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Case-presentation: Agni-dushti/Sroto-sanga & its various Clinical Presentations by Vaidyaraja Subhash Sharma

[1/29, 11:41 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *case presentation*

*स्रोतस का संग दोष- यकृत-वृद्धि (hepatomegaly), प्लीहा वृद्धि (moderate splenomegaly), वृक्क ग्रन्थि (renal cyst), पौरूष ग्रन्थि या अष्ठीला वृद्धि (moderate prostatomegaly) एवं आन्त्र शोथ (entero colitis) सम्प्राप्ति घटक एवं आयुर्वेदीय चिकित्सा *

*नवीन व्याधियां diagnosis की हुई आपके समक्ष आती रहेंगी, जीर्ण एवं कृच्छ साध्य रोगों पर हम अनेक cases नियमित रूप से present करते आ रहे हैं और आयुर्वेद चिकित्सा के छुपे हुये रहस्यों से आपको परिचित कराते आ रहे हैं कि आप स्वयं भी ऐसे रोगों की चिकित्सा में समर्थ बने। चिकित्सा ज्ञान से पूर्व चिकित्सा सिद्धान्तों का ज्ञान आवश्यक हैं, उपरोक्त लक्षण एक ही रोगी में हैं जो आपको प्रथम दृष्टि में बढ़े रोग का संकेत लग रहे हैं पर आपको आयुर्वेद चिकित्सा के सिद्धान्तों का ज्ञान और अनुभव हो तो ये सभी व्याधियां ठीक करना बहुत साधारण सा कार्य है और वो भी अल्प समय में।*

*स्रोतो दुष्टि में सब से प्रधान और अधिक मिलने वाली दुष्टि संग दोष है, इसको समझे बिना आप आयुर्वेद चिकित्सा कर ही नही सकते।संग स्रोतस का अवरोध है जिसके कारण दोष, धातु, उपधातु, मल, मूत्र और स्वेद आदि का वहन नही हो पाता। जो वाक्य अधिकतर आप आयुर्वेद में सुनते हैं कि 'एक देशे वृद्धि अन्य देशे क्षय' उसका मूल कारण भी संग दोष है। इसका उदाहरण रोगों में प्रथम और प्रधान ज्वर है जिसमें आम उत्पत्ति के कारण आमाश्य में अग्नि का क्षय होता है पर दूसरे क्षेत्र सर्व शरीर गत त्वक में अग्नि या तापमान की वृद्धि होती है।*

*ये जो प्रथम व्याधि ज्वर शास्त्रों में बताई गई है ये चिकित्सा की नींव या आधार है जो इसको अगर जान लें तो आप इसके आधार भूत सिद्धान्तों से अनेक रोगों को समझ कर चिकित्सा कर सकते हैं, संग दोष का मूल आम जो अधिकतर व्याधियों का प्रधान कारण, आम से संग और दोषों का विमार्ग गमन, किसी भी भी व्याधि में संग दोष मिले तो सर्वप्रथम आम का चिंतन करे,  आम की चिकित्सा अवश्य करिये जैसे पहले दीपन, पाचन, महास्रोतस के रोगों में इनके बाद अनुलोमन, भेदन, शाखाश्रित दोषों को कोष्ठ में ला कर यही क्रिया करें और स्रोतों का शोधन कर के धातुसाम्यता लायें ये सब इसलिये आवश्यक है कि दोष और दूष्यों का संग दोष से अवरोध हो गया है और इनकी स्वाभाविक गति में अवरोध होने से उत्तरोत्तर धातुओं का भी निर्माण नही होगा। ये सब practically समझा और कैसे जाये ? इसे अंशांश कल्पनानुसार दोष, दूष्य, स्रोतस, उनकी दुष्टि, अग्नि आदि से जाना जायेगा क्योंकि ये इन सब को और दोष-दूष्य सम्मूर्छना को जानने के साधन या आधार हैं।*

*रोगी- male, age 51 yrs., व्यवसायी*
*लक्षण - यकृत प्रदेश, प्लीहा प्रदेश और अधो उदर में स्पर्श करने पर पीड़ा, मल की शंका बने रहना, अल्प एवं आम युक्त स्निग्ध मल प्रवृत्ति,investigation report देख कर भय एवं शोक, मंदाग्नि, अंगसाद, दौर्बल्य, मूत्र संग एवं कृच्छता, आध्मान।*

*हेतु - रोगी खाने और पीने का शौक रखता है, नियमित मद्य सेवन, रात्रि भोजन विलंब से, मधुर, गुरू, स्निग्ध पदार्थों का अत्यधिक प्रयोग, व्यायाम का अभाव।*

*history of present illness - लगभग दो वर्ष से आम दोष, आलस्य, गात्र शूल और रात्रि अनेक बार मूत्र प्रतीति आदि लक्षण चल रहे थे पर रोगी इन्हे ignore करता रहा, पर पत्नी के द्वारा जबरदस्ती हमारे यहां नवंबर 2019 में चिकित्सा के लिये लाया गया।*

*History of past illness - ग्रहणी दोष के लक्षण रोगी में बाल्यकाल से ही चले आ रहे थे।*

*कुल वृत्त - कोई विशेष व्याधि ऐसी नही मिली जो इस रोग से संबंधित हो ।*

[1/29, 11:41 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*दोष - समान,अपान और व्यान वात, पाचक - रंजक पित्त, क्लेदक कफ*
*दूष्य - अन्न रस और मेद*
*स्रोतस - रस,रक्त,मेद,मूत्र, पुरीष वाही*
*स्रोतोदुष्टि - संग*
*अग्नि - जाठराग्नि और धात्वाग्निमांद्य*
*व्याधिस्वभाव - चिरकारी*
*साघ्यासाध्यता - कृच्छसाध्य*
*चिकित्सा सूत्र- निदानपरिवर्जन ('संक्षेपत: क्रियायोगो निदानपरिवर्जनम्' सु उ 1/25 संक्षेप में जिन हेतुओं से रोग उत्पन्न हुआ है उनका परिवर्जन अर्थात त्याग ही क्रियायोग या चिकित्सा है, 'वातादीनां प्रतीघात: विस्तरत: पुन:' सु उ 1/25 वातादि दोषों का प्रतिघात यह चिकित्सा का दूसरा चरण है।*

*दीपन,पाचन, 
अनुलोमन, 
भेदन, 
शोथध्न,
मूत्रविरेचन, 
स्रोतोशोधन, 
मेध्य और 
शमन*

*रोगी जब आया तो मल में आम की प्रवृत्ति और मल की शंका बने रहना, इस से अधिक पीढ़ित था जो आन्त्रशोथ जन्य था इसकी लिये ग्रहणी रोग चिकित्सा 14 दिन तक दी गई जो इस प्रकार थी ...*


*संजीवनी वटी 2 bd*

*कुटज घन वटी 2 tds*

*गंधक वटी 2 bd*

*पंचामृत पर्पटी 100 mg, 
गंगाधर चूर्ण 3 gm और 
लवण भास्कर 2 gm, 
दिन में 2 बार तक्र + भृष्ट्र  हिंगु जीरक + सैंधव के साथ*

*तीसरे दिन से ही लाक्षणिक लाभ मिल चुका था, मल दिन में दो बार और बंधा हुआ आने लगा, दो सप्ताह तक यही औषध दी गई।* 

*तीन दिन कोई औषध ना दे कर चौथे दिन हरीतकी चूर्ण 4-5 gm प्रात: लगभग 7 बजे उष्णोदक से दे कर लगभग दस ग्राम गुड़ दिया, एक बार मल सुबह और दो बार सांयकाल में आया, दोपहर साबूदाना खिचड़ी और रात्रि को मूंगदाल कृशरा दी गई ।*

*अगले दिन से फलत्रिकादि क्वाथ 5 gm द्रव्य, शरपुंखा 3 gm और दो ग्राम कासनी चूर्ण प्रात: सांय खाली पेट क्वाथ । फलत्रिकादि क्वाथ में कुटकी की मात्रा दुगनी कर दी गई।*

*आरोग्य वर्धिनी 1 gm bd*
*श्वेत पर्पटी 250 mg, हजरूल यहूद भस्म 500 mg, गोखरू चूर्ण 2 gm, पुनर्नवा चूर्ण 2 gm तालमखाना पानीय क्षार जल से दो बार दिया।*
*नवायस लौह 500 mg bd*
*रोगी को मल प्रात: 2-3 बार और कृष्ण वर्ण का आता था जो औषध का प्रभाव था।*

*बीच में कभी कभी  गौमूत्र हरीतकी 1 gm bd भी दी गई।*
*रात्रि सोते समय tab mentat (himalya) 2 bd, क्योंकि ब्रह्मी,शंखपुष्पी, जटामांसी इत्यादि out of stock हो गई थी।*

*पथ्य - लौकी, सीताफल, ग्वार की फली, गाजर, बंदगोभी, सेम, broccli, तोरई, परवल, मूंग, मसूर, कृशरा, मूली और तक्र का अधिक प्रयोग।*

*अंतिम दिनों में गौदुग्ध में पिप्पली कल्प 5 से आरंभ कर दिया गया पर तीसरे दिन ही रोगी को दुग्ध असात्म्य लगा तो बंद कर एक दिन कोई औषध ना दे कर चिकित्सा पुन: आरंभ की गई।*

*अपथ्य - दुग्ध और इस से बनी मिठाई, मैदा, उड़द,राजमा,चने, अरबी, भिंडी,पालक,सरसों का साग, मक्का और अधिक स्नेह ।*

*रोगी का वजन लगभग आठ किलो कम हुआ और रोग लक्षण लगभग सभी समाप्त हो चुके है, investigations की report इस प्रकार मिली ...*

25-11-19
liver - 166.3 mm hepatomegaly vd fatty liver
spleen - 143.6 mm moderately enlarged
prostate 42.5 - 56.5 - 29.9 mm, vol 37.7 cc , moderate to gross prostatomegaly
peri-umblical region gastro entritis

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23-01-20
liver - 155.5 mm
spleen - 128.7 mm
prostate - 43.5 - 32.5 - 26.9 , vol  19.8
--------------
*आन्त्र शोथ भी समाप्त हो चुका है, चिकित्सा में केवल फलत्रिकादि क्वाथ और शरपुंखा पानीय क्षार दिया जा रहा है।*

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*यही स्रोतो संग दोष गर्भाश्य में जा कर fibroids की उत्पत्ति कर देता है, इसे अच्छी तरह समझ कर सम्प्राप्ति विघटन करें तो आप इस रोग की भी चिकित्सा सरलता से कर सकते है।इसकी विस्तृत जानकारी ब्लॉग पर उपलब्ध है।*

24-9-19
ut. fibroid - 7.3 mm
---------
16-11-19
no fiboid
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[1/29, 11:41 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 























*ut.fibroid report* 👇🏿



























[1/29, 11:50 AM] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur: 

Uttam margdarshan Guru Ji aap ne ki 🙏🙏शत शत नमन आपके चरणों में प्रणाम🙏🙏🌸🙏🙏

[1/29, 11:57 AM] Dr. Suresh Nayak:

 Thank you sir new concept to me.

[1/29, 11:57 AM] satyendra ojha sir:

 *Vaidyaraja Subhash Sharma ji* 🙏💐🙏

[1/29, 11:59 AM] satyendra ojha sir: 

Vaidyaraja , since too many years, I use sanjivani vati with laghu sootasekhara to avoid certain undue effects of sanjivani vati (faulty preparation by pharmacies )..

[1/29, 11:59 AM] Dr. Abhishek Kumar Singh: 🙏🏽🙏🏽🙏🏽

[1/29, 12:02 PM] Prof Giriraj Sharma:

 🙏🏼🙏🏼🌹👌🏻🌹🙏🏼🙏🏼
आचार्य प्रणाम 
लाज़बाब चिकित्सा एवं निदान ,,,,
आचार्य गन्धक वटी देने का विशेष प्रयोजन क्या रहा यहां ,,,,
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[1/29, 12:05 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*सादर नमन सर, संजीवनी वटी हम बिना वत्सनाभ के प्रयोग करते हैं, इस से ये बालकों और सुकुमार स्त्रियों को भी सात्म्य रहती है।*

               🙏🌹🌺💐🙏

[1/29, 12:06 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *उत्तम दीपन- पाचन कर्म करती है !*

गिरिराज जी !!

              🙏🙏🙏

[1/29, 12:07 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*स्रोतस की दुष्टि को जाने बिना आयुर्वेद की सैद्धान्तिक चिकित्सा संभव ही नही है।*

[1/29, 12:10 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*वत्सनाभ युक्त को अब इस प्रकार भी प्रयोग कर के देखेंगे और आपको इसके परिणाम से अवश्य अवगत कराते है।*

                🙏🙏🙏

[1/29, 12:11 PM] Prof Mamata Bhagwat:

Detailed description of the parient and treatment protocol are very knowledgeable Sir.. result is assured with such flawless analysis....
🙏🏻💐💐💐
Thanks and regards for consistently inspiring and educating all..
🙏🏻🙏🏻🌺🌺

[1/29, 12:16 PM] Ranga prasad Ji Vd. Chennai: 

*बिना वत्सनाभ* 👌
भी इसका प्रभाव clinically स्थापित किया सकते तो, आपका इस revelation से हम inspire होकर, इस modified योग को practice में induct करूंगा ।। 🙏
धन्योऽहँ || 🙏🙏

[1/29, 12:20 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*संजीवनी में भल्लातक और वत्सनाभ दोनो है, वत्सनाभ ह्रद द्रव और अति स्वेद प्रवृत्ति दोनो कार्य कर देता है, हमें ये संजीवनी वटी ज्वर में नही देनी, आम की चिकित्सा करनी है और दीपन पाचन कर्म चाहिये तो वत्सनाभ निकाल दिया।*

               🌹🌺💐🙏

[1/29, 12:21 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*नमस्कार प्रो. ममता जी*

            🙏🙏🙏

[1/29, 12:23 PM] satyendra ojha sir: 

वैद्यराज शर्मा जी , स्वेन तेन उष्मणा चैव कृत्वा देह उष्मणो बलम् . च.चि.३/१३० 
आचार्य चक्रपाणी : *स्वेन इति दोष उष्मणा , तेन इति जाठराग्नि उष्मणा* ..  
 समानो दोषवाहिनि स्रोतांसि समधिष्ठित: 
*समान अग्नि उत्तेजक भाव" ( आचार्य चक्रपाणी*)
समान यदि प्राकृतावस्था में है , तभी, दोषों का साम्यावस्था में रहना सम्भव है .
आपकी चिकित्सा व्यवस्था में समान का ध्यान रखा जाता है..

[1/29, 12:24 PM] Ranga prasad Ji Vd. Chennai: 

दीपन, आम पाचन की ओर से ही हम भी इसने रखने की अवलंबित हूँ ।। 

सवेदावरोहण के लिए नहीं ।।

पुनः धन्योऽहँ || 🙏🙏🙏💐💐💐

[1/29, 12:28 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *बिल्कुल सही कथन ओझा सर !!
समान वात पर आपके इस वाक्य से सभी members लाभान्वित होंगें, चिकित्सा के रहस्य ही इस प्रकार के सूक्ष्म सूत्र हैं जिनसे सम्प्राप्ति का विघटन होता है और शरीर आगे भी स्वस्थ बना रहता है।*

              🙏🙏🙏

[1/29, 12:29 PM] Dr Shashi Jindal: 

great ojha sir 👌most valuable input 🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐💐💐💐💐

[1/29, 12:33 PM] Dr Shashi Jindal:

 Thanks subhash sir !
great clinical applications of concepts 👌👌👌💐💐💐💐🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[1/29, 12:51 PM] Dr Ashwini Kumar Sood, Ambala: 

VAIDYA SUBHASH is great innovator 👍🏽

[1/29, 12:59 PM] Shantanu Das Prof KC:

 Sir once  prepared  ... Arogya vardhini...Without Tamra vnd Kajjali...... nd use it many  Skin disease related to DM ....It also working gd......🙏🏻

[1/29, 1:07 PM] Dr. Ajay Gopalani: 

बहुत ही विस्तृत और सुंदर विवेचन गुरूवर.....आप जी जटिल से जटिल रोग भी आसान बना देते हैं....नमन🙏🏻🙏🏻🙏🏻👏🏻👏🏻👌🏻👌🏻

[1/29, 1:07 PM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 🙏🏼🙏🏼💐💐💐🙌🏽

[1/29, 1:27 PM] Dr. R S. Soni, Delhi: 

🙏🙏प्रणाम वैद्यवर🌹🌹

आपके प्रस्तुतिकरण सदैव नया विश्वास उत्पन्न करते हैं।👏👏🙏🌹😌

[1/29, 1:27 PM] Dr Ashwini Kumar Sood, Ambala: 

Idea great है । शान्तनु सर !

[1/29, 1:37 PM] Dr. Ajay Gopalani: 

Very nice treatment....🙏🏻🙏🏻👏🏻👏🏻👌🏻👌🏻👌🏻

[1/29, 1:46 PM] Prof. Surendra A. Soni:

 नमो नमः महर्षि जी ।
आपने चरक संहिता के सिद्धांतों का जीवंत प्रदर्शन कर दिया । 

*तस्य लिङ्गमजीर्णस्य विष्टम्भः सदनं तथा ।*
*शिरसो रुक् च मूर्च्छा च भ्रमः पृष्ठकटिग्रहः ॥४५॥*
*जृम्भाऽङ्गमर्दस्तृष्णा च ज्वरश्छर्दिः प्रवाहणम् ।*
*अरोचकोऽविपाकश्च, घोरमन्नविषं च तत् ॥४६॥*
*संसृज्यमानं१ पित्तेन दाहं तृष्णां मुखामयान् ।*
*जनयत्यम्लपित्तं च पित्तजांश्चापरान् गदान् ॥४७॥*
*यक्ष्मपीनसमेहादीन् कफजान् कफसङ्गतम् ।*
*करोति वातसंसृष्टं वातजांश्च२ गदान् बहून् ॥४८॥*
*मूत्ररोगांश्च मूत्रस्थं कुक्षिरोगान् शकृद्गतम् ।*
*रसादिभिश्च संसृष्टं कुर्याद्रोगान् रसादिजान् ॥४९॥*

सादर नमस्कार और प्रणाम ।।

🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹🙏🏻🙏🏻
🌻🌻🌻😊🌻🌻🌻

[1/29, 2:00 PM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 🙏🏼🙏🏼🌹🌹🌹🙌🏽

[1/29, 2:34 PM] Dr Shashi Jindal: 👌👌👌👌👌💐💐💐🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[1/29, 2:47 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*सब एक दूसरे से ही सीख रहे हैं, मेरी pactice में hypothyroidism के रोगियों की संख्या भी बहुत है और उनकी सफल चिकित्सा में आपके द्वारा बताई गई गौमूत्र हरीतकी का सब से अधिक योगदान है।*

वैद्य राधेश्याम जी ।

              🙏🙏🙏

[1/29, 2:55 PM] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

🙏हमें तो सचमुच  ऐसा लगता है जैसे नया जन्म हुआ हो।

[1/29, 2:57 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*धन्यवाद और सस्नेह नमस्कार सुरेन्द्र जी !आपके द्वारा प्रदत्त आयुर्वेद के सिद्धान्तों का विशलेषण, और अब तो ओझा सर के आ जाने से आयुर्वेद की ऐसी लय अन्त: मन में बन चुकी है कि सभी का जीवन आयुर्वेदमय हो गया है, चरक के सिद्धान्तों पर clinical work कर के with evidence present करना आयुर्वेद की वर्तमान और अग्रिम पीढ़ी में एक नया विश्वास उत्पन्न करता है कि हमारा आयुर्वेद विज्ञान आरंभ से ही बहुत विकसित रहा है और आधुनिक समय में हम इसे प्रमाणित भी कर सकते हैं और अब तो भविष्य में surgery और emergency  चिकित्सा के बाद सभी रोगों की चिकित्सा में main stream में आयुर्वेद ही रहेगा।*

           🙏🙏🙏🙏🙏

[1/29, 2:58 PM] Dr Sidram Guled: 

Thank you sir...
Because your efforts n insights i am getting much confidence in treating such cases without fear...especially when we have cases with complex presentations...🙏🙏🙏

[1/29, 2:59 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *हर सांस के साथ सभी का जीवन नया ही तो है वैद्य पांडे जी।*

             🙏🙏🙏

[1/29, 3:02 PM] Prof Mamata Bhagwat: 

This group is the source of inspiration Sir which is ably guided and supported by the noble personalities.. 🙏🏻🙏🏻

[1/29, 3:03 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*भविष्य में आपको और भी गंभीर और सूक्ष्म विषयों के clinical experience vd evidence से परिचित करायेंगे कि आप अपने आप में आयुर्वेद चिकित्सक होने पर गर्व करेंगे, आप लोग श्रेष्ठ ही नही सर्वश्रेष्ठ भी हो बस अपनी आयुर्वेद की लय मत छोड़ना, ये ही आपको हर जगह स्थापित करेगी।*

[1/29, 3:05 PM] Dr Sidram Guled:

 Definately sir,....we look forward and do our best contrubution and put our efforts...🙏🙏🙏

[1/29, 3:07 PM] Dr. Ashok Rathod, Oman:

Kaysampradaay = Success Mantra 🙏🏼🌹🙌🏽

[1/29, 3:08 PM] Dr Ajay Singh: 

गुरुदेव प्रणाम !
इतने सामान्य औषधियों से जटिल व्याधियों की चिकित्सा और उसका इतना सरल रूप से प्रस्तुतीकरण आप द्वारा ही सम्भव है। ऐसे रोग और रोगी को लाभ देना इतना सरल नही है। व्यवस्था पत्रक हेतु सूक्ष्म अवलोकन ही आपकी श्रेष्ठता है।

[1/29, 3:36 PM] Vd. Vidyadheesh Anantacharya Kashikar, Samhita:

 अतीव प्रेरणादायी 🙏🙏🙏

गुड हरीतकी के पश्चात् साबूदाना खिचडी खिलाने का कुछ विशेष प्रयोजन आचार्यवर ?

[1/29, 3:51 PM] Dr. Mukesh Kumar Jatav, Bhopal: 

Pranaam gurudev👏👏👏👏 
Gurudev Aapka Sath aisa hi milta rhe to nischit  hi ayurveda bhi  emergency aur  critical surgery  me b apna sthayitva jamayega.

[1/29, 4:33 PM] Dr. Mrityunjay Tripathi, Gorakhpur: 

🙏🌸🌸🙏 pranam 🙏🙏 sir ji !

[1/29, 4:45 PM] Urvashi Arora Dr:

 Sir very nice presentation 
U have mentioned kshara of sharpukha for the first time 🙏🙏

[1/29, 4:49 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*साबूदाना का उल्लेख आयुर्वेद के ग्रन्थों में नही है, इसका आगमन विदेशी वनस्पति के रूप में हुआ है जिसके मूल से ये बनता है, कई वर्ष पहले ग्रन्थों में इसका उल्लेख ना मिलने पर स्वयं ही इसके रस, गुणादि का निर्धारण रोगियों पर और स्वयं सेवन कर के किया। ये रस में मधुर, शीत वीर्य और लघु मिला। ये रोगी कई वर्षों से नित्य मद्यपान करता रहा है और पित्त प्रधान है, साबूदाना का प्रयोग हम मद्यपान करने वालों को वैसे भी कराते रहते है क्योंकि इसका यकृत रोगियों पर हमें अच्छा result मिला। एसे रोगियों में हस्त-पाद तल दाह और alcohol सेवन वालों को प्रात: hangover में एकदम लाभ देता है, हमारे कहने के बाद कई रोगी ऐसी स्थिति में सुबह इसकी खीर का भी प्रयोग करते है जो तुरंत बल प्रदान करती है।*
विद्याधीश जी !

[1/29, 4:49 PM] Samta Tomar Dr Jmngr: 

🙏🏻🙏🏻utpatti_ sthiti_ laya Sidhanta. Moment by moment..being in present🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[1/29, 4:50 PM] Dr Ashwini Kumar Sood, Ambala: 

Wonderful 👍🏽 unbelievable👌🏼

[1/29, 4:50 PM] Samta Tomar Dr Jmngr:

 Namostu tubhyama !

[1/29, 4:51 PM] Dr Ramanuj Soni New Delhi: 

🙏🌹🙏 धन्यवाद सुभाष सर !

[1/29, 4:52 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*औषध की क्वालिटी अच्छी होनी चाहिये तो  परिणाम भी शीघ्र और अच्छा मिलेगा, आ. वर्धिनी में हम कुटकी की तीन भावना देते हैं।*

              🙏🙏🙏

[1/29, 4:53 PM] Dr Ramanuj Soni New Delhi: 

💐💐🙏 अत्यन्त ज्ञानवर्धक गुरुवर !

[1/29, 5:29 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *अगर थोड़ा सा परिश्रम कर लिया जाये तो आप बहुत प्रभावकारी औषध घर पर भी बना सकते हैं जैसे सितोपलादि चूर्ण, इसमें छोटी इलायची का महत्वपूर्ण योगदान है और ये वोलें जिसके अंदर seeds बढ़े हों, हिंग्वाष्टक और शिवक्षार पाचन, तालमखाना, यव, मूली, शरपुंखा, कंटकारी आदि जला कर राख कर लें और रोगी को बता दें कि किस प्रकार सेवन करना है। रोगी की भी कुछ duties लगाईये इस से वो आपसे जुड़ा रहेगा और उसे आनंद भी मिलेगा।*

[1/29, 6:29 PM] Vd V. B. Pandey Basti U. P: 

जी गुरु वर गिलास तो हमेशा पूरा ही भरा होता है आधा जल से  और आधा हवा से।🙏

[1/29, 7:20 PM] Urvashi Arora Dr:

 Very nice concept developed by u sir 🙏🙏

[1/29, 7:37 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

Adbhut Guruji 👏👏💐❤ inspirational as always. 💐💐💐

[1/29, 7:39 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

✅✅✅🙏

These shlokas are so meaningful and practical. 
Dr. Soni !
🙏🙏🙏🙏

[1/29, 7:51 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

*Sabbakki ganji (in Kannada)* / *Sabudana khichdi* - was / is adequately used in many families as a diet during recovery periods from fevers and other illnesses, including gastrointestinal conditions. My granny and later min used to feed us with this stuff. But as a child I used to hv aversion to that, may be due to regular use. Sabbakki *payasa* is still one of the regular sweet dishes down South. Now days it's use is in a decline. *Just thought of putting it across since Subhash Sharma sir has effectively included it into the dietetic protocol for the mentioned patient*.... Great yukti sir🙏🙏💐

[1/29, 7:58 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*Thank you so much रघु जी,whenever clinical work is done on the scriptures, it is learned that our आप्त ऋषि were त्रिकालदर्शी and they also had knowledge of future diseases, they also gave their चिकित्सा सिद्धान्त in सूत्र रूप by writing to us in advance.*

               🙏🌺🌹💐🙏

[1/29, 8:01 PM] Dr Bhadresh Nayak, Surat: 

Mordern ayurvedic charakacharya Subhash sharmaji sir🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹👌

[1/29, 8:01 PM] Dr Rajiv Ranjan Gour New Delhi: 

Thank you sir. Very important n practical advise.🙏🏻

[1/29, 8:01 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

Well said guruji🙏🙏👏💐 Yes, *Trikala darshis indeed they were*.... The concepts that they hv given us are yielding great results when they are properly understood and rightly applied. *Moreover *_adhunika rishis_* *like you are proving them right time and again and inspiring us*🙏🙏🙏

[1/29, 8:05 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*there are many misconceptions about साबूदाना, in North India, it is consumed in उपवास and in various diseases as पथ्य आहार. it's कृशरा mixed with boiled potatoes is my favorite food.*

[1/29, 8:10 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

Yes sir, my paternal grandma used to fast a lot. She used Sabudana indiscriminately while fasting. *Sabudana krishara with boiled potatoes, sounds yummy and healthy*😍😍 Hv to try this. 

Some people use it in place of Barley. Some elders and one of our teachers had said that it has *yava like action*. I m not sure about it.

[1/29, 8:12 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *must try 👍👍👍*
Raghu Sir !!

[1/29, 8:16 PM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*we can make mistakes but grandma cannot be wrong*.

             🙏🙏🙏

[1/29, 8:17 PM] Vd Raghuram Shastri, Banguluru: 

😍😍😍👌👌🙏✅
Yes sir ... They hv their own *Samhitas of goodness* & *healing recipies stuffed with love*🙏🙏🙏

[1/29, 8:22 PM] Prof. Satish Panda K. C: 

Sorry for late response
Incredible Post
आयुर्वेद को आप काफी सरल बना दिया ।
Clinical Practice तो बहुत लोग करते है पर साधारण औषधि से जटिल व्याधियों को ठीक करना, कोई आप से सीखें।
प्रणाम गुरुदेव 🙏🏻💐








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**********************************

Above case presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp group  of  well known Vaidyas from all over the India. 




Presented by










Vaidyaraj Subhash Sharma
MD (Kaya-chikitsa)

New Delhi, India

email- vaidyaraja@yahoo.co.in

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[1/20, 00:13] Vd. Subhash Sharma Ji Delhi:  1 *case presentations -  पित्ताश्य अश्मरी ( cholelithiasis) 4 रोगी, including fatty liver gr. 3 , ovarian cyst = संग स्रोतोदुष्टि* *पित्ताश्य अश्मरी का आयुर्वेद में उल्लेख नही है और ना ही पित्ताश्य में gall bladder का, आधुनिक चिकित्सा में इसकी औषधियों से चिकित्सा संभव नही है अत: वहां शल्य ही एकमात्र चिकित्सा है।* *पित्ताश्याश्मरी कि चिकित्सा कोई साधारण कार्य नही है क्योंकि जिस कार्य में शल्य चिकित्सा ही विकल्प हो वहां हम औषधियों से सर्जरी का कार्य कर रहे है जिसमें रोगी लाभ तो चाहता है पर पूर्ण सहयोग नही करता।* *पित्ताश्याश्मरी की चिकित्सा से पहले इसके आयुर्वेदीय दृष्टिकोण और गर्भ में छुपे  सूत्र रूप में मूल सिद्धान्तों को जानना आवश्यक है, यदि आप modern पक्ष के अनुसार चलेंगें तो चिकित्सा नही कर सकेंगे,modern की जरूरत हमें investigations और emergency में शूलनाशक औषधियों के रूप में ही पड़ती है।* *पित्ताश्याशमरी है तो पित्त स्थान की मगर इसके निदान में हमें मिले रोगियों में मुख्य दोष कफ है ...* *गुरूशीतमृदुस्निग्ध मधुरस्थिरपि

Case-presentation: Management of Various Types of Kushtha (Skin-disorders) by Prof. M. B. Gururaja

Admin note:  Prof. M.B. Gururaja Sir is well-known Academician as well as Clinician in south western India who has very vast experience in treatment of various Dermatological disorders. He regularly share cases in 'Kaysampraday group'. This time he shared cases in bulk and Ayu. practitioners and students are advised to understand individual basic samprapti of patient as per 'Rogi-roga-pariksha-vidhi' whenever they get opportunity to treat such patients rather than just using illustrated drugs in the post. As number of cases are very high so it's difficult to frame samprapti of each case. Pathyakram mentioned/used should also be applied as per the condition of 'Rogi and Rog'. He used the drugs as per availability in his area and that to be understood as per the ingredients described. It's very important that he used only 'Shaman-chikitsa' in treatment.  Prof. Surendra A. Soni ®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®® Case 1 case of psoriasis... In this

Case presentation: Vrikkashmari (Renal-stone)

On 27th November 2017, a 42 yrs. old patient came to Dept. of Kaya-chikitsa, OPD No. 4 at Govt. Ayu. College & Hospital, Vadodara, Gujarat with following complaints...... 1. Progressive pain in right flank since 5 days 2. Burning micturation 3. Dysuria 4. Polyuria No nausea/vomitting/fever/oedema etc were noted. On interrogation he revealed that he had h/o recurrent renal stone & lithotripsy was done 4 yrs. back. He had a recent 5 days old  USG report showing 11.5 mm stone at right vesicoureteric junction. He was advised surgery immediately by urologist. Following management was advised to him for 2 days with informing about the possibility of probable emergency etc. 1. Just before meal(Apankal) Ajamodadi choorna     - 6 gms. Sarjika kshar                - 1 gm. Muktashukti bhasma    - 250 mgs. Giloyasattva                 - 500 mgs. TDS with Goghrita 20 ml. 2. After meal- Kanyalohadi vati     - 2 pills Chitrakadi vati        -  4 p

WhatsApp Discussion Series: 24 - Discussion on Cerebral Thrombosis by Prof. S. N. Ojha, Prof. Ramakant Sharma 'Chulet', Dr. D. C. Katoch, Dr. Amit Nakanekar, Dr. Amol Jadhav & Others

[14/08 21:17] Amol Jadhav Dr. Ay. Pth:  What should be our approach towards... Headache with cranial nerve palsies.... Please guide... [14/08 21:31] satyendra ojha sir:  Nervous System Disorders »  Neurological Disorders Headache What is a headache? A headache is pain or discomfort in the head or face area. Headaches vary greatly in terms of pain location, pain intensity, and how frequently they occur. As a result of this variation, several categories of headache have been created by the International Headache Society (IHS) to more precisely define specific types of headaches. What aches when you have a headache? There are several areas in the head that can hurt when you have a headache, including the following: a network of nerves that extends over the scalp certain nerves in the face, mouth, and throat muscles of the head blood vessels found along the surface and at the base of the brain (these contain delicate nerve fibe

WhatsApp Discussion Series:18- "Xanthelasma" An Ayurveda Perspective by Prof. Sanjay Lungare, Vd. Anupama Patra, Vd. Trivendra Sharma, Vd. Bharat Padhar & others

[20/06 15:57] Khyati Sood Vd.  KC:  white elevated patches on eyelid.......Age 35 yrs...no itching.... no burning.......... What could be the probable diagnosis and treatment according Ayurveda..? [20/06 16:07] J K Pandey Dr. Lukhnau:  Its tough to name it in ayu..it must fall pakshmgat rog or wartmgat rog.. bt I doubt any pothki aklinn vartm aur klinn vartm or any kafaj vydhi can be correlated to xanthelasma..coz it doesnt itch or pain.. So Shalakya experts may hav a say in ayurvedic dignosis of this [20/06 16:23] Gururaja Bose Dr:  It is xantholesma, some underline liver and cholesterol pathology will be there. [20/06 16:28] Sudhir Turi Dr. Nidan Mogha:  Its xantholesma.. [20/06 16:54] J K Pandey Dr. Lukhnau:  I think madam khyati has asked for ayur dignosis.. [20/06 16:55] J K Pandey Dr. Lukhnau:  Its xanthelasma due to cholestrolemia..bt here we r to diagnose iton ayurvedic principles [20/06 17:12] An

WhatsApp Discussion Series 47: 'Hem-garbh-pottali-ras'- Clinical Uses by Vd. M. Gopikrishnan, Vd. Upendra Dixit, Vd. Vivek Savant, Prof. Ranjit Nimbalkar, Prof. Hrishikesh Mhetre, Vd. Tapan Vaidya, Vd. Chandrakant Joshi and Others.

[11/1, 00:57] Tapan Vaidya:  Today morning I experienced a wonderful result in a gasping ILD pt. I, for the first time in my life used Hemgarbhpottali rasa. His pulse was 120 and O2 saturation 55! After Hemgarbhapottali administration within 10 minutes pulse came dwn to 108 and O2 saturation 89 !! I repeated the Matra in the noon with addition of Trailokyachintamani Rasa as advised by Panditji. Again O2 saturation went to 39 in evening. Third dose was given. This time O2  saturation did not responded. Just before few minutes after a futile CPR I hd to declare him dead. But the result with HGP was astonishing i must admit. [11/1, 06:13] Mayur Surana Dr.:  [11/1, 06:19] M gopikrishnan Dr.: [11/1, 06:22] Vd.Vivek savant:         Last 10 days i got very good result of hemgarbh matra in Aatyayik chikitsa. Regular pt due to Apathya sevan of 250 gm dadhi (freez) get attack asthmatic then get admitted after few days she adm

DIFFERENCES IN PATHOGENESIS OF PRAMEHA, ATISTHOOLA AND URUSTAMBHA MAINLY AS PER INVOLVEMENT OF MEDODHATU

Compiled  by Dr.Surendra A. Soni M.D.,PhD (KC) Associate Professor Dept. of Kaya-chikitsa Govt. Ayurveda College Vadodara Gujarat, India. Email: surendraasoni@gmail.com Mobile No. +91 9408441150

UNDERSTANDING THE DIFFERENTIATION OF RAKTAPITTA, AMLAPITTA & SHEETAPITTA

UNDERSTANDING OF RAKTAPITTA, AMLAPITTA  & SHEETAPITTA  AS PER  VARIOUS  CLASSICAL  ASPECTS MENTIONED  IN  AYURVEDA. Compiled  by Dr. Surendra A. Soni M.D.,PhD (KC) Associate Professor Head of the Department Dept. of Kaya-chikitsa Govt. Ayurveda College Vadodara Gujarat, India. Email: surendraasoni@gmail.com Mobile No. +91 9408441150

Case-presentation- Self-medication induced 'Urdhwaga-raktapitta'.

This is a c/o SELF MEDICATION INDUCED 'Urdhwaga Raktapitta'.  Patient had hyperlipidemia and he started to take the Ayurvedic herbs Ginger (Aardrak), Garlic (Rason) & Turmeric (Haridra) without expertise Ayurveda consultation. Patient got rid of hyperlipidemia but hemoptysis (Rakta-shtheevan) started that didn't respond to any modern drug. No abnormality has been detected in various laboratorical-investigations. Video recording on First visit in Govt. Ayu. Hospital, Pani-gate, Vadodara.   He was given treatment on line of  'Urdhwaga-rakta-pitta'.  On 5th day of treatment he was almost symptom free but consumed certain fast food and symptoms reoccurred but again in next five days he gets cured from hemoptysis (Rakta-shtheevan). Treatment given as per availability in OPD Dispensary at Govt. Ayurveda College hospital... 1.Sitopaladi Choorna-   6 gms SwarnmakshikBhasma-  125mg MuktashuktiBhasma-500mg   Giloy-sattva-                500 mg.  

Case-presentation: 'रेवती ग्रहबाधा चिकित्सा' (Ayu. Paediatric Management with ancient rarely used 'Grah-badha' Diagnostic Methodology) by Vd. Rajanikant Patel

[2/25, 6:47 PM] Vd Rajnikant Patel, Surat:  रेवती ग्रह पीड़ित बालक की आयुर्वेदिक चिकित्सा:- यह बच्चा 1 साल की आयु वाला और 3 किलोग्राम वजन वाला आयुर्वेदिक सारवार लेने हेतु आया जब आया तब उसका हीमोग्लोबिन सिर्फ 3 था और परिवार गरीब होने के कारण कोई चिकित्सा कराने में असमर्थ था तो किसीने कहा कि आयुर्वेद सारवार चालू करो और हमारे पास आया । मेने रेवती ग्रह का निदान किया और ग्रह चिकित्सा शुरू की।(सुश्रुत संहिता) चिकित्सा :- अग्निमंथ, वरुण, परिभद्र, हरिद्रा, करंज इनका सम भाग चूर्ण(कश्यप संहिता) लेके रोज क्वाथ बनाके पूरे शरीर पर 30 मिनिट तक सुबह शाम सिंचन ओर सिंचन करने के पश्चात Ulundhu tailam (यह SDM सिद्धा कंपनी का तेल है जिसमे प्रमुख द्रव्य उडद का तेल है)से सर्व शरीर अभ्यंग कराया ओर अभ्यंग के पश्चात वचा,निम्ब पत्र, सरसो,बिल्ली की विष्टा ओर घोड़े के विष्टा(भैषज्य रत्नावली) से सर्व शरीर मे धूप 10-15मिनिट सुबज शाम। माता को स्तन्य शुद्धि करने की लिए त्रिफला, त्रिकटु, पिप्पली, पाठा, यस्टिमधु, वचा, जम्बू फल, देवदारु ओर सरसो इनका समभाग चूर्ण मधु के साथ सुबह शाम (कश्यप संहिता) 15 दिन की चिकित्सा के वाद