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Case-presentation: Baalarsha (Haemorrhoids in Children) by Vaidyaraja Subhash Sharma

[2/6, 12:51 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*case presentation...*

*बाल्यावस्थाजन्य अर्शांकुर*

*च चि 14 अनुसार
 'द्विविधान्यर्शासि कानिचित् सहजानि कानिचिज्जातस्योत्तर-कालजानि'  ।
अर्श जन्म से ही सहज और जन्म के पश्चात जातोत्तरकालज होता है । अर्श गुदा के आभ्यंतर और बाह्य वलियों में होता है।गुदा के बाहर आधे अंगुल के प्रदेश को गुदौष्ठ कहते हैं जो बाह्य अर्श का स्थान है ।*

*यह वात प्रधान त्रिदोषज व्याधि है जिसमें रक्त, मांस, मेद और त्वचा दूष्य है और पुरीषवाही स्तोतोदुष्टि जन्य व्याधि है । चरक में नासा, लिंग आदि स्थान पर होने वाले मासांकुर को भी अर्श ही कहा है क्योंकि वो शस्त्र, क्षार या अग्नि से ही साध्य है । चरक ने इस प्रकार को मासांकुर को अगर ये गुदा से अन्यत्र उत्पन्न होता है तो अधिमांस कहा है ।*

*मेरे जैसे काय चिकित्सक का ये चिकित्सा क्षेत्र नही है पर इस रोगी की मां तीन शल्य चिकित्सकों के prescriptions लाई थी जिनमें एक ने early stage of fistula in ano और अन्य दो ने hemorrhoid diagnosis किया था, उसकी इच्छा थी कि  मुझे पुत्र की अभी surgery नही करानी और आपकी चिकित्सा से लाभ नही मिला तो मैं उस तरफ जाऊंगी तब हमने आयुर्वेदानुसार लाक्षणिक चिकित्सा देने का निर्णय लिया ।*

*आयु 5 वर्ष / बालक *
*मुख्य वेदना - अर्शांकुर,विबंध एवं मल त्याग के समय तीव्र शूल ।*

*History of present illness - जब बालक 7 मास का था तो गुद प्रदेश में छोटी सी पीड़िका हुई जिसने धीरे धीरे अर्श का रूप धारण कर लिया, शल्य चिकित्सक ने कुछ समय बाद surgery करने के लिये कहा है ।*

*History of past illness - जन्म से ही बालक को विबंध रहता था, एक सप्ताह तक भी कभी मल त्याग नही होता था ।*

*कुल वृत्त - माता को जीर्ण विबंध और गर्भावस्था में भी विबंध रहता था पर परिवार में अर्श रोग नही है ।*

*चिकित्सा...*
*5 वर्षीय बालक का आहार बहुत सामान्य है अत: हमने सीधा ही अनुलोमन, मृदु विरेचन और लाक्षणिक चिकित्सा का प्रावधान रख कर चिकित्सा आरंभ की ।*

* जिस प्रकार गुलकंद गुलाब के फूलों से बनता है हम अपनी practice में अमलतास के पुष्पों से गुलकंद का निर्माण करते है, आरग्वध
 '...स्वादु: शीतल: स्रंसनोत्तम:' 
मधुर, शीतल और मृदु रेचक है। इसमें हम प्रवाल भस्म और मिला देते हैं । अमलतास पुष्प की जितनी पंखुड़ी हो उस से double quantity में मिश्री मिलाकर अच्छी तरह मसलें और कांच के पात्र में डालकर कुछ दिन धूप में रखें तो यह तैयार हो जाता है। यह गुलकंद लगभग 2 gm सुबह खाली पेट और दुगनी मात्रा में सांय 5-6 बजे दिया गया साथ में इसी में अर्शोघ्नी वटी 250 mg की एक एक गोली पीस कर मिला दी गई ।*

*अर्शोघ्नी वटी  के घटक द्रव्य निम्ब फल मज्जा, बकायन फल मज्जा, खून खराबा, तृणकान्त मणि पिष्टी, शुद्ध रसौंत हैं ।*

*कासीसादि तैल में स्फटिका भस्म मिला कर दिन में तीन बार अर्शांकुर पर लगाया गया ।*

*दूसरे दिन प्रात: विबंध ही रहा और सांयकाल रूक्ष एवं कठिनता से मल त्याग हुई तो संध्या में आरग्वध गुलकंद पूरा एक tsp लगभग 5 gm कर दिया जिस से अगले दिन सुबह ही दो बार और सांय एक बार मल प्रवृत्ति हुई, बालक अति प्रसन्न था। मात्रा यही रखी तो दोनो समय अब मल सरलता से आ रहा था और मल त्याग के समय शूल या पीड़ा नही थी ।*

*11 जनवरी 2020 को यह चिकित्सा क्रम आरंभ किया था और कल 4 फरवरी 2020 को हमें ये परिणाम मिल चुका था ।*

[2/6, 12:52 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *11 जनवरी 2020 * 👇🏿
www.kayachikitsagau.blogspot.com
 [2/6, 12:52 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:


 *4-2-2020* 👇🏿

www.kayachikitsagau.blogspot.com

[2/6, 12:52 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*इस अवधि में बालक को home made साधारण आहार ही दिया जा रहा है, पालक,तिल गुड़ युक्त पदार्थ, fast food, अत्यंत अम्ल, कटु, मैदा, dry fruits, vineger, टमाटर सॉस, अचार आदि बंद कर दिये है ।*

[2/6, 12:57 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*अर्शांकुर लगभग समाप्त हो चुका है और रूग्ण स्थान पर श्वेताभ निशान मात्र रह गया है, इसे हम एक महीने और चिकित्सा देंगे और तब की स्थिति के updates image सहित देंगे ।*

[2/6, 1:00 AM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 🙏🏻🙏🏻💐💐

[2/6, 1:01 AM] Dr Kapil kapoor: 🙏🏻💐

[2/6, 1:05 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *आयुर्वेद में द्रव्यों का जो प्रभाव (अचिन्त्य शक्ति) लिखा है वो हमें अनेक बार चिकित्सा में देखने को मिलता है, आप्त जन त्रिकालज्ञ थे, उन्हे ज्ञान था कि भविष्य में अनेक प्रश्नों के उत्तर आयुर्वेदज्ञ ढूंढेंगे पर वो सभी मिलेंगे नही तो उन्हे द्रव्यों के प्रभाव के अन्तर्गत मानें ।*


[2/6, 1:14 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *पूर्वजन्म कृत पाप, प्रारब्ध, कर्म, भाग्य, पुनर्जन्म ये सब आप्त वाक्य है जो हमारे आर्ष ग्रन्थों में लिखे है, अगर आयुर्वेद में आप हैं और हमारे अनेक साथी जो modern practice भी करते हैं तो उनसे निवेदन है कि  शास्त्रों में लिखें इन आप्त वचनों को भी अपनी practice में ले कर चलें, आप कितने ही modern हो जायें हमारे आप्त वचन और शास्त्रों को अनेक कसौटियों पर परखने के बाद शास्त्रों को आप सही ही पायेंगे ।*

[2/6, 1:23 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*जामनगर मे धन्वंतरि भवन पर लिखा हुआ मिला था 'आयुर्वेदोऽमृतानाम्' इतने वर्षों के बाद अब समझ आता है जिसने शास्त्र को समझा,जीवन में उतार लिया वो कहीं भी और किसी भी युग या स्थान मे  पैदा हुआ जीते जी अमर हो गया अर्थात मोह, माया, राग, द्वेष, इच्छा, ईर्ष्या, दुखादि से इस जन्म में मुक्त हो गया।*

*वहां ये भी लिखा था 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय' ये शब्द जीवन में उतारते ही आप संसार के सब से बढ़े धनी व्यक्ति हो जाते हैं क्योंकि आपके पास अब सब से बढ़ा धन 'परम आनंद' होता है। ये सब हमें कहां से मिला पता है आपको ? ये सब हमें आयुर्वेद ने दिया।*

[2/6, 1:28 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *आयुर्वेद मे किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिये आयुर्वेद ज्ञान और कर्मो के साथ ईश्वर कृपा आवश्यक है, ये ईश्वर कृपा उसी को मिलती है जो आयुर्वेद नियम और सिद्धान्तों को जीवन में उतारते है जो हमारे आचरण और व्यवहार सहित कर्मों में दिखना चाहिये।*

             🙏🙏🙏🙏🙏

[2/6, 2:58 AM] Dr. Ashok Rathod, Oman: 🙌🏽🙌🏽🙌🏽🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🌹🌹🌹

[2/6, 5:28 AM] Dr. Namadhar Sharma, Delhi.: 

Nice management Dr Ji !

[2/6, 5:57 AM] Dr Shashi Jindal: 

Namaskaar sir !
💐💐🙏🏼🙏🏼
Thanks for sharing, you are really blessed, so nice treatment with absolute cure 👌👌👌👌🙏🏼🙏🏼💐💐

This type of sahaj arsha is example of congenital diseases due to wrong aahar vihaar of mother during pregnancy, it is not a genetic (kulaja) disease.
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

[2/6, 5:58 AM] Dr. Mansukh Mangukia: 

🙏नमो नमः।
सर आपने आयुर्वेद के सम्मान कोपुनः स्थापित करने का भगीरथ कार्य किया है।
शत शत नमन ।

[2/6, 6:09 AM] Samta Tomar Dr Jmngr: 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[2/6, 6:19 AM] satyendra ojha sir:

 वैद्य राज शर्मा जी , ☺☺✅✅🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐

[2/6, 6:20 AM] satyendra ojha sir:

 ✅💐☺🙏

[2/6, 6:20 AM] satyendra ojha sir: 

नमस्कार वैद्य राज शर्मा जी..

[2/6, 6:52 AM] Prof Giriraj Sharma: 

🙏🏼🙏🏼🌷🙏🏼🙏🏼👌🏻🌷🙏🏼🙏🏼
सुप्रभातम आचार्य श्री 
धन्यवाद ।

[2/6, 6:53 AM] Prof Giriraj Sharma:

 🌷🌷🌷🙏🏼🌷🌷🌷🌷
सुप्रभातम आचार्य , सादर नमन ।

[2/6, 6:58 AM] pawan madan Dr: 

प्रणाम गुरु जी ।

बहुत ही प्रेरणादायक।

आपका ये आरगवध पुष्प के गुलकंद वाला बहुत बढ़िया है।

मैं इस तरह के अनुलोमन के लिए अभयारिष्ट ही प्रयोग करता हूँ । 5 साल के बच्चे भी आराम से अभयारिष्ट ले लेते हैं । 
विबंध तो इस से अवश्य जाता है पर अर्शनकुर पूरी तरह गायब तभी हिट हैं अगर वे 1st डिग्री हों।
मेरे केसों में असल मे ये इतने छोटे होते हैं के विबंध ठीक होने के बाद ये दिखते ही नही हैं पर यदि ये बडे size के होते हैं तो more than 50% काम हो कर वही पड़े रहते हैं पर कोई पीड़ा नही देते। बहुत बहुत से केसों में ऐसा अनुभव पाया है।

पर यदि ये सही में fistula हो तो औषध से विबंध ठीक होने पर भी fistula में उपशय नही होता। 
पर ये आरगवध पुष्प का प्रयोग करने योग्य है।

कृपया मार्गादेशन दें !
🙏🙏🙏

[2/6, 7:14 AM] Dr. Rituraj Verma: 

नमो नमः गुरुवर 🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐

[2/6, 7:17 AM] Dr. Abhishek Kumar Singh:

 🙏🏽🙏🏽🙏🏽

[2/6, 8:10 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *डॉ शशि जी 👍👍👍*
🙏🙏🙏🙏🙏


[2/6, 8:11 AM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 

🙏🏻🙏🏻🙏🏻प्रणाम

[2/6, 8:11 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *सुप्रभात एवं सादर नमन  ओझा सर ।*

           🙏🙏🙏🙏🙏

[2/6, 8:14 AM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 

Namste sir arshoghni vati of which pharma
Sphtika means कांक्षी ?
Uski lahi or directly piskar ?

[2/6, 8:14 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*आचार्य श्री गिरिराज जी सुप्रभात एवं सादर नमन आपको भी।*

                  🙏🌺🌹💐🙏

[2/6, 8:15 AM] Dr. Sadhana Babel, Pune: 

Sattu means  yav ?

[2/6, 8:21 AM] satyendra ojha sir: 

सत्तू एक प्रकार का देशज व्यंजन है, जो भूने हुए जौ और चने को पीस कर बनाया जाता है। बिहार में यह काफी लोकप्रिय है और कई रूपों में प्रयुक्त होता है। सामान्यतः यह चूर्ण के रूप में रहता है जिसे पानी में घोल कर या अन्य रूपों में खाया अथवा पिया जाता है। सत्तू के सूखे (चूर्ण) तथा घोल दोनों ही रूपों को 'सत्तू' कहते हैं।

[2/6, 8:24 AM] satyendra ojha sir: 

सत्तू के लिट्टी का स्वाद दिल्ली के पराठों जैसा है ।

[2/6, 8:24 AM] Prof. Ramakant Chulet Sir: 

न हि कर्म महत किंचित
 फल म् यस्य न भूज्यते ,।
क्रिया घना कर्मजा रोगा: प्रशम म् याति तत क्षणात 
सारी शास्त्रानुसार चिकित्सा करने पर भी चिकित्सा का फल या लाभ रोगी को न मिले तो यह कर्माज व्याधि है, कर्म क्षय होने से ही लाभ होगा उसे भोगना होगा, यह भी उपशय अनुपशय से निदान समझ कर चिकित्सा प्रयत्न करना चाहिए ।
चिकित्सा सफल होने पर भी रोगी को लाभ होने पर भी यदि चिकित्सक को लाभ नहीं होता है उधार करके पैसे नहीं देता तो इसे चिकित्सक अपना पूर्व जन्म कृत कर्म का फल समझ कर शांत रहे,कर्जा चूक गया ऐसा सोचकर  आनंद से रहे यह भी upshay अनुपशय समझना चाहिए, यह चिकित्सक की दीर्घायु के लिए अनुकूल होता है ।

[2/6, 8:25 AM] Prof Mamata Bhagwat: 

Good morning Sir, yet another brilliant case presentation and a great thought process... Being humble in all phases of life must be learnt from you.. Thank you for being with us constantly.
🙏🏻🙏🏻💐💐

[2/6, 8:27 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*नमस्कार वैद्य श्रेष्ठ पवन जी, वास्तव में अर्श और भगंदर मेरे अधिकार क्षेत्र की व्याधि नही है, मैं प्राय: ऐसे रोगी क्षार सूत्र वालों को refer कर देता हूं। मैं तो कुछ selected रोगों की ही चिकित्सा करता हूं।*

*मैं भी ये ही मान कर चलता हूं कि यदि fistula है तो औषध से ठीक नही होगा, अर्श रोग मानकर लाक्षणिक लाभ देने के लिये ही चिकित्सा दी गई है जो अभी चल रही है ।आरग्वध पुष्प के गुलकंद पर कुछ समय पहले मैं लिख भी चुका हूं और बहुत महंगी औषधियों के बदले यदि वैद्य लोग स्वयं भी परिश्रम कर इस प्रकार के योग बना कर practice में प्रयोग करें तो उनकी प्रामाणिकता सिद्ध करने हेतु ही ये case present किया गया है ।*

*आरग्वध पुष्प निर्मित ये योग वृक्क रोगियों में अगर DM नही है, गर्भिणी को विबंध होने पर और वृद्धावस्था में भी प्रयोग कराते हैं ।*

  *अभयारिष्ट तो जैसा आपने कहा उत्तम है ही।*

              🙏🌺🌹💐

[2/6, 8:30 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*नमस्कार वैद्या श्रेष्ठ साधना जी, अर्शोघ्नी वटी आयु सा संग्रह अनुसार निर्माण कराते है और स्फटिका में इसकी भस्म का प्रयोग करते हैं।*

[2/6, 8:32 AM] pawan madan Dr: 

*बहुत बहुत धन्यवाद सर जी*

[2/6, 8:33 AM] Dr Shashi Jindal: 

🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐💐💐

[2/6, 8:49 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: *

नमस्कार रमाकान्त सर, आपने इन सब की बहुत ही विस्तार से व्याख्या कर दी जो जीवन में उतार ली जाये तो दुख ही ना हो ।*


                🙏🌺🌹💐🙏

[2/6, 8:51 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*प्रो. ममता जी धन्यवाद सहित सुप्रभात !*

             🙏🌹💐🌺🙏

[2/6, 9:19 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi:

 *डॉ हिमानी जी नमस्कार  !
🙏🙏🙏 
हम सभी साधारण जीव है और आप्त जनो से तुलना उचित नही, किसी की अधिक प्रशंसा करने से उस मनुष्य में अहंकार आ जाता है और वो ही उसके पतन का कारण बनता है।*

*जैसे प्रो.(डॉ.) हिमानी वैसे ही हम !*

               🙏🙏🙏

[2/6, 9:21 AM] Prof. Ramakant Chulet Sir:

 पित्त दोष की विकृति होती है तो वह दृष्टि दोष करता है आलोचक दुष्टी से, पांडु रोगी का पीत दर्शन भी ऐसा ही एक उदाहरण है ।
उभायश्रित व्याधि होने से दृष्टि भ्रम, वर्ण भ्रम तक सीमित नहीं रहा और धी विभ्रम के कारण यह लक्षण प्रकट हुआ ।

[2/6, 9:44 AM] Vaidyaraj Subhash Sharma, Delhi: 

*ये काय सम्प्रदाय हर रोज clinic के लिये देरी करा देता है।*

       😄😄😄

[2/6, 9:47 AM] Dr. Satish Jaimini Choumu, Jaipur: 

आपका जादुई हाथ है सर् कुछ भी हो रोगी की ठीक होना ही पड़ेगा👏👏🤣

[2/6, 9:52 AM] Dr. Satish Jaimini Choumu, Jaipur: 

गुरुदेव ये करन्ज पत्र कोनसे सत्तू के साथ खाया जावे यव अथवा चणक सक्तु👏👏

[2/6, 9:57 AM] Vd Dilkhush M Tamboli: 

बढीया सुभाष सर  ।💐💐💐💐

[2/6, 10:04 AM] Dr. Neetu Agrawal: 

👏🏻👏🏻this type of case is a motivation to others.

[2/6, 10:12 AM] Pawan mali Dr.: 

Sir as usual..... 
marvellous presentation sir !
💐💐. 
previously also you have discussed aragvadha utility..... if we look at hetu in sahaj arsha charak ha given guidelines for not only arsha but for all sahaj vyadhi... matapita  apachaar and purvakritam cha karma.... here more importance is given to balavan purvakrit karma....... 









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Above case presentation & follow-up discussion held in 'Kaysampraday" a Famous WhatsApp group  of  well known Vaidyas from all over the India. 




Presented by










Vaidyaraj Subhash Sharma
MD (Kaya-chikitsa)

New Delhi, India

email- vaidyaraja@yahoo.co.in


Comments

  1. Vaidhyaraja subhash sir is one of the best Ayurveda physician in the world.

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