subhash Sir !
 🙏🙏💐
Sir you made it crystal clear ..and also give me indication to read Atharveda also....Regards

[11/17, 7:17 AM] Dr Ashutosh Pandya: 

Pratyaksh alpam.. this dictum is being wrongly quoted and we are living in self indulgence.

[11/17, 8:03 AM] pawan madan Dr: 

आपकी बात clear नही हुई के आप कहना क्या चाहते हैं आशुतोष जी ?
गोक्षुरादि गुग्गुलु मूत्र विरेचन नही करता
2
ये संधिवात की कई अवस्थाओ में लाभकारी होता है खास कर के जहां कफज शोथ जैसी अवस्था ज्यादा हो
3
हर संधिवात में ये कार्यकारी नही रहता
4
क्या शुक्ला सर ने जो जवाब दिया वह गलत था??
5
आप इस प्रत्यक्षम अल्पम के सिद्धांत को कैसे practicalky समझते हैं?

🙏🙏💐

[11/17, 8:32 AM] Shantanu Das Prof KC: 

Sir which punarnava....Red/White ?

Dr Sanjay ji !

[11/17, 8:35 AM] Dr Shashi Jindal: 

Good morning sir, only med sanshrya is limited till poorav roop of prmeh.  ch. sut. 28/15.

Description of prmeh is in three chapter in Charak.

1. sutra sthan 17, this seems to be even before poorav roop, as pt. presents with, some times vaataj, some times pittaj some times kfj lakshanas.
Different types of skin lesions as prameh pidika are explained.

2.  Nidan sthan 4.

Explained the reason of anushangi nature of prameh.(Prameh is anushangi ch sut 25/40).
 Differentiated kfj pittaj and vaataj prameh, and described poorav roop of prameh.

3. Chikitsa sthan.

Explained the amprapti and  chikitsa with urinary symptoms also.
Two types of pramehi, sthool & balwaan, krish and durbal.
Importance of santarpan in prameh chikitsa( med in ckd as explained by Dr. Subhash.
Differential diagnosis of prameh and rkt pitt.
Sadhasadhyta of prameh.
Hereditary nature of prameh.
🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/17, 8:39 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*संजय जी good morning ,अनेक रोगी ऐसे भी आते है जो DM, HT , URIC ACID के उपद्रव जन्य वृक्क शोथ से पीड़ित है और कई दूषी विष analgesic, anttiinflammatory एवं अन्य कारणों से।हमने पहले अपना एक अनुभव बताया हुआ है, मेद का संचय स्थानिक भी होता है ये चरक में है ही, fatty live एक देशीय मेद संचय,hypothyroidism को कफावृत उदान  एक देशीय मेद संचय, prostatomegaly कफावृत अपना एक देशीय मेद संचय और अनेक रोगियो में वृक्क शोथ भी कफावृत अपान (उपरोक्त व्याधियां त्रिदोषज ही है पर तर तम का भेद है), मूत्रवाही स्रोतोवरोध, संग दोष और जलोदर युक्त हस्त पाद शोथ होने पर विमार्ग गमन, ऐसी अवस्थाओं में कई रोगियों पर हमारा जो चिकित्सा सूत्र बनता है तो वो ऐसा जो भेदन लेखन के, विरेचन करे, बल्य भी हो, संचित दोषों का निर्हरण करे, वात प्रकोपक ना हो  आदि आदि।*

*मैं तो एक साधारण सामान्य वैद्य हूं, जो भी सीखा जामनगर मे गुरूजनो से सीख कर अपनी चिकित्सा में उसका ही विस्तार किया है, वृक्क रोगों में अभी तक कोई सिद्धान्त नही स्थापित कर सका, अनुसंधान और अनुभव का समय चल रहा है बस अब तक जैसे समझा और जो मिला वही share कर रहा हूं।*

                🌺🌹💐

[11/17, 8:41 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*मेद कहीं भी हो सकती है और सूक्ष्म भी*

[11/17, 8:44 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*fatty liver के अनेक रोगी ऐसे भी आते हैं जो कृश दिखते हैं।*

[11/17, 8:44 AM] Dr Ashutosh Pandya: 

Pawan Sir I want to say that the difference is behind thinking.
I and all others thought that sir gave gokshuradi guggulu with some specific thinking about samprapti....
Sir gave because the person from whom he used to buy medicine hadn't yograj guggulu
So all mental exercises which we do are not necessarily ideal or on right track.

[11/17, 8:50 AM] Dr Ashutosh Pandya: 

Haven't said that gokshuradi guggulu isn't Mutra virechan.
Sir used to give to all patients not just of kapha Pradhan shoth.
Sir reply was simple- no theoritical interpretation, just gave as abhaav medicine.

[11/17, 8:51 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*चिकित्सा के सिद्धान्त आयुर्वेदोक्त है, पर मत भिन्न हो सकते सब के अपने निजी अनुभव होते है।*

[11/17, 8:59 AM] Shantanu Das Prof KC: 

Sahi he sir..... Many cases r coming with DM followed by CKD.... I am getting more case... With DM.... But simple CKD case is more (Less complication) comfortable to handle....🙏🏻

[11/17, 9:03 AM] Dr. Rituraj Verma:

 गुरुवर ckd रोगी में हम तीव्र मूत्रवीरेचक औषधि के स्थान पर शामक मूत्रवीरेचक जैसे---
1. अनन्तमूल यह मूत्रजनक एवं रक्तप्रसादक भी है (भै. र. वृक्क रोगाधिकार)
2. देवदार यह स्निग्ध होने के साथ लघु भी है ( चरक त्रिमर्मी सिद्धि में बसती रोग में देवदार सिद्ध अनुवासन हैं)
3.शिषम पत्र- यह मूत्र मार्ग का स्नेहन करेगा !

[11/17, 9:04 AM] Dr. Rituraj Verma: 

Crf में लेखन औषधि से वात प्रकोप की संभावना है पहले ही धातुक्षय रहता हैं ।

[11/17, 9:06 AM] Dr Shashi Jindal: 

👍🏼👌👌👌👏👏👏
Shamak mootra virechnye 👌👌, shak (not fruits) are hetu of prameh, as shak  teekshan ushan effects.
🙏🏼💐🙏🏼

[11/17, 9:10 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*बल्य और रसायन साथ में दिया जाता है, सीधा सा ज्ञान है रोगी के रोग लक्षण में कितना लाभ मिला, नये रोगियो का weekly b urea, s.cr और urine protein test कराते रहिये और तीन महीने में GFR आपको पता चल जायेगा कि मेरी चिकित्सा सही मार्ग पर है या नही।*

[11/17, 9:11 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *जब alb ++++ हो , जलोदर और पाद, अक्षि शोथ अधिक हो तो औषध से करना पड़ता है।*

[11/17, 9:15 AM] Dr. Rituraj Verma: 

नही सर मैं सिर्फ जानना चाह रहा था इसलिए प्रश्न की क्षमा प्रार्थी हु आप की चिकित्सा की परीक्षा करने के लायक नही गुरुदेव
मैं वृक्क रोगो में हमेशा  कन्फ्यूज रहता हूं डर रहता है इसलिये crf रोगी को रिफर करदेता हु।

[11/17, 9:19 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*ये रोग है ही ऐसा, हमारे पास एक रोगी को बहुत लाक्षणिक लाभ दो सप्ताह में था पर तीन दिन उसने काफी मात्रा में आम का अचार खा लिया तो सर्वांग शोथ हो कर डॉयलिसीस पर ही गया इसका बहुत दुख हुआ, कई बार रोगी की ज्वर में दिन में 2 tab paracetamol भी आपकी चिकित्सा को फेल कर देती है।*

[11/17, 9:26 AM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Thanks Subhash Sir for enlightening.. as you always do..
Since yesterday One thing disturbing ; As you said KRISH also suffer fatty liver..
So I think if VSAA gets vitiated along Meddhatu sanchay in various organs then patient becomes OBESE..
My statement is Obesity is related to involvement of VASAA also..
Is it right..🤔🤔??

[11/17, 9:37 AM] D C Katoch Sir: 

मेद is धातु,  वसा is उपधातु। Former exists in three forms- उपादान, पोषक व पोष्य (precursor, intermediary and  tissue) , whereas  latter is fixed derivative of fat tissue.    See accordingly to understand dyslipidemia and obesity in Ayurveda perspective.

[11/17, 9:38 AM] Dr Aakash Chhangole: 

जहा पर धातु घटित अवयव मी शोष संकोच शिथिलता कर्म हानी ये लक्षण मिलते है. उदाहरण के तौर पर यकृत सिरॉसिस, वृक्क का डी जनरेशन, नर्स का डी माय लिनेशन, parenchyma loss, ब्रेन ऍट्रोपी हो तोह हलीमक में चिकित्सा मे बताया गया गुरुची का प्रयोग करना चाहिये ।

[11/17, 9:41 AM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Hmmmm ok . THANKS  Katoch Sir.. it means when med sanchay reach upto level of POSHAY(3rd) Level; then patient can become Obese...
Is it right ??🙏💐

[11/17, 9:46 AM] D C Katoch Sir: 

पहले आप यह सोचिए कि स्थौल्य में मेद संचय होता है या वसा संचय या दोनों 🤭

[11/17, 9:47 AM] Dr Manu Vats, Patiala:

 Got home work Sir.. Will do ..💐🙏Thanks..& Regards

[11/17, 9:50 AM] D C Katoch Sir: 

Sunday का सदुपयोग होगा😄

[11/17, 9:53 AM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Ji Sir..you have given one HW yesterday too.. regarding adrenal glands..😆😆🙏🙏💐

[11/17, 9:57 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*सुप्रभात सर, आज sunday मेरा working और hectic है अच्छा हुआ आज आपने समय निकाल लिया 'शुद्धमांसस्य य स्नेह: सा वसा परिकीर्तिका। 'सु शा 4-13*
*रसात् स्तन्यं ततो रक्तमसृज: कंडरा सिरा:, मांसाद् वसा त्वच:... * च चि 15/17

              🙏🌺🌹💐🙏

[11/17, 10:01 AM] Dr. R S. Soni, Delhi:

 प्रणाम कटोच सर🙏

*मेदसा आवृत्त मार्गत्वात वायु कोष्ठे विशेषतः।*
*चरन संधुक्ष्यति अग्निम...।।*

आचार्य वाग्भट्ट के अथनानुसार तो स्थौल्य में मेद का संचय ही विशेष रूप से उदर में होता है।🤔

[11/17, 10:04 AM] Dr. R S. Soni, Delhi:

 मेद का मल स्वेद है। इसलिये अतिस्वेद स्थौल्य का विशिष्ट लक्षण भी है।

[11/17, 10:11 AM] D C Katoch Sir: 

यही तो चिन्तनीय है।

[11/17, 10:16 AM] D C Katoch Sir: 

यहां भी चिन्तन व विश्लेषण अभीष्ट है।

[11/17, 11:42 AM] Prof. Surendra A. Soni: 

Great detailed interpretation Prof. Arun Rathi Sir !
नमो नमः ।🙏🏻🌹😌

We all were waiting for your expertise comment.

Few points that need clarification.....

1. When you talk about lungs in reference to metabolism of fat (? Hydrolyzed) is it referring lung parenchymal tissue or lymphoid tissue (?cysterna chylii etc), I think it is second one not the first one.

2. When modern relates it with lymphatic system then can't we not accept the role of *vapavahan* (klom ?) As Respected Ranga Bhat Sir has mentioned in his post...?

3. Reviewing Cushing's syndrome like condition, can we may not any relation of corticosteroid in normal metabolism in healthy individual ?

🙏🏻🙏🏻🌹🌹😌

[11/17, 11:44 AM] Prof. Surendra A. Soni: 

🙏🏻🌹😌
अत्यंत महत्वपूर्ण विवरण महर्षि सुभाष जी ।

🙏🏻🌺

[11/17, 11:45 AM] Prof. Surendra A. Soni: 

🙏🏻🌹
If you remember we had a great discussion on *Klom*.
समुद्र मंथन जितना ‼

😊☝🏿🙏🏻

[11/17, 11:57 AM] LP Pandey Vdo: 

यदि स्थौल्य की परिभाषा मे  लिखा की  मेद्सो आति वृध्त्वात-- चल स्फिक उदर स्तना 
मतलब की मेद वृधि मै obesity होती हे एवं उपरोक्त स्थान मै मेद का संचय होता है
जबकी वसा की वृधि shaulya नही लिखा है वसा वृधि का relation  cholesterol की वृधि से है क्योकी cholesterol वृधि मै भी कई रोगी कृश होते है इसलिये चितंन करना  चाहिय की crf  or chd मै वसा या मदो वृधि या दोनो है ।

[11/17, 12:07 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

वसा माँसान्तर्गत ही होती है स्वतंत्र संचरणशील नहीं होती है । मेद के बद्ध और अबद्ध स्वरूप होते हैं ।
डॉ शशि जी, डॉ वत्स जी ।
🙏🏻

[11/17, 12:08 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

कृश में कोलेस्ट्रॉल वृध्दि ही मेदोवाह स्रोतोदुष्टि है ।
जो धात्वग्नि मांद्य है ।

[11/17, 12:09 PM] Dr Bharat Padhar, Jaipur: 

Both Meda and Vasa...
Medo Mamsa ativriddhatvat chal sphik udar....
Here Vasa being Upadhatu of Mansa or Sneha of Mansa it gets increased when Mamsa is increased...
Deshi Ghee Khana chahiye....Evam Aharvidhi vidhana ka anuvartan karna chahiye...
Satva ki pushti aahar ke suksham ansha se hoti hai atah..Samyak ahara Pachan evm medha Agni vardhaka ghee labhadayi hoga...
Aur vyayam to jaruri hai hi...

[11/17, 12:22 PM] Dr Darshana Vyas, Vadodara: 

Marvellous sir🙏🏻🙏🏻🙏🏻 👌👌👌    मेरी एक साथी डॉक्टर नीलम देवरे CRFके पेशेंट में वजेडी बस्ती का प्रयोग करती थी जो पुणे के उसके गुरुजी से सीखी थी    बजेडी बस्ती में बकरे के आंत्र का उपयोग होता है ।
सुभाष सर ।

[11/17, 12:23 PM] D C Katoch Sir:

 आहार -विहार-आचार-विचार सबको शुद्ध करना पड़ेगा । घृत की भूमिका प्रकृतिस्थापन, ओजोवर्धन, साधकपित्त नियमन और मेध्य रसायन के रूप में महत्वपूर्ण है।

[11/17, 12:29 PM] Dr Bharat Padhar, Jaipur: 

Yes sirji...👍🏻👍🏻👏🏻👏🏻

[11/17, 12:29 PM] Dr Darshana Vyas, Vadodara: 

We shoud follow achar rasayan and also insist to follow this to our children.  this is the necessity of time.


[11/17, 12:59 PM] Prof Prakash Kabbra, Nagpur: 

संजय जी मेरा कथन यह है की मेद दुष्टि स्थौल्य मे स्पष्ट है लेकीन जो स्थौल्य नहीं उन मे भी मेद दुष्टी होना possible है ऐसा मुझे लगता हैं,जैसे raised lipid without obesity.

[11/17, 1:10 PM] Prof Prakash Kabbra, Nagpur: 

ये स्पष्ट है की CKD or AKD ,कारण देखना जरूरी है तथा अनुसार चिकित्सा भी होगी,जीस मे मेद दुष्टी आवश्यक हो सकती है ।

[11/17, 1:12 PM] Prof Prakash Kabbra, Nagpur: 

सुभाष जी की पोस्ट बहोत ही सर्व स्पष्ट है जो की approachable है ।

[11/17, 1:13 PM] pawan madan Dr: 

एक निष्कर्ष ये भी के मेद दुष्टि की वजह से crf हो सकता है।

इसलिये crf में मेद दुष्टि की चिकित्सा से लाभ होता है।

इसलिये लेखन अपतरपन्न से उपशय होता है।
🙏

[11/17, 1:17 PM] pawan madan Dr: और मेद दुष्टि यानी
,,, मेद धातु के physiological functions में विपरीतता
,,, मेद धातु का स्वस्थान या अन्य स्थान कही पर भी  स्वयं या अन्य धातु मल आदि के साथ संसृष्ट हो कर pathology उत्पन्न करना

🙏
[11/17, 1:17 PM] Prof. Surendra A. Soni:

 I have small query subhash sir,  as you have good number of ckd patients.

The query is
How many patients of ckd are presented with the symptoms of medodushti ? Or do they develop some kind of symptoms of medodushti after the disease is established ?

*(Yes ! Very important question Sir, this is the area where we should focus mainly.)* *(Erythropoietin deficiency is an important phenomenon that lead to anaemia.)* *(सरक्त मेद A part of Majja is known as production house for RBCs; may be taken as Medodushti features.)*
*(Even together we can share our observation experience here about the medodushti features in CKD patients.)* *(Comments of Prof. Rathi ji & Prof. Giriraj ji would be important in this context.)*


How can we put forth the samprapti ?

*(In generalised manner we can take example of Nephrotic syndrome, in which liver produces excessive cholesterol in response to damaged to renal basement membrane. Similarly we may assume that each kind of CKD will affect the medovah srotas through the disturbance in Agni most probably by Liver.)*

In my practice,  the few patients I had were treated with the udupa sir's quath,  with fairly good success , s.creatinine & blood urea came down.

*(What is your observation in your patients about the presence of features of Medodushti ?)*

Resp. Sanjay Sir ! Thanks for raising very crucial questions.

🙏🏻🙏🏻☑🌹🌹😌

[11/17, 1:30 PM] pawan madan Dr: 🙏🙏🙏

We were discussing that meda dushti should be corrected to cure ckd. Because vrikk is the mool of medovaha srotas.

But that erythropoietin inhibition occurs due to CKD..🤔..There is generally no bone marrow or सरक्त मेद दुष्टि 🤔

....In nephrotic syn also there is high cholesterol due to less protein resulting from vrikk dushti ..... As proteins become short to form lipoproteins...
🤔🤔

I am yet to discover or understand the relation of meda and vrikk directly....😣

[11/17, 1:34 PM] Prof Prakash Kabbra, Nagpur: 

मेद की दुष्टी यदी है तो निश्र्चित ही उसकी चिकित्सा आवश्यक है, लेकीन दूषी विष जन्य CKD मे मेद चिकित्सा जरूरी रहेगी क्या ?

[11/17, 1:37 PM] pawan madan Dr: 

पर सर पहले ये सुनिश्चित करना है क्या उस med दुष्टि सेckd हुआ है या किसी और कारण से ?

[11/17, 1:48 PM] Dr Ramanuj Soni New Delhi: 

Dyslipidemia often present in people with kidney disease and is usually regarded as a consequence of kidney dysfunction however this abnormality can also play a role in causing and aggravating the glomerular damage so here we can consider dyslipidemia as a strong risk factor for CKD.

[11/17, 1:52 PM] pawan madan Dr:

 How.?..
Please elaborate or give some ref...

[11/17, 1:53 PM] pawan madan Dr:

 Here dyslipidimia is the result of ckd...

[11/17, 1:54 PM] Ranga prasad Ji Vd. Chennai: 

पुनर्नवा
गोक्षुर
गुडूची if my recollection is correct.

[11/17, 1:58 PM] Dr Ramanuj Soni New Delhi: 

Several studies in T1DM and T2DM  have found that and they also shown cholesterol higher than 250mg/dL had a faster decline of GFR...

[11/17, 2:04 PM] Prof Prakash Kabbra, Nagpur: 

मुझे तो ऐसा ही लगता है, हमे deferential diagnosis (व्यवच्छेद) का सहारा लेना पडेगा, मेरे approach सही है क्या? मान्यवर विद्वत वैद्य गण से आग्रह है की इस पर मन्तव्य व्यक्त करे ! 

[11/17, 2:06 PM] Prof Prakash Kabbra, Nagpur:

 इस स्थिती मे मेद चिकित्सा करनी होगी ।

[11/17, 2:09 PM] Dr. R S. Soni, Delhi: 

👌👌🌹

अब बात आती है क्या डिसलिपिडीमिया मेद वृद्धि है या मेद विकृति🤔

वृद्धि मात्र होती तो ckd में स्थौल्य चिकित्सा ही पर्याप्त है, किन्तु ऐसा नहीं है। ckd में घृत योग लाभकारी हैं जबकि स्थौल्य में रक्षण चिकित्सा अभिधेय है।

[11/17, 2:23 PM] pawan madan Dr: 

Sir..
Dono hi .....Dysfunctions hain...

[11/17, 2:40 PM] Dr. R S. Soni, Delhi: 

🙏जी पवन सर

Dysfunction वस्तुतः धत्वगनी व्यापार से जुड़ा है। जो *विरुद्ध आहार* से जुड़ी स्थिति है। क्योंकि धातु सामान्य आहार वृद्धि कारक और विशेष ह्रास कारक है। विरुद्ध आहार अग्नि वैषम्यकारी होता है जो क्षय और वृद्धि के अतिरिक्त दोष, धातु आदि की *तीसरी गति* का कारण बनता है।

[11/17, 2:55 PM] Dr Divyesh Desai: 

सर 1 भूल मरीज़ की वैध ओर इन्हें खुदको नुकसान पहुंचा सकती है, मेरे pt को अनुलोमन ओर विरेचक के रूप में शिवा टेबलेट दी थी उन्होंने द्रव मल प्रवृत्ति होंने पर बिना बताये बंध कर दी थी और बाकी औषध लेने के बावजूद anasarca हो गया, यूरिया ओर क्रिएटिनिन भी बढ़ गया और uremia, anemia ओर सेप्टीसीमिया हो जाने की वजह से रेफेर करना पड़ा और अभी भी 10 दिनों से अस्पताल में  सीरियस कंडीसन में है। ckd pt में आपने पहले भी बताया था कि इनका मल मूत्र दोनों का विरेचन होना अत्यंत आवश्यक है👏🏽👏🏽

[11/17, 3:04 PM] Dr Divyesh Desai: 

मैडम ये प्रयोग Dr Y.G.JOSHI सर ने हम सबको भी बताया था और उन्होंने ये प्रयोग आदरणीय श्री बापालाल वैध से सीखा था और शायद बस्ति नहीं किन्तु बड़ी आंत( पक्वाशय) के बारे मे कहाँ था,हो सकता है बस्ति के प्रयोग करने पर भी ज्यादा फायदेमंद साबित होगा👏🏽👏🏽👏🏽

[11/17, 3:33 PM] Vd Pratibha Navani:

 CKD associated with an enhanced oxidative stress (Oxidation is a normal and necessary process that takes place in  body. Oxidative stress, on the other hand, occurs when there’s an imbalance between free radical activity and antioxidant activity. When functioning properly, free radicals can help fight off pathogens.When there are more free radicals present than can be kept in balance by  antioxidants, the free radicals can start doing damage to fatty tissue, DNA, and proteins in the body) and deep modifications in lipid and lipoprotein metabolism. First, many oxidized lipids accumulate in CKD (As there is Medovaha Mula dusti there is production of excessive Sama Meda) and were shown to exert toxic effects on cells and tissues. These lipids are known to interfere with many cell functions and to be pro-apoptotic and pro-inflammatory, especially in the cardiovascular system. Some, like F2-isoprostanes, are directly correlated with CKD progression. Their accumulation, added to their noxious effects, rendered their nomination as uremic toxins credible. Similarly, lipoproteins are deeply altered by CKD modifications, either in their metabolism or composition. These impairments lead to impaired effects of HDL on their normal effectors and may strongly participate in accelerated atherosclerosis and failure of statins in end-stage renal disease patients. This  describes the impact of oxidized lipids and other modifications in the natural history of CKD and its complications. 🙏🙏

[11/17, 3:49 PM] pawan madan Dr:

 Badhiya
Pratibha ji
You have helped me a lot...

...👍Oxidized lipids start accumulating in the kidneys
....👍Act as free radicals
....👍🏻This in turn disturb the lipid metabolism which again effect the kidneys negatively

Here Meda dhatu dushti occurs first and then it act like dosha when reach the vrikk thereby manifesting dosha dushya sammoochana over there...Thus manifesting the disease of Vrikkaamaya I.e. CKD.

Thanks a ton.....🙏🙏

[11/17, 6:51 PM] Vd Pratibha Navani: 🙏🙏🙏

[11/17, 7:49 PM] Dr Divyesh Desai: 

सर, आपकी क्या advise है?
दोनों किश्तियों में बैठना चाहिए? या नहीं?👏🏽👏🏽

[11/17, 7:51 PM] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

🙏🙏जल से पतला gyan है।

[11/17, 7:52 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*डॉ पाण्डेय जी, हम सभी आयुर्वेद के साधक है।*

               💐🌺🌹

[11/17, 7:54 PM] Dr. Rituraj Verma: 

Knowledge होना अच्छी बात है होना भी चाहिए लेकिन जब तक निदान,सम्प्राप्ति आयुर्वेदिक नही होगी चिकित्सा भी सफल नही हो सकती।यही आयुर्वेद की सुंदरता है गुरुवर ।

[11/17, 7:54 PM] D C Katoch Sir: 

एक किश्ती में बैठकर दूसरी किश्ती को देखना चाहिए, समझना चाहिए, पर यात्रा अपनी किश्ती में ही करनी चाहिए ।

[11/17, 7:56 PM] Dr Manu Vats, Patiala:

 Great statement.. Sir I am compiling my homework.. going to share in few minutes.

[11/17, 7:57 PM] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

जी सर हमारी पहचान हमारे सिद्धांत से ही होनी चाहिए ।

[11/17, 7:59 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*एक रोग दूसरे रोग को उत्पन्न कर देता है, एक दूषित स्रोतस दूसरे को दूषित कर देता है तो दोनो का अधिष्ठान देखा जाता है इस विषय पर शीघ्र ही विस्तार से लिखूंगा।*

[11/17, 7:59 PM] Dr Divyesh Desai: 

👏🏽👏🏽👏🏽जैसी आपकी आज्ञा गुरुजी....आयुर्वेद की किश्ती मजबूत बनानी पड़ेगी...

[11/17, 8:07 PM] Dr Shashi Jindal: 

Your question is right, can we take vasa as adipose tissue ?

Vasa is updhatu of mans, and med is dhatu.

Vasa is mool of med vh srotas.

In 4 sneh , ghrit tail vasa majja, med is not there,

What is med and what is vasa ?
🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/17, 8:14 PM] D C Katoch Sir: 

आयुर्वेद की किश्ती तो मजबूत है पर विडम्बना कि हमें शक रहता है कि कहीं .....🤭

[11/17, 8:16 PM] Dr Divyesh Desai: 

एक वास्तविक गुरु वह है जो समय समय पर  आयुर्वेद के गूढ़ रहस्यों को यथार्थ सत्य के रूप में प्रकाशित करते है वही यथार्थ ज्ञान गुरु शिष्य परंपरा के माध्यम से अगली पीढ़ी तक पहुँचत्ता है,
 *काय सम्प्रदाय के तमाम गुरुजनों को समर्पित*
 *जय आयुर्वेद, जय धन्वंतरि*

[11/17, 8:16 PM] D C Katoch Sir: 

रविवारीय व्यस्तता समाप्त हुई या चल रही है- धन्य हैं आप💐💐👏🏽👏🏽

[11/17, 8:23 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*यहां ग्रुप में आ कर सारी थकान उतर जाती है, मानसिक शान्ति मिलती है और आप सभी विद्वानों का ज्ञान देखकर असीम ऊर्जा प्राप्त होती है, ऐसा लगता है हर श्वास में आयुर्वेद है।*

           🙏🙏🙏🙏🙏

[11/17, 8:28 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

To continue discussions and homework given by Mentor Katoch Sir..
I am sharing it in 2 parts.. Firstly... Role of Med Maans, Vsaa in Stholya... so my answer is YES.. here are the Reference...pls correct if my interpretation are wrong....

[11/17, 8:28 PM] Prof. Satish Panda K. C: 

Pleasure of giving,
is a Satwik charactertics.
Jai Gurudev
Jai Ayurved
[11/17, 8:35 PM] Dr Shashi Jindal: Vrikk utpatti from rkt and med saar ;

Structure of kidneys are mainly nephron with glomerulus.

Kidney functions are movement of fluids and molecules across the membranes of capillaries and visceral  epithelium of bowman's capsule and tubular parts of nephrones, controlled by pressure (arterial), size of solute particles and electric charge on molecules.
No muscular activity is there in glomerular functions.
This is what I think about structure of vrikk.
🙏🏼🙏🏼

[11/17, 8:52 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Second Part is As we were discussing Role of Meddhatu in Vrikk Rog ..
Both as per Sushrut and sharangdhar... VRIKK is from Prasad part of Rakt and MED..
There is NO reference which explain function of VRIKKA..
But Yes as Dosh dhatu mal moolam hee Shreeram..

DOSH & DHATU..

So Being Rakt and Med both have role for VRIKK .
Now from all dhatus Only Rakt dhatu got PITT dosh Vyadhi and MEDDHATU  got Kaff doshaj Vyadhi..Rest all Vayu doshaj.... (Will share reference)...
As I explained in First part how mandagni (Pitt) and Kaff  responsible for STHAULYA. Thus it will affect VRIKK  too..This is what you say Relationship of Dosh and Dhatu.

MAL..

Further MUTRA ..its a MAL..
If we study MutraMal vridhi & Kshay lakshan ..we will also get SVED MAL lakshan..
So we have to analyze or diagnose it as per MAL..
And Mutra is mal of Aadra part of AanRAS Dhatu(as per reference)..which is processed through small channels of pakvashay(shlok from sushrut shared by subhash sir)..
Here Dosh and dhatu in a holistic approach has to be considered..
Conclusions
It's not a universal law or statement that for all Vrikk dosh Meddhatu has to be treated....It may be only due to VAAT if its retrospective.. I mean dosh is in VASTI..
Regards 🙏🙏📍

[11/17, 9:20 PM] Prof. Satish Panda K. C: 

Right analysis.
Meda play a pathological role  mainly in Jirna vyadhi of vrikka.

[11/17, 9:22 PM] Prof. Deep Narayan Pandey: 

*वैद्यसमूहोनिःसंशयकराणं श्रेष्ठम्* --च.सू.२५.४० (अंश)

*कायसम्प्रदायनि:संशयकराणं श्रेष्ठम्*

Thought of the day.
🙏🏻😀😄🙏🏻

[11/17, 9:46 PM] Dr Divyesh Desai: 

👏🏽👏🏽सर,इस ग्रुप में जो जवाब मिलता है उसमें आयुर्वेद का हरेक पहलू का विचार होता है, बादमे जो तथ्य सामने आता है वो एकदम सटीक जवाब होता है।।
 ☑☑☑☑

[11/17, 10:23 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Soni Sir thanks Sir .. Mandagni is Starting  Point... pls read this reference.. teekshanagni is Vitiated Jathragni when Vaayu is entangled in koshth after Medoveh srothavrodh..

[11/17, 10:31 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

You review please....
It's not about koshthastha mandagni, it is dhatwagni mandya.
Later clear description of  pravriddha jatharagni.
Mandagni at level of koshtha never ever can produce sthoulya.

[11/17, 10:32 PM] D C Katoch Sir: 

निष्कर्ष क्या निकला इतने विस्तृत स्वाध्याय से ?

[11/17, 10:39 PM] Dr Manu Vats, Patiala:

 Sir what I understood (may be wrong) as a result of kafvardhak ahaarvihaar  vikrit rasdhatu(Aam).. here I meant mandagni at Aamashay level which leads to medvehsrotoavrodh...this further leads to koshthgat vayu entangled.. thus Jathragni pravridh..

[11/17, 10:41 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

Not at aamashay but at dhatvagni level...
Small correction only.

[11/17, 10:43 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Sir...I mentioned..Firstly ..Yes med, maans, vasaa involved in Stholyaa.
Secondly. It's not always necessary that For Vrikk Rog we have to treat Medoveh srotus....pls read again...
Request to take my VIVA somewhat liniently😆🙏💐

[11/17, 10:43 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Ok Got it Sir...🙏
Soni Sir !

[11/17, 11:01 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

Journal of Ayurveda Physicians & Surgeons (JAPS)(www.japs.co.in)EISSN 2394-6350Journal of Ayurveda Physicians & Surgeons (JAPS) |Jul, 2015| Vol. 2| Issue 352
Editorial

*Development of Speciality of Ayurveda Urology*

*Professor Gurdip Singh*

Editor-in-Chief, Journal of Ayurveda Physicians & Surgeons

 (JAPS)Corresponding author: email address:profgurdip@rediffmail.comAccess this article on online: www.japs.co.in

Published by International-Academy of Ayurveda-Physicians (IAAP), 5HB, Gandhinagar, Jamangar-361 002, Gujarat, India

Invention of antibiotics was a measure breakt-hrough in  managing  the  infection  problems  by  the  modern medicine, but it’s over and misusehas  resulted  in many problems. Nausea, vomiting, burning sensation in stomach are the common side effects due to which the patients nowadays do not like to take antibiotics. Further  incidence  of  resistance  to  antibiotics  is  on rising which seems to have no imminent solution. One  of  the  most  common  problems  of  antibiotic resistance   is   urinary   tract   infection   (UTI).   Adult women   generally   become   pray   of   this   type   of infection and it is said thatin USAa third of women will  get  a  UTI  by  the  age  of  24.  Half  of  all  women get at least one UTI in their lifetime. Untreated, UTIs can   lead   to   a   kidney   infection   that   could   cause serious  or  permanent  damage.    It  was  estimated  that the total direct costs of UTItreatment and work loss in 1995 was $1.6 billionin USA. Now  the  Western  researchers  are  turning  up  to  find out  alternative  in  form  antiinflammatory  drugsfrom herbal  sources.  Some  Western  people  prefer  home remedies such cranberry pills and juices to treat these infections.  In  such  conditions  Ayurveda  possessesbetter  solution  because  it  has  thousands  years  of experience   treating   of   such   conditions   described under   Mutrakricchra,   Mutraghata,   Sharkara,   etc.   Generally   it   is   said   that   in   Ayurveda   is   mainly depends   upon   symptoms   as   objective   signs   are meager,  but  Prameha  is  a  group  of urinary disorders where diagnosis depends on the examination of urine and   virtually   without   description   of   symptoms. Ayurveda scholars are after the Taila-Bindu Pariksha described by Yogaratnakar  which after  many  studies unable  to prove  its utility and remained an academic exercise.  On  the  other  hand  the  description  of  urine findings  in  all  the  twenty  types  of  Prameha  is  clear and  easy  to  examine  practically  to  reach  the  proper diagnosis.   In   Nidana   department   fully   equipped pathological   laboratory   is   available where   urine examination  is  done  on  modern  parameters.  With little sincere efforts in these laboratories examination of   the   urine   for   the   diagnosis   of   Prameha   on Ayurveda lines can be developed. Further,    many    tests    are    already    available    in pathological  laboratory  which  can also be  used  for the  diagnosis  of  different  disorders  described  under the  heading  of  Prameha.  For  example  Udakameha represents   low   specific   gravity   and   Sandraprasad Meha is a condition ofhigh specific gravity and both

Part-1
[11/17, 11:03 PM] Prof. Surendra A. Soni: both these  conditions  can  be  diagnosed  by  measuring  the specific  gravity  of  the  urine  and  then  managed  by Ayurvedic   lines. Similarly, Sandra   Meha   which occurs  due  to  presence  of  urates  in  the  urineandAlala Meha occurring due to presence of casts can be diagnosed   by   microscopic   examination   of   urine.Sikta   Meha is   easy   to   diagnose by   presence   of crystals   in   urine;Ikshumeha,   shita    meha   and Madhumeha   by   the   presence   of   sugar   in   urine, Haridrameha by  presence  bile  in  urine,  Kshara  and Nila  meha  by  measuring  the  pH  of  the  urine (see article  on  Prameha  in  this  issue) and  so  on  and  then these   conditionscan   be manage   by   Ayurveda principles and treatment.  The above mentioned facts point that atpresent thereis favorable    environment    for developingan Ayurveda    speciality    of    Basti    Roga    (Urology), because  one  side  the  patients  themselves  are  turning to  natural  treatments  due  intolerance  to  antibiotics and  on  the  other sidemedical  profession  itself  is turning towards herbal sourcesto find out the answer of antibiotic resistance. As    mentioned    above full-fledged pathological laboratories  all  ready  exists  in  Ayurveda  Institutions where  urine  examination as  mentioned above  can be done  to  diagnose  urinary  conditionsmentioned  in Ayurveda.   In   every   Institution   sufficient   staff   in Kayachikitsa   department   wherefrom   at   least   one interested or motivated physicianmay be assigned to look after the development of the speciality. Thus the available    sources    can    be    easily    utilized    for developing the  Bastiroga  spaciality.It isbecause  the patients of present era want specialized treatment.As  long   as   capacity   is   concerned   Ayurveda   has sufficient  materials  to  tackle  the  problem  of  urinary disorders.    It    is    because    Ayurveda    is    already managing   such   disorders   since   time   immemorial under   the   heading   of   Mutra-kriccha,   mutrahata, prameha,   Ashmari   etc.In   this   way   Ayurveda Institution  possesses  sufficient  know  how,  resources and capacity to develop the specialty. At the some centers such Nadiad appreciable work is going on this direction byProf. S. N. Gupta and there is need to further systematize and propagate it so that Ayurveda  urology  speciality  may  also  come  up  at least in renowned Institute.

Ayurveda. Cite  this  as: Singh  Gurdip.Editorial; Journal

Part-2

[11/17, 11:04 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

Pawan Sir !👆🏻👆🏻🙏🏻🙏🏻

Article by honourable Prof. Gurdeep Singh ji !!

[11/17, 11:14 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

Enzymes secretary function missed....
Dr. Shashi !
🙏🏻

[11/17, 11:19 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

Meda is close to adipose tissue.
Vasa- fat obtained by boiling meat. A natural  part of Mansras.
🙏🏻

[11/17, 11:19 PM] pawan madan Dr:

 Dear Manu ji

After going through all references, the involvement of Maans, med, vasaa, kapha is quite already very evident and is the basis of pathology in sthaulay.

I am trying to find out ...To which factors you want to draw the attention of the group members ??

[11/17, 11:29 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Sir yesterday question was whether only Med is involved or Maans,VSaa also for STHAULYA.


[11/17, 11:32 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *मनु जी , आज आप home work कर ही रहे हैं और ग्रन्थ पास हो तो आयुर्वेद में वृक्कों का कार्य क्या है, इसके ref. भी मिले तो देखिये।*

            🌹🌺💐

[11/17, 11:35 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *क्योंकि वृक्कों पर ग्रन्थों में विवरण बिखरा हुआ मिलता है, इसको ग्रन्थों से निकाल कर लाना भी team work है।*

[11/17, 11:36 PM] pawan madan Dr: 

Sir vrikk ke sambandh me mujhe jo ref mile wo is post me prastut kiye hain...

Baaki aap guide karain..

🙏🙏

आपका ये प्रश्न एवं वी हर बहुत ही महत्वपुरन है।

मेद एवं वृक्क के जितने भी संदर्भ शास्त्रो में आये है वो सब ये है ,,,
,,, *पंचदश कोष्ठानग प्लीहा च वृक्कउ च बस्ति-- चरक )) ये सब दृष्टि गम्य है*
,,, *रक्त मेद प्रसादात वृक्कउ-सुश्रुत*
,,, *वृक्कओ पुष्टिकरो प्रौकतौ जठरअस्थस्य मेदास-शारंगधर*
,,, *वृक्कउओ कुक्षी गौलको-दलहन*

♈♈♈
*In most of the references there is relation of basti and mutra but there is no relation of medas with kidneys*.🤔

*The adhishthaan of all mutra roga have been said as Basti.*
The adhishthan of meda uttapatti has been said as Vrikk but there is no any relation which have been established in the texts.
🚫🚫
In sthool or gross dead body dissection the following relations are seen...
....Basti and mutra
.... malaashya and mala
.... Annaashya and anna
And
*....Vrikk and meda*.....As there is lot of fats around the kidneys and it appears that as if the fats are originating from the vrikk.

*Second*....Mool of meda has been said as kati in sushrut and vapavahan in charak.....Both these kati and vapavahan are places having maximum fat tissue......

💤💤
*So it appears that the fat has some samvaayi type relation with these or fats are originating from them.*

Physiologically..
👇🏻
There is one indirect ref of mutra formation in vrikk but no meda formation from vrikk.

*सप्ताष्य क्रमाद सरक्क कफ आमय पित्त pakvaayu मूत्र आधार। तेषु सप्तसु प्रतिबद्ध आणि कोष्ठानगणि hridya yakrit pleeha fuffus unduk vrikk antraadini*
*...Ashtang* *sangrah..Sharir sthaan 5*

▶▶
When we study the reabsorption and secretion through the various parts of the nephron viz
..bowmans cap
..descending tubule
.. ascending tubule
..Loop of henle
..collecting tubules
.We see that these parts absorb and secrete sodium, potasssium, chlorides, glucose, amino acids and others *but no significant secretion of fats or fatty acids or fat molecules.....So that we could say that active fat secretion occurs from the kidneys*

🙏🙏🙏

Would love to learn more about this with your guidance.
💐

[11/17, 11:40 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

👍👍👍👍 *धन्यवाद पवनजी, जिस प्रकार यकृत, वस्ति आदि के कर्म मिलते है उस प्रकार ???*
*उनके ref. ग्रन्थ, अध्याय और श्लोक नं के साथ।*

[11/17, 11:49 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*यदि आप सभी लोग इसी गंभीरता से चलते रहें और ग्रुप के शारीरविदों का साथ भी मिलता रहे तो हम लोग किसी निष्कर्ष पर अवश्य पहुंच जायेंगे और वृक्कों पर कुछ सिद्धान्त आयुर्वेदानुसार अवश्य स्थापित कर सकते हैं।*

                🌺🌹💐

[11/17, 11:50 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*आचार्य गिरिराज जी से वृक्कों के कार्य पर विशेष निवेदन आयुर्वेद के संदर्भ में।*

                  🙏🙏🙏

[11/18, 12:09 AM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Sir pls review. ADHISHTHAAN OF MED UTPAATI IS VRIKK...
THIS IS NOT RIGHT..
RAKT (PITT or AGNI)AND MED(Kaff) ke Prasad bhag forms VRIKk...So what I tried to explain in First part is..For VRIKk .a) Rakt & Meddhatu b) Pitt & Kaff Dosh
Should be taken care of..
And there interrelation of both a) and b) is established in Stholya..

[11/18, 12:43 AM] Dr Manu Vats, Patiala: 

SVED is salty and responsible  for dryness and wet conditions of skin..

[11/18, 12:56 AM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 

Vasaa is updhatu of Maans dhatu. 3 anjalee pramana in our sharir, vasaa is described as शुद्ध मांसस्य स्नेह: by Sushruta, Dalhan says it's मांसनिर्यास:।

[11/18, 5:23 AM] pawan madan Dr:

 Good mng bro.
I didn't say that med originate from vrikk.

The mool of medovah srotas is Vrikk, this is shastra vachan.

Tried to understand this relationship, the result of discussion was vrikk means kidneys + adrenals.

[11/18, 5:29 AM] Dr Shashi Jindal: 

Yes sir secretory functions 👍🏼🙏🏼
Dr. Soni !

[11/18, 5:54 AM] Dr Shashi Jindal: 

🙏🏼swed is mal of med, as kidneys maintain electrolyte balance(Na  K), still remaining extra sodium and water is excreted as sweat, before formation of asthi, my interpretation.🙏🏼

[11/18, 5:55 AM] Dr Shashi Jindal: 

Role of dietary sodium in osteoporosis. ...  Sodium, in the form of sodium chloride, elevates urinary calcium excretion and, at prevailing calcium intakes, evokes compensatory responses that may lead to increased bone remodeling and bone loss.

[11/18, 6:58 AM] Sanjay Chhajed Dr. Mumbai:

 Vaidyaraj Bagewadikar was using Vajedi (small intestine) soup in ckd patients,  those who can't drink for them basti was used.  I had seen this during my internship at Tarachand Ramnath Hospital pune and I  had also used it in the patient.
He was of the opinion that it enhances the actions of Apan.

[11/18, 7:59 AM] Dr Shashi Jindal:

 Namaskaar sir, we find two types of diseases related to every dhatu, here we r dicussing med.

1. med dushti  ;

Primary;  may start first from diet.

Secondary ; from channels which are transporting med. ch. sut 28/15

2. med vh srotodushti ie diseass related to channels which r transporting med.

Primary disease in channels which in turn envolve med.

Secondary ; start from dushita med. ch. vim 5/16.

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Primary secondary division is my interpretation. 🙏🏼

[11/18, 8:53 AM] Dr Shashi Jindal: 

👏👏👏👏👏👌👌👌👌🙏🏼💐🙏🏼
It cleared my wrong  concept of vasa as adipose tissue, It was a big blunder .
But I think learning is by sharing and discussing only, if we feel that we know every thing or we feel ashamed of sharing(that if it is wrong what others will think), we can not learn or correct our wrong concepts.🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/18, 9:18 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *ये ग्रुप सभी को याद दिलाता रहता है कि है कि आयुर्वेद को जानने के लिये सात जन्म भी कम है।*

                👍💐🌺🌹🙏

[11/18, 9:25 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *प्रतिदिन अनेक 'यक्ष प्रश्न' सामने आ कर खड़े हो जाते है, ग्रन्थों को देखते हैं, अपनी बुद्धि लगाते हैं, अंदर ही अंदर तर्क वितर्क चलता है फिर ग्रुप में discussion करते हैं, डॉ शशि जी ये हम सभी के साथ है। जब शंकाओं का समाधान होता है तो विचित्र से आनंद की अनुभूति होती है।*

[11/18, 9:28 AM] Dr Darshana Vyas, Vadodara: 

Perfect sir  🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐   आर्ष सत्व धारन  करने पर ही कोई बात बने । आप का कोई जवाब नही सर जी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[11/18, 9:28 AM] Dr Divyesh Desai: 

Yes it definitely effects on Apanvayu, not only vayu but it's supplies protein to our body👏🏽👏🏽

[11/18, 9:30 AM] Prof Giriraj Sharma:

 🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼
प्रणाम आचार्य
मेद एवं वृक्क ,  मूत्र एवं वृक्क के परिपेक्ष्य में हम सबने काफी चर्चा की,
शास्त्र सम्मत एवं परतंत्र विधा में भी काफी विमर्श हुआ है ।
बहुत से शास्त्र सम्मत नवतथ्य , नव सूत्र ज्ञात हुए ,,,,
परन्तु आयुर्वेदिक मतानुसार वृक्क के विषय मे मेद जन्य विमर्श  ज्यादा प्रासंगिक लग रहा है ।
शास्त्र में सूत्र है ,,, स्वविवेक, अनुभव, एवं व्यवारिक युक्तिसंगत चिंतन के लिए हमे इस गहन विषय को समझना चाहिए ।
सभी आचार्य ने महत्वपूर्ण चिंतन किया है ।
शास्त्र सम्मत चिंतन के लिए हमे कुछ रूपरेखा निर्धारित करनी चाहिए यथा कटोच सर एवं सोनी सर ने भी कहा,,,,
मेदधातु  जठराग्नि परिप्रेक्ष्य में
मेदधातु धातवाग्नि परिप्रेक्ष्य में
मेदधातु भुताग्नि परिप्रेक्ष्य में
इनमे हमे परस्पर सूक्ष्म विवेचन करना चाहिए ।
*वृक्कों पुष्टि करौ ज्ञेयों*
 *मेदधातु के परिपेक्ष्य*
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/18, 9:33 AM] Dr Shashi Jindal: 

Namaskaar sir🙏🏼 thinking more about thinkable stuff can cause rasvah srotodushti. Ch Vim 5
😊💐🙏🏼

[11/18, 9:35 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*सुप्रभात आचार्यश्रेष्ठ, आयुर्वेदानुसार वृक्क एवं मूत्र निर्माण , इस पर शास्त्र में कहीं कोई टीका या सूत्र के संदर्भ में जिज्ञासा थी।*

[11/18, 9:37 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*अब तक के discussion का निष्कर्ष आपने एक ही स्थान पर एकत्रित कर दिया ।*

                 🙏🙏🙏

[11/18, 9:40 AM] Prof. Satish Panda K. C: 

loss of renal parenchyma accelerates atherosclerosis.

These loss occur in chroni state of kidney disease.

[11/18, 9:43 AM] Dr Shashi Jindal: 

🙏🏼sir
To develop a clear concepts of vasa, med, and vrikk, more study of med, prameh and medovahi srotas, special discussion on each hetu ling and aushadh And Digestion and metabolism of lipids, anatomy physiology of kidneys is must.🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/18, 9:43 AM] Prof. Satish Panda K. C: 

Atherosclerosis is one of example of Atherosclerosis is the buildup of fats, cholesterol and other substances (plaques) in and on your artery walls. As the deposits get larger, they can harden, reduce blood flow and cause scarring of the kidney. Eventually, narrowing of the artery can result.

[11/18, 9:47 AM] Prof. Surendra A. Soni: 

मेद और वृक्क संभाषा में परमादरणीय खाण्डल सर रमाकांत सर, प्रो सुरेंद्र शर्मा जी, वैद्य दिलखुश जी, वैद्य अतुल जी, प्रो प्रवीण मेडिकोंडा जी, वैद्य सुखवीर जी, प्रो थम्मन जी, प्रो इन्दोरिया जी वैद्य रघुराम भट्ट इत्यादि का मार्गदर्शन मिलता तो चर्चा और रोचक, उत्कृष्ट ज्ञानवर्धक होती ।
सभी आदरणीयों से निवेदन है कि समय निकाल कर मन्तव्य प्रदान करने की कृपा करें ।

🙏🏻🌹😌🌻

[11/18, 9:48 AM] Prof. Satish Panda K. C: 

Atherosclerosis leads CKD.
CKD leads Atherosclerosis.
Vice versa

[11/18, 9:49 AM] Prof Giriraj Sharma: 

🌹🌹👍🏻🌹🌹
आचार्या जी सुप्रभातम
रसवहः स्रोतः एव रस धातू एवं मेद धातु मेदवहः स्रोतः को साथ अध्य्यन की जरूरत है ।
मेद का मल स्वेद
रस का मल मूत्र,,,
स्वेद एवं मूत्र की कार्मुक साम्यता एवं परस्पर प्रभाव,,,,
रसदोषज व्याधि , मेदज व्याधि एवं इनकी सम्प्राप्ति , चिकित्सा साम्यता की परस्पर अनुरूपता, एवं विभेदित लक्षण,,, ,,,,,
कला परिप्रेक्ष्य में  एक क्रम
मेदोवह के बाद मूत्रवह का वर्णन
मूत्रवह के बाद पुरीष वह
मेदवहः  *वृक्क*
मूत्रवह।   *बस्ति*
पुरीष वह।   *पक्वाशय,*,,,

वस्ति में वृक्क का समायोजन
वस्ति मूत्र का मूल
मूत्र की उतपति पक्वाशयगत

इन तीनो स्रोतस का परस्पर संबधं को एक बार मनन करे तो कुछ नव आधार मिलने की संभावना है ।

[11/18, 9:49 AM] Prof. Surendra A. Soni:

 ☑👌🏻👌🏻👍🏻🙏🏻
संक्षिप्त में रक्त वाहिकाओं का खरत्व । प्रो गिरिराज जी कई बार बता चुके हैं ।

[11/18, 9:52 AM] pawan madan Dr:

 प्रणाम गुरुदेव - क्या इस प्रसंग से कुछ सहायता मिल सकति है --- सप्ताश्याः क्रमाद सृक कफ आम पित्त पक्वायु मुत्र आधाराः, तेषु सप्तसु प्रतिबद्धानि कोष्ठंगानि ह्र्द्य यकृत प्लीहा फुफुस उण्डुक वृक्क अंत्रादिनि ... Ashtang sangrah..Sharir sthaan 5/45/46
इसमे अपरोक्ष रूप से मुत्र की वृक्क द्वारा निर्मिति की और इशारा है. 🤔

[11/18, 9:57 AM] Dr Shashi Jindal:

 Mostly fats are bound to proteins, ammount of  free fatty acids is very less, but as charak used word oj to basti, it may be that free fatty acids which remain unbound to proteins get filtered in bowman's capsule due to high pressure in afferent arteriol, but could not get reabsorbed , and this can get deposited in nephron and cause ckd slowly. 🙏🏼🙏🏼

[11/18, 9:58 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*धन्यवाद पवन जी 👍👍👍 जरूर इसका अध्ययन गंभीरता से करता हूं, दरअसल कभी कभी मन कुछ ढूंड रहा होता है, जो है तो सही पर मिल नही रहा और वो मिलते ही जैसे अब मार्ग प्रशस्त हो गया।*

              🙏🌺🌹💐🙏

[11/18, 9:59 AM] Prof Giriraj Sharma: 

स्रोतः परिपूर्ण में पुनः इस सूत्र पर गौर कीजिए ,,,
तानि तु प्राणा अन्न उदक रस रक्त मांस  *मेदोमूत्रपुरिष* शुक्र आर्तव वहानि,

*येष्वधिकारः एकेषा बहूनि ऐतेषां विशेषा बहवः*
इस सिद्धांत को ग्रहण करके मेदवहः स्रोतः या अन्य को हमे प्रतिपादित करना चाहिए ।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/18, 10:00 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

👍👍👍👍
*ऐसे जटिल विषयों में सभी विद्वानों के मत बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।*

[11/18, 10:01 AM] pawan madan Dr:

 NAMASTE --- kripayaa iska sandarbha bataayen ---🙏

[11/18, 10:02 AM] Prof Giriraj Sharma:

सु शा 9 / 12  (धमनी व्याकरण शारीर)

[11/18, 10:04 AM] pawan madan Dr: 

ji sir -- noted.

[11/18, 10:06 AM] pawan madan Dr: 

ye wohi hai jisme 2 types of srotas have been said -- on normal srotas and other yogvahaani srotas..

[11/18, 10:06 AM] Dr Shashi Jindal: 

sir in anulom vikriti, hetu, pooravroop and roop  will be there in rs dhatu, and in pratilom vikriti direct hetu etc. of concerned dhatu will be there. ????🙏🏼🙏🏼

[11/18, 10:09 AM] pawan madan Dr: 

कालेयकं वृक्कं – DALAHANA on SUSHRUT SUTRA 46/130  --  sir is sandarbha me KAALEYAKA ka kya meaning lenge??

[11/18, 10:19 AM] Prof Giriraj Sharma: 

स्कैन कॉपी हो तो कृपया,,,
किस सन्दर्भ में आचार्य ने वर्णन किया है ।
कालिय, क्लोम इन पर विद्वजन एक राय नही रखते ।
🌹🌹🌹🙏🏼🌹🌹🌹

[11/18, 10:40 AM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Mam  sorry can't understand this..
But whereas ASHI DHATU and its MAL are concerned; Osteoporosis is likely ASTHI KSHAY..
And Line of TREATMENT in Ashtang clearly indicates that out of 7 dhatu; ASTHI Dhatu TREATMENT is opposite being VAAT doshjanya..
Here SANTARPAN is FOR vridhi vikaar and APTARPAN CHIKITSA For kshay Asthi dhatu vikaar..

[11/18, 10:43 AM] pawan madan Dr: 

अन्नपान अध्याय में है
उत्तरोत्तर गुरुता बताते हुए दलहन ने उदाहरण दिया है।

[11/18, 10:46 AM] Prof. Satish Panda K. C: 

क्या रक्त वाहिनियों के खरत्व को Atherosclerosis समझे?
जबकि Atherosclerosis में कोई खरत्व नही होता।
Dr. Soni !
🌹

[11/18, 10:47 AM] Dr Manu Vats, Patiala:

 Sir... you must agree For me Ayurveda is Aaptopdesh...and here Yourself and Katoch  Sir are Aaptpurush Guru for me...
Sir pls solve this issue .Just feeling tired to search more..🙏🙏💐Regards

[11/18, 10:48 AM] Prof. Satish Panda K. C: 

Atherosclerosis is the buildup of fats, cholesterol and other substances (plaques) in and on your artery walls. As the deposits get larger, they can harden, reduce blood flow and cause scarring of the kidney. Eventually, narrowing of the artery can result।
Re post🌹

[11/18, 11:03 AM] Dr Namrata Sharma: 

देर से पढ़ने के लिए क्षमा लेकिन शास्त्रो में जो कहा है वो practical चिकित्सा के लिए कहा है।
मैंने कितने ही रोगीयों में पुनर्नवादि क्वाथ या अश्मरिहर क्वाथ देने के बाद केवल 15 दिन के अंदर 3 से 4 किलो वजन कम होते देखा है।
आप स्वयं chronic kidney disease के रोगियों को कृश होते जाने की ओर स्वयं देख सकते हैं।
आप सभी शास्त्रों में वृक्क और मेद के बीच की कड़ी मत ढूँढ़िये।हिसाब बहुत सीधा है।

और ऐसा भी नहीं है कि वृक्क सम्बधी मूत्रल औषधि से जितना चाहे उतना कम कर देंगें।
हिसाब सीधा है।शरीर के लिए जितना मेद आवश्यक होगा उतना बना रहेगा और फिर भी यदि पतले होने के लालच में जबरदस्ती कुछ दिया जाएगा तो फिर आयुर्वेदिक दवाओं का side effect सांमने आएगा।
निर्णय वैद्य का है कि शरीर के संहनन के हिसाब से मेद की मात्रा सम बनी रहे।

[11/18, 11:04 AM] Dr Namrata Sharma:

 आचार्य ने रोग दूर करने के अलग अलग दृष्टिकोण दिए हैं । युक्ति वैद्य को लगानी है । 

[11/18, 11:04 AM] Dr Shashi Jindal: 

🙏🏼sir sodium is stored in bones( about 30%), there is clear relation of sodium and bone(asthi dhatu). As we are discussing about med, vrikk is medo vh srotas, and sweat is ml of med dhatu. Here  both kidney and sweat are related with excretion and reabsorption of sodium, I want to link it with next dhatu, asthi which is formed from med. Sodium should be in right amounts for quality of asthi dhatu.🙏🏼🙏🏼m i clear now ??

[11/18, 11:07 AM] Dr Shashi Jindal: 

ie if med will contain rt amount of sodium only then it will be transported to asthi dhatu.

[11/18, 11:11 AM] Prof. Surendra A. Soni:

 atherosclerosis में खरत्व नहीं तो क्या होता है आचार्य सतीश जी ?
💐

[11/18, 11:25 AM] Prof Giriraj Sharma: 

आचार्य
मांस के परिपेक्ष्य में गुरुता का उल्लेख किया है   वहां पर *विहंगाणा विशेषण गुरु स्मृत,,,,*
तन्त्रयुक्ति से अर्थ प्रतिपादित करने के लिए हम स्वतंत्र है ।
🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/18, 11:38 AM] Dr Namrata Sharma: 

यदि दूषी विष के निदान के कारण ckd हुआ है तो इसका मतलब है कि दूषी विष ने मेद धातु तक अपना प्रभाव फैला लिया है।
यदि वृक्क या कोई दूसरा अंग काम नहीं कर रहा है स्पष्ट है उसकी उत्त्पति जैसे होती है उस धातु को ठीक किया जाए।
ठीक उसी तरह जिस तरह रसवह स्त्रोत्स का मूल हृदय भी है और महास्त्रोत्स भी। मतलब गड़बड़ हृदय की भी हो सकती है और महास्त्रोत्स कि भी या दोनों की।

वैसे ही किसी अंग विशेष के लिए जैसे वृक्क के लिए गड़बड़ रक्त या मेड किसी की भी ओ सक्ती है या फिर दोनों की।

[11/18, 12:17 PM] Prof. Satish Panda K. C: 

Artherosclerosis में fat(मेद) का संचय होता जाता है, जिससे आगे चल कर vessels के उस भाग में tissue/cell perfusion नहीं हो पाता, और वह भाग काठिन्य हो जाता हैं, जिसके टूटने की संभावना कई गुना बड़ जाती है, जहाँ टूटती है वहीं की tissue damage होता जाता है। 60% damage होने के बाद CKD में लक्षण प्रकट होता है।
🌹

[11/18, 12:20 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

यही खरत्व है आचार्य जी ।
🌻

[11/18, 12:27 PM] Prof. Satish Panda K. C: 

मेद का संचय पहले हैं।
यहां काठिन्य बाद में आ रहा है।
क्या एसी स्थिति में खरत्व कहना सही होगा?🌹

[11/18, 12:29 PM] Prof Giriraj Sharma: 

मृदु एवं खर पाक का स्पष्ट उल्लेख मेद धातू में ही है ।

[11/18, 12:30 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

जी । मुझे ऐसा ही लगता है ।
मेदसः स्नेहमादाय सिरास्नायुत्वमाप्नुयात् ।।२९।।
सिराणां तु मृदुः पाकः स्नायूनां च ततः खरः ।

[11/18, 12:32 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

खरत्व इतना की आप नाड़ी (Radial artery) परीक्षा में भी इसे अनुभव कर सकते हैं ।

[11/18, 12:43 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*ग्रुप के कोई member clinic पर आये थे, हमने एक रोगी की नाड़ी उन्हे अनुभव कराई जिसके triglycerides 550 थे,उसकी ऐसी नाड़ी को हम  रज्जुवत (रस्सी की तरह) कहते है जिसमें खरत्व प्रत्यक्ष था।*

[11/18, 12:43 PM] Prof. Satish Panda K. C: 

मेद के मृदु पाक से सिरा, और खर पाक से स्नायु।
artery को सिरा माने या स्नायु?🌹

[11/18, 1:02 PM] Prof Giriraj Sharma: 

सिरा भेद 4
वातवह सिरा
पित्तवह
कफवह
रक्तवह सिरा
Artery and vein रक्तवह सिरा में समाहित है ।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼

[11/18, 1:13 PM] Prof. Satish Panda K. C: 

तो फिर Artherosclerosis  मृदु पाक से उत्पन्न हुआ।
खर पाक से नहीं, फिर खरत्व कैसे आई?
🙏🏻

[11/18, 1:18 PM] Prof Giriraj Sharma: 

सिरा मृदु प्रधान है आचार्य
परन्तु दुष्टि लक्षण से खरता है ।
मेद का पाक मृदु हुआ तो सिरा बनी
उसी सिरा में जब दोषकारक खर हेतु से ये मृदु स्वभाव सिराये खरता को प्राप्त होती है । तो खर प्रधान इन दुष्य सिराओ को Atherosclerosis वत माना जा सकता है ।
🌹🌹🙏🏼🌹🌹

[11/18, 1:22 PM] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur:

 Sahi kha AAP ne sir ji pranam 🙏🙏

[11/18, 1:31 PM] Prof. Surendra A. Soni: 

मृदु पाक- प्राकृत
खरत्व- वैकृत विशेषतः वात से ।

[11/18, 1:32 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Thats very Nice explained  Or Sir may be after chronic stage ..it may lead to KHAR dominant Atherosclerosis even after MriduPAK...

[11/18, 1:34 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

Yes Sir...with same reference I interpreted that kledak ansh of aanras is responsible for Mutra Production as its KITT bhag...Am I Right??

[11/18, 1:35 PM] Prof. Satish Panda K. C: 

उत्तम विश्लेषण।
शायद सभी सैद्धान्तिक पक्ष को स्वप्ट करने हेतु ,आप को याद करते है।
🌹💐🙏🏻🙏🏻💐🌹

[11/18, 1:43 PM] Prof Giriraj Sharma:

 सर मूत्र निर्माण अन्न से होता है परन्तु मूत्र का कार्य क्लेद का वहन करके उसे उत्सर्जित करना है ।
परंतु उसे उत्सर्जित होने से पहले विधात (टूटना) पड़ेगा ।
स्वेद मेद का मल है परन्तु यह क्लेद का विधात करता है ताकि वो कुछ त्वचा से कुछ मूत्र के साथ उत्सर्जित हो सके ।
*यह कर्म परिप्रेक्ष्य में है निर्माण परिप्रेक्ष्य में नही ,,*,,

महत्वपूर्ण बात *पुरीष अवष्टम्भ*
जिसका अर्थ सम्भवत स्थिरीकरण के रूप में देखे तो अस्थि का मूल भी स्थिर भाव से एक दूसरे को इंगित करते है ।
पुरिषधरा कला / अस्थि धातू

[11/18, 1:51 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

WOW Sir...Its much and more than much Clear..💐🙏..Thanks & Regards.
I'll trouble you in future too for such minor things..🙏🙏

[11/18, 8:30 PM] pawan madan Dr: 

PRANAM SIR --- apke dhyaanaarth -- the references for VRIKKA ---                                                                                                  1
VRIKKA as location of VIDRADHI –
पृथक् सम्भूय वा दोषाः कुपिता गुल्मरूपिणम् ||१६||
वल्मीकवत्समुन्नद्धमन्तः कुर्वन्ति विद्रधिम् |
गुदे बस्तिमुखे नाभ्यां कुक्षौ वङ्क्षणयोस्तथा ||१७||
वृक्कयोर्यकृति प्लीह्नि हृदये क्लोम्नि वा तथा | - SUSHRUT NIDAAN 9.16-17
DALAHAN - वृक्कौ मांसपिण्डद्वयम् (एको वामपार्श्वस्थितः, द्वितीयो दक्षिणपार्श्वस्थितः

2.
SYMPTOM OF VRIKKA VIDARADHI as PARSHAV SANKOCH
वृक्कयोः पार्श्वसङ्कोचः – SUSHRUT NIDAAN 9/21
DALAHAN - पार्श्वसङ्कोचः पार्श्वोत्पाटनमिव|

3.
FORMATION OF VRIKKA –
रक्तमेदःप्रसादाद्वृक्कौ – SUSHRUT SHARIR 4/31
DALAHAN - वृक्कौ कुक्षिगोलकौ|

4.
वृक्कौ ------- सिरा धमन्यो योगवहानि [३] स्रोतांसि च ||५|| - SUSHRUT SHARIR 5/5
There are 2 VRIKKA as PRATYANGA in the body.

5.
VRIKKA as MOOL of MEDOVAHA SROTAS -
मेदोवहे द्वे, तयोर्मूलं कटी वृक्कौ च - SUSHRUT SHARIR 9/12
मेदोवहानां स्रोतसां वृक्कौ [१] मूलं वपावहनं च| - CHARAK VIMANA 5/8

6.
कालेयकं वृक्कं – DALAHANA on SUSHRUT SUTRA 46/130

7.
In ASHTAANGA SANGRA – VRIKKA and MAANS has been told as MEDOVAHA SROTO MOOL. – ASHTAANGA SANGRAH SHARIR 6/26

8.
VRIKKA as one location of GRANTHI
तदा सञ्जायते ग्रन्थिर्गम्भीरस्थः सुदारुणः||९३||
हृदये क्लोम्नि यकृति प्लीह्नि कुक्षौ च वृक्कयोः| - CHARAK SUTRA 17/93-94

9
Comparison of GURUTA of MAANS OF PRATYANGA
शरीरावयवाः सक्थिशिरःस्कन्धादयस्तथा|
सक्थिमांसाद्गुरुः [१] स्कन्धस्ततः क्रोडस्ततः शिरः||३३४||
वृषणौ चर्म मेढ्रं च श्रोणी वृक्कौ यकृद्गुदम्|
मांसाद्गुरुतरं विद्याद्यथास्वं मध्यमस्थि च||३३५|| - CHARAK SUTRA 27/334-335

10
VRIKKA as one of the MAATRIJ BHAAV ANGA
यानि खल्वस्य गर्भस्य मातृजानि, यानि चास्य मातृतः सम्भवतः सम्भवन्ति, तान्यनुव्याख्यास्यामः; तद्यथा- त्वक्च लोहितं च मांसं च मेदश्च नाभिश्च हृदयं च क्लोम च यकृच्च प्लीहा च वृक्कौ च बस्तिश्च पुरीषाधानं चामाशयश्च पक्वाशयश्चोत्तरगुदं चाधरगुदं च क्षुद्रान्त्रं च स्थूलान्त्रं च वापा च वपावहनं चेति (मातृजानि)||६|| - CHARAK SHARIR 3/6

11
VRIKKA as one of the 15 KOSHTHAANG
पञ्चदश कोष्ठाङ्गानि; तद्यथा- नाभिश्च, हृदयं च, क्लोम च, यकृच्च, प्लीहा च, वृक्कौ च, बस्तिश्च, पुरीषाधारश्च, आमाशयश्च, पक्वाशयश्च, उत्तरगुदं च, अधरगुदं च, क्षुद्रान्त्रं च, स्थूलान्त्रं च, वपावहनं चेति||१०|| - CHARAK SHARIR 7/10

12
VRIKKA as one of the KOSHTHAANGA
Hridaya, Yakruta, Pleeha, Phuphas Unduka, Vrukka, Antra, Nabhi, Dimbha Basti – ASHTANGA HRIDYA SHARIR 3/12                                           Baaki aap maargadarshan dein....🙏🙏💐💐

[11/18, 9:59 PM] Prof Giriraj Sharma: 

वृक्क के कार्य ,,,,,?
वृक्कों पुष्टि करौ
पुष्टि से तातपर्य


के अतिरिक्त ,,,,,?

🌹🌹🙏🏼🌹🌹

[11/18, 10:06 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *धन्यवाद डॉ पवन जी, उपरोक्त ref. के अतिरिक्त दो यक्ष प्रश्न साथ चल रहे है...*

*आयुर्वेद ग्रन्थों में वृक्कों के विभिन्न कर्म, जैसे अन्य शारीर अंगों के बताये गये हैं।*

*मूत्र निर्माण में वृक्कों का क्या योगदान है ऐसा शास्त्रोक्त संदर्भ।*


            🌺💐🌹

[11/18, 10:18 PM] Prof Giriraj Sharma: 

वृक्कों पुष्टि करौ ,,,,
पुष्टि कारक मज्जा का कर्म है धातुकर्म  में सम्भवत ,
 प्रीणन जीवन ,,,,,,,

वृक्क के कर्म,,,
वृक्कों पुष्टि कैसे करते है,,,
🌹🌹🙏🏼🌹

[11/18, 10:50 PM] Dr. Satish Jaimini Choumu, Jaipur: 

इसको ही धमनी प्रतिचय लिखा है आचार्य ये कफज व्याधि मानी है आचार्य चरक ने इसमें खरतत्व शायद नही लिखा लेकिन धमनियों म अवरोध कारक अवश्य है pleque  अतिपिच्छिलता के परिणामस्वरूप ही पाया जाता ह जिसे आजकल कोलेस्ट्रॉल कहा जारहा है लेकिन ये संभवतः सत्य नहीं क्योकि कफ पिच्छिलता शरीर के किसी भी भाग में स्तम्भन अवरोध उतपन्न कर सकती है करती है ।
सतीश पंडा जी ।

[11/18, 11:16 PM] pawan madan Dr: 

आचार्य जी

मुझे वृक्क के कार्यो का कही उल्लेख नही मिला
सिवाय
अष्टांग संग्रह के उस संदर्भ के जो मैं दो बार पोस्ट कर चुका हूँ।
🙏😔

[11/18, 11:18 PM] pawan madan Dr:

 नमस्ते सर

वृकक के कार्यो का विशेष उल्लेख मुझे कहीं नहीं मिला।

मूत्र निर्माण के संबंध में बस अष्टांग संग्रह का एक संदर्भ मिला जो मैंने सुबह कहा था और आपने कहा था के आप उसको विस्तार से देखेंगे
🙏🙏

[11/18, 11:26 PM] pawan madan Dr: 

तो फिर वृक्क के कार्यो का निर्धारण भी उसको बनाने वाली रक्त एंड मेद के हिसाब से करें हम क्या 🤔

[11/18, 11:27 PM] pawan madan Dr: 

फिलहाल मुझे ये समझना है के मेद धातु की चिकित्सा से वृक्कआमय की चिकित्सा कैसे हो ?

[11/18, 11:43 PM] D C Katoch Sir: 

मेदधातु चिकित्सा उसी वृक्कामय में काम करेगी जो मेददुष्टि  से उत्पन्न हुआ होगा।

[11/19, 12:08 AM] Prof Giriraj Sharma:

 नवाचार
*वृक्कों पुष्टि करौ ज्ञेयों*
पुष्टि कर्म मज़्ज़ा धातू का है ,
आचार्य ने वृक्कों पुष्टि करौ लिखा है ।
एक बार सिर्फ थोड़ा सा चिंतन बदल कर देखे तो इस  सूत्र की प्रामाणिकता सिद्ध हो सकती है ।
*रक्तमेद प्रसादात वृक्कों*
यह रक्तमेद *सरक्तमेद* मानकर चिंतन कीजिये ,,,,
मेदवह स्रोतः में अस्थि का एवं मज्जा का वर्णन किया है आचार्य ने,,,
सरक्तमेद से वृक्क निर्माण हो रहा है मज्जा सम है क्या ,,, स्थूल अस्थियों में  पाया जाने वाला मज्जा ,,,,,
2, वृक्क को आधुनिक मतानुसार kidney and suprarenal gland माना जाए तो ,,,,
मस्तुलुंग मज्जा CNS
एवं suprarenal gland CNS part ...
The medulla  of supra renal is derived from the neural crest cells of Neurodermal .
*(स)रक्तमेद* प्रसादात वृक्कों
वृक्कों पुष्टि  करौ ज्ञेया ,,,,
सरक्तमेद से वृक्क निर्मिती होती है । तो सरक्तमेद मज्जा सम है और धातु कर्म से पुष्टि करता है इसे जानना चाहिए *ज्ञेया*,,,,
 आपके विचार

[11/19, 12:11 AM] pawan madan Dr:

 Vrikka  (Kidney):  It  is  derived  from  the  root "Vikkadane"  means  to  take.  The  detail  Ayurvedic anatomy  of  Vrikka  (Kidney)  is  present  in  all  Ayurvedic texts.  The  position,  development  and  its  functions  are well  described  all  over  but  no  direct  reference  of  Vrikka's (Kidney’s)  relation  to  urine  formation  or  blood purification  is  found  in  either  of  the  Ayurvedic  classics.   Vrikka  (Kidney)  are  two  in  numbers  and  are  situated  in the  lumbar  regions  on  either  side  in  the  posterior abdominal  wall  in  Koshtha  (Abdominal  cavity).[9]  The Ayurvedic  scholars  in  20th  century  described  Vrikka (Kidney)  which  closely  resembles  with  kidney,  but  from references  available  in  Samhita  and  their  commentaries  it cannot be  interpreted  that  Vrikka  is  kidney.

☝🏻👆🏻
Copy pasted from one article..From web

[11/19, 12:17 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*पवन जी , ये प्रश्न मेरे सामने भी था कि अगर संहिताओं के वृक्क आधुनिक विज्ञान की kidney नही है तो फिर संहिता में लिखे  वृक्क कहां हैं ?*

[11/19, 12:18 AM] pawan madan Dr: 

अब आप ही कुछ दिशा निर्देश तो कुछ और कार्य हो सकता है।
🙏

[11/19, 12:19 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*अगर वृक्क और kidney एक ही हैं तो आचार्यों नें मूत्र निर्माण में इसका स्पष्ट उल्लेख क्यों नही किया ?*

[11/19, 12:20 AM] pawan madan Dr: 

ये एक अलग सोच हो जाएगी।

कविराज गनानाथसेन जी ने तो रक्त और मेद को अलग माना है
🤔🤔

[11/19, 12:21 AM] Prof Giriraj Sharma: 

रक्त एवं मेद धातू अलग ही है
सरक्तमेद तो मज्जा धातू के परिपेक्ष्य में है !

[11/19, 12:23 AM] pawan madan Dr:

 शायद इस लिए के मृत शरीर की स्टडी में आचार्य्य को वृक्क एवं bladder का कुछ स्पष्ट सम्बद्ध नहीं दिखा।
मृत शरीर मे ureters इतने बारीक हो जा रहे होंगे के वो वृक्क एवं बस्ती का सम्बद्ध स्थापित करने में नाकाफी होंगे
😣🤔🤔

[11/19, 12:23 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*मेरे पास clinical experience के अनगिनत प्रमाण है जहां मेदोवाही स्रोतस की चिकित्सा से वृक्क दुष्टि में लाभ मिलता है, प्रमेह का मूल भी अनेक स्थान पर ये वृक्क ही मिलते है और बस्ति exit point है।*

[11/19, 12:28 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*आचार्यों के पास दिव्य दृष्टि थी, जहां ऐसा होता था वहां उन्होने स्पष्ट कहा है कि ये सूक्ष्म अव्यव प्रत्यक्ष आंखों से नही देखे जा सकते। अत: आचार्यों ने तो सही कहा पर बीच की कोई कड़ी missing है।*

[11/19, 12:29 AM] pawan madan Dr: 

जी सर।

[11/19, 12:35 AM] pawan madan Dr: 

गुरु जी ।
आपके इस कथन के भाव को अपनी अल्प बुद्धि से समझ नही पाया
🤔

[11/19, 12:35 AM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 

आचार्य जी, आपका मार्गदर्शन अत्यंत उपयुक्त ऐसा लगता है। मेदोवाही स्रोतस कि चिकित्सा मे, उसका जो मुल(वृक्क) है उसकी चिकित्सा by default ही हो जायेगी ऐसा मेरा समझना है। इसके लिये लिखित प्रमाण मिल नही रहा है तो, शास्त्रप्रमाण अपेक्षा का हठ नही करना चाहीये। अब हमे आगे बढना चाहीये। अगर किसिको ये प्रमाण मिल जाये तो कृपया share करे। 🙏🏼💐😌

[11/19, 12:37 AM] pawan madan Dr:

 आपका ये कथन बहुत सत्य है

मूल बताने का मंतव्य भी यही है

🙏🙏

[11/19, 12:41 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*संभव हुआ तो कुछ reports clinic के फोन में कल देखता हूं अगर मिली तो फिर चर्चा करेंगे क्योंकि इतने तर्क होने पर भी जब तक वृक्क द्वारा मूत्र निर्माण का प्रमाण नही मिलता तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना असंभव है।*

[11/19, 12:44 AM] pawan madan Dr: 

जी सर
इंतजार रहेगा।
शुभ रात्रि। 🙏💐🙏

[11/19, 12:44 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*कल रोगियों की पुरानी clinical repots देखता हूं।*

[11/19, 1:05 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru:

 *Vrukka-Meda Sambandha - Kidney-Fat Connection*

Very good discussions and deep dissection of the topic *kidney-fat connection* by many group resource persons and gurujans🙏🙏💐💐

I just want to *add my perspectives* to this important topic.

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The golden question starts with *vrikka vis-à-vis kidneys (urinary system?) being mentioned as one of the mula for medovaha srotas* . This creates a debate how and why these two components i.e. kidneys and fat are connected.

Since most of the Ayurveda and modern aspects have been covered extensively by respected group members, I would like to keep it simple while compiling the things and *mention some important things that I have noted in this perspective* , in a chronological way.

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*_Chapter 1 - Anatomical, physiological & embryological perspective_*

👉 *Fat around kidneys* - Each kidney with its adrenal gland is surrounded by 2 layers of fat. The perirenal fat is present between renal fascia and renal capsule. Pararenal fat is present superior to the renal fascia. This fat helps buffer and protect the kidneys.

👉 Medovaha mula is vrukka i.e. kidneys with adrenal glands and vapavahana, which can be considered to be omentum, where fat, is present. By seeing lot of fat in these regions Ayurveda masters would have considered that the *fat business including formation, storage, maintenance and distribution takes place from here*

*Rakta Meda Prasadajau Vrikkau*

Kidneys are formed from the essence of fat and blood.

Kidneys are rich in blood supply.

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👉 *According to an article on embryological zebrafish kidney development* –

‘Kidney development is characterized by the formation of epithelial tubules from mesodermal mesenchymal cells and a subsequent series of interactions of the formed epithelia with vascular tissue to produce an organ that filters blood and regulates body fluid composition’

Here *it is important to note that the term vascular tissue and an organ that filters blood*

👉 *Kidneys = fat + blood combo* - Ayurveda anatomy specialists or surgeons of olden days might have cleared the fatty layer around the kidneys and gone into deeper layers. When they cut open the kidneys, they might have found lot of blood vessels and blood circulation in it. *Combining the tissues richly present around and inside the kidney, they might have come to a conclusion that the kidneys are formed by the essence of fat and blood*

Zebrafish pronephric kidneys represent *vertebrate kidneys* . So we can keep its analogy with human kidney. It is said that *zebrafish presents a useful and relevant model of vertebrate kidney development*

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👉 *Another statement from embryological studies of kidney development tells* – ‘At the same time, the vasculature surrounding the early metanephric mesenchyme forms a continuous vascular plexus both around and within the developing kidney’. (I am not explaining the whole embryology due to fear of unnecessary expansion). This reference tells that the *vasculature was present even before the development of kidneys, in the place of kidneys* . This is *another proof that kidneys are formed from rakta prasada, along with meda prasada bhaga which covers the kidney after the formation* Therefore it is interesting to note that Ayurveda has mentioned *rakta meda prasadajau* and not *meda rakta prasadajau* in the chronology.

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👉 *Other reference tells* – ‘Kidney vascularization is synchronized with nephrogenesis and occurs by vasculogenesis (formation of new blood vessels from endothelial cell precursors) and angiogenesis(sprouting of new capillaries from pre-existing blood vessels).

The mature renal medulla consists of the medullary collecting ducts, loops of Henle, vasa recta (straight capillaries) and the interstitium ( *lipid-laden interstitial cells* lymphocyte-like cells and pericytes).

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👉 *The structure and function of the renal interstitial cells*

During recent years, evidence has been accumulated that the lipid-laden interstitial cells type 1 of the renal medulla have endocrine functions. they are important in regulation of blood pressure. ( *Again a relationship between rakta and meda* ). Studies have shown that the amount of lipid stored in these cells is greatly influenced by the state of diuresis. Recent biochemical studies indicate that these cells are sensitive to vasopressin. Thus, *these cells have lipid stores, they are in the renal medulla, regulate urine output and control blood pressure*

*We have also established the relationship and importance of the lipid inside the kidneys in voiding the urine. Urine is the parameter of assessment of prameha in Ayurveda. So the relationship between blood, urine and fat has been established by these studies. The interrelationship between meda and rakta as far as anatomy and physiology of kidney is concerned is hence proved*

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👉 *Further evidences and studies*

The *total lipid content of the normal human kidney* has been estimated at *approximately 3% of wet weight*

The kidney can use a relatively wide variety of substances as fuels. The *mitochondrial b-oxidation of FFA (nonesterified fatty acids) is a major source for renal ATP production* particularly in the proximal tubule, which has a high energy demand. This shows that *kidneys too derive energy from fats*

The FFA’s delivered to the kidney in excess of its energy needs can be esterified with glycerol and deposited as triglycerides in intracellular lipid droplets. These energy stores can be rapidly mobilized in periods of scarcity. This is an *evidence of stored fats in kidney*

Arteriovenous FFA concentration difference experiments have shown that the kidney takes up FFA in fasted rats, but adds FFA to the circulation in fed rats. This suggests that *the transport of FFA between blood and renal cells may be bi-directional* Lipid export of this nature could protect the kidneys from excessive lipid accumulation in conditions of FFA over-supply.

All these are evidences of fat storage, transportation and exchange in the kidneys.

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[11/19, 1:05 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

*Vrukka-Meda Sambandha - Kidney-Fat Connection* - *Continued…*

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*_Chapter 2 - Pathological perspective_*

👉 *Obesity and weight gain is related to impaired fat metabolism. We have obese diabetics. Diabetes has polyuria. Excessive urine is excreted through kidneys. Ayurveda has mentioned meda as a contaminant of prameha. Ayurveda also has described prabhuta avila mutrata as predominant symptoms of prameha. Ayurveda has mentioned vasti as the seat of disease manifestation*

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*Ayurveda has not included vrukka in mutravaha srotas?*

*It has, indirectly*

The first line of explanation for the formation of urine in Ayurveda is during the *sara-kitta vibhajana* This takes place in the alimentary tract. But it is voided through Vasti.

Let us see *another connection which is logical for our discussion*

👉 *Vrukka is the mula for medovaha srotas* Medas is one of, in fact chief pathological component of prameha. Prameha manifestation is explained with urine as a too, manifested through vasti, which is a mutravaha srotas. *Thus, medovaha and mutravaha srotas are interrelated, thus, kidneys and urinary bladder are interrelated even according to Ayurveda*

👉 *In prameha, first the medovaha sroto dushti takes place and later the mutravaha sroto dushti takes place. If we follow this sequence in the treatment of diabetes with an Ayruveda perspective, we may get good results* (this is a hypothesis, I mean the chronology, others may differ, there is no single way to treat prameha, it depends on yukti, this, I have written because it fits into the context of our discussion of this topic). This is with *due respect to the other tissues and channels involved in the causation of prameha*

👉 Heart diseases (fat related), kidney disease, obesity, hypertension and diabetes, all have link up with the *imbalance between the blood and fat metabolism or the ratio of fat and blood*

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*Why does obesity affect the kidneys?*

👉 *Obesity is nidanarthakara for so many diseases* as I have already mentioned. These diseases are interrelated in long term and become linked in a loop. *This also includes kidney disease*

👉 *Ati sthula is a nindita. Sthoulya has accumulation of fat around the abdomen and waist, the areas of vrukka and vapavahana*

👉 *Kidney.org website mentions* – ‘One of the problems is that *excess fat crowds the kidneys and compresses them* Which fat? The fat accumulated around kidneys in excess will compress the kidneys. This is one of the reasons for the kidney to fail as an organ. In obese people, the kidneys need to work harder to keep up with a bigger body.

👉 We know that obese individuals are more likely to have one or more of chronic diseases including high blood pressure, diabetes and heart disease than those of ideal body weight. All these chronic diseases increase the risk of CKD. *Waist fat is one factor that indicates that you are at higher risk of chronic diseases including CKD. Probably Ayurveda acharyas have observed this. Ayurveda didn’t hesitate to mention sthula pramehi*

👉 *Even here the relationship between kidneys and fat has been established* (I have mentioned the related theory above, in anatomical aspects).

👉 *Recent research shows that weight control may preserve kidney function* It can also improve heart health. Losing about 10 pounds can keep the blood pressure under control and reduce the risk of diabetes and heart disease.

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*Megalin Cubulin theory*

👉 *The kidney has a high capacity for uptake of lipid binding proteins and lipid regulating hormones via megalin and cubilin / amnionless protein receptors* The apical surface of proximal tubules has a high capacity for receptor mediated uptake of filtered lipid binding plasma proteins. The glomerular filtration barrier prevents access of large lipoprotein particles to the proximal tubules. But the receptors (megalin and cubilin) may be exposed to lipids bound to filtered lipid-binding proteins not associated to lipoprotein particles.

👉 *Renal filtration and receptor mediated uptake of lipid binding and lipid regulating proteins may therefore influence overall lipid metabolism* The pathological mechanisms causing pronounced atherosclerosis-promoting effect of uremia may involve impairment of this clearance pathway.

👉 Megalin and cubilin are receptors in the proximal tubules. An accumulating number of lipid-binding and regulating proteins e.g. albumin, apolipoprotein A-1 and leptin have been identified as *ligands* suggesting that their receptors may directly take up lipids in the proximal tubules and indirectly affect plasma and tissue lipid metabolism. Recently amnionless protein was shown to be essential for the membrane association and trafficking of cubulin.

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*Renal lipid metabolism and lipotoxicity theory*

👉 *Lipid accumulation in non-adipose tissues is increasingly recognized to contribute to organ injury through a process termed as lipotoxicity*

👉 *Excess lipid accumulation in kidney, a non-adipose tissue too may lead to lipotoxicity and renal dysfunction* This may further be associated with megalin-cubulin-receptor theory explained above. (Studies to establish these theories are on).

👉 *Dyslipidemia may contribute to the progression of kidney disease* Dyslipidemia can be triggered by urinary albumin loss leading to a compensatory increase in hepatic lipoprotein synthesis. In effect this could be a part of positive feedback loop causing further renal injury. Dyslipidemia may affect the kidney directly by causing deleterious renal lipid disturbances (renal lipotoxicity), as well as indirectly through systemic inflammation and oxidative stress, vascular injury and changes in hormones and other signaling molecules with renal action.

Thus lipid imbalances in blood / body may cause kidney damage.

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*Renal lipid accumulation*

👉 The link between lipid accumulation and kidney disease was first suggested more than 150 years ago by Rudolf Virchow when referring to ‘fatty degeneration of the renal epithelium as a stage of Bright’s disease (a historical designation for glomurelonephritis).

👉 Currently we have sufficient animal data to show the *association between kidney dysfunction and renal lipid accumulation* This includes models of metabolic disease (obesity, metabolic syndrome and diabetes mellitus), chronic kidney disease, acute renal injury of several etiologies and aging. *Glomeruli and renal tubules (proximal) seem to be most susceptible to lipid accumulation*

👉 *Renal ischemia-reperfusion in uninephrectomized mice causes triglyceride accumulation in the cortex, mainly proximal tubules*

👉 In one study – the concomitant reduction of renal lipids and improvement of histological or functional markers was interpreted. Therefore *reduction in kidney fats bettered its functions*

👉 Thus the *principal determinant of lipotoxicity seems to be excessive intracellular FFA content* This leads to accumulation of potentially toxic metabolites. Triglycerides are not considered as toxic but are an active reservoir of FFA and an easily measurable indicator of tissue lipid overload.

👉 Renal lipid accumulation has been linked to changes in gene expression including SREBPs (Sterol regulatory element binding proteins), the master regulators of lipid metabolism. This suggests that *lipid loaded kidney is not just a passive victim of lipid oversupply but has a gross impact*

👉 On the other hand the *lipids in kidney may also have non-lipotoxic effects* Example, FFA in the proximal tubule may compete with glutamine as oxidizable substrates in mitochondria, thus *decreasing the production of ammonia*

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*Lipoprotein and CKD*

👉 Renal dysfunction is associated with many perturbations in lipoprotein metabolism leading to dyslipidemia and accumulation of atherogenic particles. CKD is associated with dyslipidemia. In CKD, HDL metabolism is impaired. All these changes relate to *oxidative stress and increased cardiovascular mortality in CKD patients*

👉 *Chronic renal disease is accompanied by characteristic abnormal lipid metabolism* This appears as a consequence of nephrotic syndrome or renal insufficiency and is reflected in an altered apolipoprotein profile as well as elevated plasma lipid levels. *Experimental and clinical studies have suggested a correlation between the progression of renal disease and dyslipidemia. High cholesterol and triglyceride plasma levels have been demonstrated as independent risk factors for progression of renal disease in humans* Oxidative stress and insulin resistance may mediate lipid-induced renal damage. In animal models, lipid lowering agents seem to ameliorate glomerular damage preventing glomerulosclerosis and interstitial fibrosis. Even in Ayurveda we have seen that anti-fat medicines, treatments and diet have good impact on kidney diseases.

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👉 *Obesity is a risk factor for a decline in glomerular filtration rate as well as onset and progression of CKD* Estimates of visceral obesity e.g. increased waist circumference were found to be stronger predictors of end stage renal disease (ESRD) than the elevated BMI. While increased visceral obesity may cause and aggravate CKD by promoting metabolic diseases, recent studies indicate that *even in the absence of the well known risk factors such as hypertension or diabetes, obesity per se may be harmful to the kidney* This conclusion is supported by the study by Nerpin et al. which documents that insulin resistance which often accompanies obesity is a very strong marker of incident CKD.

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*Perirenal Fat thickness* – in patients with CKD is associated with metabolic risk factors that could affect kidney function (Paper published in Kidney Research and Clinical Practice). *Patients who had CKD stages 4 and 5 had highest PRF thickness* It was also greater in patients in patients with impaired glucose than in those with normal glucose levels. Serum triglyceride levels were positively correlated with PRF thickness. PRF was significantly greater in patients with triglyceride levels of 150 mg/dL or higher.

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👉 *The relationship between dyslipidemia and CKD is reciprocal* Dyslipidemia is known to be a risk factor for CKD and chronic disease causes major alterations on lipoprotein profile defined as ‘dyslipidemic profile’ of chronic kidney disease patients.

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*Impact of Renal Disease or Kidney Disease on lipid metabolism*

👉 Many patients with renal failure show abnormalities of lipid metabolism. Hypertriglyceridemia and low levels of HDL cholesterol are frequent abnormalities in uremic patients. Treatment of renal patients partially reverses many of the lipid abnormalities including low HDL cholesterol.

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*The Adrenal connection* – When taking *kidney as a mula for medovaha srotas, I guess we need to take kidney + adrenal glands as single unit* The adrenal cortex and medulla are enveloped in an adipose capsule that forms a protective layer around an adrenal gland. Cortisol, a glucocorticoid hormone produced by the zona fasciculate of adrenal cortex controls the body’s use of fats, proteins and carbohydrates. *Weight gain and fat deposits in certain areas of the body such as face, below the back of neck (buffalo hump) and in the abdomen are seen in Cushing Syndrome due to excess of cortisol. Weight loss is seen in adrenal insufficiency* Pheochromocytoma caused by excess of adrenaline or noradrenaline causes hypertension.

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[11/19, 1:05 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

*Vrukka-Meda Sambandha - Kidney-Fat Connection* - *Continued…*

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*_Chapter 3 - Therapeutic perspective_*

👉 *Treatments, medicines, diet and activities which are medahara have found to be kidney friendly* Skillfully administered, these strategies might abort, cure or help in prevention of kidney diseases.

👉 *Recent research shows that weight control may preserve kidney function* It can also improve heart health. Losing about 10 pounds can keep the blood pressure under control and reduce the risk of diabetes and heart disease.

👉 In one study – the concomitant reduction of renal lipids and improvement of histological or functional markers was interpreted. *Therefore reduction in kidney fats bettered its functions*

👉 In animal models, *lipid lowering agents seem to ameliorate glomerular damage preventing glomerulosclerosis and interstitial fibrosis*

👉 *Liposuction* – sometimes causes fluid imbalance post procedure. This affects the patient’s heart, lung and kidneys. This is due to removal of injected fluids (I am not serious mentioning this point) but the fat is also removed which may give shock to the body and kidney.

👉 *Surgeries on Kidney leading to hyperlipidemia* – Patients who underwent Radical Nephrectomy (RN) or Partial Nephrectomy (PN) for renal cortical neoplasms had a significantly higher incidence of and shorter time to development of de novo hyperlipidemia.

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*_Chapter 4 - Conclusive remarks and observations_*

In the context of *Medoroga (Madhava Nidana) trishna and kshudha have been explained which represent polydipsia and polyphagia of diabetes. Prabhuta mutrata i.e. polyuria and avila mutrata i.e. dirty appearance of urine due to elimination of tissues have been mentioned. This completes the picture of pathogenesis of prameha*

*This and the above said discussions establish the relationship between meda and vrukka* In the same context it has been explained that meda predominantly accumulates in the udara in medaswi. This includes kati, vapavahana and vrukka which are the mulas of medovaha srotas.

Keeping vapavahana apart, *kidney as a part of medovaha srotas satisfies the definition of srotas by inference* Srotas are not only channels that carry the *parinamam apadhyamana dhatus* but should be understood in various senses. Vrukka as srotas includes –

👉 accumulation of fat around kidneys and adrenal glands,

👉 presence of fat molecules / lipid stores inside the kidney,

👉 lipid transportation and exchange taking place in the kidneys,

👉 kidney diseases impacting the fat metabolism causing disorders of fat metabolism and

👉 disturbances of lipid metabolism causing kidney disorders, mainly CKD.

*Vrukka and Meda have anatomical, embryological, physiological, pathological and therapeutic relationship as found in comparative study between Ayurveda and modern concepts*

*Madhava Nidana explains Medoroga after Prameha. Before that, in purvardha he has explained mutrashmari, mutraghat, mutrakrichra and hridroga in retrograde sequence. There should be some logic!!*

*Master Sushruta mentions trishna as one of the symptoms of medovaha sroto dushti* This could be the polydipsia caused by excessive urination. *Master Charaka mentions prameha purvarupas in the medovaha sroto dushti*. Here he has given a link to the urinary manifestations of prameha. He has established the link between the fat and urinary apparatus which includes kidneys.

The prevalence of obesity is increasing worldwide and contributes to many health problems including kidney disease. Unexpectedly 10-30% of obese individuals are apparently not at increased risk of metabolic diseases, e.g. Type 2 Diabetes Mellitus, Cardiovascular Disease and risk of renal disease. *Their phenotype is labeled as metabolically healthy obesity’*

*Yes…..vrukka and medas or fat / adipose and kidneys have a strong connection!*

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*Disclaimer*

I have not included the samprapti of prameha in the discussion, though I have taken the help of certain ghatakas to prove my hypothesis. I have limited my discussion to *Kidney and Fat interrelationship* and not towards fat’s contribution in the manifestation of prameha. I have touched upon prameha and diabetes as and when needed to justify the explanation.

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*This is my humble submission to the elite group* 🙏🙏🙏💐

[11/19, 1:11 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*चरक में स्रोतस का क्रम देखें प्राण अन्न रस रक्त मांस मेद अस्थि मज्जा शुक्र मूत्र मल स्वेद (च वि 5) और सुश्रुत शा 9 में प्राण अन्न उदक रस रक्त मांस मेद मूत्र पुरीष शुक्र आर्तव ।सुश्रुत ने मेदोवाही स्रोतस के बाद मूत्रवाही स्रोतस को कहा है इस पर भी चिंतन करें । अस्थि मज्जा और स्वेद वाही स्रोतस का वर्णन नही किया इसके पीछे भी कोई कारण है।*

[11/19, 1:13 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*एक दूषित स्रोतस दूसरे स्रोतस को और एक दूषित दोष दूसरे दोष को और एक दूषित धातु दूसरी धातु को दूषित करती है इसके भी शास्त्र मे प्रमाण है।*

[11/19, 1:18 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

👌👌👌🙏🙏💐
Guruji, I hv mentioned similar chronology from *Madhava Nidana* in my post👆👆
Hrudroga_Mutrakrichra_Mutraghata_Mutrashmari_Prameha_Medoroga hv been explained in a chronological order. Though the chronology is different from master *Sushruta*, it's worth giving a look. But as you mentioned sir, the *mutravaha srotas* explained after *Medovaha srotas* makes sense in our discussion related to *fat_kidney connection*

I hv put forth valid points in relation to modern contexts of explanation. Kindly go through and guide sir🙏🙏

[11/19, 1:19 AM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 

In our body all organs and systems are inter-related for their normal function. Equilibrium among all is core important. समधातु.... समागनिश्च.....🙏🏼💐😌

[11/19, 1:45 AM] Prof Giriraj Sharma:

 कला विवेचन में भी मांसधरा, रक्तधरा, मेदधरा श्लेष्माधरा पुरिषधरा पितधरा शुक्रधरा कला का वर्णन किया है ।
अस्थि , मज्जाधरा का वर्णन नही किया ।
मेदधरा में ही अस्थि, मज्जा (सरक्तमेद) का वर्णन कर दिया ।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/19, 5:11 AM] pawan madan Dr: 

सुप्रभात सर।



जी सर अवश्य।
इस विषय का अवलोकन से कुछ insight मिले तो बढ़िया रहेगा।
🙏🙏

[11/19, 7:30 AM] Sanjay Chhajed Dr. Mumbai:

 All is going in good direction. I am sure that we are about to develop some correlation factors between Ayurveda sharir and embryology.

[11/19, 8:30 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*Very good morning Dr Raghu ji, 🌹🌹🌹you have arranged everything in a very good way and also explained it in modern पक्ष. New research continues in modern science and new research replaces their own old concepts, while the eternal principles of आयुर्वेद are yet to be worked out, but whenever research happens, it always comes out that ancient principles (प्राचीन सिद्धान्त) are right and their truth many secrets are hidden behind.*

*We do not have the eyes and intellect of those sages who can understand their आप्त ज्ञान, but all your scholarly contributions will definitely establish new dimensions in this subject.*

*When the discussion was going on, I was also rembering that Dr. Raghu ji must also give his opinion, because you always bring something new in आयुर्वेद.*

             🙏🌹🌹🌹🙏

[11/19, 8:44 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *Dr sanjay ji, the deep discussion that has been going on for the last few days tells us that we should take admission in the आयुर्वेदिक कॉलेज again because while आयुर्वेद practicing for some time we had gone a little bit away from the आर्ष ग्रन्थ।*

                😊💐🌹🌺

[11/19, 8:45 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Happy morning Guruji🙏🙏💐💐❤❤
Felt good to see your compliments and good words of encouragement as always🙏🙏

You are absolutely true sir. Modern concepts and researches are temporary, inconsistent and unstable. New theory comes into focus masking its own old theory every now and then. It makes difficult to understand the nature of disease, it's pathology and mode of interventions. As you rightly pointed out *Ayurveda and its basics are shashwata*🙏

As I read through various contexts and modern researches, I felt *Ayurveda has already known this ages before*... *Everytime Ayurveda and its strong basic concepts emerge winner*💐💐❤

*Cannot imagine the level of wisdom & foresight our great acharyas had!!*

*Proud to be an Ayurveda student, disciple....*

*Even more proud to be in this elite group of extraordinary and exemplary stalwarts of Ayurveda....and still continuing the process of learning under Gurus like you🙏*

[11/19, 8:51 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*सुप्रभात डॉ पवनजी, all your hard work done day and night will be very helpful in establishing the principle of वृक्क-मेद-मूत्र-संबंध-तत्तजन्य रोग सिद्धान्त।*

             🙏🌹🌺💐🙏

[11/19, 8:56 AM] Shantanu Das Prof KC:

 Ayurveda has described.... Mutra Roga ...In a specific classification form..... like...
Mutra kuchra 8, Mutraghata 13, Asmari 4, Prameha 20...
In mutra kuchhra category.. spl Urinanery inf has described...
In Mutra ghata ... Retention n suppression of urine..
But if we consider Prameha....It is not only consider DM in Modern but also it consider as Chaya upachaya janya Roga with Urinary inf also...
Like we r getting many urinary irregularities in jwara, pandu, kamala....So we may consider it Paratantra Mutra dosaja..
So conclusion is...
Mutra ati prabriti janya ... premaha..
Mutra prabrti janya.. mutra kuchhra, mutraghata, asmari..
In all Mutra Roga...... vrika is the core organ....To affect.....So our treatment planning shd be base on Vrika....In that context many things will come.... even the comllication also.....
So we shd devlop certain chikitsa sutra ...By which we can face the new trained of complications....🙏🏻🙏🏻

[11/19, 9:06 AM] Sanjay Chhajed Dr. Mumbai: 

Pranam sir,  nice to see you in the morning after such a late night posts.
Being clinician and moreover the clinic management person priorities were different,  predominantly reading happened only related to difficult cases, some lectures and presentations,,; that too not in the group of elite Ayurveda experts, but to ugs and predominantly Sales people.  Last 5 years after I left the company, started reading again,  but once again to food concepts and  Nadi pariksha only.
That made me to rethink my decision to leave academics.
But now with Kayasampraday,  started reading arshya granth.

[11/19, 9:11 AM] Prof. Mrinal Tiwari, Pune: 

Excellent Sir ! Valuable contribution of putting forth theo
ries.This alone can be an article.

[11/19, 9:30 AM] Prof Giriraj Sharma:

 Is Chronic Kidney Disease  Associated With सरक्तमेद (Greater Bone Marrow Adiposity ),,,,,,,,,,?

[11/19, 10:28 AM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 

Yes Sir, It's not possible to compile everything in a single life as the science is so vast. That's why even in modern science they also have developed different specialities of medical science. We should salute Senior Vaidya and Guru like you who are trying very hard to accommodate everything together. It's our mere luck to be closer to you. 🙏🏼🙏🏼💐

[11/19, 10:41 AM] Dr Shashi Jindal: 

👌👌👌nice clinical interpretations raghu sir !🙏🏼💐🌹🙏🏼

In mutrakshaya (may also be included in mutrakrich or mutradhat) described in  ch. sh. 6/11, advise to give ikshu rs, varuni mand, aml, lavan and upkledi dravyas. That also mean in atimutrata these dravyad should not be given or used with precautions. 🙏🏼

[11/19, 11:10 AM] D C Katoch Sir: 

Very nice inputs and clarifications 👍🏼.

[11/19, 12:10 PM] Dr. R S. Soni, Delhi:

 प्रणाम गिरिराज सर🙏🌹

*वृक्कों पुष्टिकरौ प्रोक्तो*

धातुओं के कर्म
*प्रीननं जीवनं लेपो, स्नेहो धारण पूरणे।*
*गर्भोत्पादश्च कर्माणि धातुनाम क्रमशो विदुः।।*

के अनुसार अस्थि पूरण मज्जा धातु का कर्म माना गया है, तो पुष्टि को मज्जा का कर्म कैसे माने🤔

2. वृक्क को मेदोवाह स्रोत का मूल माना गया है। शरीर में मेद का संचय उदर नितम्ब आदि स्थानों के अतिरिक्त त्वचा के नीचे भी होता है। जिस व्यक्ति के इसका संचय सम्यक रूप से होता है, वो सम्यक उपचित एवं *हृष्टपुष्ट* दिखाई पड़ता है। अतः पुष्टि मेद द्वारा होती है। और संभवतः मेदोवह स्रोत का मूल होने के कारण वृक्क को पुष्टिकर कहा गया है।🙏

त्रुटि सुधार का सदैव स्वागत है🙏🌹😌

[11/19, 12:13 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

KAtoch Sir.. noticed and started to read yesterday but stopped and decided to read Afresh...
Just now I read it in detail..
No words to Express thanks and also Congratulate you to touch depth of subject.
Most fascinating thing you elaborate is Concept of Megalin Cubilin theory.. lipid deposition in proximal tubule, dyslipidemia and Renal pathology changes (Renal ischemia.. etc). It also explain Non obese Dyslipidemic Effect on kidney... It must explain Renal Hypertension...
RasMedPrasado Vrikk
Its ultimately proved well with this..
Thanks & Regards
VAIDYA MANU VATS
💐💐🙏🙏

[11/19, 1:20 PM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Guruji Subhash Sir !🙏🙏🙏
Thanks for compliments and blessings🙏💐and for constantly guiding us🙏.

[11/19, 1:22 PM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru:

 Manu sir🙏🙏🙏💐
Thanks so much for your good words and wishes sir. 🙏🙏🙏

[11/19, 1:40 PM] Dr Shashi Jindal:

 Abstract

Ectopic fat depots may mediate local and systemic disease. Animal models of diet-induced obesity demonstrate increased fat accumulation in the renal sinus. The association of renal sinus fat with hypertension, chronic kidney disease (CKD), and other metabolic disorders has not been studied in a large, community-based sample.

👆

[11/19, 1:43 PM] Dr Shashi Jindal: 

👌👌👌🙏🏼💐🙏🏼🌹🙏🏼Beautifully compiled details of kidney and med.

Raghu Sir !🙏🏼🙏🏼

[11/19, 3:17 PM] Prof Giriraj Sharma: 

पुष्टि सर्व धातु कर्म है सातो धातुओं का कार्य है अग्रिम धातु की पुष्टि करना ।
वृक्कों के सरक्तमेद के संदर्भ में मेरा मनन था ।
पुष्टि सर्व धातु कर्म का संदर्भ देखता हूँ ,, स्मृति में है तो निश्चिंत ही शास्त्र में होगा ।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/19, 5:26 PM] pawan madan Dr:

 Good evening Raghu sir. As usual --master stroke ----
 you have pointed out to some beuatiful facts ---                                                 --there were presence of increased vasculature before the development of kidney - RAKTA PRASAAD                        --the lipid-laden interstitial cells type 1 of the renal medulla have endocrine functions. they are important in regulation of blood pressure. (Again a relationship between rakta and meda). Thus, these cells have lipid stores, they are in the renal medulla, regulate urine output and control blood pressure.                                                                                              *that clears that the VRIKKA are formed from RAKTA and MEDAS*.                                                                                       --the SHASTROKT relationship of MEDOVAHA and MUTRAVAHA SROTAS is acceptable --- but still I could not not understand the logic behind the statement that VRIKKA are MEDOVAHA SROTOMOOL??             
--this is truth ---                  
Kidney.org website mentions – ‘One of the problems is that excess fat crowds the kidneys and compresses them Which fat? The fat accumulated around kidneys in excess will compress the kidneys. This is one of the reasons for the kidney to fail as an organ. In obese people, the kidneys need to work harder to keep up with a bigger body. ----- but then why so if we take into consideration the shastriya sidhanat that VRIKKA is MOOL of MEDOVAHA SROTAS -- seems not fitting in the logic?                                                                                                                  --MEGALINI CUBILIN THEORY --- 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻                                                                                             --Lipotoxicity should not happen if VRIKKA are the MEDOVAHA SROTO MOOL?                                     --more MEDA accumulation in the MEDOVAHA SROTOMOOL is destroying it?                                            --the relationship of renal disease and lipid metabolism -- 👍👍                                                                                                 Many many thanks for the detailed article. Bas ye vichar padhate padhte aaye to share kar rahaa hoon. Nothing serious. Can be ignored also. Your art of explaining is too good. Thanks again.                        🙏💐🙏💐

[11/19, 5:39 PM] Dr Divyesh Desai: 

पवन सर,अगर ऐसा होता तो सुश्रुत आचार्य  अश्मरी की गिनती महागद में क्यों करते ? उन्हें किडनी, यूरेटर, बस्ति(मूत्राशय), मूत्रमार्ग तक का details पता ही था !
अगर हमारे आचार्य अदृश्य कृमि का वर्णन अच्छी तरह कर सकते है तो यूरेटरके बारे मे पता ही होगा या फिर पक्वा
शय के बाद कोई ऐसी मानव शरीर की रचना होगी जिसका एक कनेक्शन द्रव मल (मूत्र) के साथ मूत्राशय से ओर ठोस मल(पुरीष) का निष्कासन के लिए मलाशय के साथ कनेक्शन होगा.....👏🏽👏🏽🌺🌺डार्विन के उत्क्रान्ति वाद की थियरी के हिसाब से ..

[11/19, 5:47 PM] pawan madan Dr: 

😀🙂

हो सकता है।
🙏

[11/19, 7:33 PM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru:

 Pawan sir🙏🙏🙏💐
Thanks for all good words and compliments. It is true that it is hard to understand the logics behind the explanation of Vrukka as Medovaha sroto mula. That is exactly why these modern researches and facts are coming into the big picture of comparison. We can only infer and work out probabilities, but *only our Ayurveda Acharyas who hv written the Samhitas can answer this question or many such questions*. But what is interesting is Pawan sir, *our KS team is a tough nut, we are behind these concepts like mad and dissecting the ancient concepts with modern views, the beginning to a wonderful journey has been made here, in this platform, by the guidance and Blessings of our gurus...I feel we are framing guidelines and foundation stuff for next gen of Ayurveda shishya sampradaya, as a team🙏🙏💐💐*

*Gurus like Acharya Shubhash sir hv already followed the apta vachanas and are coming out with outstanding results time and again in diseases like CKD...*🙏🙏💐💐

*Days aren't far away when we can crack some tough codes related to Ayurvedic theory and principles...*

& Your reasoning about *lipotoxicity* is spot on sir👌👌

I again *bow down to this KS University, for the immense wisdom embedded in it and salute all gurus and friends here for making this a unique platform for healthy and meaningful discussions*🙏🙏💐❤

[11/19, 9:54 PM] Dr Ashwini Kumar Sood, Ambala: 

Excellent analysis 💐
Vd. Raghuram ji !

[11/19, 10:02 PM] Dr Manu Vats, Patiala:

 Todays Silence of this group ..forced me to check my phone Net Connection..Is it ok..😆😆
I think everybody is taking sigh of relief and relaxation after MARATHON discussions on STHAULYA, Vrikk,Medoveh Srotas,Kled..
It's good...

This credit goes to Dr Raghu Sir for giving REST moment to group...
Regards to ALL💐💐🙏

[11/19, 10:06 PM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

😃😃😃😃
Rest is essential Manu sir... We can reboot and restart with fresh energy, fresh topics...
And thanks for credits💐💐😍🙏🙏
Loved your post👌👌

[11/19, 10:09 PM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 

Yes, all must be re-reading those details as myself is doing the same. Without clarity of mind about the discussed titles, we should not jump to other topics immediately. Need to digest it properly. Maybe someone will come up with another very important aspect of these topics. 🙏🏼😌💐

[11/19, 10:10 PM] Dr Manu Vats, Patiala: 

🙏This group can never go to SHUT DOWN mode..
It's in SLEEP mode.. so that to start  new  topic will take Less time .. 😆🙏🙏

[11/19, 10:11 PM] D C Katoch Sir: 

Right interpretation Dr Raghuram. In fact , so called thirteen types of Srotas are funtional mechanisms of tranformation and their mool are like points/organs of origin or end effect/outcome.  Accordingly, pakwashaye, mutravah srotas,    medovah srotas,  vrikk etc appear to be  interlunked.

[11/19, 10:13 PM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Thanks Guruji🙏🙏💐
Feeling blessed🙏🙏

[11/19, 10:17 PM] D C Katoch Sir: 

All and None response. Sometimes there are refractory periods in between.

[11/20, 8:20 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*सुप्रभात आचार्य गिरिराज जी, सभी विषय अति महत्वपूर्ण एवं विचारणीय है एवं अपने गर्भ में अनेक उत्तर समेटे हैं जो चिकित्सा को बहुआयामी तो बनाते ही हैं और चिकित्सा में सफलता के अनेक द्वार भी खोलते हैं।*

                  🌹🌺🙏💐

[11/20, 8:52 AM] Dr Shashi Jindal: 

Good morning sir, we all are SAMANYA individually (Everyone is not perfect and complete in knowledge), but our group is VISHESH, according to "Samanya vishesh sidhant". 
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/20, 8:55 AM] Dr Shashi Jindal: 

🙏🏼🙏🏼💐🌹
Clinical application is based on sidhant, clinicians are dependent on non- clinical scholars. 🙏🏼

[11/20, 9:00 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *जी डॉ शशिजी, ये सिद्धान्त ही हमारी चिकित्सा का आधार है।*

                👌👌👌👌

[11/20, 9:55 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *अनेक प्रश्न पुन: पुन: इस लिये उठते है कि आयुर्वेद का आधार दोष, धातु, स्रोतस,मन एवं अनेक अमूर्त भाव है जो तत्जन्य क्रियाओं से जाने जाते हैं और modern में organs को महत्व दिया गया है, जहां हम दोनो की तुलना करते हैं तो अनेक प्रश्नों के उत्तर मिलना असंभव हो जाता है।*

[11/20, 9:59 AM] Dr. R S. Soni, Delhi: 

👍🏻👍🏻🙏🙏प्रणाम सर🌹

बिल्कुल सही कहा आपने। अब तक कि रिसर्च के आधार पर अनेक बिंदुओं पर सामंजस्य बिठा पाना सम्भव नहीं हो पाता, और यही हमारी शंकाओ को बढ़ाता है।

[11/20, 10:17 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

A topic need to be dissected with multi dimensional perspective👌👌👌
All branches of Ayurveda should work as a team to crack these puzzles, as we are trying here.

[11/20, 10:18 AM] pawan madan Dr: 

Ji
Fir discussion ka samaapan bhi isi way me ho jana chahiye.
🙏💐🙏

[11/20, 11:52 AM] Dr Naresh Garg, Jaipur: 

नमस्कार अभी vrikka and vrikka रोगों पर  पर ग्रुप में बहुत सारे डिस्कशन हुआ इसी से एक प्रश्न जुड़ा हुआ है कि जब हृदय की कार्य क्षमता प्रभावित होती है हाई ब्लड प्रेशर के केसेस में वहां पर भी कुछ समय बाद kidney की कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है ब्लड यूरिया का लेवल बढ़ जाता है सीरम क्रिएटिनिन बढ़ जाता है उस स्थिति को हम कैसे समझ सकते हैं !

[11/20, 2:47 PM] Dr. Arun Rathi, Akola: 

👆🏻👆🏻 lipid Metabolism and Renal Function is a area of interest in western Medicine now a days.

[11/20, 3:00 PM] Dr Shashi Jindal: 

Western medical scientists very well know that sutras of ayurveda are 100 percent correct,  they all are working on those principles, name  these as hypothesis. 🙏🏼🙏🏼

[11/20, 3:06 PM] Dr. Arun Rathi, Akola:

 हमें अपने संहिताओं पर भरोसा रखना चाहिए, उनका अध्ययन करना चाहिए, Western physiology से आज हम किसी सूत्र को परिभाषित नही कर सके तो धैर्य रखना चाहिए और अपने चिकित्सा सूत्रों से ही रुग्ण चिकित्सा करनी चाहिए।
😊😊😊

[11/20, 3:06 PM] Prof Giriraj Sharma:

 But when we described these Aarsh Sutra in Unexpected way of functions and method ....
Called in Shastra GHARSHAN,,,,,
😅😅🙏🏼🌹🙏🏼

[11/20, 3:13 PM] Dr Shashi Jindal: 

22 % of blood flows to kidneys, pressure of blood in afferent arteriols at bowman's capsule is 60, and in efferent arteriol at other parts of nephrones 13, see the difference in pressure,  absorption of  filtere back into nephrones, leaving urine for excretion in nephrones.
To maintain pressure in arterials angiotensin renin  system.

Again kidneys need
 much more oxygen than even brain cells, for that erythropoietin is secreted.

Again vit D secretion a fat soluble vitamin, may it be a criteria of standard of quality of fat. This is for bone health, asthi dhatu after med.

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[11/20, 3:15 PM] Dr. Arun Rathi, Akola:

 *वास्तविकता यह है, हमें अपने शास्त्र का ही आधाअधुरा ज्ञान है और हम Western Medicine Principle से बेवजह तुलनात्मक साम्य स्थापित करने की कोशिशें करने का दभं करते है।*

*यह मै अपने स्वयं के लिए कह रहा हूँ।*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[11/20, 3:17 PM] Dr Shashi Jindal: 

sir we have to understand our science better with help of modern science.🙏🏼

[11/20, 4:10 PM] D C Katoch Sir:

 In Ayurveda,  the  definition of Sharir (human body) itself is physiological -दोषधातुमलमूल॔ हि शरीरम् ।

[11/20, 4:11 PM] D C Katoch Sir: 

This definition is actually applied clinically.

[11/20, 4:25 PM] Dr Bhavesh Modh: 

✅💯
🙏😊

जीवन के किसी भी क्षेत्र में *तुलना* खतरनाक सिद्ध होती है,
फिर भी मनुष्य  (अवचेतन मन    ~ Auto in built program से ) *सापेक्षता* से हि समज पाता है या फिर समझा पाता है ।

हमारे आयुर्वेद के शास्त्र जो संस्कृत सूत्र मे लिखे गए है,

जिस को शरूआत मे किन्ही संस्कृत जानने वालो ने प्रकांड पंडितों ने  परिभाषित किया था ।

बाद मे अलग अलग प्रादेशिक भाषाओं मे वे अनुवादित होकर  अधिकांश सूत्रो का मूल अर्थ खो सा गया है।

आओ अब लौट चले ।

...उसके लिए संस्कृत को जीना पड़ेगा....

किसी भी भाषा के शब्द को पढ़ने के बाद आत्मसात करना  होता है ।  तभी वह अच्छी तरह पूर्णता से समझ मे आऐगा
अर्थात् जीना पड़ता है ।

आत्मसात  करने के वास्ते उस शब्द के मूल उद्गम  मे जाना पडता है जिसे निरूक्ति या व्युत्पत्ति कहा गया है।

 जैसे किसी व्यक्ति से प्रभावित होते है,  मन करता है उसके बारे मे सबकुछ जाने... उसके भीतर  मूल तक पहोंचे और यदि  एसा होता है तो उस व्यक्ति के सानिंध्य का  लाभ हि होता है या हानि से बचा जा शकता है ।

 *वृक्* धातु
 *आदान* = छीन लेने
के भाव मे प्रयुक्त होती है ।
(# आदानकाल - सूर्य छीन लेता है )

जैसे के छीन के खानेवाला भेड़िया - Wolf  को संस्कृत मे वृक कहा गया है ।
 *कौआ, लोमड़ी व  युद्ध करके छीन लेनेवाले   के लिए भी यह वृक शब्द प्रयुक्त होता है*

अती तीव्र जठराग्नि वाला इंसान जो खुब खाता है उसे *वृकोदर* कहाँ गया है यथा महाभारत के भीम को यह विशेषण दिया गया था ।

आश्चर्य की बात यह है की संस्कृत डिक्ष्नरी या शब्दकल्पद्रुम या  शब्दकोष मे,
आयुर्वेद वर्णित *वृक्कः* शब्द हि मेनशन नही किया गया है ।

वृक्कः  शब्द के मूल मे जाने का मेरा प्रयास कुछ एसा है,

 *वृक्* धातु के साथ तद्वित् प्रत्यय *क*  लगाने से वृक्क शब्द बना,

 *छीन के खुद के लीए उपयोग करने* के भाव / अर्थ मे वृक् धातु है ।
जब की *क*  प्रत्यय  love- प्रेम दर्शन हेतु या फिर अल्पता  दर्शक है,
 कुछ और गहराई मे सोचे तो *क्युटनेस*  के लिए *क* प्रत्यय होता है जैसे *बालक* मे जो प्रत्यय *क*  है ...

जिस शारिरीक अवयव को आचार्यो  ने एसा जाना...

 ? मेद,  को प्रोडेकटीवीटी के लिए *छीन तो लेता है पर प्यारसे व थोडा थोडा* उसके लिए *वृक्क* शब्द  दिया गया है ।

 *भाव* से शब्दो को समझना आह्लादित व अनुगृहित  करता है, ओर *यर्थाथ* भी होता है ।🙏

वृक्क को पृष्टीकरौ बताया गया है ...
वृक्क,
 मेद का मेटाबोलीझम का शायद *प्रिकर्शर* हो सकता है

मेदधातु से हि शरीर स्निग्ध होता है व स्निग्धता  आयु वर्धक है । फिर वह चाहे व मन को प्रसन्न करने वाली हो या शरीर को...

 *क* के कई सारे अर्थ संस्कृत मे  है , उसमे से प्रथम अर्थ *समग्रता* Wholeness है । और एक अर्थ पानी - Water जैसे की एक वनस्पति *कतक* व *केतकी* जो की जलीय भूमि मे होती है ।
🙏😊

[11/20, 10:22 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*बिना संस्कृत के आयुर्वेद के मूल भावों को समझना किंचित कठिन ही है भावेश जी 👍👍👍 कौन सा शब्द किस संदर्भ में कहा, उसके पर्यावाची आदि अनेक संभावनाये हैं, जितनी बुद्धि उतने अर्थ। संस्कृत देव वाणी अर्थात देवताओं की भाषा है और उसके आप्त जनों द्वारा लिखा या कहा गया और हमारे जैसे अल्प बुद्धि वाले जब उसका व्याख्यान करेंगे दो अनेक भ्रम स्वाभाविक हैं।*


[11/20, 11:17 PM] Dr Bhavesh Modh: 🙏😊

[12/13, 5:20 AM] Dr. Arun Rathi, Akola: *Sorry prof. Dr. Surendraji Soni for such a long delay in replying to your query.*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻

😊😊😊

The chylomicrons having size between 0.08 and 0.5 micrometres.
A small amount of protein apoprotein B absorb to the outer surface of the chylomicrons, this increased their suspension stability in the fluid of the lymph and prevents their adherence to the lymphatic vessels walls.
Chylomicrons are composed principally of triglycerides, but they also contains approximately 9% phospholipids, 3% cholesterol and 1% apoprotein B as well.
The chylomicrons from gut are then transported up the thoracic duct emptied into the venous blood at the junction of jugular and subclavian veins.
 *Query No.1 :*

*Removal of chylomicrons from the blood*
In lungs oxidation of chylomicrons takes place and again this globules are converted into nanomicrons.
So lymphoid tissue and lymphatic channels or lymphatic system has a role in transportation of lipids from gut to the heart. From heart it goes to lungs. Where in the lungs, lungs parenchymal tissue plays important role in oxidation of chylomicrons.
So lymphoid tissue plays roles in the transportation and parenchymal tissue plays role in oxidation of chylomicrons in lungs.

*Query No.2 :*

Modern physiology relates role of lymphatic system mainly in transportation of lipids from gut to heart.
As srotas main function is अस्थाई धातु वहन so.
A). In reference to strotas mula of Meda dhaatu we can correlate वपावहन with lymphatic system.
B). वपावहन is referred as Mesentery (a part of peritoneum which has mainly adipose tissue).

*Hydrolysis of chylomicrons triglycerides by Lipoprotein Lipase*.

 Both adipose tissue and liver contains large quantity of the enzymes called lipase, due to this hydrolysis of triglycerides takes place and free fatty acids are immediately diffuse into the fat cells of adipose tissue and the liver cells.
The lipase also causes hydrolysis of phospholipids and free fatty acids are stored in the cells in the same way.
The most of the mass of the chylomicrons ( nanomicrons ) is removed from the circulating blood ; then the remnant are taken up mainly by the liver.

*Query No.3 :*

*Cushing's Syndrome :*
A condition that occurs from exposure to high cortisol levels for a long time.
The most common causes are,
1). The frequent and long term use of steroids drugs.
2). It can also occurs from over production of cortisol by adrenal glands due to tumors or hyperplasia of both adrenal cortex.
3). It may also be caused by a tumor in the pituitary gland.
So hypersecretion or high level of cortisol causes a complex of hormonal effects called Cushing's Syndrome.
A special characteristic of Cushing's Syndrome is mobilization of fat from the lower part of the body with the concomitant extra deposition of fat in the thoracic and upper abdominal region giving to a so-called *buffalo toros*.
The excess secretion of Steroids also lead to an edematous appearance of the face and the androgenic potency of some of the hormones sometimes causes acne and hirsutism.
The total appearance of the face frequently described as *moon face*
Adrenal glands also known as suprarenal glands which produces a variety of hormones including adrenaline and the steroids, Aldosterone  and Cortisol.
These hormones helps to regulate metabolism, immune system, blood pressure, response to stress and other essential functions.
*The symptoms of adrenal gland disorders.*
# Upper body obesity, round face and neck, thinning arms and legs.
# High blood pressure.
# muscle and bone weakness.
#  moodiness, irritability or depression.
#  high blood sugar level.
# slow growth rate in children.
So there is a definite and established *relation of corticosteroid in normal metabolism in healthy individual.*

*Recent studies suggest that alterations in major lipid metabolic pathways contributes to pathogenesis of lung diseases, including chronic obstructive pulmonary disease (COPD)*.

 *Smoking increases insulin resistance and is associated with central fat accumulation. As a result metabolic syndrome and diabetes and these factors increased risks of cardiovascular diseases.*

*Breathing exercises also improve your digestion and metabolism. Deep breathing increases the supply of oxygen in your body and this extra oxygen supply to your body helps in burning the extra fat deposited in body. Deep breathing improve blood circulation and tones the abdominal muscles.*

*lipid Metabolism and Pulmonary Surfactant :*

*The lungs plays an important series of function in connection with lipids. Such as de novo synthesis of fatty acids and oxidation, lipid esterification, acid - ester bonds hydrolysis, synthesis of lipoprotein etc.*
*So Lung Parenchymal Cells Plays An Important Role In Lipid Metabolism.*

*Once Again Sorry For The Delay.*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[12/13, 5:43 AM] Samta Tomar Dr Jmngr: 🙏🏻

[12/13, 5:57 AM] Dr Shashi Jindal: 

Very good morning sir 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
The most valuable post 👌👌👌👌👌med dhatu 👍🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐💐💐💐💐

[12/13, 5:58 AM] Dr. Mansukh Mangukia: 🙏

[12/13, 8:31 AM] Dr Shashi Jindal: 

it is really a great post. I clears concept of giving ghrit in kaasa shwasa, vyatsata of ushana sheeta, apatarpana santarpan as hetu of Kushtha, urustambha its nidaan and chikitsa . Study of Lymphatic  system is greatly ignored in BAMS, studied lightly in MD, but studied to understand med dhatu and snehana chikitsa. I will try to add my in puts.🙏🏼🙏🏼

[12/13, 8:34 AM] pawan madan Dr: 

Very nicely explained Arun Ji.

Thanks a lot.
Worth reading.
🙏💐🙏

[12/13, 9:15 AM] Vd Raghuram Bhatta, Banguluru: 

Awesome perspective Arun Rathi sir ji🙏🙏👌💐💐
A new dimension... Noted✅✅🙏🙏

[12/13, 9:24 AM] Prof. Surendra A. Soni: 

नमो नमः अरुण सर । 
In your reply as query no. You have mentioned the process of fat deposition in liver/ fatty liver very well.
Your reply helps to understand srotomaya purush and opens a new door for thought process in understanding the line of management mentioned in Ayurveda as Dr. Shashi ji has described in her post.

Thank you very much Sir.


🙏🏻🙏🏻☺👌🏻👌🏻🌹🌹


**************************************************************************


Above discussion held on 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp-discussion-group  of  well known Vaidyas from all over the India. 



Compiled & edited by


Dr.Surendra A. Soni




M.D.,PhD (KC) 
Professor & Head
P.G. DEPT. OF KAYACHIKITSA
Govt. Akhandanand Ayurveda College
Ahmedabad, GUJARAT, India.
Email: surendraasoni@gmail.com
Mobile No. +91 9408441150

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Case-presentation: Management of Various Types of Kushtha (Skin-disorders) by Prof. M. B. Gururaja

Admin note:  Prof. M.B. Gururaja Sir is well-known Academician as well as Clinician in south western India who has very vast experience in treatment of various Dermatological disorders. He regularly share cases in 'Kaysampraday group'. This time he shared cases in bulk and Ayu. practitioners and students are advised to understand individual basic samprapti of patient as per 'Rogi-roga-pariksha-vidhi' whenever they get opportunity to treat such patients rather than just using illustrated drugs in the post. As number of cases are very high so it's difficult to frame samprapti of each case. Pathyakram mentioned/used should also be applied as per the condition of 'Rogi and Rog'. He used the drugs as per availability in his area and that to be understood as per the ingredients described. It's very important that he used only 'Shaman-chikitsa' in treatment.  Prof. Surendra A. Soni ®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®® Case 1 case of psoriasis... In this ...

Case presentation: Vrikkashmari (Renal-stone)

On 27th November 2017, a 42 yrs. old patient came to Dept. of Kaya-chikitsa, OPD No. 4 at Govt. Ayu. College & Hospital, Vadodara, Gujarat with following complaints...... 1. Progressive pain in right flank since 5 days 2. Burning micturation 3. Dysuria 4. Polyuria No nausea/vomitting/fever/oedema etc were noted. On interrogation he revealed that he had h/o recurrent renal stone & lithotripsy was done 4 yrs. back. He had a recent 5 days old  USG report showing 11.5 mm stone at right vesicoureteric junction. He was advised surgery immediately by urologist. Following management was advised to him for 2 days with informing about the possibility of probable emergency etc. 1. Just before meal(Apankal) Ajamodadi choorna     - 6 gms. Sarjika kshar                - 1 gm. Muktashukti bhasma    - 250 mgs. Giloyasattva                 - 500 mgs...

WhatsApp Discussion Series: 24 - Discussion on Cerebral Thrombosis by Prof. S. N. Ojha, Prof. Ramakant Sharma 'Chulet', Dr. D. C. Katoch, Dr. Amit Nakanekar, Dr. Amol Jadhav & Others

[14/08 21:17] Amol Jadhav Dr. Ay. Pth:  What should be our approach towards... Headache with cranial nerve palsies.... Please guide... [14/08 21:31] satyendra ojha sir:  Nervous System Disorders »  Neurological Disorders Headache What is a headache? A headache is pain or discomfort in the head or face area. Headaches vary greatly in terms of pain location, pain intensity, and how frequently they occur. As a result of this variation, several categories of headache have been created by the International Headache Society (IHS) to more precisely define specific types of headaches. What aches when you have a headache? There are several areas in the head that can hurt when you have a headache, including the following: a network of nerves that extends over the scalp certain nerves in the face, mouth, and throat muscles of the head blood vessels found along the surface and at the base of the brain (these contain ...

WhatsApp Discussion Series:18- "Xanthelasma" An Ayurveda Perspective by Prof. Sanjay Lungare, Vd. Anupama Patra, Vd. Trivendra Sharma, Vd. Bharat Padhar & others

[20/06 15:57] Khyati Sood Vd.  KC:  white elevated patches on eyelid.......Age 35 yrs...no itching.... no burning.......... What could be the probable diagnosis and treatment according Ayurveda..? [20/06 16:07] J K Pandey Dr. Lukhnau:  Its tough to name it in ayu..it must fall pakshmgat rog or wartmgat rog.. bt I doubt any pothki aklinn vartm aur klinn vartm or any kafaj vydhi can be correlated to xanthelasma..coz it doesnt itch or pain.. So Shalakya experts may hav a say in ayurvedic dignosis of this [20/06 16:23] Gururaja Bose Dr:  It is xantholesma, some underline liver and cholesterol pathology will be there. [20/06 16:28] Sudhir Turi Dr. Nidan Mogha:  Its xantholesma.. [20/06 16:54] J K Pandey Dr. Lukhnau:  I think madam khyati has asked for ayur dignosis.. [20/06 16:55] J K Pandey Dr. Lukhnau:  Its xanthelasma due to cholestrolemia..bt here we r to diagno...

WhatsApp Discussion Series 47: 'Hem-garbh-pottali-ras'- Clinical Uses by Vd. M. Gopikrishnan, Vd. Upendra Dixit, Vd. Vivek Savant, Prof. Ranjit Nimbalkar, Prof. Hrishikesh Mhetre, Vd. Tapan Vaidya, Vd. Chandrakant Joshi and Others.

[11/1, 00:57] Tapan Vaidya:  Today morning I experienced a wonderful result in a gasping ILD pt. I, for the first time in my life used Hemgarbhpottali rasa. His pulse was 120 and O2 saturation 55! After Hemgarbhapottali administration within 10 minutes pulse came dwn to 108 and O2 saturation 89 !! I repeated the Matra in the noon with addition of Trailokyachintamani Rasa as advised by Panditji. Again O2 saturation went to 39 in evening. Third dose was given. This time O2  saturation did not responded. Just before few minutes after a futile CPR I hd to declare him dead. But the result with HGP was astonishing i must admit. [11/1, 06:13] Mayur Surana Dr.:  [11/1, 06:19] M gopikrishnan Dr.: [11/1, 06:22] Vd.Vivek savant:         Last 10 days i got very good result of hemgarbh matra in Aatyayik chikitsa. Regular pt due to Apathya sevan of 250 gm dadhi (freez) get attack asthmatic t...

DIFFERENCES IN PATHOGENESIS OF PRAMEHA, ATISTHOOLA AND URUSTAMBHA MAINLY AS PER INVOLVEMENT OF MEDODHATU

Compiled  by Dr.Surendra A. Soni M.D.,PhD (KC) Associate Professor Dept. of Kaya-chikitsa Govt. Ayurveda College Vadodara Gujarat, India. Email: surendraasoni@gmail.com Mobile No. +91 9408441150

UNDERSTANDING THE DIFFERENTIATION OF RAKTAPITTA, AMLAPITTA & SHEETAPITTA

UNDERSTANDING OF RAKTAPITTA, AMLAPITTA  & SHEETAPITTA  AS PER  VARIOUS  CLASSICAL  ASPECTS MENTIONED  IN  AYURVEDA. Compiled  by Dr. Surendra A. Soni M.D.,PhD (KC) Associate Professor Head of the Department Dept. of Kaya-chikitsa Govt. Ayurveda College Vadodara Gujarat, India. Email: surendraasoni@gmail.com Mobile No. +91 9408441150

Case-presentation- Self-medication induced 'Urdhwaga-raktapitta'.

This is a c/o SELF MEDICATION INDUCED 'Urdhwaga Raktapitta'.  Patient had hyperlipidemia and he started to take the Ayurvedic herbs Ginger (Aardrak), Garlic (Rason) & Turmeric (Haridra) without expertise Ayurveda consultation. Patient got rid of hyperlipidemia but hemoptysis (Rakta-shtheevan) started that didn't respond to any modern drug. No abnormality has been detected in various laboratorical-investigations. Video recording on First visit in Govt. Ayu. Hospital, Pani-gate, Vadodara.   He was given treatment on line of  'Urdhwaga-rakta-pitta'.  On 5th day of treatment he was almost symptom free but consumed certain fast food and symptoms reoccurred but again in next five days he gets cured from hemoptysis (Rakta-shtheevan). Treatment given as per availability in OPD Dispensary at Govt. Ayurveda College hospital... 1.Sitopaladi Choorna-   6 gms SwarnmakshikBhasma-  125mg MuktashuktiBhasma-500mg   Giloy-sattv...

Case-presentation: 'रेवती ग्रहबाधा चिकित्सा' (Ayu. Paediatric Management with ancient rarely used 'Grah-badha' Diagnostic Methodology) by Vd. Rajanikant Patel

[2/25, 6:47 PM] Vd Rajnikant Patel, Surat:  रेवती ग्रह पीड़ित बालक की आयुर्वेदिक चिकित्सा:- यह बच्चा 1 साल की आयु वाला और 3 किलोग्राम वजन वाला आयुर्वेदिक सारवार लेने हेतु आया जब आया तब उसका हीमोग्लोबिन सिर्फ 3 था और परिवार गरीब होने के कारण कोई चिकित्सा कराने में असमर्थ था तो किसीने कहा कि आयुर्वेद सारवार चालू करो और हमारे पास आया । मेने रेवती ग्रह का निदान किया और ग्रह चिकित्सा शुरू की।(सुश्रुत संहिता) चिकित्सा :- अग्निमंथ, वरुण, परिभद्र, हरिद्रा, करंज इनका सम भाग चूर्ण(कश्यप संहिता) लेके रोज क्वाथ बनाके पूरे शरीर पर 30 मिनिट तक सुबह शाम सिंचन ओर सिंचन करने के पश्चात Ulundhu tailam (यह SDM सिद्धा कंपनी का तेल है जिसमे प्रमुख द्रव्य उडद का तेल है)से सर्व शरीर अभ्यंग कराया ओर अभ्यंग के पश्चात वचा,निम्ब पत्र, सरसो,बिल्ली की विष्टा ओर घोड़े के विष्टा(भैषज्य रत्नावली) से सर्व शरीर मे धूप 10-15मिनिट सुबज शाम। माता को स्तन्य शुद्धि करने की लिए त्रिफला, त्रिकटु, पिप्पली, पाठा, यस्टिमधु, वचा, जम्बू फल, देवदारु ओर सरसो इनका समभाग चूर्ण मधु के साथ सुबह शाम (कश्यप संहिता) 15 दिन की चिकित्सा के ...