[22/03, 17:29]Vaidya Sanjay P. Chhajed:
Though though to digest but death is the ultimate truth and can happen to anyone. Unfortunately it was SN Oza sir today.
परम तत्त्व से दिवंगत पुण्यात्मा को मोक्ष प्रदान करने के लिए सहृदय प्रार्थना एवं परिजनों व मित्रों को इस विकट घडी में समता तथा स्वास्थ्य बनाए रखने का सामर्थ्य प्राप्त हो ऐसी अभ्यर्थना ।
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।
[22/03, 17:31] Vd.Mohan Lal Jaiswal:
ऊँ सतपथ के पथिक के निधन का समाचार हृदयविदारक है, आयुर्वेद की अपार हानि। प्रभु विश्वेश्वर परिजनों को सम्बल प्रदान करें।
ऊँ शान्तिः शान्ति ः शान्तिः
हरिःऊँतत्सत् ।
आदर श्रद्धांजलि ।
[22/03, 17:36] Dr.J.P Singh:
Very great loss to ayurveda.
A pure and Nobel आयुर्वेदाचार्य with higher education and great clinician
Late. ओझा सर
🙏🏽🙏🏽🌹
भगवान उनकी आत्मा को शांति दे ।
[22/03, 17:52] Vd Pawan Madaan:
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हरि इच्छा सर्वोपरि अस्ति।
करीब 8 साल से उनसे online परिचय होने के बाद, कुछ 6 साल पहले उनसे पूना में मिलना हुआ।
जोश, व आयुर्वेद के प्रति समर्पण
ये दो ही चीज़ों ने उन्के प्रति हमारे सम्मान को और बढा दिया
सर्वदा उन्होने मुझे अपने अनुज की तरह स्नेह दिया।
उनकी क्षति पूर्ति सम्भव ही नही।
ओम शान्ति।
😓😓😓😓
[22/03, 17:57] Dr.Rajneesh Pathak:
😰😒RIP
Ojha sir was all time chair person & keynote speaker of KS university 🙏🙏🙏💐💐💐....his all efforts regards cardiology in Ayurveda will be guidance for future Ayurveda generation 😔
[22/03, 18:04] Vd.Divyesh Desai:
ओझा सर जैसे दिव्य आत्मा ने दिये हुए आशीर्वाद मेरे लिए सबसे मूल्यवान पूंजी है,
24 तारीख को तो ओझा सर हमे फ़ोन करके Surat, CME के बारे में बताने वाले थे..
मैंने हर साल सर को उनकी birth date पर फोन करने का वादा अधूरा रह जायेगा, क्योंकि सर की birth date 16 नवंबर है, जो मेरी लड़की की भी birth date है..
प्रभु इतने pure आत्मा वाले मेरे आप्तजन आदरणीय ओझा सर को शांति एवं मोक्ष प्रदान करे💐💐👏🏻👏🏻🙏🏽🙏🏽
मंगल मंदिर खोलो,
दयामय मंगल मंदिर खोलो...
तिमिर गयु ने ज्योति प्रकाश्यो,
द्वारे ऊभो शिशु भोलो
दयामय मंगल मंदिर खोलो...💐💐
सर ...😞😞
[22/03, 18:33] Vd.Atul J. Kale:
Very shocking news. मैं विश्वासही नहीं कर पा रहा हूँ।
हरी ॐ
😔😔🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐
*सर आपका महान कार्य आपकी अंतिम साँसतक चला।*
*आप कुछ तो कहना चाहते थे जैसे आपको कुछ तो पता चला था।*
*हम बोलते थे कि नहीं सर आपकी उम्र तो लंबी है, आपको बहोत बडा कार्य करना है।*
*सर आप तो जितेंद्रिय एवं निश्चयताके महामेरू थे।*
*आपने हाँथमें लिया हुआ कार्य भी आपके सामने नतमस्तक हो जाएँ इतने आप महान थे।*
*कार्य किस समर्पणसे करना चाहिए उसका आदर्श थे आप। आयुर्वेदके प्रति कितनी निष्ठा, कितना प्रेम था आपमें एवं आधुनिक शास्रके भी कितने ज्ञाता थे आप!!!!*
*आयुर्वेदके बच्चे एवं आयुर्वेद मंडली आपका परिवार था।* *आपने केवल आयुर्वेदके लिएही संन्यस्थ जीवन चुना जीसके लिए परम सत्त्वकी नितान्त आवश्यकता होती है। आपका व्यक्तीगत स्वार्थ कभी भी आयुर्वेद एवं आपके बीच नहीं आया, वस्तुत: आप आयुर्वेदके लिए सर्वसंगपरित्यागी थे। मैंने ऎसे संन्यासीको कभी, कहीं नहीं पाया जो आयुर्वेदकी पर्णकुटीमें कर्तव्यनिष्ठतासे जीवन बिता रहा है। संभवत: आप आत्रेय थे, संभवत: आप अग्निवेश के अवतार भी हो सकते है। जो भी हो आप हममें एक लोकोत्तर पुरुष थे।*
*आपने तो मोक्षको पहलेही अपना लिया था। आप उपधारहित, अनंदमयी आत्मा थे। आपकी गती तो उच्चतम ही है। किंतु हम तो अतिसामान्य होनेसे आँखे आपके वियोगसे रुदन कर रही है। आपका वियोगानंतर असहनीय है।*
अबसे
*Prof. Ojhasir is typing*
ऎसे दिखनेवाला वाक्य कायसंप्रदायपर अबसे नहीं दिखेगा न अापके पोस्ट दिखेंगे। हे राम कैसी विटंबना है ये नियतीकी!!!!
कितना विचित्र है ये दैव, जो जीने लगे तो जीने भी नहीं देता, कार्य करे तो करने भी नहीं देता उसकी महत्ताको भी नहीं समझता।
ॐ शांती: शांती:
💐💐💐💐💐💐💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[22/03, 18:42] Prof. Surendra Soni Sir:
हे भगवान !
यह अविश्वसनीय और हृदय विदारक समाचार है । वो मेरे लिए आदर्श शिक्षक और गुरु थे और उनसे मैंने काय चिकित्सा में बहुत कुछ सीखा है । ग्रुप निर्माण से लेकर संचालन और विद्यार्थियों तथा चिकित्सकों के कल्याण के लिए प्रकाशन आदि सभी जन कल्याण के कार्य के प्रेरणा स्वरूप आदरणीय ओझा सर ही थे ।
विधाता इस क्रूर लीला से क्या करना चाहता है ये वो ही जाने परन्तु हम जैसे विद्यार्थियों के लिए यह बहुत बड़ा कुठाराघात है । उनके ग्रुप में आगमन से ही मुझे काफी विश्राम मिल जाता रहा है क्योंकि वो शुद्धतम हृदय से सभी सदस्यों का मार्गदर्शन करते रहते थे । 3 दिन पहले ही आदरणीय सर से विस्तृत बातचीत हुई थी और स्वस्थ और कुशल हूँ, ऐसा बताया था ।
परम पिता परमात्मा से निवेदन है कि उन्हें अपनी शरण में ले ले ।
ॐ शान्ति !!😢😨😭🤧
[22/03, 18:42] Dr. Dinesh Katoch Sir:
He was great Ayurveda Gyata- Karta and Bhogta as well and Ayurveda used to run into his Shiras, Dhamanis, Snayus and all Srotas. He always called me Agraj right from the day we both were undergoing MD ( Kayachikitsa) at NIA during 1987- 1990. His postgraduate research work was on anti-coaugulant and thrombolytic effects of Kapot Vistha - vidambana hai - he himself sccumbed to thrombo-embolic injury to lungs. May Dhanwantri bless his Atma with eternal peace. Hari Om !
[22/03, 19:09] Vd Rangaprasad Bhat:
Narayana Narayana .
I'm really taken aback on hearing this news.
No words to express the sudden loss of the brother, guide and soul mate in Shrimaan Satyendra Ojha Bhaiyya ji.
He was next person to my guru Shrinivas Acharya ji who was close to me heart.
He will always live in our memories through his teachings, preachings and philanthropic thoughts for ever and ever.
Will keep my brother in prayers for his sadgati to the Lotus feet of Narayana.
Om Shanti Shanti Shanti.
🙏🙏🙏
[22/03, 20:10] Vd.Ashok Rathod,Oman:
*गुरुवर्य ओझा सर की दिवंगत आत्मा को कोटी कोटी प्रणाम।* *कायसंप्रदाय रुपी विशाल वृक्ष का एक अद्भुत हिस्सा आज अनंतकाल मे विलिन हो गया।*
*हम आप से कुछ समय तक जुडे रहे ये हमारा सौभाग्य रहा। आप अमर हैं। आप सदैव हमारे साथ हैं। आप से मिला हुआ आयुर्वेदामृत हम सदैव इस जगत में बाटतें रहेंगे।*
🙏🙏🙏🌹🌹🌹😔
[22/03, 21:44] Vd.Divyesh Desai:
आदरणीय सत्येन्द्र ओझा के नाम मे ही
सत्य छिपा हुआ है, वो सत्य कहने में कभी भी हिचकिचाहट नही करते थे...
इन्द्र भी सर के नाम मे छिपा हुआ है
सर सही मायने में आयुर्वेदके इन्द्र थे, मानो उन्होंने सीधे अश्विनीकुमारो से आयुर्वेदका ज्ञान लिया हो..(ब्रह्मा स्मृतवा आयुषो वेदं प्रजापतिम अजिग्रहत, सो$श्विनो, ते सहस्त्रांश...)
ओर OJHA surname में ओज छिपा हुआ है
अभी 1 ही महीने पहले तो सर के साथ 6 घंटे भद्रेश सर के घर मे बिताए थे, 24 तारीख को तो हमे सूरत CME के लिए फ़ोन करने वाले थे, अभी भी मन ये दुःखद समाचार पर विश्वास करनेको तैयार नही है... सत्येन्द्र ( सत्य और इन्द्र ) का यहाँ से चले जाना ..कितनी अक्षम्य खोट है,पूरे आयुर्वेद जगत के लिए, हमारे बीच से यूँही चरकाचार्य का चले जाना..दिव्य आत्मा से केवल आशीर्वाद की उम्मीद💐💐 😞😞😟😟
[23/03, 11:33] Vd.Vandana Vats:
🙏💐🙏
Yesterday evening onwards The grief is like ocean, it comes in waves and ebbing and flowing all of us, left with moist eyes . It seems that we have lost a fatherly shed of knowledge, kindness, learning. Sir, always ready to reply any of our query .Talking with him is like attending an Institution. His teachings and guidance has made a remarkable change in our clinic practice and aushad dispensary. All काष्ठ औषधीय चूर्ण, are mainly part in our clinic shelf and treatment. It has become a ritual for us to नमन Ojha Sir, before starting treatment with such medicine in his name. During his life and now in divine life he will be invoked as generous soul always .
Rest in Peace Pious soul.
🙏💐🙏
[23/03, 12:18] Dr.Rajiv Ranjan Gour:
In the form SN Ojha sir, we suddenly lost a great kayachukitsaka, mentor, ayurveda Siddhant marmagya and samanvayaka. No words to express the grief and pain. He has left the space vacant which can never be filled. We express our deepest gratitude and condolences in his feet. RIP ..the legend 💐💐🙏🏻🙏🏻🥲🥲😌😌
[23/03, 22:21] Prof. Giriraj Sharma:
*निकाल लो दिल ऐ गुब्बार चाहे जितने,,,,*
*मगर उस शख्स को तुम भुला नही पाओगे,,*
[23/03, 22:23] Vd. Subhash Sharma Sir:
*रह न पाओगे हमें भुला कर देख लो, *
*यकीन न आये तो आजमा कर देख लो, *
*हर जगह महसूस होगी हमारी कमी, *
*बिना मेरे महफ़िल सजा कर देख लो।*
❤️🙏
[23/03, 22:59] Prof. Surendra Soni:
नींव की पक्की ईंट थे वो
विधाता की अनुपम भेंट थे वो......
हो विषम परिस्थितियां हो दुर्गम पथ,
हो सामने चाहे कोई भी दिग्गज,
अपने वचनों से हमेशा रहे अडिग थे वो...
नींव की ईंट थे वो..........
चाहे चरक चक्रपाणि की बात हो,
या हो बात हैरिसन या हचिसन की...
उन्हें याद उदाहरण एक एक थे....
नींव की ईंट थे वो..........
अथाह परिश्रम, श्रेष्ठ शिक्षण असहाय रुग्ण सेवा,
आयुर्वेद आलोक
आयुर्वेद प्रकाश,
अपनी पीढ़ी के ओजस्वी तपस्वी वो एक ही थे.....
नींव की ईंट थे वो..........
अथाह शिष्य मण्डली, श्रेष्ठ कर्म कुंडली,
उनकी स्थापित वैद्य पौध से महके अखिल भूमण्डल,
ऐसे वो गुरु विशेष थे....
नींव की ईंट थे वो..........
आधुनिक आयुर्वेद समरसता,
संकल्प शास्त्र प्रचार,
निःस्वार्थ ज्ञान प्रसार,
आयुर्वेद उन्नयन
आयुर्वेद मंथन
जीवन पर्यन्त सचेष्ट थे वो,
नींव की ईंट थे वो..........
कभी चढ़ेगी अट्टालिकाएँ इस नींव पर,
लहराएगा आयुर्वेद ध्वज अखिल अम्बर
चलित दूरभाष शिक्षण संचालन,
अद्भुत, अनुपम, अक्षुण्ण निस्वार्थ ज्ञान प्रकाशन
आयुर्वेद के नए युग के प्रवर्तक थे वो...
नींव की ईंट थे वो..........
परम आदरणीय परम प्रिय स्व. प्रो सत्येन्द्र नारायण ओझा जी सादर समर्पित मेरी कुछ पंक्तियाँ !!
🙏🏻🌹😔😔
[24/03, 00:25] Vd.Atul J. Kale:
ह्द्यविदारक, सर आपको ऎसे देखनेकी आदत नहीं। चैतन्यमयी, उर्जासे भरपूर देखा है आपको।
कानोंमें अतुल ऎसी आपकी आवाज अब भी गुँज रही है। कैसे समझाऊ खुदको के अब अाप नहीं है। कायसंप्रदायमें आपकी आदतसी हो गयी है। आपको मैंनेही कायसंप्रदायमें आनेके लिए प्रार्थित किया था अौर आप आ गये। आपको जैसा चाहिए वैसा कायसंप्रदाय ग्रुप था।
बीच बीचमें आप कायसंप्रदायसे जाते थे किंतु फिर आते भी थे। लेकिन आप तो अब कभी न आनेके लिए ही चले गये। आपने तो हम सब को अनाथ कर दिया।
😩😩😧😭😭
[24/03, 05:10] Vaidya Sanjay p.Chhajed:
*क्यों जिंदगी से इतनी मुहब्बत करता है "संजय"*
*वह जो तुम उधार का मांग लाये थे।*
*वह बेवफा अपनी थी ही कब, तो तुम किसे अपने पराये में बांटोगे*
*बस अब उधार चुकता कर और चलता बन।*
*किसी और के लिए भी तो जगह ख़ाली करनी है।*
यही तो सत्य है, उधार चुकता कर और चलता बन।
रहा बाकी जो वो कर्ज ,तो फिर पडोगे उसी चक्रव्यूह में।
उधार ले व चुकाता जा।
भले आपकी कमी महसूस हो, अब मात्र मुक्त होना है।
छोड़कर सब कर्मों को अब मात्र मोक्ष पाना है।
क्यों उलझा रहे हो अपने अजीज को, छोड़ चुके हैं जो अपने अतीत को।
न रोक उन्हें ,न पुनर्जन्म की आशा कर, उस पवित्र आत्मा को मात्र अपुनर्भव की अपेक्षा कर।
कभी प्रत्यक्ष में न मिले ऐसे ज्ञानी अग्रज हेतू।
*संजयकुमार*
[24/03, 08:57] Dr.Satish Jaimini:
अनिन्दित मुक्तात्मा ज्ञानपुँज प्रकाशक शिष्यवत्सल निरपेक्ष प्रातः स्मर्णीय अमिट व्यक्तित्व आयुर्वेद उपासक चिकित्सा साधक गुरुवर को अनन्त कोटि प्रणाम🙏🏻🙏🏻श्रीमन्नारायण🙏🏻🙏🏻
[24/03, 11:42] Prof. Surendra Soni Sir: *```भूतैश्चतुर्भिः सहितः सुसूक्ष्मैर्मनोजवो देहमुपैति देहात् ।
कर्मात्मकत्वान्न तु तस्य दृश्यं दिव्यं विना दर्शनमस्ति रूपम् ॥३१॥```*
उनके अपूर्ण कार्य को पूर्ण करने देवलोक से इन्द्र को उन्हें पुनः भू-अवतरण कराना पड़ेगा ।
🙏🏻🌹😪
[24/03, 13:11] Dr.Mamata Bhagwat:
Yes, he cannot stay away for long from medical science...
He will come back, with doubled energy, accumulated knowledge, brilliant vision, and looonngggg life ... definitely. He will complete all his partially fulfilled dreams and aspirations..
Also will contribute much bigger way.
Alvidaa kehne ka mann nahi karta hai Sir.
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[24/03, 13:48] Vd.Rangaprasad Bhat:
*निष्काम कर्म योगी थे भैय्याजी ।*
*सर्वभूत अनुकंपि* भी थे ।
*ज्ञाता* भी।
*विज्ञाता* भी।
*ज्ञान दाता* भी थे ।
इस कर्म योगी ने अभि *ब्रह्म निर्वाण* हो चुका है ।।
उस्का कुल देव - *मा दुर्गा की और समिल्लन हॊ चुक है,* सब को सदा सर्व काल आशिवाद देते रहेंगा ।।
निंनोक्त गीता पद को हमारा प्रिय भैय्याजि को अर्पित कर्ता हूँ । 🙏🙏🙏
*योऽन्तःसुखोऽन्तरारामस्तथान्तर्ज्योतिरेव यः ।*
*स योगी ब्रह्मनिर्वाणं ब्रह्मभूतोऽधिगच्छति ॥ (२४)*
[24/03, 13:57] Dr.BK Mishra:
स्तब्ध व निःशब्द हूं, इस सूचना से कि
प्रोफेसर वैद्यश्री सत्येन्द्र नारायण ओझा जी भौतिकदेह के साथ अब हमारे बीच नहीं रहे। मन अभी तक स्वीकार नहीं कर पा रहा है कि आयुर्वेद के एक प्रखर जाज्वल्यमान नक्षत्र को अल्पायु में ही अचानक मृत्युरूपी ब्लैकहोल लील गया है।गत 17 मार्च 2022 को ही होली पर्व की शुभकामनाओं के आदानप्रदान हुआ था। डॉ सत्येन्द्र ओझा आयुर्वेद के मूर्धन्य अध्येता, अध्यापक तथा चिकित्सक थे।व्यस्तता के रहते भी ग्रुप में किसी भी जिज्ञासा का सौम्यभाव से समाधान अवश्य प्रदान करते थे। किसी भी बिन्दु पर उनकी आयुर्वेदीय विवेचनात्मक सरल प्रस्तुतियां सहज ही हृदयंगम हो जाती हैं। अत्यन्त खेद है कि उनका सान्निध्य अल्पसमय में ही टूट गया। प्रो.सत्येन्द्र ओझा का भौतिक देहावसान कायसम्प्रदाय तथा सम्पूर्ण आयुर्वेद जगत के लिये अपूरणीय क्षति है।मैं पराशक्ति से उनको अपने श्रीचरणों में आश्रय प्रदान करने की, तथा उनके परिजनों को शोक की इस घोर दुःखद वेला में धैर्य व अवलम्बन प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं...ॐ तत्सत् ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
🙏🏼🌹💐💐💐🌹😞😞😞😞😞🙏🏼
[25/03, 14:09] Prof.Vd.Arun Rathi:
*कभी हँसते हुए छोड़ देती है ये जिंदगी*
*कभी रोते हुए छोड़ देती है ये जिंदगी।*
*न पूर्ण विराम सुख में,*
*न पूर्ण विराम दुःख में,*
*बस जहाँ देखो वहाँ अल्पविराम छोड़ देती है ये जिंदगी।*
*प्यार की डोर सजाये रखो,*
*दिल को दिल से मिलाये रखो,*
*क्या लेकर जाना है साथ मे इस दुनिया से,*
*भीतर शून्य !*
*बाहर शून्य !*
*शून्य चारो और है !*
[25/03, 20:09] Dr. Vandana Vatsa, Patiala:
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